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रांझणा – 17

Ranjhana – 17

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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Ranjhana – 17

प्रताप को अपने सामने देखकर सारिका हैरान रह गयी l सारिका के सामने बैठा प्रताप सारिका को घूरे जा रहा था l किसी अनहोनी के डर से सारिका अंदर तक सहम गयी उसने कांपती हुई आवाज में कहा,”हमे इस तरह जबरदस्ती ले जाने का क्या मतलब है ?
“वो का है हमरा दिल तुम पे आ गया है और एक बार हमरा दिल किसी पे आजाए तो फिर उसे हम अपना बना कर ही छोड़ते है l शादी करने वाले है तुमसे”,प्रताप ने कहा
“आप ये सही नहीं कर रहे है”,सारिका ने गुस्से से प्रताप को घूरते हुए कहा l


“हाये तुमरी इसी अदा पे तो दिल हार के बैठे है हम , डांटती भी हो तो कितने प्यार से”,प्रताप ने सारिका का गाल सहलाते हुए कहा l
सारिका ने नफरत से चेहरा घुमा लिया तो प्रताप ने उसके मुंह को हाथ में पकड़ते हुए कहा,”ऐसे चेहरा न घुमाओ , हम कोई गैर नहीं बल्कि तुमरे होने वाले पति है , का समझी ?”
सारिका की आँखो में नमी तैर गयी l उसने सोचा नहीं था उसकी जिंदगी में एक पल ऐसा भी आएगा l

उसका मन बहुत घबरा रहा था लेकिन इस वक्त वह कर भी क्या सकती थी , उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था उसे परेशान देखकर प्रताप ने कहा,”घरबराइये मत सारिका जी , शादी के बाद रानी बनाकर रखेंगे तुम्हे”
“घबराहट क्या होती है ये आपको कुछ देर में पता चल जाएगा , जब हम बनारस आये थे तब हमारा यहाँ कोई नहीं था पर अब है , बहुत जल्द वो हमे ढूंढते हुए आएंगे l तब हम आपसे पूछेंगे घबराहट क्या होती है ?”,सारिका ने कहा


“कौन आएगा ? वो शिवम् , उसे तो कल रात ही समझा दिया था हमने की वो हमारे मामले में न पड़े वो आएगा तुम्हे बचाने ,, उसके आने से पहले ही हम तुमको अपना बनाय लेंगे”,प्रताप ने गुस्से से कहा
“उनके नाम से ही आपको पसीने आने लगे , जब वो सामने आएंगे तब आपकी क्या हालत होगी”,सारिका ने दृढ़ता से कहा
सारिका की हिम्मत देखकर प्रताप सकपकाया और अपने आदमी से कहा,”ऐ मुंह बंद कर इसका और गाड़ी फार्म हॉउस ले ले”
आदमी ने साइड में पड़ा कपड़ा उठाया और उसे सारिका के मुंह पर बांध दिया l हाथ तो उसके पहले ही बांधे जा चुके थे l

सारिका मन ही मन कहने लगी,”हे महादेव आपकी नगरी में किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए , कुछ अनर्थ हो उस से पहले शिवम जी को भेज दीजिये l पर हम में इतनी हिम्मत कहा से आई की बिना डरे प्रताप की बातो का जवाब दे गयी l ये सारिका की निडरता थी या शिवम् के प्रति विश्वास ………………………… ये तो बस महादेव ही जानते थे !!

मणिकर्णिका घाट , बनारस !!

गंगानदी के तट पर बसा ये घाट यहाँ का प्रसिद्ध घाट है l ऐसा कहा जाता है की माता पार्वती का कर्णफूल यहाँ गिर था जिसे महादेव ढूंढ नहीं पाए l वाराणसी के 84 घाटों में “मणिकर्णिका” घाट काफी चर्चित घाट है l इस घाट को महाश्मशान नाम से भी जाना जाता है l यु तो लोग श्मशान में जाना नहीं चाहते है पर इस घाट पर लाखो की संख्या में लोग दर्शन के लिए आते है l यहाँ आज भी चिताओ को अग्नि दी जाती है और ये कार्य 24 घंटो लगातार चलता है चिता बुझ नहीं पाती है l यहाँ आकर हमे अहसास होता है जैसे जीवन का अंतिम सत्य यही है – मृत्यु !!


