Sanjana Kirodiwal

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बदलते अहसास – 1

Badalte Ahasas – 1

ऊटी तमिलनाडु की बेहद खूबसूरत और रोमांटिक जगह मानी जाती है ! ऊटी कुदरत का खूबसूरत जीता जागता सबूत है ! दूर तक फैली हसीन वादियां और उन वादियों में ढके आकर्षण वृक्ष ऐसे सुकून देते हैं जैसे कोई बच्चा नींद के की गोद में सुकून व आनंद महसूस करता हो ! ये कहानी भी इसी शहर के एक शख्स की है जो अपनी जिंदगी अपने उसूलो पर जीना चाहता था ! “ऋषभ बहल” उम्र 47 साल पर उसे देखकर उसकी उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल था ! 5’9 हाइट , सांवला रंग , कसा हुआ बदन , उभरे हुए मसल्स , फ्लेट पेट ! ऋषभ अपनी उम्र के लोगो के लिए एक मिसाल था ! अपने खाने पिने और दिनचर्या का वह बहुत ख्याल रखता था ! रोज सुबह वह अपने फ्लैट की टेरेस पर कसरत करता , हर शाम 1 घंटा जिम में पसीना बहाता था ! ऊटी में वह पिछले 5 सालो से था ! ऋषभ का घर भोपाल में था लेकिन नौकरी के चलते वह हमेशा घर से दूर ही रहा ! 20 साल तक वह सरकारी ओहदे पर रहा और उसके बाद अपनी इच्छा से नौकरी छोड़कर वह ऊटी शहर में आ गया ! यहाँ आने के बाद ऋषभ यही का होकर रह गया ! इस शहर में अपना कहने के लिए उसके पास सिर्फ एक दोस्त थी – सुजैन खत्री !
सुजैन की उम्र 42 वर्ष थी ऊटी के एक अख़बार “नया सवेरा” की वह मेनेजिंग डायरेक्टर थी ! उसका घर ऊटी में ही था जहा वह अपने पति अहमद और बेटे फैजान के साथ रहती थी ! सुजैन की एक बेटी भी थी जो की अमेरिका में रहकर अपनी डिग्री कर रही थी ! अहमद का ऊटी में खुद का चाय का बागान था वह वहा व्यस्त रहता था और सुजैन अपने ऑफिस में अपनी टीम के साथ ! कुछ साल पहले ही सुजैन की मुलाकात ऋषभ से अपने दफ्तर में हुई थी जहा ऋषभ किसी के साथ आया था ! सुजैन ऋषभ की बातो और पर्सनालिटी से इतना प्रभावित हुई की उसने ऋषभ को नौकरी ऑफर कर दी ! उस वक्त ऋषभ को ऊटी आये एक महीना ही हुआ था ! ऋषभ ने भी हामी भर दी जिसके पीछे कारण था वो जगह !! सुजैन ने अपना ऑफिस एक बहुत ही खूबसूरत जगह पर बनाया हुआ था जिसके चारो और चाय के बागान थे , जो की चारो और से वादियों से घिरे हुए थे ! यही तो ऋषभ चाहता था और इसलिए उसने हां कह दी ! सुजैन के साथ काम करते हुए दोनों अच्छे दोस्त बन चुके थे ! टीम में 25 लोग थे जो की सभी ऋषभ से कम उम्र के थे पर ऋषभ के साथ सभी फ्रेंडली रहते थे ! वजह थी ऋषभ की पर्सनालिटी और सेन्स ऑफ़ ह्यूमर

