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हाँ ये मोहब्बत है – 35

Haan Ye Mohabbat Hai – 35

Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

सुबह निहारिका जल्दी उठ गयी उसने आज थोड़े ढंग के कपडे पहने जींस और उस पर टॉप। आज वह मीरा की भूमिका निभाने वाली थी , सभी घरवाले सो रहे थे वह किचन में चली आयी लेकिन आज से पहले खाना बनाना तो दूर उसने कभी पानी तक नहीं उबाला था। निहारिका उलझन में खड़ी थी की तभी नीता वहा आ गयी और निहारिका को देखकर पूछा,”तुम यहाँ क्या कर रही हो ?”
“काम करने आयी हूँ”,निहारिका ने कहा
“सुबह सुबह कुछ खा लिया है क्या तुमने ? तुम मीरा की जगह लेने का सोच रही हो ?”,नीता ने निहारिका का मजाक उड़ाते हुए कहा
“तुम्हे क्या लगता है मैं उस मीरा जैसी नहीं बन सकती मैं उस से बेटर बनकर दिखाउंगी”,निहारिका ने कहा और पतीला उठाकर गैस पर रख दिया। आगे क्या करना है ये तो निहारिका को भी नहीं पता था। उसे उलझन में देखकर नीता ने कहा,”पतीला चढाने से पहले गैस भी ऑन करना होता है”
“आई नो”,निहारिका ने नीता को घूरते हुए कहा जबकि पता उसे कुछ नहीं था। नीता ने निहारिका की अकड़ देखी तो कहा,”ठीक है फिर मैं तुम्हे घर का रूटीन समझा देती हु अब जब तुमने मीरा बनने का फैसला कर ही लिया है तो क्यों ना उसकी तरह घर भी सम्हाल लो ,, सो पहले तो सबके लिए चाय बनाओ , दादू के लिए बिना चीनी के , निधि के लिए दूध , काव्या के लिए बोर्नविटा और चीकू के लिए सिंपल दूध ,, इतना करो फिर और बताती हु”
“मैं ये सब करुँगी तो तुम क्या करोगी ?”,निहारिका ने हैरानी से पूछा
“हम सब आज आराम करेंगे , बेस्ट ऑफ़ लक”,कहकर नीता चली गयी। बाहर आकर नीता को बहुत हंसी आ रही थी , वह अक्षत और मीरा के साथ थी और अब उसका एक ही मकसद था निहारिका को इस घर से और अक्षत की जिंदगी से बाहर निकालना। नीता बाहर आकर दूसरे काम देखने लगी अब निहारिका ने चेलेंज तो ले लिया था लेकिन बनाना उसे कुछ नहीं आता था , निहारिका सोच में पड़ गयी तभी उसे आइडिआ आया और उसने ख़ुशी से चहकते हुए कहा,”जब यूट्यूब हो अपने पास तो डरने की क्या बात ?”
निहारिका ने यूट्यूब चलाया और उसमे देखते हुए चाय बनाने लगी। जैसे जैसे उसमे बताया जा रहा था निहारिका चाय में डालते जा रही थी। सामने रखे डिब्बों में उसे फर्क नहीं समझ आया तो उसने चीनी की जगह चाय में नमक डाल दिया। निहारिका ने चाय को कप में छाना। चाय लेकर वह बाहर आयी और
सबसे पहले उसने नीता को चाय दी और फिर दादू के कमरे की ओर चली गयी। नीता ने चाय को देखा और वाशबेसिन में डाल दी। निहारिका की बनायीं चाय पीने का उसका बिल्कुल मन नहीं था। निहारिका को चाय लेकर आते देख दादू थोड़ा हैरान थे और दादी को गुस्सा आया की इसने मीरा की जगह कैसे ली ? दादी जैसे ही उठने को हुई दादू ने उनके हाथ पर हाथ रखकर उन्हें रोक लिया। निहारिका ने चाय रखी और कहा,”आज की चाय मैंने बनायीं है , पीजिये”
दादू को चाय से पहले दवा खाने की आदत थी और मीरा ही उनकी दवा का ध्यान रखती थी। निहारिका वही खड़ी रही तभी मीरा आयी और दादू के हाथ में उनकी रोजाना वाली दवा रखते हुए कहा,”आपकी दवा”
