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रांझणा – 16

Ranjhana – 16

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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Ranjhana – 16

एक बड़े भौकाल के बाद आखिरकार सजना की शादी हो ही गयी l डांस के बाद त्रिपाठी जी शिवम के पास आये और हाथ जोड़ते हुए कहा,”बहुत बहुत शुक्रिया बेटा आज अगर तुम ना होते तो हम किसी को मुंह दिखाने लायक नही रहते , तुमने हमारी बहुत मदद की है”
“अरे ये आप क्या कर रहे हैं , हमने जो कुछ किया बस सजना के लिए किया , आप हमें शर्मिंदा ना करे”,शिवम ने उनके हाथो को अपने हाथों में लेकर कहा l


तब तक मुरारी ओर बाकी सब भी वहां आ गए सारिका को देखकर त्रिपाठी जी उसकि ओर पलटे ओर कहा,”किन शब्दो मे आपका शुक्रिया अदा करे समझ नही पा रहे हैं l आज आप सब लोगो ने जो किया उसके लिए हम हमेशा अहसानमंद रहेंगे “
“हमने आप पर कोई अहसान नही किया है सर , आप हमारी पिता की उम्र के है और एक पिता का सर हम कैसे झुकने दे सकते है आखिर हम भी तो एक बेटी है”,सारिका ने सहजता से कहा


“बहुत खुशनसीब है वो पिता जिसे आप जैसी बेटी मिली है”,त्रिपाठी जी ने सारिका के सर पर हाथ रखते हुए कहा
“हर पिता खुशनसीब नही होता है सर”,सारिका मन ही मन खुद से कहा
“अरे त्रिपाठी जी काहे फिकर कर रहे आप , अगर आगे कोनो गड़बड़ हुई तो हमको बताना घर मे घुस के तोड़ेंगे सबको”,मुरारी ने बीच मे पड़ते हुये कहा l


“नही मुरारी ऐसा कुछ नही करना पड़ेगा लड़का समझदार है और सजना को भी अपने रंग में ढाल लेगा”,त्रिपाठी जी ने मुस्कुराते हुए कहा
“अब हमें चलना चाहिए”,शिवम ने कहा
“अरे ऐसे कैसे बेटा , बिना खाना खाएं तुम सबको नही जाने देंगे हम”,त्रिपाठी जी ने कहा और फिर नोकर को आवाज लगाई


नोकर उन सबको लेकर हॉल के दूसरी तरफ ले गया जहां खाने का बंदोबस्त था l चलते चलते मुरारी ने पलटकर देखा जो लड़की काफी देर से उसे देख रही थी उसने आने का इशारा किया मुरारी जैसे ही जाने लगा शिवम ने रोकते हुए कहा,”तुम कहा चले ?
“अरे भैया सजना की शादी हो गयी , तुमरी भी हो ही जाएगी (सारिका की ओर देखते हुए) हम भी अपना जुगाड़ करके आते है तुम चलो , हम अभी आये”,कहते हुए मुरारी वहां से निकल गया l


गार्डन में जगह जगह कुर्सी टेबल लगी हुई थी l शिवम ने एक खाली टेबल देखकर दोनो से बैठने को कहा l उसने नोकर से कहकर तीन प्लेट खाना लगवाया l
“आप नही खाएंगे”,सारिका ने वहां चौथी प्लेट ना देखकर शिवम से पूछा


“आप सब खाइये हमे भूख नही है”,बिना देखे कहकर शिवम कुछ दूर पड़ी खाली कुर्सी पर जाकर बैठ गया l
सारिका को अजीब लग रहा था कि आखिर शिवम ऐसे बर्ताव क्यो कर रहा है ? पर वह खामोश रही और वही बैठे शिवम को देखती रही l उदास चेहरा , मायूसी ओर बैचैनी साफ नजर आ रही थी l

