Sanjana Kirodiwal

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बदलते अहसास – 2

Badalte Ahasas – 2

Badalte Ahasas
Badalte Ahasas

माँ की मौत के बाद ऋषभ ने हमेशा हमेशा के लिए भोपाल से रिश्ता तोड़ लिया l वह अपना सामान लेकर भोपाल से फिर ऊटी आने के लिए रवाना हो गया l इस बार उसने पहले ही रिजर्वेशन करवा लिया जिससे सफर में परेशानी न हो l भाईयो ने उसे गलत समझा उसका ऋषभ को बिल्कुल भी बुरा नही लगा क्योंकि वह जानता था जो राह उसने चुनी थी वो समाज और उसके अपनो की नजर में गलत थी l रात के खाने के लिए ऋषभ किसी स्टेशन पर उतरा उसने अपने लिए खाना पैक करवाया और वापस ट्रेन की ओर चल दिया l चलते हुए उसकी नजर दुकान पर गयी उसके कदम उस ओर बढ गए ऋषभ ने दुकान वाले से एक सिगरेट देने को कहा और फिर वही खड़ा होकर पीने लगा l एक दो कश लगाने के बाद ऋषभ की आंखो के आगे बीते वक्त की यादें आने लगी ओर एक बार फिर वह सर्द आवाज उसके कानो में गूंजने लगी !!
“री कितनी बार कहा है सिगरेट इज इंज्यूरियस फ़ॉर हेल्थ ,, ये जहर पीने से क्या मिलता है तुम्हे !!”
“काश मैं सिगरेट होती !”
“तुम इसे छोड़ क्यों नही देते ?”

ऋषभ वर्तमान में लौट आया और आधी पी हुई सिगरेट उसने बुझाकर डस्टबिन में डाल दी ! ऋषभ ट्रेन की ओर बढ गया l रात के 10 बीज रहे थे उसने डिब्बा खोला डिब्बे में चपातियां , दाल , चावल , पापड़ ओर आलू मटर की सब्जी थी l ऋषभ बेमन से खाने लगा हालांकि माँ की मौत और भाईयो से दूर होने का दुख अभी भी उसके मन पर हावी था l खाना खाकर ऋषभ ने बैग से कोई किताब निकाली और पढ़ने लगा l जानता था कि उसे इतनी जल्दी नींद नही आने वाली है l किताब पढ़ते हुए वह अपना ध्यान उसमे लगा नही पा रहा था l थककर उसने किताब को बंद किया और सर पीछे लगाकर आंखे मुंद ली l पर यहाँ मुश्किल ओर ज्यादा थी माही का चेहरा उसकी आंखो के सामने आने लगा l मुस्कुराते गुलाबी होंठ , हल्की नीली आंखे जिनमे हमेशा शरारत नाचती है l कभी बारिश में भीगती हुई , कभी ऊटी के चाय के बागानों के गलियारों में दौड़ती हुई , कभी सर्द रात में खिड़की के पास खड़ी प्यार से ऋषभ को देख रही थी तो कभी बच्चो के बीच बच्ची बनी l
ऋषभ आंखे खोलना नही चाहता था ये लम्हे उसकी जिन्दगी के सबसे खूबसूरत लम्हो में से थे l ट्रेन अपनी गति से चलती रही l एक लंबे सफर के बाद ऋषभ ऊटी पहुंचा l अपना बैग लेकर वह अपार्टमेंट में आया जैसे ही वह अपने फ्लैट के सामने आया उसने देखा अपार्टमेंट का मालिक वहां कुछ लोगो के साथ खड़ा है ऋषभ उनके पास आया तो उसने कहा,”मिस्टर ऋषभ बहल आपको दो दिन के अंदर ये फ्लेट खाली करना होगा !”
“लेकिन क्यो ?”,ऋषभ ने हैरानी से कहा l
“क्यों क्या ये शरीफो की सोसायटी है ओर हम सब बहु बेटियों वाले लोग है ! तुम्हारे जैसे लोग यहां रहेंगे तो कैसे चलेगा !”,गुप्ता जी ने कहा जो कि तीसरे माले पर रहते थे l
“गुप्ता जी सही कह रहे है , मेरे घर मे भी जवान बेटी है ! सोसायटी में इनके जैसे लोग रहेंगे तो हमारे बच्चों पर असर पड़ेगा ! “,इस बार शर्मा जी ने कहा जो फ्लेट नम्बर 401 में रहते थे l
सभी वहां खड़े ऋषभ पर कोई ना कोई इल्जाम लगाते रहे और ऋषभ खामोशी से सब सुनता रहा l तभी मिश्रा जी ने कहा,” कैसा जमाना आ गया है अपने से आधी उम्र की लड़की ही मिली इन्हें भी इश्क़ फरमाने के लिए”
“अरे ऐसे लोगो के साथ रहने में भी शर्म आती है , हमारे बच्चे भी इसी सोसायटी में रहते है कल को कुछ ऊंच नीच हो गयी तोकौन जिम्मेदार होगा”,मिसेज कांत ने मुंह बनाते हुए कहा
“ये तो बेशर्म है ही इनसे भी बेशर्म थी वो लड़की , मुझे पहले दिन ही उसके रंग दिख गये थे”,मिसेज अग्रवाल ने आग में घी डालने का काम किया l

