Sanjana Kirodiwal

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शाह उमैर की परी -21

Shah Umair Ki Pari -21

Shah Umair Ki Pari

शहर धनबाद में :-
परी जल्दी से कपड़े चेंज करती है फिर अपना पर्स चेक करती है जिसमे उसके उम्मीद के मुताबिक रूपए रहते है। वो मोबाइल जीन्स की पॉकेट में रख कर ,पर्स पीछे कंधे पर टांग कर नदिया जी को अपने साथ लेकर उसी ऑटो में हॉस्पिटल निकल जाती है !
”भैया आप के ऑटो का कितना किराया हुआ बता दो !” परी ने परेशानी से पूछा !
”बहन, मुझे कोई जल्दी नहीं है। पहले तुम आराम से अपने पापा का इलाज करा लो। फिर मुझे पैसे दे देना, पैसे कंही नहीं भाग रहे !” ऑटो वाले ने कहा !
”भैया ऐसा मत कहो। आप के हक़ के पैसे है, आप ने बहुत मदद की है मेरी। वरना, तो लोग बस खड़े तमशा देखते है। आप जैसे लोग कम ही होते है अब। मेरे पापा के लिए आप दुआ जरूर करना। आप जैसे नेक दिल की दरकार खुदा जरूर सुनेंगे!” परी ने कहा ऑटो वाले को हज़ार रूपए थमाते हुए !
”बहुत शुक्रिया। मैं दुआ करूँगा।ठीक है बहन, लेकिन ये बहुत ज्यादा हैं। अभी तुम्हें अंदर जरूरत पड़ सकती है।”
“भैया आपकी दुआओं की जरूरत है बस अभी। पैसे आ जाएंगे आप लो रखो प्लीज।”
परी के बोलने और ज़ोर देने पर ऑटो वाले ने पैसे परी से लेकर अपने जेब में रख लिए और दुआ करता चला गया!
परी हॉस्पिटल पहुँच कर पहले काउंटर पर फीस जमा करती है फिर हॉस्पिटल स्टाफ से अपने पापा की कंडीशन पूछती है, जो अब भी इमरजेंसी रूम में एडमिट है !
”मैम कुछ कह नहीं सकते है, क्योंकि आप के पापा को काफी चोटे आयी है। खून काफी ज्यादा बह गया है। हम पूरी कोशिशें कर रहें हैं, बाकी आप दुआ करो वो ठीक हो जाएंगे !” हॉस्पिटल स्टाफ के ब्रदर नर्स ने कहा !
”मैं डॉक्टर से मिलना चाहती हूँ !” परी ने कहा !
”डॉक्टर अभी अंदर इमरजेंसी में ही है, जब वो बाहर आये आप मिल सकती हैं और पूछ सकती हैं जो चाहें ! तब तक आप wait करे ! आप के पापा के जरूरी टेस्ट करने है, हम उन्हें कुछ देर में लेकर जाएंगे ! ” हॉस्पिटल स्टाफ का ब्रदर नर्स कहता हुआ वहा से चला जाता है !
इधर बेंच पे बैठी नदिया जी बस रोती रहती है !
परी बेचैनी से टहलते हुए कभी अपने रोती हुई मम्मी को देखती कभी इमरजेंसी रूम की तरफ शीशे से अपने पापा को देखती है। दिल ही दिल में उनकी सलामती की दुआ कर रही होती है ! तभी डॉक्टर बाहर आते है तो परी उनसे कहती है !
”सर, मैं उनकी बेटी। कैसे है मेरे पापा ? क्या हम उनसे मिल सकते है ? उन्हें कुछ होगा तो नहीं न? वो बिल्कुल ठीक हो जाएंगे न?”
“देखो बेटा मैं तुमसे झूठ नहीं कहूंगा, तुम्हारे पापा बहुत सीरियस है। उनके सिर और पूरी बॉडी में काफी चोट आयी है, लगता है उनकी स्पाइन की हड्डी भी टूट चुकी है ,अगर उनकी जान भी बच जाये तो वो बेड पर ही रहेंगे। अभी वो होश में भी नहीं है चौबीस घंटे के अंदर अगर उन्हें होश नहीं आया तो हम उन्हें बचा नहीं पाएंगे। वो कोमा में भी जा सकते है ! मैंने स्टाफ को बोल दिया है वो x -ray, MRI और जो भी बेस्ट फैसिलिटी के जरिये जितनी जल्दी हमें सब पता चल जाए। बाकी टेस्ट कर के जल्दी रिपोर्ट देने भी कह दिया है। मैं एक बार रिपोर्ट देख लूँ फिर कुछ हद तक आपको और सही कंडीशन बता सकता हूँ ! तब तक आप लोग उनसे नहीं मिल सकते हो !” डॉक्टर ने परी को समझाते हुए कहा ! उनकी बातें सुन कर परी टूट सी जाती है मगर वो अपनी मम्मी की तरफ देख कर खुद को रोने से रोक लेती है !
