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रांझणा – 31

Ranjhana – 31

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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Ranjhana – 31

मणिकर्णिका घाट की सीढ़ियों पर घायल पड़ा शिवम् भीगी आँखों से पानी में डूबते सारिका की डायरी के पन्नो को देख रहा था ! ये कैसी किस्मत थी उसकी ? ये कैसा न्याय था महादेव का उसके साथ जो चाहकर भी शिवम् अपनी मोहब्बत से मिल नहीं पा रहा था ! मुरारी ने देखा तो शिवम् के पास आया और शिवम् को सम्हाला ! शिवम् के मुंह और नाक से खून निकल रहा था l मुरारी ने गले से गमछा निकाला और शिवम् का मुंह साफ किया , अपनी हथेलियों को आपस में जोड़कर उसमे पानी भरा और शिवम् को पिलाया !

मुरारी ने सीढ़ी का सहारा देकर शिवम् को बैठाया और अपन गमछे को पानी में भिगोकर शिवम् का चेहरा पोछते हुए कहां,”इह प्रताप को तो न हम छोड़ेंगे नाही , गलत पन्गा ले लिया इसने”
मुरारी का गुस्सा उसकी बातो से साफ साफ झलक रहा था ! शिवम् को पीटने का दर्द नहीं बल्कि डायरी के ख़त्म हो जाने का दर्द सबसे ज्यादा था ! उसने भीगी आँखों से मुरारी की और देखकर कहा,”देख ना मुरारी उसने क्या किया ?


“भाई टेंशन नाही ल्यो , डायरी के चंद पन्नो से सारिका जी का अतीत जानना जरुरी नहीं , वो कितनी अच्छी है ये हम जानते है आप जानते , इह बनारस जानता है फिर काहे परेशान हो रहे है !! पहले से ही आप दोनों की जिंदगी में इतने दर्द और तकलीफे है शायद महादेव चाहते ही नहीं थे की आप उह डायरी पढ़े और सारिका जी का दर्द जाने !!”,मुरारी ने शिवम् को दिलासा देते हुए कहा !!
“वो बात नहीं है मुरारी , वो उनकी तरफ से हमारे जन्मदिन का तोहफा था लेकिन उन लोगो ने सब बर्बाद कर दिया”,शिवम् की आँखों से आंसू छलक उठे !


“चिंता ना करो भैया तुमरे जन्मदिन का तुमको इस से भी बढ़िया तोहफा देंगे !’,मुरारी ने शिवम् का हाथ अपने हाथो में लेकर कहा ! उसने सहारा देकर शिवम् को उठाया और घाट से बाहर ले आया , शिवम् को जीप में बैठाकर मुरारी ने जीप क्लिनिक की और मोड़ दी ! क्लिनिक के बाहर जीप रोक के मुरारी शिवम् को अंदर लेकर आया और वहा पड़ी बेंच पर बैठाते हुए कहा,”तुम रुको हम डाक्टर को बुला के लाते है ! “


मुरारी अंदर केबिन में गया डॉक्टर वहा नहीं था , वार्ड बॉय केबिन की सफाई में लगा था मुरारी ने उसे आवाज दी उसने बिना मुरारी की और देखे कहां,”डॉक्टर साहब राउंड पर है , बाहर बैठो टाइम लगेगा”


लड़के की बात मुरारी को खल गयी वह लड़के के पास आया और प्यार से कहा,”देखो पहले से हमरा दिमाग बहुते गर्म है , तुम और आग ना लगाओ जाकर डाक्टर को बुलाओ !”
“अरे अजीब बदतमीजी है , हो कौन तुम ?”,लड़के ने तनते हुए कहा !
“बनारस में नए हो ?”,मुरारी ने अकड़कर कहा
“जी भैया दो दिन पहले ही नौकरी लगी है हमरी”,लड़के ने थोड़ा नरम भाव से कहा
“तो फिर बताओ डाक्टर कहा है ?”,मुरारी ने भी थोड़ा नरम होकर कहा


