मनमर्जियाँ – 18
Manmarjiyan – 18
“मनमर्जियाँ”
By Sanjana Kirodiwal
Manmarjiyan – 18
पिंकी एक बार फिर गुड्डु को बेवकूफ बनाकर चली गयी । गुड्डु ने बिरजू को सूट का नाप दिया और घर चला आया । घर में तो बस बनारस जाने की तैयारियां चल रही थी , मिश्राईन ने गुड्डु को देखा तो उसके पास आकर कहा,”गुड्डु चल नाश्ता कर ले और उसके बाद मुझे शोरूम तक छोड़ दे”
“आपको शोरूम काहे जाना है ?’,गुड्डू ने पूछा
“अरे बनारस जाना है लड़की देखने तो क्या पुराने कपड़ो में जाउंगी , चल जल्दी से नाश्ता कर और चल मेरे साथ”,मिश्राइन ने कहा और दूसरे कामो में लग गयी
गुड्डू मन ही मन ये सब देखकर दुखी हो रहा था की तभी वेदी आयी और दो ड्रेस गुड्डू के सामने करके पूछा,”गुड्डू भैया जे वाला ज्यादा बढ़िया है या जे वाला ?”
“काहे पूछ रही हो ? कोई भी पहनो तुम पर तो सब अच्छा लगेगा”,गुड्डू ने सोच में डूबे हुए कहा
“अरे होने वाली भाभी से मिलने जाना है थोड़ा तो कानपूर का रंग दिखना चाहिए ना उनको”, वेदी ने कहा तो गुड्डू वहा से चला गया। कमरे में ना आकर गुड्डू सबसे ऊपरी छत पर चला आया और हवा में हाथ उठाकर जोर से चिल्लाया , लेकिन ये चिल्लाना मन में था बाहर इसकी आवाज किसी को सुनाई नहीं दी। गुड्डू पिंकी के जाल में बुरी तरह फंस चुका था , वह अपनी जिन भावनाओ को प्यार का नाम दे चुका था असल में गुड्डू ने उन भावनाओ को ठीक से जिया भी नहीं था और मिश्रा जी ने किसी और के साथ उसकी शादी तय कर दी। गुड्डू मन ही मन बहुत दुखी था पर यहाँ ना मिश्रा जी उसकी सुन रहे थे ना ही पिंकी दोनों मिलकर गुड्डू को इधर उधर खींच रहे थे। घर में मन नहीं लगा तो गुड्डू दोपहर बाद मोती झील चला आया वहा अकेले पानी के पास बैठकर शून्य में ताकता रहा। गुड्डू के घर में ऐसा कोई नहीं था जिसे वह अपने जज्बात समझा सके न ही कोई ऐसा दोस्त था जो उसे सही सलाह दे सके। हालाँकि गोलू ने कोशिश की लेकिन उसके हिसाब से गुड्डू पिंकी के प्यार में पागल है इसलिए उसने गुड्डू से इस बारे में बात करना ही बंद कर दिया। अकेले बैठे बैठे गुड्डू बोर होने लगा तो उसने गोलू को फोन लगाया और कहा,”अबे गोलू कहा हो यार ?’
“बाजार में है भैया बताओ का हुआ ?”,गोलू ने कहा
“का खा रहे हो ?”,गोलू की उलझी हुई आवाज सुनकर गुड्डू ने पूछा
“हमहू चाट पपड़ी खा रहे”,गोलू ने कहा
“ठीक है एक ठो प्लेट हमाये लिए भी ले आओ , यहाँ पार्क में बैठे ही”,गुड्डू ने उदास होकर कहा
“अभी आते है 5 मिनिट में”,कहकर गोलू ने फोन काट दिया और गुड्डू एक बार फिर उदासी में डूब गया। कुछ देर बाद गोलू वहा पहुंचा और गुड्डू की बगल में बैठते हुए कहा,”का हुआ चाँद सा चेहरा बुझा काहे है ? मिश्रा जी ने फिर कुछ कहा ?”
