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मनमर्जियाँ – 71

Manmarjiyan – 71

Manmarjiyan - 71

मनमर्जियाँ – 71

गुड्डू और गोलू की मेहनत पर किसी ने बुरी तरह पानी फेर दिया था। ये सब देखकर गुड्डू बहुत दुखी था। उसे समझ नहीं आ रहा था की आखिर कोई उसके साथ ऐसा क्यों करेगा ? , शगुन और गोलू गुड्डू के पास पहुंचे गुड्डू की आँखों में आंसू देखकर शगुन का दिल पसीज गया और उसने कहा,”आप ऐसे हिम्मत मत हारिये गुड्डू जी सब ठीक हो जाएगा”
“कैसे ठीक होगा शगुन ? देखा नही सब ख़त्म हो चूका है उसे सही भी करेंगे तो कैसे ? पिताजी सही कहते है हम किसी लायक नहीं है आज तक हमने जो किया उसमे सफल नहीं हुए तो इसमें कैसे होते ?”,गुड्डू ने निराशा से कहा
“पर भैया इह सब किया किसने कल रात तक तो सब ठीक था ?”,गोलू ने कहा
“हमे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है गोलू की ये सब क्यों हो रहा है ? आज शाम में ही शुक्ला जी के यहाँ फंक्शन है अगर अरेंजमेंट नहीं हुआ तो वो नाराज होंगे , रिश्तेदार है इसलिए घर में भी खूब बातें होंगी,,,,,,,,,,,,,,,,हम नहीं चाहते गोलू की हमायी वजह से अब कुछ गड़बड़ हो”,गुड्डू ने कहा
“आप परेशान मत होईये हम सब मिलकर कुछ न कुछ रास्ता निकाल ही लेंगे”,शगुन ने कहा लेकिन गुड्डू ने कोई जवाब नहीं दिया उसकी आँखों में परेशानी साफ नजर आ रही थी। शगुन गुड्डू के पास आयी और उसके हाथ को अपने हाथ में लेकर गुड्डू की आँखो में देखते हुए कहा,”आप भरोसा रखिये , मैं आपको किसी की नजरो में गिरने नहीं दूंगी”
गुड्डू ने शगुन के मुंह से ये सूना तो उसकी आँखों में देखने लगा जिनमे गुड्डू को अपने लिए भरोसा और परवाह दोनों नजर आ रहे थे। शगुन और गुड्डू दोनों एक दूसरे की आँखों में देखते रहे। गोलू ने देखा तो खांसने का नाटक किया और शगुन ने गुड्डू का हाथ छोड़ दिया। गोलू ने आकर गुड्डू को गले लगाया और कहा,”टेंशन काहे ले रहे हो हम हैं ना करते है कुछो जुगाड़ और हां जिसने भी इह सब किया है ना उसका पता भी हम बहुते जल्द लगा लेंगे”
गुड्डू ने कुछ नहीं कहा बस गोलू के गले लगे सामने सोच में डूबी शगुन को देखता रहा। कुछ देर बाद गोलू ने शगुन और गुड्डू को लोकेशन पर जाने को कहा और खुद स्कूटी लेकर निकल गया। शगुन और गुड्डू ने आकर सबसे पहले उस पुरे प्लॉट को लड़को से साफ करवाया उसके बाद दोबारा सारे अरेजमेंट करने लगे। इस बार शगुन गुड्डू के साथ थी इसलिए हर काम को बहुत बारीकी से करवा रही थी। कुछ ही देर बाद वहा डम्पर आकर रुकी जिसमे डेकोरेशन का सामान था और जिसे गोलू ने भिजवाया था और पीछे पीछे खुद भी स्कूटी लेकर आ रहा था। गोलू ने सब सामान उतरवाया ये देखकर गुड्डू उसके पास आया और कहा,”इह सब कहा से आया ?”
