सोलमेट्स aren’t just lovers – 9

Soulmates aren’t just lovers – 9

Soulmates
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रवि और चाँदनी ने बिना शादी के लिव इन में रहने का फैसला किया। हफ्ते भर उनका प्यार परवान चढ़ा लेकिन धीरे धीरे दोनों के असली रंग सामने आने लगे। रवि को नयी जॉब के इंटरव्यू के लिए जाना था लेकिन जब चाँदनी ने जब उसकी शर्ट प्रेस करने से मना कर दिया तो रवि को इतने दिनों में पहली बार साँझ की याद आया। वह घर से निकल गया। दिनभर वह जगह जगह जॉब के लिए इंटरव्यू देता रहा लेकिन उसे कोई जॉब नहीं मिली। ऐसा लग रहा था जैसे उसकी अच्छी किस्मत साँझ के साथ ही चली गयी हो। देर रात रवि घर आया उसे देखते ही चाँदनी ने चहकते हुए कहा,”आ गए तुम ? आओ बैठो मैंने खाना लगा दिया है”
रवि ने अपना बैग रखा और बाथरूम चला गया। कुछ देर बाद वह हाथ मुंह धोकर वापस आया और कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा,”हम्म्म्म काफी अच्छी खुशबु आ रही है , लगता है तुमने बहुत टेस्टी खाना बनाया है”
“नहीं मैंने नहीं बनाया ऑनलाइन मंगवाया है”,चाँदनी ने रवि की प्लेट में खाना परोसते हुए कहा
रवि ने जैसे ही सूना वह चाँदनी की तरफ देखने लगा। रवि को अपनी ओर देखता पाकर चाँदनी ने कहा,”क्या हुआ खाओ ना
“चाँदनी तुमने खाना बाहर से आर्डर क्यों किया ? तुम्हे पता है ना हम दोनों के पास ही जॉब नहीं है और जो कुछ पैसे बचे है वो इस महीने के खर्चे के लिए है। किचन में खाने का सामान रखा था तुम खाना घर पर भी बना सकती हो”,रवि ने कहा
“ओह्ह्ह रवि क्या हो गया जो मैंने बाहर से आर्डर कर दिया ? पहले भी तो बाहर खाते थे ना”,चाँदनी ने अपनी प्लेट में खाना परोसते हुए कहा
“तब मेरे पास जॉब थी,,,,,,,,,,,,,,,,खैर छोडो खाना खाओ और कल से फिजूलखर्ची थोड़ी कम ठीक है”,रवि ने एक निवाला खाते हुए कहा
“तुम कितने अच्छे हो रवि , मैं कल से घर पर खाना बनाउंगी”,चाँदनी ने कहा और फिर बातें करते हुए दोनों खाना खाने लगे। खाना खाने के बाद दोनों बैडरूम में चले आये और एक दूसरे के आगोश में खो गए।
अगली सुबह रवि को फिर किसी इंटरव्यू के लिए निकलना था वह तैयार होकर आया देखा आज चाँदनी किचन में थी ये देखकर रवि खुश हो गया। चाँदनी ने नाश्ते की प्लेट लाकर रवि के सामने रखी जिसमे चार ब्रेड , जेम और सॉस था। रवि को ऐसा सादा नाश्ता खाने की आदत नहीं थी लेकिन चाँदनी ने मेहनत से बनाया है सोचकर उसने बिना कुछ कहे उसे खा लिया। खाते हुए उसे फिर साँझ की याद आ गयी

“ये तुम क्या कर रही हो ? इतनी सारी डिश कौन खायेगा ?”,रवि ने कहा
“माँ जी ने बताया की आप खाने के बहुत शौकीन है , और फिर आप दिनभर ऑफिस में काम भी करते है तो अच्छी हेल्थ के लिए अच्छा खाना भी जरुरी है”,साँझ ने कहा