“बेटा कैसे कैसे इम्तेहान ले रहा खुदा हम सब के? एक बार एक्सीडेंट हुआ तो वो दोनों पैर से अपाहिज हो गये, अब ना जाने क्या होगा ?” नादिया जी रोते हुए कहती है !
”मम्मी कुछ नहीं होगा पापा को आप खुदा पे भरोसा रखे !”परी ने नदिया जी का हाथ अपने दोनों हाथों से थामते हुए कहा !
हॉस्पिटल के कुछ स्टाफ आकर हसन जी को स्टेचर पर लेटा कर इमरजेंसी रूम से निकालते है तो नदिया जी उनसे लिपट कर रोने लगती है !
“मैडम आप अपनी मम्मी को संभालिये हमे लेट हो रहा है, MRI के लिए लेकर जाना है टेस्ट रिपोर्ट्स जल्दी चाहिए डॉक्टर्स को। आप के साथ कोई और भी है? अगर नहीं तो आप भी हमारे साथ चले!” हॉस्पिटल स्टाफ ने कहा तो परी जल्दी से अपनी मम्मी को पकड़ कर साइड कर देती है !
अपनी मम्मी को वही पे बैठा के परी हसन जी के टेस्ट, MRI, CT करवा कर वापस हॉस्पिटल स्टाफ के साथ स्ट्रेचर के पीछे पीछे आती है !
हॉस्पिटल स्टाफ हसन जी को इमरजेंसी रूम लेकर चले जाते है। मायूस परी बाहर कॉरिडोर में ही अपनी मम्मी के बगल में बेंच पर बैठ जाती है !
”हसन खान आप के ही पापा का नाम है जिनका आज एक्सीडेंट हुआ है?” एक पुलिस वाला परी के पास आकर कहता है !
”जी सर , वो मेरे ही पापा है !” परी ने बेच से उठते हुए कहा !
”आप का बयान लेना है क्या हुआ और कैसे हुआ? आप सब कुछ मुझे बताए।” पुलिस कांस्टेबल डायरी खोलते हुए कहता है !
परी और नदिया जी बारी-बारी करके अपना बयान दर्ज करवाते है !
”सर एक्सीडेंट किस कार से हुआ था, कुछ पता चला?” परी ने पूछा !
“अभी तक तो कुछ भी पता नहीं चला। हम पूछ ताछ कर रहे है जल्द ही कार और उसका मालिक थाने में होंगे !” पुलिस कांस्टेबल ने कहा फिर चला गया ! तभी परी का फ़ोन बजता है !
”हेल्लो.. परी कहा हो कौन से हॉस्पिटल में और अंकल कैसे है ? मुझे अभी अभी मोहल्ले के लड़को से अंकल के एक्सीडेंट के बारे में पता चला। एक फोन कर देती न परी मुझे।” आसिफ ने कहा !
”आसिफ मैं असरफी हॉस्पिटल में हूँ ! पापा इमरजेंसी वार्ड में है डॉक्टर ने कहा है चौबीस घंटो तक कुछ भी कहना मुश्किल है !” परी रोते हुए कहती है !
”परी तुम रो मत, मैं अभी आता हूँ !” आसिफ कहता हुआ कॉल कट कर देता है फिर हॉस्पिटल की तरफ अपनी बाइक से निकल जाता है !
आसिफ का कॉल रख कर परी बेचैन हॉस्पिटल के कॉरिडोर में टहलती रहती है ! नदिया जी जिनके आंसूं थमने का नाम नहीं ले रहे होते है !
“कैसे है अंकल,अब ?” आसिफ आते ही पूछता है !
“कहा तो था कि कुछ कह नहीं सकते अभी !” परी ने जवाब दिया !
“कुछ नहीं होगा अंकल को परी। तुम बिल्कुल भी परेशान मत हो और हाँ मैंने आर्डर रेडी करने के लिए शॉप्स में लिस्ट दे दी है। बस जैसे ही सब हो जायेगा पार्सल निकल जाएंगे !”आसिफ ने कहा !
”देखो आसिफ अभी मुझे किसी आर्डर की कुछ पड़ी नहीं है। पहले मेरे पापा होश में आ जाये फिर देखूंगी !” परी ने कहा !
