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रांझणा – 42

Ranjhana – 42

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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Ranjhana – 42

सारिका को वही छोड़ कर शिवम् चला गया ! सारिका ने शिवम् की बातो में गुस्सा तो देखा पर उसकी आँखो में आये आंसुओ को नहीं देख पाई !! शिवम् ने जानबूझकर सारिका के साथ ऐसा व्यवहार किया था। काका ने आकर सारिका के कंधे पर हाथ रखा और कहा,”बिटिया घर चले !”
सारिका ने अपने आंसू पोछे और काका के साथ आकर गाड़ी में बैठ गयी ! काका ने गाड़ी घर की और मोड़ दी ! सारिका ने आँखे बंद करके सर सीट से लगा लिया ! सारिका का मन बहुत अशांत था उस से कहा गलती हुई समझ नहीं आ रहा था !

कुछ देर बाद गाड़ी आकर घर के सामने रुकी अम्बिका दरवाजे पर ही खड़ी थी सारिका गाड़ी से उतरी और उनके पास आई ! अम्बिका ने सारिका के गाल को प्यार से छूकर कहा,”सारिका क्या हुआ ? आपका चेहरा इतना उतरा हुआ क्यों है ? सब ठीक तो है ना बेटा ?”
“जी वो बस ऑफिस में काम थोड़ा ज्यादा था इसलिए थकान की वजह से !”,सारिका ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा !!
“काम काम काम , मुंबई आने के बाद आपको काम से फुर्सत ही नहीं है ना , पर जल्दी ही आपको इन सब कामो से फुर्सत मिलने वाली है “,अम्बिका ने मुस्कुरा कर सारिका को याद दिलाया !


“जी , अंदर चले !”,सारिका ने कहा
“हां आओ , हम आपके लिए कुछ खाने को बनवा देते है ! क्या खाएंगी आप ?”,अम्बिका ने सारिका के साथ अंदर आते हुए कहा ! “एक कप चाय लेंगे !”,कहकर सारिका अपने कमरे में चली गयी और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया ! उसने अपनी पीठ दरवाजे से लगा ली बरबस ही उसकी आँखों से आंसू निकल आये ! सारिका खुद को रोक नहीं पाई रोने की आवाज बाहर ना जाये ये सोचकर उसने अपना हाथ मुंह पर लगा लिया और सिसकने लगी ! इस वक्त सारिका को कुछ समझ नहीं आ रहा था शिवम् से बढ़ती उसकी नजदीकियां यु ही नही थी अपने और उसके बिच के रिश्ते को वह अब खुद भी समझने लगी थी !

अमित जिसके साथ उसे जिंदगी बितानी थी के बारे में सारिका को कभी ख्याल नहीं आया लेकिन शिवम् , शिवम् हर वक्त उसके खयालो में रहता था ! सारिका आकर बेड पर बैठ गयी और और फर्श को देखते हुए सोचने लगी “क्या अमित उसके लिए सही था ? अमित से शादी उसके साथ जिंदगी बिताने का फैसला क्या सही था ? कुछ तो था जो पीछे छूट रहा था और सारिका उसे रोक नहीं पा रही थी , अपने पापा की ख़ुशी के लिए रांझणा को तो भूल ही चुकी थी वह पर क्या सच में भुला पाई थी ? नहीं ! सारिका उन यादो से उस वक्त से कभी दूर जा ही नहीं पाई थी और शायद जाना चाहती भी नहीं थी !! “


सवाल बहुत थे पर जवाब नहीं था ! अपने ही विचारो में सारिका उलझ कर रह गयी ! उसने अपने दोनों हाथो की उंगलियों को एक दूसरे में फंसाया और आँखे बंद कर ली ! शिवम् का हँसता मुस्कुराता चेहरा सारिका की आँखों के सामने आ गया , बनारस , बनारस के घाट , शिवम् का घर वो हर लम्हा उसकी आँखों के सामने आने लगा जो सारिका ने शिवम् के साथ बिताया था !! परेशानी से भरकर सारिका ने अपनी आंखे खोली तो सामने सब खाली था !! सारिका उठी और बाथरूम की और बढ़ गयी उसने हाथ मुंह धोया और कपडे चेंज करके बाहर आकर बरामदे में पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी !

