मनमर्जियाँ -17
”मनमर्जियाँ -17”
By – Sanjana Kirodiwal
Manmarjiyan -17
पिंकी ने गुड्डू को अपना प्लान बताया और चली गयी , गुड्डु एक बार फिर पिंकी की बातों में आ गया । पिंकी के मन मे क्या चल रहा था ये तो सिर्फ वही जानती थी , लेकिन इस बार गुड्डु बुरा फसने वाला था । थोड़ी देर बाद ही गुड्डु घर चला आया उसे देखते ही मिश्रा जी ने कहा,”तो बेटा का सोची हो ? करी हो शादी के नाही”
“हम तैयार है”,गुड्डु ने जैसे ही कहा मिश्राईन के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी । दादी ओर लाजो को अजीब लगा कि गुड्डु इतनी जल्दी कैसे मान गया शादी के लिए । वही वेदी खुश थी कि अब कम से कम पिंकी तो उसकी भाभी नही बनने वाली है । मिश्रा जी ने सुना तो शक हुआ और उन्होंने कहा,”इतनी जल्दी मान गए , शर्मा जी की बिटिया ने फिर से लात मार दी का ?”
“आपको हमाई शादी करनी है करा दो , आग काहे लगा रहे हो ?”,गुड्डु ने चिढ़ते हुए कहा
“अरे जरूर जरूर तुम्हारी नकेल किसी के हाथ मे तो देना जरूरी है ना बेटा , अये मिश्राईन पंडित की को खबर कर दो की गुड्डुआ मान गवा है”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डु ऊपर चला आया । उसे बहुत दुख हो रहा था और बुरा भी लग रहा था कि पिंकी को छोड़कर वह किसी ओर से शादी कैसे कर सकता है ? लेकिन ये पिंकी का ही प्लान था कि गुड्डु घरवालो की पसन्द से शादी कर ले । घर मे सभी उसकी शादी को लेकर खुश थे बस गुड्डु ही दिनभर उदास बैठा रहा ।
दो दिन बाद शाम में केशव पंडित बनारस पहुँचे । महादेव के दर्शन के बाद सीधा कृष्णकांत के घर चले आये ।
पंडित जी को देखते ही कृष्णकांत जी का चेहरा खिल उठा। वे उन्हें लेकर अंदर आये और बैठने को कहा। गुप्ता जी ने शगुन को आवाज लगाई , शगुन नीचे आये पंडित जी को देखकर उन्हें नमस्ते किया और उनके लिए चाय नाश्ता लेने चली गयी। प्रीती भी चली आयी और आकर पंडित जी को नमस्ते करके बैठ गयी। कृष्णकांत जी ने विनोद को भी बुला लिया कुछ देर बाद विनोद और उनकी पत्नी भी चली आयी।
“बताईये पंडित जी कैसे आना हुआ ?”,कृष्णकांत जी ने आदर भाव से पूछा
“शगुन बिटिया बहुते भाग्यशाली है गुप्ता जी अभी दो दिन पहिले ही रिश्ते के सिलसिले में कानपूर गए रहय तो वही शगुन बिटिया के लिए एक बहुत ही बढ़िया रिश्ता मिल गया। उन्हें तो शगुन बिटिया बहुत पसंद आयी , उन्होंने रिश्ता भी भेजा है। आप लोग देख लीजिये उसके बाद दोनों परिवारों की मुलाकात हो जाएगी”,पंडित जी ने कहा तो सभी के चेहरे ख़ुशी से भर गए। कृष्णकांत जी ने सूना तो कहा,”ये तो बहुत ही ख़ुशी की बात है , शगुन बिटिया भी ज्यादा दूर जाना नहीं चाहती थी , लड़का कैसा है ?”