शिवम् सुबह सुबह ही घाट पर आ गया l गुलाबी शर्ट और काले रंग की पेंट पहने वह आज किसी हीरो से कम नहीं लग रहा था l घाट पर मौजूद लड़कियों की नजर तो बस आज शिवम् पर ही थी ll वह एक सीढी पर खाली सी जगह देखकर बैठ गया और सारिका के आने का इंतजार करने लगा l घाट पर आज ज्यादा भीड़ नहीं थी बस कुछ लोग ही थे और कुछ टूरिस्ट थे l शिवम् वही बैठे आते जाते लोगो को देखने लगा l कभी अपने हाथ पर बंधी घडी में समय देख लिया करता लेकिन सारिका का कोई अता पता नहीं था l

शिवम् फिर से घाट के पानी को निहारने लगा की नजर सामने जलती हुई चिता पर गयी और शिवम् मन ही मन सोचने लगा,”हमे जिसकी तलाश है वो न जाने हमे कब मिलेगी पर इस जिंदगी का एक सच और है और वो है ‘मौत’ , इन सबकी तरह हमे भी एक दिन खाक में मिल जाना है लेकिन खाक होने से पहले बस एक बार उन्हें देखना चाहते है महादेव ,, अगर बिना उनसे मिले इस दुनिया से चले गए तो मन में एक कसक रह जाएगी l उनके बिना हमारी मुक्ति नहीं है महादेव l ये जिस्म , ये सांसे और ये बची खुची जिस पर अब सिर्फ उनका हक़ है l

पहले वो नहीं थे पर उनकी नज्मे सहारा थी अब तो वो भी नहीं रही ,, ना जाने क्यों उन्होंने लिखना बंद कर दिया l उन नज्मो को पढ़कर उन्हें अपने पास महसूस कर लिया करते थे लेकिन अब तो उन्होंने हमसे वो हक़ भी छीन लिया l ये कैसी परीक्षा ले रहे है महादेव हमारी l l सारिका जी से मिले तो एक पल को लगा जैसे वो ही हमारी मैडम है पर शायद ये हमारा वहम हो सकता है ……….. अगर सारिका जी होती तो क्या अपने रांझणा को नहीं पहचानती ,,

पर आजकल उनसे बढ़ती नजदीकियां हमे ना जाने क्यों किसी खतरे का आभास कराती है l जब वो साथ होती है तो एक कभी ना भूलने वाला अहसास होता है लेकिन इस अहसास को हम कोई नाम नहीं दे पा रहे है l सारिका जी से याद आया काफी वक्त हो गया वे अभी तक आई नहीं”

शिवम् अपने ख्यालो से बाहर आया और जैसे ही अपनी दांयी तरफ देखा चौंक गया और कहा,”तुम यहाँ का कर रहे हो ?
“का बात भैया , पहले रात में आया करते थे अब दिन में भी घाटों पर डेरा जमा लिए हो”,मुरारी ने मुस्कुराते हुए कहा
“ऐसा कुछ नहीं है बस ऐसे ही चले आये”,शिवम् ने मुरारी से नजरे चुराते हुए कहा l
“हां हां सुबह सुबह इतना सज धज के सारे काम काज छोड़कर लोग ऐसे ही चले आते है , नई”,मुरारी ने शिवम् को छेड़ते हुए कहा
“मुरारी लगता है रात वाला थप्पड़ भूल गए तुम”,शिवम् ने थोड़ा सख्त होकर कहा


