“बदलते अहसास” – 13

Badalte Ahasas – 13

Badalte Ahasas
Badalte Ahasas

ऋषभ के जाने के बाद माही अपने पापा के पास आयी और गुस्से से भरकर कहा,”आपने ऐसा क्यों किया डेड ? री चला गया !”
“जाने दो उसे माही !”,इंद्राज जी ने भी गुस्से से कहा !
“आई लव हिम , प्यार करती हु मैं उस से , मैं उसके बिना नहीं रह सकती डेड !”,माही ने चीखकर कहा !
“ये प्यार नहीं सिर्फ तुम्हारा पागलपन है माही ! अपने आकर्षण को तुमने प्यार समझ लिया , ये सब करने से पहले तुमने एक बार भी अपनी माँ के बारे में नहीं सोचा मेरे बारे में नहीं सोचा ! तुम्हारी और उसकी उम्र में कितना फर्क है जानती भी हो तुम !”,इंद्राज जी की आवाज गुस्से में कांपने लगी थी ! 
“आई डोंट केयर डेड , मैं उस से प्यार करती हु और वो भी मुझसे बहुत प्यार करता है , इट्स नॉट अट्रेक्शन डेड इट्स लव !,माही ने बहस जारी रखी 
“वो तुमसे प्यार नहीं करता है माही ! वो सिर्फ तुम्हारे अकेले होने का फायदा उठा रहा है’,अमिता ने अंदर आते हुए कहा 
अमिता की बात सुनकर माही उनके पास आयी और कहा,”नो मम्मा ऐसा नहीं है री भी मुझसे बहुत प्यार करता है ! वो बहुत अच्छा इंसान है मम्मा”
“तुम्हे आखिर समझ क्यों नहीं आ रहा की वो तुम्हारे लिए सही नहीं है !”,इंद्राज जी ने माही की बांह पकड़ कर उसे अपनी और खींचकर कहा ! 
“बट व्हाई ?’,माही की आँखों में आंसू झलक आये ! 
“क्योकि वो तुम्हारे पापा की उम्र का है बेटा ! अगर बाहर लोगो को पता चला तो समाज में हमारी क्या इज्जत रह जाएगी ! लोग थूकेंगे हम पर , कैसी कैसी बाते बनाएंगे इसका अंदाजा भी नहीं है तुम्हे ! तुम्हारे पापा की  इज्जत मिटटी में मिल जाएगी बेटा !”, अमिता ने माही को समझाते हुए कहा ! 
“तुम्हारी माँ सही कह रही है माही ! वो आदमी तुम्हे धोखा दे रहा है , तुम्हारा फायदा उठाकर वह तुम्हे छोड़कर चला जाएगा !”,इंद्राज जी ने कहा ! 
“ऐसा कुछ भी नहीं है पापा , वो मुझसे बहुत प्यार करते है पापा मैं उनके बिना नहीं रह सकती पापा”,माही ने रोते हुए कहा ! 
इंद्राज जी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो माही को कैसे समझाए ? हालात बहुत नाजुक थे और ऐसे में माही के साथ किसी भी तरह की जबरदस्ती उन्हें नुकसान पहुंचा सकती थी ! इंद्राज जी कुछ देर शांत रहे और फिर कहा,”अगर ऐसा है तो वो तुम्हे छोड़कर क्यों गया ? मैं तुम्हे एक हफ्ते का वक्त देता हु माही उस एक हफ्ते में तुम उस आदमी से किसी भी तरह का कोई कॉन्टेक्ट नहीं करोगी , अगर वो आया तो मैं तुम्हे उसके साथ जाने से नहीं रोकूंगा ! पर तब तक तुम्हे उस से दूर रहना होगा !”
“सूना था प्यार में इम्तिहान होते है , और मैं उसके लिए हर इम्तेहान देने को तैयार हु पापा”,माही ने अपनी भीगी पलको से इंद्राज जी की और देखते हुए कहा और वहा से चली गयी ! 
