Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – 52

Manmarjiyan – 52

Manmarjiyan - 52

Manmarjiyan – 52

गुड्डू के सीने से लगी शगुन ने अपनी आँखे बंद कर रखी थी ऐसे में उसका गुड्डू के इतने करीब आना ,, गुड्डू की तो हालत ही खराब हो चुकी थी उसके हाथ काँप रहे थे और वह बस किसी बूत की तरह वहा खड़ा था। चूहे को जैसे ही बाहर जाने का रास्ता दिखा वह तुरंत दरवाजे से बाहर निकल गया। उसे बाहर जाते देख गुड्डू ने धीरे से शगुन से कहा,”चला गया”
शगुन ने जैसे सूना ही नहीं वह बस गुड्डू के सीने में मुंह छुपाये खड़ी रही तो गुड्डू ने धीरे से फिर कहा,”चूहा जा चुका है”
शगुन को याद आया की वह गुड्डू के बहुत पास खड़ी है वह जल्दी से पीछे हटी और गुड्डू से नजरे चुराते हुए कहा,”सॉरी मुझे चूहों से बहुत डर लगता है”
“हमे भी”,गुड्डू ने अपनी तेज होती सांसो को धीमे करते हुए कहा
शगुन बिस्तर से निचे उतरी और सोफे की और चली आयी , उसे खुद पर ही गुस्सा आ रहा था की वह गुड्डू के गले क्यों लगी ? साथ ही उसे गुड्डू से नज़रे मिलाने में भी शर्म आ रही थी। शगुन ने बिस्तर से तकिया चददर उठाया और सोफे पर लेट गयी गुड्डू बाथरूम चला आया। शीशे के सामने आकर वाशबेसिन में मुंह धोया और खुद को शीशे में देखकर कहने लगा,”इह का कर रहे हो गुड्डू ? शगुन जी को अगर पत्नी का दर्जा नहीं दे सकते तो उनके करीब काहे जा रहे हो ? उनकी भावनाओ से अनजान तो नहीं हो तूम फिर ऐसा काहे कर रहे जिस से बाद में उन्हें तकलीफ हो। सुनो हमायी बात ये नजदीकियां अच्छी नहीं है कोशिश करो की दूर रहो उनसे”
गुड्डू सोच में डूबा रहा और फिर वापस कमरे में चला आया देखा शगुन सो चुकी थी बालो की लट उसके गालो पर आकर यहाँ वहा लहरा रही थी। गुड्डू ने ac थोड़ा तेज कर दिया और आकर बिस्तर पर लेट गया शगुन सोफे पर बिल्कुल उसके सामने लेटी हुयी थी और सो चुकी थी लेकिन गुड्डू को नींद नहीं आ रही थी उसकी आँखों के आगे बार बार वो पल आ रहे थे। गुड्डू करवटें बदलता रहा। पहले वह घोड़े बेचकर सोता था लेकिन अब नींद उसकी आँखों से कोसो दूर रहती थी। गुड्डू उठा और कमरे से बाहर चला आया। वहा सबसे ऊपर वाली छत पर आकर बैठ गया। ये जगह उसकी फेवरेट भी थी। गुड्डू वहा बैठा बैठा शगुन के बारे में सोचने लगा। शगुन के खयालो से बचने के लिए ही तो गुड्डू ऊपर आया था लेकिन यहाँ भी वह शगुन के बारे में ही सोच रहा था , पिकी के लिए गुड्डू का प्यार अब फीका पड़ने लगा था , पहले वह पिंकी के एक मेसेज पर दौड़े चला जाता था लेकिन अब वह इरिटेट होने लगा था। गुड्डू लेट गया और आसमान में चमकते चाँद को देखते हुए कहने लगा,”साला हमायी जिंदगी में इतने पंगे काहे है ? मतलब आज तक कभी किसी का कुछो बुरा नहीं किये एक लड़की से प्यार किये रहय तुमहू दो दो के बीच फंसा दिए ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब काहे ? काहे इतनी चिकाई कर रहे हो बे हमायी ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,प्यार किसी से शादी किसी और से ऐसे तो ना थे कभी हम ,, लड़की की इज्जत करते थे आज भी करते है हमेशा करेंगे फिर काहे हमाये हाथो किसी का दिल तुड़वाना चाहते हो ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,शगुन अच्छी लड़की है हम उसका दिल तोड़ना नहीं चाहते है पर हम उस से प्यार भी तो नहीं ना कर सकते है,,,,,,,,,,,,,,,हम उलझ चुके है महादेव कोई तो दिखाओ यार,,,,,,,,,,,,!!!
