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मनमर्जियाँ – 98

Manmarjiyan – 98

Manmarjiyan - 98

मनमर्जियाँ – 98

अपनी चाय खत्म करके गोलू और गुड्डू वहा से निकल जाते है। दोपहर तक दोनों लखनऊ पहुँचते है और गुड्डू अपने दोस्त से बात करके लोकेशन पर पहुंचता है। लड़को से कहकर उसने आधे से ज्यादा अरेंजमेंट करवा दिया था। दोनों गेस्ट हॉउस पहुंचे नवीन ने गुड्डू और गोलू के लिए रूम बुक कर दिया दोनों वहा आये अपना सामान रखा और फिर अरेजमेंट देखने लगे। गोलू डेकोरेशन का काम देखने लगा और गुड्डू खाने का इंतजाम ,, शाम को सगाई का फंक्शन था और दो दिन बाद शादी , आज शाम के खाने में क्या क्या बनेगा गुड्डू हलवाईयो को यही सब बता रहा था। दोपहर के खाने के वक्त सभी मेहमानो के खाना खाने के बाद गुड्डू और गोलू आकर बैठे और गोलू ने लड़के से खाना लगाने को कहा उसी वक्त वहा एक खूबसूरत लड़की अपनी सहेलियों के साथ आयी और गुड्डू के बगल में पड़ी खाली टेबल पर आकर बैठ गयी। गुड्डू ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया और बैठकर अपना फोन चेक करने लगा। उन लड़कियों में एक लड़की थी वर्षा जो की बार बार बस गुड्डू को ही देखे जा रही थी। वर्षा चाहती थी की गुड्डू एक बार तो उसकी तरफ देख ले पर गुड्डू ने नहीं देखा। लड़का खाना लेकर आया और दो प्लेट गोलू और गुड्डू के सामने रख दी। गुड्डू का ध्यान अपनी और खींचने के लिए वर्षा ने वेटर से कहा,”ए भैया इधर भी खाना दोगे या खुद से ले , अरेजमेंट किसने किया है यहाँ का इतना बकवास ?”
गोलू ने सूना तो उसे गुस्सा आया वह जैसे ही उठने को हुआ गुड्डू ने उसके हाथ पर हाथ रखकर उसे रोक लिया खुद उठा और दोनों प्लेट उठाकर वर्षा के सामने रख दी और कहा,”आप लोग ये खा लीजिये हम दूसरा ले लेते है”
“अरे नहीं नहीं आप बैठिये ना , मैं दुसरा मंगवा लेती हूँ”,वर्षा ने गुड्डू को नजदीक से देखते हुए कहा
“आप लोग खाइये हम दूसरी मंगवा लेंगे”,गुड्डू ने सहजता से कहा
“सो स्वीट?”,वर्षा ने कहा
“इसमें स्वीट जैसा कुछ नहीं है अरेजमेंट हम ही ने किया है तो हम खुद से ले लेंगे”,कहते हुए गुड्डू ने गोलू को वहा से चलने का इशारा किया और दोनों वहा से चले गए। उनके जाते ही एक लड़की ने कहा,”ए वर्षा तुझे क्या जरूरत थी इतनी बकवास करने की वो ला तो रहा था खाना”
“मुझे क्या पता था यार ये सारा अरेजमेंट इन लोगो ने किया है”,वर्षा ने झेंपते हुए कहा
“वो लड़का कितना अच्छा है यार अपनी प्लेट यहाँ रखकर चला गया”,कहते हुए लड़की ने सामने खड़े गुड्डू और गोलू को देखा जो अपनी प्लेट में अब खुद खाना ले रहे थे।
“मुझे उनके लिए बुरा लग रहा है यार”,वर्षा ने कहा
“चल कोई नहीं अभी खाना खा ले बाद में सॉरी बोल देना”,लड़की ने कहा तो बाकि सब और वर्षा खाना खाने लगी। गोलू और गुड्डू ने खाना खाया और दोनों आराम करने अपने कमरे में चले आये। वर्षा गुड्डू को सॉरी बोलने के लिए ढूंढ रही थी लेकिन वह नहीं मिला। थक कर उसने खुद से कहा,”शाम को सगाई में तो आएगा ही तब बोल दूंगी”