माही अपने कमरे में आयी और फुट फुट कर रोने लगी ! ऋषभ से दूर होना उसके लिए मरने जैसा ही था लेकिन उसे पाने के लिए वह अपने माँ बाप का दिल कैसे दुखा सकती थी ? माही ने मन ही मन फैसला किया की वह ऋषभ के आने का इंतजार करेगी ! 
“आपने ये कैसी बात कह दी माही से ? क्या आप हमारी बच्ची को ऐसे ही उस आदमी के साथ चले जाने देंगे ?”,अमिता ने आँखों में आंसू भरकर इंद्राज जी से कहा ! इंद्राज जी अमिता के पास आये और उसके कंधो को थामकर कहा,”अमु मुझे पूरा यकीं है ऋषभ यहाँ वापस नहीं आएगा ! माही को उस से लगाव हो गया है जिसे वह प्यार समझ रही है कुछ दिन उस से दूर रहेगी तो ये लगाव अपने आप कम हो जाएगा ! धीरे धीरे वह उसे भूल जाएगी ! भरोसा रखो !”
“मुझे बहुत डर लग रहा है , कही हमारी बेटी ने कुछ,,,,,,,,,,,!”,अमिता रोने लगी ! 
“सब ठीक हो जायेगा अमु तुम चिंता मत करो , हां माही का ख्याल रखो इस वक्त उसे तुम्हारी जरूरत है !”,इंद्राज जी ने कहा !

ऋषभ वापस ऊटी पहुंचा ! रास्तेभर वह माही के बारे में सोचता रहां , उसने माही को फोन करने का सोचा लेकिन उसकी वजह से कही परेशानी न बढ़ जाये सोचकर नहीं किया ! ऋषभ स्टेशन से बाहर आया उसका चेहरा उतरा हुआ था और आँखे थकी हुई लग रही थी ! उसका मन बहुत उदास था ! ऋषभ ने ऑटो वाले से अपार्टमेंट चलने को कहा ! लेकिन ऋषभ ये नहीं जानता था वहा उसे एक बार फिर समाज के लोगो का सामना करना है ! उदास आँखों से वह रास्तो को देखता जा रहा था ! ये वही रास्ते थे जहा से कभी वह माही के साथ गुजरा था ! दरअसल ऋषभ के परिवार के लोग उसे घर ले जाने के लिए ऊटी आये थे लेकिन ऋषभ उन्हें नहीं मिला पर ऋषभ की खबरे सोसायटी वालो ने खूब नमक मिर्च लगाकर उन्हें बताई ! ऋषभ के दोनों भाईयो का सर शर्म से झुक गया ! भाईयो की पत्नियों ने ताने मारने शुरू कर दिए और ऋषभ की माँ वह निढाल सी एक कोने में बैठकर अपनी परवरिश को कोसने लगी ! सोसायटी वाले ऋषभ और माही के बारे में जितना बुरा बोल सकते थे उन्होंने घरवालों से कहा ! 
“आने दो भाईसाहब को , मैं तो समझता था वे अकेले है उन्हें हमारे साथ की जरूरत है लेकिन नहीं वो तो यहाँ गुलछर्रे उड़ा रहे है !”,ऋषभ के भाई सुजीत ने कहा ! 
“मुझे तो उन्हें अपना भाई कहने में भी शर्म आ रही है ! , जब रिश्तेदारों को पता चलेगा तो क्या इज्जत रह जाएगी हमारी !”,छोटे भाई कल्पेश ने बिगड़ कर कहा !
“मैं तो कहती हु यहाँ से चलिए ! अब क्या बाकी रह गया है यहाँ रुकने को , भाईसाहब की तो कोई इज्जत नहीं है पर हमारी तो है !”,सुजीत की पत्नी ने कहा 
“बुढ़ापे में अय्याशी करने का खुमार चढ़ा है उन्हें ! अगर इतना ही था तो शादी क्यों नहीं की ? कमसे कम ये दिन तो नहीं देखना पड़ता !”,छोटी बहु ने कहा !