“उह सब हम बाद में बताएंगे , पहिले तुमहू सब तैयारी करवाओ”,गोलू ने वापस स्कूटी घुमाते हुए कहा और वहा से चला गया। गुड्डू ने सभी अरेजमेंट्स करवाये इस बार की व्यवस्था पहले जैसी अच्छी तो नहीं थी पर ठीक ठाक थी। गुड्डू ने शगुन को गोलू के साथ घर भेज दिया क्योकि वह सुबह से उन लोगो के साथ थी कही घरवालों को ये सब के बारे में पता न चले सोचकर गुड्डू ने उसे घर जाने को कहा। सब इंतजाम होने के बाद गुड्डू वही रुककर सब देखने लगा , काफी थक चुका था और शर्ट भी गन्दी हो चुकी थी। गुड्डू ने गोलू को फोन किया की आते वक्त उसके लिए दुसरा शर्ट लेकर आये। गुड्डू अब इस जगह से एक पल के लिए भी जाना नहीं चाहता था , शाम हो चुकी थी धीरे धीरे करके मेहमान भी आने लगे थे। गोलू भी आ चूका था उसने गुड्डू को शर्ट दिया और जल्दी से बदलकर आने को कहा। गुड्डू जिसकी दिन में चार दफा कपडे बदलना , परफ्यूम , अच्छे जूते पहनकर टिपटॉप रहने की आदत थी आज अपने काम के आगे सब भूल चुका था। उसने जल्दी से शर्ट पहना और सबके बीचे चला आया और गोलू से कहा,”सब ठीक है गोलू ?”
“हां भैया सब ठीक है बाकि हम नजर रखे हुए है और दो दोस्तों को भी बुला लिए है ध्यान रखने के लिए”,गोलू ने कहा
“जे सही किया , बस सब अच्छे से निपट जाये उसके बाद पता लगाते है कौन है जो हमसे खेल रहा है”,गुड्डू ने पारखी नजरो से चारो और देखकर कहा
“हां भैया”,गोलू ने कहते हुए जैसे ही मेन गेट की और देखा पिंकी अपने घरवालो के साथ आती दिखाई दी। गुड्डू की नजर भी जब पिंकी पर पड़ी तो उसने कहा,”इह यहाँ का कर रही है ?”
“पता नहीं पूरा खानदान आया है मतलब तुम्हारे रिश्तेदार ने ही बुलाया होगा”,गोलू ने मुंह बनाकर कहा। पिंकी ने एक नजर गुड्डू को देखा और आगे बढ़ गयी
गोलू का शक सही था पिंकी के घरवालों को शुक्ला जी ने ही बुलाया था। सभी मेहमान आ चुके थे और आयोजन का आनदं ले रहे थे। गुड्डू और गोलू आराम से खड़े सबको देख रहे थे। कुछ देर बाद मिश्रा जी भी अपने परिवार के साथ वहा पधारे। उनके साथ मिश्राइन , वेदी और शगुन थीं। मिश्रा जी ने जब गुड्डू की मेहनत देखी तो मन ही मन बहुत खुश हुए लेकिन उस ख़ुशी को चेहरे पर आने नहीं दिया और गुड्डू के पास से निकलते हुए कहा,”हम्म्म बढ़िया बंदोबस्त किया है”
गुड्डू तो बस इतना सुनकर ही खुश हो गया की मिश्रा जी को उसका काम पसंद आया। मिश्रा जी आगे बढ़ गए मिश्राइन गुड्डू और गोलू के पास आयी और दोनों की बलाये लेकर कहा,”बहुत बहुत बधाई तुम दोनों को”
दोनों मुस्कुरा उठे वेदी ने भी उन्हें आल द बेस्ट कहा और अपनी सहेलियों की और बढ़ गयी। शगुन वही गुड्डू और गोलू के पास खड़ी हो गयी। दूर खड़ी पिंकी ने जब शगुन और गुड्डू को साथ देखा तो जल भून गयी। उसने जान बुझकर शुक्ला जी को सुनाते हुए कहा,”उफ्फ्फ कितनी गर्मी है यहाँ , और तो और ठंडे का इंतजाम भी नहीं है,,,,,,,,,,,,,कैसे लोगो को काम सौंपा है इन्होने”
शुक्ला जी ने सूना तो पिंकी के पास आये और कहा,”क्या बात है बेटा ? कोई परेशानी ?”
