Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – 60

Manmarjiyan – 60

Manmarjiyan - 60

मनमर्जियाँ – 60

शगुन गुड्डू की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा चुकी थी। गुड्डू ने भी शगुन की दोस्ती को मंजूरी दे दी और कहा,”सिर्फ दोस्त हाँ”
“सिर्फ दोस्त”,बदले में शगुन भी मुस्कुरा दी
गुड्डू वही बैठा शगुन को अपने बारे में बताता रहा उसकी बातो में सबसे ज्यादा जिक्र उसकी शरारतो का था। कैसे स्कूल से वह भाग जाया करता था ? कॉलेज में डांट खाता था , मोती झील पर जाना और कानपूर में घूमना सब। साथ ही अपने और गोलू के किस्से , कब कब किस किस बात पर उसने मिश्रा जी से मार खाई सब एक एक करके बताता गया। आज से पहले उसने ये सब पिंकी के साथ भी शेयर नहीं किया था। शेयर क्या करता पिंकी ने कभी गुड्डू से ये सब बातें की ही नहीं। अपने बारे में बताते हुए गुड्डू इतना मासूम लग रहा था की शगुन बस अपलक उसे देखे जा रही थी। रात के 11 बज चुके थे और दोनों छत पर ही थे। गर्मियों के दिन थे और उस पर ठंडी ठंडी हवाएं किसका वहा से जाने का मन करेगा। गुड्डू भी वही बैठा शगुन से बाते करता रहा दोनों के बीच एक अच्छा बांड बन चुका था। बात करते करते ही अचानक गुड्डू शगुन की और पलटा और कहा,”तुमने हमे माफ़ कर दिया ना ?”
“माफ़ किसलिए ?”,शगुन ने हैरानी से पूछा
“उह हमने तुम्हे इतना परेशान किया और उस दिन हमायी वजह से तुम्हे पुलिस स्टेशन जाना पड़ा”,गुड्डू ने कहा
“वो बात तो मैं कबका भूल चुकी हूँ”,शगुन ने कहा
“हमे नहीं पता था पिंकिया हमे वहा क्यों लेकर जा रही है ?”,गुड्डू ने नजरे झुकाते हुए कहा
“मैं जानती हूँ और बार बार आपको उस बात के लिए शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है”,शगुन ने कहा तो गुड्डू सामने देखते हुए कहने लगा,”पिंकिया का हमने किसी भी लड़की को इस नजर से नहीं देखा शगुन , रौशनी हमारी बचपन की दोस्त है और उसके साथ भी हम हमेशा अपनी मर्यादा में रहे। पिताजी से हमने एक बात सीखी है की औरत को अगर इज्जत दो ना तो वो आप पर सब न्योछावर कर देती है”
“वे सही कहते है , जानते है गुड्डू जी माँ बाप कभी हमारा बुरा नहीं चाहते है उन्हें पता होता है की हमारे लिए क्या सही है और क्या गलत ? उन्होंने हमसे ज्यादा जिंदगी देखी होती है”,शगुन ने कहा तो गुड्डू उसकी और देखने लगा और कहा,”तुमहू कितनी सही बात करती हो ना , मतलब एकदम से बिना किसी लाग लपट के अपनी बात कह देती हो”
“मुझे आपकी तरह बातो को घूमाना नहीं आता”,शगुन ने कहां
“जे तो सही कहा तुमने कभी कभी तो हम खुद नहीं समझ पाते की हम चाहते क्या है ? खैर अब तो तुम हमायी दोस्त बन गयी हो इसलिए तुमसे एडवाइज लेते रहेंगे”,गुड्डू ने कहा तो शगुन मुस्कुरा उठी और हां में अपनी गर्दन हिला दी
रात काफी हो चुकी थी और गुड्डू को भी नींद आने लगी थी इसलिए उसने उठते हुए कहा,”नीचे चले ?”