“दो दिन में ये फ्लेट खाली कर दूंगा !”,कहकर ऋषभ ने अपने फ्लेट का दरवाजा खोला ओर बाहर खड़े लोगो के मुंह पर बन्द कर दिया l
“अकड़ तो देखो साहबजादे की , हुंह जितनी जल्दी यहां से जाए अच्छा है l”,शर्मा जी ने कहा
ओर फिर एक एक करके सभी वहां से चले गए l
अंदर आकर ऋषभ ने बैग सोफे पर रखा और अपने कमरे में चला आया l कोट निकालकर उसने कबर्ड में रखा और शर्ट के ऊपरी दो बटन खोल दिये l बाहर लोगो ने जो कुछ भी कहा वो सब बाते ऋषभ ने नजर अंदाज कर दी लेकिन मिसेज अग्रवाल की कही बात “इनसे भी ज्यादा बेशर्म है वो लड़की” ऋषभ को खल रही थी l बेशर्म अपनी माही के लिए किसी से ये शब्द सुनना उन्हें नागवार गुजर रहा था लेकिन वो कर भी क्या सकते थे l वो जानते थे इन लोगो से इस बारे में बहस करना गलत होगा l वह कुछ देर खामोशी से वही बिस्तर पर बैठा रहा और फिर घड़ी की ओर देखा जिसमे सुबह के 11 बज रहे थे l ऋषभ ने शॉवर लिया कपड़े पहने ओर किचन में आकर अपने लिए चाय बनाने लगा l चाय बनाकर उसने फ्रीज में देखा ब्रेड का पैकेट पड़ा था ऋषभ ने उसमे से ब्रेड के कुछ टुकड़े निकाले ओर खाने लगा l
चाय खत्म करके वह फ्लैट से बाहर निकल आया और अपनी जीप लेकर निकल गया l ऋषभ सीधा आफिस आया लेकिन सुजैन वहां नही थी ऋषभ अपनी टेबल के पास आया और अपना जरूरी सामान समेटने लगा l उसे वहां देखकर स्टाफ के बाकी लोगो के बीच मे खुसर फुसर होने लगी l ऋषभ बिना किसी पर ध्यान दिये अपना समान उठाने में लगा था तभी ऋषभ के साथ वाली टेबल पर काम कर रहे लड़के ने कहा,”सर मैगजीन में आपके बारे में जो छपा है क्या वो सही है ! मेरा मतलब बड़े छुपे रुस्तम निकले आप “
लड़के की बात सुनकर भी ऋषभ ने अनसुनी कर दी l लड़के ने दोबारा फुसफुसाकर कहा,”सर वैसी ही कोई और हो आपकी नजर में तो हमे भी मिलवाईये”
इस बार ऋषभ ने घूरकर लड़की की तरफ देखा तो लड़का वहा से उठकर चला गया l
तभी ऋषभ के कानों में आवाज ओर पड़ी
“अब इस उम्र में सर उसे वो सब तो दे पाए नही जो उसे चाहिए था l चली गयी छोड़कर”
“कौन बोला ? आई सेड कौन बोला ?”,ऋषभ में गुस्से से पलटकर कहा
“पूरा शहर बोल रहा है सर , वैसे हम में क्या कमी रह गयी थी जो सारा प्यार उन्ही को दिखा दिया आपने”,स्टाफ की ही एक लड़की ने ऋषभ को देखकर अपनी बांयी आंख दबाते हुए कहा l ऋषभ गुस्से से भरे घूँट पीकर रह गया l अब तक जो स्टाफ उसकी इज्जत करता था आज उसी पर हंस रहा था l ऋषभ ने जेब से एक लिफाफा निकाला और रीमा की ओर बढ़ाकर कहा ,”ये सुजैन को दे देना !’
“क्या ये लव लेटर है सर ?”,रीमा ने बेशर्मी से कहा तो सब हँसने लगे l ऋषभ ने एक नजर सबको देखा और फिर कहा,”जी नही ये मेरा रिजाइन लेटर है ! आप जैसे शरीफों के बीच काम करना मेरे उसूलों के खिलाफ है”
ऋषभ वहां से चला गया और जाते जाते सबके मुंह पर शराफत का तमांचा मार गया l ऑफिस से बाहर आकर ऋषभ ने अपनी जीप स्टार्ट की ओर निकल गया l दिन भर ऊटी की वादियों में घूमता रहा लेकिन जाना कहा है ये तय नही कर पाया l सुजैन आज भी शहर से बाहर थी l ऋषभ अकेला पड चुका था l शाम को उसे याद आया कि उसे अपने लिए एक नया घर भी देखना है l वह अपने एक दोस्त के घर आया उसने बेल बजायी दरवाजा उसकी बेटी ने खोला
