Sanjana Kirodiwal

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रांझणा – 61

Ranjhana – 61

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

Ranjhana – 61

शिवम् और सारिका को घर भेजकर मुरारी अपने कमरे की और बढ़ गया l उसका दिल गुदगुदा रहा था l मुरारी मन ही मन सोचने लगा,”दुल्हन के कपड़ो में सजी अनु सेज पर घूँघट निकाले बेसब्री से हमरा इंतजार कर रही होगी l जब हम उह का घूँघट उठाएंगे तो कैसे शर्माएंगी वो ? हमारे लिए हल्दी वाला दूध लाएगी !!” सोचकर ही मुरारी का मन ख़ुशी से भर रहा था l मुरारी जैसे ही दरवाजे के सामने आया उसका दिल जोर जोर से धड़कने लगा l

उसने दो चार बार लम्बी लम्बी साँस ली और दरवाजा खोलकर अंदर आया l अंदर आकर मुरारी ने देखा अनु वहा नहीं थी l मुरारी ने इधर उधर देखा पर कमरे में उसके अलावा कोई नहीं था l मुरारी को बड़ा अजीब लगा इस वक्त अनु कहा जा सकती है सोचकर उसने धीरे से कहा,”मेग्गी ओह्ह मेग्गी !” पर कोई जवाब नहीं आया ! मुरारी वही हैरानी से खड़ा रहा तभी उसने देखा बाथरूम का दरवाजा खुला है मुरारी की नजर जब दरवाजे पर पड़ी तो बस खुली की खुली रह गयी l सामने अनु खड़ी थी l

उसने लाल रंग की घुटनो से कुछ ऊपर तक नाइटी पहनी हुई थी जिसमे उसका फिगर काफी खूबसूरत नजर आ रहा था l सिंगार के नाम पर सिर्फ गले में मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर था l मुरारी की आँखे तो जैसे अनु पर जम ही गयी l उसने कभी सोचा भी नहीं था की ऐसा कुछ भी होगा उसका दिल अब तो पहले से भी ज्यादा धड़क रहा था l अनु मटकते हुए चलकर मुरारी के पास आयी और कहा,”क्या बात है मिश्रा जी ? आपकी नजरे नहीं हट रही मुझसे


“का बवाल लग रही हो यार तुम ? हम तो सोचे रहे की आकर तुमरा घूंघट उठाएंगे पर तुमने तो धड़कने ही रोक दी हमारी”,मुरारी ने बदहवासी से कहा l अनु हसने लगी और कहा,”ये घूंघट उठाना न ओल्ड फैशन है , घूंघट की ही तो बात है न एक मिनिट रुको” अनु ने मुरारी के गले से गमछा निकाला और उसके सर पर ओढ़ाते हुए घूँघट बनाकर कहा,”ये लो हम उठा देते है घूंघट !” अनु ने घूँघट उठाकर मुरारी को देखा और आँख मार दी ! मुरारी ने मन ही मन कहा,”सत्यानाश ! इह कैसी बीवी मिली है हमको ? उलटी गंगा बहाय रही है”


“अरे क्या हो गया क्या सोचने लगे ? अच्छा अच्छा तुम हल्दी वाले दूध के बारे में सोच रहे हो ! उसका इंतजाम भी किया है मैंने”,कहते हुए अनु ने मुरारी का हाथ पकड़ा और उसे बेड के पास ले गयी l मुरारी को बैठाकर अनु टेबल की और चली गयी मुरारी मन ही मन खुश हुआ और कहा,”चलो इह रस्म तो याद है उह को ! कुछ देर बाद अनु आयी उसके हाथ में दो कांच के ग्लास थे जिसमे शराब थी उसने एक ग्लास मुरारी की और बढाकर कहा,”ये लो !”

मुरारी अवाक् था दूध की जगह अनु उसे शराब का ग्लास थमा रही थी l मुरारी के पास बैठी अनु एक साँस में ही सारी शराब गटक गयी और मुरारी मुंह फाडे बस उसे देख रहा था l अनु ने मुरारी को देखा तो कहा,”अरे पीओ पीओ बहुत अच्छी है !”
“पहिले इह बताओ इह तुमको मिली कहा से ?”,मुरारी ने अनु ने से पूछा !
“चाचा के कमरे से , उन्होंने ही कहा जरूरत है तो ले जाओ”,अनु ने मासूमियत से कहा


