मनमर्जियाँ – 99
Manmarjiyan – 99
मनमर्जियाँ – 99
लखनऊ की शादी का काम गोलू के भरोसे छोड़कर शगुन से मिलने के लिए निकल पड़ा। गुड्डू बहुत खुश था उसके दिल में शगुन के लिए जो प्यार था वो उसकी आँखों और होंठो की मुस्कराहट पर दिख रहा था। गाड़ी में लगे मिरर में गुड्डू ने देखा उसके चेहरे से ख़ुशी साफ झलक रही थी , शगुन के बारे में सोचते हुए वह गाड़ी चलाये जा रहा था। शगुन के साथ बिताया एक एक पल उसकी आँखो के सामने किसी फिल्म सा चल रहा था। प्यार क्या होता है ये गुड्डू को आज समझ आ रहा था। पिंकी के साथ रहते हुए उसे इन भावनाओ का अहसास कभी नहीं हुआ था जो आज थी। लखनऊ से बनारस पहुंचने में गुड्डू को 6-7 घंटे लगने वाले थे। ये 6-7 घंटे गुड्डू को 6-7 साल जैसे लग रहे थे। पहले उसका मन किया की शगुन को फोन करके अपने आने की खबर दे दे लेकिन फिर सोचा के उसे सरप्राइज देगा तो वह ज्यादा खुश हॉगी।
कानपूर , उत्तर-प्रदेश
वेदी नहाकर बाल सुखाने ऊपर छत पर चली आयी। दीपक भी वंदना के घर की छत पर था और बुक लेकर यहाँ वहा घूम रहा था। जून का महीना और उसमे इतनी गर्मी लेकिन सुबह का वक्त था इसलिए अभी धूप कम थी। दीपक ने वेदी को देखा तो उसकी और देखकर हाथ हिला दिया। वेदी ने देखा और दूसरी और मुंह घुमा लिया। दीपक को ये खटका लेकिन उसने वापस अपना ध्यान किताब में लगा लिया। वेदी वापस उसकी और पलट गयी और उसे चोर नजरो से उसे देखने लगी। दीपक जब उसकी और देखता तो वह घबराकर दूसरी और देखने लगी। ये देखना कुछ देर तक चलता रहा की तभी लाजो बाल्टी में धुली हुयी बेडशीट्स लेकर आयी। लाजो को देखते ही वेदी ने कहा,”लाजो दीदी लाओ इह हम सूखा देते है”
“तुम काहे सुखाओगी हम सूखा देते है”,लाजो ने कहा तो वेदी ने लाजो के हाथ से बाल्टी ली और कहा,”अरे लाजो दीदी आप कितना काम करती है दिनभर लाओ इह हम सूखाते हैं , आप उह मिर्च का टोकरा लेकर नीचे जाओ अम्मा ने मंगवाया है”
“तुमहू कहती हो तो ठीक है , अच्छे से झटककर सुखाना वरना मिश्राइन हमे सूखा देंगी”,कहते हुए लाजो वहा से चली गयी। दीपक को कुछ देर और देखने का वेदी को एक बहाना मिल गया। उसने बाल्टी से चददर उठाया और झटककर तार पर सूखा दिया , बेडशीट की ओट से वेदी दीपक को देखने लगी। धीरे धीरे दीपक उसे अच्छा लगने लगा था। जैसे ही दीपक ने वेदी की और देखा उसने बेडशीट आगे खिसका दी और दीपक उसे देख नहीं पाया। ये सब करते हुए वेदी के मन में तितलियाँ सी उड रही थी। उसने कुछ कवर सुखाये और एक बार फिर बेडशीट को साइड करके वंदना आंटी की छत की ओर देखा लेकिन इस बार दीपक वहा नहीं था
वेदी ने वंदना आंटी की छत पर हर तरफ नजर दौड़ाई लेकिन दीपक कही नहीं दिखा मासूम से चेहरे पर उदासी छा गयी , वेदी उदास सी जैसे ही पलटी पीछे दीपक खड़ा था। कानपूर में अधिकतर घरो की छते एक दूसरे के घरो से जुडी हुई रहती है और दीपक भी ऐसे ही आया था। दीपक को वहा देखकर वेदी का दिल धड़क उठा उसने डरते हुए कहा,”तुम यहाँ क्यों आये हो किसी ने देख लिया तो,,,,,,,,,,,,!!”
