मनमर्जियाँ – 81
Manmarjiyan – 81
मनमर्जियाँ – 81
गुड्डू को बहुत चोट आती है। शगुन उसे सम्हालते हुए सड़क के साइड में ले आती है और एक पत्थर के सहारे गुड्डू को बैठा देती है। शगुन को कुछ समझ नहीं आ रहा उस वक्त वह क्या करे। तभी उसे एक गाड़ी के हॉर्न की आवाज सुनाई देती है शगुन उठती है और गाड़ी को देखकर चिल्लाती है,”प्लीज गाड़ी रोकिये , प्लीज प्लीज गाड़ी रोकिये ,, इन्हे बहुत चोट आयी है प्लीज”
लेकिन गाड़ी वाला बिना शगुन पर ध्यान दिए तेजी से वहा से निकल जाता है। शगुन हैरान परेशान अपने माथे पर आये पसीने को पोछती है और वापस गुड्डू की और आती है। शगुन को देखकर गुड्डू उठने की कोशिश करता है तो शगुन उसे सम्हालती है और कहती है,”आप आप उठिये मत , आपको चोट लगी है”
“हम ठीक है शगुन,,,,,,,,,,,,,,तुम तुम ठीक हो ना ?”,गुड्डू ने कहा
“हां हम ठीक है , गोलू जी आते ही होंगे”,शगुन ने कहा और गुड्डू का हाथ थामे वही बैठ गयी। मिश्रा जी और घरवाले घर में आराम से सो रहे थे उन्हें इस घटना की जानकारी भी नहीं थी। गोलू भी जल्दी जल्दी में वापस आया उसने भी किसी से कुछ नहीं कहा। गोलू शगुन के बताये रास्ते पर पहुंचा। गोलू ने स्कूटी खड़ी की और शगुन गुड्डू के पास आकर कहा,”भाभी इह सब कैसे हुआ ?”
“गोलू जी वो सब हम बाद में बताएँगे पहले इन्हे हॉस्पिटल लेकर चलिए”,शगुन ने कहा तो गोलू ने गुड्डू को शगुन की मदद से उठाया और स्कूटी पर बैठाया। आगे गोलू बीच में गुड्डू और फिर शगुन तीनो वहा से निकले। गुड्डू को इस हालत में देखकर गोलू को भी घबराहट हो रही थी। तीनो अस्पताल पहुंचे डॉक्टर नहीं था। गोलू ने गुड्डू को बेंच पर बैठाया और शगुन से उसका ख्याल रखने को कहा। गोलू वहा से वापस निकल गया और कुछ देर बाद आया तो उसी हॉस्पिटल का डॉक्टर उसके साथ था। डॉक्टर ने गुड्डू का इलाज किया सर पर बेंडेज कर दिया , हाथ में चोट लगी थी उसे सही किया और थोड़ी देर वही रेस्ट करने को कहा। गुड्डू अब ठीक था और बिस्तर पर बैठा शगुन को देख रहा था। शगुन अभी भी डरी हुई बैठी थी उसे बस इसी बात का डर था की अगर आज उसे या गुड्डू को कुछ हो जाता तो,,,,,,,,,,,,,,,शगुन को परेशान देखकर गोलू उसके पास आया और कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”भाभी आप परेशान ना हो , गुड्डू भैया अब ठीक है”
“गोलू जी मुझे बहुत डर लग रहा है”,शगुन कहते कहते रो पड़ी। गुड्डू ने देखा तो उसे अच्छा नहीं लगा लेकिन वह अभी उठने की हालत में नहीं था उसने गोलू से शगुन को चुप कराने का इशारा किया। गोलू शगुन की बगल में बैठा और कहा,”अरे भाभी हमायी भाभी होकर डर रही है आप , कुछ नहीं हुआ है गुड्डू भैया को बस ज़रा सी खरोंचे आयी है , ऐसा तो बचपन में कितनी बार हुआ है”
शगुन ने कुछ नहीं कहा बस अपने आंसू पोछे और नम आँखों से गुड्डू की और देखा तो गुड्डू ने पलके झपकाकर अपने ठीक होने का इशारा किया। गोलू ने पास रखा पानी का ग्लास शगुन को दिया और फिर गुड्डू से कहा,”अच्छा अब इह बताओ की इह सब किया किसने ?”