“देवेश घर पर है ?”,ऋषभ ने कहा
“जी अंकल , अंदर आईये पापा घर पर ही है l”,लड़की ने कहा
ऋषभ अंदर आ गया l लड़की ने उन्हें बैठने को कहा और खुद अपने पापा को बुलाने अंदर चली गयी l कुछ देर बाद ऋषभ को अपने दोस्त की आवाजें सुनाई दी जिनमे वह अपनी बेटी को डांटते हुए कह रहा था,”तुमने उसे अंदर आने को क्यो कहा ? तुम्हे पता है ना लोग उसके बारे में क्या क्या कहते है ? वो अच्छा इंसान नही है l जब तक वो है तुम बाहर नही आओगी समझी तुम”
ऋषभ ने सुना तो मुस्कुरा उठा और चुपचाप उठकर वहां से चला गया l जिसे वह अपना दोस्त संमझ रहा था वह उसके प्रति ऐसे विचार रखता है जानकर ऋषभ को बहुत दुख हुआ l वह वापस अपने फ्लैट पर चला आया l अगले दिन बहुत घूमने के बार उसे सिनकोना के बागनो के पास एक घर मिल गया l ऋषभ के पास जो भी रुपया था उसने सारा उस घर को खरीदने में लगा दिया l घर बहुत ही खूबसूरत जगह पर था और सबसे अच्छी बात ये थी कि उस घर के आस पास दूर दूर तक कोई घर नही था l उसके अगली सुबह ही ऋषभ ने अपना फ्लेट खाली कर दिया l समान उठाने वाले लड़को ने सारा सामान ट्रक में रख दिया l ऋषभ खाली फ्लेट के अपने कमरे में खड़ा था जिसके कोने में एक चीज अभी भी रखी हुई थी l लड़के ने जैसे ही उसे उठाना चाहा ऋषभ ने मना कर दिया और लड़के से जाने को कहा l लड़के के जाने के बाद ऋषभ उसके पास आया वो केनवास पर बनी एक पेंटिंग थी जिस पर अब धूल जम चुकी थी l ऋषभ ने उसे उठाया और अपनी उंगलियां उसपर फिराई l धूल हटने से पेंटिंग का कुछ हिस्सा नजर आया जिसमे एक लड़की सिर्फ सफेद रंग की शर्ट जिसके दो बटन खुले हुए थे पहने हुए खिड़की से बाहर देख रही थी l उसके लंबे काले बाल पीठ पर लहरा रहे थे l उसकी कजरारी आंखो में एक चमक थी l ऋषभ उसे एकटक देखता रहा वो माही की तस्वीर थी जिसे खुद ऋषभ ने बनाया था l
“सर चले !”,लड़के की आवाज से ऋषभ की तन्द्रा टूटी वह उस केनवास को साथ लेकर नीचे आ गया l ट्रक रवाना हो गया और उसके पीछे पीछे ऋषभ भी अपनी जीप मे सवार होकर चल पड़ा l नए घर मे समान उतारा गया l मकान के पुराने मालिक ने आकर ऋषभ से कहा,”घर के पेपर्स किस नाम से बनाऊ सर ?”
“महिमा माहेश्वरी उर्फ माही”,ऋषभ में खोए हुए स्वर में वादियों को देखते हुए कहा l
आदमी ने एक नजर हैरानी से ऋषभ को देखा ओर फिर चला गया l अगले दो दिनों में ऋषभ को घर के कागजात मिल गए और वह वही रहने लगा सबसे दूर अकेला l सब पीछे छोड़ आया था बस नही छोड़ पाया तो माही की यादो को l उसका अहसास उसे नींद में भी जगा देता था l एक हफ्ता गुजर चुका था और ऋषभ यादों से बाहर आना नही चाहता था l एक शाम वह चाय के बागानों से घूमता हुआ चला जा रहा था उसने देखा सामने बीचों बीच माही मुस्कुराते हुए खड़ी उसी को देख रही है l यादों से ग्रस्त ऋषभ दौड़ पड़ा उस ओर पर जैसे ही वह उस जगह पहुंचा वहां कोई नही था ऋषभ बौखलाया सा इधर उधर देखने लगा सिवाय कोहरे के कुछ नही था l ऋषभ घुटनो के बल बैठ गया l दर्द एक आह बनकर निकल गया l वो एक एक लम्हा उसकी आंखो के आगे तैर गया जो उसने माही के साथ बिताया था l वह उठा और घर आ गया उसने अपनी जीप निकाली और निकल गया