“शशशश,,,,,,,,,दीपक ने वेदी के होंठो पर अपना हाथ रख दिया और कहा,”मुझे ही देख रही थी ना और जब मैं नहीं दिखा तो परेशान हो गयी”
वेदी ने उसका हाथ साइड किया और कहा,”हम तुम्हे क्यों देखेंगे ?”
“अच्छा तो फिर इतनी धुप में छत पर क्या कर रही हो तुम ?”,दीपक ने कहा तो वेदी बगले झाँकने लगी और फिर कहा,”वो तो हम बाल सुखाने आये थे”
“हम्मम्मम्मम्म वैसे झूठ अच्छा बोल लेती हो”,दीपक ने वेदी को प्यार से देखते हुए कहा तो वेदी ने उसे धक्का दिया और सीढ़ियों की और जाने लगी
“अरे अपना नाम तो बता दो”,दीपक ने कहा
वेदी पलटी और मुस्कुराते हुए कहा,”वेदिका घर में सब प्यार से वेदी बुलाते है”
“तो हम क्या बुलाये वेदिका या वेदी ?”,दीपक ने उसकी आँखो में देखते हुए कहा
“तुम्हारी मर्जी”,कहते हुए वेदी खिलखिलाते हुए नीचे चली गयी और दीपक भी उनकी छत से वापस अपनी छत पर चला गया। सीढ़ियों से भागते हुए उतर रही वेदी के सामने अचानक से मिश्रा जी आ गए तो उन्होंने कहा,”अरे बिटिया सम्हलकर”
“माफ़ करना पिताजी”,वेदी ने रुककर कहा
“हम्म्म ठीक है जाओ”,कहकर मिश्रा जी चले गए। वेदी अपने कमरे में आयी और आईने के सामने खड़े होकर मुस्कुराने लगी। आज से पहले वेदी की सिर्फ लड़किया दोस्त रही थी कोई लड़का दोस्त नहीं रहा था ना ही वेदी को कोई लड़का इतना पसंद आया था। कुछ महीने पहले रमेश ने उसे प्रपोज किया था लेकिन वेदी ने रमेश को मना कर दिया और उसके बाद रमेश उसे टॉर्चर करने लगा लेकिन गुड्डू के वार्निंग देने और शगुन के थप्पड़ मारने के बाद से वेदी को रमेश कही नजर ही नहीं आया। दीपक को पहली बार जब देखा तभी से वह वेदी के मन को छू गया और वह उसे पसंद करने लगी। मिश्राइन किसी काम से वेदी के कमरे में आयी तो उसे मुस्कुराते देखकर कहा,”ए वेदी काहे शीशे के सामने खड़ी होकर दाँत फाड् रही है ? चल चलकर नाश्ता कर ले”
“हां हां अम्मा आप चलो आते है हम”,वेदी ने झेंपते हुए कहा
पिंकी के दिल में गोलू के लिए अहसास पनपने लगे थे। जिन अहसासों से वह गुजर रही थी वे बहुत ही खूबसूरत थे। प्यार शक्ल और पैसा देखकर नहीं होता ये बात गोलू के मामले में सच साबित हो गयी। जिस पिंकी को वह अपनी औकात से बाहर बताता था आज वही पिंकी उसके प्यार में थी। सुबह जल्दी नहा धोकर पिंकी मंदिर के बहाने घर से निकल गयी। जब गोलू की दुकान के सामने से निकली तो दुकान बंद देखकर उसका मन भी उदास हो गया। पिंकी वहा से मंदिर चली आयी और पूजा करके थोड़ी देर के लिए वही मंदिर की सीढ़ियों पर बैठ गयी। कुछ देर बाद गोलू के गोलू के पड़ोस में रहने वाली मीना मंदिर आयी , उसका चेहरा उतरा हुआ था। उसने पूजा की और जैसे ही जाने लगी पिंकी ने कहा,”ए मीना इधर आ”
मीना पिंकी के पास आयी तो पिंकी ने उसे अपने पास बैठने का इशारा किया। मीना पिंकी के पास आ बैठी तो पिंकी ने पूछ लिया,”क्या हुआ इतनी उदास क्यों हो ?”
