Sanjana Kirodiwal

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हाँ ये मोहब्बत है – 34

Haan Ye Mohabbat Hai – 34

Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

अक्षत निहारिका को अपने घर ले आया और ये बात अक्षत के घरवालो को पसंद नहीं आयी थी। मीरा को अक्षत के इस फैसले से तकलीफ जरूर हुई लेकिन उसे अक्षत और अपने प्यार पर पूरा भरोसा था। अगली सुबह मीरा उठाकर नीचे चली आयी। रोजाना का रूटीन शुरू हो गया। उसने सबके लिए चाय बनाई , दादू को चाय के साथ न्यूजपेपर पढ़ने की आदत थी मीरा चाय के साथ साथ न्यूजपेपर और दादू की खाली पेट की दवा उन्हें देकर आयी। सोमित जीजू तनु दी की चाय लेकर उनके कमरे में पहुंची। सोमित जीजू बाथरूम में थे और तनु बेडशीट सही करने में लगी हुई थी।
“दी आपकी चाय”,कहते हुए मीरा ने ट्रे रखी और चली गयी। अर्जुन जॉगिंग पर गया हुआ था वापस आया तो
मीरा काम करते देखकर कहा,”मीरा माँ ने मना किया है न तुम्हे काम करने से फिर ये सब क्यों ? नीता से कह दो न वो कर देगी तुम्हे अभी अपने आप पर ध्यान देना चाहिए”
“अर्जुन जी हमारा ध्यान रखने के लिए आप सब है न , और वैसे भी हमे आदत है ये सब करने की अगर हम कुछ नहीं करेंगे तो परेशान रहेंगे ,,,,,,,,,,ये लीजिये आपकी चाय”,मीरा ने किचन से आते हुए कहा
“तुम कभी नहीं बदलोगी ना मीरा”,अर्जुन ने मीरा के चेहरे की ओर देखते हुए कहा
“अच्छा तो हमे क्यों बदलना चाहिए ?”,मीरा ने सवाल किया
“कल अक्षत ने जो किया है उसके बाद भी तुम्हारी फीलिंग्स में कोई फर्क नहीं आया मीरा ?”,अर्जुन ने थोड़ा सीरियस होकर कहा
“वो प्यार ही क्या जिसमे भावनाये बदल जाए और निहारिका के इस घर में आने से अक्षत जी कैसे गलत हुए ?”,मीरा ने कहा
“तुमसे बातो में जितना मुश्किल है मीरा , मैं चाय पी लेता हूँ वरना ठंडी हो जाएगी”,कहते हुए अर्जुन चाय का कप लेकर वहा से चला गया।
प्रेग्नेंसी के शुरूआती दिन थे और इन दिनों मीरा उल्टी की समस्या से परेशान थी। अर्जुन को चाय देकर मीरा जैसे ही पलटी उसे मितली (वोमेटिंग) का मन हुआ तो वह वाशबेसिन की तरफ भागी। कुछ देर बाद मीरा वहा से बाहर लॉन में चली आयी। सुबह के वक्त खुले में घूमना उसे सुकून दे रहा था। नीता तैयार होकर नीचे किचन में चली आयी तनु भी आकर नाश्ता बनाने में उसकी मदद करने लगी। मीरा को बाहर देखकर राधा उसके पास आयी और कहा,”मीरा तुम ठीक हो ना बेटा ?”
“हाँ माँ हम ठीक है वो बस थोड़ा मन घबरा रहा था तो बाहर चले आये”,मीरा ने कहा
“मीरा तुम मेरी बात नहीं सुनती हो , शुरूआती दिन है इनमे तुम्हे आराम करना चाहिए और तुम हो की पूरा दिन बस काम में लगी रहती हो। बेटा घर के कामो के लिए मैं हूँ , नीता है , तनु है तुम्हे ये सब करने की जरूरत नहीं है”,राधा ने मीठी सी डांट लगाते हुए कहा
“ठीक है माँ आप जैसा कहेंगी हम वैसा ही करेंगे अब खुश है आप”,मीरा ने राधा का हाथ थामते हुए प्यार से कहा
“हम्म्म गुड़ गर्ल , आशु उठ गया ?”,राधा ने पूछा
“हाँ माँ थोड़ी देर में नीचे आते ही होंगे”,मीरा ने कहा तो राधा उसकी आँखों में देखने लगी जैसे कुछ ढूंढ रही हो। उन्हें देखकर मीरा ने कहा,”क्या हुआ माँ आप हमे ऐसे क्यों देख रही है ?”
