Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – 70

Manmarjiyan – 70

Manmarjiyan - 70

मनमर्जियाँ – 70

गुड्डू पहली बार अपनी जिंदगी में कुछ सही करने जा रहा था और इस बार गोलू ने आकर गड़बड़ कर दी। शगुन की प्रेग्नेंसी का झूठ गोलू ने पिंकी को सच समझकर बता दिया। गुड्डू के सामने एक और नयी समस्या खड़ी हो चुकी थी उस पर दो दिन बाद शुक्ला जी के यहाँ अरेंजमेंट करना था। इन्ही परेशानियों से सूझता हुआ गुड्डू घर चला आया उसने शगुन को इस बारे में कुछ नहीं बताया। शगुन दवा लेकर आराम कर रही थी। गुड्डू ने खाना खाया , मुश्किल से खाना उसके गले से नीचे उतरा और फिर वह ऊपर छत पर चला आया। शगुन ने शाम के बाद से गुड्डू को कही देखा नहीं था इसलिए उठकर कमरे से बाहर आयी। लाजो से पूछा तो उसने बताया की गुड्डू भैया तो खाना खाकर कब का ऊपर जा चुके है। शगुन वापस ऊपर आयी तो समझ गयी की हो ना हो गुड्डू छत पर ही होगा। शगुन छत पर चली आयी देखा गुड्डू अकेले दिवार पर उदास बैठा हुआ है। शगुन उसके पास चली आयी और कहा,”आप यहाँ अकेले क्यों बैठे है ?”
शगुन को वहा देखकर गुड्डू ने खुद को नार्मल दिखाने की कोशिश की लेकिन उसकी आँखे देखकर शगुन समझ गयी की कुछ तो हुआ है। शगुन ने गुड्डू की और देखा और कहा,”फिर कुछ हुआ है क्या ?”
“अब हम का बताये मतलब हमायी जिंदगी में न बस बवाल ही बवाल लिखा है , हमे जब भी लगता है की अब सब सही हो गया है तभी कोई न कोई बखेड़ा हो जाता है। अच्छा खासा शुक्ला अंकल से पहला आर्डर मिला था और उस पर काम करने वाले थे की गोलू ने सब चौपट कर दिया”,गुड्डू ने निराशा से कहा
“गोलू जी ने क्या किया ?”,शगुन ने हैरानी से पूछा जबकि वह जानती थी गोलू बहुत समझदार लड़का है
“सब उसी का किया धरा है शगुन
उसने पिंकिया से कह दिया की तुमहू,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब उस गधे से किसने कहा जाकर उसे बताये”,गुड्डू ने चिढ़ते हुए कहा
“ये तो गोलू जी ने सही नहीं किया , इस से तो ये बात और बिगड़ जाएगी,,,,,,,,,,,,,खैर आप परेशान मत होईये और ये सब भूलकर अपने काम पर ध्यान दीजिये”,शगुन ने गुड्डू से कहा तो उसे थोड़ी हिम्मत मिली। गुड्डू ने शगुन की और देखा और कहा,”बस ये एक काम हम पुरे दिल से कर ले तो पिताजी को हमसे कोई शिकायत नहीं होगी”
“पता आज क्या हुआ ?”,शगुन ने गुड्डू के बगल में खड़े होते हुए कहा
“का हुआ ?”,गुड्डू ने पूछा
“आज गुड्डू मिश्रा की बहुते तारीफ हो रही थी घर में , हर किस के मुंह पे बस गुड्डू का ही नाम था”,शगुन ने गुड्डू की टोन में कहा
“अरे तुमहू तो बिल्कुल हमायी तरह बात कर रही हो”,गुड्डू ने खुश होकर कहा
“हां आपके मुंह से रोज सुनती हूँ ना तो सीख गयी”,शगुन ने मुस्कुरा कर कहा
“जे सही है”,गुड्डू ने सामने देखते हुए कहा
“हम्म !”,शगुन ने कहा और गुड्डू की और देखने लगी उसका मासूम चेहरा शगुन की आँखों में बसता चला गया। गुड्डू वही बैठा शगुन से बातें करता रहा। कुछ
देर बाद सोनू भैया अपनी छत पर आये उन्होंने शगुन और गुड्डू को साथ में हसते बतियाते देखा तो खुश हो गए और मन ही मन कहा,”चलो अच्छा है गुड्डू की गाड़ी सही ट्रेक पर आ गयी”
गुड्डू भैया दिवार के पास आये और कहा,”और गुड्डू कैसे हो ? आजकल तो दिखाई नहीं देते यार”
सोनू भैया की आवाज सुनकर गुड्डू पलटा और कहा,”हां भैया”
शगुन ने सोनू भैया को देखा तो नमस्ते किया और फिर नीचे चली गयी। सोनू भैया गुड्डू की छत पर आये और उसकी बगल में बैठते हुए कहा,”का गुड्डू सब सही चल रहा है ना ?”