“अगले महीने हमारी शादी है”,मीना ने कहा
“अरे तो इसमें मुंह लटकाने वाली कोनसी बात है ये तो ख़ुशी की बात है ना”,पिंकी ने कहा
मीना ने सूना तो पिंकी को घूरते हुए देखा और कहा,”जब तुम किसी से प्यार करोगी और तुम्हारी शादी उस से ना होकर किसी और से होगी तब तुम्हे समझ आएगा , ज्ञान देना आसान है खुद पर बीत ती है ना तब पता चलता है” कहते हुए मीना उठी और वहा से चली गयी। जाते जाते वह पिंकी के मन में खलबली पैदा करके चली गयी और वह मन ही मन कहने लगी,”गोलू को अभी तक हमने अपने दिल की बात नहीं बताई है , अगर उसकी जिंदगी में कोई और लड़की हुई तो नहीं नहीं ऐसा नहीं होगा गोलू तो हमेशा मुझसे फ्लर्ट करता रहता है वो मुझे ही पसंद करता है,,,,,,,,,,,,,,पर उसने आज तक मुझसे कुछ कहा भी तो नहीं हे महादेव कही ऐसा ना हो बहुत देर हो जाये और गोलू किसी और का हो जाये,,,,,,,,,,,,,,नहीं इस बार मैं गोलू से मिलते ही कह दूंगी की मुझे उस से प्यार हो गया है और मैं अब अपनी आगे की जिंदगी उसी के साथ बिताना चाहती हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर ये गोलू भी पता नहीं कहा मर गया है ऐसे तो मेरे आगे पीछे घूमता रहता है और आज जब मैं खुद उस से मिलना चाहती हूँ तो गायब हो गया है,,,,,,,,,,,,जल्दी से वापस आ जाओ गोलू”
पिंकी उठी और भगवान की और देखकर मन ही मन गोलू के लौट आने की दुआ मांगने लगी।
लखनऊ , उत्तर-प्रदेश
“आन्हछी,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने छींका और फिर अपनी नयी शर्ट के बाजु से ही अपनी नाक पोछ ली। गुड्डू के जाने के बाद गोलू के लिए वहा सब सम्हालना थोड़ा मुश्किल हो रहा था लेकिन फिर भी उसने सम्हाल लिया। हलवाईयो से कहकर उसने सुबह का नाश्ता बनवा दिया था और बाहर लॉन में ही लगवा दिया। पोहा समोसा और जलेबी के साथ गरमा गर्म चाय/कॉफी का भी इंतजाम था सभी नाश्ता करने लगे। गोलू अभी वहा खड़े सभी इंतजाम देख ही रहा था की उसके पिताजी का फोन आया गोलू ने फोन उठाया और कहा,”हेलो”
“हां तो बेटा क्या सोचा ?”,गोलू के पिताजी ने सीधे सीधे पूछ लिया
“अभी नाश्ता करेंगे उसके बाद मेहँदी का फंक्शन देखेंगे”,गोलू ने कहा
“अबे नालायक हम तुम्हायी शादी के बारे में बात कर रहे है चन्दा पसंद आयी तुमको ?”,गोलू के पिताजी ने पूछा
“कौन चन्दा ?”,गोलू ने कहा
“अरे जिसकी फोटो दिखाई थी तुमको”,गोलू के पिताजी भड़क गए
“पिताजी हम बता रहे है हम किसी चंदा से शादी नहीं करने वाले है , अभी रखो फोन और काम करने दो हमको”,गोलू ने गुस्से में फोन काट दिया और जैसे ही पलटा उसका मुंह खुला का खुला रह गया कुछ ही दूर एक बहुत ही सुन्दर सी लड़की अपने हाथ में प्लेट पकडे अपने सामने खड़े लड़के को कह रही थी,”बाबू खाइये ना”
गोलू ने एक नजर लड़के पर भी डाली
लड़के को देखते ही गोलू ने अपनी छाती पकड़ ली कहा वो लड़की और कहा वो चूजे जैसा लड़का ऐसा लगता था जैसे किसी ने उसके मुंह में स्ट्रा डालकर उसका सारा खून चूस लिया हो पूरा हड्डियों का ढांचा लग रहा था वो ऊपर से आँखों पर काले रंग का चश्मा ,, कुछ नहीं था उसमे देखने लायक पर लड़की के सामने भाव ऐसे खा रहा था जैसे सलमान खान की टक्कर का हो। लड़की उसे अपने हाथो से दो चार निवाले खिलाकर वहा से चली गयी उसके जाते ही गोलू लड़के के पास आया और कहा,”भैया कैसे किया इह सब ?”