“हम्म्म !”,शगुन ने कहा और गुड्डू के पीछे पीछे नीचें चली आयी। गुड्डू से बात करके शगुन इतना खुश थी की उसे भूख ही नहीं लगी और वह भूल गयी की उसने खाना नहीं खाया है। दोनों कमरे में आये शगुन सोफे को सही करने लगी तो गुड्डू ने कहा,”तुम चाहो तो आधे बिस्तर पर सो सकती हो”
शगुन ने सूना तो कुछ नहीं कहा बस गुड्डू की और देखने लगी। शगुन को अपनी और देखता पाकर गुड्डू ने कहा,”हमारा मतलब सोफे पर सोने में परेशानी होती है”
“हम्म्म ठीक है कहकर शगुन ने अपना तकिया और चददर बिस्तर के एक किनारे रखा और आकर लेट गयी गुड्डू भी दूसरे किनारे पर दूसरी और मुंह करके लेट गया। कुछ देर बाद उठा और तकिये उठाकर अपने और शगुन के बीच में रख दिए।
“ये क्या कर रहे है आप ?”,शगुन ने पूछा
“वो नींद में गलती से हाथ वाथ लग गया तो तुम कही हमे गलत ना समझ लो इसलिए ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सेफ्टी के लिए”,गुड्डू ने मासूमियत से कहा जबकि वो ये भूल रहा था की शगुन उसकी पत्नी है। शगुन ने सूना तो मन ही मन गुड्डू की बात पर मुस्कुराई और करवट बदल कर सो गयी। गुड्डू ने भी लाइट बंद की और सो गया। गुड्डू खुश था इतनी रातो से वह परेशान था आज लगा जैसे कोई बड़ा बोझ दिल से उतर गया हो। कुछ देर बाद गुड्डू को भी नींद आ गयी।
मिश्रा जी अपने परिवार के साथ माँ वैष्णो देवी के दर्शन करने में लगे हुए थे उन्हें बहुत अच्छा लग रहा था वही साथ ही शगुन और गुड्डू के शादीशुदा जीवन के लिए भी प्रार्थना कर रहे थे जिसका असर गुड्डू की जिंदगी में दिखाई दे रहा। उनके वापस आने में अभी दो दिन बाकि थे गुड्डू और शगुन के पास साथ वक्त बिताने के लिए दो दिन और थे। अगली सुबह शगुन उठी तैयार होकर नीचे चली आयी। हमेशा गुड्डू के लिए परेशान रहने वाली शगुन आज बेफिक्र थी और गुड्डू के लिए नाश्ता बना रही थी। शगुन ने नाश्ते में उत्पम और नारियल की चटनी बनाई। गुड्डू भी नहाकर नीचे चला आया देखा शगुन ने नाश्ता बनाकर पहले ही टेबल पर रख दिया है। गुड्डू आकर नाश्ता करने बैठा और कहा,”तुमहू नहीं खाओगी”
“बाद में खा लुंगी”,शगुन ने कहा
“बाद में काहे ? बइठो अभी खाओ”,गुड्डू ने कहा
शगुन उलझन में थी क्योकि उसने नाश्ता सिर्फ गुड्डू के लिए ही बनाया था अपने लिए नहीं और प्लेट में सिर्फ दो ही उत्तपम थे जो की गुड्डू के लिए थे। शगुन को चुप देखकर गुड्डू ने कहा,”कहा खोई हो ? बइठो ना”
“दरअसल वो मैंने सिर्फ दो ही उत्तपम बनाये है”,शगुन ने कहा तो गुड्डू को उसके मना करने की वजह समझ आयी ,, उसने पास पड़ी प्लेट उठायी और अपनी प्लेट में रखा एक उत्तपम दूसरी प्लेट में रखते हुए कहा,”हमे ज्यादा भूख नहीं है एक तुम खा लो”
“लेकिन आप,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहना चाहा लेकिन गुड्डू बीच में ही बोल पड़ा,”हमने कहा ना हमे ज्यादा भूख नहीं है , अब बइठो और खाओ”
शगुन गुड्डू के बगल में आकर बैठ गयी और चुपचाप नाश्ता करने लगी। उत्तपम टेस्टी था ये गुड्डू को एक दो निवालो से ही पता चल गया लेकिन वह और भी नहीं मांग सकता था खैर उसमे अपना नाश्ता खत्म किया और उठकर जाने लगा तो नजर शगुन पर पड़ी जिसके गाल पर कुछ लगा हुआ था। गुड्डू ने अपने हाथ से उसे हटाया उसकी छुअन से शगुन के मन के तार झनझना उठे लेकिन गुड्डू को कुछ महसूस नहीं हुआ और वह चला गया। शगुन खाते खाते रुक गयी और वाशबेसिन पास हाथ धोते हुए गुड्डू को देखने लगी। ग्रे शर्ट और पेंट में कितना प्यारा लग रहा था वो , उस पर हल्की हलकी दाढ़ी और सेट किये हुए बाल शगुन तो बस इन्ही सब में खोकर रह गयी। होश आया तो खुद ही अपनी बेवकूफी पर मुस्कुरा उठी लेकिन गुड्डू की छुअन का अहसास उसके मन को छू गया। शगुन ने अपना नाश्ता किया और बर्तन उठाकर किचन की और चली गयी। गुड्डू हाथ धोकर आकर टीवी के सामने बैठ गया और टीवी ऑन कर लिया , कुछ देर चैनल बदलने के बाद बोर होकर गुड्डू ने टीवी बंद कर दिया। गुड्डू बैठा बैठा अपना फोन चलाने लगा तभी गोलू वहा आया और कहा,”का भैया का कर रहे ?”