“बस करो तुम सब के सब ऋषभ ने जो किया वो क्या कम था जो तुम सब अब ये सब कह रहे हो ! मेरी ही परवरिश में कही खोट था जो आज उसने मुझे ये दिन दिखाया इस से तो अच्छा मैं मर जाती ! “,कहते हुए बूढी माँ रोने लगी ! सुजीत ने उन्हें सम्हाला !  सभी गुस्से से भरे ऋषभ के आने का इंतजार करने लगे ! 
“भैया मुझे नहीं लगता वो आएंगे , हमे अब चलना चाहिए !”,कल्पेश ने घडी देखते हुए कहा तभी दरवाजे पर दस्तक हुई सबकी नजर उस और गयी सामने ऋषभ खड़ा था ! सबको अपने फ्लेट में देखकर ऋषभ हैरान हो गया ! वह जैसे ही अंदर आया सुजीत गुस्से में उसके पास आया और कहा,”मैं पूछता हु आखिर यहाँ हो क्या रहा है ! ? हमारी पीठ पीछे आप ये सब कर रहे है आपको जरा भी शर्म नहीं आयी !”
“हमे तो  सोचकर ही शर्म आ रही है की आप हमारे बड़े भाई है”,कल्पेश ने कहा 
“आखिर मैंने किया क्या है ?”,ऋषभ ने हैरानी से दोनों के मुंह देखते हुए कहा !
“ये लो सो चूहे खाकर बिल्ली हज को चली , भाईसाहब को तो पता भी नहीं है इन्होने किया क्या है ?”,छोटी बहु ने मुंह बनाते हुए कहा !
“अरे मिटटी मिला दी है खानदान की इज्जत आपने , हमे समाज में कही मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा है !”,सुनीता ने कहा ! 
ऋषभ अब भी नहीं समझ पाया की सब उस से किस बारे में बात कर रहे है तभी सुजीत ने कहा,”शर्म नहीं आई आपको अपनी बेटी की उम्र की लड़की से रिश्ता रखते हुए ! आखिर ऐसा क्यों किया आपने ?”
ऋषभ खामोश हो गया ! सुजीत की पत्नी आगे आयी और कहा,”इन्हे क्या फर्क पड़ता है , इनकी तो कोई इज्जत है नही ना ही कोई परिवार है ! बिरादरी में नाक कटवा दी है इन्होने हमारी ! “
“हां दीदी अब तो डर लगने लगा है , हमारे बच्चे बड़े हो रहे है कल को इनके बारे में सुनेंगे तो क्या असर पड़ेगा उन पर”,छोटी बहु ने कहा !
ऋषभ खामोश खड़ा अपमान के घूंठ पिता रहा ! कल्पेश ने ऋषभ की और नफरत भरे अंदाज में देखा और कहा,”अरे ये तो बेशर्म है ही , और इनसे भी बेशर्म है वो लड़की जिसने इनका साथ दिया है”
“बस बहुत हो गया , खबरदार जो माही के बारे में एक और लफ्ज अपनी जबान से कहा तो मैं भूल जाऊंगा तुम मेरे भाई हो !”,ऋषभ ने गुस्से से कहा 
“ओह्ह तो अब वो लड़की आपके लिए इतनी ज्यादा जरुरी हो गयी !”,सुजीत ने कहा 
“तुम लोग मेरी बात सुनो मैं समझाता हु सब !”,ऋषभ ने आराम से कहा 
“क्या समझायेंगे आप ? एक लड़की के साथ आपके नाजायज संबंध है ये समझायेंगे आप ?”,कल्पेश ने चिल्लाकर कहा 
“कल्पेश,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,कहते हुए ऋषभ ने कल्पेश की और हवा में हाथ उठाया लेकिन बिच में ही रुक गया उसकी आँखों में गुस्से के भाव साफ साफ नजर आ रहे थे ! 
“रुक क्यों गए मारिये , उठाईये हाथ ! उस लड़की के लिए आप अपने भाई पर हाथ उठा रहे है !”,कल्पेश ने कहा 
“अरे चलिए यहाँ से इनसे क्या बात करनी है अब ! खामखा तमाशा बनाकर रख दिया है इन्होने लोगो को सामने हमारा !”,सुनीता ने कहा ! 
