Sanjana Kirodiwal

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“मैं तेरी हीर” – 24

Main Teri Heer – 24

Main Teri Heer
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शिवम् को जब शक्ति का सच पता चला तो उसने शक्ति को अपना लिया। शिवम् के साथ-साथ बाकी घरवालों ने भी शक्ति के लिए मंजूरी दे दी बस वंश थोड़ा सा नाराज था , काशी ने उसे कभी शक्ति के बारे में क्यों नहीं बताया ये सोचकर ? लेकिन शिवम् से बात करने के बाद वंश को अहसास हुआ की शक्ति को लेकर वह गलत है। धीरे धीरे ही सही सब ठीक हो रहा था।
शक्ति का इंदौर जाना जरुरी था इसलिए उसी दोपहर वह इंदौर के लिए निकल गया ताकि अपने आप को बेगुनाह साबित कर सके साथ ही उसने शिवम् से भी वादा किया की वह दो दिन बाद काशी का हाथ मांगने उसके घर आएगा। शिवम् काशी और शक्ति के रिश्ते के लिए मान गया है ये बात काशी को छोड़कर घर में सबको पता थी। शिवम् ने काशी को बताने से मना किया था ताकि जब शक्ति खुद काशी को आकर ये खुशखबरी दे।
मुरारी अपनी विधायकी से बाहर हो चुका था अब उसके पास वक्त ही वक्त था अनु के लिए , मुन्ना के लिए और अपने दोस्तों के लिए,,,,,,,,,,कुल मिलाकर मुरारी भी खुश था। काशी अपने कमरे में थी , आज जो कुछ भी हुआ उस से वह बहुत उदास थी , सारिका काशी के लिए खाना लेकर उसके कमरे में आयी तो अनु ने कहा,”देखो ना दी काशी चुप होने का नाम ही नहीं ले रही , अब आप ही इसे समझाइये”
सारिका ने खाने की प्लेट अनु को दी और काशी के पास आकर उसके आँसू पोछते हुए कहा,”क्या हमारी बेटी इतनी कमजोर है जो एक लड़के के लिए आँसू बहा रही है”
सारिका की बात सुनकर काशी ने नम आँखों से उसकी तरफ देखा तो सारिका ने आगे कहा,”बल्कि हमारी बेटी को अपने हक़ के लिए आवाज उठानी चाहिए। क्या हमारी बेटी अपना अच्छा बुरा नहीं समझती ? क्या वो नहीं जानती जिस लड़के को उसने चुना है वो उसका जीवनसाथी बनने के लायक है या नहीं ? या फिर हमारी बेटी इतनी कमजोर है की अपनी जिंदगी के फैसले भी उसने दुसरो पर छोड़ दिए है ? काशी तुम अब बड़ी हो चुकी हो रोने से अब तुम्हे कोई चीज हासिल नहीं होगी”
काशी धीरे धीरे सारिका की बात समझ रही थी उसने अपने आँसू पोछे और कहा,”माँ शक्ति बुरा इंसान नहीं है माँ , अगर पापा कहे हम उस से ना मिले तो हम उस से नहीं मिलेंगे बस पापा से कहिये की उसे कोई नुकसान ना पहुंचाए। हम उसे पसंद करते है माँ लेकिन हम उसकी जान खतरे में नहीं डाल सकते,,,,,,,,,,,!!”
