मनमर्जियाँ – 82
Manmarjiyan – 82
मनमर्जियाँ – 82
लाजो ने जब सारी बात गोलू को बताई तो उसे भी पहली बार शगुन पर गुस्सा आया की सच जानते हुए भी उसने मिश्रा जी के सामने झूठ कहा। गोलू शगुन के पास आया और कहा,”का भाभी ऐसा काहे की आप ? आप तो सच्चाई जानती थी उसके बाद भी आपने मिश्रा जी सामने झूठ कहा और भैया को उह कमीने रमेश से माफ़ी मांगनी पड़ी ,, जानती है कितना बुरा लगा है भैया को”
शगुन ने गोलू की और देखा और सहजता से कहने लगी,”मैंने जो भी बहुत सोच समझ के किया है गोलू जी , मैं जानती हूँ कल रात जो कुछ हुआ उसमे सारी गलती रमेश की थी , ये भी जानती हूँ की मेरी वजह से गुड्डू जी का दिल दुखा है लेकिन उस वक्त वो झूठ बोलना जरुरी था”
“पर काहे ?”,गोलू ने बेचैनी से कहा
“वेदी के लिए गोलू जी”,शगुन ने कहा
“वेदी के लिए ? हम कुछ समझे नहीं”,गोलू ने कहा
“हां गोलू जी रमेश बुरा इंसान है ये मैं जानती हूँ। गुड्डू जी और रमेश के बीच जो झगड़ा है वो वेदी को लेकर है। रमेश वेदी को पसंद करता है लेकिन वेदी नहीं और इसी बात को लेकर मैंने रमेश को फटकारा भी था। पापाजी के सामने ये बात आती तो वेदी के लिए मुसीबत खड़ी हो जाती। मैंने झूठ कहा क्योकि मैं नहीं चाहती थी गुड्डू जी और रमेश के बीच दुश्मनी और बढे। कल रात जो हादसा हुआ है उसके बाद से डर लगने लगा है गोलू जी,,,,,,,,,,,,,,,मैं वेदी की इज्जत और गुड्डू जी जिंदगी को खतरे में नहीं डाल सकती,,,,,,,,,,,,,इन सब के लिए अगर मुझे गुड्डू जी की थोड़ी सी नफरत देखने को भी मिले तो मुझे मंजूर है”,कहकर शगुन चुप हो गयी।
गोलू ने सूना तो शगुन के लिए उसके मन में इज्जत और बढ़ गयी उसने कहा,”हमहू कभी सोचे भी नहीं थे भाभी की एक लड़की अपने पति और परिवार के लिए के लिए इतना समर्पित हो सकती है , हम भोलेनाथ से दुआ करेंगे की हमे ना हर जन्म में आपके जैसी भाभी मिले। आपने सही किया हमारा दिल तो पहले ही कह रहा था की आप कुछो गलत कर ही नहीं सकती है। खैर अभी भैया थोड़ा गुस्से में है पर हमे यकीन है की आप उन्हें सम्हाल लेंगी,,,,,,,,,,,,,हम चलते है और हां रमेश की टेंशन मत लीजिये हमहू करते है कुछो जुगाड़”,कहकर गोलू वहा से चला गया
“गोलू जी”,शगुन ने गोलू को रोकते हुए कहा
“हां भाभी”,गोलू रुका और शगुन की और पलटकर कहा
“गुड्डू जी से इस बात का जिक्र मत कीजियेगा प्लीज”,शगुन ने कहा तो गोलू ने सहमति में अपनी पलकें झपका दी। गोलू चला गया कुछ देर बाद मिश्राइन आयी और किचन में काम करते हुए बड़बड़ाने लगी,”पता नहीं कब आएगी गुड्डू को आज फिर मिश्रा जी डांट खाये रहय,,,,,,,,,,,,हमहू भी कब तक उनकी गलतियों पर पर्दा डालते रहेंगे,,,,,शादी हो चुकी है लेकिन इनकी हरकतों में कोई सुधार नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“माजी,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने मिश्राइन के पास आकर कहा
“हां बिटिया,,,,,,,,,,,,,बिटिया हमहू जानते है की तुमहू भी गुड्डू की वजह से परेशान हो , लेकिन तो नालायक है ही बिटिया सोचत रहे की शादी के बाद जिम्मेदार बन जाएगा लेकिन नहीं उसे तो हर रोज कुछो न कुछो बखेड़ा करना होता है”,मिश्राइन ने कहा
