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शाह उमैर की परी -1

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Shah Umair Ki Pari – 1

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शाह उमैर की परी -1
शहर धनबाद में :-
” परी ” अपने नाम की ही तरह खुबसूरत लम्बे बाल,गुलाबी होंठ, भूरी आँखे ,सुडौल सी दिखने वाली।
बाइश साल की परी , नादिया हसन खान और हसन खान टैक्सी ड्राइवर की एकलौती बेटी और ज़िन्दगी की उलझनों में उलझी हुए एक आम जिंदगी जीती हुई लड़की !
परी काला हिरा नाम से मशहूर शहर धनबाद ( जो कोयले की खानों के लिये मशहूर है । शहर धनबाद भारत में कोयला व खनन में सबसे अमीर शहर है ! झारखंड में स्थित धनबाद शहर को भारत की कोयला राजधानी के नाम से भी जाना जाता है ! ) में ही एक छोटी सी प्राइवेट कम्पनी में अकाउंट असिस्टेंट का काम करती है!


सुबह सुबह मकान मालिक, रफ़ीक़ चाचा के चिल्लाने की आवाज़ सुन कर परी की नींद खुलती है !
घर के बाहर निकलती है तो देखती है चाचा उसकी माँ पर किराये के लिए चिल्ला रहे है, परी बीच मे आकर कहती है-
” देखिए चाचा अभी मुझे सैलरी नहीं मिली है जैसे ही मिलेगी मैं आप को सब से पहले दे दुंगी। पिछले महीने पापा की तबीयत ज्यादा खराब हो गयी थी, आपसे कुछ छिपा तो नही है? बस इसलिए नहीं दे पाई किराया ।“


“हर महीने का यही हाल है तुम लोगों का, टाइम से पैसे दो वरना घर खाली कर के जाओ। मैं सिर्फ तुम्हारे पापा की वजह से ईतने दिन से चुप हूँ , बस दो दिन की मोहलत देता हूँ तुम्हे अब ।“ मकान मालिक गुस्से से कहता हुआ चला जाता है।
” पता नहीं अब क्या होगा? बेटा अगर यह हमें निकाल देगा तो हम कहा जाएंगे ? पहले मैं ठीक था तो टैक्सी चला कर, कुछ तो कमाता था और टाइम पर पैसों का इंतजाम भी हो ही जाता था मगर अब? मैं तो व्हील चेयर में दिन भर तुम सब पर बोझ बन बैठा हूँ, काश के एक्सीडेंट ना हुआ होता ?

हुआ था तो मैं काश बचता ही नहीं तो ठीक रहता। ” परी के पापा आँखे नम किये हुए कहते है जो एक्सीडेंट हो जाने की वजह से अपाहिज़ बन बैठे हैं। कमर में चोट लगने की वजह से दोनों पैर पैरालायसिस में चले गए हैं।
“अरे, आप कैसी बातें करते हो आप मेरे लिए बोझ नहीं हो पापा, आप तो मेरी जान हो मैं आप के लिए और मम्मी के लिए दिन रात एक कर दूंगी खुब महनत करुँगी और आप देखना एक दिन हमारा खुद का घर होगा ! ” परी अपने पापा के चेयर के पास घुटनो के बल बैठ कर उनके आँसु पोछते हुए कहती है।

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“मुझे माफ़ कर देना मेरा बच्ची मैं तेरे लिए कुछ नहीं कर पाया। चाह कर भी कुछ नही कर पा रहा हूँ।“ परी के पापा रोते हुए उसकी पेसानी चुमते हुए कहते है!
“अरे-अरे यह गलत बात है पापा आप को रोना नहीं है आप ने मुझे पढ़ा-लिखा कर इस क़ाबिल बनाया है कि मैं कमा सकूँ और मैं आप की बेटी दस बेटो के बराबर हूँ। मुझे कम समझ रहे हैं क्या आप?” ‘परी अपने पापा के आँसु पोछते हुए कहती है ।“
परी अपने पापा की व्हील चेयर पकड़ कर उनको घर के अंदर ले आती है !


“ मम्मी, आप पापा को गरमा गरम चाय पिलाओ मैं नहा कर रेडी होकर आती हूँ। इन चाचा के चक्कर में पहले ही लेट हो गई हूँ।“ कहते हुए परी अपने कमरे से टॉवेल लेकर गुसलखाने में नहाने चली जाती है !
“ फूल सी बच्ची हमारी, जिस उमर में इसके लिए रिश्ते देखने चाहिए थे यह हमारा ही बोझ उठा रही है। खुदा की नेमत है वरना आज कल के बच्चे…?” परी की मम्मी भरे हुए गले से भारी आवाज़ में कहती है !