“वो वो तो हम कबका भूल चुके , पर आज आपकी आँखो में हमे कुछ और ही नजर आ रहा है”,मुरारी ने रुमानियत से कहा
“क्या नजर आ रहा है हमारी आँखों में ?”,शिवम् थोड़ा असहज हो गया
“इंतजार………………!”,मुरारी ने शरारत से कहा
“इंतजार , किसका इंतजार ? और हम क्यों करेंगे ?”,शिवम् ने कहा l
“अरे भैया , हमको सब पता है l”,मुरारी ने मुस्कुराते हुए कहा l


मुरारी की बात सुनकर शिवम् खामोश हो गया और फिर से सामने घाट को देखने लगा और मुरारी शिवम् को l
बेचारा शिवम् यहाँ फस गया l अगर वह मुरारी को बताता की वह यहाँ बैठकर सारिका का इंतजार कर रहा है तो मुरारी उसका जीना हराम कर देता l लेकिन जीना हराम तो वो वैसे भी करेगा l शिवम् रुका और सारिका यहाँ आ गयी तब भी मुरारी सताएगा और अगर वह यहां से उठकर गया और पीछे से सारिका आ गयी तो शिवम् को न पाकर वह परेशान हो जाएगी l दोनों हालातो में शिवम् का ही नुकसान था l


उसने हाथ पर बंधी घड़ी में देखा तो मुरारी ने कहा,”का भैया बार बार समय देख रहे हो , नंबर वंबर फीड किये है फोन करके पूछ लो आये क्यों नहीं ?
“हम्म यही करते है………………………क्या बोले तुम रुको बताते है , आजकल कुछ ज्याद ही बकलोल हो रहे हो तुम”,कहते हुए शिवम् जैसे ही मुरारी की और लपका l मुरारी उठा और कहा,”अरे इतना काहे कल्प रहे हो , कछु गलत तो न कहे है l तुम फोन करो हम जरा दर्शन करके आते है”


“तुम कबसे दर्शन करने लगे ?”,शिवम् ने जेब से फोन निकालते हुए कहा
“अरे महादेव के दर्शन तो रोज करते है , अभी तो हम हमारी वाली के दर्शन करने जा रहे”,मुरारी ने मुस्कुराते हुए कहा
“ओह्ह बेटा ये कब हुआ ?”,शिवम् ने हैरानी से पूछा
“कल रात किसी का भला किये थे साथ में हमरा भी हो गया , और इह भैया बनारस है यहाँ आती हुई मोहब्बत को ना नहीं कहा जाता , अभी चलते है l तुम फोन कर लो भाभी इंतजार कर रही होंगी”,कहकर मुरारी ने शर्ट से चश्मा निकाला और आँखों पर लगाकर चला गया


शिवम् अवाक् सा उसे जाते हुए देखता रहा l और फिर सारिका को फोन लगाया रिंग जाती रही लेकिन कोई जवाब नहीं आया l शिवम् ने एक बार फिर ट्राय किया लेकिन पहले की तरह रिंग जाती रही l शिवम् उठा और वहा से निकलकर बाहर आ गया l सड़क पर आकर उसने एक बार फिर फोन किया लेकिन इस बार भी सिर्फ रिंग जाती रही कोई जवाब नहीं मिला l शिवम् ने फोन जेब में रखा और सारिका के होटल की तरफ पैदल ही चल पड़ा l होटल के सामने पहुंचकर उसने एक बार फिर फोन किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला l

शिवम् अंदर आया उसे देखते ही मैनेजर उठ खड़ा हुआ और नमस्ते करते हुए कहा,”अरे भैया आप यहाँ , कोई काम था तो फोन कर देते हम आ जाते आपने काहे तकलीफ की”
“हमे कुछ पूछना था”,शिवम् ने सहजता से कहा
“हां भईया कहिये ना”,मैनेजर ने कहा
“आपके होटल में ‘मिस सारिका शर्मा’ ठहरी है , उनसे मिलना है”,शिवम् ने कहा
“भैया वो तो सुबह सुबह यहाँ से निकल गयी”,मैनेजर ने कहा