“उह रमेश ने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,गुड्डू ने धीरे से कहा
गोलू ने सूना तो उठकर गुस्से से कहा,”उसकी ऐसी की तैसी वो हरामी अभी तक ना सुधरा है,,,,,,,,,,,,,,,,,उसे तो हम छोड़ेंगे नहीं”
“गोलू फ़िलहाल कुछो नहीं करना है उसे हम देख लेंगे”,गुड्डू ने नफरत से कहां खामोश बैठी शगुन बस दोनों के छेहरो के भाव देखे जा रही थी।
कुछ देर बाद नर्स आयी और एक स्लिप गोलू को देकर कहा,”अब आप इन्हे ले जा सकते है”
गुड्डू ठीक था वह उठा और गोलू शगुन के साथ बाहर चला आया गोलू ने पहले शगुन और गुड्डू को घर छोड़ा और फिर अपने घर चला गया। शगुन गुड्डू को लेकर अंदर आयी गनीमत था की घर में उस वक्त सब सोये हुए थे ,,,, गुड्डू ऊपर अपने कमरे में आया शगुन ने उसे आराम करने को कहा। घड़ी में रात के 2 बज रहे थे लेकिन नींद शगुन की आँखों से कोसो दूर थी बार बार उसकी आँखों के सामने रमेश का चेहरा आ रहा था। वो सारे पल , रमेश की बदतमीजियां , गुड्डू का उसे बचाना , उसका दर्द और आखिर में हॉस्पिटल में गुड्डू का पलके झपकाकर उसे सब ठीक होने का अहसास दिलाना। शगुन को बेचैनी होने लगी तो वह उठकर बाथरूम में आयी और मुंह धोने लगी। वह उन पलो को अपने जहन से निकाल ही नहीं पा रही थी। उसने शीशे में खुद को देखा उसे अपनी आँखों में एक कशिश दिखाई दे रही थी , एक आकर्षण दिखाई दे रहा था। ये सब क्या था ? शगुन ने उन सारे पलो को भूलने के लिए जैसे ही आँखे बंद की वो लम्हा उसकी आँखों के सामने आ गया जब गुड्डू ने शगुन के बचाव में आकर रमेश का हाथ रोकते हुए कहा,”पत्नी है जे हमारी” शगुन के कानो में गुड्डू की आवाज गूंज रही थी , आँखे खोलकर उसने एक बार फिर खुद को शीशे में देखा आज पहली बार गुड्डू ने उसे अपनी पत्नी कहा था वो भी पुरे हक़ के साथ। मुंह धोकर शगुन वापस कमरे में आ गयी गुड्डू सो चुका था शगुन उसके पास आयी और प्यार से उसे देखने लगी। गुड्डू गहरी नींद में सोया हुआ था , शगुन को ना जाने आज क्या हुआ की वह गुड्डू की बगल में नीचे जमीन पर घुटनो के बल बैठी और उसके माथे को अपने होंठो से छू लिया। एक ख़ुशी का अहसास शगुन को छूकर गुजरा। उसने गुड्डू को देखा और फिर उठकर सोफे पर आ बैठी यहाँ देखना आसान था। शगुन को नींद नहीं आ रही थी , वह सोफे पर बैठकर गुड्डू को देखती रही ,, गुड्डू के साथ बिताये सारे खूबसूरत पल एक एक करके उसकी आँखों के आगे आने लगे। गुड्डू बेपरवाह सा सो रहा था नींद में जैसे ही उसका सर नीचे फिसला शगुन ने आकर अपना हाथ उसके सर के नीचे लगा दिया वह गुड्डू के बहुत करीब थी और उसकी सांसो को महसूस कर सकती थी।
बैकग्राउंड म्यूजिक
नजर उलझी सी है , सांसो का कैसा शोर है
हम है तुमसे जुदा , दिल पर ये तेरी और है
तेरी आँखों में अब तो दिखते है ख्वाब मेरे
धीरे धीरे से हो रहे है आप मेरे
आये ना इक पल अब सब्र हमे
हो रहा है शायद इश्क़ हमे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, इश्क़ हमे !!