बनारस , उत्तर प्रदेश
दोपहर में प्रीति अपनी क्लास से वापस आयी। शगुन ने उसके लिए खाना लगा दिया , प्रीति ने प्लेट हाथ में ली और टहलते हुए खाने लगी। खाते खाते प्रीति कहने लगी,”दी पता है आज क्लास में ना बहुत सुन्दर साड़ी का डिजाइन बताया हम सबको मैं सोच रही आपके बर्थडे पर ना मैं आपको वही साड़ी गिफ्ट करू”
“हम्म्म”,शगुन ने उदासी भरे स्वर में कहा उसे ऐसे देखकर प्रीति ने कहा,”दी मैं देख रही हूँ दो दिन से आप और पापा कुछ उदास दिखाई दे रहे है , आप दोनों मुझसे कुछ छुपा रहे है क्या ?”
प्रीति का सवाल सुनकर शगुन ने हैरानी से उसकी और देखा और फिर कहा,”नहीं तो ऐसा कुछ भी नहीं है , तू खाना खा मैं अभी आयी”
“हुँह खाना अच्छा बना है”,प्रीति ने खाते हुए कहा
शगुन वहा से ऊपर चली आयी। घर में इस वक्त सिर्फ प्रीति और शगुन ही थे , गुप्ता दूसरे मकान को देखने गए हुए थे , रोहन अपनी जॉब पर गया हुआ था।
प्रीति अभी खाना खा ही रही थी की तभी उसकी नजर घर में दाखिल होते तीन-चार लोगो पर पड़ी। प्रीति ने अपनी प्लेट रखी और किचन से बाहर आकर उन लोगो से कहा,”ऐसे बिना बताये कहा घुसे चले आ रहे हो ?”
“हम लोग ये घर देखने आये है”,उनमें एक आदमी ने कहा
“ये कोई म्यूजियम है जो देखने आये हो चलो निकलो यहाँ से”,प्रीति ने कहा
“ये घर हमने खरीदा है पुरे 80 लाख में”,वहा खड़े उस रौबदार आदमी ने कहा
प्रीति ने सूना तो एक पल के लिए उसके पैरो के नीचे से जमीन खिसक गयी हो जैसे साथ ही उसकी आँखों में गुस्सा तैर गया और उसने कहा,”ये घर हम लोगो का है , ऐसे किस से खरीद लिया अपने ?”
आदमी ने प्रीति की बात का जवाब नहीं दिया और पलटकर देखा तो उनके पीछे खड़े प्रीति के चाचा आगे आये और कहा,”मैंने बेचा है”
“क्या ? पर ये घर तो मेरे पापा का है , आप इसे कैसे बेच सकते है ?”,प्रीति ने हैरानी से कहा
“भाईसाहब ने ये घर मेरे नाम कर दिया है अब मैं इसे बेचूँ या रखु मेरी मर्जी”,विनोद ने गर्व के साथ कहा
प्रीति को तो अपने कानो पर जैसे विश्वास ही नहीं हुआ हो वह उनके पास आयी और कहा,”पर चाचू आप ये घर बेच देंगे तो हम लोग कहा जायेंगे ? आप पापा के साथ ऐसा कैसे कर सकते है ? ले देकर ये घर ही तो बचा है उनके पास और आपने उनसे ये भी छीन लिया एक बार भी उनके बारे में नहीं सोचा,,,,,,,,,,,,,,,कैसे भाई है आप ?”
“जबान सम्हाल के प्रीति , शगुन की शादी में भाईसाहब को पुरे दस लाख रूपये दिए है मैंने , अब जब मुझे जरूरत पड़ी तो उन्होंने बहाना बना दिया की पैसे नहीं है। मेरा भी घर है परिवार है अमन को मैं बाहर पढ़ने भेजना चाहता हूँ ऐसे में पैसे तो चाहिए होंगे ने ,, भाईसाहब शगुन की शादी में पहले ही सब लुटा चुके है और अब तो ये घर भी वो तुम्हारे नाम करने वाले थे”,विनोद के शब्दों से अपने भाई के परिवार के लिए नफरत साफ़ झलक रही थी।