अम्बिका एक ट्रे जिसमे चाय का कप और साथ में एक प्लेट में कुछ चिप्स थे लेकर आई और सारिका के पास पड़ी कुर्सी पर आकर बैठ गयी ! चाय का कप अम्बिका ने सारिका की और बढाकर कहा,”सारिका आप कबसे चाय पीने लगी ?”
सारिका ने उदास आँखों से अम्बिका की और देखा और कहा,”कॉफी पीते पीते कब चाय अच्छी लगने लगी पता ही नहीं चला , माँ ! कितनी अजीब बात है ना माँ , कितनी आसानी से अक्सर हम अपनी आदते बदल देते है”
“हां सारिका , वैसे शौक और आदते बदलती रहनी चाहिए ! बदलाव संसार का नियम है”,अम्बिका ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा !


“पर कुछ आदते कभी बदली नहीं जाती है माँ , वे जिंदगीभर एक ही सांचे में ढलती है”,कहकर सारिका सामने देखते हुए अपनी चाय पीने लगी ! अँधेरा होने लगा था मीना ने घर की लाईटे जला दी अधिराज जी अंदर बैठकर किसी किताब को पढ़ने में व्यस्त थे ! अम्बिका और सारिका वही बरामदे बैठी थी खामोश !! ये सच था की सारिका और अम्बिका के बिच बहुत कम बाते होती थी , वो इसलिए क्योकि सारिका अम्बिका को कभी अपनी माँ की जगह नहीं दे पाई थी बचपन से उसे लगता था अम्बिका ने अधिराज जी की जिंदगी में आकर उसकी माँ का हक़ छीन लिया है !!

जबकि ऐसा नहीं था अम्बिका सारिका से अनु से भी ज्यादा प्यार करती थी ! उसे हमेशा सारिका की परवाह रहती थी वह चाहती थी अनु की तरह सारिका भी उनके पास रहे साथ रहे पर ऐसा कभी नहीं हुआ हाँ फोन पर जरूर बाते हो जाया करती थी !! पर सारिका की सगाई के कारण अम्बिका की ये तमन्ना भी पूरी होने वाली थी सारिका के साथ वक्त बिताने का उसे एक मौका मिलने वाला था !! काफी देर से फैली ख़ामोशी को तोड़ते हुए अम्बिका ने कहा,”ये फूल कितने खूबसूरत होते है ना , किसी को भी इनसे प्यार हो जाता है !”


“कुछ इंसान भी इन फूलो की तरह ही होते है , खूबसूरत ! जिनसे किसी को भी प्यार हो जाता है ,, पर वो हमे इस लायक नहीं समझते है “,कहते हुए सारिका ने अपना सर अम्बिका के कंधो पर टिका दिया !
सारिका के शब्दों में आई आवाज को अम्बिका साफ महसूस कर सकती थी ! उसने प्यार से सारिका का हाथ अपने हाथो में लिया और कहा,”हर इंसान अपनी जिंदगी में फूल चुनता है , पर हम भूल जाते है की उनके साथ कांटे तोहफे में मिलते है ! जो उन काटो की चुभन बर्दास्त करता है वह जिंदगी को समझ सकता है और जो काँटों से जुदा फूलो को चुनता है वो जिंदगी की बातो में उलझकर रह जाता है !!

इंसान भी एक फूल ही है बेटा और उसकी कमी उसमे लगे कांटे ,, इन काँटों के बिना फूल का कोई अस्तित्व नहीं होता !!”
“काश ये कांटे होते ही ना तो कितना अच्छा होता , जिंदगी आसान होती”,सारिका ने अपनी उंगलिया अम्बिका की उंगलियों में कसते हुए कहा और अपने आंख से छलके आंसू को पोछ लिया !
“अगर रोने का मन करे तो इंसान को रो लेना चाहिए !”,अम्बिका ने सारिका की और देखकर कहा
अम्बिका के इतना कहते ही सारिका की आँखे भर आई !!