“इह साला चाचा भी सठियाय गया है !”,मुरारी ने मन ही मन चाचा को कोसते हुए कहा
“अरे पीओ ना !”,अनु ने मुरारी को झंझोड़कर कहा मुरारी ने अनु की और देखा और एक साँस में ही सारी शराब पि गया ! उसने ग्लास साइड में रखा और सामने की और देखते हुए कहा,”दुनिया के पहले मर्द है जो अपनी सुहागरात पर दूध की जगह शराब पि रहे है !” मुरारी ने कहकर जैसे ही साइड में देखा अनु नरारद थी मुरारी ने कमरे में नजर घुमाई तो पाया अनु खिड़की के पास खड़ी बाहर गर्दन निकालकर खड़ी है l

मुरारी उसके पास आया अनु के उड़ते हुए बाल बार बार उसके चेहरे पर आ रहे थे मुरारी ने अपने हाथ से हटा दिया तो अनु ने कहा,”देखो ना मिशरू कितना अच्छा मौसम है ! “
“मिश्ररु ? मिश्रा जी से सीधा मिशरू !! लगता है तुमको चढ़ गयी है”,मुरारी ने थोड़ा नाराज होकर कहा
“मुझे नहीं चढ़ी है तुमको चढ़ गयी है मिश्रा !”,अनु ने मुरारी को ऊँगली दिखाकर कहा l मुरारी ने अनु को अपनी और खींचा और खिड़की बंद करके कहा,”मौसम ख़राब है बारिश आने वाली है”

अनु बड़े प्यार से मुरारी का चेहरा देखे जा रही थी और जैसे ही जाने को हुई उसका पांव फिसला और मुरारी को साथ लेकर निचे आ गिरी l मुरारी तो बस उसकी आँखों में देखता ही रह गया l मुरारी जब उसे देख रहा था तो अनु ने धीरे से कहा,”मुरारी , तुम मेरा फायदा तो नहीं उठाओगे ना !”
अनु की बात पर मुरारी को हंसी आ गयी वह उठकर बैठ गया और मुस्कुराते हुए सोचने लगा,”इसके साथ जिंदगी बहुत बवाल होने वाली है हमारी l ”

अनु भी उठकर मुरारी के पास बैठ गयी और कमरे को देखकर कहा,”हम दोनों यहाँ क्या कर रहे है ?”
“कुछ नहीं हमारा कमरा है ये ! शादी हो गयी ना हमारी तो अब साथ ही रहना होगा”,मुरारी ने कहा
“मेरी दोस्त ने कहा था की एक लड़का लड़की कमरे में रुके न तो गड़बड़ हो जाती है”,अनु ने अपनी बड़ी बड़ी आँखों से मुरारी की और देखकर कहा l मुरारी ने अनु की और देखा उसकी बड़ी बड़ी आँखे मुरारी को अपनी और खींचती चली जा रही थी।

उसे अपनी और देखता पाकर अनु ने कहा,”तुम क्यों मुझे ऐसे देख रहे हो ? कही तुम भी तो कुछ गड़बड़ करने वाले नहीं हो ना !” मुरारी अनु के इस अजीब सवाल पर खांसने लगा और कहा,”चलो चलकर सो जाते है !” अनु मुरारी का हाथ पकड़कर उठी और आकर बेड पर बैठ गयी ! मुरारी जानता था अनु को चढ़ चुकी है ऐसे में वह अनु की भावनाओ को हर्ट करना नहीं चाहता था !

अनु से कुछ दूरी बनाकर वह भी लेट गया ! उसका दिल अभी भी सामान्य से तेज ही था ! अनु उसके पास आयी और बैठ गयी मुरारी भी उठकर बैठ गया और कहा,”अब का हुआ ?”
“मुझे नींद नहीं आ रही है !”,अनु ने मासूम सा मुंह बनाकर कहा तो मुरारी ने अपनी पीठ दिवार से लगा ली और अनु को अपने पास आने का इशारा किया ! अनु के सर अपने सीने पर रखा और उसका सर थपकाने लगा अनु मुरारी से लिपट गयी और आँखे बंद कर ली l

मुरारी अपने अरमानो को दिल में दबाये अनु का सर सहलाता रहा l अभी कुछ ही वक्त गुजरा था की अनु अचानक से उठकर बैठ गयी और मुरारी से कहा,”हमारी शादी कब हुई ?” मुरारी ने उसको देखा और कहा,”आज शाम को , पर तुमने पी रखी है ना तो तुम्हे याद् नहीं” ! अनु ने कुछ सोचा और कहा,”तो फिर तुम सुहागरात क्यों नहीं मना रहे ?”

