मनमर्जियाँ – 93
Manmarjiyan – 93
मनमर्जियाँ – 93
गोलू के फोन पर उसके पिताजी का फोन आया तो वह थोड़ा डर गया। उसने तुरंत अपनी स्कूटी स्टार्ट की और घर की तरफ चल पड़ा। जैसे गुड्डू के पिताजी सख्त थे वैसे ही गोलू के पिताजी भी अपने आप में बवाल थे। गोलू उनका इकलौता लड़का था लेकिन गुप्ता जी हमेशा उसे डांटने पीटने में रहते थे। गोलू के पिताजी का नाम था गजेंद्र गुप्ता लेकिन मोहल्ले में उन्हें सब गज्जू बुलाते है। गोलू हमेशा इसी कोशिश में रहता की वक्त बेवक्त बस उनसे सामना ना हो , आज सुबह भी वह उनसे बचकर ही निकला था लेकिन उन्होंने फोन करके बुला लिया। गोलू जल्दी से घर पहुंचा गुप्ता जी दरवाजे पर ही खड़े थे गोलू को देखते ही उन्होंने उसे धर लिया और लेकर अंदर चले आये। अंदर आकर गोलू ने देखा उसके पिताजी की उम्र का आदमी वहा बैठा चाय नाश्ता कर रहा है। गोलू ने पहले उस आदमी को देखा और फिर अपने पिताजी को देखा तो उन्होंने गोलू को आगे धकियाते हुए कहा,”हमे का देख रहे हो नमस्ते करो”
“जी नमस्ते”,गोलू ने हड़बड़ी में दोनों हाथ जोड़कर कहा
“नमस्ते , तुम्हारे पिताजी ने बताया की तुम साइट पर गए हो क्या करते हो ?”,आदमी ने गोलू से पूछा
“शादियों में टेंट लगाता है”,गोलू के पिताजी ने कहा तो गोलू ने उनकी और देखा और दाँत पिसते हुए कहा,”वेडिंग प्लानर है हम”
“हां हां वही प्लानिंग करते है जी”,गोलू के पापा ने एक बार फिर खींसे निपोरते हुए कहा तो आदमी हसने लगा और कहा,”वेडिंग प्लानर तो अच्छा काम है गुप्ता जी”
“हमे इति काहे जल्दी में काहे बुलाया आपने ?”,गोलू ने कहा
“कुछ नहीं बेटा बस आपको देखना था देख लिया”,आदमी ने कहा
“तो फिर हम जाते है आज शाम का फंक्शन है उसकी तैयारी करनी है”,कहते हुए गोलू ने टेबल पर रखा समोसा उठाया और खाते हुए बाहर निकल गया।
“लड़का तो हमे पसंद आ गया गुप्ता जी अब वक्त निकालकर आप आ जाईये लड़की देखने”,आदमी ने उठते हुए कहा
“अरे हां बिल्कुल एक बार गोलू थोड़ा फ्री हो जाये उसके बाद सपरिवार आते है आपके घर”,गुप्ता जी ने आदमी से हाथ मिलाते हुए कहा। बेचारे गोलू को तो इस बात की खबर तक नहीं थी की उसकी जिंदगी में कितना बड़ा तूफान आने वाला है। खैर गोलू फंक्शन वाली जगह पहुंचा , गुड्डू वहा पहले से मौजूद था गोलू को देखते ही वह उसके पास आया और कहा,”का यार गोलू कबसे इंतजार कर रहे तुम्हरा फोन भी नहीं लग रहा ऊपर से फंक्शन की लिस्ट भी तुम्हाये पास है , लाओ दो”
“अरे भैया आ ही रहे थे की पिताजी ने वापस बुला लिया किसी काम से , चलो काम देखते है”,गोलू ने कहा और गुड्डू को अपने साथ लेकर आगे बढ़ गया
बनारस , उत्तर-प्रदेश
शगुन अपने पापा और प्रीति के साथ बैठकर नाश्ता कर रही थी। गुड्डू के बिना उसे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन उसने उस फीलिंग को अपने चेहरे पर नहीं आने दिया। तीनो बातें करते हुए नाश्ता कर ही रहे थे की तभी वहा से पारस गुजरा उसे देखकर गुप्ता जी ने कहा,”अरे पारस आओ तुम भी नाश्ता कर लो”
