Sanjana Kirodiwal

Story with Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

“मैं तेरी हीर” – 11

Main Teri Heer – 11

Main Teri Heer
Main Teri Heer

वंश और मुन्ना ने एक साथ “गौरी” कहा और दोनों के लिए ये अब तक की सबसे बड़ी चौंकाने वाली चीज थी। मुन्ना से ज्यादा वंश हैरान था की आखिर मुन्ना ने भी गौरी का नाम क्यों लिया ? वह उठा और मुन्ना के सामने आकर कहा,”क्या कहा तुमने ? फिर से कहना ज़रा”
मुन्ना का दिल अभी भी धड़क रहा था एक पल को उसे लगा हो सकता है वंश किसी और गौरी के बारे में बात कर रहा हो लेकिन अगले ही पल वंश ने उसका ये भरम भी तोड़ दिया और कहा,”मुन्ना मैं काशी की दोस्त गौरी की बात कर रहा हूँ जो इंदौर में रहती है और यहाँ बनारस आयी थी , क्या तुमने भी उसी का नाम लिया ? बता ना मुन्ना क्या तुम भी उसी गौरी से प्यार करते हो ?”
वंश की आवाज में डर और आँखों में बेचैनी साफ़ नजर आ रही थी। मुन्ना ने वंश को देखा और अपने दिल को मजबूत करके कहा,”दुनिया में क्या एक ही लड़की है जिसका नाम गौरी है ? हम जिस लड़की को पसंद करते है उसका नाम गौरी है लेकिन वो काशी की दोस्त नहीं है”
वंश ने जैसे ही सूना उसे राहत महसूस हुई वह खुश होकर पलट गया और वही छत पर टहलते हुए कहने लगा,”एक पल को तो लगा जैसे तुमने भी उसी लड़की का नाम लिया। मैं कभी सोचा नहीं था मुझे किसी लड़की से प्यार हो जाएगा,,,,,,,,,,,,पर गौरी में वो बात है जो किसी को भी अपना बना ले।”
मुन्ना ख़ामोशी से सब सुनता रहा उसने उस पल खुद को इतना कठोर बना लिया की अपने मन में चल रही उथल पुथल को उसने अपने चेहरे पर नहीं आने दिया। उसकी आँखों में नमी उतर आयी लेकिन उसने अपने आँसुओ को अपनी आँखों में ही रोक लिया। उसकी धड़कने बहुत धीमी चल रही थी उसे महसूस हो रहा था जैसे सेंकडो शूल एकदम से आकर उसके सीने में धस गयी हो। मुन्ना इस वक्त जो दर्द महसूस कर रहा था उसका अंदाजा वंश को नहीं था। वह ख़ुशी से मुन्ना की तरफ पलटा और कहने लगा,”पता है मुन्ना मैंने ये बात सबसे पहले तुम्हे बताई है , गौरी को बताना चाहता था लेकिन उस से पहले ही मुंबई जाना पड़ा लेकिन वहा एक हफ्ता रहकर मुझे ये अहसास हुआ वो मेरे लिए क्या है ? ये जो मेरे हाथ में बेंड है ये खो गया था और इसे ढूंढने के लिए मैं इतना परेशान हो गया जितना आज तक अपनी जिंदगी में कभी नहीं हुआ था ( मुस्कुराने लगता है ) उस पल मुझे अहसास हुआ वो मेरी जिंदगी में क्या मायने रखती है। मैं उसे बहुत पसंद करता हूँ और मैं चाहता हूँ वो हमेशा मेरे साथ रहे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,समझ नहीं आ रहा मैं तुझे अपनी फीलिंग्स कैसे बताऊ यार ? वो बहुत अच्छी है और मैं उसे बहुत चाहता हूँ”
मुन्ना ने सूना तो उसका दिल टूट गया , वंश भी उसी लड़की को चाहता था जिस से मुन्ना प्यार करता था और ये बात जानना मुन्ना के लिए सबसे ज्यादा तकलीफदेह था क्योकि गौरी अगर उसकी मोहब्बत थी तो वंश उसका सबकुछ। मुन्ना ख़ामोशी से वंश को देखता रहा एक पल को उसने सोचा भी की वंश को सबकुछ बता दे लेकिन वंश की ख़ुशी देखकर वह रुक गया। आज से पहले ऐसी ख़ुशी और ऐसी कशिश उसने वंश की आँखों में पहले कभी नहीं देखी थी। मुन्ना ने खुद को रोक लिया लेकिन अंदर ही अंदर एक दर्द उसे खाये जा रहा था , वह यहाँ से जाना चाहता था लेकिन उसके पैर जैसे जड़ हो चुके थे।