“अरे यार गोलू अच्छा हुआ तुमहू आ गए , घर बैठे बैठे बोर हो गए है”,गुड्डू ने कहा
“अरे भैया तभी तो हम आये है पुरे जुगाड़ के साथ”,गोलू ने जेब से दो मूवी टिकट्स निकालकर गुड्डू को दिखाते हुए कहा
“इह का है बे ?”,गुड्डू ने कहा
“साऊथ एक्स सिनेमा हॉल में बहुते गजब मूवी लगी है , दुई टिकट् लाये है तुम और भाभी जाकर देख आओ”,गोलू ने कहा
“दिमाग सही है तुम्हारा ?”,गुड्डू ने पूछा
“बिल्कुल सही है , कॉर्नर सीट लिए है ज्यादा सोचो मत और देखकर आओ 12.30 का शो है”,गोलू ने अपने दाँत कुरेदते हुए कहा
“अरे यार हम कैसे जा सकते है ?”,गुड्डू ने कहा
“काहे ? काहे नहीं जा सकते ? हमाये साथ कितनी फिल्मे देखी है याद नहीं”,गोलू ने कहा
“अरे यार गोलू तुम लड़के हो , लड़की के साथ कबो गए है फिल्म देखने ?”,गुड्डू ने कहा
“हां तो आज से शुभारभ कर दो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,भैया बहुते गजब मूवी है तुमहू देखो तो सही तबियत खुश हो जाएगी तुम्हायी”,गोलू ने कहा
“तुमको लगता है शगुन जाएगी ?”,गुड्डू ने कहा
“भाभी को हम मना लेंगे पहिले तुम तो हाँ करो”,गोलू ने कहा
“ठीक है लेकिन घर पर कौन रहेगा ?”,गुड्डू ने फिर नयी समस्या बताई तो गोलू चिढ गया और कहा,”यार सिर्फ घर है कोई मिश्रा जी का किला नहीं जिसकी हिफाजत तुमको करनी है , हम रुक जायेंगे घर में तुम बस जाओ और शाम से पहले आना मत”
“अच्छा ठीक है”,गुड्डू ने कहा तो गोलू उठा और किचन की और आकर शगुन से कहा,”भाभी सुनो”
“हां गोलू जी !”,शगुन ने कहा
“अरे यार भाभी इतने प्यार से गोलू जी मत बोला करो किसी दिन दिल बाहर आ गीरेगा हमारा”,गोलू ने शरमाते हुए कहा
“चाय पिएंगे ?”,शगुन ने कहा तो गोलू उसके पास आया और कहा,”वो हम बाद में पि लेंगे पहिले इह बताओ आप फ्री हो ?”
