Sanjana Kirodiwal

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शाह उमैर की परी -22

Shah Umair Ki Pari -22

Shah Umair Ki Pari

शहर धनबाद में :-
घर के दरवाज़े पर ऑटो से उतर कर परी नम और बुझी आँखों से घर को देखती है। जो होता तो है किराये का मगर, उसे दुनिया भर का सुकून उसी दो कमरे और एक हॉल के घर में मिलता है ! सामने बड़ा सा काले रंग का मैन गेट परी खोल कर अंदर आती है जहा कुछ खाली जगह में गार्डन होता है और सामने आसिफ का दो तल्ला मकान जिसके ठीक उसके बाये तरफ छोटा सा परी का घर जिसे रफ़ीक साहब ने किराये के लिए खास कर बनवाया था जहां परी अपने पापा मम्मी के साथ पिछले सात सालों से रह रही होती है ! इन सात सालों में यह दूसरी बार है जब उसके पापा हॉस्पिटल में है ! उसे उस घर में बिताए हर वो पल याद आते है जिसमे वो और उसके पापा मम्मी होते है ! बस वो दोनों ही तो होते है परी की दुनिया !
”अरे बेटा कैसे है अब हसन भाई ?,आसिफ साथ में नहीं आया ? वो आता तो मैं जाता हॉस्पिटल हसन भाई को देखने !” रफ़ीक साहब ने परी को आते देख कहा !
”चाचा पापा बहुत सीरियस है। डॉक्टर कुछ सही से बता भी नहीं रहे कहते है कि होश में नहीं आये तो वह कुछ नहीं कर सकते है !” परी कहते हुए रोने लगती है !
“हौसला रखो परी कुछ नहीं होगा हसन भाई को , तुमने बहुत अच्छे से एक औलाद होने का फ़र्ज़ निभाया है , तुम्हारे जैसी बेटी अगर हर माँ बाप के किस्मत में हो तो उनको बेटो की ख्वाहिश ही ना हो कभी , बस अपने पापा के हक़ में दुआ करो वो जल्द ठीक हो जाएंगे इंशाअल्लाह !” रफ़ीक चाचा ने कहा !
“जी चाचा !” परी ने कहा फिर ताला खोल कर घर में आ जाती है ! किचन से गिलास में पानी लेकर पीती है फिर अपने कमरे में आईने के सामने आकर उमैर को आवाज़ लगाती है !
”उमैर… उमैर… कहा हो तुम? उमैर खुदा के वास्ते मेरे सामने आ जाओ तुम्हारी जरुरत है !” कहती हुई परी आईने पर हाथ मार मार कर रोने लगती है ! मगर उमैर नहीं आता है परी थक हार कर वापस अपने बेड पर बैठ जाती है !
तभी परी को किसी लड़की की आवाज़ सुनाई देती है !
“परी सुनो “
परी बेड से उठ कर आईने के सामने आती है जहां दूध सी सफ़ेद रंग का फ्रॉक और चूड़ीदार और सर पर अदब से दुप्पटा लिए एक खूबसूरत नीली आँखों वाली लड़की खड़ी होती है !
”क ss क ss कौन हो तुम ?” परी ने डरते हुए कहा !
”डरो नहीं मेरा नाम अमाइरा है ! शाह उमैर की बहन हूँ मैं ! उमैर भाई अभी यहां नहीं है वो हमारी दुनिया के शहंशाह के महल में मुलाजिम है अभी वो वही है !” अमाइरा ने कहा !
”क्या उस दुनिया के सब लोग मुझे देख सकते है इस आईने के जरिये ?” परी ने हैरत से पूछा !
”नहीं.. नहीं सिर्फ हम तीनो भाई बहन देख सकते है यानी मैं , उमैर भाई और हमारी छोटी बहन नफिशा। दूसरा तब ही देख पायेगा जब हम उसे दिखाना चाहे ! यह आईने उमैर भाई के कमरे में है !” अमाइरा ने कहा !