सुजीत और कल्पेश नफरत से ऋषभ को घूरते हुए अपनी अपनी पत्नियों के साथ बाहर निकल गए ! ऋषभ अपनी माँ के सामने आया और जैसे ही कुछ कहना चाहा उन्होंने हाथ आगे कर ऋषभ को बोलने से रोक दिया और कहा,”तुम्हारे भाईयो ने जो कहा क्या वो सच है ?”
“आप मेरी बात तो सुनिए मैं समझाता हु”,ऋषभ ने बच्चे की तरह तड़पकर कहा 
“मैंने जो पूछा है उसका जवाब दो ऋषभ तुम्हारे भाईयो ने जो कहा क्या वो सच है ?”,माँ ने सख्त लहजे में कहा 
“हम्म्म्म !!”,ऋषभ ने धीरे से कहा ! 
माँ ने एक थप्पड़ ऋषभ के गाल पर मारा और आँखों में आंसू भरकर कहा,”तुमने ये सही नहीं किया ऋषभ , आज के बाद मेरे सामने मत आना वरना मेरा मरा मुंह देखोगे !”
“मेरी बात तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,ऋषभ ने कहना चाहा लेकिन माँ वहा से निकल गयी ! ऋषभ घुटनो के बल वही गिर पड़ा उसकी आँखों से आंसू लगातार बहते रहे ! उसने अपना चेहरा अपनी हथेलियों में छुपा लिया और फुट फुट कर रोने लगा !  
किसी से प्यार करने की उसे ये सजा मिलेगी उसने कभी सोचा भी नहीं था ! माही उसके साथ नहीं थी , परिवार भी छोड़कर जा चुका था , लोग उस से नफरत करने लगे थे ! ऋषभ उठा उसने दरवाजा बंद किया और जाकर बिस्तर पर गिर गया ! मन भावनाओ से उलझा हुआ था ! क्या सही था क्या गलत कुछ समझ नहीं आ रहा था ! एक तरफ माही का प्यार था तो दूसरी और समाज , परिवार और रिश्तेदार ! ऋषभ की भावनाये भले गलत ना हो पर माही से उसका रिश्ता हर किसी की नजर में गलत था ! दोपहर से शाम हो गयी ऋषभ निढाल सा यु ही बिस्तर पर पड़ा रहा ! शाम होने पर वह उठा मुंह धोया और बालकनी में आकर सिगरेट जला ली ! ऋषभ की नजर निचे घूम रहे लोगो पर पड़ी उसे लगा जैसे सब उसे ही देख रहे है और उस से पूछ रहे है की,”आखिर उसने समाज के खिलाफ जाकर अपने से कम उम्र की लड़की से प्यार करने की जुर्रत कैसे की ?” ऋषभ का दम घुटने लगा उसने सिगरेट बुझाकर फेंक दी और वापस अंदर चला आया ! उसने कपडे बदले और बाहर निकल गया ! जैसे ही लिफ्ट के सामने आया सोसायटी के कुछ लोग वहा खड़े थे ऋषभ को देखते ही उन्होंने ऋषभ पर फब्तियां करना शुरू कर दिया !
“ये लो आ गए हमारे अपार्टमेंट के शाहरुख़ खान !”,आहूजा जी ने कहा तो बाकि सब खी खी करके हसने लगे !   
आहूजा की बात सुनकर ऋषभ को बहुत गुस्सा आया लेकिन इस वक्त कुछ कहना उसने जरुरी  नहीं समझा और चुपचाप खड़ा रहा ! 
“क्या जमाना आ गया है आहूजा जी , लोग अपनी फिजिकल नीड्स को प्यार का नाम देने लगे है ! भई ऐसे प्यार करने वालो से मैं तो दूर ही रहता हु क्या पता कब उन्हें हम पर प्यार आने लग जाये !”,शर्मा जी ने  बेशर्मी ने कहा      
” अरे ! शर्माजी जी ऐसे लोगो की कमी थोड़े है अपने आस पास देख लो मिल जायेंगे !”, अग्रवाल जी ने कहा !