“उन्होंने तो बड़ी वाली लंका लगाई है उह का बोलेंगे , दुइ दिन बाद लड़की देखने बनारस जाना है हमे समझ नहीं आ रहा कैसे मना करे ? पिताजी तो हमायी एक बात तक सुनने को तैयार नहीं है”,गुड्डू ने उदास होकर कहा
“तुमहू भी ना कमाल करते हो यार गुड्डू भैया , हमको तो इह समझ नहीं आता की आखिर उस पिंकिया में है का ? ना वो तुमको भाव देती है ना ही उसको तुम्हायी ख़ुशी से कोई फर्क पड़ता है , साला तुम्हारी शादी हो रही है और वो मजे से कही गोलगप्पे खा रही होगी सुखी पपड़ी के साथ”,गोलू ने कहा
“अबे पिंकिया हमारा प्यार है”,गुड्डू ने कहा
“और तुमहु हो साले चूतिया , तबसे एक ही बात को लेकर बैठे हो ,, बेटा प्यार होते ना उसके तो अब तक शादी हो चुकी होती तुम्हायी उसके साथ और हमहू चचा बन गए होते ,, पिंकिया सिर्फ टहला रही है तुमको। आज सगाई के लिए बोली है कल शादी के लिए बोलेगी और उसके बाद तुम्हारा काट कर चली जाएगी , तुमहू बैठे रहना अपने प्यार की बत्ती बनाकर”,गोलू ने गुस्से से कहा
“तो अब हम का करे ?”,गुड्डू ने मासूमियत से कहा
“मिश्रा जी जोन लड़की देखे है ना उस से मिलो शादी के लिए हां कहो और शादी करो , अगर तब भी पिंकिया कुछ ना कहे ना तो समझ लो की कोई प्यार व्यार नहीं है”,गोलू ने दाँत कुरेदते हुए कहा
गुड्डू ने उसके हाथ से चाट पपड़ी ली और खाने लगा , कुछ देर बाद गुड्डू की आँखों से आंसू बहने लगे तो गोलू ने कहा,”अब रो काहे रहे हो जब हम कहे थे पिंकिया पर भरोसा न करो तब तो हमायी सुने नहीं”
“अबे रो नहीं रहे है बे ? मिर्ची ज्यादा है इसमें , पकड़ो तुम्ही खाओ”,गुड्डू ने प्लेट गोलू की और बढ़ा दी। गोलू को तीखा पसंद था इसलिए वह चटखारे लेकर खाने लगा। खत्म करके कहा,”देखो भैया ऐसा है तुमहू हमाये भाई भी हो और दोस्त भी गलत राय नहीं देंगे बे तुमको , पिंकी को तुम प्यार करते हो सच है पर पिंकिया भी तुमसे प्यार करती है कह देना काफी नहीं है उह दिखना भी चाहिए”
“मतलब ?”,गुड्डू ने पूछा
“पिंकिया के साथ तुमको कैसा लगता है ? मतलब कैसा फील होता है ?”,गोलू ने सवाल किया
“अच्छा लगता है”,गुड्डू ने मुस्कुरा के कहा
“सिर्फ अच्छा लगता है या बहुत अच्छा लगता है ?”,गोलू किसी टीचर की तरह सवाल कर रहा था
“बहुत अच्छा तो नहीं कहेंगे , क्योकि जब भी मिले है उस से टेंशन में ही मिले है”,गुड्डू ने कहा
“वही तो हम कहना चाहते है , पिंकी तुमको अच्छी लगती है उसको प्यार नहीं कह सकते”, गोलू ने दार्शनिक अंदाज में कहा
“अबे प्यार तो है ही यार”,गुड्डू ने कहा
“भैया जिस दिन तुमको प्यार हुआ ना कुछो समझ नहीं आएगा ,,, अपनी वैल्यू समझो यार भैया ! पिंकिया के चक्कर में गधे बन चुके हो”,गोलू ने कहा
“साले तुमको हम यहाँ टेंशन दूर करने को बुलाये है और तुमहू को के डिप्रेशन में डाले जा रहे हो”,गुड्डू ने गुस्से से कहा तो गोलू ने उसका हाथ पकड़कर कहा,”अच्छा अच्छा अच्छा एक गहरी साँस लो”
“काहे ?”,गुड्डू ने झुंझलाकर पूछा
“अरे लो तो सही”,गोलू ने कहा तो गुड्डू ने एक दो बार लम्बी साँसे ली उसे थोड़ा अच्छा लग रहा था। गोलू ने देखा तो पूछा,”अब ठीक है ?”
“हम्म्म , पर मिश्रा जी ठीक नहीं है गोलू”,गुड्डू ने फिर वही रामकहानी शुरू कर दी तो गोलू ने कहा,”देखो भैया सिर्फ लड़की देखने जाना है सादी नहीं कर रहे है तुम्हायी , इसलिए ख़ुशी ख़ुशी बनारस जाओ , लड़की से मिलो बाकि बाद में देखते है का कर सकते है”
“हम्म्म तुमहू हमाये साथ चलो”,गुड्डू ने कहा
“अरे हम क्या करेंगे ?”,गोलू ने कहा
“अबे चलो यार कम्पनी मिल जाएगी हमको , वैसे भी पिताजी के होते कहा कुछ बोल पाएंगे यार तुम रहोगे तो हिम्मत रहेगी”,गुड्डू ने कहा
“अच्छा ठीक है चलेंगे , अब पहले अपना इह मूड ठीक करो”,गोलू ने कहा तो गुड्डू ने उसको गले लगाकर कहा,”चलो कुल्फी खिलाते है तुम्हे”
गुड्डू और गोलू दोनों बाइक पर सवार होकर बाजार की और निकल गए। बाजार में आकर गुड्डू ने दो कुल्फी खरीदी , एक गोलू को दी दूसरी खुद खाने लगा। कुल्फी खाने के बाद दोनों घर चले आये।
गोलू अपने घर और गुड्डू अपने घर ,, अगली सुबह गुड्डू जब शोरूम जाने लगा तो मिश्रा जी ने उसे रोकते हुए कहा,”अरे बेटा किधर ?”
