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शाह उमैर की परी -14

Shah Umair Ki Pari – 14

Shah Umair Ki Pari

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Shah Umair Ki Pari – 14

शहर धनबाद में ;-
”क्या मैं अंदर आ जाऊं ?” आसिफ दरवाज़े पर खड़ा कहता है !
”नहीं। ” परी ने कहा
”मगर क्यों? ”आसिफ पूछता है
”वो क्या है ना मुझे सुबह-सुबह मनहूस चीज़ें देखने की आदत नहीं है!” परी ने मुँह बना कर, चिढ़ते हुए कहा !
”बदमाश लड़की ऐसे बात करते है ?”


“तुम नहीं सुधरोगी परी। आसिफ तुम अंदर आओ बेटा हमारे साथ नास्ता करो। ” नदिया जी परी को धीमे से सर पर मारते हुए कहती है !
”जी आंटी जरूर। ” आसिफ मुस्कुराते हुए परी के सामने चेयर पर बैठ जाता है !
”अब मुस्कुराते ही रहोगे ,या सूबह सूबह दर्शन देने की वजह भी बताओगे?” परी ब्रेड पर बटर लगाती हुई कहती है !
”ओह सो सॉरी, सुबह-सुबह आने की एक वजह है।”


“बताओ फिर जल्दी।”
“मैं उन सारे दूकानों की लिस्ट लेकर आया हूँ, जो हमे कपड़े ऑनलाइन सेल कर सकते है !” आसिफ एक लिस्ट परी के सामने रखते हुए कहता है !
”वाह मुझे तो लगा था कि तुम बस बातें ही कर रहे हो काम करने की, काम होगा नही तुमसे।
मगर तुम तो काफी तेज़ निकले !” परी ने खुश होकर ब्रेड खाते हुए कहा !


”सुनो एक बात और है परी, एक दोस्त है मेरा जो तुम्हारी वेबसाइट का सारा काम देख लेगा। वेबसाइट किस नाम से होगी सोचा है कुछ, क्या तुमने??” आसिफ परी की प्लेट से ब्रेड उठा कर खाना चाहता वैसे ही परी उसके हाथों से छीन लेती है और खुद खाने लगती है !
“यह लो आसिफ बेटा तूम भी नास्ता कर लो !” नदिया जी टोस्ट ब्रेड और बटर आसिफ के सामने रखते हुए कहती है !


”अच्छा परी मार्किट कितने बजे चलना है?”आसिफ ने पूछा !
”मार्किट वह क्यों?” परी पूछती है !
”तूम भी ना एक नंबर की भुल्लकड़ हो। ”
“ज्यादा शेखी न बघारो बताओ क्यों?”
”अरे भाई लैपटॉप , इंटरनेट कनेक्शन वगैरा भी तो लेना होगा ना? घर से काम करने के लिए ! आसिफ ने कहा !


”अरे हाँ मैं भूल गयी थी ,आसिफ़ तुम तो बड़े काम की बातें याद रखते हो! चलो कम से कम तुम्हे याद रहा तो काम जल्द ही निपटा लेंगे !” परी ने कहा।
“परी पैसों की चिंता तो तुम बिलकुल भी मत करना। मैं हूँ कोई भी तकलीफ़ नही होने दूंगा। मैंने सब बंदोबस्त कर लिया है, मैं सब कर दूंगा !” आसिफ ने कहा !
”आसिफ़, उसकी कोई जरुरत नहीं है। मेरे पास पैसे है तुम ऐसा करो दस बजे रेडी होकर आ जाना। हम साथ में मार्किट चलेंगे !” परी कहती है !