“लड़का बहुत ही सुन्दर और सुशील है , घर में इकलौता बेटा है इसलिए लाड प्यार थोड़ा ज्यादा है। लड़के के पिता आनंद मिश्रा जी का कानपूर में अपना खुद का बड़ा शोरूम है , काफी जाने माने पंडित खानदान से है वो। उनके बाद उनका बेटा ही सारा काम काज सम्हालेगा”,पंडित जी ने कहा
“क्या कहा पंडित ? ये रिश्ता पंडितो के घर से आया है ?”,विनोद ने पूछा
“हां आनंद मिश्रा ब्राह्मण पंडित है , उन्होंने ही शगुन को अपने बेटे के लिए पसंद किया है”,पंडित जी ने कहा
“लेकिन भैसाहबा हम गुप्ता वो मिश्रा ये रिश्ता कुछ बेमेल लग रहा है मतलब कम से कम लड़का हमारी बिरादरी का तो हो”,विनोद ने आपत्ति जताई
“विनोद किस ज़माने की बात कर रहे हो तुम , लड़का और घर परिवार अच्छा होना चाहिए”,कृष्णकांत जी ने कहा
“हम्म्म ये बात भी ठीक है , हां तो पंडित जी लड़के के घर में और कौन कौन है ?’,कृष्णकांत जी ने पूछा
“आनंद मिश्रा जी , उनकी धर्मपत्नी , लड़का , एक छोटी लड़की और एक मिश्रा जी की अम्मा ,, दो मंजिला बढ़िया मकान है और मोहल्ले में मिश्रा जी का अच्छा नाम है। घर मे सारी सुख-सुविधाएं है , किसी चीज की कोई कमी नहीं है शगुन बिटिया वह खुश रहेगी”,पंडित जी ने कहा तो कृष्णकांत जी विनोद की और देखने लगे और कहा,”क्या कहते हो विनोद ?”
“पंडित जी कुंडली मिलायी आपने दोनों की ?”,विनोद ने सवाल किया
“हां , दोनों की कुंडली मेरे पास ही है , दोनों के 34 गुण मिलते है”,पंडित जी ने कहा
“ये तो बहुत ही अच्छी बात है , फिर तो एक बार लड़के के परिवार से मिल लेना चाहिए”,विनोद ने खुश होकर कहा
इतने में शगुन सबके लिए चाय नाश्ता ले आयी तो चाची ने उसके हाथ से ट्रे लेकर रखते हुए कहा,”अरे शगुन बिटिया आओ आओ बैठो , तुम्हारे लिए रिश्ता आया है”
शगुन ने अपने पापा की और देखा तो उन्होंने हां में गर्दन हिला दी। शगुन चाची के बगल में आ बैठी तो पंडित जी ने कहा,”शगुन बिटिया तुम्हे देखते ही पसंद कर लिया था लड़के के घरवालों ने ,, अब तुम कहो तो जल्दी ही दोनों परिवारों को मिलवा देते है”
“जैसा पापा को ठीक लगे”,शगुन ने धीरे से कहा !
“केशव अंकल जबसे आये है तबसे लड़के की और उसके घरवालों की तारीफों के पुल बांधे जा रहे है आप ,, लड़के की फोटो तो दिखाईये”,प्रीति ने अपने दिल की बात कही
“अरे हां हां क्यों नहीं ?”,कहते हुए पंडित जी ने अपने झोले से गुड्डू की फोटो निकाली और कृष्णकांत जी की और बढ़ा दी। कृष्णकांत जी ने तस्वीर देखी , गुड्डू उन्हें अच्छा लगा। उन्होंने तस्वीर विनोद की और बढ़ा दी , विनोद और उसकी पत्नी ने भी तस्वीर देखी और मुस्कुराते हुए हामी भर दी। प्रीति जो इतनी देर से इंतजार में थी उसने चाची के हाथ से गुड्डू की तस्वीर ली और कहा,”पहले मुझे देखने दो”
प्रीति तस्वीर लेकर भाग गयी बेचारी शगुन तो देख ही नहीं पाई। कृष्णकांत जी पंडित जी से कहने लगे,”पंडित जी लड़का तो बहुत ही अच्छा है , और रिश्ता भी ठीक ही लग रहा है। एक बार शगुन बिटिया का जवाब जान ले उसके बाद आपको इत्तिला कर देंगे तो आप अपने हिसाब से उन्हें बनारस बुला लीजियेगा।”
“हां हां कृष्णकांत जी बिल्कुल , आप बेफिक्र रहिये”,पंडित जी ने कहा और फिर चाय नाश्ता करने लगे। शगुन शरमा कर वहा से ऊपर अपने कमरे में चली आयी। प्रीति तब तक गुड्डू का फोटो देखकर जा चुकी थी , उसने फोटो शगुन की टेबल पर रख दिया था। शगुन की नजर जब फोटो पर गयी तो उसने उसे उठाकर देखा , अभी उसने सिर्फ गुड्डू की आँखे ही देखी थी की प्रीति ने तस्वीर छीनते हुए कहा,”क्या बात है दी शादी के नाम से ही दिल में लड्डू फूटने लगे आपके”
“बदमाश तुझे तो मैं अभी बताती हूँ”,कहकर जैसे ही शगुन प्रीति की और लपकी , प्रीति शगुन से बचने के लिए कमरे में इधर उधर भागने लगी। प्रीति आगे और शगुन उसके पीछे , भागते भागते प्रीति दरवाजे से अंदर आते हुए अपने पापा से टकरा गयी और उन्होंने कहा,”अरे क्या बात है क्यों घर को सर पर उठाया हुआ है तुमने प्रीति ?”