वंश मुन्ना के पास आया और कहने लगा,”मुन्ना गौरी के अलावा मैं किसी और से प्यार नहीं कर पाऊंगा यार , उसके बारे में सोचता हूँ तो सब सही लगता है ,, देख मैं बदल गया हूँ , मेरा गुस्सा , लड़ाई झगडे सब अपने आप खत्म हो गए,,,,,,,,,,,तू कहता था ना की जब कोई सही लड़की मेरी जिंदगी में आएगी तो सब ठीक हो जाएगा वो लड़की “गौरी” ही है मुन्ना , आई इन लव”
मुन्ना ने आगे बढ़कर वंश को गले लगाया और उसकी पीठ थपथपाते हुए धीमे स्वर में कहने लगा,”तुम्हारी पसंद बहुत अच्छी है वंश उसका ख्याल रखना”
“ए मुन्ना क्या हुआ तुम्हे तुम ठीक हो ना ?”,वंश ने उसके गले लगे हुए कहा लेकिन मुन्ना ने कोई जवाब नहीं दिया बस धीरे धीरे वंश की थपथपाता रहा , उसके पास अब बोलने को कुछ नहीं बचा था वो आज अगर वंश को सच बता देता तो वंश को दिल टूट जाता। मुन्ना खुद को टूटते हुए देख सकता था लेकिन वंश को नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,पुरे घर और बनारस में ये बात हर कोई जानता था की मुन्ना सबसे ज्यादा प्यार वंश से करता है।
मुन्ना वंश से दूर हटा और जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा,”वैसे हमे गौरी को थैंक्स बोलना चाहिए उसने तुम्हे सुधार दिया”
“क्या यार मुन्ना मैं इतना भी बिगड़ा हुआ नहीं हूँ , अच्छा तुम जिसे पसंद करते हो उसके बारे में बताओ कुछ?”,वंश ने कहा
“हम,,,,,,,,,,,,हम क्या बताये ? हम तो बस तुमसे मजाक कर रहे थे”,मुन्ना ने अपनी भावनाओ को दबाते हुए कहा
“क्या सच में ? मुझे लगा ही था , कितनी लड़किया कॉलेज में तुम्हारे आगे पीछे घूमती थी लेकिन तुमने कभी किसी को भाव नहीं दिया,,,,,,,,,,,,,वैसे मैं एक बात कहु तुम्हे भी एक अच्छी सी लड़की देखकर उस से प्यार कर लेना चाहिए , फिर देखना तुम्हारी जिंदगी कितनी अच्छी हो जाएगी”,वंश ने फिर यहाँ वहा घूमते हुए कहा
मुन्ना ने नम आँखों से वंश की तरफ देखा और कहा,”हम्म्म हमे अभी इसकी जरूरत नहीं है , हम तुमसे कल मिलते है अभी हमे जाना होगा”
“क्या तुम थोड़ी देर और नहीं रुक सकते ?”,वंश ने मासूमियत से कहा
मुन्ना अब तक खुद को , अपनी भावनाओ को रोक चुका था लेकिन अब उसके लिए ये मुश्किल हो रहा था वह जानता था की वह वंश से झूठ नहीं बोल पायेगा इसलिए उसने कहा,”हमे कुछ जरुरी काम है हम तुमसे कल मिलते है”
“अच्छा ठीक है मैं तुम्हे फ़ोर्स नहीं करूंगा लेकिन कल शाम हम दोनों डिनर पर जायेंगे”,वंश ने बच्चो की तरह ख़ुशी होकर कहा
“हम्म ठीक है , अपना ख्याल रखो”,कहकर मुन्ना नीचे जाने वाली सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया।
“मुन्ना,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा तो मुन्ना जाते जाते रुक गया लेकिन उसमे पलटकर वंश को देखने की हिम्मत नहीं थी क्योकि उसका चेहरा अब तक उदासी से घिर चुका था उसने बिना पलटे ही कहा,”हाँ”
“देखना बहुत जल्द तुम्हारी जिंदगी में भी कोई ऐसी लड़की आएगी जिस से तुम्हे प्यार हो जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,वंश ने मुस्कुरा कर कहा
“हम्म्म”,कहकर मुन्ना वहा से चला गया और वंश वापस उसी तख्ते पर आकर लेट गया और आसमान में चमकते उस चाँद को देखने लगा। मुस्कुराहट उसके होंठो से दूर होने का नाम नहीं ले रही थी और वह बस मुस्कुराये जा रहा था।