अनु के इस सवाल से मुरारी मन ही मन चाचा को कोसकर कहने लगा,”अरे उह है ना विधायक उसी का किया धरा है इह सब , ना वो तुमको दारू ले जाने को कहता ना ही तुम इह सब बकवास करती !” मुरारी को चुप देखकर अनु ने कहा,”इतनी खूबसूरत , हॉट लड़की तुम्हारे सामने है और तुम साइड में देख रहे हो ! तुम मर्द ही हो ना ?”
अनु के इस सवाल से मुरारी झेंप गया और कहा,”का मतलब है तुमरा , हम मर्द नहीं है !!”


“मुझे क्या पता खुद चेक करो !”,अनु ने पलके झपकाते हुए कहा ! अनु को ऐसे सवाल करते देखकर मुरारी थोड़ा उसके करीब आया और उसका चेहरा अपने हाथो में लेकर अपने होंठो के करीब लाकर कहा,”अगर हम अपनी वाली पे आये ना तो शरमा जाओगी तुम !” अनु और मुरारी के होंठो में बस कुछ ही फांसला था ! दोनों की सांसे एक दूसरे से टकरा कर माहौल को और खुशनुमा बना रही ! तभी बाहर बिजली के कड़कने की आवाज आई और अनु मुरारी के सीने से जा लगी ! मुरारी ने मुस्कुरा कर उसे अपनी बांहो में समेट लिया !!

शिवम् और सारिका घर पहुंचे जैसे ही शिवम् ने घर का दरवाजा खोला हैरान रह गया l पूरा घर रौशनी की लड़ियो से सजा हुआ था ! जगह जगह रोशनदान , फूल , और सजावटी सामान था ! सारिका अंदर आयी तो उसे भी बड़ी हैरानी हुयी के ये सब आखिर किसने किया होगा ? दोनों हैरानी से एक दूसरे की और देख रहे थे ! आई बाबा भी वहा नजर नहीं आ रहे थे ! सारिका को लेकर शिवम् अंदर आया कुछ ही कदम बढ़ाये की फर्श पर लिखा था – सामने वाले पेड़ के निचे आये !”


शिवम् और सारिका सामने आँगन में लगे पेड़ के निचे आये जो की रौशनी की लड़ियो से जगमगा रहा था ! सारिका ने देखा पेड़ पर एक धागे जैसा कुछ था जिसके साथ एक पर्ची लगी हुई थी – खींचिए ! सारिका ने शिवम् से उस और इशारा किया तो शिवम् ने उस धागे को खींचा ! धागा खींचते ही रंग बिरंगे खुशबूदार फूल उन दोनों पर आकर गिरने लगे ! सारिका ने तो ख़ुशी से अपने हाथ फैला दिए ! सारिका को खुश देखकर शिवम् को बहुत अच्छा लग रहा था पर ये सब किसने किया ये राज अभी राज ही था !

आकाश में बिजली कड़की तो सारिका शिवम् के पास आ गयी ! शिवम् का हाथ उसकी कमर पर था और आँखे सारिका की आँखों में खुद को तलाश रही थी ! दोनों एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे तभी बारिश की बुँदे उन दोनों के चेहरे पर आकर गिरी ! सारिका और शिवम् बारिश से बचने के लिए बरामदे में आ गए ! बारिश तेजी से बरसने लगी ! मौसम काफी खुशनुमा था शिवम् और सारिका बारीश की बूंदो को निहार रहे है !

तभी शिवम की नजर टेबल पर रखे एक कागज पर गयी शिवम् ने वह कागज उठाया उस पर लिखा था – शादी मुबारक हो ! अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करने जा रहे हो इसलिए इह छोटा सा सरप्राइज तुमरे लिए !! बोर्ड के ऊपर एक्को लाल बटन है , भाभी से फुर्सत मिल जाए तो उह दबा दीजियेगा !!”
कागज पढ़कर शिवमं मुस्कुराने लगा ये सब इंतजाम मुरारी ने किया था शिवम् ने कागज जेब में रख लिया और बोर्ड की और बढ़ा !