“अरे अभी तो बताये तुमको की राउंड पर गए है , तुमरे भेजे में कोनो बात नहीं घुसती”,लड़के ने फिर झुंझलाकर कहा
“सटाक !!”,एक थप्पड़ सीधा लड़के के गाल पर और मुरारी ने कहा,”हमरा थप्पड़ सीधा भेजे में घुसता है , अबे चुपचाप से ये बताओ डाक्टर कहा है वरना ऐसा धोयेंगे ना तुमको बंद कमरे में बेटा धोने लायक नहीं रहोगे”
लड़के ने बालकनी की तरफ इशारा कर दिया ! मुरारी ने लड़के का कॉलर सही किया और होंठ पर आया खून पोछकर कहा,”आगे से अकड़ ना दिखाना हमरे सामने , का समझे ?” बोलकर मुरारी बालकनी की और बढ़ गया

जहा डॉक्टर बैठकर सिगरेट पि रहा था l मुरारी डॉक्टर की और लपका और उसका कॉलर पकड़कर उठाते हुए कहा,”साला डाक्टर होके सिगरेट फुक रहे मरीजों का क्या इलाज करि हो ?”
“अरे अरे मुरारी तुम यहाँ ? कहो कैसे आना हुआ ?”,डॉक्टर ने मुरारी को देखकर सिगरेट फूंकते हुए कहा
“बाहर चलके देखी हो तभी तो पता चले , अब चलो”,कहकर मुरारी खींचते हुए उसे बालकनी से केबिन में ले आया ! लड़के ने देखा मुरारी के सामने डॉक्टर साहब भीगी बिल्ली बने हुए है तो उसे समझते देर नही लगी ,

मुरारी ने जैसे ही उसकी तरफ देखा तो लड़के ने झट से अपना गाल पर रख लिया ! मुरारी डॉक्टर के साथ केबिन से निकलकर बाहर आया डॉक्टर ने शिवम् को देखा और उसे लेकर अंदर आया l उन्होंने शिवम् की ड्रेसिंग की और फिर कुछ दवाईया लिखकर दे दी !
“ये मुरारी ये दवा सुबह शाम , दो दिन में ठीक हो जायेंगे ये”,डॉक्टर ने मुरारी को स्लिप पकड़ाते हुये कहा
मुरारी शिवम् के साथ वहा से बाहर आ गया , स्टोर से दवा ली और शिवम् के साथ आकर जीप में बैठ गया !

जीप स्टार्ट कर मुरारी ने अपने घर की तरफ बढ़ा दी l शिवम् ने पूछा तो उसने बताया,”अब ऐसी हालत में घर जाओगे तो आई बाबा परेशान होंगे , मुझे गालिया पड़ेगी सो अलग इसलिए आज चाचा के घर चलते है ,, रात भर रुकना सुबह वापस घर !!”
“हम्म्म ठीक है”,कहके शिवम् ने आँखे मूंदकर सर सीट से लगा दिया दर्द का अहसास अब हो रहा था पर उस से भी ज्यादा दर्द उस डायरी को खो देंने का था ! घर आकर मुरारी शिवम् को अपने कमरे में ले आया उसे आराम से बैठाया और नौकर से कहकर शिवम् के लिए खाना लगाने को कहा !

आज मुरारी ने शिवम् को अपने हाथो से खाना खिलाया ! शिवम् खुश था की उसके पास मुरारी जैसा दोस्त था लेकिन अपने मुरारी के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था l शिवम् को खाना खिलाकर वह उठा और कहा,”भैया तुम ना आराम करो , हम अभी आते है एक्को जरुरी काम निपटा के”
“इतनी रात को कोनसा जरुरी काम आ गया मुरारी”,शिवम् ने घडी की और देखकर कहा जो रात के 8 बजा रही थी !


