बदलते अहसास – 9

Badalte Ahasas – 9

Badalte Ahasas
Badalte Ahasas

माही ने ऋषभ से अपने दिल की बात कह दी लेकिन ऋषभ ने उसे ना कह दी ! ऋषभ के ना कहने की वजह सिर्फ वही जानता था ! माही को वहा छोड़कर ऋषभ वहा से निचे चला आया ! माही को समझ नहीं आ रहा था आखिर ऋषभ ने उस से ये सब क्यों कहा ? माही जानती थी ऋषभ के दिल में भी उसे लेकर फीलिंग्स है फिर ऋषभ उस से झूठ क्यों बोल रहा है ? आखिर क्या वजह थी इन सब की सोचते हुए माही वही खड़ी रही ! कुछ देर बाद उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा माही पलटी तो पीछे रचना खड़ी थी उसने माही से कहा,”सुबह सुबह यहाँ क्या कर रही हो तुम ?
माही ने कोई जवाब नहीं दिया और वहा से चली गयी ! रचना को माही का व्यवहार बड़ा अजीब लगा वह उसके पीछे पीछे आयी और कहा,”माही हुआ क्या ? तुम इतनी परेशान क्यों हो ?”
लेकिन माही बस तेजी से सीढिया उतरती जा रही थी ! रचना उसके पीछे पीछे निचे चली आयी जैसे ही माही अपने फ्लेट में जाने लगी रचना ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी और करते हुए कहा,”क्या हुआ है तुम्हे ? बताओगी तुम !”
“जस्ट लिव मी अलोन !”,माही ने दर्दभरी आवाज में चीखकर कहा ! उसकी नीली आँखों में आंसुओ की बुँदे तैर रही थी जिन्हे किसी तरह माही ने अपनी आँखों में रोक रखा था ! रचना ने माही को पहली बार इतना अपसेट देखा था उसने उसका हाथ छोड़ दिया और धीरे से कहा,”सब ठीक तो है ना माही ?”
“नो , कुछ ठीक नहीं है ! नाउ यू प्लीज़ लिव मी अलोन”,कहते हुए माही वहा से चली गयी और जोर से अपने फ्लेट का दरवाजा बंद कर लिया !
रचना उदास सी अपने फ्लेट में चली आयी ! उसे उदास देखकर अलका ने कहा,”क्या बात है बेटा ? इतनी परेशान क्यों हो ?”
“मम्मा वो माही,,,,,,!”,कहते कहते रचना रुक गयी !
“तुम दोनों के बिच फिर बहस हुयी “,अल्का ने घूरते हुए कहा
“नो मम्मा , मैंने कोई झगड़ा कोई बहस नहीं की , आपकी कसम ! पर पता नहीं वो इतना अपसेट क्यों है ? कल तो सब ठीक था फिर आज अचानक से ?”,रचना ने उदासी भरे स्वर में कहा
“तुम्हारी दोस्त थोड़ी अजीब है , वो कब खुश होती है , कब गुस्सा होती है , कब हसने लगे , कब रोने लगे उसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता ! उसे कुछ देर अकेला छोड़ दो फिर जाकर उस से बात करना , तुम दोनों दोस्त हो तो तुमसे वो अपनी परेशानी जरूर शेयर करेगी !”,अल्का ने कहा
“आई हॉप मम्मा ऐसा ही हो ! माही बहुत इनोसेंट है मम्मा उसे अच्छा बुरा कुछ समझ नहीं आता बस वो हमेशा खुश रहती है , और वो वैसे ही अच्छी लगती है !”,रचना ने कहा
“चिंता मत करो , मैं उसके लिए कुछ अच्छा सा बनाती हु वो लेकर जाना उसके लिए ! देखना अपनी फेवरेट डिश देखते ही खुश हो जाएगी वो”,अल्का ने प्यार से रचना के गाल को छूकर कहा तो रचना मुस्कुरा दी ! अल्का सबके लिए नाश्ता बनाने किचन में चली गयी और रचना अपने कमरे में चली आयी !