“मेरे पापा का एक्सीडेंट हो गया है उनकी हालत बहुत ही नाज़ुक है ! तुम उमैर को बुला दो खुदा के वास्ते। मेरा मेरे माँ पापा के एलावा इस दुनिया में कोई भी नहीं है !” परी कहते कहते हिचकिया लेकर रोने लगती है !
”तुम रोओ मत, मैं जाती हूँ उमैर भाई को बुला कर लाती हूँ तब तक तुम अपने पापा के पास रहो, सब ठीक होगा ! ” अमाइरा कहती है फिर आईने में धुंध छा जाती है और अब आईने में परी खुद को देख रही होती है ! अमाइरा की आवाज़ में एक सुकून की सी खनक होती है जिसे सुन कर परी थोड़ी देर के लिए पुरसुकून हो जाती है ! तभी परी का फोन बजता है !
”हेल्लो परी कहा हो तुम? हॉस्पिटल आ जाओ अंकल की तबीयत बिगड़ रही है, वो सांस नहीं ले रहे है सही से !”आसिफ ने कहा !
“क्या? कु कुछ भी मत कहो।अअअभी के अभी .. आती हूँ तुम मम्मी का ध्यान रखना !” परी ने घबराते हुए कहा ! फिर आसिफ का कॉल रख कर परी हॉस्पिटल के लिए निकल जाती है !
“क्या कहा डॉक्टर ने ?” परी ने हॉस्पिटल में आते के साथ कहा !
“वो वो कह रहे के मुश्किल है अंकल अब साँसें भी नहीं ले रहे और सब से ज्यादा उनके brain में चोट लगी है इसलिए वो शायद…..!” आसिफ कहता हुआ नज़रें झुका कर चुप होजाता है !
”क्या बकवास कर रहे हो तुम? कुछ नहीं होगा मेरे पापा को मैं उनको कुछ नहीं होने दूंगी। मैं उनको कुछ नहीं होने दूंगी !” परी रोते हुए आसिफ से कहती है फिर सब से अलग एक बेंच पर जाकर रोते हुए बैठ जाती है तभी उसे सामने खड़ा उमैर उदासी से उसे देख रहा होता है ! उमैर को देखते ही परी उसके पास जाकर रोते हुए कहती है
“उमैर तुम आ गये, इतनी देर क्यों लगाई? देखो ना पापा कुछ भी response नहीं कर रहे है। उनकी तो अब सांसे भी सही से नहीं चल रही है ! डॉक्टर कह रहे है कि…. कि उनको बचाना मुश्किल है!”
”परी तुम परेशान मत हो मैं आ गया हूँ ना? मुझे कुछ भी बताने की जरुरत नहीं है मैं सब जानता हूँ ! सब ठीक हो जायेगा मुझ पर यक़ीन रखो। ”उमैर ने कहा !
”परी बेटा तुम किस् से बात कर रही हो ?” नदिया जी ने परी के पास आते हुए कहा !
परी भूल गयी होती है कि उमैर को उसके इलावा कोई और नहीं देख सकता है !
”किसी से नहीं मम्मी !” परी ने कहा !
”परी तुम अपनी मम्मी के पास रुको मैं आता हूँ !” उमैर ने कहा फिर बिना दरवाज़ा खोले किसी साये की तरह इमरजेंसी रूम के अंदर चला जाता है !
परी थोड़ी हैरान होती है उसे इस तरह बिना दरवाज़ा खोले अंदर जाते देख कर मगर अगले ही लम्हे उसे ख्याल आता है के उमैर एक जिन है!
परी बेचैन हॉस्पिटल के कॉरिडोर में मायूसी लिए टहलते रहती है ! नदिया जी जिनके आंसूं थमने का नाम नहीं ले रहे होते है !
उमैर हसन जी के पास खड़ा उनको ध्यान से देख रहा होता है जिनको वेंटिलेटर पे रखा गया होता है !