ऋषभ मन ही मन झल्ला रहा था वह वहा से वापस अपने फ्लेट में चला आया ! गुस्सा इतना था की ऋषभ ने अपना हाथ दिवार पर दे मारा चोट लगी और खून बहने लगा पर वो दर्द ऋषभ को महसूस नहीं हुआ ! उसे दर्द हो रहा था अपनों की कही बातो का , समाज के बनाये घटिया रिवाजो का और अपने आस पास के लोगो की गन्दी सोच का ! ऋषभ की आँखे नम थी उसकी आँखों के सामने माही का चेहरा आ गया ! ऋषभ वही सोफे पर बैठ गया ! घडी में शाम के 7 बज रहे थे बाहर हल्का अँधेरा होने लगा था ! कुछ देर बाद रचना खाने की प्लेट लेकर ऋषभ के सामने आयी उसने जब देखा ऋषभ के हाथ से खून निकल रहा है तो उसने खाने की थाली टेबल पर रखी और अंदर से फर्स्ट ऐड बॉक्स उठा लायी ! ऋषभ शून्य में तांकते हुए बैठा जमीं को देख रहा था ! ना उसे रचना के आने का अहसास था ना ही अपने दर्द का ! रचना ने डिब्बे से दवा निकाली और ऋषभ के हाथ पर लगायी तब ऋषभ की तंद्रा टूटी उसने सामने देखा रचना थी ! ऋषभ ख़ामोशी से उसे देखता रहा रचना ने दवा लगाकर ऋषभ के हाथ पर पट्टी बांध दी ! 
“तुम यहाँ ?”,ऋषभ ने भारी आवाज से कहा 
“अंकल ये सब क्या है ? आपको ये चोट कैसे लगी ? और और ये लोग आपके बारे में ऐसे बाते क्यों कर रहे है ?”,रचना ने कहा ! 
ऋषभ कुछ कहता इस से पहले ही अल्का वहा आयी और गुस्से से कहा,”रचना , यहाँ क्या कर रही हो तुम ?”
“मम्मी मैं तो बस अंकल के लिए खाना लेकर आयी थी !”,रचना ने सहमे हुए स्वर में कहा ! 
“चुपचाप चलो यहाँ से !”,अल्का ने कहा 
रचना ख़ामोशी से गर्दन झुकाकर जाने लगी तो ऋषभ ने कहा,”ठहरो रचना !” रचना रुक गयी तो ऋषभ ने अल्का की और देखकर कहा,”बच्ची से बात करने का ये कैसा तरिका है ?”
“आप तो जानते ही हो सोसायटी वाले आपको और माही को लेकर कैसी कैसी बाते बना रहे है ? मैं नहीं चाहती उन बातो में मेरी बेटी का नाम भी आये इसलिए बेहतर होगा आप रचना से दूर रहे !”,अल्का ने कहा और रचना का हाथ पकड़कर उसे वहा से ले गयी ! ऋषभ का दिल टूटकर बिखर गया ! उसने कभी सोचा नही था लोग उसे लेकर इस तरह की सोच रखेंगे ! आज पहली बार ऋषभ टूट चुका था ! 
