“सोलमेट्स” aren’t just lovers – 8

Soulmates aren’t just lovers – 8

Soulmates
Soulmates

भाग – 8

कोर्ट के बाहर अचानक हुए इस दंगे से साँझ घबरा गयी दीपक किसी तरह उसे साइड में ले आया और कहा,”आप,,,,,,,,,,आप ठीक है ? आपके साथ घर से कोई आया है ? मैं मैं ऑटो रुकवाता हूँ”
कहकर दीपक साँझ को लेकर ऑटोवाले के पास चला आया उसने ऑटो रुकवाया और साँझ को उसमे बैठने को कहा। साँझ अभी भी दीपक को देखे जा रही थी , वह ऑटो में आ बैठी। दीपक ने ऑटोवाले को कुछ रूपये दिए और साँझ के घर का एड्रेस बता दिया। ऑटोवाला आगे बढ़ गया और दीपक वही खड़ा रहा वह आज साँझ के साथ नहीं गया। ना चाहते हुए भी साँझ ने ऑटो से अपना सर बाहर निकाला और दीपक को देखा,,,,,,,,,,,,,,,उसने पाया की दीपक उसे ही देख रहा था। साँझ तब तक उसे देखते रही जब तक वह आँखों से ओझल नहीं हो गया। साँझ ने गर्दन घुमा ली उसकी आँखे आँसुओ से भरी थी और उसने अपने गले में पड़े मंगलसूत्र को अपनी मुट्ठी में भींच रखा था। उसका मन वेदना से भरा था इस वक्त उसके साथ कोई नहीं था जो उसके दुःख को बाँट सके या कम कर सके।
कुछ देर बाद ऑटो आकर घर के सामने रुका। साँझ नीचे उतरी और घर के अंदर चली आयी। उसकी आँखों मे आँसू थे और चेहरा उदासी से घिरा हुआ था वह बाथरूम में चली आयी और शॉवर चला दिया। पानी की तेज बुँदे उसे भिगाने लगी , पानी की फुंहारों के साथ ही साँझ के सब्र का बांध भी टूट गया। वह फुट फुट कर रोने लगी। पानी गिरने की वजह से उसकी माँग में भरा सिंदूर धुलने लगा। रोते हुए उसने अपने मंगलसूत्र को एक बार फिर मुट्ठी में भींच लिया। इस वक्त साँझ खुद को सम्हालने में असमर्थ थी। वह बेहिसाब रोते रही।

