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रांझणा – 37

Ranjhana – 37

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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Ranjhana – 37

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अनु के जाने के बाद मुरारी स्टेशन जाने के लिए जैसे ही कमरे से बाहर निकला शिवम् ने उसे रोकते हूये कहा,”अरे मुरारी सुन ना , आज के बाद अनु तुझे परेशान नही करेगी !”
“ये तुम इतना यकीं के साथ कैसे कह सकते हो”,मुरारी ने कहा
“अरे हम तुम दोनों की दोस्ती करवा देंगे यार , फिर अपने ही दोस्त को परेशान वो करने से रही”,शिवम् ने खुश होकर कहा


“दोस्ती और उस से , अरे भैया उसकी ना दोस्ती अच्छी ना दुश्मनी , हम जा रहे है टिकट लेने ,,”,कहकर मुरारी वहा से निकल गया l
बाइक की चाबी लाना भूल गया था इसलिए पैदल ही चल पड़ा l रास्ते भर अनु को कोसता जा रहा था l

रश्मि के घर से निकलकर अनु ने काका से वापस घर चलने को कहा l मुरारी की वजह से उसका सारा मूड खराब हो चुका था l गाड़ी जैसे ही नुक्कड़ पर आई एक शानदार खुशबू अनु के नाक से होकर गुजरी l अनु ने कहा,”अरे वाह बहुत बढ़िया खुशबू है , कहा से आ रही है काका ?”
“अरे बिटिया वो सामने कचोरी की दुकान है न , बस वही से आ रही है l खाओगी आप ?”,काका ने बड़े प्यार से कहा


“हम्म्म्म “,अनु ने ख़ुशी से गर्दन हाँ में हिलाते हुए कहा
“रुको मैं लेकर आता हूं”,काका ने कहा
“अरे नहीं नहीं आप परेशान ना हो मैं खुद ही वहा जाकर खा लुंगी”,अनु ने गाड़ी से उतरते हुए कहा
“अच्छा बिटिया आप खाओ तब तक हम सामने होकर आते है”,काका ने कहा
“बिल्कुल काका ! आराम से आना तब तक मैं कचोरियों को टक्कर दे दू”,कहकर अनु दुकान की और बढ़ गयी l
काका वहा से निकल गए l


अनु दुकान में आई और कचोरी का आर्डर देकर टेबल पर आ बैठी l अब जिस तरह के कपडे उसने पहने थे लोगो का उसे देखना लाजमी था पर अपनी अनु के दिमाग तो सिर्फ शिवम् का ख्याल चल रहा था l वो बैठी उसके बारे में सोच ही रही थी की तभी कुछ छिछोरे लड़के उसकी टेबल के सामने आ बैठे और बाते करने लगे l कोई अनु को देख कर आंहे भरता तो कोई फब्तियां कसता , कोई गाना गा रहा था तो कोई आँखों और होंठो से इशारे कर रहां था l

अनु को अहसास हुआ तो वह शिवम् के खयालो से बाहर आई उसने अपना एक हाथ कुर्सी के हत्थे पर रखा और घूरते हुए उनहे देखने लगी l
“हाऐ ऐसे ना देख जानेमन , मार ही डालेगी”,एक लड़के ने कहा l अनु ख़ामोशी से उसे घूरती रही लेकिन कुछ कहा नहीं तो दूसरे लड़के ही हिम्मत बढ़ी उसने कहा,”क्या माल है यार ? बस एक बार मिल जाये कसम से मजा आ जाये”
अनु अब भी चुप थी पर उसके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था l

मुरारी चलते चलते उस दुकान के सामने से गुजरा l कचोरियों की खुशबू से उसे बनारस में बनी बाबा की कचोरियों की याद आ गयी मुरारी ने मन ही मन कहा,”टिकट तो बाद में भी बन जायेगी , पहले चलकर कुछ खा लेता हूं”
मुरारी अंदर चला आया लेकिन अनु को सामने देखते ही उसके कदम ठिठक गये और वह सोचने लगा,”ये चुड़ैल यहाँ क्या कर रही है ? जरूर मुझे परेशान करने का प्लान बना रही होगी l यहाँ से निकल लेता हूं वरना फिर किसी न किसी मुसीबत में फस जाऊंगा l