“हाँ इन सब का जिम्मेदार मैं हूँ। मैं ने अगर अपने भाइ पर भरोसा नही किया होता? अपनी ज़िन्दगी की पाई पाई उस के पास जमा नहीं की होती तो आज अपना घर और परी की शादी दोनों ही काम मुमकिन हो पाते। पर मुझे क्या पता था कि वो धोखा देंगे मुझे और इस तरह से सारे पैसे हड़प जाएंगे। उनके धोखे ने मुझे अपाहिज पहले ही बना दिया था, इस एक्सीडेंट से बस पैरों ने काम करना बंद कर दिया है।“ परी के पापा उदास होकर,गमगीन होकर कहते है !


“अब आप चुप हो जाईये, परी नहा कर निकल गयी है सुन लेगी तो उसे दुःख होगा।“ परी की मम्मी ने चाय का कप पकड़ा कर कहा, तो उसके पापा जल्दी से अपने कुर्ते में अपने आँसु पोछ कर चाय पीने लगते है !
परी नहा कर रेडी होकर डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ जाती है और अपनी मम्मी को नाश्ते के लिए कहती है !
“वाह! आज आप ने आलू के पराठे बनाये है? मम्मी क्या बात है, अपने तो सारा मूड ही अच्छा कर दिया।“ परी दोनों हाथो को आपस में रगड़ते हुए गरम पराठे अपनी प्लेट में लेते हुए कहती है !


“वो थोड़े आलू बच गए थे तो बना दिए, तुम्हे पसन्द भी तो हैं इतने।!” परी की मम्मी चेयर खिसका कर बैठते हुए कहती है।
”पापा आपको टाइम से दवा लेनी है, ठीक है?” नाश्ता करने के बाद परी अपना ऑफिस बैग उठाती है और अपने पापा से अल्लाह हाफिज कहते हुए ऑफिस के लिए निकल जाती है !

दूसरी दुनियाँ ‘’ ज़ाफ़रान क़बीला ’’ : –
‘’शाह उमैर’’ एक जिन जादा जो दिखने में निहायत ही खुबसूरत नीली आँखे, सुर्ख पतले होंठ, चेहरे पे हलकी हलकी ढाढ़ी और जिस्म के उभार ऐसे के कोई भी देखे तो दिवाना हो जाये ! बिलकुल एक शहज़ादे की शख्सियत रखने वाला ! अपने क़बीले ज़ाफ़रान के सरदार के यहा, मुलाजिम शाह ज़ैद का एकलौता बेटा बाकी

दो छोटी बेटियाँ अमायरा और नफिशा का बड़ा भाई ! जो दिन रात अपने दादा शाह कौनैन के दिए हुए पुराने आईने में अपनी ज़िन्दगी की परी को तलाश करता रहता है !
“उफ्फ हो, उमैर भाईजान आप फिर इस आईने के सामने बैठे हो कुछ नहीं दिखेगा आप को ।” उमैर को आईने के सामने बैठा देख, अमायरा बिस्तर ठीक करते हुये कहती है !


“जरूर दिखेगी, वो एक दिन मेरे सामने जरूर आएगी मेरी बहन और फिर उसे मैं तेरी भाभी बना कर अपनी इस दुनियाँ में ले आऊंगा।“ उमैर अमायरा के कान खींचते हुए कहता है !
“जिन जादिया इंसानो से ज्यादा खुबसूरत होती है भाईजान और हमारे क़बीले में उनकी कोई कमी नहीं आप को तो कोई भी मिल जाएगी, आप बिलकुल शहजादे जैसे हो फिर आप इंसान के चक्कर में क्यों है ? ” अमाइरा उमैर के सामने आकर कहती है !


“तुम नहीं समझोगी अभी, जो आसानी से मिले उस चीज़ की क़दर नहीं होती अमायरा, मज़ा तो तब है जब जान की बाजी लग जाये अपनी मुहब्बत को पाने के लिए बस कोई ऐसी मिल जाये जिस पर सब क़ुर्बान करने को दिल करे !” उमैर आहे भरता हुआ दोनों हाथ बांधे खड़ा आईने की तरफ देखते हुए कहता है !
“भाईजान आप खुद क्यों नहीं इंसानो की दुनिया में जाकर उसे ढुढ़ते है? हम तो जिन है कही भी आ और जा सकते है।“ नफिशा कमरे के अंदर दाखिल होते हुए कहती है!