ऋषभ नम आँखों के साथ अपने कमरे में चला आया ! कमरे में आकर उसकी नजर माही की तस्वीर पर गयी ऋषभ ने उसे उठाया और लेकर बिस्तर के एक कोने पर बैठ गया ! ऋषभ उस तस्वीर को नम आँखों से बड़े प्यार से देख रहा था ! एक माही ही तो थी जिसे वह अपना कह सकता था ! माही का प्यार उसे आज समझ आ रहा था ऋषभ की आँख से आंसू निकलकर माही की तस्वीर पर आ गिरा ! ऋषभ अपने अहसासों को नहीं रोक पा रहा था ! वह उस तस्वीर को देखते हुए कहने लगा,”तुम सही कहती हो माहि , ये दुनिया , ये समाज , इस समाज के लोग ये अपने नहीं है ना ही ये अपनी भावनाओ को समझ सकते है ! ये बस हंस सकते है , ताने मार सकते है , दिल दुखा सकते है , तकलीफ दे सकते है पर साथ नहीं देंगे ! तुम सही थी माही और तुम हमेशा सही होती हो पर मैं डरता हु ! मैं डरता हु तुम्हे खोने से इसलिए मैं चुप रहता हु , अपनी भावनाये अपने बदलते अहसास तुमसे नहीं कहता ! क्योकि मैं डरता हु कही मैं तुम्हे खुद से ज्यादा प्यार ना करने लगू ! लोग अपनी जगह सही है लेकिन इस से ये साबित नहीं होता की हम या हमारा प्यार गलत है ! अहसास कभी गलत नहीं होते है माही ये सिर्फ वही जानता है जिसने इन्हे महसूस किया है , जिया है ! तुम साथ नहीं हो पर तुम्हारा अहसास अब भी मेरे आस पास है ! मैं तुम्हे कभी नहीं भूल सकता माही कभी नहीं !”
ऋषभ की आँखे एक बार फिर नम थी ! 
दिन गुजरने लगे ऋषभ अब पहले से भी ज्यादा चुप रहने लगा था ! ना वह बाहर निकलता ना किसी से ज्यादा बाते करता ! सुजैन से भी उसने बीमारी का बहाना बना कुछ दिन की छुट्टी ले ली ! एक शाम ऋषभ टेरेस पर अकेला बैठा माही की यादो से झुंझ रहा था की श्रेयस वहा आया और कहा,”हेलो अंकल !”
“हैलो !”,ऋषभ ने कहा 
“आप यहाँ अकेले बैठे है !”,श्रेयस ने ऋषभ के पास बैठते हुए कहा !
“हम्म्म , किसी के अधूरे साथ से बेहतर होता है ये अकेलापन !”,ऋषभ ने कहा 
“वॉव , आप कितनी खूबसूरत बाते करते है ! बुरा ना माने तो आपसे एक बात पुछु ?”,श्रेयस ने कहा 
“हम्म्म पूछो !”,ऋषभ ने कहा 
“आप माही से प्यार करते थे ?”,श्रेयस ने कहा 
“तुम ये क्यों जानना चाहते हो ?”,ऋषभ ने हैरानी से कहा ! 
“मैं कुछ दिन पहले माही से मिला था , वो आपसे बहुत प्यार करती है सर लेकिन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,श्रेयस ने बात अधूरी छोड़ दी !
“लेकिन क्या ?”,ऋषभ ने कहा 
“लेकिन यहा के लोग उसे नहीं समझेंगे सर , ये समाज ये सोसायटी जिंदगी भर आपको इस बात का अहसास दिलाती रहेगी की आपने अपने से कम उम्र की लड़की से प्यार किया ! ऐसा ही है सर यहाँ किसी को किसी की फीलिंग्स से फर्क नहीं पड़ता है !”,श्रेयस ने कहा ! 
“सही कहा तुमने यहाँ किसी को किसी की फीलिंग्स से फर्क नहीं पड़ता है !”,ऋषभ ने तड़पकर कहा !
 श्रेयस एक बहुत ही समझदार लड़का था उसने ऋषभ और माही के रिश्ते को बहुत करीब से महसूस करके देखा था इसलिए वह आज ऋषभ के पास था ताकि उसे आने वाले वक्त की सच्चाई से अवगत करा सके ! श्रेयस को सोच में डूबा देखकर ऋषभ ने कहा,”तुम यहाँ आये हो तुम्हारे पापा ने देखा तो नाराज होंगे तुम पर !”
