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हाँ ये मोहब्बत है” – 22

Haan Ye Mohabbat Hai – 22

Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

Haan Ye Mohabbat Hai – 22

विक्की के बदतमीजी करने पर छवि ने खींचकर उसे एक थप्पड़ रसीद कर दिया। पूरा ऑफिस हैरानी से छवि को देख रहा था जिसकी आँखों से गुस्सा साफ झलक रहा था। पहली बार किसी लड़की ने विक्की को थप्पड़ मारा था , उसे जब ये अहसास हुआ तो उसने गुस्से से छवि को देखा और हवा में हाथ उठाते हुए कहा,”तेरी इतनी हिम्मत की तू विक्की सिंघानिया पर हाथ उठाये”


“विक्की,,,,,,,,,,,,,,,!!”,सिंघानिया जी ने तेज आवाज में कहा तो विक्की का हाथ हवा में ही रह गया। सिंघानिया जी विक्की की तरफ आये और उसका हाथ नीचे करते हुए कहा,”ये क्या तमाशा लगा रखा है तुमने ?”
“वो आप इस लड़की से पूछिए जिसने मुझ पर हाथ उठाया”,विक्की ने गुस्से से पागल होते हुए कहा
“मिस छवि ये मैं क्या सुन रहा हूँ ? तुमने विक्की पर हाथ उठाया ?”,सिंघानिया जी ने हैरानी से छवि को देखते हुए पूछा


“आई ऍम सॉरी सर , ये ऑफिस में तोड़ फोड़ कर रहे थे जिस से किसी को चोट लग सकती थी। मैंने इन्हे रोकने की कोशिश की तो इन्होने मेरे साथ बदतमीजी की और मुझे इन पर हाथ उठाना पड़ा”,छवि ने सहजता कहा
“देखा डेड , सूना आपने कैसे बेशर्मी से ये बता रही है की इसने मुझ पर हाथ उठाया”,विक्की ने नफरत भरी निगाहों से छवि को देखते हुए कहा लेकिन छवि ने ना अपनी नजरे नीची की ना ही घबराई वह शांत खड़ी विक्की को देखते रही।

सिंघानिया जी ने विक्की के सामने हाथ करके उसे चुप रहने का इशारा किया तो विक्की झल्ला उठा। सिंघानिया जी छवि की तरफ पलटे और कहा,”मिस छवि विक्की इस कम्पनी का अगला MD है , वो इस कम्पनी में तोड़ फोड़ करे चाहे कम्पनी को ताला लगा दे ये उसकी चॉइस है। एक एम्प्लॉय होकर तुमने कम्पनी के डायरेक्ट पर हाथ उठाया , विक्की से माफ़ी माँगो”
“सर,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”छवि ने हैरानी से कहा


“ये मेरा बेटा है और तुम इस कम्पनी में एक एम्प्लॉय,,,,,,,,,,माफ़ी माँगो उस से”,सिंघानिया जी ने गुस्से से लेकिन धीमी आवाज में कहा
“मैं माफ़ी नहीं मांगूंगी सर”,छवि ने मिस्टर सिंघानिया से आँखे मिलाते हुए कहा
सिंघानिया जी ने सूना तो उन्हें ये अपमानजनक लगा उन्होंने छवि को देखा और फिर वहा खड़े बाकी स्टाफ से कहा,”अगर ये लड़की अभी अपने किये के लिए माफ़ी नही मांगती है तो इस महीने किसी की सेलेरी रिलीज नहीं होगी”


“छवि प्लीज माफ़ी मांग लो , प्लीज”,वैभव ने उसके पास आकर धीरे से रिक्वेस्ट करते हुए कहा
“छवि प्लीज अपना नहीं तो हम सब का सोचो”,एक लड़की ने कहा
“छवि प्लीज सॉरी कह दो , प्लीज”,भीड़ में खड़े लड़के ने कहा तो छवि उन सबकी शक्लें देखने लगी जो की उतर चुकी थी। छवि सिंघानिया जी को एक अच्छा इंसान समझती थी लेकिन सिंघानिया जी उसकी सोच से विपरीत निकले वे विक्की की गलतियों को बढ़ावा दे रहे थे। छवि नहीं चाहती थी उसकी वजह से बाकी स्टाफ वाले प्रॉब्लम में आये इसलिए उसने विक्की की तरफ देखा और कहा,”आई ऍम सॉरी”


