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“हाँ ये मोहब्बत है” – 9

Haan Ye Mohabbat Hai – 9

Haan Ye Mohabbat Hai
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Haan Ye Mohabbat Hai – 9

चीकू और काव्या दोनों एक दूसरे पर कुशन फेक रहे थे और अक्षत अमायरा को लेकर ऊपर कमरे में चला गया। शाम हो चुकी थी और हल्का अन्धेरा भी हो चुका था। अर्जुन और जीजू हॉल में बैठकर चेस खेल रहे थे कुछ देर बाद दादू भी चले आये। विजय जी भी कपडे बदलकर बाहर चले आये। मीरा , नीता और तनु किचन में थी और रात के खाने की तैयारी में लगी हुई थी। तनु के आने से राधा को अब किचन में कम ही जाने को मिलता था।

नीता , तनु और मीरा तीनो में कभी अनबन भी नहीं होती क्योकि तनु और नीता की आपस में खूब बनती थी और मीरा,,,,,,,,,,,,,उसे तो किसी से झगड़ा करना आता तक नहीं था। तीनो बातें करते हुए खाना बनाने लगी
अक्षत ऊपर कमरे में आया कपडे बदले और फिर आकर अपनी स्टडी टेबल के सामने बैठ गया जो की बिस्तर से लगकर ही थी। अक्षत ने अपना लेपटॉप खोला और काम करने लगा। अमायरा वही पास बिस्तर पर बैठी थी।

कुछ देर बाद अमायरा ने अपनी पानी की बोतल उठायी और अक्षत की तरफ बढाकर कहा,”पापा , पानी”
“अमु पापा काम कर रहे है ना बेटा आप पीओ”,अक्षत ने लेपटॉप में नजरें गड़ाए हुए कहा
अमायरा ने बोतल वापस रख दिया और चुपचाप बैठ गयी। कुछ देर बाद उसे बोरियत होने लगी तो उसने फिर कहा,”पापा , आपको भूख लगी है ?”
“नहीं अमु मैं ठीक हूँ”,अक्षत ने कहा


कुछ देर बाद मीरा कमरे में आयी उसके हाथ में एक कठोरी थी जिसमे अमायरा के लिए कुछ कटे हुए फल थे। उसने कटोरी अमायरा के सामने रखते हुए कहा,”अमु चलो ये खा लो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!! कहते हुए मीरा अक्षत के पास आयी और उसके कंधो पर हाथ रखते हुए कहा,”आप कुछ लेंगे चाय या कॉफी ?”
“नहीं मीरा मै थोड़ी देर में नीचे ही आ रहा हूँ”,अक्षत ने कहा
“अमु आपको डिस्टर्ब कर रही हो तो हम इसे नीचे ले जाये ?”,मीरा ने पूछा


“नहीं ठीक है ये मुझे डिस्टर्ब नहीं कर रही , मैं आता हूँ थोड़ी देर में”,अक्षत ने मीरा की तरफ देखकर कहा तो मीरा मुस्कुरा कर वहा से चली गयी। अक्षत फिर काम में लग गया। अमायरा ने देखा आज उसके पापा कुछ ज्यादा ही बिजी है तो उसने फल का एक टुकड़ा उठाया और अक्षत की तरफ बढाकर कहा,”पापा फूट”
अक्षत काम में बिजी था लेकिन अमायरा को इग्नोर नहीं कर सकता था इसलिए उसके हाथ से खा लिया और फिर नजरे लेपटॉप पर जमा ली।

अमायरा खुश हो गयी वह एक टुकड़ा खुद खाती और दूसरा अक्षत को खिलाती ऐसा करते हुए दोनों बड़े ही प्यारे लग रहे थे। अक्षत ने अपना काम खत्म किया और सचिन को फोन लगाया।
“हेलो सचिन , मैंने तुम्हे कुछ पेपर्स मेल किये है। उनका प्रिंटआउट लेकर उन्हें अटेस्टेड करके तैयार रखना मुझे चाहियें होंगे”,अक्षत ने कहा
“ठीक है सर”,सचिन ने कहा और फोन काट दिया।