“थैंक्यू बेटा”,कहते हुए दादू ने दवा खाई और फिर चाय का कप उठा लिया। निहारिका ने मीरा को वहा देखा तो गुस्से से बाहर चली गयी। दादू ने जैसे ही एक घूंठ भरा चेहरे के भाव बदल गए और उन्होंने कप वापस रखते हुए कहा,”ये कैसी चाय बनाई है पूरा नमक भरा पड़ा है इसमें”
“दादू हम दूसरी बनाकर ले आते है आप इसे मत पीजिये”,कहते हुए मीरा कमरे से बाहर चली आयी। डायनिंग के पास नीता खड़ी थी तो मीरा ने आकर उस से कहा,”भाभी निहारिका ये क्या कर रही है ? उसमे चाय में चीनी की जगह नमक डाल दिया है”
“अरे वाह ये तो होना ही था”,नीता ने ताली मारकर ख़ुश होते हुए कहा
“भाभी,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने नीता को देखा तो नीता ने कहा,”देखो मीरा निहारिका तुम्हारी जगह लेना चाहती है और वो इस घर का कोई भी सदस्य उसे लेने देगा नहीं , वो अपना गेम खेल रही है और हम अपना , तुम परेशान मत हो बस खुश रहो और अपना ख्याल रखो बाकी मुझ पर छोड़ दो”
“हम दादू के लिए चाय बना देते है”,मीरा ने कहा
“रुको मीरा मैं बना देती हूँ , तुम बगीचे में थोड़ा टहल लो”,नीता ने कहा तो मीरा बाहर गार्डन में चली आयी उसे निहारिका के लिए बुरा लग रहा था आखिर थी तो वह भी इंसान पर नीता और बाकि घरवाले निहारिका को सबक सिखाने की ठान चुके थे। निहारिका को नहीं पता था चाय में नमक है वह चाय लेकर सोमित जीजू को देने आयी जीजू ने चाय लेकर जैसे ही एक घूंठ भरा , मुश्किल से निगलकर आड़े टेढ़े मुंह बनाते हुए कहा,”अरे क्या मिलाया है इसमें , चूहे मारने की दवा या जहर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
जीजू को देखकर निहारिका ने चाय का कप उठाया और एक घूंठ भरा जैसे ही चाय का घूंठ उसके गले से उतरा , वह वशबेसीन की ओर भागी और कुल्ला करते हुए कहा,”छी यक्क ये कितनी खराब है”
“तुमसे थोड़ी कम”,तनु ने उसके पास आकर कहा तो निहारिका ने अपना मुंह पोछा और वहा से चली गयी। निहारिका डायनिंग के पास आयी और ग्लास में पानी लेकर पीने लगी। नीता दादू दादी की चाय लेकर बाहर आयी निहारिका को देखा तो कहा,”चक चक चक (अफ़सोस जताना) बेचारी चाय बनाने में फ़ैल हो गयी , कोई बात नहीं अभी और भी काम बाकि है।” कहकर नीता वहा से चली गयी निहारिका पैर पटककर रह गयी। एक एक करके सब घरवाले उठ गए और अपने अपने कामो में लग गए। नीता ने निहारिका को देखा जो की डायनिंग के पास खड़ी सोच में डूबी है तो उसके पास आकर कहा,”ओह्ह हेलो ऐसे खड़े रहने से काम नहीं चलेगा , थोड़ी देर में सब नाश्ता करने के लिए आने वाले है चलकर उसकी तैयारी करो”
“हम्म्म्म क्या करना होगा ?”,निहारिका ने बुझे मन से कहा
“आज नाश्ते में आलू पूरी और दही वाली सब्जी बनेगी चलो चलकर तैयारी करो”,नीता ने कहा
“पर मुझे ये सब बनाना नहीं आता है”,निहारिका ने कहा
“अगर तुम्हे मीरा की जगह लेनी है तो ये सब तो करना ही होगा ना”,नीता ने कहा
निहारिका ने कुछ सोचा और फिर एकदम से कहा,”प्लीज तुम मेरी हेल्प कर दो”