“तुझे पता है ना हम इंसानो की दुनियाँ में नहीं जा सकते, दादा अब्बु गए थे तो उनको सालो के लिए क़बीले से निकाल दिया गया था सजा के तौर पर और हमारे प्यारे अब्बा ने मुझे क़सम भी दे रखी है ।“ उमैर अपनी बहनो से संजीदगी के साथ कहता है।
“भला उनकी दुनियाँ में जाने से सजा हमें क्यों? हम आग से बने है और इंसान मिटटी से फिर दादा अब्बु को सजा क्यों मिली थी ?” नफिशा मासुमियत से बोलती है!


” यह एक लम्बी कहानी है कभी आराम से बताऊंगा।“ उमैर जवाब देता है।
“हमे इंसानो से इश्क़ करने की इजाजत नहीं है और सब का कहना है के आग और ख़ाक का कोई मिलन नहीं होता है ! मगर पता नहीं मुझे ऐसा लगता है कि मेरी हमसफ़र एक आदम ज़ाद ही बनेगी उसी को इस आईने में तलाश करता रहता हु खुदा जाने कब दिख जाये और मेरा इंतज़ार खतम होजाये ।“ उमैर अपने हाथो को सर के पीछे कर के लेटते हुए कहता है !


“कहा है वो खबीस? सारा दिन घर में आईने के सामने पड़ा रहता है, उसे कहा था कि महल में जाकर काम संभाले मेरे साथ, मगर नहीं !” उमैर के वालिद साहब शाह ज़ैद गुस्से से गरजते हुए उमैर के कमरे में दाखिल होते है !
उमैर अपने अब्बा को कमरे आते देख ही गायब हो जाता है !
“किधर गया वो ?” शाह ज़ैद अपनी बेटी अमायरा के तरफ देख कर पुछते है!


“जी अब्बा पता नहीं अभी तो यही थे।” अमायरा खाली पलंग की तरफ देखते हुए कहती है!
“अगर यह मेरे अब्बा की आखिरी निशानी ना होती, तो इस आईने को तोड़, दफ़ा करता इस घर से।“ शाह ज़ैद बोलते हुए कमरे से बाहर चले जाते है !
“क्या हुआ ? तुम इतना डरी हुई क्यों हो बहनो ?” उमैर वापिस अपनी जगह पर आ कर हँसते हुए कहता है !


“अब्बा के सामने से तो गायब हो जाते हो भाई, आप जाते क्यों नहीं महल ? ” अमायरा कहती है !
“वो क्या है ना कि, मैं एक शहज़ादा हूँ और शहजादे मुलाजमत नहीं करते ! ” उमैर बहनो के कन्धे पर हाथ रखते हुए कहता है!
‘’पता नहीं अब्बा क्यों चाहते है के मैं महल में काम करू जब के बदले में हमें कुछ नहीं मिलता खाना वगैरा की कोई कमी नहीं है हम जब चाहे कुछ भी हासिल कर सकते है मगर अजीब है

हमलोगों की दुनियाँ भी एक राजा होता है और हम सब उसके गुलाम बन कर रह जाते है !“ चलो अब मैं महल का मुआयना कर ही आता हूँ, वरना अब्बा बहुत नाराज़ हो जाएंगे ! उमैर कहता हुआ एक बार फिर गायब हो जाता है !
” भाईजान भी ना, चल कर नहीं जाएंगे गायब होकर जायेंगे ! ” कहते हुए अमाइरा आईने को चादर से ढक देती है और दोनों बहने अपने अपने कामो में लग जाती है !

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क्रमश – shah-umair-ki-pari-2

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Shama Khan

“हर महीने का यही हाल है तुम लोगों का, टाइम से पैसे दो वरना घर खाली कर के जाओ। मैं सिर्फ तुम्हारे पापा की वजह से ईतने दिन से चुप हूँ , बस दो दिन की मोहलत देता हूँ तुम्हे अब ।“ मकान मालिक गुस्से से कहता हुआ चला जाता है।
” पता नहीं अब क्या होगा? बेटा अगर यह हमें निकाल देगा तो हम कहा जाएंगे ? पहले मैं ठीक था तो टैक्सी चला कर, कुछ तो कमाता था और टाइम पर पैसों का इंतजाम भी हो ही जाता था मगर अब? मैं तो व्हील चेयर में दिन भर तुम सब पर बोझ बन बैठा हूँ, काश के एक्सीडेंट ना हुआ होता ?