शाम का वक्त , हलकी बारिश के बाद मौसम और भी खुशनुमा हो चला था ! जीप ऊटी की सड़को पर चाय के घुमावदार बागानों से होते हुए तेज गति से दौड़े जा रही थी ! जीप में सवार शख्स गहरी उदासी से घिरा हुआ था l ऋषभ ने जीप की स्पीड बढ़ा दी ! उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था , आँखे बिलकुल निश्तेज ! कानो में बार बार कई सारी आवाजे गूंज रही थी ! ऋषभ की नजरे सामने खाली पड़े रास्ते को देख रही थी ! धड़कने सामान्य से बहुत धीमी थी आज , एक हल्का पर अंदर तक दर्द देने वाला अहसास उसे इस वक्त हो रहा था ! उसकी बांयी आँख से निकलकर आंसू का एक कतरा गालो पर लुढ़क आया ! अपनी कांपती और उम्रदराज हो चुकी उंगलियों से उस दर्द को पोंछ लिया ! ऋषभ ऊटी से 10 किलोमीटर दूर आया और जीप रोक दी ! जीप में बैठा वह कुछ देर थकी आँखों से सामने देखता रहा और फिर जीप बंद की और निचे उतर आया !
कुछ कदम चलकर वह सामने लगी रेलिंग के पास आया ! ऋषभ इस वक्त जिस जगह पर खड़ा था वह जगह एक चोटी थी जो ऊटी से 10 किलोमीटर की दूरी पर थी ! डोड्डाबेटा , नीलगिरि के पर्वतो में सबसे ऊँची चोटी मानी जाती है , इसकी ढलान पर सिनकोना के बागान दिखाई पड़ते है ! ये जगह देखने में इतनी खूबसूरत है की देखने वाला इन्ही वादियों में खोकर रह जाता है ! सर्दियों के मौसम में ये जगह कोहरे के कारण और भी खूबसूरत दिखाई पड़ती है ! ऋषभ रेलिंग के पास खड़ा उदास आँखों से निचे गहरी खाई को देख रहा था ! इस खूबसूरत जगह का एक सच ये भी है की जिंदगी से निराश लोग अक्सर यहाँ आते है और हमेशा हमेशा के लिए जिंदगी को अलविदा कह जाते है !! इसे ऊटी का सुसाइड पॉइंट भी कहा जाता है ! यु तो ये जगह ऋषभ की पसंदीदा जगहों में से थी जहा वह अक्सर अपने खाली वक्त में आया करता था ! पर आज वह यहाँ किसी खतरनाक इरादे से आया था ! उदास आँखों से वादियों को देखते हुए ऋषभ के कानो में एक बार फिर वो सब आवाजे गूंजने लगी
“तुम इंसान कहलाने लायक नहीं हो , यहाँ रहोगे तो हमारे बच्चो पर इसका गलत असर पडेगा ! बेहतर होगा तुम यहां से चले जाओ !”
“दिमाग ख़राब हो गया है तेरा , वो तेरी बेटी की उम्र की है !”
“समाज ऐसे रिश्तो को मंजूरी नहीं देता है ऋषभ , यू नीड टू जस्ट गिव अप”
“उसकी जिद को तुम प्यार समझकर भूल कर रहे हो !”
“बुढ़ापे में अय्याशी का खुमार चढ़ा है इनको , अरे कम से कम अपनी उम्र का तो लिहाज किया होता !”
एक एक शब्द उसके दिमाग पर हथोड़े की तरह वार कर रहा था जो की सच भी था ! ऋषभ ने आँखे मूंद ली एक खूबसूरत चेहरा उसकी आँखों के सामने आ गया ! गोरा रंग , पतला अंडाकार चेहरा जिस पर हलकी नीली गहरी आँखे , गुलाबी होंठ और उन होंठो के बिल्कुल निचे एक गहरा काला तिल ! ऋषभ आँखे मूंदे उस चेहरे को महसूस करता रहा ! चेहरा मुस्कुरा रहा था जिसे देखकर एक मुस्कराहट ऋषभ के होंठो पर भी फ़ैल गयी लेकिन अगले ही पल ऋषभ के कानो में आवाजे गूंजने लगी जिनसे उसकी मुस्कराहट दर्द में बदल गयी
“हाउ आई कण्ट्रोल माय फीलिंग्स फॉर यू !”
“आपने वो गाना सूना है , ना उम्र की सीमा हो ना कोई बंधन , व्हेन समवन इन लव , लुक ऐट ओनली मन “
“आई ऍम इन लव विथ यू !”
“आई डोंट केयर लोग मेरे बारे में क्या सोचते है ? मुझे जो पसंद है वो मैं किसी के लिए नहीं बदलती !”
“आई जस्ट हेट यू ! तुम सब मर्द एक जैसे होते हो !!”