“कैसा बना है ?”,अचानक से चाँदनी की आवाज रवि के कानो में पड़ी , उसने देखा वहा साँझ नहीं थी बल्कि चाँदनी थी।
“अच्छा है , अच्छा चाँदनी सुनो मैं इंटरव्यू के लिए जा रहा हूँ ,, जब तक मुझे जॉब नहीं मिलती क्यों न तुम भी जॉब के लिए अप्लाय कर दो इस से हमे आसानी हो जाएगी”,रवि ने खाते हुए कहा
“जॉब ? तुम्हे क्या लगता है घर का काम किसी जॉब से कम है , मैं दिनभर घर का काम करती हूँ और तुम क्या करते हो बस दिनभर इंटरव्यू,,,,,,,,,,,,!!”,चाँदनी ने कुढ़ते हुए कहा
“मैं सिर्फ तुम्हे बता रहा हूँ चाँदनी , तुम जॉब नहीं करना चाहती तो कोई बात नहीं मैं अरेंज कर लूंगा”,रवि ने कहा
“ओह्ह्ह तो तुम अब ये कहना चाहते हो की सिर्फ तुम्हे कमाना होगा , हाह यही थी तुम्हारी बड़ी बड़ी बातें की बेबी तुम्हे कुछ नहीं करना होगा बस ऐश करना ,,,ये है ऐश की जिंदगी इस किचन में,,,,,,,,,,,,,,,मुझे पहले ही पता था की तुम्हारे पास कुछ नहीं है बस तुम्हे मेरे साथ सोने से मतलब है,,,,,,,,,,,,,अब जब रिस्पोन्सिबल बनने की बात आयी तो तुम बहाने बनाने लगे”,चाँदनी ने जहर उगलते हुए कहा
“बकवास बंद करो चाँदनी , दिनभर घर में तुम करती ही क्या हो ? अगर पैसे उड़ाने का इतना ही शौक है तो याद रखो उन्हें कमाना भी होगा ,, तुम जॉब नहीं करना चाहती मत करो लेकिन कम से कम मेरी बात की रिस्पेक्ट तो करो,,,,,,,,,,,,,और अकेले मै नहीं सोया हूँ , तुमने भी खूब मजे किये है मेरे पैसो पर”,रवि ने भी गुस्से में जहर उगल दिया
“ओह्ह्ह तो दिखा दिया ना तुमने अपना असली रंग,,,,,,,,,,,,,,,,,,पहले कैसे तुम्हे मेरी हर बात अच्छी लगती थी और आज वही सब बातें बुरी लग रही है,,,,,,,,,,,,,,,,साफ साफ क्यों नहीं कहते मन भर गया है तुम्हारा मुझसे,,,,,,,,,,,अब तुम्हे कोई नयी चिड़िया चाहिए”,चांदनी गुस्से में कुछ भी बोले जा रही थी
“चाँदनी,,,,,,,,,,,,!!”,रवि ने थोड़ा चिल्लाकर कहा
“आज तक दीपक ने मुझसे इस तरह चिल्लाकर बात नहीं की”,चाँदनी ने आँखों में आँसू भरकर कहा