“बताया ना है कछु जरुरी काम , हम अभी आते है और हां आराम करना ज्यादा ना सोचना”,कहते हुए मुरारी वहा से निकल गया ! शिवम् लेट गया और सारिका के बारे में सोचने लगा , अब तो बस उसे जल्द से जल्द मुंबई पहुंचना था !!

मुरारी कमरे से बाहर आया उसने अपने आदमी से शिवम् का ख्याल रखने को कहा और खुद जीप लेकर घर से निकल गया ! आँखों में गुस्सा उतर आया कुछ देर बाद वह प्रताप के अड्डे पर पहुंचा जहा प्रताप और उसके 5-7 आदमी बैठकर शराब पि रहे थे ! मुरारी जीप से उतरा और उनकी तरफ बढ़ गया ! मुरारी को वहा देखते ही प्रताप के एक आदमी ने हसंते हुए कहा,”प्रताप भैया देखो तो कौन आया है ?”
प्रताप ने देखा सामने मुरारी खड़ा है तो उसने मजाक उड़ाते हुए कहा,”यहाँ क्या मरने आया है ? शिवा को मारे वो काफी नहीं है जो अब तुम भी चले आये”


“भैया पर हाथ उठाकर अच्छा नहीं किये तुम”,मुरारी ने बिना प्रताप की और देखे शर्ट की बाजु चढ़ाते हुए सहजता से कहा !
“अच्छा ! डरा रहा है हमको , ए मनिया दरवाजा बंद कर रे आज इसको भी मजा चखाते है”,प्रताप ने सामने बैठे बैठे कहा


प्रताप का एक आदमी जिसका नाम मनिया था गया और दरवाजा बंद करके वापस आ गया ! मुरारी अकेला था और उसके सामने थे प्रताप के आदमी जिन्होंने अच्छी खासी बॉडी बनाई हुई थी और एक एक करके मुरारी को दिखा रहे थे

मुरारी ने एक नजर सबको देखा और कहा,”प्रताप तेरा पीटना तो आज पक्का है , पर तुमरे चक्कर में तुमरे ये चूजे भी पिटे जायेंगे”
मुरारी ने जैसे ही कहा सामने से हट्टा कट्टा आदमी आया उसने जैसे ही मुरारी को मारने के लिए हाथ उठाया मुरारी ने पुरे जोर के साथ उलटे हाथ से एक थप्पड़ उसके गाल पर दे मारा !

आदमी एक थप्पड़ में जमीं पर गिरा धूल चाटने लगा ! प्रताप ने देखा तो उठ खड़ा हुआ ! और अपने दो आदमियों को जाने का इशारा किया दो जने फिर आये उन्हें भी मुरारी ने एक एक थप्पड़ में निचे गिरा दिया !

तीनो आदमी निचे जमीन पर पड़े थे मुरारी निचे बैठा और उनसे कहा,”खा खा के इतनी बॉडी बना ली कंटाप मारना नहीं सीखे हो !”
तीनो ने ना में गर्दन हिला दी और मुंह के बल गिर पड़े ! मुरारी ने कहा,”तभी तो , बेटा का है ना बॉडी बनाने से कुछ नहीं होता जिगरा भी चाहिए !! अब पडे रहे हो छुट्टे सांड की तरह”
प्रताप का चेहरा गुस्से से लाल हो गया उसने बाकि आदमियों से जाने को कहा बाकि बचे तीन ने अपनी सेफ्टी के लिए पहले ही हॉकी , रॉड उठा लिया था !

जैसे ही वो लोग मुरारी के पास आये मुरारी ने साइड में पड़े पत्थरो में से तीन पत्थर उठाया और एक एक करके तीनो को मारा , किसी के आँख में लगा किसी के सर और आखरी वाले के तो जाकर सीधा गर्दन पर लगा तीनो गिर पड़े और अपनी जान बचाने के लिए भाग खड़े हुए अब बचा प्रताप और उसका एक आदमी जो पहले से ही मरगिल्ला सा दिखाई पड़ रहा था ये वही था जिसने कुछ देर पहले दरवाजा बंद किया था !