नीता ने पलटकर देखा तो निहारिका ने मासूम सा चेहरा बनाकर कहा,”प्लीज”
“अच्छा ठीक है आओ”,नीता ने कहा उसे तो बस निहारिका को परेशान देखना था। किचन में आकर नीता ने निहारिका से आटा गूंथने को कहा और खुद दूसरे काम में लग गयी। निहारिका जिसने कभी अपने घर में एक ग्लास पानी तक नहीं उठाया था , अक्षत के घर में उसे ये सब करना पड़ रहा था। नीता के कहे कहे निहारिका काम करने लगी उसने बरतन में आटा निकाला पर फिर बिना सोचे समझे ही उसमे पानी डालकर उसमे हाथ घुमाने लगी। उसने अपनी जिंदगी में कभी ये सब नहीं किया था। पानी ज्यादा गिरने की वजह से आटा उसके हाथो में चिपकने लगा। निहारिका के गाल , मुंह , हाथो पर आटा लग चुका था पर उसका करना क्या था उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। नीता की नजर जब निहारिका पर पड़ी तो उसकी शक्ल नीता की हंसी छूट गई और वह हसने लगी।
“ये सही नहीं हो रहा है”,निहारिका ने कहा तो नीता उसके पास आयी और उसे सिखाया की आटा कैसे गुंथा जाता है। आटे के सही होने के बाद नीता ने उसे पूरी बनाने को कहा।
विजय जी , अर्जुन और सोमित नाश्ते के लिए आकर बैठ चुके थे। नीता ने निहारिका से नाश्ता लगाने को कहा और खुद बाहर चली आयी।
“नीतू आज नाश्ता नहीं बना है ?”,अर्जुन ने पूछा
“बस आ रहा है”,नीता ने अपनी हंसी मन में दबाते हुए कहा , पास ही खड़ी तनु समझ गयी की आगे क्या होने वाला है ? राधा पूजाघर में थी तो उन्हें इन सब बातो का पता ही नहीं था। कुछ देर बाद दुरुस्त हालत में निहारिका आडी-टेढ़ी पूरिया और सब्जी लेकर आयी। विजय जी को तो निहारिका पहले ही पसंद नहीं थी और अब उसका बनाया खाना भी उन्हें कुछ ठीक नहीं लग रहा था उन्होंने उठते हुए कहा,”मैं ऑफिस जा रहा हूँ नाश्ता भी वही कर लूंगा”
विजय जी चले गए इन दिनों विजय जी गुस्से में थे और उनके सामने कुछ कहने की किसी की हिम्मत भी नहीं थी। निहारिका ने देखा तो उसका चेहरा उतर गया। तनु और नीता एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रही थी। मीरा बाहर से अंदर चली आयी उसने देखा अर्जुन और सोमित जीजू निचे है तो वह उनकी ओर चली आयी। निहारिका जैसे ही नाश्ता अर्जुन की प्लेट में परोसने लगी अर्जुन ने जीजू की तरफ देखकर कहा,”जीजू हम लोग भी नाश्ता बाहर ही कर लेंगे,,,,,,,,,,,,,नई”
“हां अर्जुन अभी तक तो सुबह की चाय का स्वाद नहीं गया है मेरे मुंह से पता नहीं अब क्या मिलाया होगा इसमें ? चल चलते है”,कहते हुए सोमित और अर्जुन उठे और वहा से चले गए। बेचारी निहारिका उस वक्त उसकी शक्ल ऐसी हो गयी जैसे अभी रो देगी। मीरा ने देखा निहारिका ने आज का नाश्ता बनाया था लेकिन वो खाने की हालत में नहीं था। मीरा ने कुछ नहीं कहा बस चुपचाप वहा से चली गयी , आज उसकी तबियत कुछ ठीक नहीं थी।
अक्षत तैयार होकर कोर्ट जाने के लिए नीचे आया। मीरा नीचे मंदिर में बैठकर दादी माँ के साथ भागवत गीता पढ़ रही थी , अक्षत ने उसे डिसट्रब नहीं किया और डायनिंग के पास आकर बैठते हुए कहा,”भाभी नाश्ता लगा दीजिये”