“ठीक है जैसा तुम कहो। मैं बस पैसों के चक्कर में बता रहा था। आंटी के लिए और तुम्हारे लिए कुछ खाने को ला दूँ !” आसिफ ने कहा !
”अभी नहीं आसिफ एक बार रिपोर्ट्स आ जाये फिर। तुम ऐसा करो मम्मी के लिए चाय और बिस्कुट ले आओ !” परी ने हुए कहा और आसिफ को पैसे देने लगी मगर वो मना कर देता है और कहता है !
” परी क्या तुम मुझे इतना पराया समझती हो? रखो अपने पैसे, मैं सब के लिए चाय लेकर आता हूँ !”
हॉस्पिटल में पूरा दिन गुज़र जाता है मगर हसन जी को होश नहीं आता है ! दिन भर के भूखे प्यासे दोनों माँ बेटी बस हसन जी की सलामती की दुआ कर रही होती है ! आसिफ भी उनके साथ बैठा होता है !
”मैडम रिपोर्ट्स आ गयी है आप रिपोर्ट्स कलेक्ट कर के डॉक्टर साहब को दिखा ले। डॉक्टर साहब आधे घंटे में राउंड लगा कर अपने केबिन में बैठेंगे !” हॉस्पिटल स्टाफ परी से कहता है !
”ठीक है अभी जाती हूँ !” परी कहती है और उठ खड़ी होती है !
”रुको परी मैं भी चलता हूँ !” आसिफ ने कहा ! फिर दोनों साथ में रिपोर्ट्स लेकर डॉक्टर के केबिन में जाते है !
“सर पापा के रिपोर्ट्स आ गई है उनकी कंडीशन क्या है? मुझे अभी तक कुछ भी समझ नहीं आ रहा है। please आप बताए !” परी डॉक्टर को हसन जी की रिपोर्ट्स देते हुए कहती है !
थोड़ी देर रिपोर्ट्स को देखने के बाद डॉक्टर कहते है।
” देखो बेटा तुम्हारे पापा ठीक तो हो जाएंगे मगर उनका इलाज काफी महंगा होगा और जैसा कि मैंने कहा है कि चौबीस घंटे के बाद ही हम बता पाएंगे, उनकी कंडीशन के बारे में। तुम्हारे पापा इतने कमजोर हो चुके है कि एक्सीडेंट में उनके बॉडी की कई हड्डिया टूट गयी है जैसे neck bone , spine bone और साथ में पैरों की भी। जो कि पहले से भी कमजोर है, यह देखो MRI रिपोर्ट !
“सर, आप बस मेरे पापा को ठीक कर दो , मैं जो भी फीस होगी हॉस्पिटल की दे दूंगी ! ” परी हाथ जोड़ते हुए कहती है !
“तुम घबराओ मत अभी हम उन्हें ब्लड चढ़ा चुके हैं और सब इलाज दुरुस्त चलवा देते है। बाकी कल ही सुबह में कुछ बता सकते है कि आगे क्या होगा !”डॉक्टर ने कहा !
”ठीक है थैंक यू सर !” परी ने कहा फिर आसिफ के साथ नदिया जी के पास आगयी है !
“क्या कहा डॉक्टर ने ?” नदिया जी ने कहा !
“उन्होंने कहा है कि घबराने की कोई बात नहीं है। पापा ठीक हो जाएंगे !” परी नदिया जी से नज़रे चुराते हुए कहती है !
आसिफ रात का खाना होटल से लेकर आता है!
”मम्मी आप ने सुबह से कुछ नहीं खाया है, आप खालो आपकी तबियत खराब हुई तो सही नही होगा।” परी ने रोटी का टुकड़ा तोड़ते हुए कहा फिर अपने हाथों से अपनी मम्मी को खाना खिलाती है ! सब थोड़ा थोड़ा ही खाते है, रात उसी तरह बेचैनी में गुज़रती है सब की !
एक नयी सुबह उग आती है, उम्मीद की किरण के साथ। मगर हॉस्पिटल के इमरजेंसी रूम बेजान पड़े हसन जी को होश नहीं आता है ! जिस से परी और नदिया जी और भी ज्यादा परेशान रहती है ! दूसरा दिन भी गुज़र जाता है मगर हसन जी को होश नहीं आता है !
”मम्मी आप यही रुको आसिफ के साथ। मुझे कुछ जरूरी काम है, मैं घर होकर आती हूँ !” परी ने कहा !
परी की हिम्मत जवाब देने लगती है वो अपनी मम्मी और आसिफ को हॉस्पिटल में रुकने का कह कर उमैर से अपनी परेशानी share करने के लिए घर आ जाती है !

