Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 2

Main Teri Heer – 2

Main Teri Heer
Main Teri Heer

मुन्ना को किसी जरुरी मीटिंग से बाहर जाना था लेकिन गौरी भी साथ जाने की जिद करने लगी। मुन्ना ने उसे समझाना चाहा तो गौरी उसके पैरो से लिपट कर बैठ गयी। उस वक्त उसने बहुत ही मासूम सा चेहरा बना लिया और वह काफी क्यूट भी लग रही थी। मुन्ना कुछ पल उसे देखता रहा और फिर कहा,”उठो”
गौरी मुन्ना का पैर छोड़कर उठ खड़ी हुई और प्यार से कहा,”आई नो अब तुम कहोगे ‘तुम्हारी जगह मेरे पैरो में नहीं मेरे दिल में है’ और फिर मैं झूठ मुठ का शरमाऊँगी और फिर तुम कहोगे ‘चलो मेरे साथ चलो”
“हम ऐसा कुछ नहीं कहने वाले है , वैसे तुम इस दुनिया की सबसे एंटीक लड़की हो”,मुन्ना ने कहा
“हाँ मुझे मालूम है , अब चलो वरना तुम्हे देर हो जाएगी”,गौरी ने मुन्ना के हाथ से गाड़ी की चाबी लेकर गाड़ी की तरफ बढ़ते हुए कहा
मुन्ना गौरी के पीछे आया और गाड़ी का दरवाजा बंद करते हुए कहा,”तुम हमारे साथ नहीं जा सकती”
“लेकिन क्यों ? क्या तुम मेरे आने से खुश नहीं हो ?”,गौरी ने उदास होकर कहा
“नहीं ऐसी बात नहीं है , बस इतना समझ लो की हम तुम्हे वहा अपने साथ लेकर नहीं जा सकते”,मुन्ना ने कहा
“मैं तुम्हे बिल्कुल डिस्टर्ब नहीं करुँगी पक्का , तुम आराम से अपना काम करना मैं गाड़ी में ही रुकूंगी”,गौरी ने मुन्ना की तरफ देखकर कहा
मुन्ना समझ गया गौरी उसका पीछा छोड़ने वाली नहीं है और अगर वह ऐसे ही उस से बहस करता रहा तो लेट हो जाएगा। उसने गौरी की आँखों में देखा और कहा,”पक्का तुम हमे परेशान नहीं करोगी ?”
“हाँ पक्का ! कसम ले लो”,गौरी ने अपनी बड़ी बड़ी पलके झपकाते हुए कहा
“ठीक है फिर चलो चलते है”,मुन्ना ने उसके हाथ से गाड़ी की चाबी ली और ड्राइवर सीट की तरफ बढ़ गया। गौरी भी ख़ुशी ख़ुशी आकर मुन्ना के बगल में आकर बैठ गयी और दोनों वहा से निकल गए।

अपने कमरे की खिड़की पर खड़े अधिराज जी काफी देर से उन दोनों को देख रहे थे। अम्बिका ने जब उन्हें ऐसे खिड़की के बाहर देखते पाया तो कहा,”क्या देख रहे है ?”
“देख रहा हूँ अम्बिका बच्चे कितनी जल्दी बड़े हो गए है”,अधिराज जी ने पलटकर कहा
“हाँ वक्त कितनी तेजी से गुजर गया। सरु की शादी को 25 साल पुरे हो चुके और लगता है जैसे कल की ही बात हो”,अम्बिका ने बिस्तर पर रखे तकियो पर कवर चढ़ाते हुए कहा
“अच्छा गौरी आपको कैसी लगती है ?”,अधिराज जी ने अम्बिका के सामने आकर पूछा
“अच्छा लड़की है , मुझे तो वो बिल्कुल हमारी अनु के जैसी लगती है चंचल और बातूनी”,अम्बिका ने मुस्कुराते हुए कहा
“मुन्ना और गौरी की जोड़ी कैसी लगेगी ?”,अधिराज जी ने पूछा तो अम्बिका जी हैरानी से उनकी तरफ देखने लगी और कहा,”क्या आप उन दोनों की शादी के बारे में सोच रहे है ?”