“देवर जी आज का नाश्ता मैंने नहीं निहारिका ने बनाया है”,नीता ने कहा तो अक्षत निहारिका की तरफ देखने लगा , निहारिका मन ही मन प्रे कर रही थी की अक्षत तो कम से कम इसे खा ले। अक्षत ने नीता की तरफ देखा और कहा,”नाश्ता किसी ने भी बनाया हो आप परोस दीजिये”
“नीता ने अक्षत की प्लेट में सब्जी रखी और एक टेढ़ी मेढ़ी पूरी जो की निहारिका ने बनायीं थी”,अक्षत ने एक टुकड़ा तोड़ा और खाने लगा। पूरिया बहुत सख्त थी , उनमे कोई स्वाद नहीं था। मुश्किल से अक्षत ने दो चार निवाले खाये और उठकर वाशबेसिन की तरफ चला गया। निहारिका का चेहरा फिर उतर गया उसे उम्मीद थी की कम से कम अक्षत तो उसके खाने की तारीफ कर ही देगा पर अक्षत बिना कुछ कहे वहा से चला गया।
निहारिका की शक्ल देखने लायक थी। नीता और तनु मुस्कुराते हुए वहा से चली गयी निहारिका अपने कमरे में आयी खुद को साफ किया जितना आसान वह ये सब समझ रही थी उतना आसान नहीं था। नीता ने बाकि सब के लिए नाश्ता बनाया निधि नाश्ता करके कॉलेज जाने के लिए निकल गयी। काव्या भी नाश्ता करके अपने स्कूल चली गयी। दादू दादी नाश्ता करके अपने कमरे में चले गए। निहारिका वापस आयी तो तनु ने कहा,”नाश्ता कर लो”
“मुझे भूख नहीं है”,निहारिका ने बुझे मन से कहा
“तुम्हारी मर्जी , अगर नाश्ता नहीं करना है तो टेबल पर जो कपडे रखे है उन्हें प्रेस कर दो”,नीता ने खाते हुए कहा
“मैं इस घर की नौकर नहीं हूँ”,निहारिका ने थोड़ा गुस्से में कहा
“तुम्ही ने कहा था तुम्हे मीरा की जगह लेनी है और मीरा ये सब करती है , वैसे भी वो घरवालों के नही अक्षत जी के कपडे है”,नीता ने कहा
निहारिका ने सूना तो मन ही मन सोचने लगी,”मेरे खाने से तो अक्षत इम्प्रेस नहीं हुआ मे बी इस से हो जाये” सोचकर निहारिका टेबल की ओर गयी और अक्षत के कपड़े प्रेस करने लगी। मीरा सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी उसने निहारिका को देखा तो उसे अच्छा नहीं लगा। अक्षत के कपडे हमेशा वही प्रेस किया करती थी लेकिन आज निहारिका को ये सब करते देखकर उसे अच्छा नहीं लगा। अक्षत के कुछ काम ऐसे थे जिन पर मीरा अपना हक़ समझती थी। खैर मीरा आकर सोफे पर बैठ गयी। चीकू वही पास में खेल रहा था। निहारिका से एक शर्ट तक प्रेस नहीं हुआ , झुंझलाकर उसने उन्हें छोड़ दिया और आकर डायनिंग के पास बैठ गयी। भूख लगी थी नीता समझ गयी तो एक खाली प्लेट उसकी तरफ बढाकर कहा,”नाश्ता कर लो बाकि कामो के लिए भी एनर्जी चाहिए ना”
सुबह के 11 बज रहे थे और निहारिका थक चुकी थी लेकिन वह इतनी जल्दी हार भी नहीं मान सकती थी उसने चुपचाप अपना बनाया नाश्ता प्लेट में रखा और जैसे ही एक निवाला खाया खुद ही बोल पड़ी,”यक्क्क्क ये तो बहुत सख्त बनी है”