सारिका ओर अम्बिका दोनो बैठी बातें करती रही l मीना ने आकर कहा,”दीदी खाना लगा दिए है !”
सारिका ओर अम्बिका उठकर अंदर आ गयी l अधिराज जी पहले से वहां मौजूद थे l सभी खाने के लिए आ बैठे पर अनु कही दिखाई नही दे रही थी l अधिराज जी ने कहा,”अनु कहा है ? वो खाना नही खाएंगी ! ?
“अनु अपने दोस्तों के साथ बाहर गयी है , बाहर से ही खाकर आएगी”,अम्बिका ने अधिराज जी की प्लेट मे खाना परोसते हुये कहा l
सारिका ने अपनी प्लेट में खाना लिया लेकिन खाने का मन नही था वह उदास आंखो से प्लेट को देखती रही अधिराज जी ने देखा तो कहा,”सारिका क्या बात है ? आप खाती क्यों नही ?”


“जी ! “,कहकर सारिका अपनी चेतना से बाहर आई और बेमन से खाने लगी l
खाना खाने के बाद अधिराज जी ने कहा,”अम्बिका आज तो आइस क्रीम खाने का मन कर रहा है”
“हम अभी ले आते है”,कहकर अम्बिका उठने को हुई मीना ने कहा,”अरे आप बैठिये हम ही ले आते है”
मीना अंदर आई और फ्रिज खोलकर देखा लेकिन आइस क्रीम नही थी उसे याद आया आज दोपहर है उसने ओर अनु ने आइस क्रीम पर हाथ साफ किया है l मीना वही खड़ी रही तो बाहर से अम्बिका ने आवाज दि,”क्या हुआ मीना ?


मीना डरी सहमी सी आई और सर झुकाकर कहा,”दीदी वो आईस क्रेम तो……………!!”
“वो आइस क्रीम तुमने खा ली”,सारिका ने मीना की ओर देखकर कहा
“हौ दीदी पर अकेले नही अनु दीदी ने भी खाई साथ मे”,मीना ने कहा
“पापा हम बाहर से मंगवा देते है”,सारिका ने अधिराज जी की ओर देखकर कहा
“सारिका क्यों ना बाहर चलकर ही खाया जाए”,अधिराज जी ने अपने मन की बात कह दि , सारिका ने धीरे से गर्दन हिलाई तो अधिराज जी ने अम्बिका से कहा,”अम्बिका आप भी चलिए !”


“आप दोनो बाप बेटी जाईये !”,अम्बिका ने मुस्कुराकर कहा l
अधिराज जी मुस्कुरा उठे और हाथ धोने वाशबेसिन की ओर बढ़ गए , अधिराज जी ने जानबूझकर बाहर जाने की बात कही ताकि सारिका का मन थोड़ा अच्छा हो और वह उस से जान सके कि आज वह इतना उदास क्यों है ? सारिका ओर अधिराज जी गाड़ी लेकर निकल गए l अम्बिका ने मन ही मन कहा,”बस इन बाप बेटी के बीच की दूरियां अब कम हो जाये”

उधर शिवम फ्लेट पर आया तो आते ही मुरारी उस पर बरस पड़ा,” का भैया इह कोई तरीका है अइसन बिना बताए कही भी जाने का ? ऊपर से ससुरा फोन भी बन्द है तुमरा , मालूम भी है कितना घबराय गए थे हम l अरे ! कमसे कम एको बार फोन करके बताय देते !! सारिका जी भी आई थी हिया , पूछे रही तुमरे बारे में पर जब हमको ही नाय पता तो उनको का बताते ? तुमरे ओर उनके बीच कछु बात हुई का ?”


शिवम ने कुछ नही कहा बस चुपचाप सुनता रहा l शिवम का उतरा हुआ देखकर मुरारी ने कहा,”अच्छा ये सब छोड़ो खाना लगाते है , पहले कुछ खाय ल्यो उसके बाद खबर लेते है तुमरी”
“तुम खा लो हमे भूख नही है”,कहकर शिवम कमरे की ओर बढ़ा और दरवाजा अंदर से बन्द कर लिया l
“अब इंनको का हो गया ? चलो हम तो खा लेते है”,कहकर मुरारी आकर बैठा ओर जैसे ही एक निवाला तोड़कर मुंह मे रखने वाला था फोन बज उठा मुरारी ने निवाला वापस प्लेट में रख दिया और फोन उठाया,”हेलो !


