Sanjana Kirodiwal

Story with Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

मनमर्जियाँ – 75

Manmarjiyan – 75

Manmarjiyan - 75

मनमर्जियाँ – 75

शगुन वेदी को समझा बुझाकर घर ले आयी लेकिन मन ही मन बहुत परेशान भी थी रमेश की वजह से , उसे समझ नहीं आ रहा था की वह गुड्डू को इन सब बातो के बारे में बताये या नहीं। घर आकर वेदी अपने कमरे में चली आयी और दरवाजा बंद करके रोने लगी। रमेश उसे तबसे परेशान कर रहा है जबसे उसे वेदी को अपनी बहन की शादी में देखा था। रमेश वेदी की दोस्त का भाई था और उसे पसंद करता था लेकिन वेदी को रमेश बिल्कुल पसंद नहीं था क्योकि वेदी जानती थी रमेश एक आवारा लड़का है। इसी के चलते गुड्डू ने एक बार रमेश को पीटा भी था और वेदी से दूर रहने की चेतावनी भी दी लेकिन रमेश नहीं सुधारा।
वेदी अपने कमरे में बैठी सिसक ही रही थी की तभी किसी ने कमरे का दरवाजा खटखटाया , वेदी ने अपने आंसू पोछे और दरवाजा खोला सामने शगुन खड़ी थी नाश्ते की प्लेट लिए
शगुन ने वेदी का हाथ पकड़ा और बिस्तर पर बैठाते हुए कहने लगी,”ये तुम क्या कर रही हो वेदी ? ऐसे रहोगी तो घरवालों को शक हो जायेगा”
“पर हम का करे भाभी आप उसे जानती नहीं है वो बहुत बुरा लड़का है , पिताजी को पता चला तो वो बहुत नाराज होंगे हमारा कॉलेज जाना भी बंद करवा देंगे”,वेदी ने कहा
शगुन ने प्यार से उसके गाल को छुआ और कहा,”ऐसा कुछ भी नहीं होगा , मुझे नहीं लगता रमेश आज के बाद तुम्हे दोबारा परेशान करेगा इसलिए परेशान मत हो। गुड्डू जी से भी इस बारे में कुछ मत कहना ,, बड़ी मुश्किल से उन्होंने अपनी आदते छोड़ी है कुछ गड़बड़ हुई तो पापाजी जी फिर से उन पर गुस्सा होंगे”
“हम्म्म आप बहुत अच्छी है भाभी , आप गुड्डू भैया का और इस घर का कितना ख्याल रखती है,,,,,,,,,,,,,!”,कहते हुए वेदी शगुन के गले आ लगी। शगुन ने प्यार से उसका सर सहलाया और कहा,”चलो अब नाश्ता कर लो , तब तक मैं कपडे सूखा देती हूँ”
शगुन ने वेदी को नाश्ते की प्लेट पकड़ाई और खुद पीछे आँगन में चली आयी उसने धुले हुए हुए कपडे सुखाने चली आयी। वेदी ने नाश्ता किया और फिर बाहर आकर टीवी देखने लगी , टीवी में कुछ अच्छा नहीं आ रहा था इसलिए थोड़ी देर में ही बोर होकर वेदी घर के गेट के पास चली आयी। सीढ़ियों पर बैठकर वेदी पास ही बैठी कबूतरों को दाने डाल रही थी। मिश्रा जी नाश्ता करके अपने शोरूम के लिए निकल चुके थे। मिश्राइन भी अपने दूसरे कामो में लगी हुयी थी। शगुन नीचे सब काम खत्म करके ऊपर अपने कमरे में चली आयी। वेदी को आज काफी बोरियत महसूस हो रही थी वह उठी और घर से बाहर आकर खड़ी हो गयी देखा सामने रौशनी की मम्मी खड़ी है। वेदी उनसे बाते करने लगी तभी बाइक पर सवार एक लड़का आया और वेदी से कुछ ही दूर आगे ब्रेक ना लगाने की वजह से आ गिरा। वेदी ने देखा तो बजाय उस लड़के को उठाने के हॅसने लगी। लड़का उठा अपनी बाइक खड़ी की और अपने कपडे झाड़ते हुए वेदी की और देखा। अपने गिरने पर वेदी का हँसना उसे अच्छा नहीं लगा तो उसने मुंह बनाया और अपनी बाइक स्टार्ट कर बाइक आगे बढ़ा दी