मुरारी प्रताप के पास आया और उसके बाद उसे इतना मारा जितना प्रताप ने शिवम् को भी नहीं मारा था ! प्रताप के साथ साथ उसके आदमी जमीं पर पड़े दर्द से कराह रहे थे ! मुरारी आया और आकर प्रताप वाली कुर्सी पर बैठ गया ! आखरी बचा आदमी चुपचाप जैसे ही खिसकने वाला था मुरारी ने कहा,”मनिया ………………………..!!
“हां भैया……………….!!”,मनिया जाते जाते रुक गया और डरते डरते कहा
“जरा इधर तो आ….!!”,मुरारी ने कहा


“उधर आऊंगा तो तुम मरोगे भैया”,मनिया ने अपना डर जाहिर करते हुए कहा
“नहीं आएगा तो भी मारूंगा”,मुरारी ने टेबल पर पांव पसारते हुए कहा और सामने पड़ी शराब की बोतल उठाकर पिने लगा


मनिया डरते डरते मुरारी के पास आया और चुपचाप खड़े खड़े उसे पिता हुआ देखता रहा ! आधी पिने के बाद उसने मनिया से कहा,”इतनी घटिया शराब कैसे पि लेते हो बे तुम लोग ?”
“भैया सोडा मिलाकर पि लेते है”,मनिया ने मसुमियत से कहा !


“साला गुंडों वाली कोई क्वालिटी ही नहीं ना है तुम लोगो में , क्या गुंडे बनोगे रे तुम ? ये सब के सब एक कंटाप में निचे पड़े है ,, कंटाप जानते हो उलटे हाथ का फटका कहते है जिसे !!”,मुरारी ने कहा
“भैया तुमको चढ़ गयी है”,मनिया ने असमझ की स्तिथि में कहा
“चढ़ के कोनसा हमने तुम्हारी बहन छेड़ दी बे ? अब सुन हम जा रहे अपने भैया के पास का है न उनका जन्मदिन है तो लेट होना नहीं मांगता ! तू इन सब नल्लो को उठा और क्लिनिक छोड़ के आ ,, का समझे ?”,मुरारी ने उठते हुए कहा


“भैया पहले तुम ही इनको मारे अब तुम्हे इनको हॉस्पिटल छोड़ के आने को कह रहे ,, हमको कुछ समझ नहीं आया ?”,मनिया ने कहा
मुरारी उसके सामने आया और कहा,”भाई का बड्डे है ना तो रिटर्न गिफ्ट दे रहा हु इनको , वरना गंगा में बहा देता !! और तुम ज्यादा ज्ञान ना पेलो काम पर लग जाओ ,, चलते है हर हर महादेव !

मुरारी वहा से चला गया पर जाते जाते मनिया को हीरो वाली फीलिंग दे गया !!

मुरारी ने जीप स्टार्ट की और वापस घर की और मोड़ दी ! अब उसका कलेजा ठंडा था उसने रास्ते में शिवम् के लिए केक खरीदा और कुछ शराब की बोतले आज प्रोग्राम लंबा चलने वाला था !! रात का समय था और ठंडी हवा चल रही थी मुरारी ने म्यूजिक चला दिया ! गाना बजने लगा
“दुनिया हसीनो का मेला , मेले में ये दिल अकेला
इक दोस्त ढूंढ़ता हु मैं दोस्ती के लिए !!”