“हां मुझे क्या काम है ?”,शगुन ने कहा
“गुड़ गुड़ गुड़ अच्छा ये बताओ फिल्मे पसंद है आपको ?”,गोलू ने पूछा
“हां पसंद है बनारस में अपने दोस्तों के साथ बहुत बार देखी है”,शगुन ने कहा
“ये तो और भी अच्छा है , हम आपके और भैया के लिए मूवी की टिकट्स लेकर आये है 12.30 का शो है जल्दी से तैयार हो जाईये”,गोलू ने कहा
“आप नहीं जायेंगे ?”,शगुन ने पूछा
“अरे हम का करेंगे बीच में , हम अपने लिए चाय बना रहे है तब तक आप तैयार होकर आओ”,गोलू ने पतीला गैस पर चढ़ाते हुए कहा
“लेकिन गुड्डू जी से तो पूछ लेते,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा
“अरे भैया का ही तो प्लान है , वो कह रहे है की शादी के बाद से एक बार भी बाहर नहीं गए है आपके साथ इसलिए लेकर जा रहे है”,गोलू ने झूठ ही कह दिया
शगुन ने सूना तो उसे अच्छा लगा और वह ख़ुशी ख़ुशी तैयार होने चली गयी। गोलू ने चाय बनायीं ज्यादा बन गयी इसलिए दो कप में डालकर ले आया एक गुड्डू को दिया और दुसरा खुद लेकर बैठ गया। शगुन तैयार होकर नीचे चली आयी। गुड्डू ने देखा तो बस नजर शगुन पर जम गयी। लाइट पिंक रंग की साड़ी
मेकअप के नाम पर बस काजल और हल्की लिपस्टिक , हाथो में चूडिया और गले में मंगळसूत्र पहने शगुन खड़ी थी। शगुन गुड्डू के सामने आयी तो गोलू ने कहा,”आज तो कानपूर में बवाल होगा गुड्डू भैया , तुमहू तो थे ही भौकाल अब भा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
गोलू कुछ अंट शंट बोले इस से पहले ही गुड्डू ने उसका मुंह बंद करते हुए कहा,”कुछ नहीं मजाक कर रहा है इह,,,,,,,,,,,,,,,,,,चलते है थोड़ी देर में”
शगुन ने हामी में गर्दन हिलायी और वहा से चली गयी। उसके जाने के बाद गुड्डू ने गोलू के मुंह से हाथ हटाया और कहा,”अबे कुछ भी बोलते हो यार”
“अरे भैया कसम से का लग रही है भाभी”,गोलू ने कहा
गुड्डू ने एक नजर शगुन को देखा और कहा,”हम्म , हम अभी आते है”
गुड्डू उठकर ऊपर अपने कमरे में चला आया।
गुड्डू ने कबर्ड खोला और उसमे कपडे देखने लगा। गुड्डू के पास अनगिनत शर्ट थे बस पिंक शर्ट नहीं था। गुड्डू वापस नीचे चला आया। गोलू मस्त टीवी के सामने बैठा कोई फिल्म देख रहा था गुड्डू ने देखा घडी में 11.30 बज रहे है उसने बाइक की चाबी उठायी और शगुन से चलने को कहा। घर की चाबी गोलू को देकर शगुन गुड्डू के साथ घर से बाहर चली आयी। गुड्डू आकर बाइक पर बैठा और स्टार्ट करके शगुन से कहा,”बइठो”
शगुन आकर गुड्डू के पीछे बैठी जब हाथ गुड्डू के कंधे पर रखा तो गुड्डू के मन के तार झनझना उठे उसने हलकी सी गर्दन घुमाकर अपने कंधे पर रखे शगुन के हाथ को देखा जो की अच्छा लग रहा था। गुड्डू ने बाइक आगे बढ़ा दी। अपने घर के गेट पर खड़ी रौशनी ने देखा तो हाथ की ऊँगली और अंगूठे को मिलाकर एक साइन बनाते हुए गुड्डू की और इशारा कर दिया। गुड्डू मुस्कुरा दिया और शगुन को लेकर चला गया। गुड्डू को पहली बार थोड़ी थोड़ी शर्म आ रही थी अपने मोहल्ले से निकलते हुए क्योकि सब उसे और शगुन को ही देख रहे थे। लड़के तो जल भून रहे थे की इतनी सुन्दर लड़की गुड्डू की किस्मत में क्यों थी ?
10 मिनट सड़क पर बाइक दौड़ाते हुए गुड्डू पहुंचा ट्रेफिक में लेकिन आज गुड्डू की किस्मत अच्छी नहीं थी , ट्रेफिक में आज जो हवलदार खड़ा था वो गुड्डू का दोस्त नहीं बल्कि कोई और था गुड्डू को बिना हेलमेट के देखते ही उसके पास आया और बाइक की चाबी लेकर कहा,”हेलमेट कहा है ?”