गुड्डू अपने दिल की बातें अपने महादेव से करता रहा उसकी बातो से साफ़ पता चल रहा था की कही ना कही गुड्डू के मन में शगुन के लिए कुछ तो है पर पिंकी के कारण गुड्डू उन सब भावनाओ को नजर अंदाज कर रहा था। देर रात गुड्डू नीचे अपने कमरे में चला आया और आकर सो गया।
सुबह गुड्डू नहा धोकर कमरे में आया तो देखा शगुन धुले हुए कपड़ो को तह कर रही है गुड्डू को न जाने क्या सुझा वह एकदम से शगुन के सामने आया और कहा,”शर्ट कैसा है ?
शगुन – अच्छी है
गुड्डू – मुझे कुछ खास पसंद नहीं आयी”
शगुन – तो बदल लीजिये
गुड्डू – मुझे तुम भी पसंद नहीं बदल सकता हूँ क्या ?
शगुन – जरुरी नहीं पसंद की चीजे और पसंद के इंसान हमारे लिए हमेशा सही हो रही बात बदलने की तो इंसान रिश्ते बदल सकता है अपनी फितरत नहीं
गुड्डू – तुम्हारी इन उलझी बातों से मुझे बहुत इरिटेशन होती है
शगुन – सुलझे हुए लोगो के साथ यही होता है , उन्हें सब सुलझा हुआ चाहिए बात भी जज्बात भी
गुड्डू – अच्छा है मैं तुम्हारी तरह नहीं हूँ
शगुन – इसलिए तो साथ है क्योकि एक जैसी सोच वाले लोग दोस्त बन सकते है जीवनसाथी नही
शगुन की बाते सुनकर गुड्डू निशब्द हो गया। शगुन वहा से चली गई , वह गुड्डू को समझ नहीं पा रही थी आखिर क्यों गुड्डू अचानक उसके साथ अच्छा करने लगता और अगले ही पल एकदम से उलटा। शगुन नीचे आकर किचन में काम करने लगी। गुड्डू तैयार होकर निचे आया तब तक गोलू भी आ चूका था , गुड्डू गोलू को साथ लेकर गेस्ट हॉउस के लिए निकल गया दोनों मिलकर रौशनी की शादी का सारा काम देखने लगे। दोपहर का खाना भी गुड्डू ने वही खाया। शाम को बारात आने वाली थी इसलिए गोलू और गुड्डू तैयार होने घर चले आये। गुड्डू अपने कमरे में आया और नहाने चला गया। गुड्डू नहाकर वापस आया और कबर्ड से कपड़े निकाले। उसने ग्रे पेंट और उस पर नेवी ब्लू रंग की शर्ट पहनी। बालो को सेट किया , चेहरे पर मॉश्चराइजर क्रीम लगायी , परफ्यूम लगाया और अपना रुद्राक्ष वाला ब्रासलेट हाथ में पहन लिया। गुड्डू कतई जहर लग रहा था। वह निचे आया तो देखा सभी शादी में जाने के लिए तैयार खड़े है सिवाय शगुन के। गुड्डू को थोड़ा सुकून मिला की शगुन शादी में नहीं जा रही लेकिन अगले ही पल गुडडू की ख़ुशी हवा हो गयी जब मिश्रा जी ने कहा,”गुड्डू हम वेदी और तुम्हायी अम्मा गाड़ी से जाय रहे है तुमहू बहू को लेकर बाइक से आ जाना”