गाने को सुनकर मुरारी के चेहरे पर स्माइल आ गयी और उसने खुद से कहा,”का हमरे लिए भी कोई लड़की बनी होगी ?”
मुरारी घर आया उसने नौकर से केक और बोतले अंदर लाने को कहा और शिवम के पास आया शिवम् जाग रहा था मुरारी को देखते ही कहा,”पिट आये उसे !!”
“तुमको कैसे पता ?”,मुरारी ने उसकी बगल में बैठते हुए हैरानी से पूछा
“तुमरी रग रग से वाकिफ है , समझे ! का जरूरत थी वहा अकेले जाने की तुमको कुछ हो जाता तो ?”,शिवम् ने डांट लगाते हुए कहा !!


“अरे जब तक तुम हो न हमको कुछ नहीं होना , वैसे तुमको कोई हाथ लगाए और हम चुप रहे इह न तो कभी हुआ है नाही कभी होने देंगे ! तुमरे लिए केक लाये है चलो काटते है”,कहकर मुरारी ने सामने पड़ा केक उठाया और शिवम् के सामने लाकर रख दिया !! शिवम् ने केक काटा और मुरारी को खिलाया फिर रात भर दोनों बाते करते हुए बोतले खाली करते रहे ! मुरारी की एक खासियत थी की उसे शराब कभी चढ़ती नहीं थी ! शिवम् बाते करते करते मुरारी की गोद में सर रखकर सो गया !!

मुंबई शहर -:
सारिका रात देर से सोइ लेकिन सुबह 5 बजे उठ गयी और मॉर्निंग वाक के लिए निकल गयी ! समंदर किनारे आकर सुबह का सूरज देखना उसे बहुत पसंद था ! वाक के बाद घर आकर उसने सबसे पहले रश्मि को अपने आने की खबर दी और फिर मीना को फोन लगाया ! चूँकि आज संडे था इसलिए सारिका ने घर पर ही रुकने का प्लान बनाया ! सबसे पहले वह नहाकर आई और फिर अपने लिए नाश्ता बनाने का सोचा पर समस्या ये थी की उसे बनाना कुछ नहीं आता था ! अब सारिका के पास मीना का इन्तजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था !

सारिका घर से बाहर बरामदे में आ गई जहा बहुत से गमले लगे थे जिनमे लगे पौधे लगभग सूखने लगे थे ! सारिका ने पाइप उठाया और पौधो में पानी देने लगी ! पानी देने से सभी पौधे खिल उठे थे सारिका को बहुत अच्छा लग रहा था ! उसने निचे बगीचे में लगे पौधो में भी पानी दिया , ये काम अक्सर मिना या ड्राइवर काका किया करते थे पर आज सारिका कर रही थी !! बनारस से आने के बाद सारिका बदल चुकी थी ! जिन कामो को सारिका कभी हाथ भी नहीं लगाती थी आज वही काम करने में उसे मजा आ रहा था !!

पोधो में पानी देकर वह अंदर आई अपने कमरे में आज अपने कमरे की सफाई भी उसने खुद ही की !! कुछ ही देर बाद मीना आ गयी सारिका मीना से नाश्ता बनाने का कहकर रॉ में लगी अपनी किताबे ज़माने में लगी ! किताबे जमाते हुए वह धीरे धीरे कुछ गुनगुनाती भी जा रही थी ! मीना किचन की खिड़की से बार बार झांककर सारिका को देख रही थी ! ये वो सारिका थी ही नहीं जिसके यहाँ मीना आती थी ! मीना सारिका के लिए पोहा और कॉफी ले आई और टेबल पर रखते हुए कहा,”दीदी तुम बुरा नहीं मानो तो एक्को बात पूछे ?” “हां मीना पूछिए ना”,सारिका ने ख़ुशी ख़ुशी अपने हाथ धोते हुए कहा


“तुमरी तबियत तो ठीक है ना , वो का है न तुम आज कुछ अलगे हि दिखाई पड़ रही हो”,मीना ने पूछा
सारिका मुस्कुरा दी और कहा,”क्या अलग दिखा आपको बताओ ? हम तो वैसे ही कही से नहीं बदले “
“नहीं दीदी तुमरी आँखों में न आज अलग ही चमक है , और ऐसी चमक तब हे होती है जब कोनो प्यार में होता है”,मीना ने गंभीरता से कहा !


