Sanjana Kirodiwal

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हाँ ये मोहब्बत है – 37

Haan Ye Mohabbat Hai – 37

Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

गुजिया बनाने के बाद मीरा उठी और हाथ धोने वाशबेसिन की तरफ चली गयी। सब घर में थे तो शोर शराबा होना तो जायज ही था। विजय जी अपने कमरे में चले गए , राधा भी किसी काम से चली आयी और फिर वापस जाने लगी तो विजय जी ने कहा,”राधा सुनो”
“हां कहिये”,राधा ने विजय जी के सामने आकर कहा
“बैठो”,विजय जी ने राधा का हाथ पकड़कर उसे बैठाते हुए कहा
“हम्म्म कहिये”,राधा ने कहा
“घर की जिम्मेदारियों और कामो में तुम इतना उलझ चुकी हो की तुम्हारे पास हमारे लिए वक्त ही नहीं होता , याद है वो दिन जब हम घंटो एक दुसरे की बाते सूना करते थे पर अब तो तुम्हारे मुंह से कुछ सुनने को ही नहीं मिलता”,विजय जी ने प्यार से कहा
“आप भी तो घर की जिम्मेदारियों और बाहर के कामो में बिजी रहते है , पहले आपसे वक्त ना होने की शिकायत कर दिया करती थी लेकिन अब वो भी नहीं करती क्योकि जानती हूँ ये सब आप मेरे और मेरे बच्चो के लिए ही कर रहे है”,राधा ने भी उतने ही प्यार से कहा तो विजय ने उसका हाथ थाम लिया और कहने लगे,”पर अब सोच रहा हूँ की सारी जिम्मेदारियां अर्जुन और अक्षत के कंधो पर डाल दू और तुम्हारे साथ वक्त बिताऊ। बहुत कर लिया काम नया ऑफीस सोमित जी देख ही रहे है कुछ दिनों बाद हमेशा के लिए वह उन्ही के हवाले कर दूंगा आखिर वो भी हमारे बेटे जैसे ही है”
“मुझे लगता था की एक माँ का दिल बहुत बड़ा होता है लेकिन आपका दिल मुझसे भी बड़ा है। तनु और सोमित जी ने इस घर को अपना बहुत वक्त दिया है , आज वे दोनों भी इस घर परिवार का एक हिस्सा है”,राधा ने कहा
“अच्छा आज शाम में कौनसी साड़ी पहनने वाली हो तुम ?”,विजय जी ने एकदम से सवाल किया
“ये क्यों पूछ रहे हो आप ?”,राधा ने हैरानी से विजय जी की तरफ देखकर पूछा
“क्योकि मैं चाहता हूँ तुम आज वो साड़ी पहनो जो मैंने तुम्हे तुम्हारे पहले करवाचौथ पर दी थी , वो साड़ी है ना तुम्हारे पास ?”,विजय जी ने पूछा क्योकि उन बातो को सालो बीत चुके थे। राधा मुस्कुराई और कहा,”बिल्कुल है आपकी तरफ से दिया हुआ वो पहला तोहफा था मुझे , उसे कैसे ना सम्हालकर रखती”
“तुम सच में पागल हो राधा कितने साल गुजर चुके है उन बातो को शायद 30 से भी ज्यादा , तुम्हारी ये बातें ही मुझे पसंद है ,, फिर आज तुम वही साड़ी पहनना मुझे आज अपनी पुरानी राधा को देखना है”,विजय जी ने कहा
“क्या आप भी ? बच्चे बड़े हो चुके है , घर में दो दो बहु आ चुकी है उनके सामने ऐसे सजती संवरती अच्छी लगूंगी मैं , नीता और मीरा क्या सोचेंगी ?”,राधा ने कहा तभी कमरे में आते हुए नीता और मीरा ने कहा,”बिल्कुल अच्छी लगेगी माँ और हम लोग कुछ नहीं सोचेंगे”
“बदमाश तुम दोनों हमारी बातें सुन रही थी”,राधा ने आकर दोनों के कान पकड़ते हए कहा
“अरे नहीं माँ हम दोनों तो बस ऐसे ही आपसे कुछ कहने आये थे”,नीता ने कहा
“क्या ?”,राधा ने दोनों के कान पकडे पकडे ही पूछा
“पहले हमारा कान तो छोड़िये फिर बताते है”,इस बार मीरा ने कहा
“ये लो अब बताओ क्या कहने आयी थी ?”,राधा ने दोनों के कान छोड़ते हुए कहा
नीता और मीरा ने एक दूसरे को देखा और फिर एक साथ कहा,”यही की आज शाम पापा जी की पसंद की साड़ी पहनना”
राधा ने सूना तो उसकी आँखे फ़ैल गयी लेकिन उन दोनों से कुछ कहती इस से पहले ही वहा से भाग गयी। बाहर आकर नीता वहा से दूसरी और चली गयी अक्षत खेलकर थक चुका था इसलिए अपने कमरे में जाने वाला था चलते चलते उसकी नजर मीरा पर गयी मीरा को एकदम से चक्कर आया वह लड़खड़ाई लेकिन उसने खुद को सम्हाल लिया। अक्षत ने देखा तो जल्दी से मीरा के पास आया और कहा,”मीरा तुम ठीक हो ना ?”
