Sanjana Kirodiwal

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शाह उमैर की परी – 40

Shah Umair Ki Pari – 40

Shah Umair Ki Pari

Shah Umair Ki Pari-40

शहर धनबाद में :-

”परी मैं चाहता हूँ के हम कंही घूम आये, अंकल आंटी से परमिशन मैं ले लूंगा। मगर हाँ वो उमैर हमारे साथ नहीं जाएगा मैं पहले ही बोल रहा हूँ !” आसिफ ने थोड़ा गुस्से से कहा !

”आसिफ तुम्हे पता है ना कि मैं उमैर से मोहब्बत करती हूँ और मैं भला उसके बगैर कंही भी कैसे जा सकती हूँ? पागल वागल तो नहीं हो गए तुम? लो पकड़ो  यह सारे  पार्सल, पोस्ट ऑफिस में स्पीड पोस्ट के लिए दे कर आओ। फिर बात करते है !” परी  ने आसिफ को बॉक्सेस थमाते हुए  कहा !

”ठीक है मैं आता हूँ, सब स्पीड पोस्ट पर लगा कर !” आसिफ ने कहा और बॉक्सेस उठा कर बाइक से मार्केट की तरफ चल देता है !

”आज मेरा जिनि इतना सुस्त क्यों है ?” परी ने खामोश बैठे उमैर के गाल खींचते हुए कहा !

”पता नहीं आज कुछ अजीब ही महसूस हो रहा है। ऐसा लग रहा जैसे किसी ने मेरे जिस्म में आग लगा दी हो !” उमैर ने बेचैन होते हुए कहा !

”ऐसा क्यों लग रहा तुम्हे? कंही फीवर तो नहीं तुम्हे ?!” परी उमैर की पेशानी छुते हुए कहती है !

”परी मैं एक जिन हूँ, मेरा शरीर तो वैसे भी गरम ही रहता है यह बेचैनी कुछ और ही है। मगर ऐसा क्यों हो रहा मैं समझ नहीं पा रहा हूँ ?” उमैर ने कहा !

”इधर आओ मेरे पास आकर बैठो।” परी कहती है तो उमैर उसके पास आकर उसके गोद में सर रख कर लेट जाता है, तो परी धीरे धीरे प्यार से उसके सर को दबाती है !

”अच्छा सुनो ऐसा करते है हम सब मिल कर कंही बाहर घूम आते है। तुम्हे भी बहतर लगेगा और साथ में मम्मी पापा भी खुश हो जायेंगे। वैसे आसिफ अभी अभी कही बाहर चलने का कह रहा था !” परी ने कहा ! 

 ”ठीक है जैसा तुम्हे सही लगे। पहले थोड़ा आराम करने दो !” उमैर ने आँखे मूंदे कहा !

”अभी थोड़ी जाने को कह रही हूँ। वैसे भी आसिफ अभी मार्केट गया है, आने दो उसे फिर प्लान करते है मिल कर !” परी ने कहा !

”परी मुझे यह आसिफ कुछ ठीक नहीं लगता है। जब भी मैं और तुम पास होते है उसकी नज़रों में मुझे नफरत दिखती है !” उमैर ने कहा !

”करने दो नफरत क्या फ़र्क़ पड़ता है? मैं तो तुमसे मोहब्बत करती हूँ ना !” परी  ने कहा !

”मगर परी वो एक आलिम भी है, उससे संभल कर रहना होगा हमे !” उमैर ने कहा !

”उसके हाथ पैर तोडूंगी मैं, अगर तुम्हे कुछ किया भी तो !” परी ने कहा !

”सुनिए जरा इधर आए देखिए आप को ऐसा नहीं लग रहा के परी अकेले में किसी से बातें कर रही है!”

नदिया जी ने हसन जी को बुला कर परी के तरफ इशारा करते हुए कहा ! उमैर तो उनको नहीं दिखता मगर वो परी को साफ़ साफ़ किसी से बात करते देखते है !