“आपके और माही के रिश्ते पर उंगलिया उठाने वाले लोगो में मेरे पापा भी शामिल है सर , और वो गलत है मैं भी अच्छे से जानता हु ! पर ये समाज एक भेद चाल है सर , एक जहा जाएगा सब बिना सच जाने उसके पीछे पीछे चल पड़ेंगे ! इन्ही लोगो की वजह से आपको कितना कुछ बर्दास्त करना पड रहा है ये मैं जानता हु सर ! समाज एक ऐसा कुआ है जो हमे कभी अपनी हदो से बाहर निकलने नहीं देता है !”,श्रेयस ने गंभीरता से कहा 
“इतनी सी उम्र में इतनी बाते , चीजों को बहुत बारीकी से देखते हो तुम”,ऋषभ ने कहा ! 
श्रेयस मुस्कुराया और उठते हुए कहा,”चलता हु सर , आप बहुत अच्छे है सर आई रिस्पेक्ट यू !”
“गॉड ब्लेस् यू !”,ऋषभ ने कहा 
श्रेयस जाते जाते पलटा और कहा,”सर बुरा न माने तो एक और बात कहु !”
“हम्म्म कहो !”,ऋषभ ने कहा !
“ये समाज आपके रिश्ते को कभी नहीं अपनाएगा , यू नीड टू जस्ट गिव अप !”,श्रेयस ने कहा 
“तुम ऐसा क्यों कह रहे हो ?”,ऋषभ ने कहा     
“क्योकि मुझसे आपका दर्द देखा नहीं जाता !”,श्रेयस ने नम आँखों के साथ कहा और तेज कदमो से वहा से चला गया ! जाते जाते वह ऋषभ की आंखे भी नम कर गया ! !

एक हफ्ते बाद जब ऋषभ लौटकर नहीं आया तो माही बिना बताये घर से ऊटी के लिए निकल गयी ! वह बहुत खुश थी आज कितने दिनों बाद वह ऋषभ  मिलने वाली थी ! ऊटी पहुँचते पहुँचते शाम हो चुकी थी माही ने ऋषभ के लिए एक गुलाबो का गुच्छा खरीदा और उसे लेकर अपार्टमेंट में पहुंची ! अपने फ्लेट में आकर वह फ्रेश हुई और फिर गुलाबो वाला गुच्छा उठाये रिषभ के दरवाजे के सामने आयी ! ख़ुशी उसके चेहरे से झलक रही थी ! माही ने बेल  बजाने के लिए हाथ बढ़ाया लेकिन दरवाजा खुला हुआ था माही दरवाजा धकेलकर अंदर आयी ! घर मंद रौशनी से भरा हुआ था ! माही मुस्कुराते हुए अंदर आई वह बैडरूम की और बढ़ी लेकिन उसके कदम दरवाजे पर ही रुक गए अंदर का नजारा जब उसने देखा तो आँखों को यकीन नहीं हुआ ! सामने ऋषभ उसकी और पीठ किये खड़ा था ! उसके सामने आधे कपड़ो ने माही की ही कोई हमउम्र लड़की थी जो मादकता से ऋषभ के नंगे बदन को चूमती जा रही थी ! ऋषभ ने सिर्फ पेण्ट पहनी थी ऊपर के हिस्से पर कोई कपड़ा नहीं था ! उसने लड़की को अपनी बांहो में ले रखा था ! माही का दिल टूट गया उसके हाथ में पकड़ा गुलाबो का गुच्छा निचे गिरकर बिखर गया ! अपने पापा की कही बात उसके कानो में गूंजने लगी ! माही की आँखों में आंसू भर आये ! लड़की की नजर जब माही पर पड़ी तो उसने ऋषभ को बताया ऋषभ पलटा माही को देखकर हैरान हो गया ! वह माही के पास आया उसने जैसे ही कुछ कहना चाहा माही ने एक थप्पड़ उसके गाल पर जड़ते हुए कहा,”तुम सब मर्द एक जैसे होते हो , आई हेट यू , आई जस्ट हेट यू !”
ऋषभ नजरे झुकाये खड़ा रहा और माही वहा से चली गयी ! 

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क्रमश – Badalte Ahasas – 14

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Sanjana किरोड़ीवाल 

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