आंखों के खालीपन से महसूस हो रहा था जैसे अंदर बहुत कुछ चल रहा है पर चेहरे पर नही आ पा रहा l सारिका ने शिवम को जितना सुलझा हुआ समझा था उतना वह था नही बहुत कुछ था जो सुलझना बाकी था l
कुछ देर बाद मुरारी भी वहां आकर बैठ गया l सारिका राधिका ओर मुरारी तीनो खाना खाने लगे l पर खाना सारिका के गले नही उतर रहा था l उसने वेटर को पास बुलाया और एक प्लेट में खाना और लाने को कहा l

वेटर खाना ले आया सारिका ने वह प्लेट उठायी ओर शिवम की ओर बढ़ गयी l शिवम के सामने आकर उसने प्लेट टेबल पर रखी और एक कुर्सी डालकर बिल्कुल उसके पास बैठ गयी l शिवम को ध्यान नही रहा वह अब भी परेशान सा कुछ सोचने में लगा हुआ था l
“हमारे बारे में सोचकर परेशान हो रहे है ? यही सोच रहे होंगे ना आप की सजना ने जो कुछ भी कहा वो सुनकर भी हम इतना नार्मल बिहेव क्यों कर रहे है ?”,सारिका ने शिवम की तरफ देखकर कहा


शिवम ने सुना तो सारिका की आंखों में देखने लगा , सारिका इतनी आसानी से भला उसके मन की बात कैसे जान सकती है उसने धीरे से कहा”,उसने जो कुछ भी कहा उसके लिए हम माफी मांगते है”
“आपको माफी मांगने की कोई जरूरत नही है , सजना को हम नही जानते इसलिये उसने जो कहा वो हमारे लिए इतना इंपोर्टेन्ट नही है , पर आपको हम जानते है आप क्या कहेंगे ये इम्पोर्टेन्ट है”,सारिका ने सहजता से कहा
“हम क्यों परेशान है ये आपने कैसे जान लिया ?”,शिवम ने कहां


“आपकी आंखें देखकर , आपकी ये आंखे सब बता देती है”,सारिका ने उसकी आँखों मे झांकते हुए कहा
शिवम की आंखों में नमी आ गयी तो उसने नजर घुमा ली l
सारिका ने खाने की प्लेट से निवाला तोड़ते हुए कहने लगी,”सुबह से आपने कुछ खाया नही होगा इसलिए आपके लिए खाना लाये थे”
कहते हुए उसने निवाला शिवम की तरफ बढा दिया l


“हमे भूख नही है”,शिवम ने कहा
“हमारी माँ कहती थी खाने के निवाले को कभी ना नही कहना चाहिए l इस से खाने का अपमान होता है”,सारिका ने इतने प्यार से कहा कि शिवम उसके चेहरे की ओर देखता ही रह गया l
शिवम खामोशी से सारिका को देखता रहा तो सारिका ने निवाला उसके मुंह की तरफ बढा दिया l शिवम ने मन ही मन कहा,”हमसे इतनी नजदीकियां अच्छी नही है सारिका जी , हमसे जुडे हर इंसान को आज तक सिर्फ दर्द ही मिला है”


सामने बैठी सारिका ने मन ही मन कहा,”हम जानते है इस वक्त आप बहुत परेशान हैं और आपसे आपके अतीत के बारे में पूछकर हम ये परेशानी और नही बढ़ाना चाहते है शिवम !!”
“आप खाइये हम खुद से खा लेंगे”,कहकर शिवम ने खाने की प्लेट अपनी तरफ की ओर खाने लगा l
सारिका ने मुस्कुराकर वह निवाला वापस प्लेट में रखा और मुरारी ओर राधिका की तरफ लौट गई
सारिका आई ओर चुपचाप अपना खाना खाने लगी l


“अच्छा भाभी हम ओ कह रहे थे…………….”,कहते कहते मुरारी रुक गया क्योंकी भाभी नाम सुनकर सारिका ओर राधिका दोनो ही उसे घूरे जा रही थी l बेचारा मुरारी क्या करे उसकी फीलिंग्स हमेशा गलत वक्त पर ही निकलती है वह सारिका ओर राधिका को देखकर बोला ,”का ऐसे काहे घूर रही हो दोनो हमे ? अरे मुंह से निकल गया l
“कोई बात नही मुरारी आप खाइये”,सारिका ने कहा