वेदी एक बार हंसी तो बस हंसती गयी लड़के ने एक बार पीछे पलटकर देखा नजर वेदी पर जैसे ठहर सी गयी हो। वेदी की चमचमाती आँखे और मुस्कराहट देखकर लड़का भी मुस्कुराये बिना ना रह सका और फिर वहा से चला गया। वेदी हँसते हँसते अंदर आयी तो मिश्राइन ने कहा,”काहे दाँत फाड़ रही हो वेदी ? जाओ इह सुखी मिर्चा लेकर जाओ और ऊपर वाली छत पर धूप में सूखा दो”
वेदी ने सुखी साबुत लाल मिर्चो का छबड़ा उठाया और लेकर सीढ़ियों की और बढ़ गयी। अभी भी उसे हंसी आ रही थी ,वेदी अपने कमर से छबड़ा लगाकर धीरे धीरे करके ऊपर छत पर आयी और फिर सबसे ऊपर वाली छत पर चली आयी जहा अच्छी खासी धुप थी। वेदी ने मिर्चे वहा पलंग पर बिछे चददर पर डाल दिए। अभी सुबह का वक्त था इसलिए धुप थोड़ी सुहावनी थी। वेदी वही छत पर घूमने लगी की अचानक से एक बंदर दिवार पर आ गया वेदी ने देखा तो डरने के बजाय उस बंदर को चिढ़ाने लगी। बंदर भी वेदी की तरह हरकते करने लगा , कभी सर खुजाता कभी हाथ झटकता। वेदी को ये करते हुए बड़ा मजा आ रहा था की एकदम से उसने अपने गाल फुला लिए और बंदर को चिढ़ाने लगी। जैसे ही वेदी पलटी तो उसकी नजर दो छत छोड़कर तीसरी छत (वंदना आंटी के घर की ) पर खड़े एक लड़के पर चली गयी जो की वेदी को ही देख रहा था। वेदी ने देखा ये वही लड़का था जो कुछ देर पहले बाइक से गिरा था। वेदी ने उसे देखा और फिर वहा से नीचे चली आयी और बड़बड़ाने लगी,”वंदना आंटी के घर इसे पहले तो कभी नहीं देखा ,, खैर मुझे क्या होगा उनका कोई रिश्तेदार”
वेदी नीचे चली आयी और फिर अपने कमरे की सफाई करने लगी।
गुड्डू और गोलू अपने काम को लेकर थोड़ा सीरियस हो चुके थे। शुक्ला जी के आर्डर के बाद उन्हें अभी तक कोई आर्डर नहीं मिला था इसलिए दोनों थोड़ा उदास थे और फिर गोलू ने एकदम से कहा,”भैया भाभी को गिफ्ट दिए की नहीं ?”
“दिए ना , झुमके”,गुड्डू ने कहा
“दिए मतलब खुद नहीं पहनाये”,गोलू ने कहा
“हम काहे पहनाएंगे ?”,गुड्डू ने कहा
“अरे भैया तुमहू ना बैल ही रहोगे कसम से,,,,,,,,,,,,,,,,लड़कियों को ना तोहफे लेने से ज्यादा अच्छा लगता है की लड़के उह तोहफा खुद अपने हाथो से उन्हें पहनाये”,गोलू ने कहा
“सही है गोलू तुम्हायी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है पर ज्ञान पूरा है तुमको”,गुड्डू ने ताना मारते हुए कहा
“अरे भैया भगवान के घर देर है अंधेर नहीं,,,,,,,,,,कोई न कोई तो हमाये लिए भी 16 सोमवार रखी होगी”,गोलू ने कहा तो गुड्डू हंस पड़ा
“उस हिसाब से तो शगुन ने 32 सोमवार रखे होंगे”,गुड्डू ने कहा
“काहे ?”,गोलू ने कहा
“तब ना जाकर उनको हम मिले”,गुड्डू ने अपनी तारीफ में कहा
“हीहीहीही ऐसा है अपने मुंह मिया मिट्ठू बनना बंद करो , तुमने कोई पुण्य का काम किया होगा जो तुमको हमायी भाभी जैसी लड़की मिली”,गोलू ने शगुन की तारीफ में कहा
“गोलू साले इक ठो बात बताओ तुमहू हमायी तरफ हो या उनकी तरफ ?”,गुड्डू ने पूछा
“हम तो दोनों की तरफ है भैया , ना तुम्हाये लिए हमारा प्यार बट सकता है ना भाभी के लिए”,गोलू ने कहा
“जे सही है गोलू बात को घुमा दिया तुमने”,गुड्डू ने पानी की बोतल लेकर खोलते हुए कहा और जैसे ही पीने लगा एक आदमी दुकान पर आया और गोलू से कहा,”भैया एक टेंट लगवाना है जवाहर नगर में”