सारिका बारिश की बूंदो को अपनी हथेलियों में समेट रही थी ! शिवम् ने बोर्ड पर लगे बटन को जैसे ही दबाया एक धुन बजने लगी ! शिवम् को ये सब बहुत रोमांचक लग रहा था जैसे ही वह पलटा उसकी नजरे सारिका पर पड़ी वह आँगन में बारिश में भीग रही थी उसने आँखे बंद कर रखी थी और हाथो को फैलाया हुआ था ! अपना चेहरा आसमान की और उठाकर वह उन्हें अपने चेहरे पर महसूस कर रही थी !

शिवम् ने देखा तो उसका दिल धड़क उठा ! अब तक उसने सारिका को देखकर अपने कदम हमेशा पीछे हटाए थे पर आज वह खुद को रोक नहीं पाया और उसके कदम खुद ब खुद सारिका की और बढ़ गए !! धुन के साथ साथ ही एक गाना बजने लगा जिसने शिवम् की भावनाओ को और बढ़ा दिया !
ये साजिश है बूंदो की , कोई ख्वाहिश है चुप चुप सी !!
ये साजिश है बूंदो की , कोई ख्वाहिश है चुप चुप सी !!


देखो ना , देखो ना , देखो ना , देखो ना
हवा कुछ हौले हौले , जुबा से क्या कुछ बोले
क्यों दूरी है अब दरमियान !!
देखो ना देखो ना , देखो ना , देखो ना ,
शिवम् सारिका के पास आया ! सारिका ने जब देखा शिवम् सामने खड़ा उसे प्यार से देख रहा है तो वह शरमा कर वहा से जाने लगी ! उसी पल हवा का एक तेज झोंका आया और सारिका का पल्लू उड़कर शिवम् के हाथ में आ गया !

सारिका शिवम् की और पीठ किये हुए खड़ी थी और शिवम् उसके पीछे कुछ ही दूरी पर उसका पल्लू पकडे खड़ा था ! गाने की हर एक लाइन सुनकर ऐसा लगता जैसे वह इन दोनों के लिए ही बनी थी ! सारिका का दिल तेजी से धड़क रहा था और चेहरे से होकर बारिश का पानी होंठो से होता हुआ गर्दन को भीगा रहा था ! जैसे ही गाना बजा शिवम् उसके पल्लू को समेटता हुआ उसकी और बढ़ा !


“फिर ना हवाएं होंगी इतनी बेशर्म ! फिर ना डगमग डगमग होंगे ये कदम
फिर ना हवाएं होंगी इतनी बेशर्म ! फिर ना डगमग डगमग होंगे ये कदम
हो सावन ये सीधा नहीं खुफिया बड़ा
कुछ तो बरसते हुए कह रहा !!
समझो ना , समझो ना , समझो ना , समझो ना
हवा कुछ हौले हौले , जुबा से क्या कुछ बोले


क्यों दूरी है अब दरमियान !!
देखो ना देखो ना , देखो ना , देखो ना ,”
शिवम् सारिका के पीछे आया और अपने होंठो को उसके कंधे से छू लिया ! एक सिहरन जो सारिका महसूस कर रही थी बारिश के पानी से भी ज्यादा ठंडी थी ! उसने अपनी आँखे मूंद ली ! कंधे से होकर जब शिवम् के होंठ सारिका की गर्दन पर आये तो वह शिवम् की और पलट गयी और उसके होंठो पर अपनी ऊँगली रख दी !

शिवम् ने मदहोशी में उसका हाथ थाम लिया और उसे अपनी और खींचा ! जैसे ही उसने अपने होठ सारिका के होंठो की तरफ बढ़ाये सारिका ने शिवम् को पीछे की और धक्का मारकर वहा से भाग गयी ! शिवम् भी उसके पीछे पीछे आने लगा ! आँगन से होते हुए सारिका बरामदे में आयी ! खिलखिलाते मुस्कुराते हुए वह आगे बढ़ती जा रही थी और शिवम् उसके पीछे !! शिवम् ने सारिका का हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और सामने आकर सारिका की पीठ दिवार से लगाकर कहा,”अब कहा जाएँगी आप ?”


शिवम् की आवाज में आज एक कशिश थी जो सारिका का दिल धड़काने के लिए काफी थी ! सारिका शिवम् की आँखों में देखती रही और शिवम् सारिका के होंठो को जिनपर बारिश का पानी अभी भी ठहरा हुआ था ! शिवम् से जब रहा नहीं गया तो उसने एक बार फिर अपने होंठ सारिका के होंठो की तरफ बढ़ा दिए लेकिन वह उन्हें छू पाता इस से पहले ही लाइट चली गयी ! सारिका दबी सी हंसी हंसने लगी ! शिवम् ने सारिका को छोड़ा और कहा,”हम कुछ इंतजाम करते है !” सारिका को वही छोड़कर शिवम् अंदर गया !