पारस ने सूना तो उसकी नजर सामने बैठी प्रीति पर गयी जिसने अपने हाथ में चाकू पकड़ा हुआ था और वह पारस को नाश्ता ना करने के लिए इशारो इशारो में मना कर रही थी। पारस समझ गया की प्रीति नहीं चाहती वह उन लोगो के साथ बैठे उसने कहा,”नहीं अंकल आज मेरा फ़ास्ट है आप लोग खाइये , मैं चलता हूँ”
“ठीक है बेटा”,गुप्ता जी ने कहा तो पारस वहा से चला गया। प्रीति ने नाश्ता किया और वो भी अपनी क्लास के लिए चली गयी। नाश्ता करने के बाद शगुन जूते बर्तन उठाने लगी तभी वहा विनोद और चाची आये उन्हें देखते ही शगुन ने कहा,”आओ चाची नाश्ता कर लो”
“बस बस ज्यादा प्यार दिखाने की जरूरत नहीं है”,चाची ने मुंह बनाते हुए कहा
“ये बच्ची से किस तरह पेश आ रही हो तुम ?”,गुप्ता जी ने अपनी कुर्सी से उठते हुए कहा
“हम लोग यहाँ आप लोगो से बहस करने नहीं आये है”,चाची ने गुप्ता जी से साफ शब्दों में कहा तो उन्होंने हैरानी से अपने छोटे भाई की तरफ देखा तो विनोद ने
अपने हाथ में पकडे कागजो को गुप्ता जी की और बढाकर कहा,”ये जायदाद के पेपर है भैया जो पिताजी हम दोनों भाइयो के नाम करके गए थे , आपके हिस्से में मणिकर्णिका घाट वाली जमीन आयी थी और मेरे हिस्से में ये घर ,, आपने अपने हिस्से की जमीन बेच दी और यहाँ रहने लगे लेकिन अब मैं अपने हिस्से की जगह वापस चाहता हूँ”
गुप्ता जी ने सूना तो उन्हें एक झटका सा लगा। शगुन भी परेशान हो गयी और आकर कहा,”ये आप क्या कह रहे है चाचाजी ? हमेशा से हम लोग इसी घर में रहते आये है , आप ये घर खाली करवा लेंगे तो पापा और प्रीति कहा जायेंगे ?”
“वो सब हमे नहीं पता , अमन की पढाई के लिए उसे विदेश भेजना है और उसके लिए पैसे तो लगेंगे ही इसलिए ये घर बेच देंगे”,चाची ने कहा
“ऐसे कैसे आप लोग इस घर को बेच देंगे ? और पापा ने वो जमीन विनोद चाचा के कारोबार के लिए ही तो बेची थी भूल गए आप लोग , उन्ही पैसो से आपका दुकान और घर बना है”,शगुन ने गुस्से से कहा
“वाह वाह तेवर तो देखो महारानी के ये अपने ससुराल के पैसो का रौब अपने घर में दिखाना शगुन और बड़ो के बीच में बोलने की तुम्हे कोई जरूरत नहीं है , वैसे भी तुम्हारी शादी में सब जायदाद तो लुटा ही चुके है भाईसाहब , बचा ये घर तो ये घर प्रीति की शादी में लुटा देंगे”,चाची ने कड़े शब्दों में कहा
“विनोद,,,,,,,,,, अपनी पत्नी से कहो जबान को लगाम दे , बड़ो के सामने बात करने की तमीज भूल चुकी है ये”,गुप्ता जी ने गुस्से के घूँट निगलते हुए कहा
“भाईसाहब मैं भी आपसे किसी तरह का झगड़ा करने नहीं आया हूँ , मैं तो बस अपने हक़ का मांग रहा हूँ जो मेरा है वो मुझे लौटा दीजिये बस”,विनोद ने सहजता से कहा