“सुबह सुबह , उनके पास कोई बेग या सामान ?”,शिवम् ने उलझनभरे स्वर में कहा
“नहीं भैया सिर्फ एक छोटा सा पर्स था और हाथ में फोन था , आज वो बहुत खुश दिखाई दे रही थी”,मैनेजर ने बताया
“उन्होंने जाने से पहले कुछ कहा , कहा जा रही है ? कुछ बताया ?”,शिवम् की परेशानी अब बढ़ने लगी थी l
“नहीं भैया वो ज्यादा किसी से बात नहीं करती है , हां कभी कभी यहाँ के घाटों के बारे में जरूर कुछ ना कुछ पूछती रहती है”,मैनेजर ने कहा
“हम्म्म ठीक है अगर वो आये तो उनसे कहना हमसे एक बार बात करे”,शिवम् ने कहा


“ठीक है भैया , आपके लिए कुछ मँगवाऊ ?”,मैनेजर ने कहा
“नहीं , अभी हमे जाना है”,कहकर शिवम् वहा से निकल गया l
होटल से बाहर आकर शिवम् सोचने लगा,”सारिका जी सुबह सुबह निकल गयी लेकिन घाट पर नहीं पहुंची तो फिर कहा गयी होंगी , फोन भी नहीं उठा रही है l शायद किसी और घाट पर चली गयी हो l चलकर देखता हु”


शिवम् सारिका को ढूंढता हुआ घाट दर घाट घूमता रहा पर सारिका उसे कही न मिली सुबह से अब दोपहर होने लगी थी पर सारिका का कोई अता पता नहीं है l शिवम् परेशान हो गया उसने सारिका को कई बार फोन किया लेकिन कोई जवाब नहीं l परेशानी और किसी अनहोनी के डर से शिवम् का दिल तेजी से धड़क रहा था l वह एक बार फिर मणिकर्णिका घाट आया और वहा देखा लेकिन सारिका कही ना मिली l

सीढ़ियों से लगकर दिवार पर माँ पार्वती और महादेव का बड़ा सा चित्र लगा था शिवम् जाकर उसके सामने खड़ा हो गया और हाथ जोड़कर कहने लगा,”ये कैसी परीक्षा ले रहे है आप हमारी , सारिका जी का सुबह से कोई पता नहीं है l जिस तरह महादेव आपने इनके कर्णफूल ढूंढने की कोशिश की वैसे ही सारिका जी को ढूंढना अब किसी परीक्षा से कम नहीं है l हमारी वजह से वो किसी मुसीबत में ना फस जाये वो जहा कही भी है बस सुरक्षित हो बाकि हम उन्हें जल्दी ढूंढ लेंगे”

प्रताप फार्म हॉउस !!
सारिका फार्म हॉउस में बने एक कमरे के कोने में पड़ी थी l उसके हाथ पांव बंधे हुए थे और मुंह पर भी टेप चिपकाया हुआ था l वहा से निकल पाना आसान नहीं था l सारिका ने खुद को छुड़ाने की बहुत कोशिश की लेकिन रस्सिया इतनी मजबूती से बंधी थी की सारिका से हिला भी नहीं जा रहा था उसकी आँखों से आँखों आंसू बहने लगे l कमरे के बाहर बने बरामदे में प्रताप अपने आदमियों के साथ बैठा था l

सारिका का फोन उसके हाथ मे ही था तभी फोन बजा शिवम् का नाम स्क्रीन पर देखकर प्रताप ने हसंते हुए कहा,”देख देख कैसे फड़फड़ा रहा है मजनू , आज तो उसकी हवा टाइट हो गयी होगी”
“अरे भैया अब आएगा मजा , जब उसकी आइटम को तुम अपनी मेहरारू बनाओगे वो तो देख के जल ही जायेगा”,पास बैठे आदमी ने कहा तो बाकि सब हसने लगे l


