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रांझणा – 46

Ranjhana – 46

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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Ranjhana – 46

“शिवा”
शिवम के मुंह से ये नाम सुनकर सारिका का दिल एक पल के लिए रुक गया l उसकी आँखों से आंसू झर झर बहने लगे आँखों के आगे सालो पहले गुजरा बनारस का वो मंजर याद आ गया और वो सारी बाते एक एक करके सारिका के कानो में गूंजने लगी
“नाम में क्या रखा है साहब जी !”
“हर हर महादेव !”


“ऐसे घूर क्या रही हो ? खाओगी क्या हमे ?”
“ये बनारस है मैडम जी यहाँ की तो हवा में भी इश्क़ बहता है , इस हवा को कैसे रोकोगे ?”
सारिका के होंठ काँपने लगे उसने कांपते होंठो से धीरे से कहा,”शिवा ?”

शिवम् ने नम आँखों से सारिका की तरफ देखकर कहना शुरू किया,”हां शिवा , वही शिवा जिसने सालो पहले आपको डूबने से बचाया था और खुद डूब गया आपकी आँखों में ! उस वक्त सोचा नहीं था की ऐसा कुछ भी होगा पर आपके जाने से पहले इश्क़ हो गया था आपसे , और जाते जाते आपका ये कहकर जाना की आप वापस आएगी l तबसे हर रोज आपके आने का इंतजार किया हमने !

हर सुबह न जाने कितनी ही बार उस रस्ते को देखते जिस से आप गयी थी l उस इंतजार के आगे सब थक चुके थे पर ये आँखे………………ये आँखे कभी थकने का नाम नहीं लेती थी l बनारस का ऐसा कोई घाट , ऐसा कोई मंदिर नहीं था जहा हमने आपको ना मांगा हो l आपसे मिलने के लिए , आपको देखने के लिए हर पल किस नर्क से गुजरे है ये सिर्फ हम जानते है l 14 साल सिर्फ आपने ही नहीं बल्कि हमने भी एक बनवास काटा है ! बहुत इंतजार किया है आपका ,, आपको ढूंढता भी तो कहा आपका कोई पता , ठिकाना नहीं था l

आपका नाम सारिका है ये भी नहीं जानते थे l कैसे जानते ?आपकी माँ के मुंह से हमेशा आपके लिए सरु ही सूना हमने !! जैसे जैसे वक्त गुजरा लगा भूल जायेंगे आपको पर हमारे शहर के उस घाट ने हमे भूलने नहीं दिया l सब आगे निकलता रहा लोग , शहर , वक्त और हमारी उम्र भी बस एक हमारा मन ही था जो वही रुक गया l ऐसा उलझा आपमें की उलझता ही गया !! आख़िरकार महादेव ने हमारी सुन ली और आप एक बार फिर बनारस आई पर अनजान बनकर !

आपके साथ रहते हुये हमेशा महसूस होता रहां जैसे आप हमारी अपनी है आपसे प्यार ना हो जाये ये सोचकर हमेशा आपसे दूर रहने लगे l आपसे कम बात करते थे पर हमे क्या पता था जिस से हम दूर जाना चाहते है वो कोई और नहीं हमारी मोहब्बत ही है ! इतने दिन बनारस में आपके साथ रहकर भी हम आपको पहचान नहीं पाए l कैसे पहचानते ? आप ज्यादा बोलती नहीं थी और हम ज्यादा पूछते नहीं थे ll उस रात आप पर चिल्लाने के बाद आपसे ज्यादा रोये थे , जब प्रताप ने आपको छुआ तो दिल किया उसकी जान ले ले ,

जब आई बाबा आप पर अपना प्यार लुटाते तो सबसे ज्यादा ख़ुशी हमे होती थी l मुरारी जब आपको हमारे सामने भाभी कहता था तो बाहर से हम नाराज होते पर दिल के किसी कोने में गुदगुदी होने लगती थी l हमारी आँखों में कब आपका चेहरा बसने लगा हम नहीं जानते , आपके लिए ये भावनाये कहा से आई ? कब आई कुछ पता नहीं चला ! एक रात जब भांग के नशे में आपने अपने बारे में बताया तब हमे पता चला की जिस लड़की को हम ढूंढ रहे है वो तो हमारे साथ थी l

उस रात बहुत रोये थे हम भले आप नशे में थी पर आपके होंठो से निकला एक एक शब्द हमारे लिए किया गया आपका इंतजार बयां कर रहा था ! वो आंसू ख़ुशी के आंसू थे आपको पा लेने की ख़ुशी , बनवास के ख़त्म होने की ख़ुशी !!!
पर इतनी जल्दी हमारा मिलना शायद किसी को मंजूर नहीं था l हम आपसे सच कह पाते इस से पहले ही अमित जी आपकी जिंदगी में आ गए l हमने अपनी भावनाओ को रोक लिया आपकी ख़ुशी से बढकर हमारे लिए कुछ नहीं था और हमने उनके साथ आपको जाने दिया !