“हेलो मुरारी मैं बोल रही हु !”,दूसरी तरफ से फुसफुसाते हुए किसी ने कहा
“मैं ? मैं कौन ?”,मुरारी ने हैरानी से कहा
“अरे तुम मुरारी हो , भूल गए”,सामने से थोड़ा चिढ़ी हुई पर वही फुसफुसाती हुई आवाज आई
“अरे इह तो हमको भी पता है , पर तुम कौन बोल रही हो ?”,मुरारी ने झुंझलाकर कहा
“अरे मैं अनु बोल रही हु , अनु नही मैग्गी हा हा मैग्गी बोल रही हूं”,अनु ने फुसफुसाते हुए कहा


“लेकिन तुम इतना धीरे काहे बोल रही हो ? और इतनी रात को फोन किया सब ठीक तो है”,मुरारी ने चिन्ता जताते हुए कहा l
“मुरारी आई नीड योर हेल्प ? बस तुम जल्दी से आ जाओ”,अनु ने परेशानी से कहा
“कहा आना है ?”,मुरारी ने कहा
“रूको हम लोकेशन सेंड करते है”,कहकर अनु ने फोन काट दिया l
“अरे लेकिन ………… अजीब लड़की है पूरी बात सुने बिना ही फोन काट दिया !”,मुरारी ने फोन साइड में रखकर कहा l अगले ही पल मेसेज आया मुरारी ने लोकेशन देखी और बिना खाये ही वहां से निकल गया l

मुरारी अनु की सेंड की हुई लोकेशन पर पहुंचा l वो कोई 5 स्टार होटल था अनु मुरारी को दरवाजे पर ही मिल गयी l मुरारी को देखते ही वह उसके पास आई और कहा,”थैंक गॉड चिरकुट तुम आ गए !”
“का हुआ ?”,मुरारी ने कहा
“वो दरअसल मैं अपने दोस्तों के साथ यहां आई थी सबने खाना खाया , ड्रिंक किया ये पार्टी मेरी तरफ से थी लेकिन……..”,अनु ने बात अधुरी छोड़ दी
“लेकिन का ?”,मुरारी ने कहा
“मेरा पर्स घर रह गया और कार्ड्स पापा ने ब्लॉक कर दिए”,अनु ने रूआंसा होकर कहा


“बस इतनी सी बात ! अरे हम है ना हम चुका देंगे तुमरा बिल”,मुरारी ने दरियादिली दिखाते हुए कहा l
अनु के चेहरे पर मुस्कुराहट वापस आ गयी उसने मुरारी का हाथ पकड़ा और अंदर चली आई l 5 स्टार होटल और रोड साइड होटल में मुरारी को शायद फर्क मालूम नही था इसलिए उसने हामी भर दी l l
मुरारी को अंदर रिसेप्शन पर छोड़कर अनु अपने दोस्तों को सी ऑफ करने चली गयी l कुछ देर बाद मुरारी के पास आई l

मुरारी ने रिसेप्शन पर बैठे लड़के से बिल मांगा उसने बिल मुरारी की ओर बढ़ा दिया मुरारी ने मुस्कुराकर अनु की ओर देखा और फिर बिल में देखा जैसे ही उसकी नजर नीचे अमाउंट पर गयी उसका दिल बैठ गया सांसे अटक गई और आंखे बिल पर जम गई – 34700 !
मुरारी ने बिल वापस लड़के की ओर बढ़ाकर कहा,”एक मिनट जरा !”
मुरारी ने अनु का हाथ पकड़ा और उसे साइड में लाकर कहा,”इतना खर्चा , का पूरे मोहल्ले को खाना खिलाई हो का ?”