“तुम्हे ये घर चाहिए ?”,गुप्ता जी ने विनोद से कहा
“जी”,कहते हुए विनोद की गुप्ता जी से नजरे मिलाने की हिम्मत नहीं हुई
“ठीक है ये घर मैं तुम्हारे नाम कर दूंगा दोबारा मेरी बच्चियों के बारे में एक गलत शब्द मत कहना”,गुप्ता जी ने कहा
“लेकिन पापा,,,,,,,!”,शगुन को गुप्ता जी का ये फैसला पसंद नहीं आया उन ने जैसे ही कुछ कहना चाहा गुप्ता जी ने उसे रोक दिया और हाथ में पकडे पेपर्स पर साइन कर दिया। पेपर्स लेकर विनोद और चाची वहा से चले गए। गुप्ता जी कुर्सी पर आ बैठे , उनका सगा भाई उनके साथ ऐसा करेगा उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था उनकी आँखों में नमी तैर आयी लेकिन शगुन के सामने उन्होंने खुद को सम्हाल लिया। शगुन उनके पास आयी और कहा,”ये आपने क्या किया पापा ? ये घर हमारा है , इस घर से हम सब की यादें जुडी है , माँ की यादें जुडी है ऐसे कैसे आप उन्हें ये घर बेचने दे सकते है ? और चाचा,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो क्यों इतना स्वार्थी हो गए क्या उन्होंने एक बार भी आपके और प्रीति के बारे में नहीं सोचा ? आपने उनके लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया और उन्होंने,,,,,,,,,,,,मैं अभी उनसे बात करके आती हूँ पापा”
“नहीं शगुन तुम कही नहीं जाओगी”,गुप्ता जी ने सहजता से कहा
“पर क्यों पापा ? वे लोग कितना गलत कर रहे है हमारे साथ”,शगुन ने तड़प कर कहा
“यहाँ बैठो”,गुप्ता जी ने कहा तो शगुन उनके पास आकर बैठ गयी और गुप्ता जी कहने लगे,”जमीन के एक टुकड़े के लिए भाई भाई लड़ेंगे तो क्या इज्जत रह जाएगी बेटा , इस शहर में मेंरी बहुत इज्जत है मैं नहीं चाहता मेरी वजह से इस घर के मान सम्मान पर कोई आंच आये,,,,,,,,,,,,रहने के लिए हम लोग कोई और जगह धुंध लेंगे बेटा”
“इतना अच्छा होना ठीक नहीं होता है पापा , आज आपके अपनों ने ही आपको धोखा दे दिया”,कहते हुए शगुन की आँखो में आंसू आ गए
“मेरे अपने तुम और प्रीति हो तुम दोनों मेरे साथ हो तो मुझे किसी और की जरूरत नहीं है”,गुप्ता जी ने प्यार से शगुन के सर पर हाथ रखते हुए कहा तो शगुन उनके गले आ लगी।
“प्रीति को इन सब बातो के बारे में मत बताना बेटा वो बर्दास्त नहीं कर पायेगी”,गुप्ता जी ने शगुन के सर को सहलाते हुए कहा। अचानक से शगुन की हंसती खेलती जिंदगी में तूफान आ चुका था जिसे सम्हाल पाना उसके लिए मुश्किल भी था और तकलीफ देह भी। कुछ देर बाद गुप्ता जी किसी काम से घर से निकल गए। शगुन भी बुझे मन से अपने कमरे में चली आयी और अपनी माँ की तस्वीर के सामने आकर कहने लगी,”ये कैसी परीक्षाएं ले रहे है महादेव हम सब की माँ ? आप तो सब जानती है आज जो कुछ हुआ उसके बाद से पापा कितना टूट गये है लेकिन हमारे सामने दिखाएंगे नहीं चाचा चाची ने जो किया बहुत गलत किया माँ ,, ऐसे हालातो में मैं क्या करू मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,काश गुड्डू जी यहाँ होते तो वो सम्हाल लेते मुझे”