हमने आपको पाकर भी खो दिया l सबके ताने उलाहने हमने सुन लिए पर आपकी ख़ुशी आपसे नहीं छीनना चाहते थे लगा अमित के साथ आप खुश रहेंगी ! पर हमारी किस्मत वो शायद हमे इतना कम दर्द देकर खुश नहीं थी हमे मुंबई खिंच लाई ! आपके साथ रहते हुए हमे एक बार फिर आपसे प्यार हो गया लेकिन कहने की हिम्मत नहीं थी l अमित के साथ आप खुश नहीं है जानकर जब हमने आपको सच बताने का सोचा तो हमारी बेरहम किस्मत ने हमे एक बार फिर दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया l

एक तरफ आपके पापा है और दूसरी तरफ आप दोनों में से किसी एक को भी चुना तो सबसे ज्यादा तकलीफ आपको होती और वो हम कभी देख नहीं पाते l इसलिए चुपचाप यहाँ से जा रहे थे l “
शिवम् का गला रुंध गया l आंसू आँखों से बाहर आने को बेताब थे l सारिका जो तड़पते हुए सब सुन रही थी दौड़कर शिवम् के सीने से लग गयी और रोते हुए कहने लगी,”हमे माफ़ कर दीजिये l आपके साथ रहकर भी हम कभी समझ ही नहीं पाए थे की आपका हमसे इतना गहरा रिश्ता है l

इंतजार सिर्फ हमने नहीं किया आपने भी किया है , इंतजार की जिस आग में हम जलते आये थे उस आग में आप भी जले थे , दिल हमारा ही नहीं आपका भी दुखा था l सच जानते हुए भी आपने हमसे छुपाया ऐसा क्यों किया आपने ? क्यों हमे खुद से दूर रखा ? क्यों हमे अहसास दिलाया की हमारा रांझणा अब किसी और का है ? एक एक पल हमारी आँखों ने आपके आने की राह देखी है , हमारी हर एक साँस आपकी कर्जदार थी l अगर ऐसे ही दर्द देना था तो मर जाने दिया होता हमे उस दिन !!”


कहते कहते सारिका फुट फुट कर रो पड़ी मुरारी से ये सब देखा नहीं जा रहा था l उसकी आँखों में भी आँसू भर आये l इस मिलन से पहले का दर्द उसने भी तो देखा था पर आज दोनों के मुंह से सुनकर उसे और ज्यादा तकलीफ हो रही थी पर वह खुश था की इतने दर्द और तकलीफो के बावजूद ये दोनों मिल गए थे उसने ऊँगली से आँखों की किनारे आये आंसुओ को पोछा और मुस्कुरा उठा l सारिका शिवम् के सीने से लगे सुबकती रही l

शिवम् की आंखे भी आंसुओ से लबालब थी उसने सारिका को अपनी मजबूत बांहो में समेट लिया और आँखे मूंद ली आंसुओ का सैलाब बह गया l अगले ही पल शिवम को कुछ याद आया और वह सारिका से दूर हो गया l सारिका ने हैरानी से शिवम् की और देखा तो शिवम् ने कहा,”आप जाईये , आपको घर के लिए भी निकलना है l आपके पापा आपकी राह देख रहे है और शायद अमित भी l कल शाम आपकी सगाई है अमित के साथ हम नहीं चाहते हमारी वजह से किसी का दिल टूटे या किसी को तकलीफ हो !!