अक्षत ने अपना फोन वही टेबल पर रखा और अमायरा के साथ नीचे चला आया। नीचे आकर अमायरा राधा की तरफ चली गयी जो की मंदिर में संध्या आरती कर रही थी और अक्षत दादू की तरफ चला आया। अक्षत ने देखा दादू , अर्जुन और जीजू तीनो काफी सीरियस है और तीनो की नजरे बस चेस बोर्ड पर है , दादू की बारी थी उनकी एक चाल से वो जीत सकते थे या फिर हार सकते थे। अक्षत ने उनके बगल से निकलते हुए दादू को इशारा कर दिया। दादू ने अपनी अगली चल दी और अर्जुन हार गया।


“अरे दादू आपने चीटिंग की है”,अर्जुन ने कहा
“ए चल चल हार गया तो कुछ भी मत बोल,,,,,,,,,,,,!”,दादू ने कहा
“देखा जीजू,,,,,,,,,,,,!!”,अर्जुन ने कहा
“हाँ देखा मैंने,,,,,,,,,,,,,,चेस खेलना तुम्हारे बस का नहीं है तीसरी बार हारे हो तुम”,अर्जुन ने दादू के बगल में सोफे पर बैठते हुए कहा जैसे जताना चाह रहे हो की अक्षत की तरह वो भी दादू की साइड है।

अर्जुन ने देखा तीनो एक साइड हो गए है तो उसने चेस बोर्ड समेटते हुए कहा,”कोई बात नहीं जीजू अपने ही दादू से हारा हूँ मैं”
“तू आजकल शनिवार पार्टी में क्यों नहीं आता ?”,दादू ने अक्षत से धीरे से पूछा
“मैंने हमेशा के लिए पीना छोड़ दिया है , आप भी छोड़ दीजिये”,अक्षत ने कहा


“जबसे तेरी शादी हुई है तू बदल गया है , खैर मैं तुझे ज्यादा फ़ोर्स भी नहीं कर सकता वरना तू जाकर अपनी मीरा से शिकायत कर देगा”,दादू ने कहा तो अर्जुन और जीजू दबी सी हंसी हंसने लगे। अक्षत को याद आया कुछ हफ्तों पहले उसी ने मीरा से शिकायत की थी और मीरा ने दादू का ध्यान रखना शुरू कर दिया था जिस से दादू ना मीठा खा पाते ना ही ड्रिंक कर पाते थे  
“किसने कहा मैं मीरा से डरता हु ?”,अक्षत ने दादू की तरफ देखकर कहा


“सबको पता है इस घर में तू सिर्फ मीरा से ही डरता है , एक वही है जो तेरी माँ के बाद तुझे सम्हाल सकती है”,दादू ने कहा
“बात तो सही है आपकी”,जीजू ने भी दादू की बात पर सहमति जताते हुए कहा
“ऐसा भी नहीं है दादू वो तो बस मैं मीरा की रिस्पेक्ट करता हूँ इसलिए उसकी बात मान लेता हूँ”,अक्षत ने अंगड़ाई लेते हुए कहा


“तो फिर इस सेटरडे आओगे”,दादू ने एकदम से पूछा
“बिल्कुल नहीं और अगर इस सेटरडे आप में से कोई भी मुझे दिखा तो इस बार मैं मीरा से नहीं बल्कि पापा से शिकायत कर दूंगा”,अक्षत ने उठकर जाते हुए कहा


“अरे तू वकील बन गया है तो क्या अब अपने दादा को डरायेगा ? मैं नहीं डरता किसी से कोई आये ना आये मैं अकेला ही सेटरडे पार्टी में जाऊंगा”,दादू ने जोश से भरकर कहा तभी विजय जी उधर से गुजरे और कहा,”आप किस सेटरडे पार्टी की बात कर रहे है पापा ?”