परी इन सब से बेखबर उमैर से हँस हँस कर बातें कर रही होती है !

”परी बेटा किससे बात कर रही हो तुम? यहाँ तो कोई नहीं है !” हसन जी ने परी के पास आकर कहा ! उनको देखते ही उमैर गायब हो जाता है !

”नहीं तो पापा। ….. मैं तो गाना गुन गुना रही हूँ !” परी ने कहा तो हसन जी उसके पास आकर बैठ उसके सर पर प्यार से हाथ रख कर पूछते है !

”बेटा अगर कोई ऐसी बात है जो तुम हमसे छुपा रही हो तो प्लीज बता दो हम तुम्हारी हर बात को समझेंगे !”

”पापा कहा ना कोई ऐसी बात नहीं है। मैं बस गाना गा रही थी !” परी  ने थोड़ा चिढ़ कर कहा !

”देखिए मैं तो कहती हूँ इसको कही किसी आलिम के पास लेकर चलते है। जरूर कोई जिन उन का चक्कर है ! क्योंके मुझे हमेशा इसके पास से एक भीनी सी खुश्बू आते रहती है और इसके कमरे से रात को अक्सर बातें करने की आवाज़ भी !”  तभी उमैर दरवाज़े से अंदर आता है !

”आंटी मुझे नहाना है आप का वाश रूम इस्तेमाल कर लूं क्या ? क्या हुआ अंकल आंटी आप लोग इस तरह परेशान क्यों है !’’ सब को खामोश देख कर और जवाब ना पाकर उमैर दोबारा बोलता है !

”क्या कहूं तुम्हे बेटा यह अक्सर अकेले में बैठ बातें करती रहती है, कुछ पूछो तो कहती है के गाना गा रही थी !” नदिया जी ने उमैर से कहा !

”अरे आंटी इसमें चिंता करने वाली कौन सी बात है ?अक्सर कम अक़ल लड़किया खुद से बातें करती है !” उमैर ने हँसते हुए कहा तो परी उसे तकिया फ़ेंक कर मारती है !

”अरे अरे परी ध्यान से सर फूट जायेगा मेरा !” जैसे ही दूसरा तकिया परी उठा कर उसे मारती है तो वो चोट लगने की एक्टिंग करते हुए कहता है !

”हाय सर फोड़ दिया इस पागल लड़की ने मेरा !”

“खुद को देखा है कभी? बांस की तरह लम्बी टाँगे आँखे ऐसी के ….. ” अभी परी कह ही रही थी के बीच में आसिफ उमैर के सामने खड़ा होकर  कहता है !

”आँखे ऐसी जैसे के यह कोई जिन हो, है ना परी ?”

”हाँ इंसान तो लगता ही नहीं है यह। हुह। जाओ जाकर नहा लो न जाने कितने दिन से नहाया नहीं होगा तुमने !” परी थोड़ा गुस्से में कहती है !

”परी बेटा यह सब क्या है ? ” हसन जी ने कहा !

”पापा आप ने देखा नहीं उमैर मेरा मज़ाक उड़ा रहा है !” परी ने निन्याते हुए कहा ! तभी हसन जी की नज़र परी की अंगूठी पर पड़ती और दूसरे ही लम्हे उमैर की उँगलियों पर वो कुछ सोचते है फिर कहते है !

”वैसे तुम दोनों की उँगलियों में एक जैसी अँगूठी कैसे ? वो भी इतनी कीमती !” 

”हाँ बताओ उमैर? तुम दोनों के पास एक जैसी इतनी कीमती अंगूठी कैसे ?” आसिफ ने हल्का सा मुस्कुरा कर कहा। उमैर को आज भी उसकी आँखों में अपने लिए नफरत दिख रही होती है !

उमैर कुछ सोचता है फिर कहता है !

