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मनमर्जियाँ – 21

Manmarjiyan – 21

“मनमर्जियाँ”

By Sanjna Kirodiwal

Manmarjiyan – 21

गुड्डू की जिंदगी में भूचाल आने वाला था। मिश्रा जी ने उसकी शादी शगुन से तय करके उसे पिंकी से दूर कर दिया था। बस की आखरी सीट पर बैठा गुड्डू बस की खिड़की से सर लगाए किसी सोच में डूबा हुआ था की गोलू आया और वेदी को अपनी सीट पर बैठने का कहकर खुद गुड्डू की बगल में बैठ गया। गुड्डू बस सोच में डूबा हुआ था उसे देखकर गोलू ने कहा,”अरे भैया इतना ना सोचो जो होता है अच्छे के लिए होता है ,, वैसे भी जोडिया ऊपर वाले के यहाँ बनती है। अब तुम्हायी जोड़ी शगुन भाभी के साथ बनी थी इसमें मिश्रा जी का क्या कसूर ?”
“कितने में बिके ?”,गुड्डू ने पूछा तो गोलू मुस्कुरा दिया और कहा,”तुम्हायी शादी में सूट दिलवाने का वादा किये है तुम्हाये पिताजी”
“हां हां पहनो तुम लेकिन शादी में नहीं हमायी मय्यत में”,गुड्डू ने गुस्सा होकर कहा
“अरे भैया बिगड़ काहे रहे हो यार , इतना अच्छा दिन है और तुमहू हो के मुँह बनाये बैठे हो यार ! पहली बार मिश्रा जी तुम्हायी जिंदगी में कुछो अच्छा किये है”,गोलू ने कहा तो गुड्डू ने उसकी और पलटकर कहा,”देखो बेटा ऐसा है इह बात बात पे ना मिश्रा जी का गुणगान गाना बंद करो ,, उन्होंने ही हमायी मनाली जैसी जिंदगी को कश्मीर बनाया है ,, जिसमे सिर्फ भौकाल ही भौकाल है”
गुड्डू की बात सुनकर गोलू कुछ देर तो खामोश रहा और फिर कहा,”एक ठो बात कहे गुड्डू भैया तुमको ना इंसान की परख नहीं है , तुमहू सिर्फ बाहरी सुंदरता के पीछे भाग रहे हो , कबो मन की सुंदरता को देखना सब भूल जाओगे”
“और इह मन की सुंदरता का होती है बे ?”,गुड्डू ने पूछा
“वही जो शगुन भाभी तुम में देखी है , तुमको लगता है तुम्हायी ये हीरो वाली शक्ल देख के उह हां की है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं उन्होंने देखी तुम्हायी सादगी और देखा तुम्हारा साफ मन ,, पर छोडो यार हमहू भी किसे समझा रहे है”,कहते हए गोलू उठा और वहा से चला गया। बस चाय पानी के लिए रुकी तो गोलू
नीचे उतर आया। मिश्रा जी और बाकि सब भी उतरे , गुड्डू परेशान सा एक साइड खड़ा था गोलू ने उसके लिए चाय का कप लिया और उसकी और बढ़ा दिया। गुड्डू ने देखा जो गोलू कुछ देर पहले उस से नाराज होकर गया था अब उसके लिए चाय लिए खड़ा ही तो गुड्डू मुस्कुरा दिया और चाय लेकर कहा,”तूम नहीं सुधरोगे गुप्ता”
“हम तुम्हारे जितने बिगड़े भी नहीं है”,गोलू ने चाय पीते हुए कहा
“अबे यार ठीक है , गुस्से में बोल दिए सब माफ़ कर दो ,, आज के बाद पिंकी के मेटर से दूर रख्नेगे तुमको ,, हैप्पी”,गुड्डू ने कहा