सुबह के 10 बज रहे है ! सुजैन रोजाना की भांति अपने ऑफिस आयी उसे देखते ही सबने उसे गुड मॉर्निंग कहा और सुजैन का जवाब पाकर वापस अपने काम में लग गए ! सुजैन अपने केबिन में आयी उसने देखा ऋषभ ऑफिस में नहीं था ! सुजैन ने बेल बजाकर लड़के को बुलाया ! कुछ ही देर बाद एक लड़का अंदर आया तो सुजैन ने कहा,”ऋषभ को मेरे केबिन में भेजो !”
“ऋषभ सर तो ऑफिस नहीं आये है , मैडम !”,लड़के ने सहजता से कहा
“कबसे ?”,सुजैन ने अपने फोन में देखते हुए कहा
“जी पिछले 1 हफ्ते से वो ऑफिस नहीं आये है ! ना ही उनका कोई फोन आया है !”,लड़के ने कहा
“क्या ? पर ऋषभ ऐसा कभी नहीं करता है , ठीक है तुम जाओ”,सुजैन ने लड़के से कहा !
लड़का चला गया ! सुजैन ने ऋषभ का नंबर डॉयल किया लेकिन फोन बंद आ रहा था , उसने घर के लेडलाइन पर फोन किया लेकिन वहा भी सिर्फ रिंग जाती रही ! सुजैन के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये वह सोचने लगी,”आखिर ऋषभ इस तरह बिना बताये कहा गया होगा ? एक हफ्ते मैं ऊटी से बाहर थी लेकिन ऋषभ का कोई मेसेज नहीं आया ! शाम को उसके फ्लेट पर जाकर देखती हु क्या माजरा है !”
सुजैन ने रिसीवर उठाया और रीमा को करण के साथ अंदर आने को कहा ! करण और रीमा आये तो सुजैन उनके साथ मिलकर नया आर्टिकल डिस्कस करने लगी ! दोपहर में सुजैन अपने केबिन से बाहर आयी चलते हुए उसकी नजर ऋषभ के काउंटर की और गयी जहा कुर्सी खाली पड़ी थी ! टेबल पर रखे पन्ने फड़फड़ा रहे थे ! सुजैन उस और चल दी ! उसने सभी पन्ने उठाये और उन्हें एक फोल्डर में रख दिया जैसे ही वापस जाने के लिए पलटी उसकी नजर आज बंद लिफाफे पर पड़ी ! सुजैन ने लिफाफा उठाया और देखा वो एक खत जैसा था जो ऋषभ के लिए आया था , भोपाल से ! सुजैन लिफाफे को हाथ में पकड़कर हिलाते हुए सोचने लगी,”ऋषभ के लिए खत ऑफिस में आया है , क्या उसने अपने घरवालों को अपने घर का पता नहीं दिया होगा ! आई नो ऋषभ बहुत ही अजीब है वो कब क्या सोचता है कोई नहीं जानता” ,, सुजैन ने एक बार फिर लिफाफे को देखा लिफाफे पर लिखी तारीख देखकर सुजैन एक बार फिर हैरान थी ! खत 3 दिन पहले आया था और तीन दिन से ऑफिस में ही था
“मुझे ये खत ऋषभ तक पहुँचाना चाहिए ! हो सकता है इसमें कुछ जरुरी सुचना हो “,सोचते हुए सुजैन वापस अपने केबिन में आयी और खत को अपने बेग में रखकर ऑफिस से बाहर आ गयी ! उसने ड्राइवर से आई मैक्स अपार्टमेंट चलने को कहा ! गाड़ी अपार्टमेंट के सामने आकर रुकी
सुजैन गाड़ी से उतरी और अपना बैग सम्हाले अपार्टमेंट में दाखिल हुई ! लिफ्ट में आकर उसने 4 नंबर दबाया और ऊपर चली आयी ! गेलेरी से होते हुए सुजैन फ्लेट नंबर 407 के सामने आयी और बेल बजा दी ! कुछ देर दरवाजा खुलने का इंतजार किया और एक बार फिर बेल बजा दी ! कुछ देर बाद दरवाजा खुला सामने ऋषभ खड़ा था ! उसे देखकर सुजैन हैरान रह गयी उदास चेहरा , आँखे एकदम लाल जिन्हे देखकर लगता जैसे ऋषभ कई रातो से सोया नहीं है ! सुजैन ने अंदर आने का इशारा किया तो ऋषभ सामने से हट गया ! सुजैन अंदर आयी उसने देखा पुरे फ्लेट में अँधेरा है उसने दिवार पर लगे बोर्ड से लाइट ऑन की और ऋषभ की और देखकर हैरानी से कहा,”ये सब क्या है ऋषभ ? व्हाट्स गोइंग रोंग ! “
“सुजैन तुम यहाँ क्यों आई हो ? तुम्हे इस वक्त ऑफिस में होना चाहिए !”,ऋषभ ने दिवार पर लगी घडी में देखते हुए कहा जो की दिन के 2.30 बजा रही थी !