“हाँ मुन्ना में मैंने हमेशा बड़े दामाद जी की छवि देखी है , मुन्ना \काफी शांत रहने वाला कम बोलने वाला लड़का है उसके लिए गौरी जैसी लड़की ही सही रहेगी जो उस से बातें करती रहे और अपनी बातो से उसे हंसाती रहे”,अधिराज जी ने कहा
अम्बिका ने सूना तो ख़ुशी से मुस्कुराने लगी और कहा,”आपकी बातों से लग रहा है बच्चे सच में बड़े हो गए है”
“हम मुन्ना से बात करेंगे”,अधिराज जी ने कहा
“अभी नहीं पहले उसे अपनी पढाई पूरी करने दीजिये और मुन्ना से नहीं बल्कि पहले हमे गौरी के घरवालों से मिलना चाहिए”,अम्बिका ने कहा
“जैसा आप कहे”,अधिराज जी ने कहा और बाहर चले आये।

मुन्ना चुपचाप गाड़ी चला रहा था। जिस जगह उसे जाना था वहा पहुँचने में उसे एक घंटा लगना था। उसके बगल में बैठी गौरी कभी सामने देखती तो कभी मुन्ना को , वह मुन्ना के साथ बैठकर बोर होने लगी तो उसने मन ही मन खुद से कहा,”आह्ह्ह्हह ये ड्राइव कितनी बोरिंग है और ये आदमी इस ड्राइव से भी ज्यादा बोरिंग है। मैं इसके साथ आयी ही क्यों ? मुझे लगा हम दोनों बातें करेंगे एक दूसरे के बारे में जानेंगे लेकिन ये तो चुपचाप है ,, मैं ऐसा क्या करू की ये बात करे ? अगर मैंने खुद बात की तो इसको लगेगा मैं चेप हो रही हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या मैं इसे मेसेज करू ?”
कहते हुए गौरी ने अपना फोन उठाया और उसमे कुछ टाइप करके मुन्ना को भेज दिया
मुन्ना का फोन बजा , उसने स्पीड थोड़ी कम कर ली और एक हाथ से स्टेयरिंग सम्हाले फोन में आया मैसेज देखा “HIII”
मुन्ना ने देखा मैसेज गौरी का है तो उसने हैरानी से गौरी को देखा और कहा,”तुम हमे मैसेज क्यों कर रही हो ?”
“तो मैं और क्या करू तुम कुछ बोल ही नहीं रहे ? ऐसे तो मैं बोर हो जाउंगी ना”,गौरी ने मुंह बनाते हुए कहा
“हमने तो तुम्हे पहले ही कहा था की हमारे साथ मत आओ”,मुन्ना ने अपना फोन शर्ट के जेब में डालते हुए कहा
“आह्हः तुम ऐसे क्यों हो ? क्या तुम्हे मुझे सताकर ख़ुशी मिलती है ?”,गौरी ने मुन्ना की बाँह पर मारते हुए कहा मुन्ना ने मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकड़ा और गेयर हेंडल पर रख लिया। मुन्ना के हाथ की गर्माहट से गौरी को एक खूबसूरत अहसास हुआ। वह प्यार से मुन्ना को देखने लगी और फिर कहा,”वैसे तुम्हे समझना बहुत मुश्किल है”
“हाँ जानते है और कोशिश कर रहे है की तुम्हारे लिए खुद को थोड़ा आसान बनाये”,मुन्ना ने कहा
“अच्छा तुम मुझे आई लव यू कब कहोगे ?”,गौरी ने एकदम से कहा
“क्या हमे कहने की जरूरत है ? हमे लगा तुम समझ जाओगी”,मुन्ना ने सामने देखते हुए कहा
“हुंह तुम इसलिए इतना भाव खा रहे हो ना क्योकि मैंने तुम्हे पहले प्रपोज किया ?”,गौरी ने चिढ़ते हुए कहा
“नहीं ऐसा कुछ नहीं है अगर फीलिंग्स दोनों तरफ हो तो कोई भी पहले कहे कोई फर्क नहीं पड़ता”,मुन्ना ने कहा