“बच गए मुरारी , भैया ने सुना होता तो पीपटी बजा देते तुम्हारी , वो तो आज वैसे भी बजनी हैं सारिका जी को गलत लब स्टोरी जो सुनाये है l बस आज महादेव बचा ले”,मुरारी ने मन ही मन कहा ओर खाने लगा l
खाना खाने के बाद चारो शादी वाले घर से निकलकर बाहर आये l
शिवम ने गाड़ी की चाबी मुरारी को देते हुए कहा,”मुरारी राधिका को घर और इनको होटल छोड़ देना l”


“पर भैया आप ?”,मुरारी ने हैरानी से कहा
“हम बाद में आएंगे”,शिवम ने थोड़ा परेशान होकर कहा
“बाद में काहे अभी चलिए हमारे साथ”,मुरारी ने कहा l
“हमने कहा ना हम बाद में आएंगे”,शिवम ने कहा

इस वक्त आपको यहां छोड़कर काहे जाए”,मुरारी ने तुनक कर कहा
“हमने कहा ना बाद में आएंगे , समझ नही आ रहा”,शिवम ने गुस्से से कहा तो सारिका ओर राधिका दोनो सहम गयी सारिका समझ नही पा रही थी कि आखिर शिवम इतना गुस्सा क्यों हो रहा है ? वह बस खामोशी से शिवम के चेहरे को देखती रही l
“हा नही आ रहा है हमको समझ”,मुरारी ने भी थोड़ा गुस्से से कहा


“अबही समझाते है”,कहकर शिवम ने मुरारी के गाल पर एक थप्पड़ मारा और कहा,”समझ आया की ओर समझाये मुरारी ने ना मे गर्दन हिला दी l
“तो फिर यहां से निकलो , ओर जरा ध्यान से”,कहकर शिवम वहां से चला गया l l

मुरारी गाल सहलाता हुआ गाड़ी मे आ बैठा l सारिका ओर राधिका भी चुपचाप गाड़ी में आ बैठी l मुरारी ने गाड़ी स्टार्ट की आगे बढ़ा दी l आते वक्त गाड़ी में जितना शोर शराबा हो रहा था जाते वक्त उतना ही सन्नाटा था l मुरारी चुपचाप गाड़ी चला रहा था और राधिका अपने फोन में गेम खेलने में बिजी थी l एक सारिका ही थी जिसके मन मे काफी उथल पुथल मची थी l


मुरारी ने पहले राधिका को घर छोड़ा l सारिका गाड़ी से उतरकर आगे आकर बैठ गयी l मुरारी ने गाड़ी मोड़ी ओर होटल की तरफ बढा दि l सारिका मुरारी से कुछ पूछना चाहती थी पर शुरुआत कैसे करे उसे समझ नही आ रहा था l गाड़ी के मिरर में मुरारी को सारिका की परेशानी साफ साफ नजर आ रही थी l उसने सारिका की तरफ बिना देखे ही कहा,”पूछ लीजिये जो पूछना है


“जी “,सारिका ने हैरानी से उसकी तरफ देखकर कहा
“जानते है आप कुछ पूछना चाहती है , पूछ लीजिये इसमे इतना क्या सोचना”,मुरारी अब भी सामने ही देख रहा था
“वो हमें समझ नही आया इतनी छोटी सी बात पर शिवम जी ने आपको थप्पड़ क्यों मारा ?”,सरिकां ने हिचकिचाते हुए कहा


“छोटी सी बात नही थी सरिकां जी , अच्छा हुआ उन्होंने अपना गुस्सा हम पर निकाल लिया अगर ना निकालते तो ज्यादा परेशान हो जाते”,मुरारी ने मुस्कुराते हुए कहा
“हम कुछ समझे नही”,सरिका ने कहा