“ऋषभ मैं यहाँ एक दोस्त होने के नाते आयी हु , और ये जानने आयी हु की ये सब हो क्या रहा है ? “,सुजैन ने थोड़ा सख्त होकर कहा !
“आओ बैठो !”,ऋषभ ने सामने पड़े सोफे की और इशारा करते हुए कहा ! सुजैन आकर सोफे पर बैठ गयी ऋषभ भी उसके सामने पड़े सिंगल सोफे पर बैठ गया और कहा,”सुजै,,,,,,,,!!”
ऋषभ ने कहना चाहा की सुजैन ने उसे बिच में ही रोक दिया और कहा,”ऋषभ मैं ये नहीं पूछूँगी की ऑफिस क्यों नहीं आ रहे हो ? न ही मैं ये जानने में इंट्रेस्टेड हु की तुम मुझे क्या कहना चाहते हो ? मुझे तुम्हे कुछ बताना है ऋषभ !”
सुजैन ने बैग से वो लिफाफा निकाला और ऋषभ की और बढ़ाते हुए कहा,”भोपाल से तुम्हारे लिए ये खत आया है ! जहा तक मैं जानती हु पहली बार वहा से तुम्हारे लिए कोई खत आया है ! तुम्हे इसे देखना चाहिए”
ऋषभ ने खत लिया और कुछ देर उसे अपनी उदास आँखों से देखता रहा ! सुजैन के इशारा करने पर उसने अपनी कांपती उंगलियों से लिफाफे को खोला और खत को पढ़ने लगा ! खत पढ़ते हुए उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था जैसे उसे उम्मीद थी की ये सब उसे पढ़ने को मिलेगा पर जैसे ही उसने आखरी दो लाईने पढ़ी उसके चेहरे के भाव बदले और गहन उदासी चेहरे पर घिर आयी ! उसकी आँखों में नमी थी लेकिन उन आंसुओ को उसने अपनी आँखों में ही रोक लिया ! उसके हाथ अभी भी कांप रहे थे , उसने कांपते हाथो से खत को समेटा और अपनी शर्ट की ऊपरी जेब में रख लिया ! उसे ऐसा करते देखकर सुजैन ने बेचैनी से कहा,”क्या हुआ ऋषभ ? सब ठीक तो है न ?”
ऋषभ ने एक गहरी साँस ली और धीरे से कहा,”माँ नहीं रही !”
सुजैन ने सूना तो उसे बहुत दुःख हुआ उसने ऋषभ की और देखा और कहा,”तुम्हे वहा जाना चाहिए !”
ऋषभ ने कुछ नहीं कहा बस अपनी थकी हुई आँखों से खिड़की के बाहर देखता रहा ! आदमी रोते नहीं क्योकि वो कभी कमजोर पड़ना नहीं चाहते ऋषभ के साथ भी ऐसा ही था ! उसका दर्द भले ही उसके आँखों में उतर आये पर उन आँखों से कभी आंसू नहीं निकलते थे ! सुजैन कुछ देर ख़ामोशी से वही बैठी रही और फिर एक जरुरी फोन आ जाने के कारण उसे वहा से जाना पड़ा ! जाते जाते वह एक बार फिर ऋषभ को घर जाने के लिए कहकर चली गयी !!
सुजैन के जाने के बाद ऋषभ उठा और बाथरूम में नहाने चला गया ! नहाकर बाहर आया और कपडे पहने ! मन कई सारी बातो में उलझा हुआ था जिनके बारे में सोचते हुए वे शर्ट के बटन बंद करते जा रहे थे ! उसने कबर्ड खोला और उसमे रखा गहरे भूरे रंग का एक कोट निकाला ! उसे अपने हाथ से सहलाते हुए उन्होंने उस अनछुए अहसास को महसूस करने की कोशिश की ! ये कोट उन्हें अपनी किसी खास से मिला था तोहफे में जब उसने ये ऋषभ को पहनाते हुए कहा,”ये रंग आप पर बहुत अच्छा लगेगा , इट्स माय फस्ट आइटम एंड दिस इज स्पेशली फॉर यू !”
ऋषभ कोट को हाथ में पकडे देखता रहा आज भी उसकी आवाज उनके कानो में गूंज रही थी ! ऋषभ ने वो कोट पहन लिया उसने आईने में खुद को देखा ! उसने एक बैग उठाया और उसमे अपने कुछ कपडे रखकर वहा से भोपाल जाने के लिए निकल गया ! स्टेशन आकर उसने टिकट लिया और आकर बेंच पर बैठ गया ! ट्रेन आने में अभी 20 मिनिट बाकि थे ऋषभ सामने दूर तक फैली खाली पटरियों को देखने लगा ! एक बार फिर मन यादो में उलझ कर रह गया और कानो में आवाज गूंजने लगी