“हर महीने का यही हाल है तुम लोगों का, टाइम से पैसे दो वरना घर खाली कर के जाओ। मैं सिर्फ तुम्हारे पापा की वजह से ईतने दिन से चुप हूँ , बस दो दिन की मोहलत देता हूँ तुम्हे अब ।“ मकान मालिक गुस्से से कहता हुआ चला जाता है।
” पता नहीं अब क्या होगा? बेटा अगर यह हमें निकाल देगा तो हम कहा जाएंगे ? पहले मैं ठीक था तो टैक्सी चला कर, कुछ तो कमाता था और टाइम पर पैसों का इंतजाम भी हो ही जाता था मगर अब? मैं तो व्हील चेयर में दिन भर तुम सब पर बोझ बन बैठा हूँ, काश के एक्सीडेंट ना हुआ होता ?

“हर महीने का यही हाल है तुम लोगों का, टाइम से पैसे दो वरना घर खाली कर के जाओ। मैं सिर्फ तुम्हारे पापा की वजह से ईतने दिन से चुप हूँ , बस दो दिन की मोहलत देता हूँ तुम्हे अब ।“ मकान मालिक गुस्से से कहता हुआ चला जाता है।
” पता नहीं अब क्या होगा? बेटा अगर यह हमें निकाल देगा तो हम कहा जाएंगे ? पहले मैं ठीक था तो टैक्सी चला कर, कुछ तो कमाता था और टाइम पर पैसों का इंतजाम भी हो ही जाता था मगर अब? मैं तो व्हील चेयर में दिन भर तुम सब पर बोझ बन बैठा हूँ, काश के एक्सीडेंट ना हुआ होता ?

“हर महीने का यही हाल है तुम लोगों का, टाइम से पैसे दो वरना घर खाली कर के जाओ। मैं सिर्फ तुम्हारे पापा की वजह से ईतने दिन से चुप हूँ , बस दो दिन की मोहलत देता हूँ तुम्हे अब ।“ मकान मालिक गुस्से से कहता हुआ चला जाता है।
” पता नहीं अब क्या होगा? बेटा अगर यह हमें निकाल देगा तो हम कहा जाएंगे ? पहले मैं ठीक था तो टैक्सी चला कर, कुछ तो कमाता था और टाइम पर पैसों का इंतजाम भी हो ही जाता था मगर अब? मैं तो व्हील चेयर में दिन भर तुम सब पर बोझ बन बैठा हूँ, काश के एक्सीडेंट ना हुआ होता ?

“हर महीने का यही हाल है तुम लोगों का, टाइम से पैसे दो वरना घर खाली कर के जाओ। मैं सिर्फ तुम्हारे पापा की वजह से ईतने दिन से चुप हूँ , बस दो दिन की मोहलत देता हूँ तुम्हे अब ।“ मकान मालिक गुस्से से कहता हुआ चला जाता है।
” पता नहीं अब क्या होगा? बेटा अगर यह हमें निकाल देगा तो हम कहा जाएंगे ? पहले मैं ठीक था तो टैक्सी चला कर, कुछ तो कमाता था और टाइम पर पैसों का इंतजाम भी हो ही जाता था मगर अब? मैं तो व्हील चेयर में दिन भर तुम सब पर बोझ बन बैठा हूँ, काश के एक्सीडेंट ना हुआ होता ?

“हर महीने का यही हाल है तुम लोगों का, टाइम से पैसे दो वरना घर खाली कर के जाओ। मैं सिर्फ तुम्हारे पापा की वजह से ईतने दिन से चुप हूँ , बस दो दिन की मोहलत देता हूँ तुम्हे अब ।“ मकान मालिक गुस्से से कहता हुआ चला जाता है।
” पता नहीं अब क्या होगा? बेटा अगर यह हमें निकाल देगा तो हम कहा जाएंगे ? पहले मैं ठीक था तो टैक्सी चला कर, कुछ तो कमाता था और टाइम पर पैसों का इंतजाम भी हो ही जाता था मगर अब? मैं तो व्हील चेयर में दिन भर तुम सब पर बोझ बन बैठा हूँ, काश के एक्सीडेंट ना हुआ होता ?

“हर महीने का यही हाल है तुम लोगों का, टाइम से पैसे दो वरना घर खाली कर के जाओ। मैं सिर्फ तुम्हारे पापा की वजह से ईतने दिन से चुप हूँ , बस दो दिन की मोहलत देता हूँ तुम्हे अब ।“ मकान मालिक गुस्से से कहता हुआ चला जाता है।
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