 ”वो वो। …. अंकल मैंने ही यह अँगूठी परी को पहनायी है मेरे उँगलियों में जो है वो परी ने मुझे पहनाई है, हम एक दूसरे को पसंद करते है !” उमैर ने कहा तो हसन जी और नदिया जी एक दूसरे को हैरत से देखते है ! उनको उमैर तो पसंद था मगर उसका अचानक इस तरह से कहना उनको हैरत में डाल देता है ऊपर से तब जब आसिफ सामने हो!

”परी बेटा उमैर जो कह रहा क्या वो सच है ?” हसन जी ने पूछा !

”जी पापा हम दोनो एक दूसरे से मोहब्बत करते है !” परी  ने नज़रे झुका कर कहा !

”यह मुझसे क्या हो गया? इस आसिफ के चक्कर में मैंने परी के मम्मी पापा के सामने बकवास कर दी। अब ना जाने यह दोनों कैसा रियेक्ट करेंगे !” उमैर खुद में सोचता है और नहाने का कह कर वाश रूम में टॉवल लेकर चला जाता है ! आसिफ उमैर की बात से खिसया सा जाता है मगर वो खुद को नार्मल दिखाता है !

”ठीक है हम इस बारे में आराम से बातें करेंगे !”हसन जी ने कहा !

”बेटा जब तुम दोनों एक दूसरे को पसंद करते हो तो हमें बताने में झिझक कैसी? हमें तो खवाहिश तुम्हे दुल्हन बनता देखने की है। मुझे उम्मीद है के आसिफ बेटा भी तुम दोनों के जज़्बातों को समझेगा !” नदिया जी ने कहा !

” इन सब में आसिफ कौन होता है? कुछ भी बोलने वाला !” परी  ने कहा !

” माना के मैं कुछ भी नहीं लगता। मगर दोस्त तो हूँ ना अब भी? या दोस्ती भी ख़तम कर दी तुमने? amm … अंकल आंटी मैं सोच रहा के मैं और परी कहि घूम आते है काफी दिनों से कही गए नहीं है हम !” आसिफ ने कहा !

”मैं और तुम नहीं हम सब जाएंगे घूमने को और हाँ उमैर हमारे साथ जायेगा !” परी ने कहा !

”तुम लोगों को जो ठीक लगे करो। तुम तीनो की बातों से मेरा सर चकरा रहा है। बेगम जरा चाय बना दो !” हसन जी ने रिमोट उठा कर टीवी ऑन करते हुए कहा !

”आंटी please मेरे लिए भी एक कप चाय मेरा भी सर चकरा रहा है !” आसिफ ने हसन जी के बगल में बैठते हुए कहा !

बात आई गई हो जाती है पर रात को नदिया जी फिर हसन जी से कहती हैं।

“आपको भी उमैर पसन्द है न?”

“क्यों बेगम? तुम्हें पसन्द नहीं क्या वो?”

“पसन्द तो है, लेकिन आसिफ?” नदिया जी के चेहरे पर एक अनजान सा डर होता है।

“सब उस ऊपर वाले पर छोड़ दो बेगम। वो अल्लाह नेक दिल लोगों की परीक्षा लेता ही है। हमारी भी ले रहा है। हमारी बच्ची अच्छे नसीबो वाली है। बस उसका शुकराना करते चलो। जो होगा उस मालिक की मर्जी से हो जाएगा।” अपने दोनों हाथ परवर दीगार की तरफ फैलाये हुए हसन जी सब एक सांस में कह जाते हैं।

“सही कह रहे हैं आप। अल्लाह मिया सब ठीक ही करेंगे। मैं ही बिन वजह परेशान हो जाती हूँ। सो जाइये कल का दिन फिर कुछ नया लेकर ही आएगा। शब्बा खैर।” नदिया जी कह कर करवट लेकर आँखें बंद कर लेती हैं।

इधर आसिफ गुस्से में तमतमाया होता है।

“उस उमैर की इतनी हिम्मत? कि मेरे सामने उसने अपनी और परी की मंगनी की बात कह दी। मुझे अब देर नहीं करनी चाहिए।”

अपनी खिड़की से परी के घर की तरफ देखते और सोचते आसिफ के दिमाग मे कुछ अलग ही खुराफात चल रही होती है।