“मतलब ?”,गुड्डू ने अनजान बनते हुए कहा
“मतलब इह की तुम्हायी और शगुन की बनने लगी है ना अब , देखा हमने अभी कुछ देर पहले तुम दोनों को साथ हसते मुस्कुराते ,,,,,,,,,,,,,अच्छा लगा”,सोनू ने कहा
“हां सब ठीक है”,गुड्डु ने कहा तो सोनू मुस्कुरा उठा और कहा,”शादी के बाद धीरे धीरे सब ठीक हो ही जाता है गुड्डू , बीवी कब बीवी से दोस्त और दोस्त से प्रेमिका बन जाती है पता ही नहीं चलता और फिर एक वक्त ऐसा आता है जब उनके बिना जिंदगी बेरंग लगने लगती है”
“का हुआ भाभी फिर से मायके चली गयी ?”,गुड्डू ने सोनू की बाते सुनकर अचानक से पूछा
“हां यार उनके पिताजी की तबियत खराब है उन्ही से मिलने गई है लेकिन कुछ भी कहो यार गुड्डू वो होती है घर में तो रौनक रहती है”,सोनू भैया ने कहा
“आजकल बड़ा प्यार आ रहा है आपको भाभी पर”,गुड्डू ने सोनू भैया की टाँग खींचते हुए कहा
“बेटा जब तुमहू हमायी उम्र में आओगे न तब समझ आएगा”,सोनू ने कहा तो गुड्डू सामने देखने लगा और फिर एकदम से सोनू की और देखकर कहा,”अच्छा भैया इह बताओ हम कैसे दिखते है ?”
“माल दिखते हो बे , और ऐसे काहे पूछ रहे हो ?”,सोनू ने कहा।
“ठीक से बताओ ना यार”,गुड्डू ने बच्चो की तरह मचलकर कहा
“अच्छे दिखते हो”,सोनू ने कहा
“मान लो तुमहू लड़के ना होकर कोई लड़की होते तब हम कैसे लगते ?”,गुड्डू ने कहा
“इह कैसे अजीबो गरीब सवाल कर रहे हो यार ? और कानपूर में इतनी सब तो है तुम्हायी दीवानी अब भी का प्रमाण की जरूरत है तुमको”,सोनू ने चिढ़ते हुए कहा
“ऐसे ही पूछ रहे है , जाईये जाकर सो जाईये हम भी जाते है”,गुड्डू ने उठते हुए कहा। तो सोनू भी दिवार फांदकर अपने घर चला गया। गुड्डू नीचे कमरे में आया देखा शगुन सो चुकी है। गुड्डू ने अपनी साइड का बिस्तर सही किया वही हमेशा की तरह तकिये दोनों के बीच लगाए और फिर शगुन की और आया साइड में गिरी उसकी चददर को उठाया और उसे ओढ़ा दिया। अपने सिवा वह किसी और की भी परवाह करने लगेगा गुड्डू ने कभी सोचा नहीं था पर शगुन के लिए ये सब करके उसे अच्छा लग रहा था। चद्दर ओढ़ाकर गुड्डू ने शगुन के साइड वाली लाइट बंद कर दी और खुद अपनी साइड आकर लेट गया। दिनभर की थकन की वजह से गुड्डू को लेटते ही नींद आ गयी। सुबह गुड्डू जल्दी उठा और नहाकर नीचे चला आया शगुन किचन में थी और लाजो की मदद कर रही थी गुड्डू एकदम से किचन में आया और कहा,”शगुन हमारी वो हरे रंग वाली शर्ट नहीं मिल रही है”
लाजो ने पलटकर देखा गुड्डू जींस और बनियान में ही खड़ा था तो लाजो मुस्कुरा दी और वापस अपने काम में लग गयी। शगुन ने सुना तो वह गुड्डू के साथ चली गयी। ऊपर आकर शगुन गुड्डू की शर्ट ढूंढने लगी। कुछ देर बाद शगुन को शर्ट मिल गयी तो उसने गुड्डू को थमा दी।