जैसे की उसे अपने पुरे घर के बारे में पता था इसलिए उसे मोमबत्ती और माचिस ढूंढने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई ! शिवम् कुछ मोमबतिया और माचिस लेकर आया और एक एक करके जलाने लगा ! लेकिन हवा की वजह से मोमबतिया जल ही नहीं रही थी ! “अंदर चलते है!”,सारिका ने कांपते होंठो से कहा !
शिवम् सारिका को लेकर अंदर वाले आंगन में आ गया उसने एक एक कर मोमबत्ती जलानी शुरू की ! सारिका भी उसकी मदद कर रही थी ! घर में एक ख़ामोशी फैली हुई थी !

शिवम् ने सारिका की और देखा जलती हुई लौ की रौशनी में उसका चेहरा और भी खूबसूरत लग रहा था ! ख़ामोशी को तोड़ने के लिए शिवम् ने सारिका से कहा,”सरु तुम कुछ सुनाओ ना !” शिवम् ने कहा तो सारिका उसकी तरफ देखने लगी ! सारिका को कुछ देर पहले बज रहा गाना याद था तो उसने मोमबत्ती जलाते हुए उसी की लाईनो को गुनगुनाना शुरू कर दिया
“जुगनू जैसी चाहत देखो , जल बुझे
मीठी सी मुश्किल है कोई क्या करे ?


जुगनू जैसी चाहत देखो , जल बुझे
मीठी सी मुश्किल है कोई क्या करे ?
शिवम् सारिका के पास आया और उसे बांहो में भरकर गाते हुए अपने दिल का हाल कहा,”ओह्ह होंठो की अर्जी ऐसे ठुकराओ ना , सांसो की मर्जी को झुठलाओ ना ! “
“छू लो ना , छू लो ना , छू लो ना।, छू लो ना “,आगे की लाईने सारिका ने पूरी की और शिवम् को सहमति दे दी !

शिवम् ने आँखे मूंद ली और अपने होंठ सारिका के गाल से छू लिए , फिर पलकों को , फिर होंठो को , फिर गर्दन और गर्दन से फिसलकर होंठ कंधो पर आ गए ! सिहरन जब सही नहीं गयी तो सारिका शिवम् के गले आ लगी ! मोमबत्तियों के जलते प्रकाश में दोनों एक दूसरे से गले लगे रहे ! शिवम् ने सारिका को गोद में उठाया और अपने कमरे की और बढ़ गया ! फूलो से सजी सेज पर उसने सारिका को लेते दिया और खुद उसकी बगल में लेट गया !

दोनों के दिल एक ही लय में धड़क रहे थे ! शिवम् सारिका के करीब आया तो सारिका की नजर खिड़की पर गयी जहा से चाँद झांकते हुए उन्हें देख रहा था ! शरमा कर सारिका ने खिड़की के परदे की डोरी खिंच दी और पर्दा निचे आ गिरा ! शिवम् ने सारिका को अपनी बांहो में भर लिया और सारिका भी उसमे समा गयी ! वैसे ही जैसे घाट के पानी में समा जाया करती थी कोई नदी !!

मुरारी को अनु मिल चुकी थी और शिवम् को उसकी सारिका ! दिन हंसी ख़ुशी गुजर रहे थे अब कोई दुःख नहीं था ! सारिका जैसी समझदार और प्यारी लड़की पाकर बाबा और आई बहुत खुश थे ! वही मुरारी के साथ चाचा और चाची अनु की शरारतो को प्यार से झेल लेते पर धीरे धीरे मुरारी ने उसे अपने जैसा बना ही लिया ! शिवम् चाहता था सारिका अपना काम फिर शुरू करे लेकिन सारिका ने साफ मना कर दिया वह अब अपना सारा वक्त शिवम् के साथ बिताना चाहती थी बनारस में !