“किस लिए ?”,गोलू ने पूछा
“हमाये दादाजी निपट गए है तो उन्ही की बैठक के लिए”,आदमी ने कहा
गुड्डू ने जैसे ही सूना उसके मुंह में भरा पानी सीधा आकर आदमी के मुंह पर गिरा। आदमी ने पानी पोछते हुए कहा,”इसमें इतना चौकने की का बात है”
“अबे शादी ब्याह के आर्डर लेते है हम लोग किसी की बैठक के नहीं”,गुड्डू ने पानी गटकते हुए कहा
“हम सोचे फ्री बैठे हो काम दे देते है तुम लोगन को,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,आदमी आगे कहता इस से पहले ही गोलू काउंटर कूदकर आया और आदमी से कहा,”सुनो बे विमल पान मसाले की पुड़िया जैसे मुंह वाले आदमी , तुमको का लगता है इह सब बंदोबस्त हमने और गुड्डू भैया ने तुम्हाये दादाजी की बैठक लिए किया है। अबे कोई भी चददर तान के कर लो बैठक , वैसे भी बुढ़ऊ कौनसा देखने आ रहा है जो इतना ताम झाम कर रहे हो”
बेचारे आदमी ने सूना तो हक्का बक्का सा गोलू को देखने लगा गुड्डू ने देखा तो गोलू को साइड किया और आदमी से कहा,”अरे चच्चा मजाक कर रहा है इह , एक टेंट की ही तो बात है लगा देंगे,,,,,,,,,,,आप एड्रेस लिखवा दीजिये शाम में लगवा देंगे”
“ठीक है”,कहकर आदमी ने गोलू को पता लिखवाया और वहा से चला गया गोलू को ये अच्छा नहीं लगा तो वह गुड्डू के पास आया और कहा,”जे का किया भैया , अब का मयत के भी आर्डर लेने वाले हो तुम ?”
“अबे गोलू अभी कोई काम नहीं है ना ही शादिया है ,, लखनऊ वाली शादी भी अगले महीने है तब तक अच्छा है ना कुछो छोटा आर्डर हो पूरा कर ले। एक तो बिजी रहेंगे दुसरा लोग हमे जानने लगेंगे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,चलो छोडो इह सब बाते और गाड़ी में टेंट का सामान रखवाओ हमहू चाय पीकर आते है”,गुड्डू ने कहा और चला गया।
गोलू ने साथ काम करने वाले एक लड़के को फोन किया और उसके आने के बाद दोनों मिलकर सामान गाडी में रखने लगे। गुड्डू चाय की टपरी पर आया और एक चाय आर्डर की। चाय पीते हुए गुड्डू की नजर सामने से जाते हुए एक आदमी पर पड़ी जिसने अपने 5 साल के बच्चे का हाथ पकड़ रखा तो और उसे लेकर जा रहा था। बेलून वाले को देखकर लड़का बेलून लेने की जिद करने लगा तो आदमी ने उसे 3-4 बेलून दिलाये और फिर अपने कंधे पर बैठा लिया। लड़के के चेहरे पर प्यारी सी स्माइल आ गयी। ये देखते हुए गुड्डू को अपने बचपन के दिन याद आ गए जब मिश्रा जी उसे अपने साथ घुमाने ले जाते थे और कैसे गुड्डू की हर जिद पूरी करते थे। गुड्डू प्यार से उन्हें जाते हुए देखता रहा। चाय खत्म कर गुड्डू दुकान चला आया , शुक्ला जी वाले फंकशन के बाद गुड्डू मिश्रा जी से मिला ही नहीं था। वह सुबह उठता तब तक मिश्रा जी शोरूम चले जाते। गोलू सामान जमा चुका था गुड्डू ने उसे जाने को कहा और खुद दुकान पर ही रुक गया। गोलू लड़के को साथ लेकर आदमी के बताये एड्रेस पर पहुंचा। गोलू ने टेंट लगवाया और आदमी को किराया बताकर कुछ एडवांस लिया और जाने लगा। पर कहते है की जब सब सही चल रहा हो ना तो इंसान को चूल मचती है हमारे गोलू के साथ भी कुछ ऐसा ही था जाते जाते उसकी नजर बैठक में बैठे लोगो पर पड़ी जिनमे से दादी भी थी जिनके पति का देहांत हुआ था और वह फूट फूट कर रो रही थी। गोलू आया और सबको नमस्ते करता हुआ दादी के बगल में जा बैठा। उसने बड़ी ही गंभीर शक्ल बना रखी थी , आस पास बैठो लोगो को लगा की गोलू का दादाजी से कोई गहरा रिश्ता होगा। गोलू ने पास बैठे आदमी से पूछा,”कैसे हुआ ये सब ?”