विजय जी को देखते ही दादू ने तुरंत अपनी बात बदल दी और कहा,”पार्टी कैसी पार्टी ? मैंने तो कहा इस सेटरडे पास वाले मंदिर में जागरण है तो मैं वही जाने वाला हूँ”
“ये तो अच्छी बात है फिर तो मैं भी आपके साथ चलूँगा , काफी टाइम हो गया घर में कोई जागरण नहीं

हुआ,,,,,,,,,,,,,,,,, आईये खाना लग गया है”,विजय जी ने कहा तो दादू उनके साथ डायनिंग की ओर बढ़ गए। अर्जुन और जीजू ने एक दूसरे की तरफ देखा और दबी सी हंसी हसने लगे। कुछ देर बाद दोनों डायनिंग की तरफ चले आये।

शादी के बाद अक्षत अपने काम में व्यस्त रहने लगा। जीजू के साथ अब उसे कम ही वक्त मिलता था। वही जीजू भी विजय जी के साथ अपने काम में मस्त रहते। उनका और अर्जुन का ऑफिस का काम था इसलिए दोनों अक्सर साथ नजर आते थे।
सभी खाना खाने डायनिंग के इर्द गिर्द आ बैठे। दादू , दादी , विजय जी , सोमित जीजू , अर्जुन , अक्षत , काव्या , चीकू और अमायरा भी।

सभी बैठकर खाने का इंतजार कर रहे थे। नीता और तनु ने सबको खाना परोसना शुरू कर दिया। मीरा और राधा भी किचन से बाहर चली आयी। विजय जी ने कितनी ही बार कहा की सब साथ में खाये लेकिन राधा , तनु , नीता और मीरा सबके बाद साथ बैठकर खाना खाया करती थी और अब यही उनका रूटीन बन चुका था।


आज खाने में राजमा चावल बना था जो की निधि का फेवरेट था। मीरा ने जैसे ही अक्षत की प्लेट में खाना परोसा राजमा चावल देखते ही उसे निधि की याद आ गयी और उसने विजय जी से कहा,”पापा निधि को गए कितना वक्त हो गया क्या उस लड़की को हम सबकी याद भी नहीं आती ?”


“आज सुबह ही उस से बात हुई है , वो जल्दी ही इंदौर आ रही है और कुछ वक्त यही रहेगी”,विजय जी ने कहा तो सबके चेहरे ख़ुशी से खिल उठे शादी के कुछ दिनों बाद ही निधि हनी के साथ चली गयी और उसके बाद वह मुश्किल से दो या चार बार सबसे मिलने आयी होगी लेकिन इस बार तो पूरा एक साल बीत गया। अक्षत के साथ साथ सभी घरवाले निधि को मिस करने लगे थे।
“क्या आप सच कह रहे है ?”,राधा ने सूना तो उसे विश्वास नहीं हुआ क्योकि निधि ने उनसे तो ऐसा कुछ नहीं कहा था


“हाँ राधा निधि के साथ साथ दामाद जी से भी बात हुई थी उन्होंने कहा वो अगले हफ्ते इंदौर आ रहे है ,, दामाद जी को अपनी मीटिंग्स के लिए मुंबई जाना होगा तो पूरा एक महीना निधि हम लोगो के साथ ही रहेगी ,, है ना ख़ुशी की बात”,विजय जी ने खुश होकर कहा
“अरे बहुत ख़ुशी की बात है , मैं तो बहुत याद करती हूँ अपनी बच्ची को,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए दादी माँ की आँखे भर आयी।

दादू ने देखा तो दादी माँ के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”बेटियां तो घर की चिड़ियाँ होती है जिन्हे एक ना एक दिन उड़ जाना होता है। दिल छोटा मत करो विजय ने कहा ना वो जल्दी आएगी”
“दादी माँ उस निधि के लिए आँसू बहा रही है आप , उसके जाने से इस घर में कितनी शांति है,,,,,,,,,,,,,मुझे तो बड़ा अच्छा लगता है”,अर्जुन ने कहा


“अरे आने दे उसे उसके आते ही घर कैसे चहकने लगेगा देखना”,दादी माँ ने आँसू पोछते हुए कहा
सभी हँसते मुस्कुराते बाते करते खाना खाने लगे। खाना खाकर विजय जी बाहर लॉन में टहलने निकल गए। दादू दादी अपने कमरे की ओर चले गए। अर्जुन हॉल में आकर टीवी देखने लगा। काव्या चीकू और अमायरा भी उसके पास चले आये तो अर्जुन ने कार्टून चैनल लगा दिया। अक्षत अभी भी डायनिंग के पास बैठा किसी सोच में डूबा था।