ऋषभ अपने कमरे में शीशे के सामने खड़ा काफी देर से खुद को देख रहा था ! आईने में खुद को देखते हुए वह मन ही मन कहने लगा,”ये चेहरा ही तुम्हारे आकर्षण की वजह है माही ! तुम्हारी भावनाओ को मैंने आकर्षण का नाम दिया है पर मेरी उन भावनाओ को मैं आकर्षण कैसे कहु जो तुम्हारे लिए है ? वो आकर्षण नहीं प्यार ही है ! वो प्यार जो मैं तुमसे करने लगा हु जिसे मैं स्वीकार नहीं कर सकता ! मेरे इंकार करने की वजह उम्र नहीं है बल्कि खोखले नियमो में बंधा ये समाज है जो हमारे रिश्ते को कभी स्वीकार नहीं करेगा ! ना ये समाज और ना इसमें रहने वाले लोग ! और क्या तुम्हारे माता-पिता स्वीकार कर पाएंगे अपनी बेटी की जिंदगी में एक ऐसा शख्स जो दुगुनी उम्र का हो , नहीं वो स्वीकार नहीं करेंगे दुनिया का कोई भी बाप ये स्वीकार नहीं करेगा ! जो मैंने किया है उसके बाद जीवन में एक बार तुम्हे रोना पडेगा लेकिन जो तुम चाहती हो उसके लिए शायद जिंदगीभर रोना पड़े ! जो अहसास तुमने अपने लिए मेरे मन में जगाये है वो हमेशा जिन्दा रहेंगे मैं हमेशा तुमसे उतना ही प्यार करता रहूंगा लेकिन इसे स्वीकार नहीं कर सकता क्योकि मैं अपनी हदो में कैद हु उनसे बाहर नहीं जा सकूंगा ! , मैंने तुम्हारा दिल दुखाया है हो सकता है इसके बाद तुम मुझसे नफरत करने लगो या मुझे गलत समझो तो मुझे फर्क नहीं पडेगा लेकिन मैं लोगो के बिच तुम्हे हंसी का पात्र बनते नहीं देख सकता , समाज के इन खोखले रिवाजो में पिसते नहीं देख सकता , उम्र के इस फांसले में तुम्हे जिंदगी भर घुटते नहीं देख सकता ! मेरे पास तुम्हे देने के लिए कुछ नहीं है सिवाय इन अहसासों के ,, हो सके तो मुझे माफ़ कर देना !”
ऋषभ नहाने चला गया ! तैयार होकर वह ऑफिस के लिए निकल गया ! फ्लेट से बाहर निकलते हुए उसकी नजर माही के फ्लेट के दरवाजे पर गयी जो की बंद था ! ऋषभ ने अपना दरवाजा लॉक किया और वहा से निकलकर लिफ्ट में आया ! लिफ्ट में मिस्टर शर्मा और गुप्ता जी पहले से मौजूद थे जो उसी फ्लोर पर रहते थे ! ऋषभ ने एक नजर दोनों को देखा और चुपचाप अंदर आकर खड़ा हो गया उसने 0 बटन दबा दिया ! लिफ्ट निचे जाने लगी ! शर्मा जी ऋषभ को देखा और फिर गुप्ता जी की और देखकर कहा,”कैसा जमाना आ गया है ना गुप्ता जी , आजकल छोटी छोटी लड़किया अपने से बड़ो के प्यार में पड़ने लगी है !”
“अरे बिल्कुल शर्मा जी मेरे ऑफिस वाला तिवारी है न उसका अपनी ही सेकेरेट्री से चक्कर चल रहा है , और उम्र क्या है उसकी सिर्फ 19 और अपना तिवारी वो तो 50 क्रॉस करने वाले है !”,गुप्ता जी ने अपनी बातो से आग में घी डालते हुए कहा ! शर्मा जी खी खी करके हसने लगे और कहा,”अरे भैया प्यार जो ना कराये कम है , अब अपने सोसायटी के सामने वाली बिल्डिंग में ही देख लो वो मोहनराव 3 शादी कर चुका है लेकिन जवानी है की छूटने का नाम नहीं ले रही है तीनो बीवियों को छोड़कर अब किसी लड़की के साथ रह रहा है”
“अरे काहे का प्यार सब बस अय्याशी का खेल है शर्मा , लोग अपनी हवस को प्यार का नाम देने लगे है !”,गुप्ता जी ने दुत्कारते हुए कहा और ऋषभ की और देखने लगे ! उन दोनों लोगो की बाते सुनने के बाद भी ऋषभ खामोश था लेकिन मन के किसी कोने को उनकी बाते चोट पहुंचा रही थी उसका मन हुआ की पलटकर दोनों को जवाब दे और कहे की,”प्यार करना गलत नहीं होता है , इसकी कोई उम्र कोई वक्त नहीं होता है !” पर ऋषभ ने उन बातो को मन के समंदर में ही कही बहा दिया और ग्राउंड फ्लोर का इंतजार करने लगा ! शर्मा और गुप्ता जी कानाफूसी करने में लगे थे और कुछ देर बाद शर्मा जी ने ऋषभ से कहा,”बहल साहब सूना आपके सामने वाले फ्लैट में रहने के लिए कोई लड़की आयी है , कैसी है ?”