वंश गौरी से प्यार करता है ये जानने के बाद मुन्ना का दिल टूट गया। थके कदम से वह धीरे धीरे सीढिया उतरने लगा। उदासी उसके चेहरे पर उतर आयी उसकी धड़कने बहुत धीमे चल रही थी। वंश के कहे शब्द उसके कानो में गूँज रहे थे , वंश का हँसता मुस्कुराता चेहरा , ख़ुशी से भरी उसकी आँखे और गौरी के लिए उसका प्यार सब मुन्ना की आँखों के सामने किसी फिल्म की भांति चल रहा था। एक दर्द उसे अपने सीने में महसूस हो रहा था और ये क्यों था वो खुद नहीं जानता था। सोच में डूबा धीमी चाल चलता मुन्ना घर से बाहर खड़ी अपनी जीप की तरफ जाने लगा।
“अरे मुन्ना भैया आप भी यहाँ है ?”,सामने से आती काशी ने कहा लेकिन मुन्ना ने जैसे सूना ही नहीं और आगे बढ़ गया। काशी वही खड़ी मुन्ना को जाते हुए देखते रही ,मुन्ना अपनी जीप में आकर बैठा और जीप स्टार्ट कर वहा से निकल गया। काशी ने पहली बार मुन्ना को इतना परेशान देखा था। सारिका के बुलाने पर काशी अंदर चली गयी। मुन्ना जीप चला रहा था पर उसे ये नहीं पता था की उसे कहा जाना है ? वह बस बनारस की सड़को पर घूमता रहा , ना वह घर जाना चाहता था ना ही कही और इस वक्त उसका मन बहुत बैचैन था , उसकी आँखों के सामने कभी गौरी के साथ बिताये पल आते तो कभी वंश के साथ बिताये पल,,,,,,,,,,,,,,मुन्ना को दोनों ही अजीज थे और वह इन दोनों को ही खोना नहीं चाहता था। घंटो सड़को पर घूमने के बाद मुन्ना अस्सीघाट चला आया। उसने जीप को साइड में खड़ा किया और उदास चेहरा लिए नीचे चला आया। उसकी आँखों में नमी थी और मन भारी था वंश के अलावा ऐसा कोई नहीं था उसकी जिंदगी में जिस से वो अपने मन की बात कह सके और आज हालात ये थे की वह वंश से भी अपना दर्द नहीं बाँट सकता था। सीढ़ियों से उतरते हुए नीचे चला आया। गंगा का पानी आज तेज बहाव में था और सीढ़ियों तक भरा हुआ था।
मुन्ना वही सीढ़ियों पर आकर खड़ा हो गया और सामने बहते पानी को देखने लगा। उसकी आँखों में ठहरे आँसू बाहर आने को बेताब थे लेकिन मुन्ना जैसे तैसे उन्हें रोककर खड़ा था। उसने अपने हाथो को आपस में बाँध लिया और अपनी भावनाओ पर काबू पाने की कोशिश करने लगा। उसके लिए अपने मन को समझाना मुश्किल हो रहा था। गौरी उसका प्यार है और वंश उसका भाई और वह दोनों का दिल नहीं तोड़ना चाहता था और यही बात उसे बार बार परेशान कर रही थी। उसका गला रुंध गया और उसे तकलीफ होने लगी तो उसने अपने हाथो को खुला छोड़ दिया और अपने निचले होंठो को दाँतो दबा लिया। वह वही सीढ़ियों पर बैठ गया। उदासी उसके चेहरे से जाने का नाम नहीं ले रही थी और ऐसे में वह घर जाना भी नहीं चाहता था,,,,,,,,,,,,,,,मुन्ना में बचपन से ही एक आदत रही की वह किसी के लिए ना तो कभी अपना प्यार जाहिर करता था ना ही अपना दुःख,,,,,,,,,,और यही वजह थी की आज वह इतने दर्द में था। मुन्ना कुछ देर वही बैठा रहा उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसकी आँखे अभी भी भरी हुई थी और चेहरा ठण्ड की वजह से थोड़ा लाल हो चुका था। मुन्ना गौरी के बारे में सोचने लगा , कुछ देर बाद उसका फोन बजा मुन्ना ने जेब से फोन निकाला स्क्रीन पर गौरी का नंबर देखकर मुन्ना ने फोन उठाया और कान से लगा लिया लेकिन कुछ कहा नहीं दूसरी तरफ से गौरी की आवाज उभरी – हेलो मान
गौरी के मुंह से अपना नाम सुनकर मुन्ना का दिल भर आया लेकिन उसने कुछ नहीं कहा वह खामोश रहा। मुन्ना के जवाब ना देने पर गौरी ने फिर कहा,”आई नो मैंने आज बहुत ही स्टुपिड हरकत की , मुझे नहीं पता था फोन पर तुम्हारे पापा है , तुम कहोगे तो मैं उनसे माफ़ी मांग लुंगी और मैं तुमसे भी माफ़ी मांग लुंगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे मैं तुम्हे इस वक्त फोन करना नहीं चाहती थी पर पता नहीं क्यों ऐसे लगा जैसे तुम किसी बात को लेकर परेशान हो , बहुत तकलीफ हो,,,,,,,,,,,,,तुम ठीक हो ना मान ?”
गौरी के इतना कहते ही मुन्ना की आँख में ठहरे आँसू बह गए , वह नहीं चाहता था गौरी को उसके हालात के बारे में पता चले उसने अपनी आँखे मूँद ली , उसे बहुत तकलीफ हो रही थी। मुन्ना की तरफ से कोई जवाब ना पाकर गौरी ने कहा,”तुम सुन रहे हो ना मान ? मैं बस जानना चाहती हु की तुम ठीक हो या नहीं ?”
मुन्ना ने फोन काट दिया , गौरी की आवाज सुनते ही वह कमजोर पड़ गया। गौरी उसे फिर से फोन ना करे सोचकर मुन्ना ने फोन स्विच ऑफ कर दिया और अपना चेहरा अपने हाथो में छुपाकर सिसकने लगा। वह अपनी भावनाओ को रोक पाने में नाकाम रहा। अस्सीघाट की सीढ़ियों पर इस वक्त वह अकेला था और ये वक्त उसके लिए बहुत ही मुश्किल था लेकिन यही से मुन्ना को खुद को सम्हालना था। रात गहराने लगी मुन्ना उठा और घर के लिए निकल गया। देर रात वह घर आया सब सो चुके थे मुन्ना अपने कमरे में आया और दरवाजा बंद करके बिस्तर पर आ बैठा। हमेशा वक्त से सोने वाले मुन्ना की आँखों से आज नींद गायब थी। वह गौरी के ख्यालो में उलझता जा रहा था। गौरी के साथ बिताये पल उसकी आँखों से सामने किसी फिल्म की तरह चलने लगे। गौरी की कही बात उसे याद आई
“मैं चाहूंगी हम हमेशा साथ रहे और तुम मुझे ऐसे ही प्यार करते रहो”
ये बात याद आते ही मुन्ना की आँखे फिर नम होने लगी लेकिन अगले ही पल वंश के साथ बिताये पल उसकी आँखों के सामने आने लगे और वंश की कही बात उसके कानो में गुंजी “हमारे रिश्ते के बीच कभी कोई लड़की नहीं आएगी मुन्ना”
मुन्ना लेट गया और अधखुली आँखों से कमरे की छत को देखने लगा। उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया और इस वक्त वह गौरी और वंश के अलावा कुछ और सोच ही नहीं पा रहा था।