”दस बजे क्यों मैं तो रेडी होकर ही आया हूँ परी !” आसिफ ने कहा !
”दुकान क्या तुम्हारे पप्पा की है आसिफ़? जो अभी खुल जाएगी ?” परी कहती है !
”देखो परी सब बाते ठीक है मगर बात बात पर पापा पर तो मत जाओ, उनको क्यों ले आती हो बातों में? वैसे भी बहुत तकलीफ में रहते हैं, उन्हें दूर रखो हमारी बातों से !”
“हम्म, सुनकर अच्छा लगा कि अपने पापा की कुछ तो फिक्र है तुम्हें।”
” परी एक काम करो तुम बोलो जो बोलना है पापा को। तुम्हारा तो हक़ बनता है।” आसिफ मुस्कान लिए कहता है !


“ओये मिस्टर, कहा था ना ये सारे चोंचले मेरे साथ मत करना !”परी गुस्से से कहती है !
“अरे अरे, अब नाराज न हो जाना बाबा। मैं बस एक दोस्त की हैसियत से ही बोल रहा हूँ !
तुम्हे बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है मोहतरमा! आंटी इसे ठंडा शर्बत दें पीने को। गुस्से से लाल हो गई है।”
“अब शांत रहो और नास्ता करो !” आसिफ चुपचाप परी की बात मानकर उसे मुस्कुरा कर देखता और उसकी बात सुन लेता है !


परी के मम्मी पापा सामने दोनों की नोक झोक देख रहे होते है और मन ही मन मुस्कुरा रहे होते है!
”आसिफ तुम अभी जाओ। तुम भी रेडी रहो और मैं भी रेडी होकर आती हूँ। आज का काम करना ही है अब। साथ चलेंगे काम जल्दी और ठीक से हो जाएगा। ठीक है?” परी कहती है तो आसिफ उठ कर चला जाता है !
“बस नदिया जी हमारा प्लान कामयाब हो जाए और हमारी प्यारी बेटी को,आसिफ धीरे धीरे पसंद आ जाये।” हसन जी कहते है !
”हाँ खुदा करे कि ऐसा ही हो !”


”आप ने आसिफ को अच्छे से समझा दिया है ना ?” नदिया जी कहती है !
“परी तो पागल है। पता नहीं शादी करने से इसको क्या चिढ़ है ! सही उम्र में लड़कियों की शादी हो जाये तो ही अच्छा होता है। ” नदिया जी ने अपनी चिंता जाहिर कर कहा !


”ओफ्फ ओह, परी की अम्मी आप भी ना बहूत जल्दी परेशान हो जाती है। बच्ची को थोड़ा वक़्त दिजीए , वक़्त आने पे सब हो जाएगा !” हसन जी कहते है !
“मैं तो बस उसके हाथ पिले करना चाहती हूँ , एक ही तो औलाद है हमारी। अब क्या एक माँ ये भी न चाहे?!”नदिया जी कहती है !


“दिन रात मेहनत कर के कूछ ही दिनों में परी और आसिफ सारा मामला अटका लेते हैं। शादी का फैसला तो कर लिया, इनके बीच सब ठीक होते ही शादी की बात कर लेते है।” हसन जी नदिया को इशारा कर परी और आसिफ़ को देखने कहते हैं। जो अंदर हॉल से बाहर की तरफ ही आ रहे थे।


“परी मैंने सारे कैटलॉग तुम्हारे टेबल पर रख दिए है। देख लेना और हाँ ज्यादा प्रॉफिट अभी हमें बच्चो के कपड़े पर ही होंगा, इसलिए वही कैटलॉग है। तुम वेबसाइट पर अपने मन मुताबिक अपडेट कर लेना !”
“ओके आसिफ़। बाय।”


“बाय परी।” आसिफ भी परी को बाय कहता हुआ चला जाता है !
”बेटा परी कूछ काम आगे बढ़ा या नही? !” हसन जी कहते है !
“अभी कहा पापा बस आप दुआ करो के हमारा काम चलने लगे , अभी तो ना जाने कितना वक़्त लगेगा सही से चलने में !” परी थोड़ा उदास होते हुए कहती है !


“बेटा मायूसी कुफ्र है , सब्र रखो। खुदा खुद उसकी मदद करते हैं, जो खुद की मदद करता है। देखना बेटा ,काम बहुत अच्छा चलेगा !” हसन जी कहते है !