“ह्म्म्मम्म !”,गोलू ने कहा लेकिन मन ही मन कहने लगा,”खुश तो हमहू उस दिन होंगे जिस दिन शगुन भाभी तुम्हारे घर आएगी और पिंकिया को लात पड़ेगी , बस एक बार तुम्हायी शादी हो जाये , हमहू तो शगुन भाभी की साइड रहेंगे ,, का है की वो भी गुप्ता हमहू भी गुप्ता तो उधर वफादारी थोड़ी ज्यादा बनती है”
“का सोचने लगे गोलू ?”,गुड्डू ने कहा
“कुछ नहीं भैया !”,गोलू ने कहा और फिर दोनों मिश्रा जी की और चले आये। रात के 2 बज रहे थे ऐसे में भूख तो किसे थी फिर भी गुड्डू ने अपने लिए एक चिप्स का पैकेट ले लिया।
गोलू तो भुक्कड़ था ही इसलिए वह बैठकर चाय पकोड़े खाने लगा। मिश्रा जी ने भी उसके साथ एक दो पकोड़े ले लिए। चाय नाश्ते के बाद सभी वापस बस में आ बैठे। सुबह के 7 बजे बस कानपूर पहुंची अब तक मिश्रा जी और बाकि सब लोग भी काफी थक चुके थे। बस स्टेण्ड से ऑटो किया और सभी घर आये , आते ही मिश्रा जी नहाने चले गए। वेदी सोने चली गयी मिश्राइन ने लाजो को कुछ काम बताया और खुद भी अपने कमरे में आकर सुस्ताने लगी। गोलू अपने घर ना जाकर गुड्डू के घर चला आया और उसी के कमरे में आकर सो गया। गुड्डू भी काफी थका हुआ था इसलिए बिस्तर पर गिरते ही सो गया। मिश्रा जी भी आज शोरूम नहीं गए और घर ही रुक गए। गुड्डू दोपहर्त तक घोड़े बेच के सो रहा था। की अचानक से नींद से उठ बैठा। उसके चिल्लाने से गोलू भी आँख मसलते हुए उठा और कहा,”अरे भैया का हुआ सोने काहे नहीं देते ?”
“गोलू बहुते बुरा सपना देखा है यार”,गुड्डू ने डरते हुए कहा
“अब ऐसा का देख लिया ?”,गोलू ने नींद से टूटते हुए कहा
“अबे हमायी शादी हो गयी थी और तुम बैठ के रो रहे थे”,गुड्डू ने कहा
“हम बैठकर रो रहे थे , मतलब का पिंकिया से सादी हो गयी का तुम्हायी ?”,अब डरने की बारी गोलू की थी
“अरे नहीं यार इतनी अच्छी किस्मत कहा है हमायी ? शादी हो रही थी किस से हो रही समझ नहीं आया”,गुड्डू ने कहा
“यार हमहू जा रहे है अपने घर , तुम्हायी बाते सुन सुन के ना पक गए है बाय गॉड , तुम्हायी राम कहानी खत्म नहीं होती है ,, इह पिंकिया का चेप्टर ना अब क्लोज कर दो डेढ़ महीने बाद शादी होने वाली है तुम्हायी उस पर ध्यान दो”,कहते हुए गोलू उठकर वहा से चला गया ! गुड्डू ने मुंह तकिये में छुपा लिया और फिर से सोने की कोशिश करने लगा। नींद से त्रस्त गोलू निचे आया तो मिश्रा जी ने पूछ लिया,”का गोलू सो लिए ?”
“नहीं जगराता करके आये है”,गोलू ने चिढ़ते हुए कहा
“अबे तो इतना बौखलाए काहे हो बे ? कोनो पिचाश देख लिए का ?”,मिश्रा जी ने कहा
“गुड्डू भैया के होते दुसरा पिचाश कैसे आयेगा इह घर मा , छोडो चचा हमहू घर जाय रहे है”,कहकर गोलू चला गया। मिश्रा जी ने मिश्राइन से खाना लगाने को कहा और गुड्डू को भी आवाज लगाई ताकि निचे आकर खाना खा ले। गुड्डू भले कितना भी मनमौजी हो लेकिन मिश्रा जी की एक आवाज पर वह उनके सामने हाजिर हो जाया करता था , ये मिश्रा जी का डर था या फिर गुड्डू के दिल में उनके लिए इज्जत ये गुड्डू ही जानता था !