“क्या बताये अंकल जी इतनी गर्मी में तो हम सबकी जान ही निकली जा रही है , ना पीने का ठंडा पानी है ना ही कुछ ढंग की व्यवस्था है”,पिंकी की एक सहेली ने कहा। शुक्ला जी ने सूना तो उन्हें गुड्डू को सुनाने का मौका मिल गया। उन्होंने गुड्डू को आवाज लगाई गुड्डू उनके पास आया और कहा,”जी”
“क्या जी जी गुड्डू अरेंजमेंट कहां है ? हमे लगा पहला आर्डर है तुम ठीक से काम करोगे”,शुक्ला जी ने शिकायती लहजे में कहा
“हुआ का है उह बताईये ना”,गुड्डू ने कहा
“अरे भई इतनी गर्मी है ठंडे का इंतजाम नहीं किया तुमने”,शुक्ला जी ने कहा
“सब इंतजाम किये है रुकिए हम अभी भिजवाते है लड़के के हाथो”,कहकर गुड्डू जैसे ही जाने को हुआ पिंकी बोल पड़ी,”लड़के के हाथो क्यों ? इनसे कहो खुद लेकर आये ,, पेमेंट तो पूरी लेंगे”
गुड्डू ने सूना तो उसे गुस्सा आया लेकिन इस वक्त वह किसी तरह का बखेड़ा नहीं चाहता था। गुड्डू कुछ कहता इस से पहले ही शुक्ला जी ने कह दिया,”गुड्डू एक काम करो तुम खुद ही ले आओ वैसे भी आज ये हमारी खास मेहमान है”
शुक्ला जी की बात सुनकर गुड्डू वहा से चला गया। गोलू और शगुन इधर उधर की बातें कर रहे थे जबकि शगुन के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। कुछ देर बाद गुड्डू कोल्डड्रिंक की ट्रे उठाये गोलू और शगुन सामने से गुजरा तो गोलू ने उसे रोककर कहा,”ए गुड्डू भैया इह का कर रहे हो तुम ? लड़के रखे है ना इह सब करने के लिए”
“वो शुक्ला जी ने कहा है की मैं लेकर आऊं”,गुड्डू ने धीरे से कहा जबकि उसे वह सब करते हुए बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। गोलू ने सूना तो भड़क गया और कहा,”अबे तो पगला गए है का शुक्ला ही यार तुमहू ऑनर हो वेटर वाले काम काहे करोगे”
“ठीक है ना गोलू उन्होंने हमे पहला आर्डर दिया है”, गुड्डू ने कहा
“शुक्ला की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आर्डर दिया है तो का साला सर पर मूतेंगे,,,,,,,,,,एक ठो काम करो इह ट्रे हमे दो हम देकर आते है”,गोलू ने कहां
“नहीं गोलू ठीक है हम चले जाते है , तुम गए तो फिर कुछ कहेंगे”,कहकर गुड्डू चला गया
गुड्डू के जाते ही गोलू ने शगुन से कहा,”इह साला भैया को का हो गया है ? एक आर्डर के चक्कर में का अब वो इह सब करेंगे ? हमे अछ्छा नहीं लग रहा यार भाभी ,, आज से पहले गुड्डू भैया नवाबो की तरह जिए है और आज इह सब”
“गोलू जी शांत हो जाईये , थोड़ी बहुत परेशानी तो होगी ना”,शगुन ने कहा
“हां तो भैया खुद काहे कर रहे है हम है ना हम से कहे,,,,,,,,,हम हल जोतने के लिए तैयार है”,गोलू ने कहा और फिर वहा से चला गया। शगुन को अकेले खड़े देखकर वेदी आयी और उसे अपने साथ ले गयी लेकिन शगुन की नजर गुड्डू पर थी उसे भी गुड्डू का ये काम करना अच्छा नहीं लग रहा था। गुड्डू उस वक्त कितना असहज था शगुन साफ देख पा रही थी।
गुड्डू ट्रे लेकर शुक्ला जी के पास आया तो उन्होंने पिंकी और उसके साथ खड़ी लड़कीयो को ठंडा देने का इशारा किया। गुड्डू ने सबको ठंडा दिया और जैसे ही पिंकी के सामने आया पिंकी ने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा,”बस यही औकात है तुम्हारी गुड्डू , हमसे शादी की होती ना तो आज ये सब करने की जरूरत नहीं पड़ती”
गुड्डू ने सूना तो गुस्सा तो खूब आया लेकिन उसने खुद को रोक लिया और वहा से चला गया। ट्रे में चार ग्लास अभी भी रखे हुए थे , चलते चलते गुड्डू का सामना मिश्रा जी से हुआ उन्होंने गुड्डू को देखा और कहा,”इह सब का है बेटा ?”