अरे मुसीबत क्या ? ये तो खुद ही अपने आप में मुसीबत है , भाग लो मुरारी !”
कहकर मुरारी जैसे ही जाने लगा उसके कानों में किसी लड़के के गाने की आवाज पड़ी मुरारी पलटा उन्ही छिछोरे लड़को में से एक लड़का उठकर गाते हुए अनु की तरफ बढ़ा ,”ओह्ह जरा जरा टच मी टच मी टच मी”
“आज आयेगा मजा मेरे सामने बहुते शेरनी बनती है ये मैग्गी अब देखता हूं क्या करती है ?”,मुरारी ने मन ही मन मजे लेते हुए कहां l

मुरारी ये नही जानता था कि अनु ने उसे देख लिया था लड़के ने जैसे ही अनु के पास आकर अपना हाथ उसके कंधे पर रखना चाहा अनू ने दूसरे हाथ से रोक लिया l अनु के हाथ की पकड़ इतनी मजबूत थी की लड़का अपना हाथ नही छुड़ा पाया l अनु ने हाथ मरोड़ा और एक थप्पड़ दे मारा लड़के का सार टेबल से टकराया और वह नीचे गिर पड़ा l
लड़को ने अनु का ये रूप देखा तो दंग रह गए l पर कोई और भी था जो अनु के इस रूप से हैरान परेशान था वो था अपना मुरारी l जिसे वह शेरनी समझ रहा था वह असल में शेरनी ही थी l


लड़को का झुण्ड अनु की तरफ बढ़ा तो मुरारी के अंदर का हीरो जाग उठा अनु के सामने खुद को अच्छा दिखाने के लिए वह अनु के आगे आ गया और लड़कों से कहा,”अबे अकेली समझा है क्या इसको ? कोई प्रॉब्लम है तो साइड में चल ना बैठ के बात करते है”
अनु खामोश रही उसे जैसे पता था आगे क्या होने वाला है l लड़को ने अपने सामने दुबले पतले मुरारी को देखा तो हँसने लगे और फिर मुरारी के साथ साइड में आ गए l

पर मुरारी की बुरी किस्मत उन लड़कों से भी आज मुरारी को पीटना ही था अनु ने कुर्सी खिसकाई और वापस बैठ गयी लड़का कचोरी रख गया l उधर मुरारी पिट रहा था और इधर अनु मजे से कचोरियों पर हाथ साफ कर रही थी l वो लड़के सब हट्टे कट्टे मुरारी कितना मुकाबला करता पीटता रहा , मुरारी उन्हें एक मारता और वो दो चार l लड़को में से एक ने मुरारी को घुसा मारा मुरारी सीधा आकार अनु की टेबल पर गिरा लेकिन अनु के सामने उसकी इज्जत कम ना हो जाये सोचकर वह अकड़ से उठा और वापस पीटने के लिए गया

लेकिन अगली बार इस से भी जबरदस्त घुसा पड़ा मुरारी फिर आकर उसी टेबल पर गिरा और अनु को ठुस्ते हुए देखकर कहा,”कैसी बेरहम हो यार तुम , मतलब हम वहां पिट रहे है और तुम यहाँ कचौरिया खा रही हो ! “
“तुमसे किसने कहा था उनसे पंगा लो “,अनु ने बिना मुरारी की और देखे कचोरी खाते हुए कहा
“अबे तुम्हे बचाने के लिए ही बिच में आये थे”,मुरारी ने दर्द से कराहते हुए कहा
“हां तो जाओ ना जाकर लड़ो , मर्द हो तुम l जाओ जाओ लड़ो”,अनु ने कचोरी की दूसरी प्लेट उठाते हुए कहा


मुरारी कुछ कहता इतने में एक लड़के ने उसकी कोलर पकड़ कर उसे उठाया और जैसे ही घुस मारने लगा मुरारी ने अपनी आँखे बंद कर ली पर अचंभे की बात ये थी घुसा आकर मुरारी को लगा ही नही l मुरारी ने आँखे खोली तो देखा सामने वाले लड़के का हाथ किसी ने पकड़ा था मुरारी ने अपनी बांयी तरफ देखा अनु खड़ी थी जिसने लड़के का हाथ पकड़ा हुआ था l मुरारी ने जैसे ही अनु की और देखा अनु ने आँख मारी मुरारी को पीछे कर लड़के को एक घूंसा दे मारा l अनु ने एक एक कर सबको जो धोया है मुरारी ने तो देखकर दांतो तले उंगली दबा ली l

तभी एक लड़का चाकू लेकर मुरारी के पास गया जैसे ही उसने चाकू मारने की कोशिश की मुरारी चक्कर खाकर नीचे गिर पड़ा l अनु ने एक लात मारकर चाकू आदमी के हाथ से गिरा दिया l आदमी डरकर भाग खड़ा हुआ l अनु मुरारी के पद आई पर वो बेहोश पड़ा था नीचे गिरने से उसके माथे पर हल्की सी चोट भी आगयी जिससे खून आ रहा था l अनु ने कचोरियों के पैसे चुकाए और मुरारी को अपने कंधों पर डालकर बाहर निकल आई बाबा ने अनु को देखा तो गाड़ी ले आये और कहा,”अरे बिटिया क्या हुआ ?