“बेटा अब तो आसिफ भी तुम्हारे साथ है !तुम दोनों मिल के सब कर लोगे ! है ना परी के पापा ?” नदिया जी कहती है !
“या अल्लाह, मम्मी मुझे तो ध्यान ही नहीं रहा, संगीता की शादी का। पूरा हफ्ता यूँही निकल गया, मुझे फुर्सत ही नहीं मिली काम के अलावा कुछ सोचने की ! अब कल रात उसकी शादी में क्या पहन कर जाऊंगी ? अगर नहीं गयी तो जान ले लेगी। संगीता बहुत नाराज़ हो जाएगी !” परी अपने लैपटॉप पे काम करते हुए अचानक से याद करते हुए कहती है !


“अरे परी बेटा अलमारी में देख लो।कुछ न कुछ तो अच्छा मिल ही जायेगा बेटा, ज्यादा मन हो तो मेरा वो बनारसी शरारा तुम्हारे माप का है ला कर देती हूँ। उसे चाहो तो पहन लेना !” नदिया जी सब्जी बनाते हुए कहती है !
“मम्मी पिछले दो साल से मैंने अच्छे कपड़े नहीं लिए है। पिछले एक हफ्ते से तो मम्मी हम ऑनलाइन वर्क शॉप की तैयारी में लगे हुए है। देखती हूं फिर भी। आप मम्मी रहने दें ख्वामख्वाह बेइज्जती का मन नही है मेरा। आपका शरारा मेरे लिए एक गाउन लगेगी।”


“बेटा आज मार्केट जाकर ले लो कोई अच्छा सा ड्रेस ये भी तो नहीं कह सकती न? जानती हो आजकल की मंहगाई। अच्छी पोशाक, या अच्छे कपड़े मतलब 3 से 4 हजार का खर्चा। इतना खर्च कैसे कर पाएंगे। कैसे लाचार पापा हूँ मैं ?” हसन जी अपनी लाचारी और गरीबी से परेशान होकर कहते है !


”हम्म… मेरे प्यारे पापा आपको बस आजकल मौका मिलना चाहिए मायूस होने का। है न? मैं देखती हूँ, कुछ न कुछ कर ही लूँगी।” परी ने कहा और
फिर अपने काम में वापस से लग जाती है !

Shah Umair Ki Pari – 14

दुसरी दुनियाँ ‘’ ज़ाफ़रान क़बीला :
”हम्म ”
तो उमैर भाई आप चोर बनोगे , चलो बिच में आकर खड़े हो जाओ !” अमाइरा कहती है !
”म म मैं, मैं क्यों? न बिलकुल भी नहीं। मैं चोर दिखता हूँ क्या? शहजादी मरयम को चोर बनाओ !” उमैर ने कहा
”ओह तो मैं तुम्हे चोर दिखती हूँ ?” शहजादी दाँत पिसते हुए कहती है !
“ना न नहीं !” उमैर ने कहा !


“अभी तो तुम खूद की बहुत तारीफ कर रहे थे अब क्या हो गया ? डर गए क्या ?” शहजादी मरयम उमैर को चिढ़ाते हुए कहती है !
”’चोर तो आप ही बनोगे भाई, अब आप की इज्जत का सवाल है !” नफिशा ने कहा !
”हम्म ठिक है बताओ क्या करना है ?” उमैर ने कहा !