सारिका और शिवम् का रिश्ता जितना सुलझा हुआ था अनु और मुरारी उतना ही झगड़ते पर प्यार दोनों में तब भी था !! शिवम् अपने गोदाम में व्यस्त रहने लगा ! धीरे धीरे करके उसने अपने काम को बनारस के बाहर भी फैला लिया ! अच्छी कमाई से उन्होंने नया घर बनवाया , बाबा की दुकान भी अब पहले से काफी अच्छी बन गयी ! उधर मुरारी चाचा के बार बार कहने पर पहली बार इलेक्शन में खड़े होने जा रहा था !

मुरारी बनारस के इलेक्शन में खड़ा हुआ और भारी वोटो से जीत भी गया ! चाचा ने अपना सारा भार मुरारी के कंधो पर डाल दिया ! मुरारी भी पूरी ईमानदारी से अपना काम करने लगा ! अनु ज्यादा कुछ नहीं करती बस मुरारी के नाम से सबके सामने धौंस जमाती की ,”हमरे उह विधायक है !!” मुरारी के साथ रहकर उसने पूरी बनारस वाली भाषा सिख ली ! पड़ोस की औरते भी उस से डरती थी इसलिए अनु से ज्यादा कुछ कहती नहीं ! अनु और चाची दोनों मिलकर या तो शॉपिंग करती या फिर टीवी सीरियल देखती !

सारिका घर पर रहकर आई बाबा का ख्याल रखती थी पर कुछ दिनों से वह अपने लेपटॉप और फोन में बिजी रहती थी ! शिवम् के लिए भी उसके पास वक्त नहीं होता था और फिर एक साल बाद एक दिन ऐसा हुआ की शिवम् सारिका पर गुस्सा हो गया ! शिवम् काफी देर से सारिका को आवाज लगा रहा था पर वह फोन पर किसी से बात करने में व्यस्त थी इसलिए शिवम् को जवाब नहीं दे पायी ! जब राधिका ने आकर बताया तो सारिका ने फोन रखा और जल्दी से आयी पर शिवम् जा चुका था !

शिवम् सारिका से बहुत नाराज था , सारिका का उसको यु वक्त ना देना उसे खल रहा था ! पिछले एक महीने से सारिका ने उस से ठीक से बात भी नहीं की थी शायद ! शाम को जब शिवम् घर आया तो उसने सारिका से कोई बात नहीं की खाना खाकर सीधा बस अपने कमरे में चला आया ! देर रात सारिका कमरे में आयी ! शिवम् ने देखा तो सारिका की और पीठ करके लेट गया !!

सारिका ने शिवम् के कंधे पर हाथ रखा तो शिवम् ने उसका हाथ झटक दिया और कहा,”जब आपको सबसे फुर्सत मिल जाये , तब आ जाईयेगा !’ सारिका मुस्कुरा उठी और अपनी जगह लेट गयी शिवम् का गुस्सा भी उसे अच्छा लग रहा था ! शादी के बाद शिवम् ने कभी उस से किसी बात के लिए नाराजगी नहीं जताई ! सारिका ने शिवम् की और देखा और मन ही मन कहा,”कल सुबह के बाद आपको हमसे कोई शिकायत नहीं होगी !!”


अगली सुबह सारिका सबको बिना बताये बनारस में बनी एक जगह लेकर गयी ! आई , बाबा , राधिका , अनु , मुरारी और शिवम् सभी साथ में थे ! नाराजगी की वजह से शिवम् ने पहले आने से इंकार कर दिया तो सारिका को मजबूरन अपनी कसम देनी पड़ी और आखरिकार शिवम् को साथ आना पड़ा ! गाड़ी जैसे ही रुकी सभी निचे उतरे सारिका ने सबको लेकर एक बड़े से गेट के बाहर आयी ! उसे देखते ही गार्ड ने दरवाजा खोल दिया सामने एक दो मंजिला इमारत थी जिस के पहले मंजिल पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था -“कावेरी ओल्डएज होम”


सब हैरानी से उसे देख रहे थे और समझने की कोशिश कर रहे थे पर शिवम् देखते ही समझ गया और सारिका की और देखा ! सारिका मुस्कुराई और धीरे से शिवम् से कहा,”आपका सपना !” शिवम् की आँखों में आंसू आ गए उसे अब समझ आया की रात रात भर जागकर सारिका क्या किया करती थी ! उसने सारिका को गलत समझा लेकिन सारिका ने जो किया वो भी शिवम् को सही नहीं लगा उसने सारिका का हाथ पकड़ा और उसे साइड में लेकर आया !