गौरी को अच्छा नहीं लगा उसे लगा मुन्ना यहाँ इंदौर उसे प्रपोज करने आया है लेकिन मुन्ना तो उस से ठीक से बात तक नहीं कर रहा था उसने गुस्सा होकर अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा,”मेरा हाथ छोडो”
“अरे ये क्या बात हुयी ?”,कहते हुए मुन्ना ने गौरी के हाथ को वापस थाम लिया और इस बार थोड़ा कसकर पकड़ लिया ताकि वह फिर से ना छुड़ा पाए लेकिन गौरी ने छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा,”मेरा हाथ छोडो”
गौरी के साथ रहकर मुन्ना में कुछ कुछ उसका असर आ चुका था इसलिए उसने गाड़ी को एक तरफ रोका और अपनी जेब से रुमाल निकाला। उसने गौरी के हाथ को पकड़ा , उसकी उंगलियों में अपनी उंगलिया फँसाई और दोनों हाथो को रुमाल से बांध लिया। गौरी ने देखा तो कहा,”ये तुम क्या कर रहे हो ?”
वह आगे कुछ कहती इस से पहले ही मुन्ना ने उसके दोनों होंठो को अपनी उंगलियों में पकड़ उसे बोलने से रोक दिया और उसकी आँखों में देखते हुए,”जरुरी नहीं है किसी के लिए अपने प्यार को शब्दों में बयां करना पड़े , उसे महसूस भी किया जा सकता है और रही बात हाथ छुड़ाने की तो छोड़ने के लिए तुम्हारा हाथ नहीं थामे है गौरी शर्मा,,,,,,,,,,,,इस जन्म में तो कभी नहीं”
मुन्ना की बातें सुनकर गौरी एक बार फिर पिघल गयी। सही तो कह रहा था मुन्ना हर मोहब्बत को शब्दों की जरूरत नहीं होती कुछ बिना कहे भी बहुत कुछ बयां कर जाती है। गौरी को प्यार से अपनी ओर देखता पाकर मुन्ना ने नजरे चुराते हुए कहा,”अब इतने प्यार से भी मत देखो हमें , चुप करके बैठो और हमे गाडी चलाने दो”
“हम्म्म”,गौरी ने मुस्कुराते हुए हाँ में गर्दन हिला दी रुमाल से मुन्ना के हाथ के साथ बंधा अपना हाथ उसे काफी प्यारा लग रहा था। मुन्ना ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी। गौरी ने अपने फोन से अपने और मुन्ना के हाथ की तस्वीर ली। मुन्ना ने गौरी को देखा तो गौरी ने मासूमियत से कहा,”तुमने सिर्फ बात करने के लिए मना किया है”
मुन्ना गौरी की ऐसी बातो पर कुछ कहता नहीं था बस मुस्कुरा देता। मुन्ना को मसूकूरते देखकर गौरी ने अपना सीट से लगा लिया और प्यार से उसे देखने लगी। कुछ वक्त बाद गाड़ी एक ऑफिस के सामने पहुंची। मुन्ना गाड़ी लेकर अंदर चला आया गौरी उस जगह को पहली बार देख रही थी लेकिन मुन्ना से कुछ पूछने की हिम्मत उसमे नहीं थी इसलिए चुपचाप बैठे रही। मुन्ना ने गाड़ी को एक जगह लाकर रोका और रुमाल खोलकर गौरी के हाथ को आजाद करते हुए कहा,”गौरी हम अंदर जा रहे है , तुम बाहर मत आना हम जल्दी वापस आ जायेंगे”
“हम्म्म ठीक है”,गौरी ने कहा