“मजा तो आएगा ही और ये मजा उस वक्त दुगना हो जाएगा जब उसकी आँखों के सामने उसकी मासूका से ब्याह कर लेंगे l उसने जो हमरी बेइजजती की है उसका बदला तो हम उस से लेके रहेंगे l “,प्रताप ने गुस्से और नफरत के मिले जुले भावो से कहा
“तो भैया फिर देर काहे का रहे हो ? , बुलाओ पंडित को “,एक आदमी ने कहा
“नहीं रजुआ पंडित को हिया नहीं बुलाएँगे , झील किनारे बने महादेव के मंदिर में इनसे ब्याह करेंगे”,प्रताप ने कुछ सोचते हुए कहा


“पर भैया उ मंदिर का पंडित तो शिवम् का खासे आदमी है”,रजुआ ने कहा
“यही तो हम चाहते है , उसी के आदमी के सामने जब उसे निचा दिखाएंगे तब न उसको उसकी औकात का पता चलेगा”,प्रताप ने कहा
“वाह भैया इह की ना तुमने मर्दो वाली बात”,आदमी ने प्रताप के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
प्रताप अभी अपने आदमियों से बात कर ही रहा था की तभी सारिका का फोन फिर बजा l इस बार भी फोन शिवम् का ही था तभी रजुआ ने कहा,”भैया ज़रा फोन उठाओ ना हम भी देखे शिवम्वा की तड़प


रजुआ की बात सुनकर प्रताप ने सबको शांत रहने का इशारा किया और फोन उठाया दूसरी तरफ से शिवम् की आवाज आई
“हेलो सारिका , सारिका कहा हो आप ? , सारिका कुछ तो बोलो , हेलो हेलो , कुछ तो कहो प्लीज़ , आप ठीक तो हो ना ? प्लीज़ सारिका कुछ तो बोलो हेलो हेलो सारिका सारिका……………………….!!”


प्रताप ने फ़ोट काट दिया तो रजुआ ने कहा,”वाह भाई मजा आ गया , शिवमवा कैसे तड़प रहा है ? सुनकर मजा आ गया l
प्रताप मुस्कुराया और कहा,”आगे आगे देख होता है क्या ?
प्रताप की बात सुनकर बाकि सब ठहाका लगाकर हस पडे l प्रताप ने फोन बंद किया और जेब में डाल लिया ,,,,,,,,,!!

मणिकर्णिका घाट पर खड़े शिवम् का सर घूम गया जब सारिका ने फोन उठाया पर बात नहीं की l शिवम् ने दोबारा फोन किया लेकिन अब सारिका का फोन बंद था l शिवम् को समझते देर नहीं लगी की सारिका जरूर किसी ना किसी मुसीबत में है शिवम् ने मुरारी को फोन लगाया
“हां भाई”,मुरारी ने कहा
“कहा है तू ?”,शिवम् ने सीरियस होकर पूछा


“भाई कॉफी शॉप , आइटम के साथ”,मुरारी ने फुसफुसाते हुए कहा
“अभी वहा से निकल और घाट पहुँच”,शिवम् ने आदेश देकर कहा
“भाई लड़की के साथ हु , बीजी हु कैसे निकलू ?”,मुरारी ने फुसफुसाते हुए कहा
“तेरे सामने क्या रखा है ?”,शिवम् ने पूछा
मुरारी – कॉफी है भाई


शिवम् – उसे उस लड़की पर गिरा दे
मुरारी – भाई
शिवम् – जो कहा वो कर (सख्ती से)
मुरारी ने कॉफी उठाकर लड़की पर डाल दी लड़की गुस्से से आग बबूला हो उठी तो मुरारी ने मिमियाते हुए कहा,”डाल दी भाई
शिवम् – अब उसे देखकर मुस्कुरा