“नही सिर्फ 6 लोग थे”,अनु ने मासूमियत से कहा
“तो का एक साल का खाना इक्कठा खा लिए हो सब ?”,मुरारी ने झुंझलाकर कहा l
“क्या बोल रहे हो ?”,अनु ने मुरारी की ओर देखते हुए कहा l
“अरे हमको लगा 400-500 का बिल होगा तो सोचकर हम देने चले आये ! हमारे पर्स में सिर्फ 732 रुपया है ,, तुम घर से काहे नही मंगवा लेती ?”,मुरारी ने कहा


“घर पर पता चला तो बहुत डाँट पड़ेगी , ओर अगर पापा को पता चला कि हमने दोस्तो के साथ मिलकर ड्रिंक की है , वो तो जान ही ले लेंगे हमारी”,अनु ने घबराकर कहा
“रूको हम भैया को फोन करते है”,मुरारी ने कहा और शिवम को फोन लगाया लेकिन दोनो की फूटी किस्मत शिवम का फोन बंद आ रहा था l
“भैया का फोन तो बन्द है”,मुरारी ने कहा
“अब क्या होगा मुरारी ?”,अनु ने घबराकर कहा


“अरे तुमको सोचना चाहिए था , जब पैसे नही थे तो
इतना सब खाने की कहा जरूरत थी l ऊपर से तुम्हरे दोस्त सब के सब फोकट का खाकर चल दिये”,मुरारी ने झल्लाकर कहा
“तुम यहाँ मेरी मदद करने आये हो या मुझे सुनाने”अनु ने थोड़ा गुस्से से कहा
“मदद ही करने आये थे और करेंगे भी”,कहकर मुरारी ने अनु को वही छोड़ा और रिसेप्शन पर लड़के के पास आकर धीरे से कहा,”ए भैया सुनो ! वो का है ना इतने पैसे अभी है नही हमारे पास तो कल सुबह दे जाएंगे ! अभी हमका जाने दो”


“सोररी सर बिना पैसे दिए आप दोनो यहां से नही जा सकते”,लड़के ने सहजता से कहा
“अरे यार भरोसा नही है का ? कह रहे है कल सुबह दे देंगे मान ही नही रहे”,मुरारी ने खीजकर कहा
“सॉरी सर , आप चाहे तो हमारे मैनेजर से मिल सकते है”,लड़के ने हाथ बांधकर कहा
“कहा है तुमरा मैनेजर चलो”,कहकर मुरारी अनु को साथ लेकर लड़के के पीछे चल पड़ा
अंदर ऑफिस में आकर लड़के ने मैनेजर को सारी बात बता दी l लड़का चला गया l मुरारी ने कहा,”अरे यार कबसे कह रहे पर तुमरा स्टाफ है के हमरी बात सुन ही नही रहा l”


मैनेजर ने मुरारी को देखा और कहा,”तुम्हारे जैसे अक्सर यही बहाने बनाते है बिल चुकाने के नाम पर l पहले बड़े होटलों में आते है फिर बिल देखकर नाटक शुरू ! लेकिन मैं तुम लोगो को यहां से जाने नही दूंगा या तो सारा बिल चुकता करो या फिर पीछे स्टोर में जाकर सारे बर्तन धुल दो”
“अरे ओ मैनेजर तुम जानते भी हो कौन है हम ? चाचा विधायक है हमरे”,मुरारी ने घुरते हुए कहा
“तुम जो कोई भी आई डोंट केयर , या तो बिल भरो या फिर बर्तन साफ करो !

और अगर तुमसे नही होता तो इस लड़की से कहो , जो फैसला करना है जल्दी करो वरना मैं अभी पुलिस को बुला लूंगा” ,मैनेजर ने डपटते हुए कहा l
पुलिस के नाम से अनु के चेहरे का रंग उड़ गया l एक तो पापा पहले से उस से इतना नाराज है , मुरारी ने अनु की ओर देखा तो उसकी आंखो में आंसू देखकर खुद से कहा,”साला अच्छी मुसीबत में फसाई हो हमको मैग्गी ! पर हमरे होते फिक्र की बात नही है l तुमरे लिए बर्तन भी धुल देंगे”
“क्या सोच रहे हो ?”,मैनेजर ने कहा