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे संग जीना है मेरा
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे संग मरना है मेरा
नींद में गुड्डू ने शगुन के हाथ को थामा और अपने गाल के नीचे लगा लिया ये करते हुए उसके चेहरे पर सुकून के भाव आया और लब मुस्कुरा उठे। शगुन ने धीरे से अपना हाथ निकाला और आकर बिस्तर पर दूसरी और लेट गयी। एक मीठा सा अहसास उसे गुदगुदा रहा था। हां उसे गुड्डू से प्यार हो चुका था जो की उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था। शगुन ने आँखे मूंद ली और सो गयी
सुबह शगुन उठी और तैयार होकर नीचे आयी। किचन में आकर वह काम करने लगी तभी उसे बाहर कुछ शोर शराबा सुनाई दिया। शगुन ने किचन के गेट पर आके देखा तो उसके चेहरे का रंग बदल गया। हाथ में प्लास्टर बांधे , सर पर पट्टी किये रमेश एक अधेड़ उम्र के आदमी और एक औरत के साथ खड़ा था जो की देखने में काफी खूंखार लग रही थी। शगुन को मन ही मन घबराहट हुयी। मिश्रा जी वही तख्ते पर बैठे थे और मिश्राइन कुछ दूर खड़ी सब समझने की नाकाम कोशिश कर रही थी। वेदी अभी उठी नहीं थी शायद।
“ए मिश्रा जी थोड़ा समझाओ अपने लड़के को देखो का हाल किया है हमाये लड़के का , कितनी बुरी तरह से मारा है इसे गुड्डू ने , सर फोड़ दिया हाथ तोड़ दिया,,,,,,,,,,,,,,,,हमहू पूछते है इह गुंडागर्दी कब तक चलेगी ?”,अधेड़ आदमी ने कहा जो की रमेश के पिता थे।
“हां हां अच्छे से देख लो मिश्रा जी हमाये फूल से बच्चे का का हाल किये है तुम्हाये गुड्डू”,औरत ने कहा
मिश्रा जी ने सूना तो गुस्से से उनकी भँवे तन गयी और उन्होंने जोर से आवाज दी,”गुड्डू,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुड्डू नीचे आओ”
गुड्डू सो रहा था उस तक मिश्रा जी की आवाज पहुंची ही नहीं और पहुंची तो शायद गुड्डू ने अनसुना कर दिया। मिश्रा जी ने गुस्से से मिश्राइन की और देखा और कहा,”जरा बुलाओ उन्हें नीचे जीना हराम कर रखा है हमारा इन्होने”
“ए लाजो जा जाकर गुड्डू भैया को बुलाकर ला”,मिश्राइन ने लाजो से कहा
“जी चाची”,कहकर लाजो चली गयी। लाजो के जाने के बाद रमेश ने कहा,”अरे चचा उह तो भाभी जी आ गयी बीच में नहीं ते गुड्डू ने तो जान ही ले लेनी थी हमायी , इतना मारा हमे की का बताये वो भी जरा सी बात पर हमहू पूछे रहे की और गुड्डू सूना है नया धंधा खोल लिए हो बस भड़क गए हम पर”
मिश्रा जी ने चुपचाप सूना लेकिन शगुन को बहुत गुस्सा आ रहा था क्योकि रमेश झूठ बोल रहा था जैसे ही वह बाहर आयी मिश्राइन ने हाथ पकड़ कर रोक लिया और धीरे से कहा,”बहुरिया घर के झगड़ो में बहुये नहीं बोलती है”
“लेकिन माजी,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,शगुन ने कहना चाहा लेकिन मिश्राइन बीच में ही बोल पड़ी,”शगुन शांत रहो गुड्डू को आने दो पता तो चले मामला का है”
अगले ही पल गुड्डू आया उसके सर पर लगी बेंडेज और हाथ मे बंधी पट्टी देखकर ये तो कन्फर्म हो गया की गुड्डू का कल रात झगड़ा हुआ है। रमेश को देखते ही गुड्डू का गुस्सा चढ़ गया और उसने कहा,”इह हरामी यहाँ का कर रहा है ? इसे तो हम,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“ठहरो गुड्डू”,मिश्रा जी ने कड़कदार आवाज में कहा तो गुड्डू रुक गया और रमेश को घूरने लगा
“देखा चच्चा आपके सामने ही कैसे धमका रहा है हमे ?”,रमेश ने नौटंकी करते हुए कहा
“सबसे पहिले तो इह बताओ की जे सर में और हाथ में चोट कैसे लगी ?”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू एकदम से चुप हो गया , बोले तो क्या बोले ? गुड्डू को चुप देखकर रमेश के पापा ने कहा,”अरे इह का बोलेगा पहले हमाये लड़के को मारा और अब आपके सामने कैसे सीना चौड़ा किये खड़े है,,,,,,,!!