मुन्ना गाड़ी से उतरा अपना बैग लिया और वहा से चला गया। गौरी चुपचाप बैठकर अपना फोन चलाने लगी। मुन्ना अंदर आया उसने दरवाजे पर खड़े एक आदमी को अपना id कार्ड दिखाया तो आदमी ने उसके लिए दरवाजा खोल दिया। मुन्ना अंदर चला आया। गैलरी से होते हुए वह एक केबिन में आया उसे देखते ही वहा बैठे अफसर मुस्कुरा उठे और कहा,”मानवेन्द्र मिश्रा आओ मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था , ये है मिस्टर चौहान अभी इनसे तुम्हारी ही बात हो रही थी”
“हेलो सर आपसे मिलकर अच्छा लगा”,मुन्ना ने मुस्कुराकर अपना सर झुकाकर कहा
“हेलो मानवेन्द्र , काफी तारीफ सुनी है चीफ से तुम्हारी,,,,,,,,,,,,तुम दोनों बैंठकर बातें करो मैं जरा एक राउंड लगा आता हूँ”,त्रिलोक ने मुन्ना के कंधे पर हाथ रखकर कहा और फिर वहा से चला गया।
मुन्ना चीफ के सामने पड़ी कुर्सी पर आकर बैठ गया और कहा,”हमने अपना वादा पूरा किया सर , उम्मीद है अब आप भी अपनी बात पर कायम रहेंगे”
“बिल्कुल मानवेन्द्र कैसी बात करते हो ? बोलो यहाँ का चीफ होने के नाते मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ ?”,चीफ ने आत्मीयता से कहा
“मुन्ना ने अपने बैग से एक फाइल निकाली और चीफ की तरफ बढाकर कहा,”इसमें उन सारे इल-लीगल कामो की लिस्ट है जो उतरप्रदेश के नामी जिलों में फैले है इन सबूतों के जरिये आप उन्हें बंद करवा सकते है। हमे ये जानकारी हासिल करने में पूरा एक साल लगा है लेकिन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!” कहते कहते मुन्ना रुक गया
“लेकिन क्या मानवेन्द्र ?”,चीफ ने हैरानी से कहा
“आप ये देखिये”,कहते हुए मुन्ना ने एक और फाइल चीफ के सामने रख दी।
चीफ ने जैसे जैसे उसे देखा उनके माथे की सलवटें बढ़ने लगी , उन्होंने फाइल बंद की और मुन्ना की तरफ देखकर कहा,”एक बार सोच लो मानवेन्द्र क्या तुम्हे ये सही लगता है ?”
“गलत को कितना भी सही कहो वो गलत ही रहेगा सर , हम जानते है ऐसा करने से कुछ चीजे बिगड़ेगी लेकिन हमे यकीन है हम सम्हाल लेंगे”,मुन्ना ने यकीन के साथ कहा
“ठीक है मैं इस बारे में सोचूंगा , खैर ये सब छोडो तुमने आगे का क्या सोचा है ? मैं तो सोच रहा हूँ की ये नौकरी अब परमानेंट कर दी जाए और तुम लोगो को अपने असली काम के बारे में बता सको”,चीफ ने कहा
“शुक्रिया सर लेकिन यही इसे पब्लिकली नहीं कर सकते , हमे थोड़ा वक्त चाहिए”,मुन्ना ने कहा
“ठीक है जब तुम कहोगे हम इसे परमानेंट कर देंगे , अच्छा तुम्हारे एग्जाम्स कैसे हुए ?”,चीफ ने मुन्ना के सामने कॉफी का कप रखते हुए कहा
“हाँ अच्छे थे”,मुन्ना ने कहा
“वैसे एग्जाम के बाद कही तुम मार्केटिंग का तो नहीं सोच रहे ? ऐसा मत मेरा भारी नुकसान हो जाएगा”,चीफ ने हँसते हुए कहा और मुन्ना के साथ बैठकर कॉफी पिने लगा