“दी से पूछिये”,प्रीति ने अपने हाथ में पकड़ी तस्वीर को पीछे छुपाते हुए कहा
“क क कुछ नहीं पापा ये तो बस ऐसे ही”,शगुन ने कहा तो कृष्णकांत जी ने प्रीति के हाथ में छुपाई तस्वीर ली और शगुन की और बढाकर कहा,”हमे पता है ये तुम्हे इस तस्वीर के लिए परेशान कर रही थी , ये लो”
शगुन ने तस्वीर ली तो प्रीति मुस्कुरा कर वहा से चली गयी , शगुन को चुप देखकर कृषणकांत जी ने कहा,”शगुन बेटा अगर तुम्हे पसंद हो तो बता देना , जल्दी नहीं है तुम अपना पूरा वक्त ले सकती हो”
“जी पापा !”,शगुन ने कहा तो कृष्णकांत जी वहा से चले गए। उनके जाते ही शगुन ने कमरे का दरवाजा बंद किया और कुण्डी लगा दी ताकि प्रीति फिर से अंदर न आ पाए। शगुन ने तस्वीर को देखा , गहरी भूरी आँखे , सुंदर सा तीखा और लंबा नाक , हल्की दाढ़ी , सुर्ख लाल होंठ , घने और थोड़े से लम्बे बाल , आसमानी रंग की शर्ट और काली पेंट , हाथ में कुछ रुद्राक्ष जैसा , शगुन अपलक गुड्डू की तस्वीर को देखती रही। उसे गुड्डू पसंद आ चूका था शायद इसलिए उसके होंठो पर मुस्कराहट तैर गयी ,, खिड़की खुली थी और हवा आने की वजह से तस्वीर उड़कर नीचे गिर गयी। शगुन ने उसे उठाया और अपनी किताब खोलकर उसमें रखते हुए कहा,”आप यहाँ रहिये यहाँ से आप कही नहीं जा सकते ,, वैसे पंडित जी ने आपका नाम नहीं बताया , कोई बात नहीं जब आपसे मुलाकात होगी तब पूछ लेंगे”
शगुन ने गुड्डू की तस्वीर को किताब में रखा और कमरे से बाहर चली आयी !
कानपूर , उत्तर प्रदेश
हॉल में रखे मिश्रा जी के फोन की घंटी बजी , मिश्रा जी ने आकर फोन उठाया दूसरी और पंडित जी थे। मिश्रा जी ने कहा,”हर हर महादेव पंडित जी कहिये कैसे याद किया ?”