“थैंक्यू”,गुड्डू ने कहा और शर्ट पहन ली। शगुन जैसे ही जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”अच्छा सुनो कल शुक्ला जी के यहाँ फंक्शन है और आज रात तक हमे सारे इंतजाम करने है तो आने में देर हो जाएगी , कुछ चाहिए हो तो फोन कर देना तुम”
“मेरे पास आपका नंबर नहीं है”,शगुन ने धीरे से कहा
“हैं ? सच में ? लाओ अपना फोन दो हम सेव कर देते है”,गुड्डू ने कहा तो शगुन ने अपना फोन गुड्डू को दे दिया और गुड्डू ने उसमे अपना नंबर सेव करते हुए कहा,”इह लो हमने नंबर सेव किया है , जब भी जरूरत हो फोन कर लेना ठीक है,,,,,,,,,,,,,,,,,अभी हम चलते है”
गुड्डू ने फोन शगुन को दिया और वहा से चला गया। शगुन की नजर गुड्डू के सेव किये नंबरों पर पड़ी जिन्हे गुड्डू ने गुड्डू नाम से सेव किया था शगुन ने उन्हें एडिट किया और गुड्डू के आगे जी भी लिख दिया। शगुन के मन में गुड्डू को लेकर जो इज्जत थी उसे वह कम होने देना नहीं चाहती थी। गुड्डू चला गया शगुन भी नीचे चली आयी। मिश्रा जी अपने शोरूम चले गए और वेदी इन दिनों घर में ही थी क्योकि कॉलेज बंद हो चुके थे

गुड्डू गोलू के साथ शुक्ला जी के घर पहुंचा उन्होंने सारे काम गुड्डू और गोलू को बता दिए। गुड्डू ने शुक्ला जी के घर से कुछ ही दूर एक छोटे से खाली प्लाट में अरेंजमेंट करने का सोचा जिस से गेस्ट हॉउस का खर्चा बच जाये गोलू को भी आइडिआ पसंद आया और उसने प्लाट वाले को 2000 रूपये पर डे में मना लिया।
गुड्डू गोलू से नाराज था इसलिए ज्यादा बात नहीं कर रहा था। दोनों दिनभर कामो में लगे रहे शाम तक उस प्लॉट की दशा ही बदल चुकी थी। गोलू और गुड्डू ने खूब मेहनत की और सब अरेंजमेंट किया। शाम में दोनों बीच में खड़े होकर वहा लगे टेंट को देखने लगे ,गुड्डू और गोलू की मेहनत साफ नजर आ रही थी। गोलू ने गुड्डू के कंधे पर कोहनी रखकर कहा,”अगर ऐसे ही काम करते रहे ना गुड्डू भैया तो उह दिन दूर नहीं जब कानपुर के बाहर से भी ऑफर आएंगे”
गुड्डू ने गोलू को घुरा तो गोलू ने खिसियाते हुए अपनी कोहनी निचे कर ली और कहा,”सॉरी ना यार भैया , अब हो जाती है कभी कभी गलती छोटा भाई समझ के माफि देइ दयो , वैसे भी हमने तो बस पिंकी को जलाने के लिए इह सब किया”
“गोलू हमको एक ठो बात बताओ जब हम पिंकिया से सारे रिश्ते तोड़ चुके है तो फिर उसको इह सब बताने की का जरूरत है। हम साला जितना उस से दूर जाने की कोशिश कर रहे है तुम में से कोई न कोई फिर उन्हें हमाये आस पास ले आता है।”,गुड्डू ने कहा तो गोलू को समझ आया की उसे वह बात पिंकी से नहीं कहनी चाहिए थी। उसने गुड्डू से माफ़ी मांगी तो गुड्डू ने माफ कर दिया और कहा,”शगुन की नजरो में पहले ही इतना गिर चुके है यार अब और नहीं गिरना चाहते ,, उह हमरा साथ देने के लिए कितना कुछ कर रही है और हम है की हर रोज कोई न कोई नयी समस्या खड़ी कर दे रहे है। हमे अच्छा नहीं लग रहा यार गोलू बार बार उनकी नजरो में गिरना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम समझ रहे हो ना हम का कह रहे है”