ऋषभ को मन ही मन खीज हुई फिर भी उसने खुद को सामान्य रखते हुए धीरे से कहा,”अच्छी है !”
“हां बहुत बाते सुनी सोसायटी वालो से उसके बारे में , बता रहे सब की बहुत सुन्दर है , दिल्ली से है और यहाँ फैशन डिजायनिंग का कोर्स करने आयी है ! लेकिन थोड़ी घमंडी किस्म की है सीधे मुंह किसी से बात ही नहीं करती है !”,गुप्ता जी ने मुंह बनाकर कहा
“पर बहल साहब के साथ खूब अच्छी जमती है उसकी , क्यों बहल साहब ?”,शर्मा जी ने खींसे निपोरते हुए कहा !
इस बात पर ऋषभ शर्मा जी की और पलटा तो शर्मा जी ने आँखों में बेशर्मी भरते हुए कहा,”सुनने में आया है कुछ दिन पहले आप उसे अपनी जीप में शहर घुमाने ले गए थे ! कही आपके मन में भी” (हसने लगता है)
ऋषभ का दिल किया शर्मा जी की इस बात पर वह उनका मुंह तोड़ दे पर तब तक लिफ्ट निचे आ चुकी थी ! ऋषभ गुस्से से बाहर निकल गया ! शर्मा जी और गुप्ता जी लिफ्ट से बाहर आये और ऋषभ को जाते हुए देखते रहे !
“देखा शर्मा जी कैसे लड़की के नाम से चेहरे की हवा उड़ गयी ?”,गुप्ता जी ने कहा
“हां शर्मा जी , पता नहीं उस लड़की ने क्या देख लिया इसमें जो हम लोगो तो वह घास तक नहीं डालती है !”,शर्मा जी ने कहा
“सब्र रख शर्मा ऐसे नाजायज रिश्ते ज्यादा दिन नहीं चलते है ! एक बार इन दोनों को रंगे हाथ पकड़ लू तब सोसायटी से धक्के मारकर निकलवाऊंगा इस बहल को मैं , बड़ा घमंड है ना इसे खुद पर जल्दी ही टूटेगा !”,गुप्ता जी ने दांत पिसते हुए कहा !
ऋषभ ने पार्किंग एरिया से अपनी जीप निकाली और बैग रखकर ड्राइवर सीट पर आ बैठा ! दिमाग में गुप्ता जी और शर्मा जी की कही बाते घूम रही थी ! ऋषभ ने गाड़ी स्टार्ट की पर गाड़ी नहीं चली ! बातो में उलझे हुए उसने एक बार और कोशिश की लेकिन गाड़ी नहीं चली !
“अंकल बिना चाबी घुमाये गाड़ी कैसे चलेगी ?’,पास ही खेलते हुए बच्चो में से एक ने कहा !