“क्या कहा मुझे सूना नहीं , फिर से कहना जरा”,विक्की ने छवि को नीचा दिखाते हुए कहा
छवि की आँखों में नमी तैर गयी , सही होते हुए भी उसे अपने आत्म्सम्मान को कम करना पड़ रहा था।  उसका दिल तेजी से धड़क रहा था और आँखे लाल हो चुकी थी उसने विक्की की तरफ देखा और थोड़ा तेज आवाज में कहा,”आई ऍम सॉरी”
विक्की के होंठ पर मुस्कान तैर गयी। सिंघानिया जी ने सूना तो छवि से कहा,”आइंदा से अगर ऐसा कुछ हुआ तो मैं तुम्हे इस ऑफिस से बाहर फेंक दूंगा”


“इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी सर”,कहते हुए छवि ने अपनी डेस्क पर रखी फाइल से रेजिग्नेशन लेटर निकाला और उस पर साइन करके मिस्टर सिंघानिया जी को देते हुए कहा,”ऐसी नौकरी की मुझे जरूरत नहीं जहा मुझे अपना स्वाभिमान कम करना पड़े। मैं आज और अभी इस नौकरी से रिजाइन करती हूँ”
एक बार फिर सब छवि को देखते ही रह गए। VS ग्रुप एंड कम्पनी में नौकरी पाना इंदौर के अधिकांश युवाओ का सपना था और छवि इस नौकरी को छोड़कर जा रही थी  


छवि ने अपना बैग उठाया और वहा से चली गयी। सिंघानिया जी के मुंह पर ये करारा थप्पड़ था जिसकी गूंज सिर्फ उन्हें सुनाई दे रही थी। सिंघानिया जी ने उस रिजाइन लेटर को फेंका और वहा से चले गए। विक्की भी गुस्से में वहा से घर के लिए निकल गया।  छवि के मारे थप्पड़ का ख्याल उसे बार बार आ रहा था और इसी वजह से वो काफी परेशान था। उसने अपने नौकर रॉबिन को आवाज दी,”रॉबिन , रॉबिन”
“यस सर”,रॉबिन ने विक्की के कमरे में आकर कहा


“मुझे शेम्पेन चाहिए”,विक्की ने कहा
“विक्की बाबा इस वक्त ?”,रॉबिन ने हैरानी से कहा
“तुम्हे जितना बोला है उतना करो समझे तुम”,विक्की ने चिल्लाते हुए कहा तो रॉबिन चुपचाप वहा से चला गया।
कुछ देर बाद वह वह शेम्पेन की बॉटल और ग्लास के साथ कमरे में आया। उसने बोतल और ग्लास टेबल पर रखा और वहा से चला गया। विक्की टेबल के पास आया और शेम्पेन ग्लास में उड़ेलकर पीने लगा।


रॉबिन नीचे हॉल में काम कर रहा था तभी बाहर सिंघानिया जी की गाडी आकर रुकी। सिंघानिया जी गुस्से से भरे अंदर आये और रॉबिन से पूछा,”विक्की कहा है ?”
“विक्की बाबा अपने कमरे में है”,रॉबिन ने कहा तो सिंघानिया जी सीढ़ियों की तरफ बढ़ गए। वे ऊपर आये विक्की के कमरे का दरवाजा खुला था। सिंघानिया जी कमरे में आये उन्होंने टेबल पर पड़ी शेम्पेन की बॉटल देखी तो उनका गुस्सा और बढ़ गया वे विक्की की तरफ आये और उसे अपनी तरफ किया तो विक्की ने मुस्कुराते हुए कहा,”डेड,,,,,,,,,,,,,!”