“हां भैया हम समझ गए अब से हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिस से भाभी हर्ट हो , चलो अब गुस्सा थूक दो और चलो चलकर हलवाई को कल के खाने का आर्डर दे देते है”,गोलू ने कहा तो गुड्डू ने अपनी बाइक निकाली और दोनों वहा से निकल गए। पहला आर्डर था इसलिए गुड्डू थोड़ा टेंशन में भी था की सब अच्छे से हो जाये। दोनों हलवाई के पास पहुंचे और उन्हें अगले दिन के लिए खाने का आर्डर लिखवाया और उसके बची हुई तैयारियों के लिए बाजार की और निकल गए। पिंकी किसी के साथ बाइक पर उसी प्लॉट की और से निकल रही थी जब उसने वहा मिश्रा वेडिंग प्लानर का बोर्ड देखा तो वहा खड़े लड़के को अपने पास बुलाकर पूछा,”ए ये किसने लगाया है ?”
“गुड्डू भैया ने , उन्होंने कल ही नया काम शुरू किया है”,लड़के ने कहा और फिर अपने काम में लग गया। पिंकी ने सूना तो ना जाने क्यों उसे गुड्डू से खुनस हुई और उसने साथ वाले लड़के से बाइक आगे बढ़ाने को कहा। लड़का पिंकी को छोड़कर चला गया पिंकी घर आयी और सीधा अपने कमरे में चली आयी। गुस्से से उसका चेहरा लाल पीला हो रहा था। एक तो गुड्डू उसके हाथ से निकल गया , दुसरा वो शगुन भी माँ बनने वाली थी और अब ये गुड्डू का नया काम। पिंकी को गुड्डू की तरक्की से जलन होने लगी थी उसे बस किसी भी कीमत पर गुड्डू को अपने पैरो में गिराना था। पिंकी गुस्से में यहाँ से वहा टहल रही थी कुछ देर बाद उसका फोन बजा पिंकी ने फोन उठाया ये उसी लड़के का फोन था जिसने कुछ देर पहले पिंकी को घर छोड़ा था। पिंकी ने झुंझलाते हुए फोन उठाया और कहा,”क्या है ? अभी थोड़ी देर पहले ही तो मिली हूँ तुमसे”
“पिंकी बेबी तुम इतना गुस्से में क्यों हो ? मैंने तो तुम्हे ये बताने के लिए फ़ोन किया है की जो सैंडिल्स तुमने देखी थी वो मैंने आर्डर कर दी है एक दो दिन में आ जाएगी तुम्हारे पास”,सामने वाले लड़के ने बड़े प्यार से कहा
“ओह्ह सॉरी रमेश वो मैं गुस्से में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,खैर छोडो थैंक्यू सैंडिल्स के लिए”,पिंकी ने अपनी बातो में चाशनी लपेटते हुए कहा
“कोई बात नहीं अच्छा ये बताओ तुम्हारा मूड क्यों अपसेट है ?”,रमेश ने पूछा तो पिंकी ने उसे गुड्डू के बारे में बुरा भला कहा और फिर कहा,”उस गुड्डू को मुझे बस अब घुटनो पर लाना है रमेश”
“डोंट वरी बेबी वो तो मैं यु चुटकियो में कर दूंगा ,, मुझे भी उस से अपना पुराना हिसाब किताब चुकता करना है”,रमेश ने कहा
“और वो शगुन बड़ा उड़ रही है ना इस गुड्डू के पीछे उसे भी मैं छोड़ने वाली नहीं हूँ वो जानती नहीं है पिंकी क्या चीज है”,पिंकी ने नफरत से कहा