“अक्षत जी हम ठीक है बस हल्का सा चक्कर आ गया था , पर हम ठीक है”,मीरा ने कहा
“नहीं तुम इधर आओ , यहाँ बैठो”,कहते हुए अक्षत मीरा को लेकर सोफे के पास आया और उसे बैठा दिया
“अरे हम ठीक है”,मीरा ने कहना चाहा तो अक्षत ने कहा,”चुप करके बैठो मैं अभी आता हूँ” कहते हुए अक्षत किचन की तरफ चला आया। अर्जुन निधि और सोमित जीजू चुपचाप मीरा को देख रहे थे। मीरा ने उनकी तरफ देखा तो सोमित जीजू ने भँवे उचकाई लेकिन मीरा को खुद कुछ नहीं पता था तो वह क्या बताती उसने ना में गर्दन हिला दी। कुछ देर बाद अक्षत हाथ में निम्बू पानी से भरा ग्लास लेकर आया और मीरा को देकर कहा,”पीओ इसे”
“अक्षत जी हम सच में ठीक है”,मीरा ने कहा
“हां वो तो दिख रहा है कितनी ठीक हो और कितना ख्याल रखती हो अपना चलो पीओ”,अक्षत ने मीरा की ओर ग्लास बढ़ा दिया। मीरा ने चुपचाप ग्लास लिया और जीजू की तरफ देखा तो जीजू ने इशारे से पूछा क्या हुआ ?
मीरा ने अपने हाथ की ऊँगली अपने दिमाग पास घुमाते हुए अक्षत की तरफ इशारा किया लेकिन जैसे ही उसने अक्षत की तरफ देखा तो पाया की अक्षत उसे ही घूर रहा है तो मीरा झेंपते हुए मुस्कुराने लगी।
“तुम मुझे पागल बता रही हो ?”,अक्षत ने मीरा को घूरते हुए पूछा
मीरा ने जल्दी जल्दी में ना में गर्दन हिलाई तो अक्षत ने कहा,”इसे खत्म करो मैं आता हूँ”
मीरा ने पीया तो अक्षत वहा से चला गया। निधि और जीजू तो इसी इंताजर में थे की कब अक्षत जाये उसके जाते ही दोनों मीरा के पास आकर बैठ गए। अर्जुन भी चला आया , कुछ देर बाद अक्षत आया इस बार उसके हाथ में प्लेट थी जिसमे कटा हुआ सेव , केला और संतरा रखी थी। अक्षत ने उसे मीरा को सामने रखा और बैठते हुए कहा,”वक्त पर खाओगी नहीं तो चक्कर ही आएंगे ना”
“अक्षत जी,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने कहना चाहा लेकिन अक्षत ने नहीं सूना और कहा,”मीरा तुम खाओगी या मैं माँ को बुलाऊ ?’