गुड्डू तुरतं नीचे आया और कहा,”जी पिताजी”
“अरे वहा काहे खड़े हो आओ बैठो खाना खाओ”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू आकर कुर्सी पर बैठ गया। मिश्राइन ने उसके लिए भी खाना परोस दिया , गुड्डू चुपचाप खाने लगा कुछ देर बाद मिश्रा जी ने कहा,”देखो डेढ़ महीने बाद तुम्हायी शादी है इसलिए एक महीने में अपनी संगत और अपनी आदतें सुधार लो। शादी के बाद शोरूम ही सम्हालना है तुमको और अपनी शादीशुदा जिम्मेदारियां भी ,, का समझे !! और शादी में जो जो सामान चाहिए वो खरीद लेना , किसी तरह की कोई कमी नहीं रहनी चाहिए”
“पिताजी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू के कहने से पहले से मिश्रा जी ने उसे रोक दिया और कहा,”देखो बेटा बाप है तुम्हारे , तुमसे ज्यादा सावन देखे है और तुम्हारा अच्छा बुरा तुमसे बेहतर जानते है। हम जानते है तुम कहोगे इह शादी नहीं करनी पर बेटा ऐसा है सबके सामने हां तुमहू खुद किये हो , पीछे हटना तो मुश्किल है नई ,,,बेंगन का भरता लेओ बहुते अच्छा बना है”
मिश्रा जी की बात सुनकर गुड्डू समझ गया की वह बुरी तरह फंस चुका है उसने चुपचाप खाना खाया और ऊपर अपने कमरे में चला आया। बेचैनी बढ़ती जा रही थी और कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करे ? उसने पिंकी को फोन मिलाया , पहली बार पिंकी ने फोन नहीं उठाया तो गुड्डू ने एक बार फिर ,, अगले ही पल पिंकी ने फोन उठाकर गुस्से से कहा,”क्या है गुड्डू ? बिजी हु इसलिए नहीं उठा रही फोन ,, तुम रखो मैं करती हु कुछ देर में”
कहकर पिंकी ने फोन काट दिया। गुड्डू उदास सा बैठ गया , आज पहली बार गुड्डू को खुद पर ही गुस्सा आ रहा था की आखिर वह क्यों इन सब में फंसा हुआ है ? कुछ देर गुड्डू इस सोच में डूबा रहा और फिर उसका फोन बजा पिंकी का था गुड्डू ने फोन उठाया तो उधर से पिंकी ने कहा,”हेलो , हां गुड्डू कहो”
गुड्डू – कहा बिजी थी तुम ?
पिंकी – दोस्त के साथ बाहर आयी थी
गुड्डू – हम्म्म
पिंकी – अच्छा तुम वो लड़की देखने बनारस गए थे , क्या हुआ उसका ?
गुड्डू – हमायी शादी तय हो गयी है (उदास होकर)
पिंकी – क्या ? पर तुमने तो कहा था तुम लड़की को रिजेक्ट कर दोगे
गुड्डू – पिताजी के सामने रिजेक्ट करने की औकात नहीं है हमायी , उन्होंने रिश्ता तय किया है और डेढ़ महीने बाद शादी है। तुमहू कही थी ना की लड़की हमे देख ना बोल देगी
पिंकी – आई ऍम सॉरी गुड्डू हमे लगा,,,,,,,,,,,,,,,!!