“पिंकी,,,,,,,,,,,बेबी तुम ज्यादा टेंशन मत लो मैं सब कर दूंगा , तुम चाहती हो ना गुड्डू तुम्हारे सामने गिड़गिड़ाए तो बस देखती जाओ कैसे मैं अब उसे रस्ते पर लाता हू”,रमेश ने कहा तो पिंकी मुस्कुरा उठी। कुछ देर बाद रमेश से बात करने के बाद पिंकी ने फोन काट दिया
पिंकी एक बहुत ही महत्वकांशी लड़की थी जो की बहुत जिद्दी भी थी , उसे कुछ चाहिए होता था तो वह हाथ धोकर उसके पीछे पड़ जाती थी। जब गुड्डू उसके पीछे घूमता था , उसकी ख्वाहिशे पूरी करता था तब उसने गुड्डू की कदर नहीं की लेकिन आज गुड्डू को शगुन के साथ देखकर उसे खासा तकलीफ होने लगी थी। गुड्डू के लिए जो उसका प्यार था पहले पागलपन बना और अब नफरत बन चुका था और नफरत भी ऐसी की अब पिंकी बस गुड्डू को बर्बाद करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती थी।
सारे इंतजाम करने के बाद गोलू अपने घर चला गया और गुड्डू अपने घर आ गया। दिनभर की थकान की वजह से गुड्डू आते ही खाना खाकर सो गया। शगुन की तबियत अब ठीक थी गुड्डू को मेहनत करते देखकर उसे बहुत अच्छा लग रहा था। अगली सुबह गुड्डू जब गोलू के साथ लोकेशन पर पहुंचा तो वहा का नजारा देखकर हैरान रह गया। सारे टेंट उखाड़े हुए थे , कुछ जले पड़े थे , टेबल्स कुर्सियां भी इधर उधर फेंकी पड़ी थी। कुल मिलाकर गुड्डू की सारी मेहनत किसी ने बर्बाद कर दी थी।
“भैया इह सब किसने किया ?”,गोलू ने बेचारगी से कहा और फिर गुड्डू के जवाब ना देने पर खुद ही जाकर सब चीजों को देखने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं था सब बर्बाद हो चुका था। गुड्डू की आँखों में नमी तैर गयी और मन में ख्याल आया की किसी ने उसके साथ ऐसा क्यों किया होगा ? उसकी तो किसी से दुश्मनी भी नहीं थी। गुड्डू के चेहरे और आँखों से उदासी साफ़ झलक रही थी उसने कुछ नहीं कहा और बाइक लेकर वहा से चला गया। गोलू ने रोकने की कोशिश की लेकिन गुड्डू जा चुका था। गोलू ने शगुन को फोन लगाया और सब बताया तो शगुन को भी धक्का सा लगा लेकिन इस वक्त किस पर शक करे किस पर नहीं कुछ समझ नहीं आ रहा था इसलिए शगुन ने गोलू से गुड्डू का ख्याल रखने को कहा।
शगुन ने घर पर किसी को कुछ नहीं बताया वह ये सब बताकर गुड्डू का तमाशा बनाना नहीं चाहती थी इसलिए खुद ही गोलू के साथ गुड्डू को ढूंढ़ने चल पड़ी। गोलू जानता था गुड्डू कहा मिलेगा इसलिए शगुन को लेकर सीधा मोती झील पहुंचा ,गुड्डू वहा अकेले तालाब के पास खड़ा मिल गया शगुन और गोलू उसके पास आये और शगुन ने कहा,”गुड्डू जी”
गुड्डू पलटा और कहा,”सब बर्बाद हो गया शगुन , सब सब खत्म हो गया”
शगुन ने देखा ये कहते हुए गुड्डू की आँखों में पहली बार आंसू झलक आये।

क्रमश – manmarjiyan-71

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