Sanjana Kirodiwal

Story with Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

हाँ ये मोहब्बत है – 23

Haan Ye Mohabbat Hai – 23

Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

मीरा के हाथो से खाना खाकर अक्षत ऊपर चला आया। कमरे से वह अपना लेपटॉप और कुछ काम की फाइल्स लेकर आया और हॉल बैठकर उन पर काम करने लगा। मीरा निचे ही निधि के साथ बैठकर बात कर रही थी। घंटेभर बाद जब मीरा ऊपर आयी तो अक्षत को देखकर मुस्कुरा उठी। सोफे पर बैठा अक्षत सो रहा था उसने अपने पैर टेबल पर रखे हुए थे। गोद में लेपटॉप रखा हुआ था , अक्षत के बाल बिखरकर आँखों पर आ रहे थे और हल्की दाढ़ी में वह और भी प्यारा लग रहा था। मीरा दूर से उसे देखते रही और फिर उसके पास चली आयी। उसने धीरे से अक्षत की गोद में रखा लेपटॉप उठाया और बंद करके लेकर कमरे की और चली आयी। फरवरी महीने के आखरी दिन चल रहे थे , हल्की ठण्ड भी थी तो मीरा अंदर से एक चददर ले आयी और लाकर अक्षत को ओढ़ा दिया। उसकी आँखों पर आये बालो को प्यार से साइड किया और फिर वहा से वापस चली गयी। शाम में मीरा को चाइल्ड होम की एक मीटिंग में जाना था लेकिन तबियत नरम होने की वजह से उसने केंसिल कर दी। मन बैचैन हो रहा था इसलिए मीरा अपने कमरे से बाहर चली आयी देखा अक्षत अब तक सो रहा है तो मीरा ने उसे नहीं उठाया और नीचे चली आयी राधा भी कही जाने की तैयारी कर रही थी। उन्हें देखते ही मीरा ने पूछा,”माँ आप कही जा रही है ?”
“हां वो मैंने तुम्हारे पापा से कहा था आज मेरे साथ मार्किट चले लेकिन उन्हें अपने नए काम से फुर्सत ही नहीं है”,राधा ने कहा
“अक्षत जी ऊपर है आप उनके साथ चली जाईये”,मीरा ने कहा
“वो जाएगा ?”,राधा ने सवालिया नजरो से देखा
“माँ वो आपकी बात कभी नहीं टालते , रुकिए हम उन्हें बोलकर आते है”,मीरा ने कहा और जाने लगी तो राधा ने कहा,”रुको मैं आवाज लगाती हूँ”
“आशु,,,,,,,,,,,,,,,आशु जरा नीचे आना”,राधा ने आवाज लगायी लेकिन अक्षत के कानो पर जूँ तक नहीं रेंगी। राधा ने मीरा की और देखा तो मीरा मुस्कुराई और कहा,”रुकिए हम बुलाते है”
“अक्षत जी,,,,,,,,,,,,,अक्षत जी,,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने अक्षत को आवाज लगायी। मीरा की आवाज जिसे अक्षत नींद में भी महसूस कर लेता था , एक बार में ही सुनी और उठकर रेलिंग के पास आकर आँखे मसलते हुए कहा,”क्या है मीरा ?”
राधा ने हैरानी से पहले अक्षत को और फिर मीरा को देखा तो उधर से गुजरते हुए निधि ने कहा,”लाडला बेटा हाथ से निकल रहा है माँ”
“दोनों ही बच्चे मेरे लाडले है तू जा यहाँ से”,राधा ने कहा तो निधि हँसते हुए चली गयी
“माँ अक्षत जी हमेशा आपके ही रहेंगे आप चिंता मत कीजिये”,मीरा ने कहा
“मेरे बाद अगर कोई उसे समझ सकता है उसका ख्याल रख सकता है तो वो तुम ही हो मीरा , इसलिए मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगा की आशु मेरे बुलाने से नहीं आया”,राधा ने कहा
“आप दोनों की बातें खत्म हो गयी हो तो कोई मुझे बताएगा की मुझे क्यों बुलाया है ?”,अक्षत खड़े खड़े ऊंघते हुए कहा
“माँ को बाहर जाना है आप ले जाईये”,मीरा ने बड़े प्यार से कहा