गुड्डू – क्या लगा तुम्हे ? तुम्हे लगा गुड्डू चूतिया है तुम्हायी हर बात मान लेगा , लेकिन तुम्हारी बात मानने का ही नतीजा है की आज हमे किसी और से शादी करनी पड़ रही है ,, हम तुमसे प्यार करते थे पिंकी , आज भी करते है लेकिन तुम्हारी जिद की वजह से आज हम किसी और के होने जा रहे है
पिंकी – मुझे नहीं पता था गुड्डू ऐसा कुछ हो जाएगा , मैं भी तो तुमसे प्यार करती हूँ ना यार , मेरा यकीन करो
पिंकी की बात सुनकर गुड्डू कुछ देर के लिए खामोश हो जाता है , उसे खामोश देखकर पिंकी कहती है,”गुड्डू तुम्हे हम पर भरोसा तो है ना ?”
कितना भी समझदार आदमी हो भरोसा नाम सुनकर उसका दिमाग उलझ ही जाता है , गुड्डू ने भी उलझे हुए स्वर में कहा,”हम्म्म भरोसा तो है लेकिन अब क्या पिंकिया ? हमहू इह शादी नहीं कर सकते , तुमसे प्यार करते है तुम्हाये साथ रहना चाहते है लेकिन,,,,,,,,,,,,,,,,!!
पिंकी – हमारे प्यार को किसी की नजर लग गयी है गुड्डू , तभी हम दोनों के साथ सब गलत गलत ही हो रहा है
गुड्डू – शायद तुम सही कह रही हो , लोगो से हमारा प्यार देखा नहीं गया इसलिए तो हमे अलग कर दिया।
पिंकी – तुम टेंशन मत लो गुड्डू तुम्हारी शादी से पहले कोई न कोई हल निकल ही जाएगा , मैं तो खुद प्रॉब्लम में हूँ (रोआँसा होकर कहती है)
गुड्डू – काहे ? का हुआ ?
पिंकी – छोडो गुड्डू तुम खुद इतने परेशान हो तुम्हे ये सब के बारे में बताकर क्यों परेशान करना ?
गुड्डू – अरे बताओ तो सही , तुम्हारी परेशानी हमारी परेशानी , बोलो क्या हुआ ?
पिंकी – एक्चुअली मैंने अपने एक दोस्त से 5 हजार उधार लिए थे फैशन डिजायनिंग के कोर्स फॉर्म के लिए ,, लेकिन जिसे मैंने फॉर्म के लिए पैसे दिए थे उसने वो खर्च कर दिए ,, अब दोस्त पैसे मांग रहा है और बोल रहा है की दो दिन में पैसे नहीं दिए तो घर पर पहुँच जाएगा ,, तुम तो जानते हो ना गुड्डू पापा
कितने सख्त है उन्हें इस बारे में पता चला तो मेरा बाहर जाना ही बंद करवा देंगे”
गुड्डू ने सूना तो सोच में पड़ गया और कहा,”तुम्हारे उस दोस्त को पैसे मैं दे देता हूँ , उसे मेरे पास भेज देना”
पिंकी – अरे नहीं नहीं गुड्डू , तुमसे इतने पैसे मैं कैसे ले सकती हूँ ?
गुड्डू – पिंकिया हमारे बीच कोई तेरा मेरा नहीं है , तुम एक काम करो उस लड़के को मेरा नंबर देना और कहना मुझसे पैसे ले ले
पिंकी – पक्का , मतलब तुम्हारे पास होंगे ना इतने पैसे ?