मुरारी लड़की को देखकर मुस्कुराता है l लड़की और ज्यादा भड़क जाती है वह उठकर मुरारी के पास आयी और एक थप्पड़ मुरारी के गाल पर मारकर कहा,”एक तो जान बूझकर मुझपे कॉफी गिरा दी ऊपर से बेशर्मो की तरह हस रहे हो l भाड़ में जाओ तुम”
लड़की वहा से चली गयी l फोन अब भी चालू था मुरारी ने फोन वापस कान से लगा लिया तो दूसरी तरफ से शिवम् ने कहा,”अब फ्री है ना , अब फटाफट घाट आजा”
“हम्म्म”,मुरारी ने धीरे से कहा l


“साला जिंदगी को झंड बना के रख दिए है , खुद किसी से प्यार करते नहीं हमको किसी से करने नहीं देते l साला ये जिंदगी तो सिंगल बेड पे ही गुजर जानी है”,मुरारी ने बड़बड़ाते हुए कहा
“भैया का हुआ बड़े परेशान नजर आ रहे हो ?”,वेटर ने पास आकर कहा
मुरारी ने एक थप्पड़ वेटर को मारा और कहां,”काम में ध्यान दो दुसरो की हंडिया में चमचा ना घुसेडो , का समझे ?”
मुरारी ने गाड़ी की चाबी उठाई और वहा से निकल गया l


कुछ देर बाद मुरारी घाट पर था l गाड़ी से उतरकर मुरारी सीधा शिवम् के पास आया और कहा,”का भैया का बात हो गयी जो इतना अर्जेन्ट में बुला लिए”
शिवम् – सारिका जी नहीं मिल रही
मुरारी – नहीं मिल रही मतलब का होगी यही कही , अपने होटल


शिवम् – हमने सब जगह पता किया वो कही नहीं है , होटल के मैनेजर ने बताया की वो होटल से सुबह सुबह ही निकल गये
मुरारी – हां तो कही और गयी होंगी , इतना परेशान काहे हो रहे हो
शिवम – मुरारी हमारी बात ध्यान से सुनो बनारस में सारिका जी कही नहीं है हमने उनको बहुत फोन किये लेकिन उन्होंने नहीं उठाया कुछ देर पहले जब फोन किये थे तब उनका फोन उठाया था पर उन्होंने नहीं किसी और ने लेकिन कोई बोला नहीं और बाद में फोन काट दिया l हो न हो सारिका जी किसी बड़ी मुसीबत में है l


मुरारी – अरे भैया तो पहले काहे नहीं बताये ये सब , चलो चलके भोजाई को ढूंढते है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमार मतलब सारिका जी को ढूंढते है l
शिवम् आकर जीप में बैठ गया l मुरारी ने जीप स्टार्ट की और शिवम् के साथ मिलकर सारिका को ढूंढने लगा l परेशानी शिवम् के चेहरे से साफ साफ झलक रही थी l दोपहर से शाम हो गयी लेकिन सारिका का कुछ पता नहीं चला l

उसी शाम फार्म हॉउस पर -;
प्रताप अपने हाथ में शादी का जोड़ा लिए कमरे में आया और सारिका के हाथ पैरो की रस्सिया खोलते हुए कहा,”जल्दी से इह जोड़ा पहन के तैयार हो जाओ , आज शाम 7 बजे हमरी शादी का शुभ मुहूर्त है”
सारिका का दिल बैठ गया l प्रताप ने उसके मुंह पर लगी टेप हटाई और उसका मुंह अपने हाथ में पकड़ते हुए कहा,”तुम इतनी खूबसूरत हो की दिल करता है अभी के अभी तुम्हे अपना बना ले पर हमरे भी कछु उसूल है l अब तो जो भी करना है शादी के बाद ही करना है”