दूसरी दुनियाँ ” ज़ाफ़रान कबीला :-
किचन में काम करती अमाइरा को उमैर की रूम से कुछ आवाज़ आती सुनाई देती है तो अपना काम छोड़ उमैर के कमरे की तरफ चल देती है ! वो अपने गीले हाथों को पोछते दुपट्टे से पोछते हुए आईने के सामने खड़ी होती है तो उसे दूसरी तरफ परी बे इन्तेहाँ रोती हुई और उमैर को आवाज़ लगाती हुई दिखती है !अमाइरा तमाम हालात समझ जाती है पहले वो थोड़ी देर बातों पर गौर वा फिक्र करती है फिर खुद को उसके सामने हाज़िर कर देती है ! परी को समझाने के बाद अमाइरा महल की तरफ चल देती है
आसमान को छूती मीनारे , सफ़ेद संगे मर्मर की दीवारे जिसपे सूरज की रौशनी से चमक पैदा हो रही होती है ! अमाइरा पहली बार इतने क़रीब से महल को देख रही होती है !
”बेहद खूबसूरत है शहजादी मरयम का महल !” अमाइरा चारों तरफ नज़र घुमाती महल के आहाते में घुसते हुए कहती है !
“आप भी बेहद खूबसूरत है !” एक मरदाना आवाज़ पर अमाइरा चलते चलते रुक जाती है और पलट कर देखती है तो शहजादा इरफ़ान खड़ा उसे देख कर मुस्कुरा रहा होता है ! अमाइरा को इस तरह की हरकतें बिलकुल भी पसंद नहीं आती है वो बिना कुछ कहे जाने लगती है !
”अस्सलाम वालैकुम !” शहजादा इरफ़ान उसे सलमा कर के खुद की तरफ मुखातिब करता है !मगर अमाइरा बिना जवाब दिए जल्दी जल्दी महल के दरवाज़े की ओर बढ़ती है !
“सलाम का जवाब ना देना गुनाह है जिन ज़ादी क्या मैं तुम्हारा नाम जान सकता हूँ ?” शाहजादे इरफ़ान ने कहा ! “वालेकुम अस्सलाम जी वो, जी मेरा नाम अमाइरा है आप मुझे यूँ परेशान करना छोड़ेंगे या मैं महल में शहंशाह से आप की शिकायत कर दूँ , उन्हें बिलकुल भी पसंद नहीं आएगा के उनका कोई मुलाजिम किसी जिन जादि को छेड़े ! आप जानते नहीं मुझे।” अमाइरा ने तीखे सवर में कहा !
“गुस्ताखी माफ़ अमाइरा दुबारा ऐसी गुस्ताखी नहीं होगी आप शहंशाह से मेरी शिकायत मत करना। वरना वो मुझे सजा देंगे !” शहजादा इरफ़ान ने नकली डर चेहरे पे सजाये हुए कहा !
”हम्म ठीक है नहीं करुँगी ! आइंदा ख्याल रखियेगा।” अमाइरा ने कहा फिर महल में चली जाती है जहाँ उमैर साफ सफाई करवा रहा होता है !
अपने शहजादे सी शख्सियत वाले भाई उमैर को इस तरह महल की दीवारे पोछता देख अमाइरा की आँखे नम हो जाती है !
”अमाइरा तुम यहाँ क्या कर रही हो ?” उमैर ने अमाइरा को अपनी तरफ आते देख कहा !
“उमैर भाई बात ही ऐसी है कि मुझे आना पड़ा !”अमाइरा ने कहा !
“बताओ क्या बात है ? नफिशा ठीक है न?” उमैर ने कहा !
“उमैर भाई परी बहुत परेशान है, आज वो आईने पर हाथ मार मार कर रो रही थी और आप को आवाज़ें लगा रही थी उसके अब्बा के साथ हादसा पेश आया। हालत नाज़ुक है आप जाये उसे बेचारी की मदद कर दे !”अमाइरा ने कहा !
“ठीक है तुम चलो मैं आता हूँ !” उमैर ने कहा ! अमाइरा जैसे ही वापस जाने वाली होती है उसे शहजादे इरफ़ान शाही सोफे पे बैठे अंगूर खाते दिखते है !
“बड़े ही बेगैरत हो काम करने के बजाय तुम यहां सोफे पर बैठ कर अंगूर खा रहे हो और वहां बेचारे मेरे उमैर भाई महल की दीवारे साफ़ कर रहे !” अमाइरा ने गुस्से में कहा मगर शहजादे इरफ़ान उसे मोहब्बत से देख कर मुस्कुरा रहा होता है !
”मेरे महल में खुश आमदीद अमाइरा। कहो कैसे आना हुआ? ” सीढ़ीयों से उतरती शहजादी मरयम ने कहा !
” सलाम शहजादी वो बस उमैर भाई से कुछ जरुरी काम है आप की इजाजत हो तो उनको घर लेकर जाऊ, जल्द ही लौट आएंगे !”
“बिल्कुल लेकर जाओ। मगर पहले तो तुम यह शहजादी बोलना बंद करो हम दोस्त है और एक दोस्त होने के नाते। अगर कोई परेशानी है तो तुम मुझे बता सकती हो मेरे अख्तियार में होगा तो मैं तुम्हारी मदद भी करुँगी !” शहजादी मरयम अमाइरा के कंधे पे हाथ रखते हुए कहती है !
‘’नही ऐसी कोई जरूरत नही है शहजादी मतलब मरयम बस उमैर भाई से कुछ काम है तो मुझे जल्दी जाना है घर !”अमाइरा ने कहा
“उहू उहू ! मरयम आपस में ही बातें करोगी या मेरी भी पहचान करवाओगी अपनी दोस्त से !” शाहजादे इरफ़ान शरारत से खांसते हुए कहते है !