आप जाइए , अमित बहुत अच्छा लड़का है आपको हमेशा खुश रखेगा , हर सुख सुविधा देगा ओर हमारे पास आपको देने के लिए कुछ भी नहीं सिवाय दर्द और आंसुओ के ll हमने हमेशा आपको आंसू दिए है और शायद आगे भी ये ही दे इस से अच्छा है आप अमित के साथ अपनी नई दुनिया शुरू करे !! आप हमे भूल जाईयेगा और हम………………………..हम जीते जी आपको भुला नहीं पाएंगे l पर आप भूल जाना , भूल जाना की आपकी जिंदगी में कोई रांझणा भी था”


ये आखरी शब्द कहते हुए शिवम् को इतनी तकलीफ हुई की उसने अपने दांतो को मजबूती से भींच लिया पर आँखे कहा किसका साथ देती है आंसू की एक बून्द आँख से निकलकर गाल पर आ गयी जिसे उसने तेजी से हटा लिया ! सारिका सामने खड़ी शिवम् की बाते हैरानी से सुनती रही और फिर दर्द से तड़पकर कहा,”हमारी जिंदगी का फैसला आप अकेले कैसे कर सकते है ? और कैसे कह सकते है हमसे की भूल जाये हम आपको ?

हमारी सांसो में बसते है आप और सांसो को भूलने का मतलब समझते है आप ? समझते क्या है आप खुद को ? हमेशा वैसा होगा जैसा आप चाहेंगे , क्या आपको हम पर , हमारी हालत पर तरस नहीं आता l ये जानने के बाद की हमारी तलाश आप हो , आप चाहते हो हम अमित के हो जाये l सब भूलकर उन्हें अपनी जिंदगी में शामिल कर ले “
सारिका की आवाज से उसका दर्द साफ झलक रहा था जिसे शिवम् बखूबी जानता था उसने धीमी आवाज में कहा,”इसी में हम सबकी भलाई है”


“सबकी भलाई ! सबकी भलाई किसी में भी हो पर हमारी नहीं है l हमे आपकी जरूरत है शिवम् और आपको हमारी आपको समझ क्यों नहीं आता ?”,चिल्ला उठी सारिका
मुरारी ख़ामोशी से ये सब देख रहा था उसे शिवम् पर गुस्सा आ रहा था और सारिका पर तरस l उसका दर्द उस से नहीं देखा जा रहा था लेकिन बिच में कुछ बोलकर वह इस मामले को और उलझाना नहीं चाहता था l शिवम् ने खुद को तैयार किया और कहने लगा,”हमारी बात मान लीजिये सारिका , अमित अच्छा लड़का है और हम………….हम तो किसी भी तरह से आपके लायक नहीं है l “


“ये फैसला करने वाले आप कौन होते है ? पहले से आपकी जिंदगी में इतना दर्द है आखिर और दर्द क्यों चाहते है आप ? आपकी मोहब्बत आपकी तलाश आपके सामने फ क्यों आप उसे किसी और के हवाले करना चाहते है ? इस से तो अच्छा होता की आप कभी ये सच हमे बताते ही नहीं कम से कम हम इस झूठी उम्मीद में तो जी लेते की आप अपनी जिंदगी में खुश है लेकिन अब , अब कभी ऐसा नहीं होगा l उस दिन क्यों बचाया हमे ? मर जाने दिया होता उसी घाट में जहा आज भी आपकी मोहब्बत सिर्फ हमारा इंतजार करती है l

ऐसी मोहब्बत किसे चाहिए होगी जिसमे इतना दर्द हो , जिसमे हमारा हमसफर हमारे सामने हो कर गैरो जैसी बातें करे l आखिर क्यों कर रहे है आप ऐसा ? क्यों ?”,कहते कहते रो पड़ी सारिका
शिवम् से जब देखा नहीं गया तो वह सारिका के करीब आया और उसके चेहरे को अपने हाथो में थामकर अपने होंठो को सारिका के कांपते होंठो पर रख दिया l दर्द का वो अजीब मंजर था सारिका ने अपनी आंखे मूंद ली l मुरारी ने देखा तो दूसरी तरफ देखने लगा वो मन ही मन महादेव से दोनों के लिए दुआ करने लगा l

शिवम् ने सारिका के गालो पर आये आंसुओ और अपने होठो से पि लिया सारिका भीगी आँखों से शिवम् को देखती रही तो उसने सारिका का सर चूमकर दर्दभरी आवाज में कहा,”हम आपसे इतना प्यार करते है की आपकी ख़ुशी के लिए आपको भी छोड़ सकते है”
सारिका की आँखों से फिर आंसू बहने लगे उसने ना में गर्दन हिलाई और आँखे मूंदकर अपना सर शिवम् के सर से लगा लिया वो दर्द , वो तड़प सारिका से भी कई गुना ज्यादा शिवम् महसूस कर रहा था पर वह मजबूर था l