“ऐसे ही वो जब परेशान होते है तो ज्यादा नही बोलते खामोश पर उनकी खामोशी में बहुत कुछ छुपा रहता है जिसे बहुत कम लोग समझ पाते है , हमने आपसे झूठ कहा था कि भैया ओर सजना के बिच लव मैटर है l दरअसल ऐसा कुछ नही था l”,मुरारी ने कहा
“तो फिर ?”,सरिका ने कहा


“सजना राधिका की दोस्त है , उसका हमेशा से घर आना जाना रहता था l इसी बीच ओ भैया को पसंद करने लगी भैया ने कभी उसे नजर उठा के देखा भी नही था l वो रोज उनसे बात करने की उनके करीब आने की कोशिश करती भैया ने एक दिन उसे बहुते समझाया पर ओके भेजे में कोई बात ना घुसी l वो भैया के ठुकराए जाने के कारण गुस्से से ओर नफरत से भर उठी l

गलत संगत में रहके उसने दारू पीना शुरू कर दिया और एक दिन नशे की हालत में उसके ही किसी दोस्त ने उसके साथ गलत किया और उसे उसी हालत में छोड़कर चला गया l भैया उस वक्त त्रिपाठी जी के घर गए हुए थे l उन्होंने सजना को उस हालात में देखा तो उसे सम्हाला ओर शहर से बाहर उसका इलाज करवाया l घर परिवार में सजना की बदनामी ना हो इसलिए शिवम ने किसी को कुछ नही बताया l

सच त्रिपाठी जी जानते थे लेकिन सजना उसने मान लिया कि शिवम ने ही उसके साथ गलत किया है और उस से नफरत करने लगीं l l उसके कारण भैया को कितने ही लोगो से ना जाने का का सुनना पड़ा लेकिन वो चुप रहे l उन्होंने थप्पड़ मारा इस बात का हमे जरा भी दुख नही है बस दुख तबहे होता है जब भैया को उदास देखते है”,कहते कहते मुरारी भावुक हो गया l


सरिका ने सुना तो अब उसे कुछ कुछ बात समझ आ रही थी l शिवम के बारे में जानकर उसे बहुत बुरा लग रहा था l उस से भी ज्यादा बुरा इस बात का की उन्हें इस वक्त अकेले छोड़कर नही आना चाहिए था l
“ये लीजिये सरिका जी आपका होटल आ गया”,मुरारी ने गाड़ी रोकते हुए कहा
“इस वक्त शिवम जी कहा होंगे ?”,सरिका ने मुरारी से पूछा


“हमको पता है वो कहा जाएंगे”,मुरारी ने कहा
“तो फिर चलिए”,सरिका ने मुस्कुराकर कहा

मुरारी ने गाड़ी वापस मोड़ ली और आगे बढ़ गया l मुरारी ने गाड़ी अस्सी घाट के बाहर लाकर रोक दी l सरिका गाड़ी से उतरी ओर कहा,”वो यहां है !!
“हा , जब भी वो बहुते ज्यादा परेशान होते है यही आते है अपनी महबूबा के पास”,मुरारी ने कहा
“महबूबा ?”,सारिका ने चोंककर कहा


“हा बनारस उनका इश्क़ है और ये घाट उनकी महबूबा l अब आशिक़ दुखी होगा तो अपनी महबूबा के पास ही जायेगा ना”,मुरारी ने कहा
“आप ना दुनिया के आठवे अजूबे हो”,सरिकां ने मुस्कुरा कर कहा
“गाली दे रही है हमे”,मुरारी ने घूरकर कहा
“अरे नही !!”,सारिका ने कहा


“तो फिर अजूबा काहे बोल रही हमे ?”,मुरारी ने तुनककर कहा
“दुनिया मे 7 अजूबे है जिन्हें देखने लोग दूर दूर से आते है और जो कि बहुत खास है”,सारिका ने बताया
“मतलब हम खास है”,मुरारी ने सोचते हुए कहा
“बिल्कुल , हमारे लिए बहुत खास है आप l “,सारिका ने कहा
“चलो किसी को तो हमारी कदर है बनारस में”,मुरारी ने कहा