“कुछ नहीं पिताजी वो बस शुक्ला अंकल के कहने पर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,गुड्डू आगे बोल ही नहीं पाया और मिश्रा जी वहा से चले गए। गुड्डू पीछे आया जहा गोलू खड़ा था गुड्डू को देखते ही गोलू ने ट्रे उसके हाथ से ली और साइड में रखकर गुस्से से कहा,”उस पिंकिया का तो ना हम मुंह तोड़ देंगे गुड्डू भैया”
“नहीं गोलू मेहमान है वो यहाँ और जे हमारा काम है , तुम केक का देखो हम बाकि व्यवस्था देखकर आते है”,कहकर गुड्डू चला गया। गोलू ने केक वाले को फोन किया कुछ देर बाद केक आ गया। सभी केक काटने के लिए इकट्ठा हुए , केक काटा गया सबने खूब तालिया बजाई जैसा की ये पार्टी स्पेशली बच्चो के लिए रखी गयी थी लेकिन गुड्डू बच्चो के लिए इंटरटेनमेंट भूल गया। शुक्ला जी को एक बार फिर गुड्डू को सुनाने का मौका मिल गया। उन्होंने सबके सामने ही गुड्डू को डाँटना शुरू कर दिया। पिंकी को तो ये सब देखकर खूब मजा आ रहा था। शगुन ने देखा तो वह भीड़ से निकल कर साइड में चली आयी और किसी को फोन किया कुछ ही देर बाद आकर पिछले गेट की तरफ एक गाड़ी आकर रुकी। शगुन तुरंत गाड़ी के अंदर चली गयी।
इधर शुक्ला जी गुड्डू और गोलू को सुनाने में लगे थे। पहली तैयारियों में गुड्डू ने सब अरेजमेंट किया था लेकिन दूसरी बार घई घई में भूल गया। अभी कुछ ही वक्त बिता था की एकदम से वहा की लाइट चली गयी। गोलू लाइट चेक करने गया की अगली ही पल रंग बिरंगी रौशनी होने लगी और बच्चो का म्यूजिक बजने लगा। सभी हैरानी से एक दूसरे की और देख रहे थे गोलू और गुड्डू भी नहीं समझ पाए की ये सब क्या हो रहा है ? अगले ही पल सारी लाईटे जल उठी और बच्चे ख़ुशी से चिल्लाने लगे।
लॉन में बच्चो के सामने अलग अलग कॉस्ट्यूम पहने चार जन खड़े थे। एक ने भालू की ड्रेस पहन रखी थी , एक ने मिकी माउस की , एक ने बड़े बंदर की और चौथे ने टॉम की ड्रेस पहन रखी थी और चारो बहुत फनी लग रहे थे। शुक्ला जी का गुस्सा शांत हो गया। सभी बच्चे उन चारो के साथ खेलने लगे मस्ती करने लगे। सभी लोग फिर से पार्टी एन्जॉय करने लगे। सबको लगा गुड्डू ने बच्चो के लिए ये सरप्राइज रखा है। गोलू ने देखा तो उसकी जान में जान आयी और वह गुड्डू के पास आकर कहने लगा,”वाह भैया जे सही किया तुमने , बच्चे भी खुश और अपना काम भी नहीं बिगड़ा”
“गोलू हमे नहीं पता इह सब कौन है और जे सब हमने नहीं किया है ?”,गुड्डू ने कहा
“कोई ना भैया बात थी बच्चो की बच्चे खुश है , आप यही रुको हम तब तक खाने का देखकर आते है”,कहकर गोलू वहा से चला गया। पिंकी ने देखा सब बिजी है तो उसने वेटर को बुलाया और उसे कुछ कहकर भेज दिया। लड़का सीधा पीछे खाने बनने वाली साइड आया और जैसे ही उसने खाने का बर्तन उठाया गोलू ने उसे धर लिया उसने लड़के से कुछ पूछा भी नहीं और दो तीन तमाचे जड़ दिए। लड़का सम्हला तो गोलू ने उसकी कॉलर पकड़ी और पूछा,”किसने भेजा है बे तुमको ?”