साँझ के जाने के बाद दीपक को याद आया की वह साँझ को पेपर देना भूल गया है। दीपक ने दुसरा ऑटो रुकवाया और साँझ के घर चल पड़ा। रास्तेभर उसकी आँखों के सामने वकील के चेंबर का वो सीन आता रहा जब पेपर पर साइन करते हुए साँझ के हाथ काँप रहे थे और आँखों में आँसू थे। दीपक को अपने गले में दर्द का अहसास हो रहा था। इस वक्त उसका मन भी काफी भारी था और वह दुखी था। ऑटो साँझ के घर के सामने आकर रुका। दीपक ऑटो से उतरा और साँझ के घर आकर बेल बजा दी। दरवाजा खुला था लेकिन उसमे डायरेक्ट अंदर जाने की हिम्मत नहीं थी। दीपक ने एक दो बार दरवाजा भी खटखटाया लेकिन साँझ नहीं आयी। मजबूरन दीपक को अंदर आना पड़ा उसकी नजर बाथरूम की तरफ चली गयी उसने देखा दरवाजा खुला है , शॉवर चल रहा था , चारो ओर पानी ही पानी है और साँझ वहा बेहोश पड़ी है।
दीपक ने जल्दी से हाथ में पकडे पेपर टेबल पर रखे और साँझ की तरफ आया उसने साँझ को सम्हाला तो पाया की वह बेहोश हो चुकी है। दीपक ने उसे अपनी गोद में उठाया और उसे लेकर बैडरूम में आया। उसने साँझ को बिस्तर पर लेटाया और वहा पड़ी कम्बल से उसे अच्छे से ढक दिया। साँझ बेहोश थी ऐसे में दीपक क्या करे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था , उसे लगा साँझ ने फिर से सुसाइड करने की कोशिश की है उसने अपना सर पकड़ लिया। उसकी खुद की जिंदगी में बहुत सारी परेशानिया थी लेकिन वह साँझ को भी इस हालत में नहीं छोड़ सकता था। वह कमरे से बाहर आया उसने आस पास से मदद लेने का सोचा लेकिन अगले ही पल उसे अहसास हुआ की वह ऐसा करेगा तो कही उसे साँझ के घर में देखकर लोग गलत ना समझ ले। दीपक हॉल में यहाँ वहा चक्कर काट ही रहा था की तभी साँझ की बहन ज्योति उस से मिलने आयी। दीपक को वहा देखकर ज्योति थोड़ा हैरान हो गयी और कहा,”तुम कौन हो ? और साँझ कहा है ?”
“अच्छा हुआ आप आ गयी , मैं अभी आपको सब नहीं बता पाऊंगा प्लीज आप मेरे साथ आईये”,कहते हुए दीपक ज्योति को अपने साथ लेकर साँझ के कमरे में आया। साँझ को ऐसी हालत में देखकर ज्योति जल्दी से उसके पास आयी और उसे देखते हुए कहा,”इसे क्या हुआ है ?”
“ये शायद बेहोश हो गयी है,,,,,,,,,,,,,,,ये काफी भीगी है मैं बाहर जाता हूँ आप प्लीज इनके कपडे बदल दीजिये”,कहकर दीपक कमरे से बाहर चला गया। ज्योति ने साँझ के कपडे बदले और बाहर चली आयी उसने देखा दीपक अभी भी वही था लेकिन घर के दरवाजे पर अंदर की तरफ दिवार से पीठ लगाए खड़ा था
ज्योति उसके पास चली आयी ज्योति उस से कुछ पूछती इस से पहले ही दीपक ने उसे सब बता दिया। दीपक की बात सुनकर ज्योति को उसकी बातो पर यकीन नहीं हुआ लेकिन यकीन करने के अलावा उसके पास दुसरा कोई ऑप्शन भी नहीं था।
ज्योति ने दीपक को घूरकर देखा और कहा,”तो वो तुम्हारी बीवी है जिसने रवि को फंसाया है , छी कैसी लड़की है वो उसने एक बार भी नहीं सोचा की इस से साँझ की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी,,,,,,,,,,,और तुम , तुम एक लड़की को नहीं सम्हाल पाए , इन सब में गलती तुम्हारी भी है अगर तुमने अपनी बीवी का ठीक से ख्याल रखा होता तो वो दूसरे मर्द की तरफ जाती ही क्यों ?”
“हाँ मेरी गलती है,,,,,,,शायद मेरी गलती ये है की मैंने शादी की,,,,,,,,,,,,,,,शायद मेरी गलती ये है की मैंने हमेशा अपनी पत्नी पर आँख बंद करके भरोसा किया,,,,,,,,,,,,, शायद मेरी गलती ये है की मैं उसे रोक नहीं पाया,,,,,,,,या शायद मेरी ये गलती है की मैं अपनी पत्नी से इतना प्यार करता था की मैं कभी उसके अंदर का छल समझ ही नहीं पाया,,,,,,,,,शायद मैं गलत हूँ जो पिछले 2 हफ्तों से एक ऐसी लड़की के दुःख को महसूस कर रहा हूँ जिसे मैं जानता तक नहीं ,,,,,,,,,,शायद मैं गलत हूँ की मैंने रिश्तो में जबरदस्ती नहीं की और उन्हें जाने दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,हाँ मैं गलत हूँ और आपका बहुत बहुत शुक्रिया मुझे ये बताने के लिए। मैं यहाँ सिर्फ उन्हें ये पेपर्स देने आया था , जिस दर्द और तकलीफ़ से वो गुजर रही है , मैं भी वही महसूस कर रहा हूँ बस फर्क इतना है की मैं खुद को ये समझा सकता हूँ की मैं गलत हूँ लेकिन वो गलत नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,उसका ख्याल रखिये , चलता हूँ”,दीपक ने बुझे मन से कहा और चला गया
“मेरा वो मतलब,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,ज्योति ने कहा लेकिन तब तक दीपक वहा से जा चुका था। ज्योति वापस अंदर आयी उसे बुरा लग रहा था की शायद उसने अनजाने में दीपक को कुछ ज्यादा ही बोल दिया।
ज्योति वापस अंदर चली आयी। उसने टेबल पर पड़े पेपर्स उठाये और देखा तो उसका दिल धड़क उठा वो साँझ और रवि के तलाक के पेपर थे। ज्योति वही सोफे पर बैठ गयी। इतना सब हो गया और साँझ ने उसे बताया तक नहीं , पिछले एक हफ्ते से वह अकेले ही इस दर्द और तकलीफ से गुजर रही थी। ज्योति उठी और साँझ के पास आकर बैठ गयी। साँझ को अभी तक होश नहीं आया था , उसकी हालत देखकर ज्योति की आँखों में आँसू आ गए वह उसका सर सहलाने लगी। कुछ देर बाद साँझ को होश आया उसने अपनी आँखे खोली , ज्योति को अपने पास देखकर वह हैरान थी उसने मुश्किल से उठकर बैठते हुए कहा,”आप यहाँ ?”
“तुम्हे होश आ गया,,,,,,,,,,,,,,,भगवान का शुक्र है , तुम बेहोश हो गयी थी”,ज्योति ने कहा
“आपको यहाँ नहीं आना चाहिए था”,ज्योति ने उदास होकर कहा
“क्यों नहीं आना चाहिए था ? इतनी बड़ी बात हो गयी और तुमने बताना तक जरुरी नहीं समझा,,,,,,,,,,,,,साँझ आखिर तुम खुद को इतनी तकलीफ क्यों दे रही हो ? रवि को जरा भी शर्म नहीं है उसे तुम्हारी फीलिंग्स की जरा भी कदर नहीं है और तुम उसके पीछे अपनी जिंदगी बर्बाद करना चाहती हो। अच्छा हुआ उसने खुद तुम्हे डिवोर्स दे दिया ऐसे इंसान के साथ रह कर तुम सिर्फ खुद को धोखा दे रही थी।”,ज्योति ने रवि के प्रति अपनी नफरत जाहिर करते हुए कहा
“चंद दिनों में क्या से क्या हो गया ? रवि ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ?”,कहते हुए साँझ सिसकने लगी
“उसने जो किया है उसकी सजा उसे जरूर मिलेगी। तुम अभी जवान हो खूबसूरत हो तुम्हारे लिए लड़को की कमी नहीं होगी , तुम दूसरी शादी करके एक नयी जिंदगी की शुरुआत कर सकती हो। तुम रवि के सहारे के बिना जीने की आदत डालनी होगी”,ज्योति ने कहा
दूसरी शादी के नाम से ही साँझ की आँखे भर आयी अभी एक जख्म भरा नहीं था और ज्योति उसे नयी चोट खाने को कह रही थी। साँझ ने उस वक्त कुछ नहीं कहा बस सिसकती रही।
शाम में साँझ के जीजाजी ज्योति को लेने घर आये तब उन्होंने भी साँझ को खूब समझाया और उसे कहा की वह वापस अपने माँ-बाप के घर चली जाये। साँझ नहीं चाहती थी उसके और रवि के रिश्ते के बारे में घरवालों को पता चले इसलिए उसने इसी घर में रहने का फैसला किया। उसने फैसला किया की वह इसी शहर में रहकर अपनी जिंदगी जियेगी और रवि को दिखा देगी की वह कितना गलत था। वही ज्योति की बातो से आहत होकर दीपक घर चला आया। अपनी शादी टूटने का उसे दुःख था लेकिन एक तसल्ली भी थी की कम से कम उसे अब इस झूठ रिश्ते को लोगो के सामने ढोना नहीं पडेगा। दीपक की नौकरी जा चुकी थी और वह नयी नौकरी की तलाश कर रहा था। उसके पास अब बहुत थोड़े पैसे बचे थे और उन्ही से उसे नौकरी ना मिलने तक गुजारा करना था।
साँझ और दीपक का एक हफ्ता बहुत ही तकलीफ गुजरा जबकि रवि और चाँदनी ने अपनी सेविंग्स से उसी शहर में एक फ्लैट ले लिया और दोनों ख़ुशी ख़ुशी बिना शादी के लिव इन में रहने लगे। उन्होंने अपनी पुरानी नौकरी छोड़ दी और एक हफ्ता खूब मौज मस्ती की , बाहर बड़े बड़े होटलो में खाना खाया , मॉल्स वगैरह में घूमे और खूब शॉपिंग की,,,,,,,,,,,,,,रवि को जहा चाँदनी का साथ भा रहा था वहा चाँदनी रवि के पैसो पर अपने सारे शौक पुरे कर रही थी और दोनों बहुत खुश थे। देखते ही देखते एक हफ्ता गुजर गया।