“सच्चे प्यार का नाम सुने हो , उसमे ना लड़की शक्ल देखती है ना ही स्टेटस”,कहकर लड़का वहा से चला गया
“साला इसके हिसाब तो हम पिंकिया के लिए परफेक्ट है,,,,,,,,,,,,दीखते भी अच्छे है और अब तो कमाने भी लगे है,,,,,,,,,,,,,,,पर पिंकिया के दिल में हमारे लिए कुछो है भी या नहीं,,,,,,,,,,,हम खुद भी तो उस से कुछ नहीं कहे ना कभी,,,,,,,,,चलो इस बार कानपूर जाकर बोल ही डालेंगे,,,,,,,,,,ना तो उनकी है ही का पता हाँ हो जाये , अब हमायी जिंदगी में पिंकी नाम का बवाल लिखा है तो बवाल सही !!”,कहते हुए गोलू वहा से चला गया
बनारस , उत्तर-प्रदेश
सुबह सुबह ही गुप्ता जी कुछ पेपर्स लेकर घर से निकल गए। शगुन भी प्रीति को नाश्ता करने को बोलकर मंदिर चली गयी। घर में सिर्फ प्रीति थी और रोहन था। आँगन में झूले पर बैठी प्रीति उदासी में डूबी हुई थी। रोहन जैसे ही जाने लगा उसकी नजर प्रीति पर पड़ी , ,प्रीति हमेशा घर में बोलती खिलखिलाती रहती थी आज पहली बार उसने प्रीति को चुप देखा तो उसके पास चला आया और कहा,”आज घर में इतनी शांति कैसे है ?”
“जब इंसान के अंदर तूफ़ान हो ना तो वह बाहर से खामोश हो जाता है”,प्रीति ने दार्शनिक अंदाज में कहा
“मतलब ?”,रोहन ने पूछा
“मतलब तो ऐसे पूछ रहे हो जैसे तुम्हे कुछ पता ना हो , चाचा ये घर बेचना चाहते है पर उस से तुम्हे क्या तुम्हे तो रहने को जगह मिल ही जाएगी , यही चाहते थे ना तुम भी की हम लोग यहाँ से चले जाये”,प्रीति गुस्से से फट पड़ी और उठ खड़ी हुई।
“मैं जानता हूँ ये सब इसी वजह से अंकल और शगुन दीदी परेशान है , पर मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ”,रोहन ने कहा
“कैसे ?”,प्रीति की आँखों में एक चमक उभर आयी
“मेरा एक दोस्त नौटंकी करता है हम लोग उस से बात करेंगे और कहेंगे की वह झूठ मुठ का पुलिस बनकर आये और तुम्हारे चाचा से कहे की तुम्हारा घर सरकारी जमीन है और इसे वो बेच नहीं सकते है , अगर ऐसा कुछ हुआ तो उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। तुम्हारे चाचा वैसे भी फट्टू है वो डर जायेंगे और ये नहीं बेचेंगे”,रोहन
ने प्रीति को अपना प्लान बताया। मारे ख़ुशी के प्रीति उसके गले आ लगी और कहा,”थैंक्यू थैंक्यू थैंक्यू सो मच”
प्रीति ने जैसे ही रोहन को छुआ उसके मन के तार झनझना उठे , प्रीति उस से दूर हटी और कहा,”अब देखना उस चाचा को कैसा सबक सिखाती हूँ मैं”