“जी ठीक है”,मन मारकर गुड्डू को कहना पड़ा
मिश्राइन ने जाकर शगुन को तैयार होकर आने को कहा और खुद वेदी मिश्रा जी के साथ घर से चली गयी। गुड्डू सोफे पर आ बैठा और शगुन का इंतजार करने लगा। काफी देर हो गयी लेकिन शगुन नहीं आयी। थक हारकर गुड्डू ऊपर आया , कमरे में आकर गुड्डू ने देखा शगुन अपने दोनों हाथो को अपनी पीठ से लगाए हुक बंद करने की नाकाम सी कोशिश कर रही थी। गुड्डूं की आहट सुनकर शगुन जल्दी से पलटी और अपनी साड़ी का पल्लू सम्हालते हुए कहा,”मैं बस आ ही रही थी”
“हम्म्म “,गुड्डू ने पलटते हुए कहा ,वह शगुन को इस हालत में देखना नहीं चाहता था। शगुन एक बार फिर हुक बंद करने की कोशिश करने लगी पर नहीं कर पायी। गुड्डू ने महसूस किया तो कहा,”तुम कहो तो हम बंद कर देते है”
गुड्डू की बात सुनकर शगुन खामोश हो गयी , उसे चुप देखकर गुड्डू ने कहा,”हमायी कोई गलत इंटेंशन नहीं है , बस देर हो रही है इसलिए कह रहे है”
“हम्म्म्म !”, शगुन ने कहा और पलट गयी। गुड्डू शगुन के पास आया और हुक ब्नद करने लगा। गुड्डू की उंगलियों ने जैसे ही शगुन की नंगी पीठ को छुआ एक सिहरन सी उसके जिस्म में दौड़ गयी। गुड्डू को भी ये सब करते हुए बहुत अजीब लग रहा था इसलिए हुक बंद करते हुए वह दूसरी और देखने लगा। अभी गुड्डू ने दो हुक लगाए ही थे की गोलू आया और सीधा कमरे में आते हुए कहा,”गुड्डू भैया हम कह रहे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
कहते हुए गोलू की नजर जैसे ही गुड्डू पर पड़ी गोलू वापस पलट गया और कहा,”लगता है हमहू गलत टाइम पर आ गए है”
गुड्डू ने गोलू को वहा देखा तो जल्दी से उसके पास आया और कहा,”अरे नहीं गोलू सही टाइम पर आये हो , चलो नीचे चलते है”
गुड्डू गोलू को लेकर जाने लगा , कुछ कदम चलकर पलटा और शगुन से कहा,”तुमहू तैयार होकर नीचे आ जाओ”
शगुन ने हां में गर्दन हिला दी तो गुड्डू गोलू को लेकर नीचे चला आया। गोलू को मुस्कुराते देखकर गुड्डू ने कहा,”गोलू तुम जो समझ रहे हो वैसा कुछ भी नहीं है हम तो बस उनकी मदद कर रहे थे”
“अरे भैया हमसे कुछो नहीं छुपा है वैसे हमने ना सच में गलत टाइम पर एंट्री मारी है , हम थोड़ी देर और नहीं आते तो शायद माहौल बना रहता”,गोलू ने कहा