“काशी सच्चा प्यार हमेशा क़ुरबानी मांगता है , अगर तुम्हारा और शक्ति का प्यार पवित्र है तो तूम दोनों जरूर मिलोगे। महादेव पर भरोसा रखो वो सब ठीक करेंगे। तुम्हे डटकर अपने इस मुश्किल वक्त का सामना करना चाहिए लेकिन तुम तो आँसू बहा रही हो,,,,,,,,,,,,,,,,,अपने आँसुओ को जाया ना करो अगर शक्ति तुम्हारी किस्मत में है तो उसके लौट आने का इंतजार करो,,,,,,,,,,,,,,,बाकि हम तुम्हारे साथ है”,सारिका ने कहा तो काशी को थोड़ा अच्छा लगा वह सारिका के गले आ लगी।
“मैं भी अपनी प्यारी सी गुड़िया के साथ हूँ”,अनु ने काशी का सर सहलाते हुए कहा
“और हम भी अपनी बिटिया की तरफ ही है,,,,,,,,,,,,,,,बिटिया का हम प्यार की तरफ है”,मुरारी ने कमरे में आते हुए कहा तो काशी हैरानी से उसकी ओर देखने लगी। मुरारी काशी के पास आया और कहा,”अरे शिवम् भैया की लब स्टोरी में हम किती हेल्प किये है , फिर तुमरी काहे नहीं करेंगे ? हम तो तुमरी साइड है काशी इसके बाद चाहे इस उम्र में शिवम् भैया से मार ही क्यों ना खानी पड़े”
“मुरारी चाचा,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए काशी उसके सीने से आ लगी तो मुरारी ने कहा,”अरे हमरे भैया सिर्फ बाहर से सख्त है अंदर से मलाई है मलाई”
“हम भी काशी की साइड है,,,,,,,,,,,और मैं भी”,वंश और मुन्ना ने कमरे में साथ साथ आते हुए कहा तो काशी दोनों को गुस्से से देखने लगी क्योकि मुन्ना से वह पहले से नाराज थी और वंश ने आज शक्ति को पीटा इसलिए,,,,,,,,,,,,,,,उसने नाराज होकर कहा,”माँ हमारे दोनों भाईयो से कह दीजिये हमे इनसे कोई बात नहीं करनी है”
“क्यों नहीं करनी ? अच्छा अच्छा मैंने उसको मारा इसलिए,,,,,,,,,,,,,,,,,देख उसने भी मुझपे हाथ साफ किया था अब मुझे क्या पता था वो पुलिसवाला है,,,,,,,,,पता होता तो मैं साइड से निकल जाता”,वंश ने नौटंकी करते हुए कहा तो काशी मुंह बनाने लगी
वंश उसके सामने आया और कहा,”अच्छा माफ़ कर दो , वैसे गलती तुम्हारी है तुमने मुझे कभी शक्ति के बारे में बताया ही नहीं,,,,,,,,,,,,बताया होता तो इतना सब नहीं होता,,,,,,,,,,,,,,,,,,और तुम्हे उस लड़के की इतनी परवाह है अपने बड़े की भाई की नहीं ,, एक पंच भी लग जाता ना मुंह पर तो मुंबई वाला कॉन्रैक्ट तो गया हाथ से”
“ठीक है माफ़ किया लेकिन आज के बाद आप उस पर हाथ नहीं उठाएंगे,,,,,,,,,,,,,,,,और थोड़ा तमीज से बात करेंगे”,काशी ने कहा
“ओहो अभी से पजेसिव,,,,,,,,,,देख रही हो माँ”,वंश ने कहा
“माँ देखो ना,,,,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा
“ए चलो तुम सब जाओ यहाँ से , इसे परेशान मत करो,,,,,,,,,,,,,,,,,,काशी तुम चलकर खाना खाओ”,सारिका ने कहा तो सब बाहर निकल गए
सारिका ने अनु से प्लेट लेकर टेबल पर रखी और खाना खाने को कहा। काशी आकर बैठी और कहा,”माँ क्या पापा हमसे नाराज है ? शक्ति ने उनसे क्या कहा ? क्या उन्होंने शक्ति को अपना लिया है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आप सब हमारी साइड हो जायेंगे तो पापा अकेले हो जायेंगे ना माँ”
“पापा की लाड़ली,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे पापा अभी थोड़े परेशान है काशी , जैसे ही उनका गुस्सा शांत होगा उन्हें तुम्हारा और शक्ति का प्यार भी समझ आ जाएगा। तुम चिंता मत करो और बस खुश रहो,,,,,,,,,,,,,,दो दिन बाद शक्ति वापस आएगा तब तुम्हारे पापा उस से बात करेंगे”,सारिका ने प्यार से काशी को समझाते हुए कहा
“क्या आप सच कह रही है माँ ? क्या पापा को शक्ति से कोई शिकायत नहीं है ?”,काशी ने हैरानी से पूछा
“काशी इतना मत सोचो बेटा , खाना खाओ हमने कहा ना हम तुम्हारे साथ है”,सारिका ने कहा तो काशी ने हामी में गर्दन हिला दी और चुपचाप खाना खाने लगी। सारिका ने काशी को खाना खिलाया और वहा से चली गयी।

काशी मुन्ना से अभी भी नाराज है जानकर मुन्ना वहा से घर चला गया लेकिन वह खुश था की शिवम् ने काशी और शक्ति के रिश्ते को समझा और उन्हें अपना लिया। घर आकर मुन्ना सीधा अपने कमरे में चला आया वह अपने लेपटॉप के सामने आ बैठा और चीफ के खिलाफ सभी जरुरी सूचना शक्ति को मेल कर दी जिस से शक्ति चीफ का असली चेहरा सबके सामने ला पाए। शक्ति को सब भेजने के बाद मुन्ना ने अपने लेपटॉप को रिबूट कर दिया। वह बीते वक्त की सारी बुरी यादें मिटा देना चाहता था। रिबूट होने में समय लगना था इसलिए मुन्ना अपने कमरे में बिखरे सामान को ज़माने लगा। उसने बिस्तर पर रखे कपडे उठाये और कबर्ड में रखने लगा। कभी वह कपड़ो को तह करता तो कभी कमरे के परदे ठीक करता , मुन्ना जान बूझकर खुद को बिजी रखने की कोशिश कर रहा था ताकि उसे गौरी का ख्याल ना आये। अपने बुक रेंक के पास आकर मुन्ना अपनी किताबें जमाने लगा। किताबे रखते हुए सहसा ही उसके हाथ रुक गए और उसे गौरी की याद आने लगी। उसे वो पल याद आने लगे जब गौरी पहली
बार उसके कमरे में आयी थी और किताबे देखते हुए कहा था “तुम लव स्टोरी नहीं पढ़ते ?”