मुन्ना के जाने के बाद काशी अंदर चली आयी जैसे ही उसे पता चला उसके वंश भैया भी घर आ चुके है तो वह ख़ुश हो गयी और सारिका से कहा,”माँ वंश भैया कहा है हम उनसे मिलकर आते है”
“अरे खाना तो खा लो काशी”,सारिका ने आवाज दी लेकिन काशी कहा सुनने वाली थी वह सीढ़ियों से ऊपर चली आयी। वंश छत की दिवार के पास खड़ा सामने खाली पड़े आसमान को देख रहा था। काशी दबे पाँव वंश की तरफ आयी और उसे डरा दिया। वंश चौंका और पीछे मुड़कर देखा काशी खड़ी मुस्कुरा रही थी।
“आप मुंबई जाने वाले थे आपने बताया क्यों नहीं ?”,काशी ने शिकायती लहजे में कहा
“अरे काशी सब अचनाक से हुआ , मुन्ना को तो तुम जानती हो ना वो किसी को कहा कुछ बताता है बस एकदम से शॉक देता है ,, उसी ने पापा को भी मनाया और मेरे मुंबई जाने की प्लानिंग भी की। अभी थोड़ी देर पहले मुन्ना यही था तुम्हे मिला होगा नीचे”,वंश ने कहा
“हाँ , और हम आपके लिए बहुत खुश है अब तो आप टीवी में आएंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,शाहरुख़ सलमान कटरीना सबसे मिलेंगे है ना ?”,काशी ने कहा
“हाँ शायद , और तुम कहा थी अब तक ?”,वंश ने काशी के कंधे पर हाथ रखकर उसके साथ नीचे जाते हुए पूछा
“हम , हम गंगा आरती देखने गए थे , आप मेरे लिए मुंबई से क्या लाये ?”,काशी ने पूछा
“तुम्हारे लिए लाना मैं भूल गया”,वंश ने मासूमियत से कहा तो काशी ने किसी छोटी बच्ची की तरह मुंह बना लिया। वंश ने देखा तो उसके गालो को अपने दोनों हाथो से खींचते हुए कहा,”तुम्हारे लिए कुछ लाना मैं कैसे भूल सकता हूँ ? नीचे तुम्हारे कमरे में रखा है जाओ जाकर देख लो”
वंश ने जैसे ही कहा काशी के चेहरे की मुस्कान वापस लौट आयी , वह जल्दी से नीचे अपने कमरे में आयी देखा वहा एक डिब्बा रखा था जिसमे एक बहुत ही खुबसुरत ड्रेस था। काशी को वो बहुत पसंद आया।
“पसंद आया ?”,दरवाजे पर खड़े वंश ने पूछा
“हाँ बहुत , थैंक्यू भैया”,काशी ने वंश के गले लगते हुए कहा। वंश काशी के कमरे में बैठकर उसे मुंबई के बारे में बताने लगा बस गौरी के बारे में कुछ नहीं बताया क्योकि पहले वंश गौरी को अपने दिल की बात बताना चाहता था। देर रात वंश सोने चला गया।