शगुन मिश्राइन के पास आयी और प्यार से उनके हाथो को अपने हाथो में लेकर कहने लगी,”आप परेशान मत होईये माजी गुड्डू जी धीरे धीरे समझ जायेंगे”
“कब समझेगा बिटिया ? हमहू जानते है रोज रोज इह सब माहौल देखकर तुम्हे भी अच्छा नहीं लगता , तुमहू कुछो कहती नहीं पर मैं औरत हूँ तुम्हारा चेहरा देखकर समझ जाती हूँ,,,,,,,,,,,,,कोनसी पत्नी चाहेगी की उसके पति को इस तरह सबसे डांट खानी पड़े,,,,,,,,,,,,,,हर रोज गुड्डू कोई न कोई नया कांड कर ही देता है”
“माजी पहले पहले मुझे बुरा लगता था पर जबसे गुड्डू जी को समझने लगी हूँ मुझे नहीं लगता की वो गलत इंसान है,,,,,,,,,मानती हूँ उनसे अनजाने में गलतिया हो जाती है पर उन्होंने कभी किसी का दिल दुखाने का नहीं सोचा ,, आप भरोसा रखिये आज के बाद ऐसा कुछ नहीं होगा”,शगुन ने कहा तो मिश्राइन ने उसका चेहरा अपने हाथो में लेकर कहा,”आजकल जहा लड़किया छोटी छोटी बात पर ससुराल छोड़कर चली जाती है तुमहू हमाये गुड्डू को सुधारने में लगी हो , लगता है पिछले जन्म में कोनो पुन का काम किये रहय जो तुम्हाये जैसी बहू मिली है हमे”
“माजी सोना चाहे मिटटी में धंसा हो होता सोना ही है और गुड्डू जी तो खरा सोना है”,शगुन ने मुस्कुरा कर कहा तो मिश्राइन भी मुस्कुरा उठी और शगुन के गाल को छूकर कहा,”बहुते प्यार करती हो हमाये गुड्डू से”
शगुन ने सूना तो उसका दिल धड़क उठा और उसने मिश्राइन से नजरे चुराते हुए कहा,”वो मैं जरा वेदी दी को देखकर आती हूँ”
कहकर शगुन चली गयी और मिश्राइन ने मुस्कुराते हुए कहा,”हाय शर्मा गयी” शगुन के जाने के बाद मिश्राइन ने लाजो को आवाज दी और गुड्डू की पसंद के गोभी के पराठे बनाने को कहा। यही तो एक जरिया था रूठे हुए गुड्डू को मनाने का। शगुन किचन से बाहर आयी और सोच में डूबी सीढिया चढ़ने लगी ‘हां प्यार तो हो चुका था उसे गुड्डू से तभी तो उसकी हर गलती पर वह उसे माफ़ करने लगी थी , खुद से ज्यादा गुड्डू की परवाह करने लगी थी , उसकी पसंद ना पसंद का ख्याल रखने लगी थी और तो गुड्डू को हर मुसीबत से बचाने के लिए खुद आगे आ जाती थी,,,,,,,,,,,,ये प्यार ही तो था जिसके चलते शगुन बदलने लगी थी। शगुन ऊपर आयी कमरे में जाते हुए उसे थोड़ी घबराहट हो रही थी न जाने गुड्डू उसकी बात समझेगा या नहीं। शगुन ने दरवाजा खटखटाया गुड्डू अंदर था उसने गुस्से से दरवाजा खोलकर बिना सामने देखते हुए कहा,”गोलू हमने कहा ना जाओ यहाँ से”
“गुड्डू जी मैं हूँ,,,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा तो गुड्डू ने सामने देखा और शगुन को घूरते हुए कहा,”हां तो तुमहू भी जाओ”
कहकर गुड्डू ने जैसे ही दरवाजा बंद करना चाहा शगुन ने हाथ बीच में करके कहा,”मुझे आपसे कुछ बात करनी है”
“लेकिन हमे तुमसे कोई बात नहीं करनी है शगुन गुप्ता”,गुड्डू ने कहा और दरवाजा खुला ही छोड़कर अंदर चला गया। शगुन भी उसके पीछे पीछे अंदर आयी और कहा,”आप मेरी बात तो सुनिए”