मीना की बात सुनकर सारिका खामोश हो गयी प्यार तो उसे हो गया था वो भी बनारस से और कुछ कुछ वहा के लोगो से भी ! सारिका को खोया हुआ देखकर मीना ने कहा,”ये लो दीदी तुम कहा खो गयी अब , नाश्ता ठंडा होये जा रहा है”
सारिका मुस्कुराकर कुर्सी पर आ बैठी तभी बाहर से आते रश्मि ने कहा,”अरे मीना दी क्या बनाया है नाश्ते में , बड़ी खुशबू आ रही है”
“रुको दीदी हम तुमरे लिए भी लेकर आते है”,कहकर मीना किचन की तरफ बढ़ गई !


रश्मि ने पीछे से सारिका को हग करते हुए कहा,”वेलकम बेक बेबी , मैंने तुम्हे बहुत मिस किया !! “
“मैंने भी , अंकल आंटी कैसे है ?”,सारिका ने रश्मि का हाथ पकड़कर उसे अपने पास बैठाते हुए कहा !
“कैसी नालायक दोस्त हैं ना तू ? दोस्त सामने बैठी है उसके बारे में कोई खबर ना लेकर मम्मी पापा के बारे में पूछ रही है”,रश्मि ने रूठते हुए कहा
“तुम्हारी खबर तो हम ले ही लेंगे , जाने के बाद मुश्किल से एक बार फोन किया होगा तुमने मुझे”,सारिका ने रश्मि के कान खींचते हुए कहा


“अच्छा बच्चू तुमने तो जैसे आई मिस यू वाले मेसेजेस की लाइन लगा दी थी मेरे लिए”, रश्मि ने आँखे दिखाते हुए कहा और फिर दोनों खिलखिलाकर हंस पड़ी ! मीना रश्मि के लिए भी नाश्ता ले आई l रश्मि ने सारिका से कुछ बोलने के लिए जैसे ही मुंह खोला सारिका ने कहा,”पहले चुप करके नाश्ता करो बाकि बाते बाद में”
“ठीक है मैडम जी आते ही तुमने अपनी हिटलर गिरि दिखानी शुरू कर दी”,रश्मि ने मुंह बनाकर कहा सारिका मुस्कुरा दी और फिर दोनों नाश्ता करने लगी ! मीना दोनों को अकेले छोड़कर घर के बाकि कामो में लग गयी !

नाश्ता करने के बाद सारिका और रश्मि दोनों सारिका के कमरे में चली आई ! रश्मि आकर पैर पसारकर बेड पर बैठ गयी और कहने लगी,”बाकि बातें बाद में पहले तू मुझे ये बता तू बनारस गयी थी न उस लड़के को ढूंढने , वो लड़का मिला ! अब तो बड़ा हो गया होगा कैसा दीखता है ? तुने उसे बता तो दिया न की न उसे कितना चाहती है ? वो तो तुझे देखकर खुशी से पागल ही हो गए होगा ,, इतने दिन बनारस में रही वो भी उसके साथ हाऊ रोमांटिक !! अरे तू चुप क्यों है ? बता न ? “


रश्मि की बात सुनकर सारिका का चेहरा उदासी से घिर गया उसकी आँखों में आंसू भर आये जो किसी भी वक्त अपनी सीमा तोडकर बाहर आ सकते थे ! रश्मि ने देखा तो सारिका को अपने सामने बैठाकर उसका चेहरा अपने हाथो में लेकर कहा,”क्या हुआ सारिका ? सब , सब ठीक तो है न !!”
अब तक जो आंसू आँखों में रुके हुए थे बहकर गालो पर आ गए रश्मि ने उसके आंसू पोछते हुए कहा,”ऐ मेरा बच्चा ये सब क्या है ? चल बता मुझे क्या हुआ ?”