“अब चले !”,सारिका ने कहा
“हम कही नही जा रहे”,मुरारी ने कहा
“क्यों ? “,सारिका ने कहा
“दूसरे गाल पर भी थप्पड़ खिलाने का इरादा है क्या ? आप जाईये हम चलते है घर”,मुरारी ने कहा तो सरिकां हँसने लगीं l


मुरारी के जाने के बाद सारिका सीढियो से उतरकर नीचे आयी l कुछ नीचे शिवम उसे सीढियो पर बैठा मिल गया l सरिका शिवम से कुछ दूरी बनाकर बैठ गयी और कहा,”किसी ने हमे बताया कि जब भी आप उदास होते है यहां आ जाते है”
“आप यहां , आप कब आई ?”,शिवम ने सरिका को वहां देखा तो चोंक गया l
“बस अभी अभी आये है , वैसे एक बात पूछे ? “,सरिका ने कहा


शिवम – ह्म्म्म
सरिका – ये आपकी पसन्दीदा जगह है ना
शिवम – हा
सरिका – बहुत खूबसूरत जगह है , यहां आकर शायद ही कोई वापस जाना चाहेगा
शिवम – बरसात में ये जगह ओर भी खूबसूरत हो जाती है
सारिका – फिर तो हम चाहते है आज इंद्र देव बारिश कर ही दे और हमे बनारस की खूबसूरती देखने को मिले


शिवम – आप होटल नही गयी ( बात टालते हुए )
सारिका – आप भी तो घर नही गए
शिवम – हमारे बारे में इतना सब सुनकर भी आप हमारी परवाह कर रही है ( उदास हो जाता है )
सरिका – सजना ने जो कुछ भी कहाँ उस से हमे फर्क नही पड़ता ना ही हम भरोसा करते है , क्योंकि हम उस से आज पहली बार मीले थे पर आप पर भरोसा कर सकते है क्योंकि आपके साथ इतना वक्त बिताया है l


शिवम सरिका की तरफ देखने लगता है तो सारिका आगे कहने लगती है,”आपका अतीत ना हम जानते है और ना जानना चाहते है l पर ये जरूर जानते कि वर्तमान में आप एक बहुत अच्छे इंसान है l जिन्हें एक लड़की का सम्मान बचाये रखना आता है”
शिवम – हमने जितना सोचा था आप उस से कई ज्यादा सुलझी हुई है


सारिका – ओर आप उतना ही उलझे हुये l कभी कभी तो लगता है आपको समझने में ही ये जिंदगी गुजर जाएगी
शिवम – जिंदगी भी तो भूलभुलैया हैं जिसमे खोकर रह जाते है हम ओर फिर उसकी तलाश में भटकते है जो हमारा ही है
सारिका – अरे वाह आप तो बड़ी अच्छी बाते करते है , हमेशा क्यों नही करते ?


शिवम – बस ऐसे ही , एक तो महादेव ने सूरत इतनी गंभीर बना दी ऊपर से ऐसी बाते करेंगे तो कोई आस पास भी नही फटकेगा
सारिका – कोई ना आये हम तो सुन लेंगे
शिवम सारिका का चेहरा देखता ही रह गया और फिर सामने घाट के पानी को निहारने लगा l कितना शांत था घाट का पानी और अब उतना ही शांत था शिवम का मन l सरिका के साथ से वह अपनी परेशानी भूल चुका था l

दोनो के बीच एक गहरी खामोशी छा गयी l दोनो घाट के पानी को देखते रहे l अचानक से मौसम बदलने लगा सरिका उठी और शिवम के पास आकर अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाकर कहा,”घर चले”
शिवम ने जैसे ही सरिका का हाथ पकड़ा एक सिहरन सी उसके बदन में दौड़ गयी l उठकर जैसे ही दो कदम चला उसका पांव फिसला तो सरिका ने उसके हाथ को ओर मजबूती से पकड़ लिया l