ऋषभ ने देखा चाबी ज्यो की त्यों थी वह फीका सा बच्चे को देखकर मुस्कुरा दिया और जीप लेकर वहा से चला गया ! खिड़की पर शीशे के उस पार खड़ी माही ऋषभ को जाते हुए देखते रही ! माही आकर बिस्तर पर लेट गयी उसकी आँखों में आये आंसू किनारो से होकर बिस्तर को भिगाने लगे लेटे लेटे वह मन ही मन खुद से कहने लगी
“आखिर तुम ऐसे क्यों हो री ? कैसे तुम अपनी फीलिंग्स को रोक लेते हो ? मैं जानती हु तुम वो नहीं हो जो तुम लोगो के सामने खुद को दिखाते हो देन व्हाई यू बेहवे सो हार्ड ? आई नो यू लव मी , तुम्हारे दिल में भी फीलिंग्स है लेकिन तुम नहीं कहोगे ! एक बार अपनी हदो से निकलकर देखो री दुनिया उतनी भी बुरी नहीं है जितना तुम सोचते हो ! इन हदो के बाहर बहुत कुछ है , खूबसूरती , ख़ुशी , ख्वाब और मैं जो तुम्हे बहुत प्यार करती है ! आई डोंट केयर लोग हमारे बारे में , हमारे रिश्ते के बारे में क्या सोचते है ? मुझे सिर्फ तुमसे फर्क पड़ता है , तुम्हारी सोच , तुम्हारी ख़ुशी , तुम्हारे फैसले मेरे लिए मायने रखते है ! तुम कहते हो तुम उम्र में मुझसे बड़े हो पर जब तुम मेरे साथ होते हो तब तुम एक बच्चे होते हो , एक ऐसा बच्चा जो अपनी जिंदगी को खुलकर जीना चाहता है , खुश होना चाहता है , सपने देखना चाहता है !! मेरी जिंदगी में बहुत लोग आये है री पर उनमे से कोई तुम जैसा नहीं था ! प्लीज़ अंडरस्टैंड योर फीलिंग इट्स लव री , इट्स लव !”
माही ये सब बुदबुदा ही रही थी की तभी डोरबेल बजी ! माही उठी उसने अपने आंसू पोछे और उठकर दरवाजे की और चल दी ! उसने दरवाजा खोला सामने रचना खड़ी थी उसके हाथ में एक बड़ी ट्रे थी जिसमे खाने का सामान रखा हुआ था ! रचना ने कहा,”अगर गुस्सा शांत हो गया हो तो मैं अंदर आउ ?”
“या कम !”,माही ने बिना किसी भाव के कहा और साइड हट गयी ! रचना के अंदर आने के बाद माही ने दरवाजा बंद किया और उसके पीछे पीछे अंदर चली आई ! अंदर आकर रचना ने ट्रे बेड पर रखा और वही बैठ गयी ! माही भी आकर बेड पर बैठ गयी तो रचना ने ट्रे से प्लेट हटाकर कहा,”मम्मा ने तुम्हारे लिए नाश्ता भेजा है , जल्दी से खा लो वरना ठंडा हो जायेगा !”
“आई ऍम सो सॉरी मुझे सुबह तुम पर चिल्लाना नहीं चाहीये था !”,माही ने नजरे झुकाकर कहा
“इट्स ओके ! अब खाओ”,रचना ने कहा
“तुम नाराज नहीं हो ?”,माही ने हैरानी से कहा
“नॉट एट आल माही , अब खाओ भी ,, वैसे गुस्से में भी काफी हॉट लगती हो तुम !”,रचना ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा !
“थेंक्स !”,माही भी मुस्कुरा उठी उसने एक निवाला तोड़कर मुंह में रखा और खाने लगी ! माही के नाश्ता करने के बाद रचना ने सारे बर्तन उठाकर साइड में रख दी और आकर वापस माही के पास बैठ गयी माही कुछ देर तो खामोश रही और फिर रचना के हाथो को अपने हाथो में लेकर कहा,”रचना मुझे तुम्हे कुछ बताना है , आई नो थोड़ा अजीब होगा बट आई वाना शेयर विथ यू !”
“बताओगी भी क्या हुआ ?”,रचना ने माही को घूरते हुए कहा !
“आई ऍम इन लव”,माही ने कहा
“क्या सच में ? और तू मुझे अब बता रही है , नालायक ! बता कौन है वो ? अपने कॉलेज से या फिर कही और , प्लीज़ बता ना !”,रचना ने एक्साइटेड होकर कहा ! माही ने एक गहरी साँस ली और धीरे से कहा,”इट्स ऋषभ”
“व्हाट ? आर यू मेड ? ऋषभ अंकल”,रचना जैसे ऊंचाई से आ गिरी !
“अंकल वो तुम्हारे है मेरे नहीं”,माही ने बेपरवाही से कहा
“लेकिन ये गलत है माही , वो उम्र में तुमसे कितने बड़े है !”,रचना को अब भी माही के शब्दों पर भरोसा नहीं हो रहा था !