कहते कहते शगुन की आँखो से बहकर आंसू उसके गालो पर लुढ़क आये।
कानपूर , उत्तर-प्रदेश
सारे अरेंजमेंट होने के बाद गुड्डू सुस्ताने के लिए आकर चेयर पर बैठा , गोलू उसके और अपने लिए ठंडा ले आया एक गुड्डू को दिया और दुसरा खुद लेकर पीने लगा। गुड्डू ने जैसे ही एक घूंठ भरा उसे हिचकिया आने लगी। गोलू ने गुड्डू की पीठ थपथपाई और कहा,”अरे आराम से गुड्डू भैया”
गुड्डू ने बोतल साइड में रख दी और हिचकी लेते हुए कहा,”अरे अचानक से शुरू हो गयी है”
“लगता है भाभी याद कर रही है तुम्हे ?”,गोलू ने मुस्कुराते हुए कहा
“तुमहू ना फिल्मे कम देखा करो गोलू हिचह”,गुड्डू ने कहा
“अच्छा अगर ऐसा है ना तो फिर लो भाभी का नाम अगर हिचकी रुकी तो हम सच्चे”,गोलू ने कहा
“कुछ भी कहते हो गोलू शगुन हमे काहे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,गुड्डू ने कहा साथ ही उसने महसूस किया की उसकी हिचकी रुक गयी है। उसने हैरानी से गोलू की और देखा और कहा,”अबे गोलू हमायी हिचकी रुक गयी”
“देखा सही कहे थे ना हम,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे यार तुमहू भाभी को अकेले काहे छोड़कर आये , वहा उह तुम्हे याद करती ही यहाँ तुम उनके बिना तन्हा”,गुड्डू ने कहा
“अच्छा तुमको किस ने कहा हम तन्हा है ?”,गुड्डू ने कहा
“रहने दो भैया साफ साफ दिख रहा है तुम्हाये चेहरे पर की कितना मिस कर रहे हो तुम उनको”,गोलू ने एकदम से कहा तो गुड्डू सोच में पड़ गया और फिर कहने लगा,”हां यार गोलू मिस तो कर रहे है उनको वो हमायी छोटी छोटी जरूरतों का ख्याल रखती थी , हमें कब का चाहिए सब पता होता था उनको , हमाये गुस्से को कैसे शांत करना है , हमसे सॉरी कैसे बुलवाना है , दिनभर भले हम कही भी रहे शाम में जब घर जाते थे तो सबसे पहिले हमे उह नजर आती थी , अब साला घर जाने का मन ही नहीं करता , कमरा बिल्कुल शमसान जैसा लगता है हमारा ,, उनकी डांट सुनने की आदत हो चुकी है यार हमे”
गुड्डू को ऐसे बातें करते देखकर गोलू तो बस उसके चेहरे को देखता ही रह गया और फिर कहा,”अब तो मान जाओ यार की तुम्हे प्यार हो गया है हमायी शगुन भाभी से”
“ऐसा कुछो नहीं है गोलू तुम न जियादा दिमाग ना लगाओ”,गुड्डू ने गोलू से नजरे चुराते हुए कहा
“अरे भक्क गुड्डू मिश्रा पूरी दुनिया से छुपा सकते हो हमसे नहीं हमको तो इह झोल काफी दिन से समझ आ रहा था पर हम साला तुम्हाये मुंह से सुनना चाहते थे , तुम्हायी आँखों में तुम्हायी बातो में साफ दिख रहा है गुड्डू मिश्रा की प्यार हो गवा है तुम्हे उह भी सच्चा वाला”,गोलू ने तोड़ा ऊँची आवाज में कहा तो आसपास काम करते लोग उन दोनों की और देखने लगे। गुड्डू ने जल्दी से उसका मुंह बंद किया और कहा,”अबे ढिंढोरा काहे पीट रहे हो ?”