“तुम्हारी माँ भी ऐसी ही थी मीरा जिन बातो पर गुस्सा करना चाहिए , नाराज होना चाहिए उन बातो पर खामोश जो जाया करती थी”,राधा ने कहा
“आप अक्षत जी के बारे में बात कर रही है ?”,मीरा ने पूछा
“आशु के पापा बहुत नाराज है उस से मीरा , उसने जो फैसला लिया है कही उस फैसले की वजह से सब बिखर ना जाये”,राधा ने चिंता जताते हुए कहा तो मीरा ने एक बार फिर उनके हाथो को थाम लिया और कहने लगी,”माँ हमे उन पर पूरा भरोसा है और उनसे भी ज्यादा भरोसा हमे हमारे रिश्ते पर है”
“ईश्वर से बस यही प्रार्थना है की तुम्हरा प्यार और भरोसा कायम रहे , अच्छा ये बताओ क्या खाओगी ? आज मैं अपने हाथो से तुम्हारे लिए कुछ बनाती हूँ”,राधा ने प्यार से मीरा के गाल को छूकर कहा
“माँ हमारा बिल्कुल मन नहीं है जब भूख लगेगी हम कह देंगे”,मीरा ने कहा
“ठीक है मैं अंदर जा रही हूँ तुम थोड़ी देर घूमो फिर आ जाना”,कहकर राधा चली गयी।
अंदर आकर राधा ने सबके लिए नाश्ता लगाया। विजय जी , अर्जुन , सोमित , दादू और दादी नाश्ता करने चले आये। सभी चुपचाप नाश्ता कर रहे थे। विजय जी के ख़ामोशी की वजह सभी जानते थे , कुछ देर बाद दादू ने कहा,”विजय एक बार आशु से बात करके तो देख पता तो चले उसने ऐसा क्यों किया ?”
“नहीं पापा जो गलत है वो गलत है अक्षत शादी शुदा है इतना बड़ा फैसला वो कैसे कर सकता है ? उसने शादी जैसे रिश्ते का मजाक बना दिया है और ये बात मैं बर्दास्त नहीं कर सकता”,विजय जी ने गुस्से से कहा तो दादू ने खामोश रहना ही ठीक समझा।
घरवाले अक्षत को कितना भी गलत समझे लेकिन दादू और मीरा ऐसे दो सख्स थे जो अक्षत पर आँख बंद करके भरोसा करते थे। दादू चुपचाप अपना नाश्ता करने लगे। कुछ देर बाद मीरा भी अंदर चली आयी सबको साथ बैठ कर नाश्ता करते देखकर मीरा को अच्छा लगा। वह डायनिंग की तरफ चली आयी तो विजय जी ने कहा,”मीरा आज डॉक्टर के साथ तुम्हारी अपॉइंटमेंट है याद है ना तुम्हे ?”
“हाँ पापा हमे याद है हम चले जायेंगे”,मीरा ने कहा
“हम्म्म किसी को साथ ले जाना”,विजय जी ने कहा और फिर धीरे से बड़बड़ाने लगे,”इन सब में इस मासूम का क्या दोष है ? उसके बेकार फैसलों से इसे कितनी तकलीफ होती होगी उसे क्या पता ?”