“हाँ तो मैं दीपक नहीं हूँ,,,,,,,,,,,,,,और एक बात कान खोलकर सुन लो तुम दोबारा उस आदमी का नाम इस घर में मत लेना तुम समझी”,कहकर रवि वहा से चला गया। सुबह सुबह चाँदनी की वजह से उसका मूड खराब हो चुका था। रवि घर से निकल गया और मेन सड़क पर चला आया। बस स्टॉप आकर वह बस का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद बस आयी और रवि बस में चढ़ गया। अंदर आकर वह अपने लिए सीट देखने लगा लेकिन उसे सीट नहीं मिली बल्कि खिड़की वाली सीट पर बैठी साँझ दिख गयी। साँझ को देखते ही रवि का मन अजीब बेचैनी से घिर गया। वह साँझ से सारे रिश्ते तोड़ चुका था ऐसे में साँझ से बात करना उसके लिए थोड़ा मुश्किल था। रवि खामोश खड़ा रहा उसकी नजर साँझ की गोद में पड़ी cv फाइल पर चली गयी शायद साँझ भी किसी इंटरव्यू के लिए जा रही थी। कुछ देर बाद साँझ का स्टॉप आ गया और वह उतर गयी रवि को याद आया की उसे भी यही उतरना था वह जल्दी से पीछे के दरवाजे से उतरा लेकिन तब तक साँझ जा चुकी थी। रवि इंटरव्यू देने चला आया लेकिन उसकी बदकिस्मती जैसे उसके साथ थी उसे यहाँ भी जॉब नहीं मिला हैरानी तब हुई जब उसी कम्पनी के मैनेजर से साँझ को हाथ मिलाते देखा।
साँझ भी इस कम्पनी में जॉब के लिए इंटरव्यू देने आयी थी और उसे ये जॉब मिल चुकी थी। साँझ जैसे ही जाने लगी रवि ने उसके पास आकर कहा,”तुम यहाँ ?”
रवि को देखकर साँझ थोड़ी हैरान थी और परेशान भी लेकिन उसने अपनी परेशानी को अपने चेहरे पर नहीं आने दिया और पुरे आत्मविश्वास के साथ कहा,”क्यों मैं यहाँ क्यों नहीं आ सकती ?”
“नहीं मेरा मतलब,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे ये जॉब मिली ?”,रवि ने फिर पूछा
“हाँ मिल गयी है , अगले हफ्ते से ज्वाइन करने को कहा है”,साँझ ने सहजता से कहा
“तुमने कभी बताया नहीं तुमने कम्प्यूटर में डिग्री की है,,,,,,,,!!”रवि ने फिर सवाल किया क्योकि कम नॉलेज के कारण उसे ये जॉब नहीं मिली थी।
“तुम्हारे पास ये सब जानने की फुर्सत ही कहा थी ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे देर हो रही है , चलती हूँ”,कहकर साँझ वहा से चली गयी। जाते जाते उसने रवि को पलटकर भी नहीं देखा। रवि को आज खुद पर शर्म महसूस हो रही थी जिस साँझ को वह गंवार समझता था वो साँझ उस से इतना आगे निकल जाएगी उसने सोचा नहीं था। कुछ देर बाद रवि भी वहा से चला गया