सारिका ने अपने आंसू पोछे और रश्मि को सारी कहानी सूना दी ! सारिका की कहानी सुनकर रश्मि को भी बहुत दुःख हुआ पर साथ ही साथ उसे सारिका के रांझणा पर गुस्सा भी बहुत आ रहा था उसने गुस्से से कहा,”सारिका ये लड़के ना सब एक जैसे ही होते है , वो भला इतने साल तुम्हारा इंतजार क्यों करता ? पर तूम उदास मत हो यार प्लीज़ “


सारिका लेट गयी उसने अपना सर रश्मि की गोद में टिका लिया और कहने लगी,”रश्मि ऐसा क्यों होता है ? जिस इंसान को हम सबसे ज्यादा चाहते है वो ही हमसे दूर चली जाती है , बचपन में माँ को बहुत प्यार करते थे पर वो हमे छोड़कर चली गयी , उसके बाद पापा वो भी हमसे दूर होने लगे फॉर्मेलिटी के लिए बस उनसे बात हो जाती है ! इनके अलावा पहली बार किसी को चाहा था और देखो किस्मत ने हमसे वो भी छीन लिया !! (आँखों में आंसू भर आते है)”


“सारिका हो सकता है तुम्हारी किस्मत में इस से अच्छा लिखा हो उसका ना मिलना हो सकता है कोई और तुम्हे अपनी दुआओ में मांग रहा हो “,रश्मि ने उसके बालो में उंगलिया फिराते हुए कहा !!


“एक बार उन्हें देख लेते तो जिंदगी में ये मलाल नहीं रहता”,सारिका ने खोये हु स्वर में कहा
“अच्छा हुआ नहीं देखा , वरना जिंदगीभर वो चेहरा तुम्हारी आँखों में रहता और तुम उसे न कभी भूल नहीं पाती ,, अब तुम्हे भी अपनी जिंदगी मे आगे बढ़ जाना चाहिए”,रश्मि ने कहा
दोनों बात कर ही रही थी तभी सारिका का फोन बजा जो रश्मि के पास ही टेबल पर रखा हुआ था l रश्मि ने देखा स्क्रीन पर अमित के नाम से फोन आ रहा है !

उसने फोन सारिका की और बढ़ा दिया अमित का फोन देखते ही सारिका उलझन में पड़ गयी फोन उठाये की नहीं ! इसी उलझन में फोन कट गया l सारिका ने राहत की साँस ली लेकिन अगले ही पल फोन फिर बज उठा सारिका ने फोन उठा लेने में ही अपनी भलाई समझी ! वह बाहर बालकनी में आ गयी और अमित से बात करके जैसे ही वापस आई रश्मि कमर पर हाथ रखे , भोंहे चढ़ाये उसी की और देख रही थी सारिका ने जब देखा तो सर उचकाकर पूछा !
“ये अमित कौन है ?”,रश्मि ने पूछा


“पापा ने हमारे लिए लड़का देखा है , न्यूयॉर्क रिटर्न है माँ बाप दिल्ली में रहते है ! पापा के दोस्त का बेटा है . अगले महीने इंदौर में हमारी उनसे सगाई होने वाली है”,सारिका ने बिना किसी भाव के कहा !
“व्हाट ? कमीनी ये तू मुझे अब बता रही है ,, कॉन्ग्रैचुलेशन यार…………आई ऍम सो हैप्पी फॉर यू”,रश्मि ने सारिका को गले लगाते हुए कहा l
सारिका ने कुछ नहीं कहा बस खामोशी से रश्मि के गले लगी रही इस वक्त उसकी हालत किसी कपडे से बनी गुड़िया से कम नहीं थी जो बस ख़ामोशी से सब देख रही थी !