दूसरी दुनियाँ ” ज़ाफ़रान कबीला : –
”आपी उमैर भाई तो चले गये महल। हम भी चले कही घूमने? आज मेरा घर पर दिल नहीं लग रहा। ऊपर से आप ने जो भी बताया अपने माज़ी के बारे में उसे सोच कर मेरा दिल डूबा जा रहा !” नफिशा ने घर पर टहलते हुए कहा !
”नहीं मेरा कही भी जाने का मन नहीं है , तुझे जाना है तो जा मैं मना नहीं कर रही !” अमाइरा ने कहा !
“ठीक है आप अगर इजाजत दे रही तो मैं हनीफ से मिल आती हूँ !” नफिशा ने थोड़ी शरारत से कहा !
“मैंने कहा ना जाओ। मुझे कोई ऐतराज नहीं है ! बस ध्यान से हमारी वजह से अब्बा को तकलीफ ना पहुंचे इसका ख्याल रखना !” अमाइरा संजीदगी से नफिशा को दबे लफ़्ज़ों में समझते हुए कहती है !
“मैं ध्यान रखूंगी आपी , बस यूँ गयी यूँ आयी !” कहती हुई नफिशा गायब हो जाती है !
“उफ्फ यह इन दोनो की शरारते ना जाने कब खतम होंगी?” नफिशा ने खुद में कहा !
उधर महल में उमैर पर नज़र ना पड़ने से शहजादी मरयम बेचैन उसका इंतज़ार कर रही होती है !
“सलाम अब्बा हुज़ूर क्या मैं अंदर आ जाऊँ !” शहजादी मरयम ने शहशांह के कमरे के दरवाज़े पर दस्तक देते हुए कहा !
“वालेकुम सलाम बेटा। आ जाओ मेरे कमरे में आने के लिए अब तुम्हे इजाजत भी चाहिए क्या ?” शहंशाह ने कहा !
”अब्बा आप का वो चाहिता मुलाजिम उमैर नहीं दिख रहा?” शहजादी मरयम शहशांह फरहान के पास बैठती हुई पूछती है !
“हाँ आज वो मुझे भी कंही नजर नहीं आया। शायद कुछ पल अपने घर पर बिताने गया होगा।अपने घर से वापस नहीं आया है अब तक !” शहशांह ने कहा !
तभी दरवाज़े पर दस्तक होती है और उमैर इजाजत लेते हुए अंदर आता है !
”लम्बी उम्र है तुम्हारी अभी हम तुम्हे ही याद कर रहे थे ! यह बताओ कहा गायब थे तुम ? ” शहशांह फरहान ने उमैर से कहा !
शहजादी मरयम उमैर को देख के फूल की तरह खिल उठती है !
”जी वो हुज़ूर घर पर ही था बहनो के साथ ! ” उमैर घबराते हुए कहता है !
“तुम इतना घबरा क्यों रहे हो ? अब्बा कौन सा तुम्हे देर से आने पर सजा देने वाले है?” मरयम ने उमैर के मज़े लेते हुए कहा ! तो शहशांह भी उसकी बात सुन कर हंसने लगते है !
”ये कम्बख्त शहजादी हर वक़्त यही मौजूद रहती है मेरा मज़ाक बनाने के लिए। उस दिन तो बड़ा दोस्ती के वादे कर रही थी यह और आज ! देखो कैसे देख रही है मुझे, जैसे खा ही जाएगी !” उमैर ने ख्यालों में शहजादी मरयम की तरफ देखते हुए कहा !
“उमैर क्या तुम इंसानी दुनिया में गए थे ?” शहंशाह ने पूछा !
“हाँ। …. नहीं नहीं हुज़ूर मैं इंसानी दुनिया क्यों जाऊंगा ?” उमैर शहशांह के अचानक सवाल से हड़बड़ते हुए कहता है !
“फिर तुम्हारे जिस्म से ये इंसानी महक कैसे आ रही है?” शहशांह ने सवालिया नज़रों से उमैर की तरफ देखते हुए कहा !
उमैर की हालत ऐसे हो रहे होते है मनो काटो तो खून ना निकले। उसका हलक डर से सूखने लगता है ! वो खामोश डर के मारे कभी मरयम तो कभी शहशांह को देखता !
”खामोश क्यों हो जवाब दो ? शहशांह ने इस बार गरजदार आवाज़ में कहा !