“मैं अपने दोस्त से बात कर लेता हूँ”,कहकर रोहन वहा से चला गया
शगुन मंदिर से लौट आयी , गुप्ता जी भी आ चुके थे प्रीति ने अपने प्लान के बारे में शगुन को नहीं बताया क्योकि वह जानती थी शगुन उसे ये सब करने नहीं देगी। रोहन अपने ऑफिस चला गया। दोपहर के समय पुलिस की गाड़ी आकर शगुन के घर के सामने रुकी , चार हवलदार और एक पुलिस इंस्पेक्टर था प्रीति ने देखा तो खुश हो गयी की रोहन ने उन्हें भेजा है। वे सब अंदर आये और इंस्पेक्टर ने शगुन के पापा से कहा,”आपको पुलिस स्टेशन चलना होगा”
“किस जुर्म में ?”,शगुन ने कहा
“ये घर तुम्हारे चाचा का है और तुम सब लोगो ने इस पर कब्जा किया है , जिसे ये घर बेचा गया है उसने आप लोगो के खिलाफ कंप्लेंट की है ,, हवलदार गिरफ्तार करो इन्हे”,इंस्पेक्टर ने कहा तो गुप्ता जी को तो चक्कर आने लगे उनका भाई उनकी इज्जत तार तार करने में लगा हुआ था। शगुन ने रोकना चाहा तो इंस्पेकटर ने उसे साइड करते हुए कहा,”देखिये मैडम हमे अपना काम करने दीजिये वरना मजबूरन हमे आपको भी ले जाना होगा”
हवलदार ने गुप्ता जी की बांह पकड़ी और उन्हें ले जाने लगा , ये देखकर प्रीति को कुछ गड़बड़ लगी तो वह भी शगुन के साथ साथ चली आयी। घर से बाहर लोगो की भीड़ लग चुकी थी गुप्ता जी शर्म से सामने खड़े अपने भाई विनोद को देख रहे थे जिसने चेहरा घुमा लिया। पुलिस की जीप के बगल में एक गाड़ी आकर रुकी लेकिन उस और किसी का ध्यान नहीं गया। हमेशा शांत रहने वाली शगुन को आज अपने पापा का अपमान देखकर गुस्स्सा आ गया उसने इंस्पेक्टर से अपने पापा को छुड़ाते हुए कहा,”छोड़िये इन्हे , कानून के रखवाले होकर आप लोग एक टीचर के साथ ऐसा कैसे कर सकते है ?”
इंस्पेक्टर ने जैसे ही शगुन को साइड करना चाहा शगुन ने उसे एक जोर का धक्का देते हुए कहा,”दूर रहिये मुझसे आप”
इंस्पेक्टर को ये नागवार गुजरा उसने गुस्से में शगुन की और जैसे ही हवा में हाथ उठाया किसी ने आकर उसके हाथ को हवा में ही थाम लिया और कहा,”का इंस्पेक्टर साहब अकेले समझे हो का इनको ? कानून भूल गए या हम सिखाये”
गुड्डू को वहा देखकर शगुन की जान में जान , उसकी आँखों में आंसू भर आये। गुड्डू ने शगुन को अपने पीछे किया और इंस्पेक्टर से कहा,”का तमाशा लगा रखा है हिया ? और कहा लेकर जा रहे हो इन्हे ?”