“अबे का अंट शंट बक रहे हो तुमहू , ऐसा कुछ नहीं है और पहिले इह बताओ हिया का कर रहे हो तुम ? रौशनी की शादी में जाने को कहे थे”,गुड्डू ने बात बदलते हुए कहा
“अरे हम वही गए थे आप दिखे नहीं तो फोन किया लेकिन आपका फोन भी लगा नहीं तो सोचा घर ही आ जाये ,, चलो छोडो वैसे लग बड़े जहर रहे हो आज किसको मारने का इरादा है गुड्डू भैया ?”,गोलू ने गुड्डू को छेड़ते हुए कहा
“हम खुद मरे पड़े है गोलू हम का किसी को मारेंगे , अच्छा खासा शादी में जा रहे थे की पिताजी को चूल मच गयी और उन्होंने कहा की शगुन को साथ लेकर आओ”,गुड्डू ने कहा
“तो इसमें गलत का है भाभी को साथ रखना जिम्मेदारी है आपकी और हम तो कहेंगे की इह जिम्मेदारी ना तुमहू पुरे दिल से निभाओ”,गोलू ने कहा तो गुड्डू दूसरी और देखने लगा। गोलू ने टेबल पर रखा पानी का जग उठाया और ग्लास में उड़ेलते हुए बड़बड़ाने लगा,”तुमहू मानो या मनो भैया लेकिन एक ठो दिन भाभी के प्यार में तो तुमको गिरना ही है”
“का बड़बड़ा रहे हो गोलू ?”,गुड्डू ने कहा
“कुछ नहीं हम पूछ रहे पानी पिएंगे आप ?”,गोलू ने कहा
“नहीं तुम यही रुको हम वाशरूम होकर आते है”,कहते हुए गुड्डू ने अपना फोन टेबल पर रखा और चला गया। गोलू वही रुककर शगुन और गुड्डू का इंतजार करने लगा। तभी गुड्डू का फोन बजा स्क्रीन पर पिंकी का नाम देखकर गोलू की भँवे तन गयी। अब इसे गोलू की अच्छी किस्मत कहे या गुड्डू की बुरी किस्मत की गुड्डू का फोन गोलू के पास था और उस पर पिंकी का फोन था।
गोलू ने इधर उधर देखा और पिंकी का फोन रिसीव करके कहा,”हेलो”
पिंकी – हेलो गुड्डू कहा हो तुम ? सुबह से हमारा फोन क्यों नहीं उठा रहे ? ना मेसेज के जवाब दे रहे हो
गोलू – हम तुम्हाये बाप के नौकर नहीं है जो फोन उठाये
पिंकी – कौन बोल रहा है ?
गोलू – हम बोल रहे है गोलू गुप्ता तुम्हाये होने वाले वो (शरमाते हुए)
पिंकी – तू ? तू वहा क्या कर रहा है ? और गुड्डू का फोन तुम्हारे पास कैसे आया ? गुड्डू है कहा ? (गुस्से से)
गोलू – हम नहीं बताएँगे हमे शर्म आ रही है (ओवरएक्टिंग करते हुए)
पिंकी – गोलू बताओ कहा है गुड्डू ?
गोलू – गुड्डू भैया ना शगुन भाभी को साड़ी पहनाने में उनकी मदद कर रहे है (शरमाते हुए)
पिंकी ने जैसे ही सूना उसका खून खोल गया और उसने कहा,”उसकी इतनी हिम्मत , वो ऐसे कैसे कर सकता है ?”