“रसोईघर किधर है ?”,मुरारी ने कहा
मैनेजर उसे लेकर होटल के सबसे पीछे वाले हिस्से में लेकर आया जहा बर्तनों का ढेर लगा हुआ था l अनु भी आ गयी लेकिन उसे बहुत बुरा लग रहा था उसकी वजह से मुरारी इस मुसीबत में फसा था l मैनेजर दोनो को वहां छोड़कर चला गया और अपने एक लड़के को वही दरवाजे पर छोड़ दिया ताकि वह अनु ओर मुरारी का ध्यान रखे
“साला बनारस में कैसे खुले सांड से घूमते थे ,

बनारस के लौंडे सलाम ठोकते थे लेकिन जबसे इह मुम्बई शहर में आये है इज्ज़त की वाट ही लग चुकी !! बावर्ची बना के रख दिये है हमको , ओर इह सब काहे करते पर का करे आजकल प्यार में है ना तो सब काम करने पड़े l

अब समझ आया लोग प्यार के नाम से इतना घबराते काहे है ?”,सोचते हुए मुरारी बर्तनों का पास आया और एक एक करके साफ करने लगा l एक नजर अनु की ओर देखा और वापस अपने काम मे लग गया l अनु प्यार से मुरारी को देखती रही l इन दिनों हर रोज उसे मुरारी का नया चेहरा देखने को मिल रहा था l आज उसे मुरारी कुछ अलग लगा l जब मुरारी ने सारे बर्तन साफ कर दिए तो वह अनु के सामने आया माथे पर पसीने की बूंदे छलक आई अनु ने मुरारी के गले से उसका गमछा निकाला और अपने हाथ में लेकर धीरे धीरे मुरारी के माथे से पसीना पोछने लगी l

इतनी मेहनत के बाद मुरारी को सुख का अनुभव हो रहा था l उसे तो उम्मीद भी नही थी कि अनु ऐसा कुछ करेगी l पसीना पोछकर अनु ने धीरे से कहा,”सॉरी !”
मुरारी मुस्कुरा उठा ओर कहा,”अरे कोई बात नही ! चले “
“ऐसे कैसे चले अभी हिसाब पूरा नही हुआ”,कहते हुए मैनेजर उन दोनों के पास आया l
“साला इतना पसीना बहा दिए अब का बाकी रह गया बुढ़ऊ”,मुरारी ने तुनककर कहा


“ये जो गले मे सोने की चेन , हाथ मे अंगुठी ओर जेब मे जो पर्स रखा है वो मेरे हवाले कर दो”,मैनेजर ने कहा
“काहे कर दे ?’,मुरारी ने कहा
“इंस्पेक्टर !”,मैनेजर ने पीछे मुड़कर कहा तो एक खाकी वर्दी वाला अंदर आया उसे देखकर अनु ने मुरारी को कोहनी मारते हुए कहा,”देदो मुरारी पुलिस के लफड़े में नही पड़ना”
अनु को देखकर मुरारी ने सब मैनेजर के हवाले कर दिया और अनु को लेकर बाहर आ गया l बाहर आकर मुरारी ने कहा,”अगर तुम साथ नही होती न तो बताते उन लोगो को हम”


“मेरे सामने ही बता देते जो बताना था”,अनु ने कहा
“अच्छा और तुमको कोई नुकसान पहुंचाते वो लोग तो का देख पाते हम ?”,मुरारी ने अनु की आंखो में देखते हुए कहा l
“क्यों नही देख पाते ?”,अनु ने छेड़ते हुए कहा
“अबे नही बर्दास्त होता कोई तुमको परेशान करे”,मुरारी ने खीजकर कहा
“ऐसा क्यों ?”,अनु ने मुस्कुराते हुए कहा


“अब नही होता तो नही होता इसमे क्यों ? काहे ?किसलिए ?”,मुरारी ने कहा
“अच्छा बाबा ठीक हैं इतना गर्म क्यो हो रहे हो ?”,अनु ने हँसते हुए कहा ।
“अरे तो गर्माएंगे ही ना सुबह से कुछ नही खाये है , खाने बैठे तो तुमरा फोन आ गया तो खाना छोड़कर यहां चले आये”,मुरारी ने कहा
“अच्छा चलो कुछ खिला देती हूं तुमको”,अनु ने कहा