प्रीति ने सूना तो गुस्से से कहा,”मैं आपको ये घर नहीं बेचने दूंगी समझे आप , मैं कोर्ट जाउंगी मेरे सीधे साधे पापा को फंसकर आपने ये घर अपने नाम करवा लिया आपको क्या लगता है मैं आप लोगो को ऐसे ही छोड दूंगी”
प्रीति की आवाज सुनकर शगुन नीचे आयी और उसने प्रीति का हाथ पकड़कर उसे ले जाते हुए कहा,”प्रीति चलो यहां से”
“लेकिन दी देखो ने चाचू क्या कर रहे है , ये इस घर को बेचने की बात कर रहे है अगर ये घर बिक गया तो हम लोग कहा जायेंगे ? दी रोको इन्हे और अगर आप नहीं रोकोगे तो मैं रोकती हूँ”,कहते हुए प्रीति ने शगुन से अपना हाथ छुड़वाया और उन लोगो के पास आकर उन्हें धकियाते हुए कहा,”चलो निकलो यहाँ से”
“प्रीति,,,,,,,,,,!!”,चाचा ने चिल्लाते हुए हवा में हाथ उठाया लेकिन गनीमत था की प्रीति को मारा नहीं। शोर शराबा सुनकर आस पास के लोग जमा होने लगे। शगुन ने देखा तो वह एक बार फिर प्रीति का हाथ पकड़कर साइड में ले आयी और कहा,”प्रीति ये पापा का फैसला है”
“पापा ऐसा कैसे कर सकते है दी ? ये हमारा घर है इस घर में हमने बचपन गुजारा है , माँ की यादें जुडी है इस घर से और आप कह रही है की पापा ने इसे बेच दिया , आपने और पापा ने मुझसे ये सब क्यों छुपाया ? पैसे की जरूरत थी तो मुझसे कहा होता मैं नौकरी करती , कुछ भी काम करके पैसे लाती लेकिन ये घर नहीं बेचने देती”,प्रीति ने गुस्से से कहा
“शांत हो जाओ प्रीति प्लीज , पापा नहीं चाहते किसी तरह का कोई तमाशा हो , देखो सब देख रहे है तुम अंदर चलो”,शगुन ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा तो प्रीति ने हाथ झटकते हुए कहा
“नहीं दी मैं नहीं जाउंगी , मैं इस घर को बिकने नहीं दूंगी ,, क्या सिखाया था अपने मुझे की जिंदगी में कभी गलत का साथ नहीं देना है , हमेशा हक़ के लिए लड़ना है और आज आप कह है की मैं चुप रहू इन लोगो से कुछ ना कहु,,,,,,,,,,,,,,,व्हाई दी ?”,प्रीति की आँखों में आंसू भर आये।
शगुन के पास प्रीति के सवालो का कोई जवाब नहीं था वह प्रीति के पास आयी और कहा,”मेरी बात सुनो प्रीति,,,,,,,!!
प्रीति ने शगुन का हाथ झटका और कहा,”मुझे नहीं सुनना दी अगर आप कुछ करना चाहती ही है तो इन्हे रोकिये , वरना अपने उसूलों को निकाल फेंकिए अपने दिमाग से”
“प्रीति,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने गुस्से में प्रीति पर हाथ उठा दिया और गुस्से में प्रीति वहा से चली गयी। शगुन को कुछ समझ नहीं आ रहा था की इस वक्त वह क्या करे ? उसके पापा भी घर से बाहर थे और चाचा बेशर्मी पर उतर आये थे। उन्होंने उन तीनो आदमियों को घर दिखाया और फिर शगुन के पास आकर कहा,”सुनो शगुन ! तुम समझदार हो इसलिए तुमसे कह रहा हूँ , दो दिन का टाइम है उसके बाद ये लोग आकर इस घर में रहेंगे , तुम लोग चाहो तो घर ना मिलने तक मेरे घर में रह सकते हो। भाईसाहब से मैं कह नहीं सकता पर तुम तो समझ ही सकती हो ये सब अमन के बाहर जाने के पैसे दिए है इन लोगो ने मुझे अब इनका काम करना भी तो मेरा फर्ज बनता है ना,,,,,,,,,,,,,,,,,आगे तुम समझदार हो”