“ठीक है वैसे भी मुझे किसी काम से नवीन से मिलना है , मैं दो मिनिट में आया”,कहकर अक्षत चला गया तो राधा ने कहा,”देखा तुम्हारी हर बात कितनी जल्दी मान लेता है ये”
“हम्म्म इसका श्रेय आपको जाता है , अच्छा माँ हम थोड़ी देर के लिए बाहर लॉन में जा रहे है”,मीरा ने कहा
“मीरा तबियत तो ठीक है न तुम्हारी ?”,राधा ने मीरा का गाल छूकर देखते हुए कहा
“हां माँ हम ठीक है बस थोड़ी बेचैनी हो रही है इसलिए बाहर जा रहे है”,मीरा ने कहा
“अच्छा एक काम करो ये शॉल लेकर जाओ , शाम का वक्त है ऐसे बाहर रहोगी तो ठंड लग जाएगी,,,,,,,,,,,,लो रखो”,राधा ने अपना शॉल मीरा को देकर कहा।
“ठीक है”,कहते हुए मीरा ने शॉल अपने चारो और लपेट लिया और बाहर चली गयी। कुछ देर बाद अक्षत निचे आया और कहा,”चले माँ ?”
“हाँ चलो”,कहते हुए राधा अक्षत के साथ बाहर चली आयी। मीरा वही लॉन में घूम रही थी , अक्षत ने एक नजर उसे देखा और मुस्कुरा कर गाड़ी की और चला गया। राधा अक्षत के बगल में आ बैठी और दोनों वहा से निकल गए।
पूजा घर के काम से फ्री होकर अपने कमरे में आराम कर रही थी किसी काम से जब बाहर आयी तो उसकी नजर मीरा पर चली गयी। पूजा उसे देखते रही , शाम की हल्की धुप में मीरा का चमकता चेहरा बहुत ही प्यारा लग रहा था। जितना उसने मीरा के बारे में सूना था मीरा उस से कई ज्यादा खूबसूरत थी , उसे देखते हुए पूजा बड़बड़ाने लगी,”कितनी मासूम दिखती है ये मैडम , इन्होने ऐसा क्या किया होगा जो वो फोन वाली मैडम इन्हे मरवाना चाहती है ? खैर मुझे क्या मुझे तो अपने पैसो से मतलब है एक बार मैं इस मीरा का काम तमाम कर दू उसके बाद मैं ये शहर ही छोड़ दूंगी”
“ए यहाँ खड़ी किस से बात कर रही हो ? अंदर जाकर देखो बहुत काम पड़ा है”,पीछे से रघु ने आते हुए कहा। कही रघु ने उसकी बात ना सुन ली हो सोचकर पूजा घबरा गयी और रघु की और पलटकर कहा,”कुछ नहीं मैं तो बस ऐसे ही धुप खा रही थी”
“ठीक है ठीक है अंदर जाओ”,रघु ने चिढ़ते हुए कहा तो पूजा वहा से चली गयी। मीरा लॉन में घूम रही थी उसका मन अचानक से उदास हो गया , विजय जी ने अमर जी को मीरा के प्रेग्नेंट होने की बात बताई थी लेकिन ना वे मीरा से मिलने आये ना ही उन्होंने उस से फोन पर बात की। इसी बारे में सोचकर मीरा थोड़ा उदास थी। हल्की सुहावनी धुप थी जैसे जैसे दिन ढलने लगा धुप कम होती गयी और इस से मीरा को थोड़ा अच्छा लग रहा था। कुछ देर बाद गाड़ी के हॉर्न से उसकी तंद्रा टूटी उसने सामने देखा तो ख़ुशी से आँखे चमक उठी। बाहर अमर प्रताप सिंह की गाड़ी खड़ी थी। रघु ने देखा तो भागकर गया और दरवाजा खोल दिया। गाड़ी अंदर आकर रुकी और उसमे से अमर जी के साथ सौंदर्या भुआ नीचे उतरी। सौंदर्या भुआ को देखकर तो मीरा की ख़ुशी दुगुनी हो गयी। मीरा उनके पास आयी तो सौंदर्या भुआ ने उसे गले लगाते हुए कहा,”कैसी है हमारी बच्ची ?”
“हम ठीक है भुआ जी , आपको देखकर तो हम और अच्छा महसूस कर रहे है”,मीरा ने खुश होकर कहा फिर अपने पापा की तरफ आयी और उनके सीने से लगते हुए कहा,”हम आपके ही बारे में सोच रहे थे पापा की आप क्यों नहीं आये ?”