“सटाक !!!”,सिंघानिया जी ने खींचकर एक थप्पड़ विक्की को मारा।
विक्की हैरान रह गया , उसे कुछ समझ नहीं आया सिंघानिया जी ने ऐसा क्यों किया ? सिंघानिया जी के सामने खड़ा वह अवाक् सा उन्हें देखता रहा। सिंघानिया जी की आँखों से गुस्सा साफ़ झलक रहा था। उन्होंने विक्की को घूरते हुए कहा,”मेरी बनी बनाई इज्जत को मिटटी में मिलाने पर क्यों तुले हो तुम ? तुम्हारी वजह से एक मामूली सी लड़की मेरे मुंह पर अपना इस्तीफा मारकर चली गयी।

गौतम सिंघानिया इंदौर का नंबरवन बिजनेसमैन जिसके इशारे पर ये बिजनेस वर्ल्ड चलता है , आज तुम्हारी वजह से उसे सबके सामने शर्मिन्दा होना पड़ा। ये आखरी वार्निंग है विक्की है अगर इसके बाद भी तुम में कोई सुधार नहीं हुआ तो मैं तुम्हे लंदन भेज दूंगा हमेशा के लिए”
कहकर सिंघानिया जी जैसे ही जाने लगे विक्की ने गुस्से से भरकर कहा,”हाँ जैसे 10 साल पहले मेरी माँ को भेज दिया था हमेशा के लिए”


विक्की की बात सुनकर सिंघानिया के कदम रुक गए वे उसकी तरफ पलटे और नफरतभरे भाव से कहा,”तुम्हारी माँ बदचलन थी इसलिए अपने आशिक के साथ भाग गयी क्योकि उसे ऐशो आराम की जिंदगी चाहिए थी।”
विक्की ने सुना तो खामोश हो गया। सिंघानिया जी उसके पास आये और धीमे स्वर में कहा,”मैं नहीं चाहता तुम अपनी माँ जैसे बनो , अब भी वक्त है सम्हल जाओ जिंदगी के हर मोड़ पर मैं  तुम्हे नहीं मिलूंगा”


विक्की ने कुछ नहीं कहा उसका गुस्सा अब तकलीफ में बदल चुका था सिंघानिया जी वहा से चले गए और जाते जाते उन्होंने गुस्से में दरवाजा जोर से बंद कर दिया। विक्की को अपनी कही बात का पछतावा होने लगा था वह अपना सर पकड़कर बिस्तर पर आ बैठा।

कोर्ट में अचानक हुए इस हादसे से सभी घबरा गए। जब सब शांत हो गया तो उन लोगो को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया जिन्होंने कोर्ट में दंगे किये थे। अक्षत अपने केबिन में चला आया। देखा सचिन और चित्रा घबराये हुए से बैठे है तो अक्षत ने कहा,”तुम दोनों घर चले जाओ , कल से दो दिन कोर्ट बंद रहेगा इसलिए तुम्हे नहीं आना है।”
“जी सर , जो फाइल आपको चाहिए थी वो मैंने आपके टेबल पर रख दी है”,सचिन ने कहा और जाने लगा तो अक्षत ने कहा,”सचिन , चित्रा को घर छोड़ देना”


“ठीक है सर”,सचिन ने कहा
“सर आप,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,चित्रा ने जैसे ही पूछना चाहा अक्षत ने कहा,”मैं ठीक हूँ तुम लोग घर जाओ”
“हम्म्म,,!!”,चित्रा ने कहा और सचिन के साथ चली गयी। अक्षत अपनी कुर्सी पर आ बैठा , कुछ देर पहले हुआ हादसा बाद बार उसकी आँखों के सामने आ रहा था। वह सोच में पड़ गया और फिर अपनी आँखे मूँदकर सर पीछे सीट से लगा लिया।

अक्षत ने अपने दिमाग पर जोर डाला और एकदम से उसे याद आया की जिसने चित्रा पर हमला किया था वो जाना पहचाना इंसान था। अक्षत ने एकदम से अपनी आँखे खोली और अपना सर पकड़कर बड़बड़ाया,”क्या वो शुभ था ?”
अगले ही पल शुभ की कही बात अक्षत के जहन में कौंध गयी “मुझे अपने सामने ऐसे देखकर तुम डर रहे हो क्या मिस्टर अक्षत व्यास , तुम्हारा ये डर अच्छा लगा अभी तो ये शुरुआत है”