शगुन चुपचाप सब सुनती रही और गुस्से के घूंठ गटकती रही , चाचा ने उन आदमियों की तरफ जाते हुए कहा,”हां भाईसाहब घर पसंद आया ना ? चलिए फिर डन कर लेते है”
चाचा आदमियों के साथ वहा से चला गया। थके कदमो से शगुन दरवाजे की ओर आयी और दरवाजा बंद कर दिया। उसे घर बिकने से ज्यादा दुःख इस बात का था की आज उसने प्रीति पर हाथ उठाया। शगुन की आँखों से आंसू बहने लगे उसने अपने उसने अपने आँसू पोछे और ऊपर चली आयी। प्रीति कमरे में खिड़की के पास उदास खड़ी थी उसकी आँखों से बहकर आंसू गालो पर आ रहे थे। आज उसकी दी ने उस पर हाथ उठाया इसी बात का उसे दुःख था। शगुन प्रीति के पास आयी और कहने लगी,”कुछ फैसले हमारे हाथ में नहीं होते है प्रीति ,, चाचा चाची हमारे साथ ऐसा करेंगे
मैंने कभी सोचा नहीं था। माँ के जाने के बाद पापा ने हमेशा हमारी हर ख्वाहिश पूरी की , सब कुछ दिया किसी चीज की कमी नहीं रखी , आज अगर पापा ने ये घर छोड़ने का फैसला किया है तो कुछ सोचकर ही किया होगा। गुस्सा तो मुझे भी बहुत आ रहा है प्रीति लेकिन हर जगह हम अपने गुस्से का प्रदर्शन नहीं कर सकते। मैं पापा के खिलाफ जाकर उन्हें हर्ट करना नहीं चाहती प्रीति,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी मुझे तुम पर हाथ उठाना नहीं चाहिए था , तुम्हारा गुस्सा ज्यादा है इसलिए मैंने और पापा ने तुम्हे ये सब नहीं बताया”
“दी मुझे आपके थप्पड़ मारने का दुःख नहीं है पर आप ये ठीक नहीं कर रही है एक बार भी सोचा है इसके बाद हम लोग कहा जायेंगे ? पापा ऐसा क्यों कर रहे है ?,”प्रीति ने दर्दभरी आवाज के साथ कहा
“ये सब मैं तुम दोनों के लिए कर रहा हूँ बेटा”,दरवाजे पर खड़े गुप्ता जी ने कहा तो शगुन और प्रीति की नजर उन पर पड़ी। गुप्ता जी अंदर आये और प्रीति के आंसू पोछते हुए कहा,”मुझे ये घर नहीं चाहिए बेटा मुझे तुम दोनों की जरूरत है , तुम दोनों ही मेरी असली जायदाद हो ये मकान नहीं”
“लेकिन पापा आपने चाचा से कुछ कहा क्यों नहीं ? हम कोर्ट भी जा सकते है”,प्रीति ने कहा
“नहीं बेटा अगर भाई होकर भाई से लड़ने कोर्ट गया तो दुनिया में लोगो का अपने भाईयो से भरोसा उठ जाएगा। ये सच है की शगुन की शादी में मैंने उस से कुछ पैसे लिए लेकिन उन्हें वह इस तरह वसूल करेगा सोचा नहीं था , खैर छोडो इन सब बातो को मैंने नया घर देख लिया है हम वहा चले जायेंगे”,कहकर गुप्ता जी वहा से चले गए शगुन उनकी आँखों में उतरे दर्द को देख पा रही थी