“हम खा लेंगे”,मीरा ने कहा क्योकि अगर राधा आती तो उसे ना जाने फिर क्या क्या खाना पड़ता ? मीरा बैठकर प्लेट को घूर रही थी तो पहल निधि ने की और एक सेब का टुकड़ा मीरा को खिलाते हुए कहा,”खाओगी नहीं मेरे लड़ाकू भाई से लड़ने की हिम्मत कहा से आएँगी तुम में ?”
मीरा ने मुस्कुराते हुए खा लिया अक्षत ने सूना तो निधि को घूर कर देखा। अक्षत को अपनी ओर देखता पाकर निधि ने कहा,”घूरो मत मीरा ने ही कहा था की आप थोड़े सडु टाइप के हो”
“हां तो वो मुझे सडु कहे या अकड़ू तुम नहीं बोल सकती ये सिर्फ उसका हक़ है”,अक्षत ने कहा
“हां जैसे सिर्फ मैं ही इनको साले साहब बोल सकता हूँ”,जीजू ने बीच में कूदते हुए कहा
“अरे आप तो रहने ही दो , कितनी जल्दी साइड बदली है अपने सब दिख रहा है”,कहते हुए अक्षत ने तिरछी नजरो से अर्जुन की तरफ देखा।
“तेरी प्रॉब्लम क्या है ?”,अर्जुन ने थोड़ा रुड होकर कहा
“आपकी क्या प्रॉब्लम है ?”,अक्षत ने भी उसी स्वर में कहा
“अभी बताता हूँ , बहुत बड़ा हो गया है ना तू”,कहते हुए अर्जुन अक्षत पर टूट पड़ा ये दो दिन का गुस्सा था जो अर्जुन अक्षत पर निकाल रहा था। दोनों सोफे पर एक दूसरे के ऊपर गिरे आपस में उलझे हुए थे। जीजू और निधि तो बैठकर दोनों की फाइट इंजॉय कर रहे थे पर मीरा को अच्छा नहीं लग रहा था दोनों भाईयो का ऐसे लड़ना तो उसने कहा,”अक्षत जी , अर्जुन जी ऐसे आपस में मत लड़िये आप लोग”
लेकिन मीरा की कौन सुनता दोनों एक दूसरे में गुथम-गुत्था थे। मीरा ने देखा कोई उसकी नहीं सुन रहा है तो उसने अपना हाथ अपने पेट पर रखा और चिल्लाई,”आहहह”
अर्जुन और अक्षत ने जैसे ही मीरा की चीख सुनी तुरंत एक दूसरे को छोड़ दिया और मीरा के पास आकर कहा,”मीरा मीरा तुम ठीक हो ना ?’
“आप दोनों ऐसे लड़ना बंद कीजिये प्लीज”,मीरा ने पेट से हाथ हटाकर कहा तो अर्जुन और अक्षत एक नजर एक दूसरे को देखा और फिर मीरा के अगल बगल आ बैठे। अर्जुन ने अक्षत की तरफ देखा और कहा,”सॉरी”
“हम्म्म इट्स ओके”,अक्षत ने कहा अर्जुन ने देखा प्लेट में सारे फ्रूट्स वैसे के वैसे भी पड़े है तो उसने एक टुकड़ा उठाकर मीरा को खिलाते हुए कहा,”हमारे झगडे की वजह से तुमने क्यों खाना बंद कर दिया , चलो खाओ”
इसके बाद तो अक्षत , अर्जुन , जीजू और निधि में मीरा को खिलाने की होड़ सी लग गयी। अर्जुन अक्षत को लेकर अपना गुस्सा भी भूल चुका था इसलिए मीरा को खिलाते हुए एक टुकड़ा अक्षत को भी खिला दिया। अक्षत मुस्कुरा उठा। पांचो वही बैठकर हसंते मुस्कुराते रहे बाहर से आती निहारिका की नजर जब उन पर गयी तो वह कुछ देर उन्हें देखते रही और फिर अपने कमरे में चली गयी !