जीजू खाना खाकर उठने लगे तो अक्षत को खोया देखकर वापस उसके बगल में बैठ गए और कहा,”साले साहब कहा खोये हो ?”
“जीजू,,,,,,,,,,,,,,,,,कुछ नहीं बस निधि के बारे में सोच रहा था”,अक्षत ने कहा
“उसकी याद आ रही है ?”,जीजू ने अक्षत की भावनाओ को समझते हुए कहा
“हाँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,बहुत झगड़ती थी वो मुझसे , जब से वो गयी है कोई झगड़ता ही नहीं है”,अक्षत ने मायूस होकर कहा
“आप चाहे तो हमसे झगड़ सकते है”,डायनिंग के उस पार खड़ी मीरा ने शरारत से कहा


“आप से झगड़ने का कोई फायदा नहीं है मीरा जी,,,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने मीरा जी पर थोड़ा जोर देते हुए कहा
“अच्छा वो क्यों ?”,मीरा ने खाने की प्लेट उठाते हुए कहा
“क्योकि तुम मुझे चुटकी में मना लेती हो”,अक्षत ने मीरा की तरफ देखकर कहा। दोनों प्यार भरी नजरो से एक दूसरे को देखने लगे। एक दूसरे की आँखों में देखते हुए दोनों ये भी भूल गए की जीजू भी वही बैठे है जीजू ने देखा तो खासने का नाटक किया और कहा,”इस घर का नाम व्यास हॉउस नहीं , लवहॉउस  होना चाहिए था”


जीजू की बात सुनकर अक्षत और मीरा की तंद्रा टूटी , मीरा किचन की ओर चली गयी और अक्षत इधर उधर देखने लगा। जीजू उठे और अक्षत के कंधे पर हाथ रखकर जाते हुए कहा,”सही है साले साहब लगे रहो”
“अरे जीजू ऐसा कुछ भी नहीं है”,अक्षत ने कहा लेकिन तब तक जीजू वहा से जा चुके थे  

खाना खाकर अक्षत अपने कमरे में चला आया। आज सुबह से अक्षत काफी थक चुका था इसलिए आकर बिस्तर पर लेट गया। कुछ देर बाद उसे नींद आ गयी। खाना खाने के बाद मीरा जीजू के पास बैठकर उनसे बात करने लगी , उन्हें बातें करते देखकर अर्जुन , नीता और तनु भी चले आये। राधा ने चीकू और काव्या से जाकर सोने को कहा क्योकि अगले दिन उन्हें स्कूल भी जाना था।

अमायरा को राधा अपने साथ ले गयी ताकि उसे सुला दे।
बाकि सब हॉल में बैठकर बाते कर रहे थे। सोमित जीजू ने इधर उधर देखा और कहा,”ये आशु कहा है ?”
“जीजू आप जानते है ना उन्हें अपनी नींद बहुत प्यारी है , वो सो रहे होंगे”,मीरा ने प्यार से कहा
“काश कोई मेरा भी इतना ख्याल रखता”,अर्जुन ने नीता की तरफ देखकर बच्चो की तरह मुंह बनाते हुए कहा


“अच्छा मैं ख्याल नहीं रखती ?”,नीता ने अर्जुन को घूरते हुए कहा तो अर्जुन ने अपने पीछे बैठी नीता के दोनों हाथो को थामकर अपने कंधे पर रखते हुए कहा,”मैं तो बस तुम्हे छेड़ रहा हूँ”
“;भई हमारी वाली तो ये ख्याल रखती है की कही मैं मीठा तो नहीं खा रहा , बीपी की दवाई कब लेनी है , शुगर टेस्ट कब करना है”,जीजू ने तनु के कंधे से अपना कंधा टकराकर कहा तो सब हसने लगे।