लड़के ने जब पिंकी का नाम लिया तो गोलू ने उसे छोड़ दिया और वहा से भगा दिया। गोलू बाहर आया और पिंकी का हाथ पकड़कर उसे वहा से ले गया। गोलू पिंकी को लेकर प्लाट से बाहर साइड में लेकर आया। पिंकी ने गुस्से से गोलू से अपना हाथ छुड़ाया और कहा,”क्या है गोलू हमे यहाँ लेकर क्यों आये हो ?”
गोलू ने इधर उधर देखा और खींचकर एक थप्पड़ पिंकी को मारा
पिंकी का तो सारा सिस्टम ही हिल गया उस वक्त उसने गोलू को देखा और गुस्से से बोली,”तुम्हारी इतनी हिम्मत की तुम हमे मारो”
गोलू ने आंव देखा ना तांव पिंकी के दूसरे गाल पर भी एक थप्पड़ रसीद किया और कहा,”अगर लड़की नहीं होती ना तुम तो बहुते गन्दी मार मारते तुमको,,,,,,,,,,,,,,,छी कैसी लड़की हो तुम ? इतनी नफरत है तुम्हाये मन में गुड्डू भैया के लिए उन्हें नीचा दिखाने के लिए तुमहू इस हद तक गिर गयी पिंकिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सोचकर ही शर्म आ रही है हमे तो , तुमहू जानती हो कितनी मेहनत से गुड्डू भैया ने जे काम शुरू किया है और तुमहू हो के,,,,,,,,ये है तुम्हारा प्यार , तुम्हारा प्यार नहीं तुम्हारा पागलपन है पिंकिया जिसके चलते तुम सबकी जिंदगी में जहर घोल रही हो,,,,,,,,,,,,,तुमको का लगता है गुड्डू भैया चुप है तो मतलब उनको जे सब देखकर तकलीफ नहीं होती , अरे बहुत तकलीफ होती है ,, अभी जाकर बता दे ना उनको तो जिंदगी में कभी शक्ल नहीं देख्नेगे तुम्हारी पर हम ऐसा नहीं करेंगे,,,,,,,,ऐसा किया तो उनको प्यार शब्द से नफरत हो जाएगी। अब भी वक्त है सुधर जाओ पिंकिया वरना कल को कोई ढंग का लड़का मुंह तक नहीं लगाएगा तुम्हे””
कहकर गोलू जाने लगा तो पिंकी ने कहा,”तुम जैसो के मुंह लगना भी नहीं है मुझे,,,,,,,,,,,,,,,,,,चीप कही के”
पिंकी का ये चीप शब्द गोलू को चुभ गया वह पलटा और पिंकी के पास आकर कहा,”उस लायक हम तुमको छोड़ेंगे नहीं”
पिंकी कुछ समझ पाती इस से पहले ही गोलू ने उसके चेहरे को पकड़ा और अपने होंठो को पिंकी के होंठो पर रख दिया। पिंकी ने गुस्से गोलू के होंठ को काट लिया। गोलू पीछे हटा और कहा,”अये दादा काट लिया चुड़ैल ने”
पिंकी गोलू को घूरते हुए वहा से सीधा अपने घर चली गयी। गोलू वापस अंदर आया। गुड्डू को शगुन कही नजर नहीं आ रही थी , पूछने के लिए वह गोलू के पास आया लेकिन नजर जब गोलू के होंठ पर पड़ी तो उसने पूछ लिया,”अरे इह का हुआ गोलू ?”
गोलू ने अपने होंठ को छुआ और फिर कहा,”कुछो नहीं भैया एक नागिन को मुंह लगाए रहय काटकर चली गयी”
गुड्डू ने सूना तो उसे कुछ समझ नहीं आया और वह वहा से चला गया शगुन को ढूंढने

क्रमश – manmarjiyan-72

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