“मिश्रा जी मुबारक हो , कृष्णकांत गुप्ता ने गुड्डू का रिश्ता अपनी बिटिया के लिए स्वीकार कर लिया है। अब बस आप लोग गुड्डू को साथ लेकर बनारस आ जाईये और इन सबसे मिल लीजिये”,पंडित जी ने कहा
“अरे वाह पंडित जी सबेरे सबेरे बहुते बढ़िया खबर सुनाये हो ,, उनसे कहियेगा दो दिन बाद ही बनारस के लिए निकल जायेंगे”,मिश्रा जी ने खुश होकर कहा
“ठीक है मिश्रा जी हम उन्हें खबर कर देंगे , और खबर क्या हमहू खुद भी दो दिन बनारस में ही है ,, हर हर महादेव”,पंडित जी ने कहा और फोन काट दिया
“हर हर महादेव”,कहकर मिश्रा जी ने फोन काटा और आवाज लगायी,”मिश्राइन अरे ओह मिश्राइन , अरे हिया आबो यार”
“का हुआ सुबह सुबह इतने खुश नजर आ रहे हो ?”,मिश्राइन ने कहा
“अरे बात ही ख़ुशी की है , पहिले जरा मिठाई खिलाओ हमको यार बाद में न बताएँगे का बात है ?”,मिश्रा जी ने बैठते हुए कहा
“लाजो ज़रा मिठाई तो लाओ”,मिश्राइन ने आवाज लगाईं तो लाजो मिठाई ले आयी। मिश्रा जी ने मुंह मीठा किया उनकी आवाज सुनकर वेदी और गुड्डू भी नींचे चले आये और आकर खड़े हो गए। मिश्रा जी ने गुड्डू को देखा तो लड्डू उठाकर उसे खिला दिया। गुड्डू ने लड्डू आधा खाया आधा अपने हाथ में लेकर कहा,”ये लड्डू किस ख़ुशी में ?”
“अरे बेटा तुम्हायी शक्ल देख के लड़की ने हां कह दी”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू के मुंह में रखा लड्डू गले में ही अटक गया और वह खांसने लगा। मिश्रा जी ने देखा तो कहा,”मिश्राइन पानी पिलाओ अपने बेटे को”
लाजो पानी ले आयी और गुड्डू की और बढ़ा दिया। गुड्डू पानी पीते हुए मन ही मन सोचने लगा,”पिंकिया ने तो कहा था की पिताजी सिर्फ शादी का झूठा नाटक कर रहे है अगर हमहू हां करेंगे तो अपने ही प्लान में फंस जायेंगे ,, पर हिया तो उलटा हो गवा”
“का बेटा ठीक हो ? दुइ दिन बाद चलना है बनारस लड़की वालो से मिलने , तो तुमहू जाके बिरजू को सूट पेंट का नाप देकर आओ”,मिश्रा जी ने कहा
“हम्म !”,गुड्डू तो अभी भी सदमे में ही था। उसका और पिंकी का प्लान तो फेल हो चुका था। गुड्डू वहा से निकला और पिंकी को फोन मिलाकर कहा,”अभी के अभी बिरजू की दुकान पर मिलो”
“क्यों क्या हुआ ?”,पिंकी ने उधर से सवाल किया
“अबे यार कोनो सवाल ना करो मिलो आकर”,कहते हुए गुड्डू ने बाइक स्टार्ट की और घर से निकल गया। उसे जाते देखकर मिश्रा जी ने बिरजू को फोन लगाया और कहा,”हां सुनो बिरजू , गुड्डू आ रहा है उसके नाप का बढ़िया सूट पेंट परसो शाम तक तैयार करके देना है ,, कपड़ा तुम अपनी पसंद का ले लेना”
फोन काटकर मिश्रा जी ने मिश्राइन से कहा,”देखा कैसे कह रहा था सादी नहीं करनी सादी नहीं करनी , अबहु ससुरा कैसे भाग के गया है नाप देने ? तुमहू भी आज शाम शोरूम आकर अपने और अम्मा के लिए नए कपडे लेइ आओ मिश्राइन ,, हम्म्म्म दिखना चाहिए गुड्डू की माँ हो तुम”
“ठीक है शाम को वेदी के साथ आ रहे है”,मिश्राइन ने कहा और चली गयी
गुड्डू बिरजू की दुकान पर पहुंचा पिंकी वहा पहले से खड़ी थी। गुड्डू उसका हाथ पकड़ कर उसे अंदर लेकर आया और कहा,”तुमहू तो कही थी की हमारे हां बोलते ही पिताजी हमायी शादी के लिए हां कर देंगे”
“अरे गुड्डू हुआ क्या वो बताओ ना ?”,पिंकी ने नासमझ बनते हुए कहा