“कहा से ? पैसे तो सारे उन लोगो ने ले लिए ,ओर हा फिर से बर्तन धुलने की हिम्मत हम में नाहि है”,मुरारी ने हाथ जोड़कर कहा तो अनु खिलखिलाकर हंस पड़ी और कहा ,”मुरारी पैसे कमाना कोई मुश्किल काम नही है , अभी दिखाते है l वो सामने से जो आदमी आ रहा है ना वो जैसे ही हमारे सामने आए तुम सीरियस शक्ल बनाकर अपने दोनो हाथ जोडकर इशारे से उसे नमस्ते कहना ओर जब भी मैं तुम्हारी ओर देखु हां में अपनी गर्दन हिलाना ओर कुछ बोलना मत ok”
“इस से पैसे मिल जाएंगे ?”,मुरारी ने हैरानी से कहा
“बिल्कुल ! , देखो वो आ रहा है जैसे मैंने बताया बस बिल्कुल वैसे ही”,अनु ने कहा


आदमी जैसे ही उनके सामने आया मुरारी ने हाथ जोड़कर नमस्ते की l आदमी रुक गया तो अनु ने कहा,”सर प्लीज़ हेल्प अस , ही इज माय फ्रेंड एंड ही हेड अ हॉल इन हिज हार्ट , अ बिग हॉल” (सर कृपया हमारी मदद कीजिये l ये मेरा दोस्त है इसके दिल मे छेद है , एक बड़ा छेद )


अनु ने इतना कहकर मुरारी की ओर देखा तो उसने हाँ में सर हिला दिया बेचारा मुरारी उसे इंग्लिश नही आती थी इसलिए अनु ने जो कहा वह कुछ समझ नही आया l
“ओह्ह सो सेड !”,अनु की बात सुनकर आदमी ने अफ़सोस जताते हुए कहा l


“या सर प्लीज़ हेल्प अस “,अनु ने फिर से कहा
“व्हाट केन आई डू फ़ॉर यु ?”,आदमी ने कहा
“सर इफ यु गिव सम मनी , देन वी इट सम फ़ूड माय फ्रेंड बिफोर 2 डेज हंगरी”,अनु ने कहकर मुरारी की ओर देखा तो उसने एक बार फिर हा में गर्दन हिला दी
आदमी ने जेब से एक 100 का नोट निकाला और मुरारी के हाथ पर रखकर कहा,”गॉड विल हेल्प यु माय बॉय”

आदमी चला गया ओर मुरारी हैरानी से उसे जाते हुए देखता रहा और फिर अनु से कहा,”क्या बता है यार तुमने उसको अंग्रेजी में 2 बात कही और उह 100 रुपये थमाकर चला गया l कमाल है ना वैसे तुम बोली का थी उसको”,
“अगर तुमको बताया न तो तुम मेरा खून कर दोगे”,अनु ने मन ही मन कहा ओर फिर मुरारी से कहने लगी,”वो सब बाद में पहले चलकर कुछ खा लेते है भूख लगी होगी ना”।
कहकर अनु ने मुरारी का हाथ पकड़ा और उसे लेकर सामने फुटपाथ की ओर बढ गयी l

वहां कुछ ठेले वाले थे अनु ने अंडे वाले से मुरारी के लिए एक ऑमलेट बनाने को कहा l मुरारी को भूख लगी थी अनु ने ऑमलेट की प्लेट मुरारी की ओर बढ़ा दी वह खाने लगा l अनु ने पैसे दिए ऑमलेट वाले ने 50 रूपये वापस दिए अनु ने ले लिए आज उसे पेसो की अहमियत समझ आ रही थी l मुरारी ने ऑमलेट खाकर प्लेट साइड में रखकर कहा,”ह्म्म्म अब बताओ तुमने उस से क्या कहा था ?”