“समझ नहीं आता बनारस जैसी पवित्र जगह पर तुम जैसे नापाक लोग कहा से आ गए , एक लड़की को कैद करके जबरदस्ती शादी करने को तुम अपनी मर्दानगी समझते हो , छी !! कितने घटिया और गिरे हुए इंसान हो तुम”,सारिका ने नफरत से कहा
“फड़फड़ा ले जितना फड़फड़ाना है , बस आज शाम और उसके बाद तुम हमरी , अब जल्दी से इह कपड़ा पहन के बाहिर आ जाओ , का है ना अब इंतजार नहीं होता है हमसे”,प्रताप ने सारिका को घुर कर देखते हुए कहा और कमरे से निकल गया l


सारिका कमरे से बाहर निकलने के लिए जगह ढूंढने लगी पर उसे कुछ नहीं मिला तभी कमरे का दरवाजा खुला और प्रताप दनदनाते हुए आया उसने सारिका का हाथ पकड़ा और उसे जबरदस्ती ले जाते हुए कहा,”बस बहुते हो गया , अब तो इन्ही कपड़ो में तुमसे ब्याह रचाएंगे “
सारिका हाथ पैर पटकती रही खुद को छुड़ाने की कोशिश करती रही लेकिन प्रताप के हाथ की पकड़ इतनी मजबूत थी

सारिका खुद को उस से नहीं छुड़ा पाई l जाते जाते उसने अपने कान का एक झुमका वही गिरा दिया और नम आँखों से प्रताप के साथ चली गयी l प्रताप सारिका को अपने आदमियों के साथ गाड़ी में बैठा और वहा से निकल गया l मंदिर उस फार्म हॉउस से काफी दूर था l

दूसरी तरफ शिवम् और मुरारी ने बनारस का कोना कोना छान मारा पर सारिका का कही पता नहीं चला l मुरारी गाड़ी चला रहा था शिवम् ने अपने दिमाग पर जोर डालकर सोचने की कोशिश की तो एक बहुत बड़ी बात उसे याद आई l उसने मुरारी से गाड़ी रोकने को कहा
मुरारी – क्या हुआ भैया ?


शिवम् – मुरारी जब आखरी बार हमने सारिका जी को फोन किया था तब किसी ने फ़ोन उठाया था मतलब सारिका भी वही कही होगी l
मुरारी – वो तो ठीक है भैया पर सारिका जी है कहा इह कैसे पता चलेगा ?
शिवम् – मुरारी जब फोन चालू था तो उमसे से हमे ट्रेन की आवाजे सुनाई दे रही थी , मतलब वो जगह पटरियों के आस पास बनी है जहा से ट्रेन गुजरती है l एक चीज और नोटिस की हमने
मुरारी – वो का भैया ?


शिवम् – पुरे बनारस में प्रताप और उसके आदमी हमको कही नहीं दिखे , कल रात प्रताप शादी में आया था वहा मैंने उसे सारिका से दूर रहने को कहा और उसे समझाया भी था l पहले दिन से ही उसकी सारिका जी पर बुरी नजर है l कही उसी ने तो ?
मुरारी – क्या ? प्रताप कल रात शादी में था , इसलिए तुम हमको वहा से भेज दिए है ना (गुस्से से)


शिवम् – मुरारी हम नहीं चाहते थे प्रताप की नजर सारिका जी पर पड़े और फिर से कोई हंगामा हो , सजना ने पहले ही उनके सामने इतना बखेडा खड़ा कर दिया की हमे तुम सबको वहा से भेजना पड़ा l
मुरारी – ये तुम ठीक नहीं किये भैया , कल रात ही हम सारा मामला निपटा देते , उसने ही सारिका जी को उठाया है हम बताय रहे है l तुमसे बदला लेंने का उ एक भी मौका नही छोड़ेगा l साला हमरी दुश्मनी के चक्कर में उनको मुसीबत में डाल दिए है हम l