दूसरे दिन आसिफ़ और परी की रजामंदी से, धनबाद से 48 किलोमीटर दूर मैथन डैम जाने का प्लान बनता है ! मैथन डैम बांध लगभग 15712 फीट लंबा और लगभग 165 ऊँचा  है।

जो की खूबसूरत झील और हरे जंगलों के बीच में है ! यहाँ सब से ज्यादा खूबसूरत सूर्योदय और सूर्यास्त देखना है ! बराकर नदी के ऊपर बने इस बाँध का निर्माण बाढ़ को रोकने के लिए किया गया था।

नदिया जी कुछ खाने की चीज़ें बना कर टिफ़िन में पैक कर लेती है और हसन जी और  रफ़ीक साहब सूखा नास्ता बाहर दुकानों से ले आते है ! परी ब्लैक  जीन्स और उस पर वाइट  फूल स्लीव  का हुड्डी पहनती है। बिलकुल उसी की तरह  उमैर ब्लैक जीन्स और उस पर फुल स्लीव का वाइट टी शर्ट पहनता है ! दोनों साथ में बहुत ही प्यारे लगते है !

आसिफ उनका एक जैसे कपड़े पहने देख उमैर के पास जाकर कहता !

”मुझे भी  बिलकुल तुम्हारी तरह कपड़े चाहिए, तुम जीनी होना लाकर दो !”

“रोओ मत आसिफ मिया जाओ जाकर देखो तुम्हार घर के सोफे पर रख दिए है मैंने !” उमैर ने कहा तो आसिफ खुश होकर वापस अपने घर पर जाकर कपड़े बदल कर आता है ! मगर वो कपड़े उस पर उतने अच्छे नहीं लगते जितना उमैर के बदन पर खिल रहे होते है !

“परी इतनी बड़ी गाड़ी किराये पर लेने की जरुरत क्या थी? मेरी कार तो है ही !” आसिफ ने दरवाज़े पर आई ब्लैक स्कार्पियो को देख कर कहा !

“हाँ पता है के तुम्हारे पास भी गाड़ी है मगर उसमे हम छः लोग नहीं जा पाएंगे इसलिए स्कार्पियो बुक किया है !”

”अच्छा ठीक है उमैर चलो हम सामान गाड़ी में लाकर रख देते है !” आसिफ ने कहा ! 

“वो तो मैंने कब का रख दिया। अब चलो सब को बुलाओ निकलना भी है !” उमैर ने कहा तो सब एक एक कर के आकर गाड़ी में बैठ जाते है !

रफ़ीक साहब ड्राइवर के बगल वाली सीट में , हसन जी और नदिया जी बीच वाली सीट में , उमैर और परी चालाकी कर के पीछे की सीट पर जाकर एक साथ एक दूसरे का हाथ थामे बैठ जाते है  ! आसिफ बाहर खड़ा मुँह ताकता रहता है क्योंकी उसे परी के साथ बैठना था !

”अरे आसिफ बेटे आओ हमारे पास बहुत जगह है तुम यहाँ आकर बैठ जाओ !” हसन जी ने कहा !

”जी अंकल बैठ रहा हूँ !” बेचारे आसिफ ने मुँह बनाते हुए कहा ! आसिफ के बैठते ही गाड़ी चल पड़ी ड्राइवर ने भी उस सुहाने सफर को और भी खूबसूरत बनाने के लिए खूबसूरत सा गाना लगा दिया ! बैकग्राउंड साउंड बजता है !

( ननना नाना नननना । …. ना नाना। ….

सुहाने। … सुहाने। … सुहाने से यह पल ……. यह पल

जो तुम चलो साथ में…… ऐ हमसफर

तनहा जो थी , अब वो तनहा नहीं होगा सफर

चल चले ऐसे मोड़ ऐसे डगर में हम… म म

जहाँ हो मोहब्बतें,…..