“कानून के काम में दखल देकर तुमने कितनी बड़ी गलती की है जानते हो तुम ? हवलदार गुप्ता जी को छोडो और इन्हे डालो गाड़ी में इनकी गर्मी तो हम थाने जाकर निकालेंगे”,कहते हुए इंस्पेक्टर ने गुड्डू की कॉलर पकड़ी और उसे लेजाकर पुलिस जीप में बैठा दिया। ये सब देखकर गुप्ता जी को दिल में दर्द उठा और वे अपना सीना पकड़कर वही बैठ गए प्रीति ने उन्हें सम्हाला ,, शगुन को तो समझ ही नहीं आया की हुआ क्या ? सभी पुलिसवाले गाड़ी में बैठे और गुड्डू को लेकर जाने लगे। चाचा चाची तमाशा देखते रहे। शगुन जीप के पास आयी और गुड्डू का हाथ थामकर कहा,”गुड्डू जी आप,,,,,,,,,आप चिंता मत कीजिये,,,,,,,,,मैं मैं आपको छुड़ा लुंगी,,,,,,,,,,,,,,,,आप यहाँ क्यों आये यहाँ पहले से इतनी परेशानिया थी और अब आप भी उनका शिकार हो गए,,,,,,,,,,मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा मैं क्या करू”
शगुन की आँखों से आंसू बहने लगे और गुड्डू बस ख़ामोशी से उसकी आँखों में देख रहा था। जीप आगे बढ़ी तो शगुन भी साथ साथ गुड्डू का हाथ थामे दौड़ने लगी। उसने सोचा नहीं था ऐसा कुछ हो जाएगा ,, गाड़ी ने जैसे ही स्पीड पकड़ी शगुन के हाथ से गुड्डू का हाथ छूट गया और जीप वहा से चली गयी। शगुन ने अपने आंसू पोछे और कहा,”मैं आपको कुछ नहीं होने दूंगी”
“दी”,प्रीति की दर्दभरी आवाज शगुन के कानो में पड़ी तो वह पलटी और अपने पापा के पास आकर उन्हें सम्हाला , पड़ोस के एक लड़के ने आकर शगुन और प्रीति की मदद की और गुप्ता जी को अंदर लेकर गए बाकि सारे लोग तमाशा देख रहे थे। ये देखकर प्रीति को गुस्सा आ गया और उसने चिल्लाकर कहा,”खड़े खड़े क्या तमाशा देख रहे हो तुम लोग जाओ यहाँ से ?”
क्रमश – मनमर्जियाँ – 100
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संजना किरोड़ीवाल
Arey .. mam next part jaldi dena bahut tension mein part khayal kiya hai aapne
Yh sb kya ho gya jldi hi sb theek ho jaaye
Bahut bura ho raha hai ..sanjana ji please sab accha kar dijiye..bhut bura lag raha hai ..ye chacha or chachi ko to itta marna chahiye ki sari duniya ki nani yaad aa jaye…kamine ek no. Ke
मैम क्या क्या सोचा था…और क्या हो गया…गुड्डू को पुलिस पकड़कर ले गई….वैसे शगुन किसी भी तरह से गुड्डू को बाहर निकाल लेगी लाकअप से…और शायद इसमें रोहन उनकी मदद भी करेगा… अब तो कल छुट्टी हैं…सोमवार का इंतजार रहेगा😊 superb part👌👌👌👌👌
अरे यार ये क्या हुआ… ऐसा तो बिलकुल नहीं सोचा था, और मुझे लगता है कि चाचा-चाची और रोहन दोनों मिले हुए है, तभी तो इतना ड्रामा हुआ… बेचारे गुप्ता जी…संजना जी प्लीज अब तो चाचा-चाची की लंका लगाइए…ये तो अति हो गई…
ई का कर दिया, सब मामला ही बिगाड़ दिया, बेचारा कहां इजहार करने आया था, जेल भेज दिया आपने, ये तो सरासर नाइंसाफी है।
Ye kyaa ho gyaa… 😕😕😕
Very beautiful
Are kya socha tha or kya ho gaya nakli k jagah asli police a gayi ab kya hoga hamara to hero ko ho police pakad kar le gayi ab koun solve karega y problem
चलो अच्छा ही हुआ गुड्डू आ गया कम से कम शगुन अब अकेलापन महसूस नहीं होगा
Bhai is kadar bhi gir skta h soch kr afsos hota h but aj ke time me yahi sach h or jo hota h ache ke liye hota h ab hme lgta h Mishra ji ko hi aana pdega
Kon kb kaha bdl jaye kaha nhi jaa sakta y jo kahne ko apne hote h n unse jada kmina koi nhi hota inko to aag bhi nhi jla skti😡😡😡😡
Are ye kya Ho gya, kaha hame intezaar tha shagun OR guddu ek dusre se pyar ka izhar krenge OR kya Ho gya, Feeling Bad