सारिका से जाना उसकी जिंदगी का सबसे कठिन फैसला था पर उसे ये करना था अपने लिए नही बल्कि सारिका के लिए l सारिका से सर लगाए हुए उसने कहा,”चली जाईये यहाँ से और आज के बाद हमे भुला दीजियेगा , आपको बनारस की कसम !”
शिवम् वहा से चला गया l सारिका घुटनो के बल निचे गिर पड़ी मुरारी ने देखा तो दौड़कर उसके पास आया उसने सारिका को सम्हाला तो सारिका मुरारी के सीने में छिपकर जोर जोर से रो पड़ी l

मुरारी की आँखों से भी आंसू बह निकले आज से पहले उसने ना ऐसा प्यार देखा था न ही ऐसे प्यार करने वाले l सारिका बच्चो की तरह वैसे ही रोती रही मुरारी उसका सर सहलाते हुए उसे चुप कराने की नाकाम कोशिश करता रहा l जब सारिका चुप हुई तो मुरारी ने उसके आंसू पोछते हुए कहा,” आप बिल्कुल फ़िक्र ना करो , अरे हम देखते है उनको , ऐसे कैसे वो आपको जाने के लिए कह सकते है ? , दो कंटाप लगाएंगे ना कान के निचे सब ही समझ आ जायेगा उनको”


सारिका ने कुछ नहीं कहा वह उठी उसने दुपट्टे से अपना चेहरा साफ किया और वहा से जाने लगी l
“हम आपको घर तक छोड़ देते है”,मुरारी ने कहा
“नहीं मुरारी , हम ठीक है चले जायेंगे ,, आप उनका ख्याल रखिये”,सारिका ने अपने आंसू पोछते हुए कहा
“आपको अभी भी भैया की फ़िक्र हो रही है , उह साला तुमरे बारे में एक्को बार नहीं सोचे , कैसे कह दिया उन्होंने आपको यहाँ से जाने के लिए ?”,मुरारी ने गुस्से से खीजकर कहा


सारिका ने मुरारी की तरफ देखा और कहा,”ये बात कहते हुए उन्हें कितनी तकलीफ हुई है ये हम जानते है मुरारी ! उनका ख्याल रखना”
सारिका वहा से चली गयी मुरारी की आंख में फिर आंसू आ गए और वह सोचने लगा,”पता नहीं और कितनी परीक्षाएं देनी होगी इन्हे !”

सारिका घर आ गयी l बरामदे में बैठी अनु उसी का इंतजार कर रही थी सारिका को देखते ही वह दौड़कर उसके पास आई और कहा,”दी सुबह सुबह कहा चले गए थे आप ? रात में जब मैं और अमित आये तब तक आप सो चुकी थी l मैं तो आपको जगाना चाहती थी लेकिन अमित ने मना कर दिया l अमित भी यही रुक गया सुबह देखा तो आप यहाँ थी ही नहीं ? घर भी अलग दिख रहा था हर जगह केंडलस “


अनु की बात सुनकर सारिका खामोश रही तो अनु ने सारिका के गाल को छूकर कहा,”दी आप ठीक तो हो ना ?
सारिका की तंद्रा टूटी तो उसने कहा,”हम्म्म !”
“अमित कबसे वेट कर रहा था आपका , जाने से पहले मिलना चाहता था आपसे पर आप पता नहीं कहा थी , फोन भी आउट ऑफ़ नेटवर्क था l आप कहा गयी थी दी ?”,अनु ने मासूमियत से पूछा !
“किसी काम से बाहर गयी थी l”,सारिका ने कहा


“कोई बात नहीं दी कल शाम तो अमित घर आ ही रहा है , वहा मिल लेना l पापा का फोन आया था शाम को निकलना है ,, पापा ने कहा है वो गाड़ी भिजवा देंगे l और हां आप अपना सामान पैक कर लो तब तक मैं तैयार हो जाती हु मुझे कॉलेज में एक वीक के लिए लिव का एप्लिकेशन भी देना है”,कहकर अनु चली गयी l
सारिका धीरे धीरे कदम बढ़ाते हुए अंदर आई l
“दीदी तुमरे लिए कॉफी बना दू ?”,मीना ने सारिका को देखकर कहा


सारिका ने ना में गर्दन हिलाई और अपने कमरे में आकर बिस्तर पर औंधे मुंह गिर पड़ी ! कमरे में जलती लाइट जब आँखों में चुभने लगी तो उसने लाइट ऑफ़ कर दी l अनु तैयार होकर कॉलेज चली गयी !
दूसरी तरफ मुरारी शिवम् से बात करने का इंतजार कर रहा था शिवम् ने अपना बैग पैक किया और जैसे ही बाहर आया मुरारी दनदनाते हुए उसके पास आया और एक थप्पड़ उसके गाल पर रसीद करते हुए कहा,”समझते का हो तुम अपने आप को ?