माही , माही क्या कर रही हो ? ट्रेन किसी भी वक्त आ सकती है ! यहाँ ऊपर आओ , माही , माही ये कैसा बचपना है आई से जस्ट कम हियर”

“रिलेक्स ! री , मैं मरने से डरती हु क्या ? आई लव डेयर , मैं लाइफ में वो सब करना चाहती हु जो मुझे पसंद है”

“ओह ओहके आई विल कम ! “

“गुस्सा कितना सूट करता है तुम्हारी आँखों में ! , ओहके जस्ट टेल मी अगर मैं मर जाऊ तो क्या तुम मुझे कभी याद करोगे !!”

ट्रेन के हॉर्न से ऋषभ की तन्द्रा टूटी वह उठा और अपना सामान लेकर ट्रेन में चढ़ गया ! खिड़की के पास आकर बैठ गया उसने अपनी आँखे बंद कर ली और सर पीछे लगा दिया सामने ! उसकी बगल में दो आदमी बैठे थे जो देश की आर्थिक स्तिथि और अन्य समस्याओ पर चर्चा कर रहे थे ! सामने एक परिवार बैठा था जो की किसी शादी समारोह में शामिल होकर आया था ! इस सब से बेखबर ऋषभ खुद से उलझा हुआ था ! ट्रेन आगे बढ़ रही थी और वक्त जैसे पीछे जा रहा था ! भोपाल में उसका पुश्तैनी मकान है जिसमे उसके माँ बाप , दो छोटे भाई उनकी पत्निया और बच्चे रहते थे ! ऋषभ सबसे बड़ा था पर भाई और रिश्तेदारों ने हमेशा उसे गैर जिम्मेदार और खुदगर्ज ही समझा था ! पिताजी सालो पहले उस अपमान को सह नहीं पाए और दुनिया को अलविदा कह गए , एक माँ बची थी , ऋषभ से छोटा भाई सुजीत डॉक्टर था और उस से छोटा भाई कल्पेश वकील ! भोपल में दोनों का खूब नाम था पैसा , ऐशो आराम सब था पर माँ की जिद के कारण सभी उसी पुश्तैनी घर में रह रहे थे ! सुजीत को एक लड़की और एक लड़का था जो की वही भोपाल में उनके साथ रहते थे और कल्पेश का बेटा अपनी पढाई के लिए दिल्ली में हॉस्टल में था और छोटी बेटी तान्या उनके साथ ही रहती थी ! इतना भरा पूरा परिवार होने के बाद भी ऋषभ सबसे दूर रहा जिसकी वजह सिर्फ ऋषभ जानता था या फिर उसका परिवार ! ट्रेन ने गति पकड़ ली वह अपनी धुन में पटरियों पर दौड़े जा रही थी ! भोपाल को ऋषभ ने 5 साल पहले ही छोड़ दिया था हमेशा हमेशा के लिए उसके बाद आज जा रहा है ,, भाईयो ने कभी उसे अपना नहीं समझा , माँ भी कहा तक उसका साथ दे पाती इसलिए अक्सर चुप ही रहती थी ! जिस अपमान ने ऋषभ के पिता को ख़त्म किया उसी के चलते ऋषभ से सबकी बोलचाल बंद थी ! और इसलिए ऋषभ हमेशा सबसे दूर ही रहा ! एक दिन और दो रात का