और मुन्ना ने जवाब में कहा था “दुनिया की सबसे खूबसूरत प्रेम कहानी होती है हमारी अपनी , जिसे ना लिखा जा सकता है ना ही सूना जा सकता है बस महसूस किया जा सकता है”
आज मुन्ना उस कहानी के दर्द को महसूस कर रहा था। उसने किताबो को रेंक में ही छोड़ा और बिस्तर पर आकर लेट गया। गौरी के साथ बिताये पल एक एक करके उसकी आँखों के सामने आने लगे। वह चाहकर भी गौरी की यादो से खुद को आजाद नहीं कर पाया। आज जैसे शक्ति और काशी का प्यार सब समझ गए क्या कभी उसका और गौरी का प्यार भी समझ पाते सोचकर मुन्ना को सीने ने एक चुभन का अहसास होने लगा। मुन्ना पहले जब भी गौरी के बारे में सोचता मुस्कुराने लगता था , ख़ुशी उसकी आँखों में साफ दिखाई देती थी लेकिन अब जब भी वह गौरी के बारे में सोचता है तो सबसे पहले उसे वंश का चेहरा नजर आता है और मुन्ना अपनी बढ़ती भावनाओ को रोक लेता है। गौरी के बारे में सोचते सोचते मुन्ना ने अपनी आँखे मूँद ली और कुछ देर बाद नींद के आगोश में चला गया।

घाट पर हुई लड़ाई की वजह से वंश को हाथ में हल्की सी खरोंचे आयी थी और कपडे भी गंदे हो चुके थे इसलिए वह अपने कमरे में आया और नहाने चला गया। नहाने के बाद वंश अपने बालों को पोछते हुए बाहर आया उसने अपना फोन देखा उसमे 2 मिस्ड कॉल थे। वंश ने बाल पोछते हुए ही नंबर वापस डॉयल किया और फोन स्पीकर पर करके बिस्तर पर डाल दिया। रिंग जा रही थी और कुछ देर बाद किसी ने फोन उठाया और कहा,”हेलो कौन ?”
लड़की की आवाज सुनकर वंश को अजीब लगा उसने कहा,”हु आर यू ?”
“अजीब आदमी हो फोन तुमने किया है और पूछ मुझसे रहे हो”,लड़की ने चिढ़ते हुए कहा
वंश को ये आवाज जानी पहचानी लगी लेकिन कौन था ये उसे अभी तक समझ नहीं आया था उसने अपनी टीशर्ट उठायी और पहनते हुए कहा,”देखो ज्यादा स्मार्ट बनने की जरूरत नहीं है , तुम्हारे मिस्ड कॉल थे इसलिये मैंने फोन किया , अब बताओ कौन हो तुम ?”