“सरु ये हमारा सपना था ना , आपने अपना पैसा इस पर क्यों लगाया ?”,शिवम् ने बेचैनी से कहा
“अगर हम कहते तो आप हमारे पैसे कभी नहीं लेते इसलिए छुपकर ये सब करना पड़ा और केवल आप ही उनके बेटे नहीं है हम भी उनकी बहु है हमारा भी हक़ बनता है उनके सपने पुरे करने का !”,सारिका ने थोड़ा बिगड़कर कहा ! शिवम् ने उसे खींचकर अपने गले लगा लिया और कहा,”आप नहीं जानती सरु आपने क्या किया है ? ये सब कैसे चुका पाऊंगा मैं ?”


“हमारे प्यार को अहसानो का नाम मत दीजिये ! आपके सपने हमारी आँखों में पलते है , रही बात ये सब चुकाने की तो चिंता मत कीजिये आगे चलकर बहुत जेब काटने वाले है हम आपकी !”,सारिका ने प्यार से शिवम् के शर्ट का बटन लगाते हुए कहा ! शिवम् ने सारिका का सर चूमते हुए कहा,”हमे माफ़ कर दीजिये हमने आप पर गुस्सा किया
सारिका मुस्कुराई और कहा,”कभी कभी गुस्सा अच्छा लगता है आप पर ! अब चलिए आई बाबा को इस तोहफे के बारे में बताते है”


शिवम् और सारिका उन लोगो के पास आये ! जब शिवम् ने बताया तो बाबा की आँखों में नमी आ गयी उन्होंने सारिका से कहा,”बेटे अपने पिता के सपने पुरे करते है ये सच है पर आज एक बहु ने वो सपना सच किया ! मुझे आप पर गर्व है बेटा !! सारिका ने शिवम् के साथ आई और बाबा के पैर छुए ! दोनों ने आशीर्वादों की झड़ी लगा दी ! सारिका ने बाबा को याद दिलाया की आज उनकी शादी की 30 वी वर्षगांठ है !


“बाबा इस बात पर तो जश्न होना चाहिए , ये तो ख़ुशख़बरी है “,मुरारी ने कहा !
सभी हंसी ख़ुशी बाते कर ही रहे थे की तभी सारिका ने अपने मुंह पर हाथ रखा और दूर जाकर उल्टी करने लगी शिवम् ने सारिका को सम्हाला तो सारिका मुस्कुरा उठी ! शिवम् ने इशारे से पूछा तो सारिका ने धीरे से उसके पास आकर उसके कान में कहा,”आप पापा बनने वाले है !” शिवम् ने जैसे ही सूना ख़ुशी से उछल पड़ा ! उसने सारिका को गोद में उठा लिया और झूमने लगा !

शिवम् ने सबके बिच आकर सबको जब ये खबर सुनाई तो सभी खुश हो गए ! मुरारी ने शिवम् को मुबारकबाद दी और कहा,”भैया इह तो दूसरी खुशखबरी हो गयी मतलब डबल जश्न मनेगा !”
” डबल नहीं ट्रिपल !!”,इस बार अनु ने कहा तो सबकी नजरे उस और घूम गयी ! सब अनु को देखने लगे तो अनु ने कहा,”अरे ऐसे काहे घूर रहे हो सब , आने वाले को कौन रोक सकता है”


अनु ने इतनी मासूमियत से कहा की सब हसने लगे ! सभी घर लौट आये ! ओल्डएज होम शुरू हो गया बाबा उसकी देख रेख करते थे ! सारिका का अकेले मन नहीं लगता था इसलिए वह भी बाबा के साथ ओल्डएज होम आने लगी ! शिवम् और मुरारी दोनों बहनो की देखभाल करने लगे ! अधिराज जी और अम्बिका को जब ये ख़ुशख़बरी मिली तो वे ढेर सारे तोहफों के साथ बनारस आये और एक हफ्ते वही रहे !

वक्त बिता बनारस के हॉस्पिटल में सारिका और अनु ने बच्चो को जन्म दिया ! दोनों को ही लड़के हुए थे अनु को पहले और सारिका को 25 मिनिट बाद !! सभी घर आ गए ! सभी रश्मो के बाद बच्चो के नाम रखे गए ! सारिका के बेटे का नाम “वंश” रखा गया और जब अनु के बेटे की बारी आयी तो मुरारी ने कहा की बेटे का नाम वो रखेगा ! काफी सोचने के बाद मुरारी ने उसका नाम “मुन्ना” रखा ! अनु को पसंद नहीं आया तो उसने बदलकर मानवेन्द्र कर दिया !! पर बाद में सब उसे मुन्ना ही बुलाने लगे !