“यह हुई ना बात।
अब सुनो सब। उमैर भाई की आँखों की रौशनी कूछ वक़्त के लिए चली जाएगी ! उन्हें हम तीनो में से एक एक की पहचान हमारी खुश्बू से करनी होगी।


समझ गए न आप भाई?”
“बिल्कुल ठीक है।” सब एक साथ कहते है !
”उमैर अब तुम आँखे बंद करो।” शहजादी मरयम ने कहा !
“आँखे बंद तो कर लूँगा मगर आप मुझे पहाड़ से निचे गिरा ना देना !” उमैर आँखे बंद किये कहता है !
”इतना डर? भरोसा रखो उमैर! मैं तुम्हे पहाड़ से नीचे नहीं गिरने दूंगी !” मरयम शोखी भरे अंदाज़ में कहती है ! फिर उमैर की आँखों पर अपने हाथ फेरते हुए कहती है,


” अब आँखे खोलो और पहचानो के नफिशा हम मे से कौन है?”
“मुझे अंधा बना दिया। मूझे तो कूछ भी नहीं दिख रहा !”उमैर ने कहा ।
”भाई मैं इधर हूँ !
नहीं इधर !
मैं तो सामने हूँ !”


”ये गलत है तुम तीनों नफिशा की आवाज़ में क्यों बोल रहे हो??” उमैर इधर उधर हाथ से टटोलता हुआ कहता है !
”भाई मेरी खुशबू महसूस करो तो आप पहचान जाएँगे मुझे !” नफिशा ने कहा !
उमैर बेचारा तीनों में नफिशा की पहचान करने में कभी तांगे वाले गुलाम से लिपट जाता तो कभी पत्थर से ठोकर खा कर गिर जाता ! फिर तीनो बारी बारी से उमैर के सर पर मारती है ! उमैर खूद को बचाने की कोशिश में फिर गिर जाता है !


”क्या हुआ उमैर हार मान गए ?” मरयम चिढ़ाते हुए कहती है !
“हुह, शहजादी मैं शाह उमैर हूँ कभी हार नहीं मानता !” उमैर खूद को सम्भलाते हुए कहता है !
”बस बस बहूत हुआ
रुको एक मिंट तूम सब। ” उमैर ने परेशान होते हुए कहा !
नफीशा फिर भी उमैर को जोर से सर पे मरती है !


“कहा ना रुको !” उमैर गूस्से में कहता है ! तो तीनो एक साथ हँसती है !
“सब मेरे सामने खड़े हो जाओ मैं खूद बताता हूँ के नफिशा कौन है !
तीनो उमैर को घेर कर खड़ी हो जाती है ! उमैर जैसे ही दौड़ाता है सब भागने लगती है !
उमैर मरयम की खुश्बू को नफिशा की समझ कर उसे जैसे ही पकड़ने की कोशिश करता है मरयम लड़खड़ा के उमैर के ऊपर गिर जाती है !


”नफिशा उठ मेरे ऊपर से !” उमैर कहता है तो शहजादी मरयम उसके आँखों पे अपने हाथ को फेरती है जिससे वो देखने के क़ाबिल हो जाता है !
“यह मैं हूँ उमैर साहब और आप हार गए।” शहजादी मरयम कहती है वो उमैर की आँखों में खो सी जाती है !
”उहू उहू ”
“उमैर भाई ,शहजादी मरयम आप लोगों को ऐसे ही रहना है क्या ? ” नफिशा और अमाइरा खाँसते हुए कहती है तो शहजादी मरयम शर्मा सी जाती है और हड़बड़ा कर जैसे ही उठती है फिर से वापस उमैर के ऊपर गिर जाती है !


”या अल्लाह ”
“यह शहजादी तो मेरी हड्डी तोड देगी, कितनी भारी है।”
”आह अहह ”यह अमाइरा नफिशा उठाओ इनको।” ! उमैर निन्याते हुए कहता है !
मरयम खूद उठ कर खड़ी हो जाती है !
“चलो अब बताओ क्या सजा दिया जाए उमैर साहब को
बेचारे हार गए।” शहजादी चिढ़ाती हुई कहती है !


“आप ही सजा दो हम दोनों ने कुछ कहा तो यह हमारी क्लास घर पर ले लेंगे !”नफिशा ने कहा !
”अरे ! ऐसे कैसे लेंगे क्लास मैं हूँ ना। अब से तुम दोनों को उमैर से डरने की बिल्कुल भी जरुरत नहीं !”शहजादी मरयम कहती है !
“चलें शहजादी, अब बताए भी क्या सजा है मेरी ?” उमैर ने कहा !
मरयम उमैर के पास जाकर कहती !
”मूझसे दोस्ती करोगे? देखो अब मना नहीं करना क्यों के अब यही सजा है तुम्हारी तुम ज़िन्दगी भर मेरे दोस्त बन कर रहोगे, समझे?