लेकिन गुड्डू शगुन से बहुत नाराज था इसलिए कमरे में यहाँ वहा घूम रहा था और शगुन उसके पीछे लेकिन गुड्डू तो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं था गुड्डू क्या यार हम में से कोई तैयार नहीं होगा इस वक्त। गुड्डू ने कबर्ड खोला और उसमे से पहनने के लिए अपने कपडे निकालते हुए बड़बड़ाने लगा,”समझ का रखा है हमे ? पहले अच्छे बनो , हमायी परवाह करो , प्यार दिखाओ और उसके बाद सबके सामने हमे नीचा दिखा दो,,,,,,,,,,,,,,उस रमेश की औकात का है जो हम उस से माफ़ी मांगे लेकिन नई हमायी दुल्हिन तो ठहरी दया की देवी,,,,,,,,,,,इतना अच्छा होना भी ना सही नहीं होता है लेकिन इनको कौन समझाये ?,,,,,,,,इन्हे तो हम बच्चे लगते है साला हमायी भी कोनो सेल्फ रिस्पेक्ट है लेकिन जबसे सुधरने का सोचे है तबसे सेल्फ रिस्पेक्ट को डाल चुके है डस्टबिन में” कहते हुए गुड्डू के हाथ में एक शर्ट आया तो उसने साइड में फेंक दिया जो की जाकर सीधा शगुन को लगा लेकिन शगुन ने बुरा नहीं माना बस चुपचाप सुनती रही क्योकि उसने जो किया उसके बाद तो गुड्डू ना नाराज होना बनता है। गुड्डू ने कबर्ड से नहाने के कपडे निकाले और जैसे ही जाने लगा शगुन एकदम से उसके सामने आ गयी और कहा,”आपको जितना डाटना है डांट लीजिये , चिल्ला लीजिये लेकिन प्लीज मुझसे नाराज मत होईये”
गुड्डू ने कुछ नहीं कहा और साइड से जाने लगा तो शगुन ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”गुड्डू जी मानती हूँ आप मुझसे बहुत नाराज है लेकिन मैंने जो किया वो आपके भले के लिए ही किया”
गुड्डू ने सूना तो उसे और बुरा लग गया अपना हाथ छुड़ाकर वह शगुन के सामने आया और कहा,”देखो ऐसा है ना शगुन गुप्ता की बहुत भला कर लिया तुमने हमारा अब और मत करो ,, हमहू जैसे भी थे लुच्चे लफंगे आवारा लेकिन हमायी वजह से ना हमाये पिताजी को कभी किसी के सामने हाथ जोड़ने नहीं पड़ी,,,,,,,,,,,,इसलिए हमारा अच्छा सोचना तुमहू दयो छोड़”
शगुन ने सूना तो उसे अहसास हुआ की गुड्डू उसकी वजह से बहुत ज्यादा हर्ट है उसने कुछ नहीं कहा। उसे खामोश देखकर गुड्डू वहा से चल गया
गुड्डू के जाने के बाद शगुन खुद से कहने लगी,”मैं जानती हूँ गुड्डू जी मेरी वजह से आपको बहुत हर्ट हुआ है लेकिन मैं मजबूर थी। मैं नहीं चाहती की वेदी की जिंदगी में कोई परेशानी आये वो अभी बच्ची है और रमेश उसे गलती से भी उसे दोबारा नुकसान पहुँचाने की कोशिश ना करे इसलिए मैंने झूठ कहा। मैं जानती हूँ आप मुझ पर बहुत भरोसा करते है लेकिन एक लड़की की इमेज उस भरोसे के सामने कुछ नहीं,,,,,,,,,,,,,,,भोलेनाथ से दुआ करुँगी की आप इस बात को समझे,,,,,,आपके और रमेश के बीच ये दुश्मनी खत्म होनी जरुरी है क्योकि न तो मैं इस घर की इज्जत पर कोई आंच आने दे सकती हूँ ना ही आपको खोना चाहती हूँ”
“साइड हटो हमें कुछो सामान लेना है”,गुड्डू ने वापस आकर कहा तो शगुन अपनी खयालो की दुनिया से बाहर आयी और कहा,”आप तो नहाने गए थे ना”
“हां गए थे हमारा मन हम नहाये ना नहाये”,गुड्डू ने कहा और शगुन को साइड करके जैसे ही आगे बढ़ा कालीन में उसका पैर फिसला और वो शगुन को साथ लेकर नीचे जा गिरा शगुन नीचे और गुड्डू उसकी बगल में , गुड्डू का एक हाथ शगुन की कमर से लगकर नीचे जमीन पर था। दोनों की नजरे मिली और दिल धड़क उठे
बैकग्राउंड म्यूजिक
माही वे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,माही वे,,,,,,,,,,,,!!