“माफ़ कीजियेगा बेटा , विजय जी ने कल रात ही हमे ये खुश खबरी दी थी और हम शहर से बाहर सौंदर्या से मिलने गए थे। जब इन्हे पता चला तो ये भी आपसे मिलने को आतुर हो गयी और हमारे साथ चली आयी”,अमर जी ने प्यार से मीरा का सर सहलाते हुए कहा
“इतनी बड़ी ख़ुशख़बरी हो हम तुमसे मिलने ना आये ऐसा भला हो सकता है , घर के सभी लोग तुमसे मिलना चाहते है। शादी के बाद पगफेरे के लिए आयी तुम उसके बाद तो जैसे सबको भूल ही गयी”,सौंदर्या ने प्यार भरे स्वर मे कहा
“सौंदर्या हमारी मीरा को इस घर में इतना प्यार और सम्मान मिला की इसे हमारी याद ही नहीं आयी,,,,,,,,,,,,,,,,है ना बेटा जी”,अमर जी ने कहा
“पापा भुआ जी ऐसी बात नहीं है , घर बाहर में इतना उलझ गए की वक्त ही नहीं मिला पर हम हमेशा आप सबको याद करते है”,मीरा ने कहा तो अमर जी मुस्कुरा दिए और उसके सर पर हाथ रखते हुए कहा,”आप जहा भी रहे बस खुश रहे”
“आप अंदर चलिए ना , चलिए भुआ जी”,मीरा ने कहा तो अमर ने ड्राइवर को अपने साथ लाया सामान लाने का इशारा किया और खुद मीरा के कंधे पर बांह रखे अंदर चले आये। घर में इस वक्त निधि , नीता , दादू-दादी , चीकू , काव्या और तनु ही थे बाकि सब घर से बाहर। नीता ने जब मीरा के पापा को देखा तो मुस्कुराते हुए उनके पास आयी और कहा,”नमस्ते अंकल जी , आप को यहाँ देखकर बहुत अच्छा लगा”
“कैसी है आप ?”,अमर जी ने प्यार से पूछा
“मैं बिल्कुल ठीक हूँ , अंदर आईये ना”,कहकर नीता उन्हें लेकर सोफे के पास चली आयी और उन्हें बैठने को कहा।सौंदर्या को नीता बहुत अच्छी लगी। निधि सीढ़ियों से नीचे आ रही थी उसने हॉल में मीरा के घरवालों को देखा तो उनके पास चली आयी और नमस्ते किया। कुछ देर बाद दादू दादी भी चले आये और बैठकर अमर जी से बाते करने लगे। मीरा नीता की मदद करने किचन में चली आयी तो नीता ने कहा,”मीरा तुम जाकर अपने पापा के साथ बैठो ना मैं कर लुंगी”
“भाभी आप अकेले , रुकिए हम आपकी मदद कर देते है”,मीरा ने कहा तो नीता ने कहा,”कितने दिनों बाद तुम्हारे पापा घर आये है तुम जाकर उनसे बातें करो मैं अपनी हेल्प के लिए निधि को बुला लुंगी”
“ठीक है भाभी हम निधि को भेजते है”,कहकर मीरा बाहर चली आयी और निधि को भेज दिया। तनु भी आकर मीरा के पापा से मिली उसे मीरा के पापा का सरल स्वभाव बहुत पसंद आया। कुछ देर बाद चीकू और काव्या कमरे से बाहर आये जब उन्होंने देखा हॉल में मेहमान बैठे है तो दोनों चले आये
जैसे ही चीकू और काव्या ने अमर जी और सौंदर्या के दोनों हाथो से झुककर पैर छुए अमर जी मुस्कुरा उठे। दोनों सदा खुश रहो का आशीर्वाद दिया और फिर चीकू के अपनी गोद में बैठाते हुए कहा,”ये आपको किसने सिखाया ?”
“मीरा चाची ने”,चीकू ने अटकते हुए कहा तो अमर जी मुस्कुरा उठे और मीरा की तरफ देखकर कहा,”वाह मीरा आपके घर के बच्चे तो बिल्कुल आप जैसे हो गए है”
“नहीं पापा ये संस्कार इन्हे राधा माँ से मिले है , हम अक्षत जी को फोन करके आते है”,कहते हुए मीरा उठी चली गयी। नीता और निधि ने अमर जी और सौंदर्या भुआ के लिए चाय नाश्ता लगाया। कुछ देर बाद विजय जी , अर्जुन और सोमित जीजू भी चले आये। मीरा ने अक्षत को फोन लगाया और अमर जी के आने की खबर दी। अक्षत ने जल्दी आने का कहकर फोन काट दिया।