बोलो कूबूल है मेरी दोस्ती?”
”हम्म , इतनी बड़ी सज़ा ! सारी जिंदगी ! पूरी, तमाम जिंदगी? बहुत लंबी सजा है ये तो। उम्र कैद वो भी दोस्ती की।”
उमैर शहजादी को छेड़कर कहता है।
मरयम कुछ मायूस सी हो जाती है उमैर की बात सुनकर लेकिन तभी आवाज़ सुनती हैं।
” क़ुबूल है, शहजादी!’’ उमैर भी मुस्कुराते हुए कह ही देता है !


”हम भी है यंहा। आप दोनों तो हम दोनों को भूल ही जाते हैं? हम दोनों भी आज से आप की दोस्त शहजादी मरयम !” नफिशा कहतीं है !
“हाँ बिलकूल और क्या शहजादी शहजादी लगा रखा है सब ने? आज से मरयम कहो मूझे ठीक है ? अब हम सब दोस्त हैं और इस रिश्ते को ताउम्र निभाएंगे।” मरयम कहती है !
“अब हमे चलना चाहिए ये लो अंजीर रखो। अब सब तांगे में चलो, बैठ कर खाएंगे।” उमैर सब को अंजीर फल थमाता हुआ कहता है ! फिर सब फल खाते हुए तांगे पर बैठ जाते है और अपनी अपनी घर की और चल देते है !


“नफिशा , अमाइरा बेटी किधर हो तुम दोनों ?” शाह ज़ैद आवाज़ लगाते हुए घर में दाखिल होते है !
“जी अब्बा। हम यंहा हैं, बताएं क्या हुआ ?”अमाइरा ने कहा !
“ये लो। दोस्ती का तोहफा। शहजादी मरयम ने तोहफा भेजा है तुम दोनों के लिए !” शाह ज़ैद एक खूबसूरत सा शाही तोहफ़े का लिफाफा दोनों की तरफ बढ़ाते हुए कहते है !


”आपी क्या है इन लिफाफों में? जल्दी खोलो ना !” नफिशा उत्सुकता से कहती है !
”अरे बाबा ठहरो जरा खोलती हूँ ।” अमाइरा लिफाफा खोलते हुए कहती है !


”या अल्लाह, आपी इतना खूबसूरत शाही लिबास हम दोनों के लिए शहजादी ने भेजा है ! वो अपना वादा नहीं भूली।” नफिशा खुशी से कहती है !
“हाँ नफिशा। वाक़ई काफी खूबसूरत लिबास है , इतना मूलायम कपड़ा और खूबसूरत जरी के काम ! वाक़ई शहजादी ने आज दिल खुश कर दिया !” अमाइरा कपड़ो पर हाथ फेरती हुई कहती है !
“आपी ये हल्का हरा आप ले लो क्राबियन नीला मैं रखूंगी !” नफिशा फ़ौरन ब्लू वाले लिबास को उठाते हुए कहती है !


”जो अच्छा लगे तूम रख लो मेरी प्यारी बहना ! मुझे कोई सा भी चलेगा !” अमाइरा ने कहा !
”उमैर भाई आएंगे तो उन्हें हम दिखाएंगे आपी !” नफिशा ने कहा !
हाँ बिलकूल दिखाना !” अमाइरा ने कहा !
अमाइरा कपड़ो को उठा कर रख देती है फिर सब अपने कामों में लग जाते है।

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Wrriten By – शमा खान

मस्तियाँ , शरारते , हँसते खेलते से खूबसूरत से एहसास
बचपन लौट कर हर उम्र को छू जाता है अक्सर!”

SHAMA KHAN

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