“हाँ क्यों नहीं। अमाइरा मिलो मेरे बड़े भाई इरफ़ान से !” शहजादी ने कहा !
“यह आप के भाई है? उफ्फ, ना जाने मैंने इन्हे क्या ?क्या ?बोल दिया , माफ़ करिएगा शहजादे मुझसे गुस्ताखी हो गयी !” अमाइरा ने शर्मिंदा होते कहा !
“कोई बात नहीं अमाइरा गलत फहमी हो जाती है और वैसे भी इरफ़ान भाईजान ने अपना शाही लिबास नहीं पहना है, इसलिए तुम पहचान नहीं पायी बहुत ही आम शख्शियत वाले है मेरे भाई !” शहजादी मरयम ने कहा !
“बस बस इतनी तारीफ काफी है मरयम !” शहजादे इरफान ने कहा !
“चले अमाइरा?” उमैर पीछे से आते हुए कहता है ! फिर दोनों इजाजत लेकर अपने घर आ जाते है तब तक नफीसा भी घर में आ चुकी होती है !
”आप दोनों कहा से आ रहे हो ? क्या हुआ उमैर भाई ?नफिशा ने दोनों को घर पर साथ में आते देख कर कहा !
”परी के पापा का एक्सीडेंट हो गया है उनकी हालत नाजुक है मुझे जाना होगा परी की मदद के लिए !” उमैर ने कहा !
”बिलकुल जाये उमैर भाई ! अच्छे वक़्त से ज्यादा बुरे वक़्त में काम आना चाहिए किसी के ! अमाइरा ने कहा !
”अगर अब्बा को पता चल गया तो ?” उमैर घबराते हुए कहता है !
“भाई आप परेशान ना हो मैं सब संभाल लुंगी आप जाये अपनी परी की पास उसे आप की जरुरत है !” अमाइरा ने कहा !
”उसके पापा का एक्सीडेंट हो जाने से बहुत सारे काम अधूरे रह गए है। नफिशा क्या तुम वो सारे काम कर दोगी परी के घर जाकर ?” उमैर ने कहा !
”उमैर भाई आप मुझे इंसानी दुनिया में जाने को कह रहे हो ?” नफिशा ने हैरान होते हुए कहा !
”खुदा के वास्ते मेरी बहन तुम जाकर उसके घर के सारे काम कर दो बस ! मैं भी जाता हूँ हॉस्पिटल जहा परी अपने पापा का इलाज करा रही है !” उमैर ने कहा !
”चली जा नफिशा बस पांच मिंनट तो लगेंगे तुझे उन सब काम में कौन सा तुम मेहनत करने वाली हो?” अमाइरा ने उसे समझाते हुए कहा !
“ठीक है जाती हूँ आपी !” नफिशा ने कहा फिर उमैर के साथ आईने के जरिए परी के कमरे में जाती है !
“नफिशा देख तेरी भाभी का कमरा कितना गन्दा हो रहा तुम ऐसा करो उसके घर को साफ़ कर दो। जब तक वो परेशान है तुम रोज उसके घर को साफ़ करोगी !” उमैर ने कहा !
“उमैर भाई यह क्या बात हुई ? सब काम मैं करुँगी तो फिर आप क्या करोगे ?” नफिशा ने कहा !
“मैं उसके पापा को ठीक करने जा रहा हूँ तुम जयदा बकवास ना करो , काम करो और फ़ौरन आईने से घर जाओ ! अब्बा को भनक भी लग गयी तो आफत आ जायेगी हम तीनो पे !”
उमैर ने नफिशा के बाल खींचते हुए कहा फिर चला गया !
“मेरी प्यारी छोटी बहन कैसा लग रहा तुझे इंसानी दुनिया में !”अमाइरा नफिशा को चिढ़ाते हुए कहती है !
“हा हा। …. बहुत अच्छा लग रहा !” नफिशा ने चिढ़ते हुए कहा !
“चलो तुम अब अपना काम शुरू करो तब तक मैं ताज़े फल ले आती हूँ परी के लिए !” अमाइरा ने कहा !
महल में चारों तरफ उमैर को ढूढ़ते हुए शाह ज़ैद सामने शाही सोफे पर आराम कर रहे शहजादे इरफ़ान से कहते है !
“गुस्ताखी माफ़ हो हुज़ूर क्या आप ने उमैर को देखा है ? थोड़ी देर पहले तो वो महल में ही सफाई कर रहा था, अब ना जाने कहा चला गया है !”
”ज़ैद चाचा वो घर गया है ,अमाइरा आयी थी उसे किसी जरुरी काम से बुलाने !” शहजादे इरफ़ान ने अंगड़ाइयां लेते हुए कहा !
“जी हुज़ूर शुक्रिया ! मैं अभी आता हूँ !” शाह ज़ैद कहते हुए घर की ओर चल देते है !
( ”अमाइरा के लिए शहजादे इरफ़ान की आँखों में मोहब्बत उतर आई है अब देखना यह है के इन सब की मोहबब्त कैसे मुकम्मल होती है ? दो दुनिया की जिम्मेदरियों में फसा उमैर क्या अपननी जिन्दगी में आने वाले अनजान तूफ़ान से लड़ पाएगा? जानने के लिए पढ़ते रहिये ”शाह उमैर की परी ” )

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Written By – शमा खान

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”ज़िन्दगी की मुस्किले और उनमे तुम्हारा साथ
हँसते मुस्कुराते से अजनबी अहसास ,
कुछ मिले या ना मिले शाह उमैर को चाहिए परी का साथ !”


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