शाम को घर के बगल वाले मैदान में होलिका दहन का कार्यक्रम रखा गया। दादू , विजय , सोमित जीजू , अर्जुन और अक्षत सबने सफ़ेद रंग का कुरता पजामा पहना था। राधा ने वही विजय जी की पसंद की साड़ी पहनी थी और इस बात पर नीता उन्हें बहुत छेड़ भी रही थी। दादी माँ और तनु ने भी सिल्क की साड़ी पहनी थी। काव्या ने फ्रॉक पहना था और हमारे नन्हे चीकू ने भी कुरता पजामा पहना था। निधि ने चूड़ीदार सूट पहना था और अब तक 50 सेल्फी वो अपनी हनी बनी को भेज चुकी थी। अभी होलिका दहन में वक्त था इसलिए कुछ हॉल में जमा थे तो कुछ इधर उधर कामो में लगे थे। सोमित भी काव्या और तनु के साथ सेल्फी ले रहा था। मीरा अपने कमरे में थी आज उसने लाल बॉर्डर वाली क्रीम कलर की बनारसी साड़ी पहनी थी जो उसे शिवमं और सारिका ने बनारस जाने पर तोहफे में दी थी। मीरा ने साड़ी पहनी , गहने पहने , हाथो में चूड़ा , गले में मगलसूत्र मांग में सिंदूर और ललाट पर बिंदी। उसने शीशे में खुद को देखा वो बहुत प्यारी लग रही थी। अचानक मीरा को महसूस हुआ की उसके बलाउज की डोरी खुली हुई है वह अपने हाथो को पीछे करके उसे बांधने लगी तभी किसी ने पीछे से आकर उसके हाथो को छुआ मीरा ने मुड़कर देखा अक्षत था। अक्षत ने मीरा के हाथो को नीचे किया और खुद उसकी डोरी बांधते हुए कहने लगा,”ये हक़ तुम मुझे दे सकती हो”
“थैंक्यू”,मीरा ने कहा तो अक्षत ने अपने होंठो को उसके कंधे से छूकर धीरे से कहा,”बहुत खूबसूरत लग रही हो”
“और आप भी”,मीरा ने अक्षत की तरफ पलटकर कहा तो अक्षत ने थोड़ा इतराते हुए कहा,”मैं तो पैदा ही स्मार्ट हुआ था यू नो हैंडसम , हॉट”
मीरा ने सूना तो मुस्कुराने लगी और कहा,”एक खूबी बताना भूल गए”
“जैसे की ?”,अक्षत ने कहा
“जैसे की कॉम्प्लिकेटेड , आपसे मिलने से पहले ही हमने जान लिया था की आप कितने उलझे हुए इंसान है”,मीरा ने कहा
अक्षत ने अपनी बांहो को मीरा के कंधे पर रखते हुए कहा,”पर तुमने तो समझ लिया ना”
“हम तो समझ गए है आपको समझने की जरूरत है”,मीरा ने अक्षत के बांहो से निकलते हुए कहा
“क्या ?”,अक्षत ने कहा
“यही की नीचे जाईये और बाकि लोगो से मिलिए हम आते है थोड़ी देर में”,कहते हुए मीरा ने अक्षत को बाहर का रास्ता दिखा दिया। अक्षत मुस्कुराते हुए नीचे चला आया। मीरा ने अपनी कबर्ड खोली और उसमे रखी एक नयी ड्रेस निकाल ली जो पिछले महीने ही उसे उसके पापा ने दी थी। मीरा उसे लेकर नीचे चली आयी देखा सभी बाहर लॉन में है , मीरा निहारिका के कमरे की ओर बढ़ गयी और दरवाजे को खोलते हुए कहा,”क्या हम अंदर आ जाये ?”