“स्मार्ट समझना क्या है मैं आलरेडी स्मार्ट हूँ और वैसे भी मैंने तुम्हे कोई फोन नहीं किया है समझे,,,,,,,,,,,,,,,,,,बेवकूफ”,लड़की ने बड़ी ही नफरत से बेवकूफ कहा तो वंश को याद आया ये तो निशि है क्योकि उसी ने एक बार वंश को ऐसे ही बेवकूफ कहा था। उसने जल्दी से बिस्तर पर रखा फोन उठाया और स्पीकर बंद करके कान से लगाते हुए कहा,”तुम ?,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे मेरा नंबर किसने दिया ? मुंबई में परेशान करने में कोई कमी रह गयी थी जो अब तुमने मुझे फोन पर परेशान करना शुरू कर दिया”
“चिरकुट,,,,,,,,,,,,,,ये तुम्हारा नंबर है ? व्हाट द हेल ? तुम्हे लगता है मैं इतनी स्टुपिड हूँ की तुम्हे सामने से फोन करुँगी,,,,,,,,,,,,ओह्ह हेलो इतना भी मिस नहीं कर रही हूँ मैं तुम्हे”,गुस्से गुस्से में निशि दिल की बात कह गयी। वंश ने सूना तो उसका दिल धड़का वह खामोश हो गया और फिर एकदम से कहा,”अह्ह्ह मतलब तुमने मुझे मिस किया ? ओके तुम्हे कोई सपना आया था क्या लाईक तुमने मेरी टीशर्ट पहनी है , और उसके लिए हम दोनों झगड़ा कर रहे है एट आल”
“व्हाट ? तुम क्या पागल हो गए हो ? और मैं तुम्हे कोई मिस विस नहीं कर रही हूँ समझे,,,,,,,,,,,,,,,,,,पता नहीं किस गधे ने तुम्हारा नंबर डॉयल किया था,,,,,अब फोन रखो”,निशि ने गुस्से से कहा तो वंश ने बिना फोन काटे ही बिस्तर पर फेंक दिया उसे लगा निशि ने फोन काट दिया होगा लेकिन फोन चालू था और वंश लगा तेज तेज बड़बड़ाने,”समझती क्या है खुद को ? जब देखो तब गुस्सा इसकी नाक पर ही रहता है कभी कभी तो लगता है जैसे सामने वाले को कच्चा चबा जाएगी,,,,,,,,,,,,,,,चुड़ैल कही की। खुद को मिस वर्ल्ड समझ रखा है सोचती है मैं उसके पीछे घूमूँगा अरे बनारस में लड़किया पीछे घूमती है मेरे , वो भी उस से कई ज्यादा अच्छी,,,,,,,,,,,,,,,,,,अभी मुंबई में बैठी है इसलिए इतना चिल्ला ली मुझपे बनारस में होती ना तो मुंह तोड़ देता मैं उसका,,,,,,,,,,,बड़ी आयी चिरकुट कहने वाली , खुद को देखा है छिपकली कही की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह मैंने इसे फोन किया ही क्यों ? मेरा पूरा मूड ऑफ कर दिया इसने,,,,,,,,,,,,,,जिंदगी में कभी बनारस आयी ना तो यही किसी घाट के पानी में धक्का दे दूंगा इसे,,,,,,,,,,,,,बाद में मछलियों से कहती रहना,,,,,,,,,,आर यू मेड ? व्हाट द हेल,,,,,,,,,,,,,,,!!”
बड़बड़ाते हुए जैसे ही वंश की नजर फोन की स्क्रीन पर पड़ी उसने देखा उसका फोन चालू था उसने जल्दी से फोन उठाया और कहा,”हेलो !! तुमने तुमने सब सुन लिया क्या ?”
“हम्म्म !”,निशि ने अपने गुस्से को काबू में रखते हुए कहा
“मतलब मैं फोन काटना भूल गया था,,,,,,,,,,देखो तुमने ही मुझे गुस्सा दिलाया था इसलिए,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने इतना ही कहा की निशि ने चिल्लाकर कहा,”जस्ट शट अप , अगर दोबारा मुझे फोन किया ना तो फोन में घुसके मारूंगी तुम्हे,,,,,,,,,,,,,,,स्टुपिड”
“लेकिन मैंने क्या किया ?”,वंश ने इतना ही कहा की निशि ने फोन काट दिया। वंश बेचारा मुँह लटकर बिस्तर पर बैठ गया और मासूमियत से कहा,”यार ये लड़की खुद को समझती क्या है ? जब देखो तब चिल्लाती रहती है”
वंश ने फोन साइड में रखा और बिस्तर पर लेटकर निशि के बारे में सोचने लगा , आखिर निशि ने उसे फोन क्यों किया था ?”

उधर निशि ने गुस्से से फोन काटा और अपना गुस्सा कंट्रोल करने लगी इतने में उसकी मम्मी आयी और कहा,”निशि क्या हुआ है तुम्हे तुम इतनी जोर जोर से किस पर चिल्ला रही थी ?”