“हां तो मारेंगे ही ना , कितना घटिया इंसान है जे आपको ना पता चाचा”,गुड्डू ने गुस्से से कहा
“गुड्डू,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी चिल्लाये तो गुड्डू चुप हो गया। मिश्रा जी उठे और गुड्डू की और आकर कहा,”तुमहू इह बताओ हमसे चाहते का हो ? हमे लगा तुम में कुछो बदलाव हुआ है पर नहीं ढाक के वही तीन पात ,, कब अक्ल आएगी तुमको हमाये मरने के बाद,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,काहे करते हो जे सब हमने कोनो कमी रखी है का तुम्हायी जिंदगी में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“अरे पिताजी आपको ना पता है इस के बारे में जे झूठ बोल रहा है”,गुड्डू ने पहली बार अपनी सफाई में मिश्रा जी के सामने कुछ कहा
“हम काहे झूठ बोलेंगे , भाभी जी थी वहा पूछ लो उनसे”,रमेश ने कहा तो शगुन गुड्डू के पास आयी और मिश्रा जी से कहा,”वो सही कह रहे है पापाजी गुड्डू जी ने ही उन्हें मारा है उन्होंने सिर्फ काम का पूछा और किसी बात को लेकर इन्होने हाथ उठा दिया”
रमेश ने सूना तो मन ही मन खुश हो गया लेकिन गुड्डू ने सूना तो हैरान था उसे समझ नहीं आया की शगुन ने झूठ क्यों कहा ? मिश्रा जी ने गुड्डू की और देखा और कहा,”माफ़ी मांगों रमेश से”
“लेकिन पिताजी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,गुड्डू ने कहना चाहा तो मिश्रा जी ने उस रोक दिया और गुस्से से कहा,”गुड्डू हमने कहा माफ़ी माँगो उनसे”
गुड्डू रमेश के सामने आया और कहा,”हमका माफ़ कर दयो”
रमेश मुस्कुराने लगा उसकी मुस्कुराहट और शगुन के आखरी शब्द गुड्डू के सीने में तीर की तरह चुभ रहे थे। वह वहा से चला गया। मिश्रा जी ने रमेश के पिता से माफ़ी मांगी और उन्हें भी अपने घर जाने को कहा। उनके जाने के बाद मिश्रा जी ने एक नजर शगुन को देखा और फिर अपने कमरे की और चले गये।
मिश्राइन भी मिश्रा जी के पीछे पीछे चली गयी। शगुन ने कोई प्रतिक्रया नहीं दी और ख़ामोशी से किचन की और चली गयी। पहली बार लाजो को शगुन कुछ बदली बदली लगी। हमेशा सच का साथ देने वाली शगुन ने झूठ क्यों कहा उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था ? खैर लाजो भी अपना काम करने लगी कुछ देर बाद ही गोलू किसी काम से गुड्डू के घर आया सुबह सुबह घर में इतनी शांति देखकर गोलू को थोड़ा अजीब लगा। अंदर आया तो देखा मिश्रा जी बाहर जाने को निकल रहे थे उन्हें देखकर गोलू ने कहा,”नमस्ते चचा”
“हम्म्म्म !”,कहकर मिश्रा जी वहा से निकल गए। गोलू को आज मिश्रा जी कुछ बुझे बुझे से नजर आये। गोलू अंदर चला आया तो अम्मा ने उसे अपने पास बुलाया और उस से पीने के लिए थोड़ा गर्म पानी मंगवाया।
“अरे अभी लाते है अम्मा”,कहकर गोलू किचन में चला गया वहा शगुन काम कर रही थी लेकिन उसका ध्यान कही और था और तवे रखी रोटी जल गयी। गोलू ने देखा तो गैस बंद करते हुए कहा,”अरे अरे भाभी ध्यान कहा है आपका देखिये ना रोटी जल गयी है”
“हां,,,,,,,,,,,,,,,हां”,कहते हुए शगुन ने जली हुई रोटी साइड में कर दी और कहा,”आपको कुछ चाहिए था गोलू जी ?”