अपनी उंगलियों पर सरिका की उंगलियों की मजबूती पाकर शिवम ने उसकी तरफ देखा तो सरिका ने कहा,”हाथ थामा है तो अब गिरने नही देंगे”
शिवम ने सरिका की आंखों में देखा l एक बार फिर वह उन काजल से सनी आंखों में खो गया l फिर वही गाना बजने लगा


तेरी काली अँखियों से जींद मेरी जागे
धड़कन से तेज दोडू , सपनो से आगे
अब जा लूट जाए , ये जहां छूट जाए
संग प्यार रहे मैं रहू ना रहू
सजदा तेरा सजदा
करू मैं तेरा सजदा


अब आप सोच रहे होंगे आधी रात में , बनारस के घाट पर ऐसा गाना बजना मुमकिन नही हैं पर मुमकिन था क्योंकि गाना सरिका के फोन की रिंगटोन था l सरिका भी उस वक्त शिवम की आंखों में देख रही थी उसे फोन का ख्याल नही रहा l फोन कट गया दोबारा आया नही पर काले बादल आसमान में आकर बरसने को तैयार थे l पानी की बूंद आकर सरिका के गाल पर गिरी तो उसे होश आया और उसने कहा,”जल्दी चलिये बारिश होने वाली है l
दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़े सीढिया चढ़ते जा रहे थे l

मुरारी गाड़ी वही छोड़ गया था l शिवम ने देखा चाबी भी वही है तो उसने गाड़ी स्टार्ट की ओर होटल जाने वाले रास्ते की ओर बढ़ा दी l भीगने से पहले पहले ही दोनों होटल पहुंच चुके थे l सरिका जैसे ही उतरकर जाने लगी शिवम ने कहा,”सरिका जी
“जी “,सरिका ने पलटकर कहा
“मणिकर्णिका घाट देखा है आपने ?”,शिवम ने कहा
“नही पर आप दिखाएगे तो मना नहीं करेंगे “,सरिका ने कहा


शिवम मुस्कुरा उठा और कहा,”ठीक है फिर , कल मिलते है शुभ रात्रि
“शुभ रात्रि”,कहकर सरिका वहां से चली गयी l
शिवम उसे जाते हुये देखता रहा l सारिका के बारे मे वह अब ओर ज्यादा जानना चाहता था l उसने गाड़ी घर की तरफ मोड़ दी और म्यूजिक ऑन कर दिया सिस्टम पर वही गाना बजने लगा
सजदा तेरा सजदा , करू मैं तेरा सजदा दिन रेन करू


अगली सुबह सारिका तैयार होकर होटल से निकली l सड़क पर चलते हुए एक वेन उसके पास तेजी से आकर रुकी सरिका कुछ समझ पाती इससे पहले ही गाड़ी से एक मजबूत हाथ बाहर निकला और उसने सारिका को अंदर खींच लिया l गाड़ी में 5 लोग मौजूद थे सबके चेहरों पर नकाब था l एक ने अपने हाथ से सारिका का मुंह बन्द किया हुआ था l सारिका झटपटाती रही l गाड़ी जैसे ही बनारस के बाहर आई सामने बैठे एक आदमी ने सारिका के मुंह से हाथ हटाने का इशारा किया l

हाथ हटाते ही सारिका मदद के लिए चिल्लाने लगी लेकिन उस सुनसान रास्ते पर उसकी आवाज सुनने वाला कोई नही था l उसे चिल्लाता देखकर सब हसने लगे l
“कौन है आप लोग ?”,सारिका ने घबराकर कहा
सामने बैठे आदमी ने अपने चेहरे से नकाब हटाया उसे देखकर सारिका की आंखे हैरानी से फैल गयी और उसके मुंह से निकला

“प्रताप ?”

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