सफर करके ऋषभ भोपाल पहुंचा ! उसने स्टेशन से ऑटो किया और घर का पता बताकर चलने को कहा ! इतने लम्बे सफर के बाद भी ऋषभ की आँखों में नींद नहीं थी ! जैसे तैसे खुद को सम्हाले वह घर पहुंचा ! अंदर हॉल में आया तो वहा मौजूद सभी लोगो की नजरे उसे देखने लगी ! भाईयो ने देखा तो नफरत से नजरे घुमा ली ! ऋषभ सबसे बेखबर आगे बढ़ा सामने माँ की बड़ी सी तस्वीर लगी थी जिस पर फूलो का हार चढ़ा हुआ था ! ऋषभ की आँखे भर आयी वह आकर तस्वीर के बिल्कुल सामने बैठ गया ! इंसान उम्र में कितना भी बड़ा क्यों ना हो जाये माँ के सामने अपना दर्द बयां कर ही देता है ! ऋषभ वही बैठ गया ! माँ को गुजरे 5 दिन हो चुके थे ऋषभ उनके आखरी दर्शन भी नहीं कर पाया था ! कुछ देर बाद सभी उठ उठकर अपने घर चले गए इक्का दुक्का रिश्तेदार बचे थे जो फुसफुसाते हुए ऋषभ के लिए भला बुरा कह रहे थे ! ऋषभ ने सूना तो उठकर पीछे बरामदे में चला आया ! वह सीढ़ियों पर बैठा सामने फैली घास को देखता रहा और फिर उसकी आँखों से आंसू बह निकले अपने ही घर में कितना अकेला पड़ चुका था वह ! ऋषभ ने अपनी आँखों के किनारे साफ किये और जैसे ही उठने लगा ! दोनों भाई अपनी पत्नियों के साथ वहा आ धमके और ऋषभ पर बरस पड़े !
“तुम में जरा सी भी शर्म है या नहीं ? किस हक़ से तुम यहाँ आये हो ? “,सुजीत ने चिल्लाकर कहा !
“तुम्हारी तो यहाँ कोई इज्जत नहीं है , हमारी जो थोड़ी बहुत इज्जत बची है उसे भी ख़राब करने चले आये ! “,इस बार कल्पेश ने आप[ने अपने शब्दों में जहर भरकर कहा !
“आपको यहाँ आने के लिए किसने कहा ? हमने तो आपको कोई न्योता नहीं भेजा था !”,छोटी बहु ने मुंह बनाकर कहा
“जेठजी जी को अय्याशी से फुर्सत मिले तो इन्हे खबर हो ना की दुनिया में क्या हो रहा है ? माजी को गुजरे 5 दिन हो चुके है लेकिन ये अब आये है ! अहसान जताने ,, हुंह “,सुजीत की पत्नी ने कहा !
ऋषभ जो इतनी देर से अपमान भरे शब्द सुन रहा था ने कहा,”क्या वो मेरी माँ नहीं थी ? क्या तुम सब लोग मेरे अपने नहीं हो ? क्या ये घर मेरा नहीं है ? क्यों नहीं आ सकता मैं यहाँ ? ऐसा क्या किया है मैंने ? !
“कही मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा है आपने हमे ! बेहतर होगा आप हमसे दूर ही रहे “,सुजीत ने गुस्से से कहा