“हां उह अम्मा गर्म पानी मंगाय रही है वही लेने आये है , आप रहने दीजिये हम ले लेते है ,,,, लगता है आज आप भैया के ख्यालो में खोयी है तभी रोटियां जली जा रही है आपसे,,,,,,,,,,,,हैँ” गोलू ने मजाकिया अंदाज में कहा लेकिन शगुन ने ध्यान ही नहीं दिया और दूसरे काम में लग गयी।
पानी गर्म करते हुए गोलू ने मन ही मन सोचा,”इह आज सबको ही का हो गया है , कही गुड्डू भैया तो कुछो कांड ना कर दिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,देखना पडेगा”
गोलू ने पानी लिया और किचन से बाहर चला आया अम्मा के कमरे में पानी रखकर गोलू ऊपर चला आया लेकिन गुड्डू के कमरे का दरवाजा बंद था। गोलू ने दरवाजा खटखटाते हुए कहा,”अरे गुड्डू भैया दरवाजा खोलो हम है गोलू”
कोई जवाब नहीं मिला तो गोलू ने फिर दरवाजा खटखटाया और कहा,”अरे भैया खोलिये ना कुछो जरुरी काम है आपसे”
इस बार भी कोई जवाब नहीं मिला तो गोलू ने फिर से दरवाजा खटखटाया और कहा,”अबे कर का रहे हो ? कुछो बोलोगे ?”
झटके से दरवाजा खुला और गुस्से से गुड्डू ने कहा,”चुपचाप हिया से चले जाओ गोलू वरना पेल देंगे तुमको समझे , और दोबारा यहाँ आना नहीं”
“अरे भइया,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू आगे कुछ कहता इस से पहले ही गुड्डू ने दरवाजा गोलू के मुंह पर बंद कर दिया। गोलू परेशान हो गया क्योकी कुछ घंटो पहले ही गोलू ने उसे सही सलामत घर छोड़ा था फिर ये अचानक से गुड्डू को क्या हो गया था ? हैरान परेशान गोलू ने जैसे ही दरवाजा खटखटाने के लिए हाथ बढ़ाया रुक गया और खुद से ही कहा,”का गोलू काहे दरवाजा खटखटा के यमराज को बुलाय रहे बाहर , छोडो बाद में पता करेंगे”
गोलू नीचे आया , ना गुड्डू कुछ बता रहा था ना ही शगुन ने कुछ बताया गोलू गाल खुजाते हुए सोच में डूबा था की नजर सामने काम करती लाजो पर पड़ी और गोलू ने उसके पास आकर कहा,”ए लाजो आज घर में कोनो कांड हुआ का ? सबका मुंह काहे बना हुआ है ?”
लाजो ने इधर उधर देखा और फिर सुबह वाली बात के बारे में गोलू को बता दिया। गोलू ने सूना तो उसे भी बड़ा गुस्सा आया रमेश पर और हैरानी हुई शगुन पर गोलू को सोच में डूबा देखकर लाजो ने कहा,”का हुआ का सोचने लगे ?”