“पापा”,अर्जुन ने अपने पापा की बात सुन ली तो धीरे से उनके हाथ पर अपना हाथ रखकर पलके झपका दी। मीरा ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। वह चीकू को अपने हाथ से खिलाने लगी।
कुछ देर बाद अक्षत तैयार होकर नीचे आया जैसे ही कुर्सी खिसकाकर वह नाश्ता करने बैठा , विजय जी उठे और कहा,”अर्जुन चलो ऑफिस के लिए देर हो रही है”
अर्जुन उठा तो सोमित जीजू को भी बीच में ही उठना पड़ा। तीनो चले गए अक्षत को ये अच्छा नहीं लगा लेकिन चुप रहा और राधा से कहा,”माँ नाश्ता”
“राधा मेरा बैग नहीं मिल रहा है”,विजय जी ने जान बुझकर राधा को बुला लिया तो राधा को जाना पड़ा। अक्षत बिना नाश्ता किये ही उठने को हुआ तो दादू ने उसे वापस बैठाते हुए कहा,”अरे तू बैठ न तेरे बाप की तो आदत है जब गुस्सा होता है तो ऐसे ही बात करता है , देखना एक दो दिन में सब पहले जैसा हो जाएगा”
“दादू मैंने ऐसा क्या कर दिया ? पापा मेरी बात तक नहीं सुनना चाहते तो मैं कैसे बताऊ की मैंने ये सब क्यों किया है ?”,अक्षत ने विजय जी के व्यवहार से उदास होकर कहा।
“देख बेटा तूने जो किया है वो गलत है पर तू गलत है ये मैं नहीं मानता , तुम्हारे पापा का नाराज होना जायज है। तू नाश्ता कर और अपने कोर्ट जा”,दादू ने उठते हुए कहा तो अक्षत ने हामी में सर हिला दिया।
मीरा चीकू को सोफे पर बैठाकर डायनिंग के पास आयी। उसने पास पड़ी प्लेट अक्षत के सामने रखी और उसमे नाश्ता परोस कर कहा,”पापा की बातो का बुरा मत मानिये बस थोड़े से नाराज है आपसे”
“मीरा मुझे पापा की बातो का बिल्कुल बुरा नहीं लगा है , मैंने जो किया है उसके बाद उनका गुस्सा डिजर्व करता हूँ मैं”,अक्षत ने मीरा की तरफ देखकर कहा।
“फिर तो आप कुछ और भी डिजर्व करते है”,मीरा ने कहा
“क्या ?”,अक्षत ने हैरानी से पूछा
“एक कप चाय , हम लेकर आते है आप तब तक नाश्ता कीजिये”,कहते हुए मीरा किचन की तरफ चली गयी। चीकू दूर बैठा अक्षत को देख रहा था तो अक्षत ने कहा,”चैम्प यहाँ आओ”
अक्षत के बुलाने पर चीकू उसके पास चला आया तो अक्षत ने झुककर कहा,”दादू की तरह तुम भी अपने पापा से नाराज हो ?”
चीकू ने सूना तो ना में गर्दन हिला दी , उसकी मासूमियत देखकर अक्षत मुस्कुरा दिया और उसके गाल पर किस करके अपना नाश्ता करने लगा। चीकू वही अक्षत के आस पास घूमता रहा , मीरा उसके लिए चाय ले आयी और जब तक अक्षत ने नाश्ता किया मीरा उसके पास ही बैठी रही। नाश्ता करके अक्षत कोर्ट चला गया। मीरा अक्षत के जूठे बर्तनो को उठाने लगी तभी निहारिका अपने कमरे से निकल कर आयी और मीरा से कहा,”वेयर इज अक्षत ?”
“अक्षत जी कोर्ट गए है”,मीरा ने बिना निहारिका की तरफ देखे कहा
“मुझसे मिले बिना ही , तुमने मुझे उठाया क्यों नहीं ?”,निहारिका ने शिकायती लहजे में कहा
“आपके सोने और उठने का समय हमे नहीं पता था , आपको अगर अक्षत जी से मिलना था तो आपको उनके रहन सहन का पता होना जरुरी था।”,मीरा ने कहा तो निहारिका का मुंह बन गया और उसने कहा,”वापस कब आएगा ?”