“का बताये भैया दादाजी को आलू के पराठे खाने का बहुते शौक था आज भी सुबह सुबह उनके लिए पराठे बन रहे थे। जल्दी जल्दी के चक्कर में दादाजी गर्म पराठा खा गए अब वो ना निगला गया ना उगला और दादाजी चल बसे”
“जे तो बुरा हुआ उनके साथ”,गोलू ने अफ़सोस जताते हुए कहा
तभी सामने से एक भाभी रोते हुए आयी,”हाये राम दादाजी जी आप काहे चले गए ? आपके बाद कौन ख्याल रखी है हमारा ?”
गोलू तो ठहरे गोलू महाराज तपाक से कहा,”अरे चिंता नाही करो भाभी हम है ना हम रखेंगे आपका ख्याल”
गोलू का इतना कहना था की पास ही खड़ा भाभी का पति भड़क गया और गोलू की धुनाई कर दी। बचते बचाते गोलू दादी के पास आया और कहा,”अरे ददिया कुछो कहो इनको यार”
दादी ने बड़े प्यार से पहले गोलू को देखा और फिर अपने पोते से कहा,”दो थप्पड़ और मार इस मनहूस को”
बस फिर क्या था गोलू की खूब सुताई हुई। गोलू को मार खाते देखकर उसके साथ वाला लड़का तो वही से भाग गया , मार खाने के बाद गोलू को आंगन में बैठाया , उजड़े चमन की तरह गोलू पैर पसारे बैठा था , उसे कोई होश नहीं था , बाल बिखरे , मुंह पर मिटटी लगी। सब गोलू को घेरे खड़े थे। कुछ देर बाद लड़के ने जब गुड्डू को बताया तो गुड्डू दौड़ा चला आया। लोगो को साइड करके उसने देखा गोलू पिटपिटा कर नीचे बैठा है। गुड्डू ने आकर उसे सम्हाला और कहा,”जे किसने किया ?”
गुड्डू को देखते ही गोलू मुंह फाड़कर रोने लगा और कहा,”अरे हम तो उनकी मौत का सांत्वना दे रहे थे उन्होंने हमायी ही बैठक लगा दी,,,,,,,,,,,,,,,,,,आअह्ह्ह भैया बहुते जोर से पटक पटक के मारा है इन लोगो ने हमको”
“तुमने किसी को कुछ कहा नहीं ?”,गुड्डू ने पूछा
“वो उधर जो बुढ़िया है ना उसको बोले थे लेकिन उसके बोलने के बाद डबल मारा इन्होने,,,,,,,,,,,,हाये”,गोलू ने रोते हुए कहा।
गुड्डू ने वहा खड़े लोगो की और देखकर कहा,”शर्म नहीं आती आप लोगो को कैसे जानवरो की तरह मारा है बेचारे को”
“पहिले अपने दोस्त को पूछो इसने का किया है ? किसी के सामने उसकी घरवाली को अंट शंट कहेगा तो पिटेगा ही ना”,भाभी के पति ने कहा तो गुड्डू ने गोलू को घूरते हुए कहा,”अब बिना पूछे मंदिर जाओगे तो परसादी तो मिलेगी ना गोलू”
गोलू ने मुंह बना लिया गुड्डू ने सबसे माफ़ी मांगी और गोलू को लेकर वहा से जाने लगा जाते जाते गोलू ने पलटकर बुढ़िया को देखा और मन ही मन कहा,”तुम्हायी बैठक का टेंट भी ना हम ही लगाएंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हाये”

Manmarjiyan - 75
Manmarjiya – 75

क्रमश – manmarjiyan-76

Read More – manmarjiyan-74

Follow Me On – facebook

Follow Me On – instagram

संजना किरोड़ीवाल

15 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!