“साला हमहू सोच रहे है की शगुन भाभी ने झूठ काहे बोला ? उह तो गुड्डू भैया की परवाह करती है ना”,गोलू ने कहा
“जे बात तो हमायी समझ में भी ना आयी”,लाजो ने कहा और वहा से चली गयी
( तो अब आप लोग भी कमेंट में जरूर बताये की शगुन ने ऐसा क्यों किया ? और पढ़ते रहे मनमर्जियाँ मेरे साथ)
क्रमश – मनमर्जियाँ – 82
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संजना किरोड़ीवाल
Ye bilkul thik nahi kiya shagun ne…shayad vedi ke liye kiya hoga..par bichara guddu ne use bachaya or usi ne ..ye ummed bilkul ni thi shagun se…bahut galat kiya shagun..i dont like u
मेरे ख्याल से अब शगुन खुद ही सबके सामने सच लाएगी और रमेश का पर्दाफाश करेगी…. और उसे ना भूलने वाला सबक सिखाएगी
मैम बात चाहे जो भी हो…चाहे वो वेदी से ही जुड़ा हुआ क्यों ना हों…गुड्डू का साथ देना चाहिए था…कम से कम मिश्रा जी के सामने तो गुड्डू की परवाह की होतीं..रमेश से माफी भी मांगनी पड़ी गुड्डू को उल्टे…सच कड़वा भले होता हैं लेकिन असर अच्छा करता हैं…शगुन ने सही नहीं किया😊 superb part👌👌👌👌👌
lagata he ki Shagun khud hi kuchh karegi…or Vedi ne kasam deke mana kiya hoga kucch bhi kahne ke liye….awesome part
Shagun n vedi ki wjah s y kiya or sayad guddu ko bachane k liye bhi qki agr wo such bolti to sayad ramesh aj k bad kuchh or jada ghatiya hrkat krta vedi k sath or guddu ko bhi shagun such nhi bta paa rhi h qki guddu ko pta chala to wo ramesh ko bhut marega or sb ko pta chalega to ghar ki ijjat pe dag lg jayega qki ladki chahe jitni hi shi q n ho dosh hmesa ldki ko hi diya jata h y smaj aisa h
this is not right.. yeh shagun ne bilkul heek nahin kiya but i think woh dar gayi hogi vedi ko lekar isliye usen jhooth bula..
Nice
मुझे लगता है शगुन रमेश का सच सामने लाएगी और गुडडू को सबक भी देगी कि गुस्से मै उठाया हुआ कोई भी कदम सही नहीं होता…और इस से वेदी को भी तकलीफ नहीं होगी 🤷
Pta nhi shagun n asa kyun kiya kuch samajh m nhi aa rha shayad vedi k baare m kuch galat na bole ramesh shayad isliye jhoot bola
Mam reason to apko hi pata hoga par jo b hua galat hua Guddu sudhrna chahta hai par kuch na kuch kand ho hi jate hai, shayad shagun dar gayi hogi k aaj ramesh ka sach samne ata to kal phir ramesh kuch aisa hi karta ya isse b kuch bura.
Shagun ne jhuth kyu bola. I think Mishra g ko b pta h ki unka beta bina baat k kisi ki pitai nahi karega. Fir shagun ne aisa kyu kaha.
Aap hi bta do mam….kuch to khas reason hoga hi jo shagun ne aisa kiya….
आज के पार्ट में घर के सभी सदस्य थे लेकिन वेदी नही , आप सोच रहे हो की अपने कमरे में थी शायद हो सकता है, लेकिन नीचे क्यों नही आई …कुछ तो वजह था रमेश की वजह से जो शगुन भांप गयी। और जब मामला ही गुड्डू को छोड़ रमेश और वेदी की बीच का हो तो शगुन का चुप रहना ही बेहत्तर है न, क्योंकि शगुन ने वेदी से वादा किया था कि घर में इस बारे में किसी को नही बताउंगी…. जब घर में चिल्लाहट भरी झगड़ा था तो सबका जमा होना तय था, लेकिन वेदी ही नही दिखी ना चलो अगले पार्ट में संजना मैम ही बताएगी,, और मुझे आज समझ नही आ रहा की में शगुन की तरफदारी क्यों कर रहा हूँ ….कहीं मुझे किरदार से ही….😍🙈
Shagun ne jo kiya kuch soch k kra hoga bt filhal to tik nhi lg ra ye…😏😏
Superb but sagun shayd na chahti h ki ldai aage badhe
Vakay ME ki aisa kyu Kaha shagun ne kahi mishrain NE nahi bola jhut bolne ko kyunki chote shehro me bhu betiyo ki izaat ki baat aati hai to unka muh Band krva Diya jata hai, yahi Ho sakta hai shagun NE apni saas ko sab btaya hoga or unhone baat Jada falne ke dar se ise yahi khatam krne ke irade Se jhut bolne ko Kaha hoga