राधा अपना सामान खरीद चुकी थी , दरअसल राधा की किसी दूर की रिश्तेदार की बेटी की शादी थी राधा उसमे जा नहीं सकती थी इसलिए कपडे और तोहफे खरीदे ताकि उन्हें भेज सके। सारी खरीदारी होने के बाद राधा बैग उठाये हुए चल रही थी अक्षत ने देखा तो कहा,”माँ ये मुझे दे दीजिये”
राधा ने अपने पास दो बैग रखे बाकि अक्षत को पकड़ा दिए। मॉल से निकलकर दोनों जैसे गाडी की और जाने लगे राधा की नजर सामने खड़ी लड़की पर गयी जो की अक्षत को देखकर हाथ हिलाते हुए जोर जोर चिल्ला रही थी लेकिन गाड़ियों के शोर में उसकी आवाज दब गयी , राधा ने लड़की को देखा और फिर अक्षत को देखकर कहा,”आशु देख ना जरा शायद वो लड़की तुम्हे बुला रही है”
“माँ कोई लड़की मुझे क्यों बुलाएगी ?”,अक्षत ने बिना लड़की की तरफ देखे आगे बढ़ते हुए कहा
राधा ने फिर लड़की की तरफ देखा वो अभी भी अक्षत को ही देखकर हाथ हिला रही थी , राधा ने अक्षत को रोका और उसे लड़की की और घूमाते हुए कहा,”देखो उसे”
अक्षत ने देखा उसे देखकर हाथ हिलाने वाली लड़की कोई और नहीं बल्कि निहारिका थी। अक्षत की नजरे जब उस से मिली तो निहारिका ने अक्षत को रुकने का इशारा किया और सड़क क्रॉस करके उसके सामने आकर कहा,”हाय , तुम तो मुझे बीच रास्ते में छोड़कर चले गए लेकिन मैं होटल पहुँच गयी ,, वैसे तुम पर बहुत गुस्सा भी आया था लेकिन डोंट वरी मैंने डेड से तुम्हारी शिकायत नहीं की,,,,,,,,,( कहते कहते राधा की तरफ देखती और आगे कहती है ) ये आई थिंक तुम्हारी मॉम है,,,,,,,,,,,,,,,हाय आंटी”
“नमस्ते बेटा,,!!”,राधा ने असमझ की स्तिथि में कहा क्योकि निहारिका को उसने पहली बार देखा तो और अक्षत ने भी कभी इसका जिक्र नही किया था ,उन्होंने अक्षत की तरफ देखा तो अक्षत ने कहा,”माँ ये निहारिका सिन्हा है , दिल्ली से यहाँ घूमने आयी है। सिन्हा जी जो पिछले हफ्ते आये थे अमायरा के फंक्शन में वो इनके पापा है”
“अच्छा,,,,,,,,,,,,,,,कैसी हो बेटा ?”,राधा ने मुस्कुरा कर कहा
“आई ऍम फाइन आंटी , आप लोग शॉपिंग करके आ रहे है ?”,निहारिका ने पूछा
“हां बेटा अभी घर ही जा रहे है,,,,,,,,,,,,,,,तुम घर क्यों नहीं आयी ?”,राधा ने कहा
“मुझे किसी ने बुलाया ही नहीं , ये तो मुझे बीच रस्ते में छोड़कर चले आये थे , वैसे मैं होटल में ठहरी हूँ”,निहारिका ने अक्षत की और देखकर कहा , लेकिन अक्षत ने उस पर ध्यान नहीं दिया। राधा ने सूना तो उसने निहारिका से कहा,”ठीक है कल दोपहर का खाना तुम हमारे घर में खाना”
“सो स्वीट ऑफ़ यू लेकिन मैं आपका घर नहीं जानती”,निहारिका ने कहा
“कोई बात नहीं मैं आशु को लेने भेज दूंगी”,राधा ने कहा
“आशु ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,निहारिका ने हैरानी से कहा
“अक्षत,,,,,,,,,,,,,,घर में इसे हम सब प्यार से आशु ही बुलाते है”,राधा ने हँसते हुए कहा
“ओके फाइन,,,,,,,,,,,,,,बाय आंटी”,निहारिका ने कहा
“बाय बेटा”,राधा ने कहा तो निहारिका ने अक्षत की ओर देखा और कहा,”बाययययय आशु”
अक्षत को निहारिका का उसे आशु कहकर बुलाना अच्छा नहीं लगा लेकिन अपनी माँ के सामने वह कोई सीन क्रिएट करना नहीं चाहता था इसलिए कहा,”बाय”
निहारिका मुस्कुरा दी अक्षत ने राधा की और देखा और कहा,”चले माँ ?”
“हाँ”,कहते हुए राधा अक्षत के साथ आगे बढ़ गयी। निहारिका उन्हें जाते हुए देखती रही और कहा,”आशु,,,,,,,,,,,आई लाइक इट”

Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23 Haan Ye Mohabbat Hai – 23

क्रमश – Haan Ye Mohabbat Hai – 24

Read More – हाँ ये मोहब्बत है – 22

Follow Me On – facebook | instagram | youtube

Buy This Book Here – archanapublication

संजना किरोड़ीवाल

Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

9 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!