“अब शोरूम जाये तो परेसानी ना जाये तो परेसानी , बताओ का करे ?”,गुड्डू ने कहा
“अरे बिगड़ काहे रहे हो बेटा ? हमहू कह रहे थे कि तुमहू जाओ बजाज ट्रेवल्स के पास और 4 टिकट्स बुक करवा आओगे बनारस के लिए”,मिश्रा ने कहा
“बस से काहे जा रहे है गाडी से भी तो जा सकते है ?”,गुड्डू ने कहा
“गाड़ी सर्विस पर गयी हुई है , और बेटा बस का सफर ना बहुते बढ़िया होता है ,, कल सुबह 6 बजे की टिकट बुक करवा दो”,मिश्रा जी ने कहा
“गाड़ी सर्विस पर है तो जान केंसिल कर देते है”,गुड्डू ने बनारस से बचने के लिए कहा
“बेटा अगर पैदल जाना पड़े तब भी तुम्हाये लिए रिश्ता देखने जरूर जायेंगे ,, जितना कहे है उतना करो”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू ने कहा,”5 टिकट्स बुक करवाएंगे”
“5वी किसके लिए ?”,मिश्रा जी ने शकभरे स्वर में कहा
“गोलू भी जाएगा हमाये साथ”,गुड्डू ने कहा
“वहा का नौटंकी चल रही है ? और इह गोलू को काहे जाना है ? लड़की तो तुम्हे पसंद करनी है”,मिश्रा जी ने कहा
“हमारा दोस्त है इसलिए जाएगा , घर के लोगो पर तो वैसे ही भरोसा नहीं रहा है हमे”,गुड्डू ने कहा तो मिश्रा जी भड़क उठे और कहा,”ए मिश्राइन सुन रही हो का कह रहे है लाड साहब ,, घरवालों पर भरोसा नही रहा है इनको ,, बेटा जिस दिन बाहर वालो ने इस्तेमाल करना सुरु किया ना सबसे पहिले याद इह घर की ही आएँगी ,, दुनिया को अपने जैसा भोंदू ना समझो का समझे ,, टिकट चार करवाओ भले पांच कल सुबह बनारस के लिए निकलना है बस”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू बाइक लेकर चला गया
गुड्डू बजाज ट्रेवल्स पहुंचा और कहा,”कल सबेरे की 5 बनारस की टिकट कर दयो”
“का गुड्डू भैया दादी निकल ली का ?”,ट्रेवल्स वाले ने पूछा
“अबे शुभ शुभ बोलो दादी काहे निकलेगी बे इतनी जल्दी”,गुड्डू ने कहा
“तो फिर बनारस की टिकट उह भी तत्काल में ?”,लड़के ने फिर पूछा
मिश्रा जी के लेक्चर सुनकर गुड्डू का दिमाग पहले से खराब था , उसने कहा,”का है बनारस में पानी नहीं आ रहा है तो नहाने जा रहे है घरवालों के साथ,,,,,,,,,,,,,,अबे साले बकैती ना करो अपने काम पर ध्यान दो”
गुड्डू को गर्म होता देखकर लड़के ने 5 टिकट्स बनाकर गुड्डू को दे दिए , गुड्डू ने टिकट्स जेब में रखे और कहा,”पैसे पिताजी से ले लेना”
कहते हुए बाइक की और बढ़ गया और बड़बड़ाने लगा,”साला हमायी बर्बादी का पैसा हम काहे भरे”
गुड्डू टिकट्स लेकर घर आया और मिश्रा जी को दे दिए। दिनभर गुड्डू घर में ही ऊंघता रहा , क्योकि कॉलेज खत्म हो चुके थे और शोरूम पर जाना उसे अच्छा नहीं लगता था। अगली सुबह मिश्रा जी ने सबको जल्दी उठा दिया और तैयार होकर घर से बाहर चले आये। सोनू भैया सबको अपनी गाड़ी से बस स्टेण्ड तक छोड़ने जाने वाले थे। गुड्डू ने सूट पहना , अपनी पसंद के जींस शर्ट पहनने वाले गुड्डू को हरे रंग का ये सूट पसंद नहीं आ रहा था पर क्या करता मिश्रा जी के सामने भला कहा चलती है उसकी। जैसे ही गुड्डू उस सूट में बाहर आया उसे देखकर सोनू भैया मुस्कुरा उठे , दरअसल इन कपड़ो में गुड्डू वो गुड्डू नहीं लग रहा था जो कानपूर का असली गुड्डू था , उसके चेहरे पर 12 बजे थे और आज मिश्रा जी के डर से बालो को बनाया हुआ था। मिश्राइन ने दोनों हाथो की बलाये लेते हुए कहा,”हाये नजर न लगे मेरे बेटे को”