“हुआ का ? बड़के मिश्रा जी हमायी शादी फिक्स कर दिए है , तुम कह रही थी ना की उह हमसे मजाक कर रहे है ,, कोई मजाक नहीं था हमाये लग गए है उनके चक्कर में”,गुड्डू ने कहा तो बिरजू ने कहा,”अरे गुड्डू भैया नाप दे दो मिश्रा जी का फोन आया रहय”
गुड्डू एक तो पहले से ही परेशान था , बिरजू की बात सुनकर झुंझला उठा और उसकी और घूमकर कहा,”अभी कनपटी में दे है कंटाप सारा नाप मिल जाएगा तुमको , दिखाई ना दे रहा इम्पोर्टेन्ट बात कर रहे है”
गुड्डू की बात सुनकर बिरजू चुप हो गया , गुड्डू फिर पिंकी की और पलटा और कहा,”तुम सुनो पिंकिया हमहू ये शादी नहीं करने वाले , तुम्हाये प्लान के चक्कर में हम पिताजी को हां बोल दिए , और हुआ का सब गड़बड़”
“भैया हमहू कह रहे थे की नाप दे देते तो हम कटाई कर लेते सूट की”,बिरजू ने डरते डरते कहा
गुड्डू बिरजू की और पलटा और कहा,”अबे भांग खा के बैठे हो का मतलब , एक ठो बार और पूछी हो ना तो इह कैंची तुमरे कपार में डाल देंगे बताय रहे है ,, साला वहा हमाये बाप ने हमायी जिंदगी में चरस बो रखी है हिया तुमको नाप की पड़ी , चुप करके खड़े रहो समझे”
गुड्डू एक बार फिर पिंकी की और पलटा तो पिंकी ने कहा,”गुड्डू गुड्डू गुड्डू तुम ना खामखा परेशान हो रहे हो , सिर्फ लड़की देखने जाना है कोनसा शादी करनी है ,, लड़की देखकर रिजेक्ट कर देना”
“हमायी इतनी औकात है जो अपने बाप के सामने किसी लड़की को रिजेक्ट कर दे”,गुड्डू ने कहा
“तो कुछ ऐसा करो ना की लड़की ही तुम्हे रिजेक्ट कर दे”,पिंकी ने कहा
“तुम ना हमे उलझाओ मत पिंकिया , हमे नहीं समझ आ रहा का करना है”,गुड्डू ने कहा
“तुम लड़की देखने जाओ उसके बाद देखते है क्या करना है ?”,पिंकी ने कहा और वहा से चली गयी। पिंकी के जाते ही बिरजू ने कहा,”गुड्डू भैया अब ले ले नाप , सूट सिलना है”
गुड्डू उसकी और पलटा और कहा,”सूट नहीं तुमहू सिलो हमाये लिए कफ़न”
क्रमश : Manmarjiyan -18
Previous Part : manmarjiyan-16
Follow Me On : facebook
संजना किरोड़ीवाल
पिंकी लड़की नहीं काली नागिन है अपने लालच के चक्कर में तीन जिंदगी बर्बाद करने के लिए तुली हुई है अगर यह मेरे सामने होती तो खींच कर 3 कंटाप लगाती उसको और इस तरह से अच्छा ही है जी गुड्डू की शादी सगुन से हो जाए जिससे गुड्डू
पिंकिया नामक काली नागिन से बच सके
Aahaa.. mtlb pinkia jo h uhh janti hai ki guddu ko ghar bahar nikal denge, aur usko kuch milne se rha, to guddu ki line to usne hi set kr li.😂
Ye pinkya na bahut chalu aur lalchi hai acha hai guddu ki shaadi esse nahi hi rahi…👌
Ee pinkia ko kroo golu k hwalee..uhh sidha kree ee tikdam baj pinkia ko🤣🤣
Very beautiful
Are guddu bhaiya mumbai ki na dilli valo ki pinki hai paise valo ki..uske chakkar me achhi ladki gava baithoge tum
Arrey guddu ji aapko pinki ka lalach dikhayi nhi de rha h bhut chatur h woh bs guddu ki shaadi shagun se ho jaaye to mazaa hi aa jaaye
Giddu ka naya nam guddu urf gadha, insan na huye pinki k hath ka khilona ho gaye vo chabi bhate Ja rahi h or y chale j rahe h unke hisab se🤥