जहाँ हो सच्चाइयाँ। …

ना हो नफ़रतें। …

ना हो झूठ और धोखे बाज़ियाँ। ……  ऐ हमसफर

चल चले ऐसे मोड़ ऐसे डगर में हम

सुहाने। … सुहाने। … सुहाने से यह पल …… यह पल

जो तुम चलो साथ में…. ऐ हमसफर  )

परी उमैर पीछे सीट पर बैठे गाने के बोल दोहराते है ! हसन जी और नदिया जी उनको इस तरह खुश देख कर बहुत खुश होते है ! आसिफ मुँह बनाये खिड़की से बाहर का नज़ारा देख रहा होता है !

”अरे वाह इस गाने के बोल तो बहुत अच्छे है किसने लिखा है इसे?” हसन जी पूछा !

”अरे पापा यह गाना शमा खान का है , वो गाने के साथ साथ कहानियाँ , और ग़ज़लें भी लिखती है कभी आप को सुनाऊँगी !” परी ने कहा !

”हाँ बिलकुल बेटा। मुझे तो ग़ज़लें बहुत पसंद है !” हसन जी ने कहा !

( तनहा जो थी , अब वो तनहा नहीं होगा सफर 

 इस सफर में हम फिर ऐसे मिले ,

मिले हो जैसे पहले पहल

नयी सी दोस्ती

नयी सी चाहते

नयी सी इश्क़ बाज़ियाँ…

होंगी नए से सारे फ़िज़ा में रंग 

तू चल तो साथ में ……….ऐ हमसफ़र 

सुहाना है… होगा और भी तेरे संग सुहाना यह सफर

सुहाने। … सुहाने। … सुहाने से यह पल

इस पल में हम तुम मिले

तो फिर  हसीन है और भी…. यह पल

मिले जो दर्द तुम्हे बाँट लेंगे हम

इश्क़ जो है मेरा कभी वो होगा नहीं कम  

छोड़ ज़माने को

ज़माने ने दिए है बस गम

दौड़ अपनी मंज़िल की तरफ …… ऐ हमसफ़र 

सुहाने। … सुहाने। … सुहाने से यह पल

जो तुम चलो साथ में ऐ हमसफर……

ननना नाना नननना । …. ना नाना। ….  )

गाने की मदहोश धुन के साथ  गाड़ी धनबाद बाय पास रोड से होकर नैशनल हाईवे से होते हुए करीब एक घंटे में मैथन पहुँचती है !

उमैर मस्त मौला गाने को गुनगुनाते हुए गाड़ी से उतरता है ! पास में ही खड़ी कुछ लड़किया उमैर को प्यार से घूरने लगती है ! तभी परी गाड़ी से उतर कर उनके सामने उसका हाथ पकड़ कर खड़ी हो जाती है और उनको आँखे दिखाती है तो वो सब वहां से चली जाती है !

”यही खड़े रहना है या चलना भी है? उमैर चलो सामान उतारो और हाँ सीट के नीचे मेरा बैट बाल होगा वो याद से ले लेना। कहते हुए आसिफ कुछ सामान उठाए झील किनारे सब को लेकर चल देता है ! अचानक उमैर का सर चकराने लगता है मगर वो खुद को संभालता हुआ सब के पास पहुँचता है !

”उमैर यह तुम्हारे आँखों के नीचे डार्क सर्कल कैसे हो गये? कुछ देर पहले तक तो नहीं थे !” परी ने कहा !

”पता नहीं और अचानक मेरा सर भी घूम रहा है !” उमैर ने कहा !

”तुम थोड़ी देर बैठ जाओ शायद थकवट से डार्क सर्कल पड़ गए हो !” परी  ने कहा !

”आसिफ बास्केट से सेब निकाल कर खाते हुए शैतानी मुस्कराहट चेहरे पर सजाये उन्हें देखता है !

क्रमशः shah-umair-ki-pari-41

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Written By – Shama Khan

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है अब उनके अंदाज़ हर दम मोहब्बत वाले ,

ऐ खुदा अब बीच इनके कोई जुदाई ना आये !

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