शिवम् – हाँ मुरारी , पता नही इस वक्त वो किस हाल में होंगी l (उदास होकर)
मुरारी – अरे तुम चिंता न करो भैया , उनको कुछ नहीं होने देंगे l पर हम कह रहे है प्रताप का मेटर जितनी जल्दी हो सके क्लोज करो नई ते हम करते है
शिवम – सबसे पहले हमको सारिका जी को ढूंढना है
मुरारी – तुम जोन जगह बताय रहे उ हम जानते है , प्रताप के बाप का फार्म हॉउस है वहा l ससुरा वही गया होगा

मुरारी ने गाड़ी घुमाई और फूल स्पीड में दौड़ा दी l शिवम् ने आँखे मुंद कर का सीट से लगा लिया l सारिका को लेकर परेशानी उसके चेहरे से साफ साफ झलक रही थी l मुरारी तेजी से गाड़ी चलाता रहा l जिस रस्ते से मुरारी जा रहा था उसी रस्ते से सामने से एक गाड़ी आ रही थी गाड़ी प्रताप की थी सामने मुरारी की गाड़ी देखते ही उसने अपने आदमियों से शीशे चढाने को कहा l

सारिका ने मुरारी की गाड़ी को देखा तो चिल्लाने के लिए जैसे ही मुंह खोला प्रताप ने अपने हाथ से उसका मुंह बंद कर दिया l मुरारी की गाड़ी प्रताप की गाड़ी के बिलकुल बगल से निकली फिर भी वे लोग सारिका को देख नहीं पाए l मुरारी आगे निकल गया l सारिका की आँखों में आंसू भर आये इतना नजदीक होकर भी शिवम् और मुरारी ने नहीं देखा l प्रताप की गाड़ी तेजी से वहा से निकल गयी l
मुरारी और शिवम् फार्म हॉउस के सामने पहुंचे पर वहा ताला लगा हुआ था l


“मुरारी यहाँ तो ताला लगा हुआ है मतलब वो लोग यहाँ नहीं आये “,शिवम् ने कहा
“का भैया ? तुम कबसे सीधा सोचने लगे “,कहकर मुरारी ने बंदूक से ताले को तोड़ा और गेट खोलकर कहा,”अब चलो !!
दोनों अंदर आये और खोजबीन करने लगे l शिवम् बाहर देख रहा था और मुरारी कमरे में चला गया l कमरे में उसे दुल्हन का जोड़ा मिला वह लेकर मुरारी शिवम् के पास आया और कहा,”भैया , इह देखो हमको तो कछु बहुते बड़ी गड़बड़ लग रही है”


मुरारी के हाथ में शादी का जोड़ा देखकर शिवम् ने कहा,”प्रताप कुछ बड़ा करने के इरादे से यहाँ आया था मुरारी , हमे जल्द से जल्द सारिका जी को ढूँढना होगा इस से पहले की प्रताप अपने इरादों में कामयाब हो l”
“इह प्रताप को तो हम छोड़ेंगे नहीं , बहुते बड़ी गलती किये है वो l महादेव की कसम ऐसा हाल करेंगे उसका की भूले से ना भूल पायेगा वो”,मुरारी ने गुस्से से कहा


शिवम् मुरारी के साथ वापस जाने लगा की उसकी नजर फर्श पर गिरे झुमके पर गयी l शिवम् ने उसे उठाया और देखने लगा
“इह किसका है ?”,मुरारी ने झुमका अपने हाथ में लेकर देखते हुए कहा
“सारिका जी का”,शिवम् ने खोये हुए स्वर में कहा
“पर भैया आप इतना यकींन से कैसे कह सकते है की ये उनका ही है ?”,मुरारी ने कहा
शिवम् ने एक गहरी साँस ली और शून्य में तांकते हुए कहा

“ये वही झुमका है जो सारिका जी ने उस सुबह पहना था जिस सुबह हम उनसे पहली बार टकराये थे”

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संजना किरोड़ीवाल

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