“काका सब बाद में बताएंगे , अभी हॉस्पिटल चलिये”,अनु ने काका की मदद से मुरारी को गाड़ी की पिछली सीट पर लेटाया और खुद आगे आकर बैठ गयी l काका ने गाड़ी हॉस्पिटल की और मोड़ दी l l हॉस्पिटल पहुंचकर मुरारी को इमरजेंसी वार्ड लाया काका और अनु बाहर ही रुक गए अनु ने काका को घर भेज दिया सारिका को ऑफिस भी तो जाना था साथ ही सारिका से कुछ भी ना बताने को भी कहा l
कुछ देर बाद मुरारी को होश आया गया l घबराहट की वजह से वह बेहोश हो गया था माथे पर बैंडेज लगा दी l

अनु अंदर आई मुरारी बिस्तर पर बैठा था सर पर बैंडेज लगी थी l अनु ने कुछ नही कहा बस अंदर आकार बैठ गयी कुछ देर बाद नर्स ने बिल लाकर अनु को दे दिया और कहा,”मेंम मेडिसन आपको बाहर बिल दिखाकर मेडिकल से मिल जायेगी”
अनु ने मुस्कुराकर नर्स को विदा किया और खुद बिल लेकर मुरारी के पास आई और बिल उसकी और बढ़ा दिया l मुरारी ने जैसे ही बिल देखा चिल्लाकर कहा,”क्या 12000 रूपये ?


“हां और ये मै तुमसे वसूल करने वाली हु विथ इंटरेस्ट”,अनु ने मुरारी को कॉलर पकड़ कर उसे अपनी और खींचकर गुस्से से कहा l
मुरारी का दिल फिर धड़कने लगा l वह अनु की आँखों में देखता रहा l दोनों के चेहरे एक दूसरे के सामने थे और फिर अनु ने उसे दूर करके कहा,”अब उठो और चलो !
“यार हमारे बनारस में तो इतनी सी चोट लगने पर थूक लगाकर काम चला लेते है , इहा इतना पैसा बड़े शहरो की लूट मची है”,मुरारी ने उठते हुए कहा तो अनु ने घूरा मुरारी खामोश हो गया l


बाहर आकर अनु ने बिल दिखाकर दवाईया ली और फिर डिस्चार्ज पेपर लेने रिशेप्शन पर आई l मुरारी ने काउन्टर पर बैठी लड़की से कहा,”बहन जी ओह्ह बहन जी इह एक चिपकी चिपकाने का 12000 ले लिए , का जरी गोटे का काम करवाई हो ?”
बेचारी लड़की बस मुरारी का मुंह ताकते हुए कहा
“सर दिस इज ऑउर हॉस्पिटल रूल”


मुरारी को समझ तो नही आया पर वह लड़की के चेहरे की और देखने लगा l अनु ने उसकी कॉलर पकड़ी और खींचते हुए उसे ले जाते हुए कहा,”तुम रहने दो चिरकुट ये सब तुम्हारी समझ से बाहर है”
मुरारी ने बाहर आकर अपनी कॉलर छुड़ाकर कहा,”अरे तुमको कोनो लाज शर्म है कि नहीं ? मतलब सबके सामने ऐसे कॉलर पकड़ते है का किसी का ?”
“सीधी भाषा में कोई बात तुमको कहा समझ आती है चिरकुट”,अनु ने भौंहे चढ़ाते हुए कहा l


“अच्छा वो सब छोडो थैंक्यू !!”,मुरारी ने कहा
“क्या कहा ज़रा फिर से कहना ?”,अनु ने हैरानी से कहा
“हमने कहां थैंक्यू वो हमें बचाया और यहाँ भी लेकर आई”,मुरारी ने थोड़ा नर्म स्वभाव से कहा
“ओह्ह हेलो तुमको क्या लगता है तुम्हे यहाँ लेकर आई तुम्हारी मरहम पट्टी करवाई तो क्या सिर्फ थैंक्यू सुनने के लिए , पूरा पैसा देना पड़ेगा जो खर्च हुआ है “,अनु ने ऊँगली दिखाकर मुरारी के करीब आकर कहा