ये आवाजे किसी और की नहीं बल्कि उसी मुस्कुराते चेहरे की थी ! ऋषभ ने आँखे खोल ली और निचे खाई में देखा ! एक कठोर फैसला लेकर ऋषभ ने जैसे ही अपना पांव आगे बढ़ाया किसी ने पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखा ! ऋषभ हैरानी से पलटा पीछे सुजैन खड़ी थी !
“तुम यहाँ ?”,ऋषभ ने भरे हुए गले से कहा !
“तुमसे मिलने तुम्हारे घर गयी थी पर तुम वहा नहीं थे ! एक हफ्ते से ऑफिस भी नहीं आये , फोन किया तो जवाब नहीं दिया ! आखिर में इस जगह का ख्याल आया ,, और देखो तुम मिल गए !”,सुजैन ने ऋषभ की आँखों में आई नमी को महसूस करते हुए कहा
सुजैन की बात पर ऋषभ खामोश हो गया और सामने फैले कोहरे को देखने लगा !
“घर चले !”,सुजैन ने एक सर्द आवाज के साथ ऋषभ से कहा !

कुछ देर बाद जीप एक बार फिर ऊटी की सड़को पर दौड़ रही थी ! एक गहरी ख़ामोशी दोनों के बिच थी जिसे सुजैन ने तोड़ने की कोशिश नहीं की ! हल्का अँधेरा हो चुका था ! ऋषभ के घर आकर सुजैन उसे लेकर अंदर आयी दोनों बरामदे में पड़ी कुर्सियों पर आकर बैठ गए ! सुजैन बिल्कुल ऋषभ के सामने बैठी थी ! खामोशियाँ अब भी वैसे ही कायम थी जिसे कुछ देर बाद सुजैन ने ही तोडा,”तुमने इतना बड़ा फैसला कैसे कर लिया ? ऋषभ !”
ऋषभ ने उदास नजरो से एक बार सुजैन की और देखा और कहने लगा,”मरने का फैसला मैंने जज्बातो में आकर नहीं लिया है , ना ही जिंदगी से हारकर ! ये फैसला मैंने बहुत सोच समझकर लिया है ! वो दर्द जिस से मैंने हमेशा भागने की कोशिश की है वो दर्द अब मेरे हिस्से में आ चुका है या यु कहो मेरी आदत बन चुका है ! उस दर्द के साथ मैं जिंदगी काट तो सकता हु पर जी नहीं सकता ! क्या है मेरे पास जिंदगी जीने के लिए ? माँ छोड़कर चली गयी , भाईयो ने पराया कर दिया , दोस्त नजरे चुराने लगे है , और ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,और माही नहीं है !”
“माही” ये शब्द बोलते हुए ऋषभ का गला भर आया ! उसकी आँखों में आयी नमी को सुजैन साफ साफ देख सकती थी ! ऋषभ ने आँखों में आये आंसुओ को बहने से रोक लिया और एक गहरी साँस लेकर आगे कहने लगा,” माही को लेकर मेरे दिल में भावनाये पनपने लगेगी मैंने कभी सोचा नहीं था ! उसके आने से पहले जिंदगी में सब सही था , वो एक तेज हवा की तरह मेरी जिंदगी में आयी और अपने साथ सब कुछ बहाकर ले गयी !! जो उसका था वो तो गया ही जो मेरे पास बचा था वो भी ,, पीछे रह गयी तो बस दर्द देती उसकी ये यादें जिनसे मैं चाहकर भी दूर नहीं जा सकता ! कैसे दूर करूंगा उसकी यादो को खुद से जब मैं ही उसके अहसास से दूर नहीं जा सका !! इतना कहकर ऋषभ खामोश हो गया ! आँखों में आंसुओ के जिस सैलाब को उसने रोक रखा था उसमे से एक कतरा उसके हाथ पर आ गिरा ! ऋषभ ने अपना सर पीछे कुर्सी से लगा लिया और आँखों के किनारो से निकलकर आंसु कनपटी पर आ लगे ! सामने बैठी सुजैन ऋषभ का दर्द महसूस कर सकती थी उसकी आँखों में भी नमी उतर आयी उसने ऋषभ की और देखकर कहा ,”मोहब्बत का एक नया रूप देख रही हु ऋषभ !!