सारिका को चुप देखकर रश्मि ने उस से दूर होकर कहा,”ऐसे चुप होने से काम नहीं चलेगा मैडम”
“अच्छा बताओ क्या चाहिए ?”,सारिका ने रश्मि का दिल रखने के लिए जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा !
“एक ग्रेट ग्रेंड पार्टी जिसमे तुम और मैं होंगे बस और कोई नहीं”,रश्मि ने एक्साइटेड होकर कहा
“अच्छा बाबा ठीक है , कब चाहिए बता देना ?”,सारिका ने कबर्ड खोलते हुए कहा
“कब क्या ? आज और अभी चाहिए “,रश्मि ने कबर्ड का दरवाजा वापस बंद करते हुए कहा


“आज ?”,सारिका ने कहा
“हां आज , देखो आज संडे भी है मतलब तुम्हे ऑफिस नहीं जाना और आज थियेटर में नई मूवी भी लगी है , चलकर वो देखेंगे उसके बाद पिज़्ज़ा हट उसके बाद शॉपिंग , प्लीज़ प्लीज़ प्लीज़”,रश्मि ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा !
“अच्छा ठीक है पर शाम को अभी तो 10 बजे है इतनी जल्दी बाहर जाकर क्या करेंगे”,सारिका ने बिस्तर पर बैठते हुए कहा
“हां तो मेरी जान मैं भी शाम को जाने के लिए ही बोल रही हु , तब तक तुम मुझे बाकि की कहानी सुना दो”,रश्मि ने सारिका की गोद में अपना सर रखते हुए कहा !!


“कोनसी कहानी ?”,सारिका सारिका हैरानी से उसकी आँखों में देखते हुए कहा !
“मैडम जी पूरा एक हफ्ता रहकर आई हो बनारस में कोई ना कोई कहानी तो जरूर बनी होगी , वहा क्या क्या देखा ? , कहा रही ? सब जानना है मुझे अब तुम डिसाइड कर लो तुम्हे कहा से शुरुआत करनी है”,रश्मि ने कहा
सारिका ने मन ही मन सोचा बिना बताये ये पीछा छोड़ेगी नहीं और झूठ उस से बोला नहीं जाएगा ! सारिका ने बनारस के सफर के बारे में बताना शुरू किया ! रश्मि इत्मीनान से सुनने लगी l

सारिका ने बनारस की खूबसूरती के बारे में बताया , वहा के मंदिरो के बारे मे बताया , वहा के घाटों के बारे में बताया , आई की कद्दू वाली कहानी , आई के प्यार के बारे बताया , बाबा की मिठाईयों के बारे में बताया , राधिका की मासूमियत के बारे में और सबसे ज्यादा मुरारी की उटपटांग बातो के बारे में जिन्हे सुनते हुए रश्मि का हस हस कर बुरा हाल था ! सारिका ने शिवम् के बारे में बहुत कम बताया पहली बार सारिका रश्मि से कुछ छुपा रही थी !

शिवम् के बारे में ज्यादा बताकर वह अपनी भावनाये जाहिर करना नहीं चाहती थी इसलिए उसने रश्मि को ज्यादा कुछ नहीं बताकर इतना ही बताया की शिवम् राधिका का बड़ा भाई है ! पर रश्मि को शिवम् के बारे में सुनने में ज्यादा इंट्रेस्ट भी नहीं था उसे तो मुरारी के किस्से सुन सुन कर ही मजा आ रहा था !! वह हसते हसते उठकर बैठ गयी और सारिका से कहा

“यार ये मुरारी तो बहुत ही इंट्रेस्टिंग कैरेक्टर है यार ! इस से तो मिलना पड़ेगा बाय गॉड , जिसकी बाते इतनी मजेदार है वो खुद कितना मजेदार होगा ,, सीरियसली फैन हो गयी हु मैं तो इस बन्दे की …………………….. !!! “

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Continue With Part Ranjhana – 32

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संजना किरोड़ीवाल

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