“मम्मा उस चिरकुट को मेरा नंबर किसने दिया ?”,निशि ने गुस्से से कहा
“चिरकुट ?,,,,,,,,,,,,,,तुम क्या वंश की बात कर रही हो ? अरे उसे तो मैंने ही फोन किया था वो मुझे उस से कुछ पूछना था , मेरे फोन में बेलेंस नहीं था इसलिए तुम्हारे फोन से फोन किया लेकिन उसने उठाया ही नहीं ,, उसका फोन आया था क्या ?”,निशि की मम्मी ने निशि की गलतफहमी दूर करते हुए कहा।
“आपका बस चले तो आप पुरे शहर में मेरे नंबर बाँट दो”,कहते हुए निशि वहा से चली गयी
अपने कमरे में आकर निशि ने फोन बिस्तर पर फेंका और मुंह धोने चली गयी। वापस आकर वह शीशे के सामने खड़ी मुंह पोछने लगी तो सहसा ही उसे वंश की कही बात याद आयी “अह्ह्ह मतलब तुमने मुझे मिस किया ? ओके तुम्हे कोई सपना आया था क्या लाईक तुमने मेरी टीशर्ट पहनी है , और उसके लिए हम दोनों झगड़ा कर रहे है एट आल”
निशि को जैसे ही ये याद वह धीरे से बड़बड़ाई,”वो किस सपने की बात कर रहा था ? क्या उसने कोई सपना देखा ? आह्ह्ह्ह वो लड़का खुद तो पागल है मुझे भी पागल कर देगा,,,,,,,,,,,!!”
निशि ने अपने बालो को समेटकर कलेचर लगाया और आँखों पर चश्मा लगाकर अपनी स्टडी टेबल के सामने आ बैठी। उसने बुक खोली और पढ़ने लगी। कुछ ही वक्त बिता की वंश की बातें फिर उसके दिमाग में घूमने लगी और उसने अपनी बुक बंद करते हुए खुद से कहा,”उसको फोन मम्मा ने किया था मैंने खामखा उसे डांट दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या मुझे उसे सॉरी बोलना चाहिए ?,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं बिल्कुल नहीं अगर मैंने उसे सॉरी बोला तो वो भाव खायेगा,,,,,,,,,,,,और डांट दिया तो क्या ? उसने भी तो मुझे कितना कुछ बोला है,,,,,,उलटा उसे मुझसे सॉरी बोलना चाहिए”
निशि पढ़ने बैठी थी लेकिन वंश के ख्याल ने उसका ध्यान भटका दिया और वह काफी देर तक उसी में उलझी रही,,,,,,,,,,,,,,,!!!

इंदौर , मध्य-प्रदेश
शाम में गौरी अपनी कोचिंग से वापस लौट रही थी। जबसे मुन्ना ने उसे कहा था की वह उसे भूल जाये तबसे ही गौरी की जिंदगी काफी बदल गयी थी। अब ना वह किसी से ज्यादा बात करती ना ही हंसती मुस्कुराती ,, वह जानबूझकर खुद को बिजी रखती ताकि उसे मुन्ना की याद ना आये। गौरी खामोश रहकर बस सब ठीक होने का इंतजार कर रही थी। वह ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहती थी जिस से मुन्ना उस से और दूर चला जाये। गौरी थके कदमो से घर आयी और बेल बजायी। दरवाजा जय ने खोला और गौरी को सामने देखकर कहा,”दी क्या मैं आपकी स्कूटी ले जाऊ ?”
गौरी ने कोई जवाब नहीं दिया बस जेब से चाबी निकालकर जय की तरफ बढ़ा दी और अंदर चली आयी। गौरी ने अपने कमरे में आकर कपडे बदले और नीचे चली आयी ,निचे आकर वह सीधा किचन में चली आयी और अपने लिए कॉफी बनाने लगी। उसे कॉफी बनाते देखकर उसकी मम्मी ने कहा,”गौरी तुम बैठो बेटा मैं तुम्हारे लिए कॉफी बना देती हूँ”
अपनी मम्मी की बात सुनकर गौरी किचन में बने सिंक की तरफ चली आयी और बर्तन धोने लगी। गौरी की मम्मी ने देखा तो उन्हें हैरानी हुई और उन्होंने नल बंद किया और गौरी का हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर करके कहा,”तुम ये सब काम क्यों कर रही हो ? क्या तुम ठीक हो ?”
गौरी की आँखों में नमी उतर आयी वह खुद को बिजी रख के मुन्ना के बारे में ना सोचने की नाकाम कोशिश कर रही थी। उसने अपनी माँ की तरफ देखा और कहा ,”खुद को बिजी रखने की कोशिश कर रही हूँ मॉम ताकि मान की याद ना आये”
गौरी की माँ ने देखा गौरी बहुत अपसेट है उन्होंने उसे गले लगाते हुए कहा,”तुम दोनों के बीच सब ठीक है ना बेटा ? तुम कहो तो मैं मान से बात करती हूँ”
गौरी ने अपने आँसू पोछे और अपनी माँ के गले लगे हुए कहा,”नहीं मॉम वो इस वक्त परेशान होगा , मैं उसे और परेशान करना नहीं चाहती”

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