“सो व्हाट ? प्यार क्या उम्र देखकर किया जाता है ! आई लाईक हिम एंड आई लव हिम , आई डोंट केयर उनकी उम्र क्या है ? उनका स्टेटस क्या है ? ये सब बकवास बाते है रचना !”,माही ने थोड़ा तेज आवाज में कहा !
“माही तुम समझ नहीं रही हो ! ये मुमकिन नहीं है , ऋषभ अंकल तुम्हारे लिए सही नहीं है ! तुम दोनों का रिश्ता सही नहीं है माही , ये प्यार नहीं सिर्फ तुम्हारा अट्रेक्शन है !”,रचना ने माही को समझाने की कोशिश की !
“क्यों सही नहीं है रचना सिर्फ इसलिए की वो मुझसे बड़े है , और ऐसे लोगो की परवाह मैं क्यों करू जिन्हे किसी की परवाह नहीं है ! सिर्फ इस सोसायटी के लिए मैं अपनी सारी फीलिंग्स को गटर में डाल दू या फिर मुंह बंद करके रहू इनके सामने ,, सॉरी आई कांट डू दिस रचना ! मैं फीलिंग्स नहीं दबा सकती और ये कोई अट्रेक्शन नहीं है आई रियली रियली लव ऋषभ , देट्स इट”,माही ने कहा
“तुमने किसी और को तो नहीं बताया इस बारे में ?”,रचना ने डरे हुए स्वर में कहा
“नो ! सिर्फ तुम्हे बताया है , लेकिन तुम भी री की तरह बात कर रही हो”,माही ने कहा
“क्योकि ऋषभ अंकल सही है , वो जानते है ये बात सोसायटी में आने के बाद क्या होगा ? माही मुझे तुमसे और ऋषभ अंकल दोनों से हमदर्दी है लेकिन तुम दोनों का प्यार सही नहीं है , सोसायटी , यहाँ के लोग इसे कभी एक्सेप्ट नहीं करेंगे !”,रचना ने बदहवास होकर कहा
“आई डोंट गिव अ शिट फॉर फकिंग सोसायटी , सोसायटी कौन होती है मेरे प्यार को जज करने वाली ! मुझे लगा तुम मेरी दोस्त हो मेरी फीलिंग्स को समझोगी बट नो , तुम खुद इस सोसायटी वाली सोच की शिकार हो रचना !”,माही चिल्ला उठी
रचना उसके पास आई उसके दोनों कंधो को पकड़ा और उसे झंझोड़ते हुए कहा,”होश में आओ माही , तुम जितना इसे आसान समझ रही हो उतना आसान नहीं है ये सब ! लोग हसेंगे तुम पर , ऋषभ अंकल पर ! ताने मारेंगे तुम्हे , जलील करेंगे , जीना हराम कर देंगे तुम दोनों का , क्योकि समाज है ये , वो समाज जो तुम्हारे और ऋषभ के रिश्ते को कभी स्वीकार नहीं करेगा !”
“मुझे फर्क नहीं पड़ता !”,माही ने कहा
“तुम पागल हो गयी हो क्या ?”,रचना ने गुस्से से तेज आवाज में कहा
“प्यार की पहली निशानी पागलपन ही तो है , और मेरा ये पागलपन री के लिए बढ़ता जाएगा”,माही ने खोये हुए स्वर में कहा !
रचना ने देखा माही की आँखों में एक अलग ही कशिश थी , एक आकर्षण जो अपनी और खींचता सा महसूस हो रहा था ! रचना को माही की बहुत फ़िक्र हो रही थी पर इस वक्त माही को समझाना बेकार था ! रचना बेजान सी आकर बिस्तर पर बैठ गयी उसने अपनी गर्दन झुका ली और माही के बारे में सोचने लगी वो जानती थी ऐसे रिश्तो को कोई नहीं मानेगा ! माही इस शहर में अकेली थी कही उसके साथ कोई अनहोनी ना घट जाये सोचकर रचना का कलेजा मुंह को आ रहा था ! वह उसे कैसे समझाए ? रचना को खामोश देखकर माही उसके पेरो के पास आकर जमीं पर घुटनो के बल बैठ गयी और कहा,”तुम तो मुझे समझो रचना ! मैंने कुछ गलत नहीं किया किसी से प्यार करना उसे पसंद करना गलत नहीं है !”