“हुज़ूर मुझे नहीं मालूम कि मेरे कपड़ों से इंसानी महक कैसे आ रही !” उमैर अपने डर को काबू में करते हुए कहता है !
“क्या मतलब, नहीं मालूम ?” शहशांह ने कहा !
“क्या अब्बा आप बेकार के सवालों में उलझे है ? अगर उमैर इंसानी दुनिया में गया भी है तो क्या हुआ ? इस बात को यही ख़तम करे !” शहज़ादी मरयम ने उमैर को परेशान देख कर अपने अब्बा से कहा!
”ठीक है ठीक है मेरी शहजादी ! नहीं करता कोई सवाल अब खुश हो ना तुम !” शहंशाह ने कहा तो उमैर चैन की सांस लेता है और शहजादी को आँखों ही आँखों में शुक्रिया कहता है !
”उमैर तुम ऐसा करो कि पूरे महल की सफाई करवाओ। अगले हफ्ते मरयम की सालगिरह है। हर साल की तरह इस साल भी धूम धाम से मनाएंगे !” शहंशाह ने कहा !
”जी हुज़ूर। जो हुक्म, मैं अभी जाता हूँ !” उमैर ने कहा फिर शहशांह के कमरे से निकल कर महल में सभी मुलाजिमों को एक जगह इक्कठा करता है और उन्हें अलग अलग काम सौंपता है ! शहजादी मरयम उसके पीछे सीढ़यों के पास आकर खड़ी हो जाती है !
“सालगिरह किसी और की और मेहनत करे हम?” उमैर ने शहजादी मरयम को देखते हुए कहा !
“अब्बा के सामने तो तुम्हारी बत्ती गुल हो जाती है ! यहां बहुत आवाज़ निकल रही तुम्हारी ! शुक्र करो के अपनी दोस्ती के वास्ते मैंने तुम्हे उनके सवालों से बचा लिया ! वैसे तुम इंसानी दुनिया में क्या करने गए थे ?” शहजादी मरयम ने उमैर से कहा तो वह बिना जवाब दिए महल से बाहर जाने लगता है ! तभी शाह ज़ैद को अंदर की तरफ आते देख वो वापस पलटता है तो शहजादी मरयम उस पे हंसने लगती है !
”शाह उमैर इधर उधर क्यों टहल रहे हो जाओ काम करो ?” शाह ज़ैद ने कहा !
“कुछ नहीं अब्बा मैं वो शहजादी मरयम के सालगिरह की तैयारी करवा रहा हूँ !” उमैर ने शहजादी मरयम की तरफ घूरते हुए कहा !
”बड़े अजीब हो तुम उमैर जवाब नहीं देते हो तुम ? शिकायत कर दूँ क्या तुम्हारी शाह ज़ैद चाचा से !” शहजादी मरयम उमैर के क़रीब आकर कर कहती है !
“जाओ कर दो ! डरता थोड़ी हूँ मैं !” उमैर कंधे उचकाता हुआ कहता है !
“अच्छा इतनी हिम्मत आ गयी तुम मे ! ठीक है !” शहजादी मरयम कहते हुए शाह ज़ैद जो आवाज़ लगाने के नक़ल करती है तो उमैर डर जाता है !
”माफ़ कर दो अब से गुस्ताखी नहीं होगी !”उमैर शहजादी मरयम के सामने दोनों हाथ जोड़ कर कहता है !
“चलो माफ़ किया ! अब तुम अपना काम करो ! मैं यही पर हूँ ” शहजादी मरयम हँसती हुई कहती है ,फिर वही पे महल के हाल में शाही सोफे पर बैठ जाती है ! उमैर महल के फानूस को नीचे उतार कर उसे साफ़ करता है ! वो महल के कामो में इतना मशगूल हो जाता है के उसे घर जाने का होश ही नहीं रहता !

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written By – शमा खान

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”वो मासूम सा जिन जादा रिश्तों को संभाले ,
दोनों दुनिया की सफर तय कर रहा है !
बे खबर अपने आने वाले मुसीबतों से ,
एक इंसान से वफ़ा ऐ अहद कर रहा है !”

SHAMA KHAN

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