“और तुम ये नाश्ता घर के लोगो को खिलाने वाली थी , निहारिका अगर प्यार और अच्छे मन से कुछ बनाया जाये ना तो वो अच्छा ही बनता है लेकिन तुम्हारी तो नियत के साथ साथ मन भी बुरा है”,नीता ने बहुत ही सहजता से कहा तो निहारिका खामोश हो गयी। जब वह दुसरा निवाला खाने लगी तो नीता ने उसकी प्लेट साइड करते हुए कहा,”इसे छोड़ दो और ये खा लो” कहते हुए उसने दूसरे नाश्ते की प्लेट निहारिका की तरफ बढ़ा दी और अपनी जूठी प्लेट लेकर किचन की तरफ चली गयी। किचन में आकर नीता ने प्लेट सिंक में रखा और फिर एक साफ प्लेट निकाली उसमे सेब काटकर रखा और एक संतरा छीलकर रखा , साथ में एक ग्लास जूस भी रख दिया। नीता उन्हें लेकर मीरा के पास आयी और प्लेट टेबल पर रखते हुए कहा,”मीरा चलो नाश्ता कर लो , जानती हूँ ऐसे वक्त में कुछ खाने का मन नहीं करता पर अपने बच्चे की सेहत के लिए तुम्हे खाना चाहिए”
“भाभी हम बाद में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने कहना चाहा तो तनु ने आते हुए कहा,”बाद में कुछ नहीं , आजकल बहुत लापरवाह हो गयी हो तुम चलो खाओ”
तनु और नीता उसके आस पास बैठ गयी , मीरा ने जूस पीया और एक सेब का टुकड़ा उठाकर खा लिया दूर बैठी निहारिका उन्हें देख रही थी।
मीरा ने नाश्ता किया और फिर अपने कमरे में चली गयी। उसने दवा ली और सोने चली गयी। नीता और तनु को मौका मिल गया निहारिका को परेशान करने का उन्होंने ने उस से बर्तन धुलवाए , गार्डन के पोधो में पानी दिलवाया , धुले हुए कपडे उतरवाए जिन्हे अंदर लाते हुए निहारिका उलझकर उन कपड़ो के साथ कई बार गिरी , तनु और नीता को ये सब देखकर बहुत मजा भी आ रहा था और बेचारी पर दया भी आ रही थी। शाम में निहारिका अपने कमरे में थी , बिस्तर पर उसका महंगा मेकअप किट पड़ा था उसे खुला छोड़कर निहारिका बाथरूम में चली गयी। खेलते हुए चीकू की बॉल निहारिका के कमरे की तरफ चला गया वह उसे लेने आया , उसकी नजर बेड पर पड़े मेकअप किट पर चली गयी अब चीकू को क्या पता वो क्या है ? बच्चा था इसलिए अंदर चला आया और उसे देखने लगा। उस मेकअप से उसने अपने सारे कपडे गंदे कर लिए , बेडशीट पर भी बिखेर दिया। निहारिका जैसे ही बाहर आयी उसकी नजर अपने मेकअप किट पर गयी जो की चीकू ने खराब कर दिया , निहारिका गुस्से में चीकू की तरफ आयी और कहा चिल्लाकर कहा,”यू स्टुपिड तुमने मेरा सारा किट ख़राब कर दिया”
कहते हुए निहारिका ने जैसे ही चीकू को मारने के लिए हवा में हाथ उठाया किसी ने आकर उसका हाथ थाम लिया। निहारिका ने देखा वो मीरा थी। मीरा ने निहारिका का हाथ झटकते हुए कहा,”ये क्या करने जा रही थी आप ? एक बच्चे पर हाथ उठा रही है”
“सी इसने मेरा पूरा मेकअप किट बर्बाद कर दिया”,निहारिका ने गुस्से से चीकू को घूरते हुए कहा तो चीकू सहमकर मीरा के पैर से लिपट गया।
“निहारिका आप एजुकेटेड हो समझदार हो , बच्चे पर हाथ उठाना सही है क्या ? एक मेकअप किट ही तो है और आ जाएगा”,मीरा ने शांत लहजे में कहा तो निहारिका को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने कहा,”आई ऍम सॉरी”
“इट्स ओके , अगर सच में आपको अक्षत जी का दिल जितना है तो सबसे पहले आपको इस घर को अपना समझना होगा , इस घर के लोगो को अपना समझना होगा”,कहकर मीरा चीकू को वहा से लेकर चली गयी। चलते चलते चीकू ने अपना बॉल उठाया और मीरा के साथ निहारिका के कमरे से बाहर चला गया। निहारिका बिस्तर पर आ बैठी और अपना सर पकड़ लिया। इस घर में वो अक्षत का दिल जितने आये थी लेकिन ये इतना आसान नहीं था !!