तुमरे जो जी में आएगा करोगे ? किसी का भी दिल तोड़ोगे , किसी को भी तकलीफ पहुंचाओगे l आज सारिका जी का दिल तोड़कर अच्छा नहीं किये हो तुम हम बताय रहे है !


“जिस सफर में हम दोनों है उसमे किसी एक का दिल तो टूटना ही था मुरारी”,शिवम ने बिना किसी भाव के कहा
“पर सारिका जी ही क्यों ? अरे कितना प्यार करती है उह तुमसे इह जानते हुए भी तुमने इह सब किया l काहे ?’,मुरारी ने तड़पकर कहा
“अगर हम उनका दिल ना तोड़ते तो जिंदगीभर हमरे साथ रोना पड़ता उनको”,शिवम् ने गुस्से से कहा

“का मतबल ? हम कछु समझे नहीं ?”,मुरारी ने हैरानी से पूछा
“सारिका जी अपने पापा से बहुत प्यार करती है मुरारी अगर वो हमे चुनती है तो अपने पापा से दूर हो जाएगी l अपने पिता के साये के लिए वो कितना तरसी है ये हमने उनकी आँखों में देखा है l पहले भी इतने साल उह हमरी वजह से अपने पापा से दूर रही है , फिर से हम वो वजह बनना नहीं चाहते”,शिवम् ने कहा
“हां तो तूम सीधा सीधा जाकर उनसे कहते क्यों नहीं की सारिका बनारस तुमरे लिए गयी थी , तुम्हे ढूंढने”,मुरारी ने उलझनभरे स्वर में कहा


“नफरत करते है वो उस इंसान से जिस से सारिका प्यार करती है l इतनी नफरत की बनारस के नाम से भी नफरत है उन्हें , कैसे बता दे की उनके नफरत की वजह हम है”,शिवम ने दर्द से तड़पकर कहा
मुरारी को अब समझ आ रहा था जितना सीधा वह ये सब समझ रहा था उतना था नहीं पर वो भी ठहरा ठेठ बनारसिया , इतनी आसानी से हार मानने वाला नहीं था l वह मन ही मन कुछ सोचने लगा कुछ देर बाद शिवम् ने कहा,”मुरारी तुम भी अपना सामान पैक कर लो , आज शाम हम हमेशा लिए बनारस चले जायेंगे l “


“हम्म्म !”,मुरारी ने खोये हुए हाँ में गर्दन हिलाई l शिवम् वापस अपने कमरे की और चला गया मुरारी वहा से बाहर निकल आया l दोपहर तक वह यहाँ वहा घूमता रहा और फिर थक कर बेंच पर आकर बैठ गया l अनु कॉलेज का काम निपटाकर आई और काका से घर चलने को कहा l रास्ते में उसकी नजर बेंच पर बैठे मुरारी पर गयी तो उसने काका से गाड़ी रोकने को कहा और आवाज देकर मुरारी को बुलाया l

शिवम् और सारिका के प्यार के चक्कर में वह अपनी मोहब्बत तो भूल ही चुका था अनु को देखकर मुरारी को थोड़ा अच्छा लगा वह उठकर गाड़ी के पास आया l अनु ने उसे गाड़ी में बैठने को कहा और उसके बैठते ही अनु ने काका से चलने को कहा l मुरारी को चुप देखकर अनु ने कहा,”क्या बात है आज तू बड़े चुप चुप हो ?
मुरारी ने पहले से अपना प्लान सोचा हुआ था बस वो तो इंतजार में था की मौका मिले और अनु से अच्छा मौका भला क्या हो सकता है

सोचकर मुरारी ने कहा,”वो का है की सारिका जी चाहती है हम उनकी सगाई में आये , लेकिन भैया नहीं जाना चाहते समझ नहीं आ रहा का करे !”
अनु खुश हुई की मुरारी आना चाहता है , अगर मुरारी आएगा तो शिवम् भी आएगा और यही सबसे अच्छा मौका होगा सारिका की सगाई के बाद वह पापा से कह देगी की वह शिवम् को पसंद करती है l मुरारी ने तो उसका काम और आसान कर दिया अनु ने ख़ुशी छुपाते हुए कहा,”अगर तुम्हारा मन है तो तुम्हे जरूर आना चाहिए !”