अपने लिए इतनी नफरत देखकर ऋषभ का मन छलनी हो चुका था वह खामोशी से सब सुनता रहा ! चारो दनदनाते हुए वापस चले गए ! ऋषभ एक बार फिर वही सीढ़ियों पर बैठ गया ! सुबह से दोपहर हो चली थी लेकिन ऋषभ खामोश सा वही बैठा खुद को समझाने की नाकाम कोशिश करता रहा ! वर्षा (सुजीत की 16 साल की बेटी) हाथ में खाने की प्लेट लेकर आयी और ऋषभ से कहा,”ताऊजी आपने सुबह से कुछ नहीं खाया है , आपके लिए ये खाना लेकर आये है”
“मुझे भूख नहीं है बेटा ! आप ये खाना वापस ले जाओ “,ऋषभ ने कहा
“ताऊजी दादी माँ कहती थी , अगर किसी से गुस्सा हो तो उसे खाने पर नहीं निकालना चाहिए ! खा लीजिये ना ताऊजी !”,वर्षा ने प्यार से कहा तो ऋषभ ने अपना हाथ उसके सर पर रख दिया और प्लेट उसके हाथ से ले ली ! ऋषभ ने एक निवाला तोड़कर खाया बड़ी मुश्किल से खाना उसके गले के निचे उतरा वर्षा पास में ही बैठी ऋषभ को देखती रही ! उसे अपनी और देखता पाकर ऋषभ ने कहा,”क्या बात है तुम मुझे ऐसे क्यों देख रही हो ?”
“ताऊजी आप बुरा ना माने तो आपसे एक बात पूछे ?”,वर्षा ने झिझकते हुए कहा
“हम्म !”,ऋषभ ने आखरी निवाला खाते हुए कहा
“क्या किसी से प्यार करना गलत है ?”,वर्षा ने पूछा !
“नहीं , किसी से प्यार करना गलत नहीं है”,ऋषभ ने कहा
“तो फिर आपके प्यार को पापा और छोटे चाचा अय्याशी क्यों कहते है ? आपने भी तो प्यार ही किया था न ताऊजी , जब प्यार करना गलत नहीं है तो फिर आपका प्यार गलत क्यों ?”,वर्षा ने कहा
वर्षा के इस सवाल पर ऋषभ खामोश हो गया वर्षा जवाब के इंतजार में थी कुछ देर बाद ऋषभ ने एक गहरी साँस भरकर कहा,”दुनिया की कोई भी चीज सही या गलत नहीं होती है वर्षा , इंसान का नजरिया उसे सही और गलत बनाता है ! जिस समाज , जिस दुनिया में हम रह रहे है वहा प्यार को उम्र , स्टेटस , रंग , जात-पात और रिश्ते से जोड़कर देखा जाता है ! उसके बाद सही और गलत का फैसला होता है ! ये सभी कारण इंसान की भावनाओ से बहुत ऊपर होते है वर्षा जिनके बिच कोई भावना कब सही से गलत हो जाये कहा नहीं जा सकता ! और इन्ही कुछ नजरियो के कारण इंसान अच्छे से बुरा , गलत , खुदगर्ज बन जाता है !”
“पर आप गलत इंसान नहीं है ताऊजी”,वर्षा ने प्यार से कहा
“तुम अभी बहुत छोटी हो वर्षा , ये सब दुनियादारी की बाते है तुम्हे समझ नही आएगी ! “,ऋषभ ने अपनापन जताते हुए कहा !
“पर मैं जानती हु ताऊजी आपका प्यार गलत नहीं था !”,वर्षा ने कहा तो ऋषभ ने मुस्कुराते हुए अपना हाथ उसके सर पर रख दिया !
“ताऊजी क्या मैं आपको हग कर सकती हु ?”,वर्षा ने पूछा !
“बिल्कुल !! “ऋषभ ने अपने दोनों हाथो को फैलाकर कहा ! जैसे ही वर्षा उनसे गले मिलने के लिए आगे बढ़ी पीछे से उसकी माँ की कड़कदार आवाज गुंजी,”वर्षा ! “
सहमकर वर्षा पीछे हट गयी ! वर्षा की मम्मी उसके पास आयी और उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी और खींचते हुए कहा,”कितनी बार कहा है तुमसे ऐसे लोगो से दूर रहो ! इनकी तो सोच ही ऐसी घटिया है”
“ताऊजी गलत नहीं है मम्मी ! इनके बारे में गलत बोलना बंद कीजिये प्लीज़”,वर्षा ने गुस्से से कहा
“तड़ाक !”,एक थप्पड़ आकर सीधा वर्षा के गाल पर लगा और उसकी माँ ने कहा,”सही गलत मुझे मत सिखाओ , ये यहाँ आये ही इसलिए है ताकि मेरे बच्चो के दिमाग में जहर घोल सके !”
“ये क्या कह रही हो संगीता , होश में तो हो तुम ?”,ऋषभ ने कहा
“तुम मत सिखाओ मुझे होश ! “तुम इंसान कहलाने लायक नहीं हो , यहाँ रहोगे तो हमारे बच्चो पर इसका गलत असर पडेगा ! बेहतर होगा तुम यहां से चले जाओ !”,संगीता ने चिल्लाकर कहा और वर्षा का हाथ पकड़ कर खींचते हुए उसे लेकर चली गयी ! संगीता तो चली गयी पर अपने पीछे छोड़ गयी हैरान ऋषभ को ! संगीता के कहे कड़वे शब्द उसके दिमाग में बजने लगे थे ! ऋषभ वहा से बाहर निकल आया ! उसकी आँखों में आंसू थे लेकिन एक बार फिर उसने उन आंसुओ को बाहर आने से रोक लिया ! ऋषभ जैसे ही घर से बाहर आया सामने वाले घर में रहने वाले काका ने कहा,”अरे ऋषभ बेटा अच्छा हुआ तुम आ गए !”
“आपने खत भेजा था कैसे नहीं आता काका ?”,ऋषभ ने उदास स्वर में कहा