“कुछ फिक्स नही है कभी भी आ सकते है”,मीरा ने शांत लहजे में कहा लेकिन फिर भी ये लहजा निहारिका को चुभ रहा था। उसने कुछ देर मीरा को देखा और फिर वहा से चली गयी। बड़बड़ाते हुए निहारिका चले जा रही थी की तभी सामने से आती निधि से टकरा गयी और उसके हाथ में पकड़ी किताबे निचे जा गिरी।
“आँखे तो दी नहीं होगी भगवान ने तुम्हे ?”,निधि ने गुस्से से निहारिका से कहा
“हे वेट वेट वेट मैं तुम्हारी बुक्स उठा देती हूँ”,निहारिका ने कहा
“कोई जरूरत नहीं है , आलरेडी भाई तुम्हे इस घर में ले आये है ये क्या कम है ?”,कहते हुए निधि ने बुक्स उठाये और मीरा की तरफ आकर कहा,”मीरा मैं कॉलेज जा रही हूँ फॉर्म फिल करने और ये बुक्स भी जमा करवानी है”
“ध्यान से जाना”,मीरा ने कहा तो निधि मीरा के गले लगी और फिर निहारिका को घूरते हुए वहा से निकल गयी।
“क्रेज़ी गर्ल”,कहते हुए निहारिका वहा से चली गयी। कमरे में आकर वह नहाने चली गयी नहाकर उसने एक लॉन्ग टीशर्ट और शार्ट पहना जो की टीशर्ट के नीचे छुप गया था। निहारिका कमर मटकाते हुए बाहर चली आयी। उसे भूख लगी थी तो उसने डायनिंग पर रखे टोकरे में से एक सेब उठा लिया और खाते हुए हॉल में चली आयी। निहारिका आकर सोफे पर बैठी , उसे पैर टेबल पर रख लिए और सेब खाते हुए अपना फोन देखने लगी। कुछ देर बाद दादू वहा से गुजरे , उन्होंने जब निहारिका को ऐसे कपड़ो में देखा तो अच्छा नहीं लगा। उनके घर में नीता , निधि , तनु मीरा सब अपनी मर्यादा में रहते थे। उनसे रहा नहीं गया तो उन्होंने निहारिका से कहा,”ये आपने क्या पहना है बेटा ?”
“इट्स फैशन अंकल”,निहारिका ने कहा
“ऐसे छोटे कपडे पहनकर उसे फैशन का नाम देना गलत है बेटा , मैं ऐसे कपड़ो के खिलाफ नहीं हूँ पर ये जगह के हिसाब से पहने जाये तो अच्छा है”,दादू ने काह तो निहारिका ने मुंह बनाए लिया और उठकर वहा से चली गयी। दादू भी बाहर चले गए सुबह से शाम तक सबने निहारिका को उसके कपड़ो के लिए टोक दिया क्योकि किसी को भी उसका इस तरह के कपडे पहनना पसंद नहीं आ रहा था। उदास होकर वह ऊपर चली आयी बालकनी के पास खड़ी निहारिका की नजर अक्षत के कमरे की ओर गयी जहा मीरा कपडे समेट रही थी। निहारिका दरवाजे पर आकर रुक गयी तो मीरा ने कहा,”अंदर आ जाईये”
निहारिका अंदर चली आयी। मीरा ने उसे बैठने को कहा तो वह सामने पड़ी कुर्सी पर आ बैठी और कमरे को देखने लगी। बहुत ही सुन्दर कमरा था जिसकी एक एक चीज अच्छे से जमी हुई थी। बेड के पीछे वाली दिवार पर अक्षत और मीरा की कुछ तस्वीरें लगी हुई थी। निहारिका को थोड़ा अपसेट देखकर मीरा ने कहा,”क्या हुआ आप कुछ परेशान दिख रही है ?”