ऋषभ ने अपना सर उठाया और भीगी आँखों से सुजैन की और देखकर कहा,”मैं इन भावनाओ को कोई नाम नहीं देना चाहता सुजैन , बस कुछ वक्त और ये सब महसूस करते हुए जीना चाहता हु ! !
सुजैन नम आँखों के साथ ऋषभ को देखते हुए मुस्कुरा दी ! सुजैन जानती थी ऋषभ कभी अपनी निजी जिंदगी उस से शेयर नही करता है लेकिन फिर भी उसने ऋषभ की ओर देखकर कहा,”कौन थी ये माही ?
ऋषभ ने आंखो के किनारे आये आंसुओ को पोछा ओर कहने लगा,”माही एक साल पहले अपार्टमेंट में रहने आयी थी , जब मैंने उसे पहली बार देखा तो उसका हुलिया मुझे खटका l मैं उस वक्त अपने फ्लैट की बालकनी पर था वह टेक्सी वाले से किसी बात पर झगड़ रही थी l अपने बैग के साथ वह अंदर आई l मैं अंदर जाने के लिए मुड़ा तभी शोर की आवाज सुनाई दी मैं वापस पलटा l माही अपार्टमेंट के बच्चों के साथ फुटबॉल खेल रही थी l मैं एक बार फिर वही खड़ा उन सबको देखने लगा कि अगले ही पल उसने बॉल को किक मारी ओर बॉल सीधा मेरे मुंह के सामने ,, मेरी नाक टूट जाती अगर मैने उस बॉल को पकड़ा न होता l
“हे मैन पास द बॉल , हे हेलो सुनाई नही देता l “,उसने नीचे से चिल्लाकर कहा l
मैंने बॉल फेंक दी माही ने बॉल बच्चो को दे दी और वहां से चली गयी l मैं खिड़की बन्द कर अपने कमरे में चला आया l कुछ ही देर बाद डोरबेल बजी मैंने दरवाजा खोला तो सामने वही खड़ी थी मैं कुछ कहता इस से पहले ही वह बोल पड़ी,”हे आई एम सोररी टू डिस्टर्ब यु ! क्या मुझे पानी मिल सकता है ?”
मैं पानी लेने अंदर आ गया फ्रिज से बोतल निकाली और उसे दे दी l उसने बोतल खोलकर सीधा मुंह लगाया उसकी ये हरकत उस वक्त मुझे नागवार गुजरी l उसका ये बर्ताव मुझे खटका मैंने बिना बोतल वापस लिए दरवाजा उसके मुंह पर बंद कर दिया l”

ऋषभ रुका ओर फिर कहा,”पहली नजर में वो मुझे बिल्कुल अच्छी नही लगी l कई बातों में उसे बेपरवाह पाया मैंने , उसके प्रति मेरे खयालात इतने बदल जाएंगे मैंने सोचा नही था l मेरी जिंदगी में आने वाली वो पहली लड़की थी जिसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया …!!

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संजना किरोड़ीवाल

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