“पहले जे बताओ की हुआ या नहीं ?”,गोलू ने अपने मुंह से गुड्डू का हाथ हटाते हुए कहा
“हां हो गया है”,गुड्डू ने शरमाते हुए धीरे से कहा
“ए जिओ मेरे राजा , अब जे बताओ भाभी से कब कह रहे हो इह बात ?”,गोलू ने एक्साइटेड होकर कहा
“हम काहे कहे ? उन्हें भी तो हुआ है ना उह कहे हमसे आके”,गुड्डू ने कहा
“ए गुड्डू भैया तुमहू जियादा सुंदर हो इसका मतलब इह बिल्कुल नहीं है की अब तुमहू भाव खाओगे , जैसे ही भाभी कानपूर आये उनसे अपने दिल की बात कह दो”,गोलू ने कहा
“हम नहीं कहेंगे हमे डर लगता है”,गुड्डू ने कहा
“का का का कहे ? डर लगता है , पिंकिया को तो कैसे फटाक से आई लव यू बोल दिए तुम अब अपनी ही पत्नी से बोलने में डर लग रहा है”,गोलू ने कहा
“तुम नहीं समझोगे गोलू , पिंकी को बोला तो हमे कुछ महसूस नहीं हुआ था उसके सामने कुछ भी बेझिझक बोल देते थे लेकिन शगुन के सामने जाते ही हमारी धड़कने तेज हो जाती है , कुछ बोल ही नहीं पाते”,गुड्डू ने कहा।
“भक्क साला हम खामखा अब तक तुमको हीरो समझते थे लेकिन भैया अब प्रपोज तो तुमको ही करना है लौंडे तुम हो तुम्हारा फर्ज बनता है”,गोलू ने कहा
“तो जरुरी थोड़े है हर बार लड़का ही कहे , लड़की भी कह सकती और अगर शगुन ने कहा तो हमारी तरफ से हाँ है”,गुड्डू ने धीरे से कहा
“सही जा रहे हो मिश्रा जी,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर हम खुश है की इस बार तुमको सही लड़की से प्यार हुआ है , सम्हाल कर रखना उनको अब”,गोलू ने कहा
“वो बस हमे सम्हाल ले बाकि हम सम्हाल लेंगे”,गुड्डू ने प्यार से कहा
“पार्टी लेंगे इस बात पर”,गोलू ने कहा
“हां देंगे ना , और एक थैंक्यू पिंकिया को भी उह हमायी जिंदगी में नहीं आती ना गोलू तो हम कभी शगुन की अहमियत समझ ही नहीं पाते”,गुड्डू ने कहा
“यार पिंकिया को ना तुम हमाये लिए छोड़ दयो”,गोलू ने एकदम से पजेसिव होकर कहा
“का मतलब ?”,गुड्डू ने कहा तो गोलू ने झट से बात पलट दी और कहा,”अरे हम कह रहे की इतने अच्छे मूड में काहे उसका नाम लेकर दिमाग की दही कर रहे हो”
“हम्म्म”,गुड्डू ने कहा तो गोलू ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा,”वैसे तुमहू भाभी को एक ही गाल पर किस किये दूसरे पर काहे नहीं ?”
गुड्डू ने सूना तो उसने गोलू को घुरा लेकिन वह गोलू को पीटता इस से पहले गोलू भाग गया और गुड्डू उसके पीछे
क्रमश – मनमर्जियाँ – 94
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संजना किरोड़ीवाल
Kya se kya ho gya dekhte dekhte @gupta g
Lovely 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞
👍🏻👍🏻👏🏻👏🏻🥰🥰😍 amazing part
Ab to shagun ke chacha chachi ki akal guddu hi thikane lagaega
Mast wao..
Very beautiful
मैम शगुन के चाचा चाची ने अच्छा नहीं किया…और गुप्ता जी ने भी सही नहीं किया…अभी प्रीति को पता चलेगा तो…वो लड़ने पहुंच जायेगी चाची से…गुड्डू शगुन की लवस्टोरी बढ़ने में ये प्राब्लम कुछ काम करेगी😊 superb part👌👌👌👌👌
Superb
Asa lg hi rha tha ki chachi kuch krne wali h lekin jo bhi kiya woh bhut galat kiya
Behtreen part or yeah Chachi, shagun se jalan ki vajah se ye sab kr rahi hai, pr hamare guddu bhaiya sab thik kr denge
Shagun k chacha ji ko kya ho gaya achanak jo aisa kar rahe hai. Finally guddu ne excpet kar hi liya.😍