“सब मुझे इन कपड़ो के लिए कमेंट्स कर रहे है , तुम्ही बताओ क्या कमी है इनमे ?”,निहारिका ने खड़े होकर कहा तो उसकी टीशर्ट में एक बार फिर उसका शॉर्ट्स छुप गया। मीरा मुस्कुरायी और कहा,”कमी नहीं है बस थोड़े छोटे है , घर में ऐसे कपडे कोई नहीं पहनता है”
“पर मैं तो ऐसे कपडे ही पहनती हूँ इन्फेक्ट मेरे पास ऐसे ही कपडे है”,निहारिका ने कहा तो मीरा उसके चेहरे को देखने लगी। मीरा ने महसूस किया की अक्षत ने सच कहा था निहारिका में थोड़ा बचपना है और समझ कम है। वह उठी और अपने कबर्ड से अपना एक बहुत ही प्यारा सा सूट निकालकर ले आयी और निहारिका से कहा,”अगर आपको कोई परेशानी नहीं हो तो आप ये पहन लीजिये”
“उम्मम्मम्म ओके आई विल ट्राय”,निहारिका ने कहा और उसी कमरे के बाथरूम में जाकर पहनकर बाहर आयी। मीरा ने देखा निहारिका को वो सूट
फिटिंग में आया है उसने कहा,”आप इसमें बहुत अच्छी लग रही है”
“सच में ?”,कहते हुए निहारिका आईने के सामने आयी और खुद को देखने लगी। उस ड्रेस में निहारिका सच में बहुत अच्छी लग रही थी। उसने मीरा की तरफ पलटकर कहा,”थैंक्स” कहकर निहारिका कमरे से बाहर चली आयी। मीरा ने कपडे कबर्ड में रखे और फिर निधि के कमरे में चली आयी। निहारिका वही हॉल की बालकनी में खड़ी थी जैसे ही जाने लगी उसकी नजर घर में दाखिल होती अक्षत की बाइक पर पड़ी और उसने मन ही मन कहा,”थोड़ी देर यही रूकती हूँ अक्षत मुझे इन कपड़ो में देखेगा तो इम्प्रेस हो जाएगा”
जैसा की निहारिका ने सोचा था अक्षत घर में आकर सीधा ऊपर चला आया बालकनी में निहारिका उसकी और पीठ करके खड़ी थी और खुश होकर मुस्कुरा रही थी। अक्षत के आने की आहट उसे पता चल गयी थी। अब अक्षत अपनी मीरा को ना पहचाने ये तो हो ही नहीं सकता। निहारिका को मीरा के कपड़ो में देखकर अक्षत को बहुत गुस्सा आया लेकिन उसने उसे मन में ही दबा लिया और सहज भाव से कहा,”मीरा के कपडे पहनने से तुम मीरा नहीं बन जाओगी निहारिका”
निहारिका ने जैसे ही सूना अक्षत की ओर पलटी और कहा,”तो मीरा बनने के लिए मुझे क्या करना होगा ? आई केन डू एवरीथिंग जो मीरा करती है”,जोश जोश में निहारिका ने कुछ ज्यादा ही बोल दिया। अक्षत ने सूना तो उसने निहारिका से कहा,”एक दिन सिर्फ एक दिन मीरा की तरह रहकर दिखा दो तुम खुद जान जाओगी मीरा क्या है और तुम क्या हो ?”
“तुम मुझे जानते नहीं मैं वो सब कर सकती हूँ जो मीरा करती है”,निहारिका अक्षत की चाल समझ नहीं पाई और उसकी बात मान ली
“ठीक है फिर कल तुम एक दिन मीरा की जिंदगी जीओगी”,अक्षत ने कहा और अपने कमरे में चला गया निहारिका उस से बात करने उसके पीछे आयी तो अक्षत ने दरवाजा उसके मुंह पर बंद कर दिया। गुस्से में निहारिका नीचे चली आयी और कमरे में आकर गले से दुप्पटा निकालकर फेंकते हुए कहा,”समझते क्या हो अपने आप को ? वो मीरा मेरे सामने कुछ भी नहीं है। तुम्हे क्या लगता है मैं उसके जैसी नहीं बन सकती ? मैं तुम्हे उसके जैसी बनकर दिखाउंगी अक्षत व्यास”
गुस्से से निहारिका का चेहरा लाल हो चुका था !

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क्रमश – हाँ ये मोहब्बत है – 35

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