“या कम”,निहारिका ने कहा जो की जींस टॉप पहने अपने बिस्तर पर बैठी थी। मीरा अंदर आयी तो निहारिका बस उसे देखते ही रह गयी और फिर कहा,”तुम बहुत अच्छी लग रही हो”
“थैंक्यू , ये कपडे हम आपके लिए लेकर आये है इन्हे पहनकर बाहर आ जाईये। आज होलिका दहन है और जब तक आप इस घर में है इसी घर का हिस्सा है इसलिए आपको भी वहा सबके साथ शामिल होना चाहिए”
निहारिका ने मीरा से कपडे लिए और उसे देखने लगी तो मीरा ने कहा,”हम जानते है की घर में किसी को भी आपका यहाँ रहना पसंद नहीं है , पर ये प्यार ना बहुत स्ट्रांग फीलिंग है कुछ भी करने को मजबूर कर देती है। सब बाहर है आप भी तैयार होकर आ जाईये”
होलिका दहन का वक्त हुआ तो सभी घर से निकलकर पास के मैदान में चले आये जहा सोसायटी के और लोग भी शामिल थे। मीरा ने निहारिका को पहनने के लिए बहुत ही सुन्दर ड्रेस दिया था उसे पहनकर निहारिका को अच्छा लगा वह बहुत प्यारी लग रही थी। वह भी मैदान में चली आई। आदमी एक तरफ खड़े थे और औरते एक तरफ। निहारिका को वहा देखकर मीरा को अच्छा लगा निहारिका भी उसके साथ आकर खड़े हो गयी। वह ये सब पहली बार देख रही थी क्योकि दिल्ली में अक्सर वह पार्टीज और दोस्तों में बिजी रहती थी। होलिका दहन हो रहा था। उसी की पास में कुछ लोग चंग और ढाल बजा रहा था। जीजू तो खुद को
रोक नहीं पाए और जाकर डांस करने लगे , अपने साथ साथ विजय जी को भी ले गए उनसे ससुर वाला रिश्ता फ्रेंक जो हो गया था। राधा और तनु ने देखा तो मुस्कुराने लगी। कुछ देर बाद वहा सोसायटी की शादी शुदा लड़किया आयी और होलिका के चारो ओर फेरे काटने लगी। राधा ने देखा तो मीरा के पास आकर कहा,”मीरा इनके बाद तुम्हे भी माँ होलिका के 7 फेरे लगाने है लगा लोगी ना बेटा ?”
“हाँ माँ हम कर लेंगे”,मीरा ने मुस्कुरा कर कहा।
लड़कियों के फेरे लगाने के बाद मीरा ने सर पर पल्लू रखा और होलिका के फेरे लगाने लगी तीन फेरे तो मीरा ने लगा लिए लेकिन चौथे फेरे के टाइम आग की वजह से उसे गर्माहट महसूस होने लगी , वह बड़ी मुश्किल से चल पा रही थी। अक्षत ने जब देखा तो बिना किसी की परवाह किये वह मीरा की तरफ आया और उसे अपनी गोद में उठाकर होलिका के फेरे लगाने लगा। उसे ना समाज का डर था ना ही किसी की परवाह , उसे बस मीरा की फ़िक्र थी और वह मीरा को तकलीफ में नहीं देख सकता था। अक्षत जब मीरा को उठाये होलिका के फेरे लगा रहा था तब निहारिका उन्हें ही देख रही थी। नीता ने देखा तो तनु को इशारा किया और दोनों उसके अगल बगल आकर खड़ी हो गयी।
“आज के दिन ना किसी भी एक बुराई को इस आग में जलाना होता है , तुम चाहो तो तुम भी जला सकती हो अपने मन में अक्षत और मीरा के लिए जो बुरी भावना है उसे”,नीता ने निहारिका की तरफ देखकर कहा
“अक्षत और मीरा को अलग करने का जो बुरा इरादा तुम्हारे मन में है , उसे भी जला सकती हो क्योकि इन दोनों का प्यार और रिश्ता अटूट है।”,इस बार तनु ने कहा
“जो लड़का इतने लोगो की परवाह किये बिना अपनी पत्नी की एक आह पर दौड़कर जा सकता है वो उस से कितना प्यार करता होगा अंदाजा भी है तुम्हे ?”,नीता ने कहा
“मैं तो कहती हूँ अक्षत को पाने का ख्याल न तुम दिमाग से निकाल दो और कोई अच्छा लड़का देखकर शादी कर लो”,तनु ने कहा और फिर नीता के साथ वहा से चली गयी। उन दोनों की बाते निहारिका के दिमाग पर हथोड़े की तरह प्रहार कर रही थी। निहारिका ने अक्षत को देखा और फिर वहा से चली गयी

Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37 Haan Ye Mohabbat Hai – 37

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