“जीजू ये भी प्यार जताने का एक तरिका है,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे देखा जाये तो प्यार का दुसरा नाम है किसी अपने की निस्वार्थ भाव से परवाह करना”,मीरा ने कहा
“हाँ जैसे तुम करती थी साले साहब की , अर्जुन याद है तेरी शादी के पहले वाली वो शाम जब आशु का झगड़ा हुआ था। हम सब आशु के गुस्से को लेकर नीचे परेशान हो रहे थे और हमारी मीरा जी अपने सडु महाराज को मरहम लगा रही थी”,जीजू ने अक्षत मीरा के बीते पल को याद करते हुए कहा


“हाँ और दोनों वही सो गए थे , मेरे पास अभी भी इन दोनों की वो तस्वीर है”,कहते हुए अर्जुन ने अपने जेब से फोन निकाला और अक्षत मीरा की तस्वीर निकालकर दिखाई जिसमे हॉल वाले सोफे पर अक्षत बैठा था और मीरा उसके बगल में उसके कंधे पर सर रखकर सो रही थी। सबने बारी बारी उस तस्वीर को देखा और मुस्कुराने लगे सबसे आखिर में फोन आया मीरा के हाथ में उसने उस तस्वीर को देखा।

उसे वो खूबसूरत पल याद आ गया , उस तस्वीर को देखने के बाद मीरा का मन अक्षत से मिलने के लिए बैचैन हो उठा। उसने फोन अर्जुन की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”रात बहुत हो चुकी है हम सबको सोने जाना चाहिए”
“मीरा तुम जाओ हम लोग थोड़ी देर और बैठे है”,अर्जुन ने कहा तो मीरा उठाकर चली गयी

जीजू , अर्जुन , नीता और तनु बातों में लगे थे उन्हें ध्यान भी नहीं रहा की पिछले 5 मिनिट से विजय जी उनके पीछे खड़े थे। किसी बात पर हँसते हुए जीजू ने जैसे ही सामने देखा वे झेंपते हुए हॅसने लगे। विजय जी भी मुस्कुराये। उन्हें मुस्कुराते देखकर जीजू फिर झेंपते हुए हंस पड़े। जीजू को ऐसे हँसते देखकर अर्जुन ने हैरानी से उन्हें देखा और फिर पीछे देखा तो चौंककर जीजू की गोद में आ गिरा।

अर्जुन ने खुद को सम्हाला वह कुछ कहता इस से पहले विजय जी बोल पड़े,”यहाँ बैठकर देर रात बाते हो सकती है लेकिन सुबह मेरी योगा क्लास आने में मौत आती है”  
“पापा जी मैं तो अर्जुन से कहने ही आयी थी की चलकर सो जाये , अर्जुन आप आ जाना मैं जरा चीकू को देख लू ,, चले दी”,नीता ने अर्जुन और जीजू को फंसाते हुए कहा और तनु को साथ लेकर निकल गयी। सोमित जीजू और अर्जुन भी बचकर जाने लगे तो विजय जी ने कहा,”अब आप दोनों कहा चले ?”


“जल्दी सोयेंगे तो तभी तो आपकी योगा क्लास के लिए जल्दी उठ पाएंगे ना मौसाजी”,सोमित जीजू ने कहा
“मतलब आप दोनों कल सुबह योग क्लास आएंगे ?”,विजय जी ने पूछा तो सोमित जीजू ख़ामोशी से उन्हें देखने लगे लेकिन अर्जुन ने जल्दबाजी करते हुए कहा,”हाँ आएंगे ना पापा , हम सब बैठकर इसी बारे में तो बात कर रहे थे क्यों जीजू ?”
जीजू ने सूना तो मन ही मन अर्जुन को कोसने लगे।


“ठीक है जाओ अपने कमरे में जाओ और सुबह 5 बजे आ जाना”,कहते हुए विजय जी चले गए। उनके जाते ही जीजू ने अर्जुन की पीठ पर मुक्का मारते हुए कहा,”मौसाजी से योगा क्लास आने की बात कहने की क्या जरूरत थी ?”
“जीजू मुझे लगा आप बात सम्हाल लोगे”,अर्जुन ने अपनी पीठ सहलाते हुए कहा लेकिन जीजू मुंह लटकाकर चले गए क्योंकी कल फिर उन्हें योगा क्लास जो आना था

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