“हेलमेट लाना भूल गए”,गुड्डू ने कहा
हवलदार ने पीछे बैठी शगुन को देखा और फिर गुड्डू से कहा,”फाइन लगेगा”
“शुक्ला कहा है ?”,गुड्डू ने कहा
“शुक्ला जी की पोस्टिंग चेंज हो चुकी है अब तो यहाँ के चुलबुल पाण्डे हम ही है बेटा,,,,,,,,,,,,,,,,,चुपचाप फाइन भरो”,नए ट्रेफिक हवलदार ने कहा तो गुड्डू उसे घूरने लगा। गुड्डू के स्वाभाव से शगुन वाकिफ थी इसलिए पीछे बैठकर उसने इशारो इशारो में हवलदार से बाइक जाने देने की रिक्वेस्ट की। सुंदर लड़कियों की बात कोई टालता नहीं है ये बात शगुन के मामले में आज सच साबित हुई। हवलदार ने चाबी गुड्डू को देकर कहा,”पहली बार है इसलिए छोड़ रहे है चलो जाओ”
गुड्डू ने बाइक स्टार्ट की और वहा से चला गया। कुछ आगे आने पर शगुन ने कहा,”आप हेलमेट क्यों नहीं पहनते ? परेशानियों से बच जायेंगे”
“हमाये बालो की सेटिंग खराब हो जाती है”,गुड्डू ने कहा
शगुन ने सूना तो अपना ही हाथ अपने सर पर दे मारा और बड़बड़ाई,”कुछ नहीं हो सकता इनका”
दोनों सिनेमा पहुंचे। फिल्म शुरू होने में 15 मिनिट थे इसलिए गुड्डू और शगुन टिकट कन्फर्म करवा कर अंदर आकर खड़े हो गये। गुड्डू की नजर आस पास की दुकानों में लगे ब्रांडेड जूतों और कपड़ो पर थी और शगुन की नजर वहा घूम रहे कपल्स पर। एक कपल वहा बहुत क्यूट था दोनों की हाइट भी सेम और दोनों हाथो में हाथ डाले घूम रहे थे। शगुन को ना जाने क्या सुझा वह गुड्डू के पास आकर उसकी बगल में खड़ी हो गयी और अपने कंधे से गुड्डू के कंधे को नापने की कोशिश की लेकिन पाया की गुड्डू उस से थोड़ा सा लंबा है। गुड्डू अपनी हो सोच में गुम जैसे ही पलटा अपनी बगल में खड़ी शगुन से टकरा गया। दोनों की नजरे मिली और दोनों एक दूसरे की आँखों में देखने लगे। शगुन की नजर गुड्डू की आँखों पर थी तो गुड्डू की नजर बार बार शगुन के सुर्ख होंठो पर चली जा रही थी। एंट्री बेल बजी तो दोनों का ध्यान एक दूसरे से हटा और दोनों अंदर चल पड़े। अपनी सीट ढूंढकर गुड्डू और शगुन सीटों पर आकर बैठ गए। गुड्डू ने देखा वहा ज्यादा भीड़ नहीं थी और जो थे वो अधितकतर लोग कपल्स ही थे। स्क्रीन पर एड्स चल रहे थे। शगुन पहली बार किसी लड़के के साथ आयी थी और यही हाल गुड्डू का था। वह खुद को सहज करने की कोशिश कर रहा था। अभी कुछ मिनिट ही गुजरे थे की आगे से दूसरे नंबर की सीट पर बैठे कपल पर उसकी नजर चली गयी। दोनों सबसे बेखबर एक दूसरे को गले लगाए हुए थे। गुड्डू उन्हें देखे जा रहा था की उसने देखा शगुन की नजर भी उन्ही पर है ,,, जैसे ही गुड्डू और शगुन की नजर मिली गुड्डू ने लड़के से कहा,”अबे ओये का कर रहे हो ?”
गुड्डू की आवाज सुनकर दोनों अलग हो गए। शगुन भी दूसरी और देखने लगी। लड़का जो की उस लड़की का लवर था उसने पलटकर कहा,”तुमको का दिक्कत है बे ? अपनी वाली पे ध्यान दो” कहकर लड़का ने बार फिर अपना ध्यान लड़की पर लगा लिया। गुड्डू को गुस्सा आया वह जैसे ही उठने को हुआ शगुन ने अपना हाथ गुड्डू के हाथ पर रख दिया और कहा,”रहने दीजिये”
गुड्डू वापस बैठ गया। शगुन का हाथ अभी भी गुड्डू के हाथ पर था जो की बहुत अच्छा लग रहा था।

क्रमश – manmarjiyan-61

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