आज अनु का डाटना मुरारी को बुरा नहीं लग रहा था वह बस उसकी आँखों में देखे जा रहा था l अनु ने उसके सामने हाथ हिलाकर कहा,”एडमिशन फीस के रूपये थे वो मेरे अब अगले हफ्ते कॉलेज में जमा कराना है l बोलो कब दोगे मेरे पैसे ?”
“अरे दे देंगे”,मुरारी ने कहा
“कब तो कब ?”, अनु ने घूरकर कहा
“भरोसा नहीं है का ? कहा न दे देंगे इतने तो रख़े है हमारे पास”,मुरारी ने कहा


“भरोसा किसलिए तुम मेरे मामा के लड़के लगते हो ? देखो भाग मत जाना बिना पैसे दिए”,अनु ने कहा
“तुमसे एक बात कहे “,मुरारी ने कहा
“ह्म्म्म कहो !”,अनु ने मुरारी की और देखते हुए कहा
“तुम ना इह सहर में एंटीक पीस हो , मतबल बोले तो एकदम ही बवाल”,मुरारी ने पहली बार अनु के लिए कुछ अच्छा कहा था
“थैंक्यू !! वैसे तुम भी इतने बुरे नही हो , अभी चलती हु दी इंतजार कर रही होगी ,, अपना ख्याल रखना”,कहकर अनु वहा से निकल गयी l


मुरारी बस प्यार से उसे जाते हुए देखता रहा और सोचने लगा ,”सच में बवाल ही है ये लड़की भी , कभी झगड़ती है , कभी परवाह करती है कभी खूंखार शेरनी बन जाती है l इसे समझना महादेव के भी बस के बाहर का है !! पर दिल की अच्छी है “
मुरारी मुस्कुरा उठा प्यार की और उसका ये पहला कदम था कि अनु की बाते अब उसके मन में गुस्सा पैदा नहीं कर रही थी l गुनगुनाते हुए मुरारी वापस घर की और निकल गया l शिवम् तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल ही रहा था कि सामने से मुरारी आता दिखाई दिया l मुरारी को गुनगुनाते देखकर शिवम् को बड़ी हैरानी हुई उसने कहा,”का मिल गया टिकट !!’


“टिकट कैसा टिकट ? हम तो नाश्ता करने गये थे !”,मुरारी ने कहा l
“अच्छा वो छोडो , ये सर पर कैसे लगी ? “,शिवम् ने उसकी चोट देखते हुए कहा
“अरे भैया वो ऐसे ही तुम ऑफिस जाओ सारिका भाभी इंतेजार कर रही होंगी नई”,मुरारी ने कहा
“अरे हां हम निकलते है तुम अपना ख्याल रखना”,कहकर शिवम् वहा से चला गया l

मुरारी अंदर आया और नहाने चला गया l

ऑफिस आकर शिवम् अपने काम में लग गया l सारिका को उसका काम बहुत पसंद आ रहा था साथ ही शिवम् के अच्छे व्यवहार और सहज बोली से ऑफिस का बाकि का स्टाफ भी खुश था l शाम को अनु शिवम् से मिलने ऑफिस आयी लेकिन सीधा सीधा वो शिवम् के पास भी नही जा सकती थी इसलिए सारिका के पास चली आई l देर शाम तक सारिका को बातो में उलझाये रखा l सारिका शिवम् के साथ आज कही बाहर जाने वाली थी इसलिए बाकि स्टाफ के जाने के बाद भी अकेला शिवम् ही अपने केबिन में काम कर रहा था l

अनु के दिमाग में शिवम् को लेकर कुछ खुराफाती ही चल रहा था l सारिका को उसने बहाने से बाहर भेज दिया नीचे चलने को कहा खुद बाथरूम का बहाना करके रुक गयी उसने टेबल से सारिका की कुछ किताबे उठायी और शिवम् के केबिन की और बढ़ गयी शिवम् केबिन से बाहर आ ही रहा था अनु को देखकर दरवाजे पर रुक गया तो अनु ने कहा,”हेल्लो !
“आप यहाँ ?”,शिवम् अनु को ऑफिस में इस वक्त देखकर हैरान था l