अगली सुबह वंश उठा और तैयार होकर अपने दोस्तों से मिलने निकल गया। मुन्ना रातभर सो नहीं पाया सुबह जाते उसकी आँख लगी। हमेशा जल्दी उठने वाला मुन्ना देर तक सोया था। अनु उसकी चाय लेकर ऊपर कमरे में आयी उसने मुन्ना को सोया देखा तो कम्बल ओढ़ाया और दरवाजा बंद कर नीचे चली आयी। अनु के हाथ में चाय का को देखकर मुरारी ने पूछा,”का बात है मुन्ना उठा नहीं अभी तक ?”
“वो सो रहा है”,अनु ने कहा
“ठीक है जब वो उठ जाये तो उस से कहना तिवारी जी से जाकर मिल ले , बैंगलोर की एक बड़ी कम्पनी में अकाउंटेंट की नौकरी है उसी के लिए बात करनी होगी उन्हें मुन्ना से”,मुरारी ने अपने हाथ में घडी पहनते हुए कहा।
“अकाउंटेंट की नौकरी ? मुरारी क्या मुन्ना अब अकाउंटेंट की नौकरी करेगा ?”,अनु ने हैरानी से कहा
“देखो मैग्गी हमरी राजनीती में उसको कोनो इंट्रेस्ट नहीं है , बनारस में उसको कोई छोटा मोटा काम करना नहीं है , पढाई उसकी खत्म हो चुकी है तो अब उसको अपने पैरो पर खड़े होने के लिए कुछ तो करना होगा ना ?”,मुरारी ने कहा
“मुरारी तुम मेरे बेटे पर जुल्म कर रहे हो , अभी अभी उसका कॉलेज खत्म हुआ है उसे अपने फ्यूचर के बारे में कुछ तो सोचने दो , या ऐसे ही उस पर अपने फैंसले थोप दोगे ?”,अनु ने थोड़ा चिढ़ते हुए कहा
“अरे यार हमारा मतलब 25 के हो चुके है तुम्हरे मुन्ना , कल को उनकी सादी वादी होगी तो आने वाली लड़की चाहेगी ना की उसका पति जिम्मेदार हो”,मुरारी ने कहा
“हाँ लेकिन अपना फ्यूचर चुनने का अधिकार मुन्ना को भी है , वो क्या करना चाहता है ये जाने बिना ही आप उसके लिए नौकरी ढूंढ रहे है। वो बनारस छोड़कर कही नहीं जाएगा जानते है आप फिर भी इतनी दूर जॉब ढूंढी है उसके लिए”,अनु ने कहा
“अच्छा ठीक है मुन्ना से ही पूछ लेते है”,मुरारी ने जाते हुए कहा तो अनु ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और बड़े ही प्यार से कहा,”मुरारी , वो हमारा इकलौता बेटा है हम उस पर अपनी इच्छाएं नहीं थोप सकते , कल रात भी मुन्ना जब घर आया था तब काफी अपसेट था ,, हमारा बेटा इतना समझदार है की वो अपने लिए कभी कोई गलत फैसला नहीं लेगा तुम चिंता मत करो”
“तुम्हारी चिंता समझ सकते है इसलिए हम उस से कुछ नहीं कहेंगे”,मुरारी ने कहा और बाहर निकल गया।