नजदीकियों से तेरी , बदलने लगे
छूकर तुझे हम , पिघलने लगे
बदले से है , अंदाज मेरे
गूंजते रहते , अल्फाज तेरे
माही वे , माही वे , माही वे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दिल के सफर में राही रे
माही वे , माही वे , माही वे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दिल के सफर में राही रे
गुड्डू शगुन एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे लगा जैसे वक्त कही थम गया हो। अगले ही पल गुड्डू को याद आता की वह शगुन से गुस्सा है तो उठा और कहा,”तुमने जान बूझकर गिराया हमे”
“मैं क्यों गिराऊंगी आप खुद उलझकर गिरे है”,शगुन ने उठते हुए कहा
“हम तुमसे बात ही क्यों कर रहे है ?”,कहकर गुड्डू जैसे ही चला फिर उसी कालीन में उसका पैर उलझा तो उसने गुस्से से कालीन को पैरो से साइड किया और खुद में बड़बड़ाया,”इस घर में सब हमाये दुश्मन है”
शगुन बेचारी जिसने कुछ नहीं किया तो चुपचाप साइड हो गयी और गुड्डू को जाने दिया। गुड्डू चला गया तो शगुन की आँखों के आगे कुछ देर पहले वाला पल आ गया और कानो में एक मीठी सी धुन गूंजने लगी – माही वे , माही वे , माही वे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दिल के सफर में राही रे”
शगुन मुस्कुरा उठी और कमरे की सफाई में लग गयी। बिस्तर की बेडशीट बदलकर शगुन की नजर दिवार पर लगी गुड्डू की तस्वीरों पर चली गयी शगुन दिवार के पास आयी और हर तस्वीर को छूकर देखने लगी वह ऐसा क्यों कर रही थी खुद नहीं समझ पा रही थी लेकिन दिल में एक मीठी सी चुभन का अहसास उसे बार बार हो रहा था। अब तो ये हुआ की शगुन गुड्डू की हर चीज को बड़े प्यार से छूकर देख रही थी। एक प्यारी सी मुस्कुराहट शगुन के चेहरे पर बनी हुई थी वह शीशे के सामने आयी पास ही पड़े गुड्डू के चश्मे पर उसकी नजर चली गयी। शगुन ने चश्मा उठाया और अपनी आँखो पर लगाकर गुड्डू के स्टाइल में खड़ी होकर शीशे में देखते हुए उसकी नकल करते हुए कहा,”हमहू है गुड्डू मिश्रा,,,,,,पूरा कानपूर ना हमारे चर्चो से ही फेमस है,,,,,,,,,,हमसे जो बकैती करता गई उसकी जिंदगी में ना चरस बो देते है हम,,,,,,,,,का समझे ?”