“हां वो दी से कुछ काम था , और ये बुक्स ये लेकर दी ने आपको स्टोररूम बुलाया है”,अनु ने किताबे शिवम् को थमाते हुए कहां और वहां से वापस सारिका के केबिन की और चली गयी ताकि शिवम् को उसपर कोई शक ना हो
“मेडम जी ने वहां क्यों बुलाया है ?”,सोचते हुए शिवम् स्टोररूम की और बढ़ गया l
स्टोररूम 3rd फ्लोर पर था शिवम् जब सीढिया उतर रहा था मुरारी मिल गया l मुरारी को वहां देखकर शिवम् ने कहा,”अरे तुम यहाँ कैसे ? सब ठीक तो है ?”


“का बताये भैया वो रश्मि जी है ना उनके रिश्तेदार आये हुए है घर तो उन्होंने कहा कि हम कुछ देर के लिए बाहर चले जाये , अब बाहर मन नही लगा तो सोचा आपके पास चले आते है पर आप तो खुद ही कही जा रहे मालूम होते”,मुरारी ने कहां
“हां वो सारिका ने ये किताबे स्टोर रूम में मंगवाई है वही देने जा रहे है”,शिवम् ने कहा
“सारिका जी तो नीचे अपनी गाड़ी के पास खड़ी है , एक काम करो इह सबको हमको दो हम रख देते है तुम जाओ भाभी के पास”,मुरारी ने शिवम् से किताबे लेते हूये कहा


“ठीक है ! स्टोररूम नीचे है “,कहकर शिवम् मुस्कुराकर चला गया और सारिका के पास आया l सारिका फोन पर किसी बात कर रही थी और फिर शिवम् से कहा,”चले !!
“वो मुरारी……………..!”,शिवम् कहते कहते रुक गया l
“शिवम् मुरारी आ जायेगा , आप चलो आपके लिए आज हमारे पास कुछ है”,कहते हुए सारिका की आँखे चमक उठी l

शिवम् सारिका के साथ गाड़ी में आ बैठा l काका ने गाड़ी स्टार्ट की और सारिका के बताये रस्ते की और मोड़ दी l ऊपर ऑफिस में अनु अकेली थी उसने अपना बैग सारिका के केबिन में ही छोड़ा और खुद चाबी गार्ड को देकर नीचे आ गयी l अनु ने जानबूझकर शिवम् को स्टोर रूम भेजा था ताकि पीछे से वह खुद जाये और शिवम् और वह स्टोर रूम में बंद हो जाये l


ऐसे उटपटांग ख्याल ना जाने क्यों अनु के ही दिमाग में आते थे l वह जल्दी से अंदर आई और दरवाजा बंद करके चाबी खिड़की से बाहर फेंक दी वह बहुत खुश थी पर शायद ये नही जानती थी की अंदर शिवम् नही कोई और है l

गार्ड ऑफिस लॉक करके आया 3rd फ्लोर पर स्टोर के बाहर चाबी देखी तो नीचे आ गया और पूरे ऑफिस की लाइट ऑफ कर दी जिसका में स्विच बाहर था l अपना काम खत्म करके वह अपने कमरे में जाकर सो गया l अनु तो मन ही मन अपने प्लान की कामयाबी से खुश हो रही थी l जैसे ही लाइट ऑफ हुई मुरारी चिल्लाया,”अबे कौन है बे ? ये बत्ती किसने बुझाई साला किसको मसखरी सूझ रही इस वक्त ?”
मुरारी की आवाज अनु को कुछ जानी पहचानी सी लगी पर अंधेरे में उसे भी कुछ दिखाई नही दे रहा था l

अँधेरे में दोनों पांव घसीटते हुए आगे बढे जा रहे थे मुरारी ने जेब टटोली तो माचिस मिल गयी उसने तीली जलाई नजर सामने खड़ी अनु पर गयी उसे देखते ही उसने चौककर कहा,”तुम ?
“तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?”,अनु ने बदले में सामने से सवाल किया
“मैं ये बुक्स रखने आया था भैया ने दी थी”,मुरारी ने कहा
“मैं यही बुक्स तो लेने आई थी”,अनु ने किताबे छीनकर कहा