मुन्ना नींद से उठा उसका चेहरा उदासी से भरा हुआ था। वह उठकर बाथरूम में आया और वाशबेसिन के सामने आकर मुंह धोने लगा। मुन्ना के दिमाग में अभी भी वंश और गौरी ही चल रहे थे। मुन्ना समझ नहीं पा रहा था की था आखिर वह वंश और गौरी का सामना कैसे करे ? गौरी और वंश दोनों ही मुन्ना को अजीज थे और मुन्ना किसी भी हालत में दोनों को खोना नहीं चाहता था। मुन्ना काफी देर तक शीशे के सामने ऐसे ही खड़ा रहा जब उसने शीशे में अपना चेहरा देखा तो उसे अजीब सा महसूस हुआ। वह अपनी आँखों में गौरी के लिए प्यार साफ देख पा रहा था , मुन्ना अपनी भावनाओ की तो छुपा लेगा लेकिन उस रिश्ते को कैसे छुपायेगा जो गौरी और उसके बीच है। मुन्ना बाथरूम से बाहर चला आया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करे ? वह आकर बिस्तर पर बैठ गया और सोचने लगा की वह वंश को सच बताये या नहीं !

राजन अपने घर की छत पर सुबह सुबह अकेला बैठा शराब पी रहा था। ( शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है , लेखिका अपनी कहानी में इस तरह के नशे को बढ़ावा नहीं दे रही है ये सिर्फ कहानी की माँग है ) उसके सामने रखी टेबल पर एक शराब की बोतल रखी थी , साथ में दो ग्लास , एक पानी का जग और एक प्लेट भुने बादाम रखे थे। राजन हाथ में पकडे ग्लास से धीरे धीरे शराब पी रहा था।
“का बात है भैया सुबह सुबह महफ़िल जमा रखी है उह भी अकेले अकेले”,भूषण ने आकर राजन के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहा
“यहां काहे आये हो भूषणवा ?”,राजन ने भूषण को घूरते हुए कहा उसे भूषण की कही कल रात वाली कड़वी बाते याद आ गयी।
“अरे भैया रात गयी बात गयी उह शक्तिवा को देखे ना तो साला खून जल गवा हमारा इहलिये बोल दिए गुस्सा काहे हो रहे हो ? अच्छा चलो माफ़ी मांग लेते है आपसे माफ़ कर दो हमको”,भूषण ने कहा
“माफ़ी नहीं भूषणवा हमको काशी चाहिए”,राजन को अब थोड़ी थोड़ी चढ़ने लगी थी उसने भूषण की ओर देखकर कहा। उसकी आँखों में काशी को पाने की छटपटाहट साफ नजर आ रही थी।
“आप कहे तो उठा ले उसको ?”,भूषण ने भी राजन के उबलते जज्बातो पर घी डालते हुए कहा
“कर पाओगे ?”,राजन ने भूषण की आँखों में देखते हुए पूछा
“भैया एक्को मौका देकर देखो , डिसअपोइंट नहीं करेंगे आपको”,भूषण ने विश्वास से भरकर कहा। राजन ने हाथ में पकडे ग्लास का आखरी घूँट गटका और उठते हुए कहा,”तो फिर उठा लो काशी को अगर उह हमरी नहीं हुई तो उसे हम किसी और का होने भी नहीं देंगे।”
राजन की बात सुनकर भूषण के होंठो पर मुस्कान तैर गयी

Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11 Main Teri Heer – 11

क्रमश – Main Teri Heer – 12

Read More – “मैं तेरी हीर” – 10

Follow Me On – facebook | instagram | youtube

संजना किरोड़ीवाल

Main Teri Heer
Main Teri Heer

13 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!