“काहे नहीं कर सकता ? दोनों शादीशुदा है हमे तो लगता है जल्दी ही मिश्रा जी के घर में जूनियर मिश्रा आने वाला है,,,,,,,,,,,,,,,,का कहती हो ?”,गोलू ने जले पर नमक छिड़कते हुए कहा
“तुमसे तो हम बाद में निपटेंगे गोलू गुप्ता पहले उस शगुन से निपट ले”,कहकर पिंकी ने गुस्से में फोन काट दिया। गोलू ने फोन अपने होंठो से लगाया और मुस्कुराते हुए कहा,”गुस्से में तो इह साली और भी बवाल लगती है बे”
कुछ देर बाद गुड्डू आया तो गोलू ने धीरे से उसका फोन वापस टेबल पर खिसका दिया और कहा,”चले भैया”
गुड्डू और गोलू वहा से आये तब तक शगुन भी साड़ी पहने तैयार होकर चली आयी गुड्डू की नजर शगुन पर पड़ी तो बाद देखता ही रह गया। मेहरून रंग की साड़ी , जिसके साथ क्रीम कलर का ब्लाउज , खुले बाल जो की कमर तक झूल रहे थे , आँखों में काजल , होंठो पर लाली , बिंदी , सिंदूर , गहने और हाथो में चूड़ियाँ पहने शगुन गुड्डू से नजरे बचाती हुई दूसरी और देख रही थी। गुड्डू को होश आया तो उसने झेंपते हुए कहा,”चलो गोलू चलते है”
“कहा ? हम तो अपनी स्कूटी से जायेंगे आप भाभी को लेकर पहुंचो”,गोलू ने अपने जेब से चाबी निकालते हुए कहा और चला गया। गुड्डू ने शगुन को चलने का इशारा किया और घर से बाहर चला आया। उसने अपनी बाइक स्टार्ट की और शगुन से कहा,”बइठो”
शगुन आकर गुड्डू के पीछे बैठ गयी। बुलेट बाइक पर परेशानी ये थी की सपोर्ट के लिए उसमे कुछ नहीं था , शगुन को उलझन में देखकर गुड्डू ने कहा,”हमाये कंधे पर हाथ रख लीजिये”
शगुन ने जैसे ही गुड्डू के कंधे पर हाथ रखा गुड्डू के मन में तार एक बार फिर झनझना उठे अपनी भावनाओ को काबू में रखते हुए गुड्डू ने बाइक आगे बढ़ा दी। शादी के बाद आज पहली बार शगुन गुड्डू के साथ बाहर आयी थी। रास्ते भर दोनों खामोश रहे बस कभी कभी गुड्डू की नजर साइड मिरर से दीखते शगुन के चेहरे पर पड़ जाती। दोनों गेस्ट हॉउस पहुंचे ,, शगुन को देखते ही वेदी उसके पास चली आयी और उसे अपने साथ ले गयी। गुड्डू भी अंदर चला आया बारात के आने में अभी वक्त था इसलिए गुड्डू बाकि के काम देखने लगा। गुड्डू अभी काम में लगा हुआ ही था की किसी ने उसका हाथ पकड़कर उसे साइड किया। गुड्डू ने देखा वो पिंकी थी , वह कुछ कहता इस से पहले ही पिंकी बोल पड़ी,”ये सब क्या लगा रखा है तुमने गुड्डू ?”
“अब हमने का किया ?”,गुड्डू ने कहा
“सही है तुम्हे तो जैसे कुछ पता ही नहीं है ना”,पिंकी ने झुंझलाते हुए कहा
“हुआ का है जे तो बताओ ,,अब हमसे का गलती हो गयी”,गुड्डू ने मिमियाते हुए कहा
“तुम पहले इह बताओ हमसे प्यार करते हो या नहीं ?”,पिंकी ने कहा
“करते है”,गुड्डू ने कहा
“तो चलो”,कहते हुए पिंकी गुड्डू का हाथ थामे गोलगप्पे वाले के पास लेकर आयी और कहा,”खिलाओ गोलगप्प्पे हमे अपने हाथ से”
गुड्डू ने देखा पूरा मैदान लोगो से भरा पड़ा था , वही कुछ दूर शगुन भी वेदी के साथ खड़ी थी और कुछ ही दूर गोलू खड़ा गुड्डू को ही देख रहा था। ऐसे सबके बीच पिंकी उसे खिलाने को बोल रही थी। गुड्डू को उलझन में देखकर पिंकी ने कहा,”खिलाओगे या फिर से नस काट ले ?”
पिंकी की बात सुनकर गुड्डू ने पास पड़ी प्लेट उठायी और सामने खड़ी शगुन को देखने लगा , शगुन वहा से दूसरी और चली गयी।

Manmarjiyan - 52
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