गौरी अपने फोन में बिजी थी तभी उसके कान में किसी पिल्ले की दर्दभरी आवाज पड़ी गौरी ने खिड़की से बाहर देखा तो गाड़ी के बगल में ही लगे तारो के बीच से एक छोटा सा कुत्ते का बच्चा निकलने की कोशिश में वहा फंस गया था और अब बिलबिला रहा था। गौरी ने देखा तो उसे उस पर दया आ गयी। वह जैसे ही गाड़ी से उतरने को हुई उसे मुन्ना की कही बात याद आ गयी। गौरी सोच में पड़ गयी लेकिन अगले ही पल उसकी नजर उस मासूम पिल्ले पर चली गयी। गौरी ने दरवाजा खोला और नीचे उतर गयी उसने बड़े आराम से उस पिल्लै को तारों के बीच से निकाला ऊपर अगले ही पल वह उसके हाथ से निकलकर भागा। गौरी मुन्ना की बात भूल गयी और उसे पकड़ने दौड़ पड़ी।
दौड़ते हुए गौरी ऑफिस के पास चली आयी जिसमे मुन्ना चीफ के साथ बैठा था लेकिन उसे इस बात की भनक तक नहीं थी। वहा के ऑफिसर्स ने एक अनजान लड़की को ऐसे खुले आम घूमते देखा तो सभी उस तरफ चले आये। गौरी ने पिल्ले को पकड़ा और जैसे ही जाने लगी उसकी सांसे हलक में अटक गयी। उसे काटो तो खून नहीं,,,,,,,,,,,,! उसके सामने 8-10 ऑफिसर्स खड़े थे और सबने अपने अपने हाथो में बन्दुक पकड़ी थी जिनका निशाना गौरी पर ही था। गौरी फटी आँखों से उन्हें देखते रही।
“कौन हो तुम ?”
“यहाँ कैसे आयी ?”
“क्या तुम कोई जासूस हो ?”
“क्या तुम कुछ चुराने आयी हो ?”
“आखिर तुम्हे इस जगह का पता कैसे चला ?”
“जवाब दो वरना शूट कर दी जाओगी ?”
ऑफिसर्स ने एक के बाद एक गौरी पर सवालो की बारिश कर दी। चाय पीते हुए मुन्ना की नजर अचानक खिड़की के बाहर चली गयी उसने जब गौरी को देखा तो चाय का कप टेबल पर रखा और जल्दी से दरवाजे की ओर भागा। उसे जाते देखकर चीफ ने भी उसके पीछे आते हुए कहा,”क्या हुआ मानवेन्द्र ?”
“सर ये तो कुछ बोल ही नहीं रही है”
“क्या हमे इसे शूट कर देना चाहिए ?”
“ए लड़की कौन हो तुम ? देखो अगर तुम ऐसे ही चुप रही तो तुम्हे शूट कर दिया जाएगा”
“यहाँ बिना परमिशन कोई नहीं आ सकता”
“या तो तुम कोई जासूस हो या फिर तुम किसी गेंग से हो”
“जवाब दो चुप क्यों हो ?”
एक बार फिर गौरी पर सवालो की बारिश हो गयी लेकिन वह इतनी डरी हुयी थी की उस से कुछ बोला ही नहीं गया। उसके हाथ काँप रहे थे और आँखों में आँसू भर आये। उसे चुप देखकर एक ऑफिसर थोड़ा आगे आया और गौरी की तरफ बन्दुक तान दी वह कोई एक्शन लेता इस से पहले ही मुन्ना एकदम से उसके सामने आ गया और अपने हाथो को खोलकर गौरी को अपने पीछे करते हुए कहा,”ये हमारे साथ है”
“आई ऍम सॉरी सर , ये यहाँ ऐसे घूम रही थी इसलिए हमे इन्हे रोकना पड़ा,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,ऑफिसर ने अपनी बन्दुक नीचे करते हुए कहा
“इट्स ओके”,मुन्ना ने कहा तो सभी वहा से चले गए मुन्ना गौरी की तरफ पलटा और कहा,”तुम ठीक हो ?”
गौरी ने आँखों में आँसू भरकर कहा,”आखिर कौन हो तुम ?”
गौरी का सवाल सुनकर मुन्ना एकटक उसके चेहरे को देखने लगा।

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क्रमश – मैं तेरी हीर – 3

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