“चाँदनी मैंने तुम्हे ये शर्ट प्रेस करने को कहा था तुमने किया क्यों नहीं ? मैंने कल रात में ही तुम्हे बताया था की मुझे सुबह इंटरव्यू के लिए जाना है”,रवि ने सलवट से भरी शर्ट लाकर चाँदनी को दिखाते हुए कहा।
चाँदनी बिस्तर पर उलटा लेटे अपने नाखुनो पर नेल पोलिश लगा रही थी। उसने रवि की बात पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए कहा,”हाँ वो मैं भूल गयी थी,,,,,,,,,,,,,,प्रेस वहा रखा है तुम कर लो ना मेरे नाखुनो पर नेल पेंट लगा है।”
रवि शर्ट लेकर बाहर चला आया। प्रेस करते हुए अचानक उसे साँझ की याद आ गयी “ये लीजिये आपके कपडे , आज आपकी मीटिंग थी इसलिए मैंने कल रात में ही इन्हे प्रेस कर दिया।”
“आहह,,,,,,,,,,,,,,,!!”,सोच में डूबे रवि का हाथ गर्म प्रेस से छू गया और उसके मुंह से आह निकली। उसने देखा गर्म प्रेस की वजह से शर्ट भी जल चुका था। वह वापस कमरे में आया कबर्ड दुसरा शर्ट निकाला और बिना प्रेस किये ही पहनकर चला गया। जाते जाते उसने एक नजर चाँदनी को देखा जो की अभी भी बिस्तर पर उलटे लेटे अपने नाखुनो पर नेल पोलिश लगा रही थी।