अक्षत का सर घूमने लगा उसने अपनी आँखे बंद की और उस चेहरे को फिर से याद करने की कोशिश की जिसने चित्रा पर वार किया था। वो शुभ ही था जानकर अक्षत का दिल किसी अनहोनी के डर से धड़क उठा। अक्षत परेशान सा इस बारे में सोच ही रहा था की अखिल हाथ में कप लिए आया और टेबल पर रखते हुए कहा,”आज अगर पुलिस वक्त पर ना आयी होती तो मिश्रा जी तो गए होते”
“ये सब हुआ कैसे ?”,अक्षत ने सामने पड़ी चाय का कप उठाते हुए कहा


“अरे वो मिश्रा जी ने कोई केस लिया था जिसे वो लंबा खींच रहे थे। क्लाइंट से हुई बहस बातो बातो में गाली गलौच पर उतर आयी और देखते ही देखते हाथ-पाई शुरू हो गयी। वैसे ये मामला इतनी जल्दी शांत नहीं होगा। कोर्ट को दो दिन के लिए बंद करने का नोटिस लगा है बोर्ड पर”,अखिल ने कहा
“हाँ पढ़ा मैंने,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे नहीं लगता ये क्लाइंट्स का काम है किसी ने जरूर बहकाने के लिए ये सब किया है”,अक्षत के दिमाग में अभी भी शुभ घूम रहा था।


“अरे मैं खुद वही था मेरे एक केस में ओपोजिट वकील मिश्रा जी ही तो है। खैर ये सब छोड़ तू मुझे भाभी से मिलवाने वाला था”,अखिल ने कहा
“हाँ मैंने मीरा से कहा है तुमसे मिलने को , थोड़ी देर में मैं उसे लेने जाऊंगा तुम भी साथ चलो वही मिल लेना”,अक्षत ने कहा


“हम्म्म ये ठीक रहेगा”,अखिल ने उठते हुए कहा और वहा से चला गया। अखिल के जाने के बाद एक बार फ़ीर अक्षत के दिमाग में शुभ घूमने लगा। अक्षत ने अपनी फाइल्स समेटी , जरुरी फाइल्स और लेपटॉप को बैग में रखा और घर जाने के लिए निकल गया।


पार्किंग में आकर अक्षत ने अपनी गाड़ी निकाली और कोर्ट से बाहर आकर अखिल का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद अखिल आया और अक्षत उसे लेकर मीरा से मिलने चल पड़ा। दोनों बातें करते हुए चाइल्ड होम पहुंचे अक्षत ने गाड़ी बाहर ही लगा दी। अखिल भी गाड़ी से उतरा और चारो ओर देखते हुए कहा,”वैसे भाभी ने लोकेशन तो अच्छा चुना है चाइल्ड होम के लिए”


“हाँ मुझे भी ये जगह काफी अच्छी लगी , अच्छा अखिल सुन आज कोर्ट में जो कुछ भी हुआ उसके बारे में मीरा को कुछ मत बताए प्लीज,,,,,,,,,,,वो खामखा परेशान हो जाएगी”,अक्षत ने अंदर जाने से पहले अखिल से कहा
“हम्म्म्म”,अखिल ने कहा और फिर अक्षत के साथ अंदर चला आया।    


अक्षत और अखिल अंदर आये तो देखा कुछ दूर लॉन में खड़ी मीरा बच्चियों को कत्थक सीखा रही है। मीरा ने सफ़ेद रंग का सूट पहना था उस पर लाल रंग के दुपट्टे को कंधे के एक साइड से लेकर बांध रखा था। बालो की दो लटे हमेशा की तरह उसके चेहरे पर झूल रही थी और वह कत्थक करते हुए बहुत प्यारी लग रही थी। दूर खड़ा अक्षत बड़े प्यार से मीरा को देखता रहा , उसे देखते हुए सहसा ही उसके होंठ मुस्कुरा उठे।

दिल में जो घबराहट थी अब शांत हो चुकी थी और आँखों में एक सुकून नजर आ रहा था। अखिल ने जब अक्षत को मीरा की तरफ इतने प्यार से देखते पाया तो कहा,”अबे बस कर तेरी ही वाइफ है , कितना देखेगा उसे ?”
“वो कितनी सुंदर लग रही है यार”,अक्षत ने मीरा को देखते हुए कहा
“हाँ यार सुंदर तो है”,अखिल ने मीरा को गौर से देखते हुए कहा तो अक्षत ने उसकी तरफ देखकर कहा,”ए भाभी है वो तेरी”