गुड्डू – अरे पैसो की कोई कमी नहीं है पिंकिया , तुम बेफिक्र रहो
पिंकी – थैंक्यू गुड्डू आई लव यू सो मच , तुम्हारे पास मेरी हर प्रॉब्लम का हल है इसलिए मैं तुमसे प्यार करती हूँ
गुड्डू – पिंकी हमे ये शादी नहीं करनी
पिंकी – गुड्डू मैं तुमसे बाद में बात करती हूँ पापा बुला रहे है , बाय
गुड्डू कुछ कहता इस से पहले ही पिंकी ने फोन काट दिया। पिंकी से बात करने के बाद भी गुड्डू की परेशानी का कोई हल नहीं निकला। वह उठकर छत पर चला आया और दिवार पर आ बैठा ,, हल्की सुहावनी धुप थी गुड्डू सोच में डूबा हुआ था बार उसके दिमाग में पिंकी की कही एक बात “हमारे प्यार को किसी की नजर लग गयी है” चल रही थी। गुड्डू ने दिमाग पर जोर डाला तो सहसा ही रौशनी की बात उसके जहन में आयी और कानो में गुंजी “याद रखना गुड्डू उस कुत्तिया से तेरा ब्याह कभी नहीं होगा” गुड्डू का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा। वह उठा और सीधा निचे चला आया , मिश्रा जी और मिश्राइन दोनों ही वह नहीं थे ना ही वेदी थी बस आँगन में दादी लेटी थी। गुड्डू गुस्से से दनदनाते हुए सामने रौशनी के घर आया। आंगन में घुसते ही वह सामने सजी धजी बैठी रौशनी के पास आया , गुड्डू इतना गुस्से में था की उसने अपने आस पास भी नहीं देखा उसकी नजर बस रौशनी पर थी। उसने रौशनी का हाथ पकड़कर उसे उठाया और वहा से लेकर घर बाहर आया और कहा,”अब खुश हो तुम ? तुमहू चाहती थी ना पिंकिया से हमायी शादी ना हो , तो नहीं हो रही है उस से हमायी शादी ! पिताजी ने कही और रिश्ता तय कर दिया है हमारा। तुम्हे तो खुश होना चाहिए , मिठाई बटवानी चाहिए ,, तुम्ही ने कहा था ना उस दिन , अरे कही का थी श्राप दिया था हमको की हमे हमारा प्यार नहीं मिलेगा ,, तुम्हारी काली जबान ने सच में कमाल कर दिया रौशनी , छीन गया हमसे हमारा प्यार”
गुड्डू गुस्से में ना जाने क्या क्या बोल गया , रौशनी चुपचाप सुनती रही बदले में कुछ नहीं कहा बस आँखों में आंसू भर आये। अंदर से जब शोर गुड्डू के कानो में पड़ा तो वह अंदर आया। अंदर कुछ मेहमान थे और रौशनी के घरवाले उन्हें समझाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे। तभी गुड्डू के कानो में आवाज पड़ी,”जब आपकी लड़की का पहले से कोई प्रेमी है तो फिर हम लोगो को यहाँ क्यों बुलाया था ?”
गुड्डू ने सूना तो उसे समझ आया की ये सामने खड़ा लड़का कोई और नहीं बल्कि रौशनी को देखने के लिए जो आया है वही है। गुड्डू उनके पास आया लेकिन वह कुछ कहता इस से पहले वह सब लोग जाने लगे। रौशनी के घरवाले सर पकड़ कर बैठ गए ,, गुड्डू वहा से निकलकर बाहर आया देखा रौशनी भी बाहर सर पकडे बैठी है तो वह उसके पास आया और कहने लगा,”हमे माफ़ कर दो रौशनी हमे नहीं पता था वो लोग तुम्हे देखने आये है”
रौशनी ने खा जाने वाली नजरो से गुड्डू को देखा और गुड्डू थोड़ा सहम गया और फिर उसकी बगल में बैठते हुए कहा,”अब हम का बताये मतलब हमायी खुद की जिंदगी में भौकाल आया हुआ है , मिश्रा जी ने हमायी शादी बनारस में तय कर दी है। डेढ़ महीने बाद शादी भी फिक्स कर दी ,,
“जानते है हम तभी तो पापा ने जो लड़का देखा उसके लिए हां कह दिए थे , पर तुमने आकर सब गुड़ गोबर कर दिया”,रौशनी ने कहा
गुड्डू को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उसने दुखी स्वर में कहा,”माफ़ कर दो यार इह मिश्रा जी ने ना चरस बो दी है कसम से हमायी जिंदगी में”
“और तुमने हमारी जिंदगी में”,कहकर रौशनी वहा से चली गई और जाते जाते दरवाजा गुड्डू के मुंह पर बंद कर दिया !

Manmarjiyan - 21
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