“अरे हम तो आना चाहते है लेकिन उह भैया………………उनके बिना आना भी तो अच्छा नहीं ना लगता”,मुरारी ने कहा
“ऐसा कोई आईडिया जिस से शिवम् जी भी मान जाये ?”,अनु ने कहा
“हम्म वैसे एक तरिका है”,मुरारी ने कहा
“क्या ? क्या ? जल्दी बताओ !”,सारिका ने बेसब्री से कहा


“बताते है , हमसे ज्यादा तो तुम बेसब्र हो रही हो l का बात है हमरे आने की इतनी खुसी”,मुरारी ने मुस्कुराते हुए कहा
“शट-अप , अब बताओ का प्लान है आई मीन क्या प्लान है ? तुम्हारे साथ रहते रहते तुम्हारी तरह बोलने लगी हु”,अनु न झुंझलाकर कहा
“अच्छा सुनो ! अगर तुमरे पापा भैया को फोन करके आने को कहे तो कुछ हो सकता है”,मुरारी ने कहा


“गुड़ आईडिया लेकिन पापा को फोन करने को कहेगा कौन ? और पापा यहाँ है भी नहीं”,अनु ने निराश होकर कहा l
“तो अब भैया को फोन कौन करेगा ?”,मुरारी को अपनी योजना फ़ैल होती दिखी
अनु और मुरारी दोनों मुंह लटकाकर बैठ गए कुछ ही देर बाद दोनों ने एक साथ काका की और देखा और फिर एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुरा उठे l अनु ने काका से कहकर गाड़ी साइड में लगाई और उन्हें शिवम् को फोन करने को कहा l


“पर बिटिया हम कैसे साहब की जगह फोन कर सकते है ? हमे तो ये भी नहीं पता वो बात कैसे करते है ?”,काका ने अपनी मज़बूरी जताते हुए कहा
“अरे वो बुढ़ऊ बोलता है न एकदम से सीरियस होके “,मुरारी ने जब कहा तो पाया अनु गुस्से से उसे ही घूर रही है तो तुरंत बात बदलते हुये कहा,”हमार मतबल वो पापाजी बोलते है ना जैसे बस वैसे ही बोलना है l “
कहकर मुरारी ने राहत की साँस ली l

अनु ने कहां,”काका मैं बताती हु क्या करना है आप बस थोडा सा अपनी आवाज को भारी बनाकर शिवम् जी से ये कहना है की आज शाम तुम्हे सारिका और अनु के साथ इंदौर आना है , सारिका की सगाई में शामिल होने”
“सिर्फ भैया का नाम और हम ?”,मुरारी ने बिच में बात काटते हुए कहा
“इस चिरकुट का भी नाम ले देना शिवम् जी के साथ में”,अनु ने खीजकर कहा
“का चिरकुट ?”,मुरारी ने घूरकर कहा


“अरे मतलब मुरारी , काका आप कहना तुम्हे और मुरारी को सगाई में आना है , और कोई बहाना नहीं चलेगा l ठीक है , इतना बोल दोगे ना आप ?”,अनु ने काका से कहा
“ठीक है कोशिश करते है”,काका ने कहा
अनु ने काका के फोन से शिवम् को फोन लगाया और काका को पकड़ा दिया , काका ने वैसा ही कहा जैसा अनु ने बताया था शिवम् से बात होने के बाद काका ने बिन किसी भाव के फोन अनु को पकड़ा दिया l

अनु और मुरारी की धड़कने बढ़ गयी शिवम् ने क्या कहा ये जानने के लिए दोनों ही बेताब थे और फिर अनु ने कहा,”क्या हुआ काका क्या कहा उन्होंने ?
“उन्होंने कहा आ जायेंगे !!”,काका ने कहा
“प्लान सक्सेज मुरारी !”,कहते हुए अनु ने मुरारी को गले लगा लिया l

बेचारा मुरारी उसे लगा उसका दिल बाहर आ गिरेगा अब तक जो नशे में हुआ करता था वह आज सच मे हो गया अनु के गले लगे मुरारी सोचने लगा,”बस एक बार शिवम भैया ओर भाभी मिल जाये फिर तुमको हम ऐसे ही खुश रखेंगे l
दूसरी ओर अनु सोचने लगी,”बस एक बार दी और अमित की सगाई हो जाये फिर शिवम जी को हमारा होने से कोई रोक नही सकता l l

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संजना किरोड़ीवाल

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