शाम में अक्षत घर आया उसके पास पहला केस आया था और उसे लेकर ही वो थोड़ा उलझन में था। अंदर आते हुए उसकी नजर मीरा पर पड़ी जो की चीकू के साथ बैठी थी अक्षत ने सीढ़ियों की तरफ जाते हुए कहा,”मीरा एक कप चाय”
“हम लेकर आते है”,मीरा ने अक्षत से कहा और फिर चीकू से कहा,”चीकू आप खेलो हम अभी आते है”
चीकू ने भी हाँ में गर्दन हिला दी और अपने खेल में लग गया। मीरा किचन में आयी और अक्षत के लिए चाय बनाने लगी। मीरा जैसे ही चाय लेकर जाने लगी निहारिका ने कहा,”इफ यू डोंट माइंड अक्षत के लिए चाय मैं लेकर जाऊ”
मीरा को खामोश देखकर निहारिका ने कहा,”प्लीज सुबह के लिए उसे सॉरी भी कहना है”
मीरा ने चाय निहारिका की तरफ बढ़ा दी। निहारिका चाय लेकर ऊपर चली आयी , अक्षत अपनी फाइल्स और लेपटॉप खोलकर बाहर हॉल बैठा था। निहारिका ने चाय लाकर उसके सामने रखी। अक्षत ने देखा मीरा की जगह निहारिका आयी है तो उसे मन ही मन बहुत बुरा लगा लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। निहारिका ने उसे चुप देखा तो कहा,”पीओ ना तुम्हारे लिए है”
“आई नो अब प्लीज तुम यहाँ से जाओ”,अक्षत ने लेपटॉप पर उंगलिया चलाते हुए कहा
“तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है ?”,निहारिका ने एकदम से चिल्लाकर कहा तो अक्षत ने उसकी तरफ बिना किसी भाव के देखा। अक्षत को खामोश देखकर निहारिका का गुस्सा और बढ़ गया वह कहने लगी,”मैं यहाँ तुम्हारे लिए आयी हूँ तुम्हारे घरवालों के लिए , दिनभर इनकी जरूरतों के लिए सब करो मुझसे नहीं होगा ये सब और तुम तुम्हारे पास तो मुझसे बात करने तक का टाइम नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,ये करो वो करो ऐसा करो वैसा करो मैं इस घर में नौकर नहीं हूँ समझे तुम”
अक्षत ख़ामोशी से सब सुनता रहा और फिर उठकर निहारिका के पास आया और कहने लगा,”तुमने एक दिन इस घर के कुछ काम किये और तुम्हे बुरा लगा , वो लड़की मीरा पिछले 4 साल से इस घर में है और सब ख़ुशी ख़ुशी करती है इसलिए नहीं की वो घर की बहू है या उसे काम करना पसंद है सिर्फ इसलिए क्योकि वो इस घर को अपना समझती है , इस घर के लोगो को अपना समझती है , वो जो करती है अपनी ख़ुशी से करती है। मीरा की जगह लेना चाहती हो ना तुम,,,,,,,,,,,,,,,,इस जन्म में तो क्या अगले सात जन्म में तुम मीरा नहीं बन पाओगी जानती हो क्यों ? क्योकि तुम्हारे पास उसके जितना बड़ा दिल नहीं है”
कहकर अक्षत वहा से चला गया। अक्षत के आखरी शब्द उसके कानो में गूंजते रहे – “इस जन्म में तो क्या अगले सात जन्म में तुम मीरा नहीं बन पाओगी जानती हो क्यों ? क्योकि तुम्हारे पास उसके जितना बड़ा दिल नहीं है”

Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35 Haan Ye Mohabbat Hai – 35

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संजना किरोड़ीवाल

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