धीरे धीरे वक्त गुजरने लगा। एक शाम साँझ किसी काम से मार्किट में आयी हुई थी। एक दुकान पर कुछ सामान देखते हुए उसे दीपक दिखाई दिया। साँझ ने सामान रखा और दुकान से बाहर चली आयी। वह दीपक के पास आयी और कहा,”नमस्ते !!”
“अरे आप यहाँ ? कैसी है ?”,साँझ को वहा देखकर दीपक ने कहा
“सॉरी और थैंक्यू”,साँझ ने दीपक की तरफ देखकर कहा
“सॉरी और थैंक्यू वो भी एक साथ,,,,,,,,,,,,,मैं कुछ समझा नहीं”,दीपक ने कहा
“उस दिन मेरे घर आकर आपने मेरी जान बचाई और बदले में मेरी बहन ने आपको ना जाने क्या कुछ बोल दिया,,,,,,,इसलिए सॉरी”,साँझ ने कहा
“अरे कोई बात नहीं,,,,,,,,,बाकि ये थैंक्यू किसलिए ?”,दीपक ने कहा
“कम्पनी में जॉब के लिए आपने जो सिफ़ारिश की उसके लिए,,,,,,,,,,,,,थैंक्यू !”,साँझ ने दीपक की आँखों में देखते हुए कहा
“वो बस इसलिए ताकि आप एक नयी जिंदगी की शुरुआत करे”,दीपक ने कहा
“रवि ने जो किया उसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूँ,,,,,,,,!!”,कहते हुए साँझ थोड़ा उदास हो गयी
“उन दोनों ने जो किया उसके लिए उन्हें शर्मिन्दा होना चाहिए ना की हमे , एक झूठ और फरेब से भरे रिश्ते में रहने से बेहतर है उसे छोड़ देना”,दीपक ने सहजता से कहा तो साँझ उसके चेहरे की तरफ देखने लगी उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे लेकिन आँखों में बहुत कुछ था जिसे साँझ देख पा रही थी।
दीपक से बात करने के लिए उसके पास ज्यादा कुछ नहीं था इसलिए उसने कहा,”मुझे अब चलना चाहिए”
“हम्म्म , अपना ख्याल रखिये और नौकरी के लिए शुभकामनये”,दीपक ने कहा
साँझ वहा से जाने को हुई और अचानक बारिश होकने लगी। साँझ और दीपक बारिश से बचने के लिए जगह ढूंढने लगे और बुरी तरह भीग गये। बारिश की वजह से चारो और पानी ही पानी जमा हो गया ऐसे में ऑटो मिलना भी मुश्किल हो गया। दीपक और साँझ जैसे तैसे मार्किट से बाहर निकले और सड़क किनारे पहुंचे लेकिन वहा का हाल देखने लायक था। बारिश लगातार जारी थी और ऐसे में चारो और पानी ही पानी भरा हुआ था।
साँझ बारिश से बचने के लिए अपने बैग को सर पर किये हुयी थी। बारिश की बुँदे उसके साँवले चेहरे से होकर गुजर रही थी। बाल भीगकर चिपक चुके थे। दीपक कुछ देर साँझ को ऐसे ही देखता रहा और फिर उसके पास आकर कहा,”मेरा घर यही पास में है , अगर आपको ठीक लगे तो आप बारिश रुकने तक वहा चल सकती है”
दीपक की बात सुनकर साँझ हैरानी से उसे देखने लगी
एक अनजान आदमी के घर वह ऐसे कैसे जा सकती थी ? साँझ को परेशानी में देख दीपक ने कहा,”आप मुझ पर भरोसा कर सकती है”
“नहीं ऐसी बात नहीं है”,साँझ ने जैसे नींद से जागते हुए कहा
“आप बुरी तरह भीग चुकी है और मौसम भी काफी खराब है , ऐसे में आपको शायद ऑटो भी नहीं मिलेगा,,,,,,,,,,,!!”,दीपक ने कहा
“ठीक है मैं चलती हूँ”,साँझ ने झिझकते हुए कहा।
दीपक साँझ को अपने घर ले आया जो की पास ही में था। घर के सामने आकर उसने दरवाजा खोला और पहले खुद अंदर गया ताकि लाइट जला सके। उसने साँझ को अंदर आने को कहा। हालाँकि दीपक अब तक साँझ की नजर में एक शरीफ लड़का था लेकिन ऐसे अकेले उसके साथ उसके घर आना ,, साँझ का दिल धड़का रहा था , उसने अपनी बेचैनी और घबराहट को अपने चेहरे पर नहीं आने दिया। वह अंदर चली आयी भीगने के कारण सूट साँझ के शरीर से चिपक गया था जो की देखने में काफी अजीब भी लग रहा था। दीपक की सहसा ही उस पर नजर चली गयी और उसने तुरंत नजरे घुमाते हुए कहा,”मैं पहले आपके लिए कुछ सूखे कपडे ले आता हूँ”
“जी शुक्रिया”,साँझ ने कहा और वही दरवाजे के पास खड़ी रही।
दीपक अंदर बैडरूम में आया अपना कबर्ड खोला लेकिन वहा सिर्फ उसके कपडे थे , वह अपने कपडे साँझ को पहनने के लिए नहीं दे सकता था। दीपक ने दुसरा कबर्ड खोला जो की चाँदनी का था और खाली था बस कोने में वो साड़ी थी जो दीपक ने चाँदनी को दी थी और चाँदनी ने कभी उसे छुआ तक नहीं। दीपक कुछ देर उसे देखता रहा और फिर वह साड़ी लेकर बाहर चला आया। उसने साँझ को कपडे दिए और बाथरूम बता दिया। साथ ही खुद भी अपने कमरे में आकर कपडे बदलने लगा। साँझ ने कपडे बदले और गीले कपड़ो को निचोड़कर वही बाथरूम में सूखने के लिए डाल दिया। दीपक की दी साड़ी पहनकर साँझ जैसे ही बाहर आयी दीपक की नजरे उस पर ठहर सी गयी !

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क्रमश – Soulmates aren’t just lovers – 9

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