मिश्रा जी ने सबको बैठने को कहा। मिश्रा जी मिश्राइन और वेदी पीछे बैठे , सोनू भैया ड्राइवर सीट पर और गुड्डू सोनू की बगल में ,, गोलू उन्हें नुक्कड़ पर मिलने वाला था। नुक्कड़ से गोलू को साथ लेकर सभी बस के पास पहुंचे। मिश्रा जी , मिश्राइन और वेदी की सीट साथ थी और गुड्डू ने अपनी और गोलू की सीट सबसे लास्ट में साथ रखी ताकि दोनों अपनी समस्या का हल निकाल सके। सभी अपनी अपनी सीटों पर आकर बैठे और बनारस के लिए निकल गए।
बनारस , उत्तर-प्रदेश
सुबह से ही घर में सारे लोग साफ सफाई में लगे है। प्रीति ने घर के सारे परदे बदल दिये है , बेडशीट्स नयी जमा दी , शगुन और चाची मिलकर किचन सम्हाल रही थी। चाची का लड़का अमन गुप्ता के कहे कहे इधर से उधर काम कर रहा था। गुप्ता जी और उनके भाई विनोद लड़के वालो के आने का इंतजार कर रहे थे। दोपहर में मिश्रा जी और उनका परिवार बनारस पहुंचा , गुप्ता जी ने उनके लिए गाड़ी भिजवा दी। सभी गुप्ता जी के घर पहुंचे , गाड़ी आगे गली में नहीं जा पाई इसलिए उन्हें नुक्कड़ पर ही उतरना पड़ा। विनोद उन्हें वहा मिल गया और अपने साथ लेकर चल पड़ा। मिश्रा जी मिश्राइन और वेदी आगे और गुड्डू गोलू पीछे पीछे चल रहे थे। चलते चलते गुड्डू के पैरो में पतंग का धागा उलझ गया , गुड्डू उसे निकालने लगा तो गोलू भी रुक गया। उसे देखकर गुड्डू ने कहा,”अरे गोलू तुम चलो हमहू आते है”
“भाग मत जाना”,गोलू ने कहा
गुड्डू ने घुरा तो गोलू आगे बढ़ गया। गुड्डू ने धागा निकाला गुप्ता जी का घर सामने ही था इसलिए गुड्डू चल पड़ा। घर के मेन गेट से लगकर ही किचन था और उसका दुसरा गेट बाहर गली की और था। शगुन ने किचन में रखा ठन्डे पानी का मग उठाया और गली का गेट खोलकर जैसे ही फेंकने लगी किसी ने आवाज दी तो शगुन ने गर्दन अंदर की और घुमा ली , बिना सामने देखे ही उसने पानी फेंक दिया। पानी जाकर सीधा गुड्डू पर लगा और गुड्डू पूरा भीग गया। जैसे ही शगुन ने सामने देखा उसकी हालत खराब हो गयी , गुड्डू वही लड़का था जो उसे देखने आया था और शगुन ने सोचा नहीं था गुड्डू से उसकी मुलाकात इस तरह होगी !”
क्रमश – manmarjiyan-19
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संजना किरोड़ीवाल
मजा आ गया…गुड्डू और शगुन की पहली मुलाकात का…अब बस इन दोनों की शादी हो जाए…और शगुन गुड्डू की पत्नी बनकर कानपुर में आ जाए…हालांकि है वो गुड्डू के जैसी सीधी…लेकिन भोंदू नहीं… वो अच्छा सबक सिखाएगी पिंकी को…लेकिन पहले शादी तो हो…
Roshni ka kya fir….mere ku guddu k liye roshni ka lag raha tha sanjana ji lekin yaha to kisi or ki entry ho gai h…dekhte h ab aage kya hota h
So nice
Pahli mulakat yadgar ban gayi🤣🤣
😂😂 first mulakat
Superb part isako kahate h pahali mulakat
Kya meeting hai😂😂😂
Hahaha majedar meeting h😂😂
Guddu ki life ma kuchh sidhha kahe nahi hota be..bechara.aur jo dekho vo dadi ko tapkane ke piche kahe pada hai jine do budhau ko bhai.
Are gazab…..
Pehli mulakat to badi hi khoobsurat h mazaa aa gya
Very beautiful
Lo ji phli mulakat😂😂
Guddu bhai there life me much sidha nahi hota …..