“मुरारी तुमने यहां की आइस क्रीम खाई है कभी ? नही खाई होगी चलो खिलाती हु”,कहकर अनु आइस क्रीम वाले के पास आई पीछे पीछे मुरारी भी चला आया वह कुछ बोलता इस से पहले ही अनु ने उसे आइस क्रीम देकर कहा,”लो खाओ ,बहुत अच्छी है”

मुरारी ने आइस क्रीम खाई ओर कहा,”अब बताओ क्या कहा था उस से ?””
“अरे ! यार ये तो पीछे ही पड़ गया l अब क्या करूँ”,अनु ने मन ही मन सोचा ओर कहा,”मुरारी यहां के गोलगप्पे ना सबसे फेमस है चलो खाते है”,कहकर वह अगले ठेले की ओर बढ़ गयी l उसने लड़के से गोलगप्पे खिलाने को कहा देखा हाथ मे 30 रुपये ही बचे है l मुरारी भी आया दोनो आमने सामने आकर खड़े होकर खाने लगें खाते खाते मुरारी ने कहा,”अरे अब तो बता दो “


सच बताने के अलावा अनु के पास अब कोई चारा नही था उसने मुरारी को जैसे ही बताया मुरारी के हाथ से दोना छूटकर नीचे आ गिरा और उसने हैरानी से लेकिन तेज आवाज में कहाँ,”का तुमने उस से इह कहा कि हमरे दिल मे छेद है , उह भी बड़ा छेद”
सब मुरारी की ओर देखने लगे तो अनु ने कहा ,”मुरारी इतना ऑवर एक्टिंग क्यों कर रहे हो ?”,
“ज्यादा हो गया का ?”,मुरारी ने धीरे से कहा तो अनु ने हाँ में गर्दन हिला दि l मुरारी उसके पास आया और धीरे से एक बार फिर वही बात दोहराई तो अनु ने कहा,”इसमे क्या हो गया , अपना काम तो हो गया न”

मुरारी अब अनु को तो क्या कहता गोलगप्पे खिलाने वाले के सर पर चपत लगाकर कहा,”दूसरी कटोरी दो बे ! लड़के ने दूसरी कटोरी दी और खिलाने लगा l फुटपाथ से कुछ ही दूर गाड़ी आकर रुकी अनु ने देखा
गाड़ी से उसके पापा उतरे है अनु का दिल बैठ गया उसने मन ही मन कहा,”पापा इस वक्त यहां , ओर ये तो इस तरफ ही आ रहे है l कुछ कर अनु उन्होंने तुम्हे यहां देखा तो प्रॉब्लम हो जाएंगी ,, पर ऐसा क्या करूँ जिससे पापा यहां ना आये “

अनु ने इधर उधर देखा और फिर मुरारी को देखा जो रोनी सूरत बनाकर गोलगप्पे खा रहा था l अनु ने उसके हाथ से कटोरी छीनकर फेंक दी उसके चेहरे को अपने दोनो हाथो से थामा ओर ओर अपने होंठ उसके होंठो से लगा दिए l मुरारी को अंदाजा भी नही था ऐसा कुछ होगा उसकी आंखें फैल गयी और सांसे तेज l वहां खडा हर सख्स दोनो को हैरानी से देख रहा था l अधिराज जी पास खड़े आईस क्रीम वाले के पास आये और आईस क्रीम पैक करने को कहा जैसे ही उन्होंने अनु को देखा वे उसे पहचान तो नही पाए पर नजर फेरकर कहा,”आजकल के बच्चों को हो क्या गया है ? जरा भी शर्म नही है”


अधिराज जी वहां से चले गए l अनु ने जब गाड़ी को वहां से जाते हुए देखा तो मुरारी से दूर हुई और हाथ मे पकड़े पैसे गोलगप्पे वाले कि तरफ बढ़ाकर चली गयी l
“भैया मीठी पपड़ी दे के नही”,लड़के ने डरते डरते मुरारी से पूछा l
मुरारी ने अपने होंठो पर जीभ फिराई ओर कहा,”अभी जो मीठा चखे है उसके बाद तो सारे बम्बई की शक्कर फीकी लगने वाली है”

मुरारी मदहोश सा अनु के पीछे चल पड़ा l l

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Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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