“लेकिन अपने से दुगुनी उम्र के शख्स से प्यार करना गलत है , माही !”,रचना ने थके हुए स्वर में कहा
“ओके टेल मी वन थिंग , क्या तुम्हे सलमान खान पसंद है ?”,माही ने अचानक से कहा
“व्हाट ? ये कैसा सवाल है ?’,रचना ने हैरानी से माही की और देखकर कहा !
“जस्ट टेल मी क्या तुम्हे पसंद है ?”,माही ने रचना की आँखों में देखते हुए कहा !
“या आई लाईक हिम !”,रचना ने कहा
“इतना पसंद करती हो की अगर वो तुमसे शादी करना चाहे तो तुम शादी भी कर लोगी , ऍम आई राईट ?”,माही ने कहा
“हां लेकिन तुम ये सब क्यों पूछ रही हो ?”,रचना ने उलझन भरे स्वर में कहा !
जब तुम 24 की होकर 50 के सलमान से शादी कर सकती हो तो फिर मैं री से प्यार क्यों नहीं कर सकती ? अगर ये सही है तो फिर मेरा प्यार गलत क्यों ? और अगर मेरा प्यार गलत है तो वो सब सही क्यों ?”,माही ने किसी एक्सपर्ट की तरह कहा जिससे कुछ देर के लिए रचना खामोश हो गयी ! रचना को चुप देखकर माही ने कहा,”सही और गलत कुछ नहीं होता रचना ये सब हमारे दिमाग का खेल है जो इसे सही गलत बनाता है” कहते कहते माही अपना सर रचना के घुटनो पर रख देती है और आगे कहती है,”ऋषभ से प्यार करके मैंने कोई गलती नहीं की है रचना , ही इज अ नाइस गाय किसी को भी उनसे प्यार हो जाएगा ! उनकी सादगी , उनकी सोच , उनका सेन्स ऑफ़ ह्यूमर मुझे भा गया ! उनके साथ जब वक्त बिताया तो समझ आया की वो कितने समझदार और इंटेलिजेंट है ! जिंदगी को सीरियस लेना मैंने उनसे ही सीखा है रचना ! मुझे उनसे प्यार है और वो भी मुझसे प्यार करते है मैं जानती हूँ उनकी आँखे कभी झूठ नहीं बोलती ! रचना माही का सर सहलाने लगी माही ने अपनी सभी फीलिंग्स रचना के सामने जाहिर कर दी जिन्हे सुनकर रचना को अहसास हुआ की ऋषभ के लिए माही की फीलिंग्स अट्रेक्शन नहीं बल्कि प्यार है ! ऐसा प्यार जो किसी भी हद तक जा सकता है !
कुछ देर बाद माही को कॉलेज चलने का बोलकर रचना उसके फ्लेट से बाहर निकल गयी ! दरवाजे से निकलकर रचना सोचते हुए बहुत धीरे चल रही थी ! माही के बातो से उसके दिमाग में एक हलचल सी मची हुई थी ! आने वाले तूफान का अंदाजा रचना लगा चुकी थी ! माही और ऋषभ का प्यार इतना आसान नहीं था जितना माही सोचकर बैठी थी चलते चलते रचना का पैर गमले से टकराया और गमला गिरकर टूट गया ! उसमे लगा पौधा नीचे जमीं पर पड़ा धूल चाट रहा था ! रचना ने कुछ देर उसे देखा और फिर उसे वैसे का वैसा छोड़कर वहा से चली गयी !

ये वही पौधा था जो माही ने सूखने के बाद गिरते हुए पानी के निचे रखा था जिसमे अब फूल खिल आये थे ! पर एक ज़रा सी चोट से वह टूटकर निचे गिरा हुआ था ! माही का प्यार भी इस पौधे की तरह ही था ,, अब ये पौधा वक्त के साथ खिलेगा या यु ही समाज के रिवाजो से रोंधा हुआ जमीन पर गिरा धूल चाटेगा ये तो आने वाला वक्त ही बता सकता है !

Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9 Badalte Ahasas – 9

क्रमश – Badalte Ahasas – 10

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संजना किरोड़ीवाल

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