“हाँ मुझे मालूम है और मैं उसे भाभी माँ की नजर से ही देख रहा हूँ अब चल उनसे मिलते है फिर मुझे घर भी जाना है वरना तेरी भाभी मुझे घर में घुसने नहीं देखी”,अखिल ने कहा तो अक्षत हसने लगा और उसके साथ आगे बढ़ गया।
मीरा ने अजब अक्षत और अखिल को साथ साथ आते देखा तो लॉन से निकलकर उनकी तरफ चली आयी। उसने अपने दुप्पटे को सही किया और बालो की लट भी कान के पीछे कर ली। मीरा ने घडी में टाइम देखा आज वो काफी जल्दी आ गया था। उसने अक्षत के पास आकर कहा,”आज आप जल्दी आ गए ?”


“हाँ वो अखिल को तुमसे मिलना था और फिर कोर्ट में इतना काम भी नहीं था ,, ये अखिल है तुम दोनों बात करो मैं आता हूँ”,कहकर अक्षत मीरा के केबिन की तरफ चला गया। मीरा अखिल के साथ लॉन में पड़ी कुर्सियों पर आ बैठी और वहा काम करने वाले लड़के से चाय भिजवाने को कहा। मीरा अखिल से बातें करने लगी ।
अक्षत केबिन में बने बाथरूम में आया। मुंह धोया तो उसे थोड़ा अच्छा महसूस हुआ। उनसे रेंक में टंगा छोटा तौलिया उठाया और मुंह पोछने लगा।

तौलिये से आती भीनी महक से अक्षत मुस्कुरा उठा वो मीरा की महक थी जिसे अक्षत बखूबी जानता था। अक्षत ने तौलिये को वापस रेंक में टांग दिया। शीशे में देखकर बाल बनाये और बाहर चला आया। बाहर आकर अक्षत मीरा के केबिन को देखने लगा , उसे केबिन बड़ा पसंद आया। केबिन देखते हुए उसकी नजर दिवार पर लगी “सावित्री जी” की तस्वीर की तरफ चली गयी।

अक्षत तस्वीर के सामने आया और उसे एकटक देखने के बाद कहने लगा,”मैं आपसे कभी नहीं मिला लेकिन मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ की आप बिल्कुल मीरा जैसी रही होंगी। आपके दिए संस्कार ही है जिनकी वजह से मीरा हम सब की जान है। मैं जब भी उसे देखता हूँ खुद पर फक्र महसूस होता है की मुझे मीरा जैसी लड़की मिली। वो बहुत अच्छी है माँ आप जहा भी है वहा से मुझे देख रही होंगी ना , आप बिल्कुल चिंता मत करना मैं हमेशा मीरा का ख्याल रखूंगा खुद से भी ज्यादा”


अक्षत वहा से टेबल की तरफ चला आया जिसके पीछे दिवार पर बहुत सुंदर तस्वीरें लगी हुई थी। अक्षत उन्हें देखते हुए जैसे ही निकला दिवार के पास रखे छोटे टेबल पर पड़ा कार्ड नीचे गिर गया। अक्षत ने उसे उठाया और खोला उसमे एक गुलाब का फूल रखा था जो की थोड़ा थोड़ा मुरझा गया था। फूल के साथ ही कार्ड में लिखा था “हैप्पी वेलेंटाइन डे मेम” और साथ में नीचे लिखा था अखिलेश,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!


अक्षत कभी मीरा पर शक नहीं करता था उसे मीरा पर खुद से ज्यादा भरोसा था लेकिन इस कार्ड और गुलाब को देखकर अक्षत को थोड़ी सी जलन की भावना महसूस हुई। उसने फूल को वापस कार्ड में रखा और बाहर जाने लगा। जाते जाते अक्षत ने उस कार्ड को फूल समेत केबिन के बाहर रखे डस्टबिन में डाल दिया क्योकि अपनी मीरा को वह किसी से बाँट नहीं सकता था।

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