“होनी को कौन टाल सकता है बेटा , तुम्हारे भाईयो से तुम्हारे बारे में गलत सुनने को मिला , तुमने ऐसा क्यों किया बेटा ?”,काका ने अपने पन से कहा
“मुझे चलना चाहिए काका !”,ऋषभ ने काका के सवाल को टालते हुए कहा
“अरे इतनी जल्दी जा रहे हो ?”,काका ने हैरानी से कहा
“नहीं काका माँ के दिनों तक यही हु , होटल जा रहा हु यहां रहूंगा तो मेरी वजह से मेरे अपनों को शर्मिंदा होना पडेगा !”,कहकर ऋषभ वहा से निकल गया !

अपनी माँ के 13 दिन होने तक ऋषभ भोपाल में ही होटल में कमरा लेकर रहा ! 13वे दिन जब वह आखरी बार घर आया तो सुजीत ने कुछ पेपर्स उसकी और बढाकर कहा,”भोपाल के बाहर वाली जमीन में से आधा आधा हिस्सा मैंने और कल्पेश ने रख लिया ! वह जगह मेरे क्लिनिक और कल्पेश के ऑफिस के लिए काम आयेगी ! आपने नाम ये घर छोड़ा है इसका आपको जो करना है कर सकते है !”
ऋषभ ने कागज लिए और देखकर वापस सुजीत को लौटाते हुए कहा,”इसकी जरूरत नहीं है सुजीत ! और ये घर छोड़ने का फैसला तुम लोगो ने किया तो मुझे बताया क्यों नहीं ?”
“हम दोनों ने फैसला कर लिया आपको बताने की जरूरत नहीं थी !”,कल्पेश ने आगे आकर कहा
“हम्म्म्म , कहकर ऋषभ पीछे पलटा और कहा,”वकील साहब !”
ऋषभ की आवाज सुनकर दरवाजे पर खड़ा वकील अंदर आया ! वकील को वहा देखकर कल्पेश और सुजीत हैरान थे उन्हें लगा ऋषभ भोपाल वाली जमीन में से भी बटवारा चाहता है ! सुजीत ने गुस्से से कहा,”वकील को यहाँ बुलाकर आखिर आपने अपनी औकात दिखा ही दी , वो जमींन मेरे और कल्पेश के काम के लिए थी और फिर कल को हमे हमारे बच्चो का भविष्य भी तो देखना है ! आपके तो बीवी बच्चे भी नहीं है फिर ये सब क्यों ?
“अरे बिवी बच्चे नहीं है तो क्या हुआ ? वो माशूका तो है ना इनकी उसकी लिए चाहिए होगा बटवारा”,संगीता ना कड़वे शब्दों में कहा ! संगीता की इस बात पर ऋषभ को गुस्सा आया लेकिन वह अपमान का घूंठ पीकर रह गया ! उसने वकील से फाइल ली और सुजीत की और बढा दी !! वकील कहने लगा,”सुजीत और कल्पेश मिस्टर ऋषभ बहल ने अपने हिस्से की जायदाद , रुपया पैसा , गहने यहाँ तक के अपने हिस्से की एक एक चीज जो इन्हे बटवारे में मिली है वो आप दोनों भाईयो के नाम कर दी है ! ये घर भी इन्होने आप दोनों के चारो बच्चो के नाम कर दिया है ! भविष्य में इनका इस घर पर कोई अधिकार नहीं रहेगा !”
सुजीत और कल्पेश ने सूना तो उन्हें एक धक्का सा लगा ! जिस भाई को दोनों ने इतना सब कहा वही भाई उनके लिए जाते जाते इतना सब करके जा रहा था सुजीत को बहुत शर्मिंदगी हुई उसने ऋषभ की और देखकर कहा,”भैया ! “
ऋषभ मुस्कुराया और सुजीत से कहा,”ये हक़ अब तुम खो चुके हो ! खुश रहना “
ऋषभ ने आगे किसी को कुछ कहने का मौका ही नहीं दिया और वहा से निकल गया ! सुजीत कल्पेश और वहा मौजूद सभी लोग ऋषभ को देखते रहे ! बड़ा भाई होने के नाते ऋषभ आज सुजीत और कल्पेश को उनके छोटे होने का अहसास दिलाकर जा चुका था !

Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1 Badalte Ahasas – 1

क्रमश – बदलते अहसास – 2

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संजना किरोड़ीवाल

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