लखनऊ , उत्तर-प्रदेश
शाम को सगाई के फंक्शन की सारी तैयारियां हो चुकी थी। गोलू ने डेकोरेशन काफी अच्छा करवाया था जिसके लिए सब उसकी तारीफ कर रहे थे पर जब गुड्डू ने गोलू की तारीफ की तो गोलू का दिल ख़ुशी से भर गया। फंक्शन शुरू हो चुका था और मेहमान आने लगे थे नवीन के होने वाला जीजा भी आ चुका था। गोलू स्टाफ को बाकि काम समझा रहा था गुड्डू दूसरी तरफ खड़ा सब देख रहा था की तभी वर्षा वहा आयी और कहा,”हाय”
“नमस्ते”,गुड्डू ने कहा
“वो मैं आपसे सॉरी बोलनी आयी हूँ , दोपहर से आपको ढूंढ रही हूँ लेकिन आप मिले ही नहीं”,वर्षा ने कहा
“पर सॉरी किसलिए ?”,गुड्डू ने कहा
“वो मैंने आपके अरेजमेंट को बकवास कहा , पर ये बहुत अच्छा है”,गुड्डू ने कहा और जैसे ही जाने लगा वर्षा ने रोककर कहा,”मतलब आपने मुझे माफ़ कर दिया ?”
“अरे इसमें माफ़ी जैसा क्या है ? ये सब तो हमारा काम है और आपके घरवालों ने पैसे दिए है तो आपका हक़ है कमी निकालना , इट्स ओके”,कहकर गुड्डू गोलू की तरफ चला गया लेकिन वर्षा का दिल उसी और खींचता जा रहा था। सगाई का फंक्शन शुरू और लड़का लड़की ने एक दूसरे को रिंग पहनाई , फोटो सेशन के बाद डांस और खाना शुरू हो गया। कुछ लोग डांस देख रहे थे कुछ खाना खा रहे थे। नविन ने देखा गोलू और गुड्डू साइड में खड़े है तो वह उनके पास आया और दोनों को साथ ले जाकर डांस करने लगा। उन तीनो के अलावा वहा नवीन की घरवाली और कुछ लड़किया भी थी। वर्षा की तो बस गुड्डू से नजरे नहीं हट रही थी। लड़कियों ने वर्षा का बुरा हाल देखा तो उसे भी डांस फ्लोर की और धक्का दे दिया। गुड्डू नाचने में मग्न वर्षा भी उसके पास डांस करने लगी की उसका पैर फिसला और वह गिरने को हुयी तो गुड्डू ने उसका हाथ पकड़कर उसे गिरने से बचा लिया और कहा,”अरे ध्यान से”
वर्षा तो बस गुड्डू की आँखों में जैसे खो गयी हो , कुछ देर बाद गुड्डू वहा से चला गया। वर्षा को अच्छा नहीं लगा तो वह भी साइड में आ गयी। उसकी कजिन ने उसके दिल का हाल समझ लिया और कहा,”जा कह दे उसे अपने दिल की बात”
वर्षा भी बातो में आ गयी और टेबल पर पड़े गुलदस्ते में से एक गुलाब का फूल लेकर गुड्डू के पीछे चली आयी। गुड्डू फोन पर किसी से बात कर रहा था वर्षा ने उसका कंधा थपथपाया गुड्डू वर्षा की और पलटा तो उसने गुलाब गुड्डू की और कर दिया।
“ये सब क्या है ?”,गुड्डू ने फोन काटते हुए कहा
“देर हो इस से पहले कहना चाहती हूँ , आप मुझे बहुत अच्छे लगे आई लव यू”,वर्षा ने कहा
गुड्डू मुस्कुराया और साइड में देखते हुए फिर वर्षा की और देखकर कहा,”हमारी शक्ल देखकर सबको यही लगता है पर सॉरी हम ये नहीं ले सकते”
“पर क्यों ? क्या हुआ मैं अच्छी नहीं हूँ क्या ?”,वर्षा ने उदास होकर कहा
“आप बहुत अच्छी है पर हम शादीशुदा है और हम उनसे बहुत प्यार करते है ,,,, माफ़ कीजियेगा”,कहकर गुड्डू वहा से चला गया और वर्षा वापस लौट गयी
अगली सुबह गुड्डू ने अपना बैग उठाया और ले जाकर गाड़ी में रखा ये देखकर गोलू ने कहा,”इतनी सुबह सुबह कहा जा रहे हो ?”
“गोलू हम बनारस जा रहे है”,गुड्डू ने कहा
“पर वो तो आप इस शादी के बाद जाने वाले थे ना,,,,,,,,,,,,,,,अब ऐसे अचानक सब ठीक तो है ना ?”,गोलू को चिंता हुई
“गोलू कल रात हमसे किसी ने कहा था देर हो उसे से पहले अपने दिल की बात कह देनी चाहिए , हम शगुन से अपने दिल की बात कहने जा रहे है”,गुड्डू ने कहा
“और जे शादी ?”,गोलू ने पूछा
“तब तक जे तुम सम्हाल ल्यो , शाम तक वापस आ जायेंगे”,गुड्डू ने गाड़ी में बैठते हुए कहा
“भैया,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“हम्म्म”,गुड्डू ने कहा
गोलू ने अपने होंठो पर बड़ी सी मुस्कराहट लाकर कहा,”ऑल द बेस्ट” गुड्डू मुस्कुराया और वहा से चला गया

क्रमश – मनमर्जियाँ – 99

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संजना किरोड़ीवाल

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