वक्त गुजरा राधिका जिस लड़के को पसंद करती थी वह नौकरी लगने के बाद अपने माँ पापा के साथ रिश्ता लेकर आया ! ख़ुशी ख़ुशी सबने रिश्ता स्वीकार कर लिया लेकिन बाबा को थोड़ी झिझक थी वे राधिका की शादी अपने दोस्त के बेटे से करना चाहते थे ! पर बनारस में प्रेम विवाह का ऐसा दौर चला की उनकी ये इच्छा मन में ही रह गयी ! बच्चो का दिल दुखाकर वे कोई काम करना नहीं चाहते थे !

राधिका की शादी हो गयी और वह ख़ुशी ख़ुशी बाबा के घर से विदा हो गयी !! दो साल बाद सारिका एक बार फिर माँ बनने वाली थी ! एक शाम शिवम् ने सारिका के पेट पर हाथ घुमाते हुए कहा,”सरु इस बार हमे बेटी चाहिए , बिल्कुल आपके जैसी ! उसमे फिर हम आपका बचपन देखना चाहते है !”


“अच्छा और क्या नाम रखेंगे फिर उसका ?”,सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा !
“कुछ ऐसा जो आप पर खत्म हो और हमसे शुरू ! जो हमारे प्यार से जुड़ा हो इस बनारस से जुड़ा हो”,शिवम् ने सारिका के पेट को चूमकर कहा !

सारिका ने एक बहुत ही प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया जिसकी आँखे बिल्कुल शिवम जैसी थी ! शिवम् ने उसे अपनी गोद में उठाया और उसकी आँखे देखकर कहा,”आज से इसका नाम है ‘काशी’ (सारिका – का , सारिका पर ख़त्म !! शिवम् – शि , शिवम् से शुरू) शिवम् ने जैसे ही कहा सारिका उसकी और देखकर मुस्कुरा दी !!
8 साल बाद बनारस के अस्सी घाट पर शिवम् और मुरारी अपने पुरे परिवार के साथ मौजूद थे !

काशी के 8वे जन्मदिन पर शिवम् ने उसके लिए घाट पर पूजा रखवाई थी ! सभी वहा मौजूद थे बस काशी न जाने कहा थी ! सारिका ने इधर उधर देखा तो सामने से अपने नन्हे नन्हे पेरो से चलकर काशी आ रही थी ! जैसे ही वह सबके पास आयी बाबा ने उसे गोद में उठाकर कहा,”हमारी काशी बिटिया कहा गयी थी ?
“दादाजी हम वहा नंदी भगवान से प्रार्थना करने गए थे !”,काशी ने अपनी प्यारी सी आवाज में कहा !!


“अच्छा क्या माँगा हमारी काशी ने फिर नंदी भगवान से ?”,बाबा ने कहा
कशी बाबा की गोद से निचे उतरी और शिवम् के पास जाकर कहा,”यही की वो हमे पापा जितना प्यार करने वाला पति दे !”
काशी की बात सुनकर सभी हसने लगे बाबा काशी के पास आये और घुटनो पर बैठकर कहा,”हमारी काशी बिटिया के लिए तो हम ढूंढेंगे कोई राजकुमार !”
“नहीं दादाजी हम भी भुआ की तरह खुद ढूंढ लेंगे !”,काशी ने कहा !


“बिल्कुल नहीं , आपके लिए तो हम ही ढूंढेगे हमारी पसंद से !”,बाबा ने आदेशात्मक लहजे में कहा तो काशी सहम कर पीछे हट गयी और फिर बाबा की और देखकर मुस्कुराकर कहा
“ये बनारस है दादाजी , यहाँ की हवा में भी इश्क़ बहता है !! आप हमे तो रोक लोगे पर इस हवा को कैसे रोकोगे ?”
काशी की बात सुनकर बाबा निरुत्तर हो गए ! शिवम् और सारिका ने सूना तो एक दूसरे की और देखने लगे !

अपनी बेटी के शब्दों में उन्हें इश्क़ की गूंज सुनाई दे रही थी वो ही इश्क़ जो सालो पहले बनारस की हवा में घुला था ! दोनों एक दूसरे की आँखों में देखते हुए मुस्कुरा दिए !!

The End

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Sanjana Kirodiwal

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