कोर्ट के बाहर अचानक हुए इस दंगे से साँझ घबरा गयी दीपक किसी तरह उसे साइड में ले आया और कहा,”आप,,,,,,,,,,आप ठीक है ? आपके साथ घर से कोई आया है ? मैं मैं ऑटो रुकवाता हूँ”
कहकर दीपक साँझ को लेकर ऑटोवाले के पास चला आया उसने ऑटो रुकवाया और साँझ को उसमे बैठने को कहा। साँझ अभी भी दीपक को देखे जा रही थी , वह ऑटो में आ बैठी। दीपक ने ऑटोवाले को कुछ रूपये दिए और साँझ के घर का एड्रेस बता दिया। ऑटोवाला आगे बढ़ गया और दीपक वही खड़ा रहा वह आज साँझ के साथ नहीं गया। ना चाहते हुए भी साँझ ने ऑटो से अपना सर बाहर निकाला और दीपक को देखा,,,,,,,,,,,,,,,उसने पाया की दीपक उसे ही देख रहा था। साँझ तब तक उसे देखते रही जब तक वह आँखों से ओझल नहीं हो गया। साँझ ने गर्दन घुमा ली उसकी आँखे आँसुओ से भरी थी और उसने अपने गले में पड़े मंगलसूत्र को अपनी मुट्ठी में भींच रखा था। उसका मन वेदना से भरा था इस वक्त उसके साथ कोई नहीं था जो उसके दुःख को बाँट सके या कम कर सके।
कुछ देर बाद ऑटो आकर घर के सामने रुका। साँझ नीचे उतरी और घर के अंदर चली आयी। उसकी आँखों मे आँसू थे और चेहरा उदासी से घिरा हुआ था वह बाथरूम में चली आयी और शॉवर चला दिया। पानी की तेज बुँदे उसे भिगाने लगी , पानी की फुंहारों के साथ ही साँझ के सब्र का बांध भी टूट गया। वह फुट फुट कर रोने लगी। पानी गिरने की वजह से उसकी माँग में भरा सिंदूर धुलने लगा। रोते हुए उसने अपने मंगलसूत्र को एक बार फिर मुट्ठी में भींच लिया। इस वक्त साँझ खुद को सम्हालने में असमर्थ थी। वह बेहिसाब रोते रही

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क्रमश – Soulmates aren’t just lovers – 8

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संजना किरोड़ीवाल

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