“ये लाइट क्यों चली गयी ?”,मुरारी ने अफ़सोस जताते हुए कहा l
“शायद गार्ड अंकल ने बन्द कर दी”,अनु ने धीरे से कहा
मुरारी दरवाजे पर आया और खोलने की कोशिश की तो पाया कि दरवाजा अंदर से बंद है लेकिन चाबी कही नजर नहीं आ रही थी l मुरारी को काफी हैरानी हुई उसने अनु से कहा,”दरवाजा तो बन्द है अब क्या करे ?
“गार्ड अंकल को आवाज लगाते है”,अनु ने सलाह दी तो मुरारी ने कहां l
“अक्ल की अंधी दिखता नहीं ये पूरा शीशे से पैक है आवाज बाहर कैसे जायेगी ?”, मुरारी ने अनु को डांट दिया


“हां तो मुझपे क्यों चिल्ला रहे हो ? तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे मैंने किया हो सब”,अनु ने भी चिल्लाकर कहा
“कही तुमने ही तो नही किया इह सब , फिर से कोई खुराफात चल रही होगी तुमरे दिमाग में नहीं”,मुरारी ने भौंहे चढ़ाते हूये कहा l


“तुम ना ये बकवास बंद करो और ये देखो की यहाँ से बाहर कैसे निकले ?”,अनु ने दरवाजा खोलने की कोशिश करते हुए कहा l
“ये दरवाजा अब कल सुबह ही खुलेगा जब तुम्हारे गार्ड अंकल आएंगे ! यहाँ नेटवर्क भी नही है किसी को मदद के लिए बुलाये भी तो कैसे ?”,मुरारी ने नीचे दरवाजे के एक तरफ जमींन पर बैठते हुए कहा l


“तो क्या मुझे आई मीन हमे यहाँ रहना पड़ेगा “,अनु ने डरते डरते कहा और दरवाजे के दूसरी और बैठ गयी l
“हां !”,मुरारी ने कहां और एक बार फिर फोन देखने लगा पर नेटवर्क नही था l
“बड़ी स्मार्ट बनती थी ना और दिखा स्मार्टनेस , फस गयी ना अब बिता रात इस चिरकुट और यहाँ के मोटे मोटे मच्छरों के साथ , हे राम अब मैं क्या करूँ”,अनु ने मन ही मन कहा l


मुरारी जानता था हो ना हो ये शरारत भी अनु की ही थी पर वो ऐसा कयु करेगी ये नही पता लगा पा रहा था l अनु को परेशान देखकर मुरारी ने उसे डराने के लिए गाना गाना शुरू कर दिया,”हम तुम इक कमरे में बंद हो , और चाबी खो जाए”

कहते हुए मुरारी ने बड़े प्यार से अनु की और देखा l आज मुरारी की आंखो में अनु को कुछ और ही नजर आ रहा था l कही मुरारी उसके अकेले होने का फायदा तो नही उठाएगा ना सोचकर अनु का मन अंदर ही अंदर घबरा रहा था पर उसने उसे अपने चेहरे पर नही आने दिया और मुरारी से कहा,”ज्यादा स्मार्ट मत बनो तुम , और ये गाने गाना बन्द करो देखो मुझे बॉक्सिंग आती है मेरे पास आने की सोचना भी मत l यहाँ से बाहर आवाज नहीं जाती तो क्या हुआ ? मैं डरती नही हु तुमसे”

“सोचे थे आधी पागल है पर लगता है ऊपर का माला पूरा ही खाली है”,मुरारी ने मन ही मन कहा और सर दिवार से लगाकर दूसरी और देखने लगा l अनु ने राहत की साँस ली और जैसे ही अपनी दांयी और देखा एक मोटा सा कॉकरोच उसी की और आ रहां था l अनु चिल्लाई और आकार सीधा मुरारी की गोद में आ गिरी और उसके सीने में छिपके चिल्लाने लगी l मुरारी ने अपने हाथ उठा दिए लगा जैसे उसका दिल बाहर आ गिरेगा l


उधर सारिका शिवम् को लेकर मरीन ड्राइव से कुछ ही दूर एक बड़ी सी बिल्डिंग में लेकर आई 5th फ्लोर पर आकर सारिका ने अपने हाथ की और इशारा करके शिवम् से कहा,”आपके लिए !!
शिवम् ने देखा तो उसकी आँखे चमक उठी और उसने कहा,”मैडम जी आज आपने हमे हमारा बनारस लौटा दिया !” शिवम् को खुश देखकर सारिका मुस्कुराती हुई उसे देखती रही और शिवम् अपने उस छोटे से बनारस को !!

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संजना किरोड़ीवाल

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