शगुन खुद का ही डायलॉग सुनकर हंस पड़ी और फिर चश्मा वापस रखकर कमरे से बाहर निकल गयी
गुड्डू तैयार होकर नीचे आया मिश्रा जी भी बाहर से वापस आ चुके थे आज मन थोड़ा खिन्न था इसलिए शोरूम नहीं गए। गुड्डू सीधा ही जाने लगा तो मिश्राइन ने कहा,”अरे गुड्डू नाश्ता तो करते जाओ”
गुड्डू ने अनसुना कर दिया और जाने लगा तो मिश्रा जी ने कहा,”तुम्हायी अम्मा का कह रही है सुनाई नहीं दे रहा है , जाकर नाश्ता करो”
अब मिश्रा जी का आदेश भला गुड्डू कैसे टाल सकता था वह वापस आया और आकर नाश्ते के लिए बैठ गया। शगुन ने लाजो को थाली लेकर भेजा क्योकि वह गुड्डू के सामने जाकर उसे सुबह वाली बात याद दिलाना नहीं चाहती थी। गोभी के पराठे देखते ही गुड्डू का आधा गुस्सा तो वही छूमंतर हो गया। गुड्डू ने तीन पराठे खाये और फिर वाशबेसिन के सामने आकर हाथ धोने लगा। हाथ धोकर गुड्डू जब जाने लगा तो मिश्रा जी ने आवाज लगाईं,”गुड्डू”
“जी पिताजी”,गुड्डू ने उनके सामने आकर धीरे से कहा
“तुम्हाये ससुर जी फोन आया था , उन्होंने बताया की तुम और बहू आज बनारस के लिए निकल रहे हो,,,,,,,,,,,,,,,,अभी 11 बजे है अभी निकलोगे तो शाम तक पहुँच जाओगे,,,,,,,,,,,,और सुनो गाड़ी लेकर चले जाओ बस में जाना सही नहीं होगा”,मिश्रा जी ने लगभग आदेश देते हुए कहा
“गाड़ी से काहे बस से चले जायेंगे”,गुड्डू ने कहा
“तुम्हाये लिए नहीं कह रहे है बेटा,,,,,,,,,,,,,,,,बहू गर्भवती है और ऐसे में उसको बस में नहीं भेजेंगे,,,,,,,,,,,,गाड़ी लेकर जाओ हम शोरूम फोन कर देते है तुमहू जाकर शगुन से कह दो की अपना सामान जमा ले”,मिश्रा जी ने किसी को फोन मिलाते हुए कहा
गुड्डू जो की शगुन से बात ना करने की बात करके आया था मिश्रा जी ने उसे वापस शगुन के पास जाने को ही बोल दिया। गुड्डू वहा से चला गया।
क्रमश- Manamrjiyan – 83
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संजना किरोड़ीवाल
ab lagta hai banaras mein hi pyar panpega guddu aur shagun ka… nice part.
Ooooo my God
Ye shagun ki pragnent hone wali bat jab samne aayegi tab Kya hoga or ye guddu bhi na Matlab kuch bhi iska kuch nahi ho sakta vaise isme guddu ki bhi Kya galti shagun ko sach Bata Dena chahiye kher Jane do
Ab ye Banaras jayenge tab hi kuch hoga Inka age ke parts ka besabri se intezar rahega kab ye Banaras pohche
Lovely part 🥰🥰🥰😍😍😍
Ohhooo aj to shagun se shagun Gupta ho gyii🤣🤣🤣
Shagun k aisa karne se kya ramesh jaise log sudhar jayenge. Agar kal rat guddu himmat na karta to ramesh to shagun k sath b batamizi kar raha tha aise log itni asani se to nahi sudharte
मैम शगुन ने वेदी के लिऐ सच वहां नहीं बताया…लेकिन इससे रमेश की हिम्मत औंर नहीं बढ़ जायेगी…. मुझे ऐसे लोगों पर बहुत गुस्सा आता हैं…जो परिवार की सुरक्षा के लिऐ अपने पति या पिता से बातें छुपाते हैं..बाद में जब मुसीबत आतीं हैं तब सच बताते हैं…शगुन सही नहीं हैं यहां….उसे गुड्डू को पहले ही सब सच बताना चाहिए था…एक तो उसका पति हैं…दूसरा वेदी का भाई हैं…उसे पूरा जानने का हक था…उम्मीद हैं अब बता दें😊 nice part👌👌👌👌👌
हमायी दूलहिन क्या बात है गुड्डू जी…
Bhut hi pyaara part tha
Superb part ❤️
Superb
Pta nahi shagun ne sahi kia ya nahi kyunki isse to Ramesh ki himmat or badh gai hogi OR vo fir se vedi ko pareshan kr sakta hai ,baki guddu to hai hi cute OR bhut hi pyara or naraz hona to jayaj hai baki Kaha jayenge guddu ji lot ke to apni shagun ke pass hi to aayenge