मनमर्जियाँ – 64
Manmarjiyan – 64
मनमर्जियाँ – 64
शगुन के साथ रहते हुए गुड्डू धीरे धीरे बदलने लगा था। उसने कभी किसी से सॉरी नहीं बोला था पर शगुन के सामने बोलता था। पहले हर वक्त चिड़चिड़ाता था लेकिन अब शगुन के साथ रहता तो एक सुकून रहता था उसके चेहरे पर। घर में कभी एक ग्लास पानी ना उठाने वाला कई बार शगुन की किचन में हेल्प करने चला आता था। बहुत कम वक्त में दोनों काफी अच्छे दोस्त बन चुके थे। वही शगुन हर वक्त गुड्डू को परेशानियों से बाहर निकालने में लगी रहती थी इतना तो वह जान चुकी थी की गुड्डू का दिल बहुत साफ है और शायद यही वजह थी की वह हर बार किसी नयी मुसीबत में पड़ जाता था। खैर देर से ही सही गुड्डू की हरकतों में कुछ तो सुधार आ चुका था और अब तो शगुन भी उसके साथ थी।
मिश्रा जी और बाकि घरवाले हाथ मुंह धोकर आये तब तक शगुन ने टेबल पर खाना लगा दिया। गुड्डू ने देखा शगुन अकेले सब कर रही है तो वह भी आकर उसकी हेल्प करने लगा। मिश्रा जी ने देखा तो उन्हें अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ पर जब गुड्डू के बगल में खड़ी शगुन को देखा तो मन ही मन मुस्कुरा उठे और कहा,”हमने तुम्हाये लिए बिल्कुल सही लड़की चुनी है गुड्डू”
“अरे पिताजी खड़े काहे है आकर बैठिये और खाना खाइये”,गुड्डू ने कहा
“बेटा तुमहू तो ऐसे कह रहे हो जैसे खाना तुम्ही बनाये हो”,मिश्रा जी ने कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा
“नहीं बनाया तो शगुन ने है पर हां हमहू भी तरकारी काटे है”,गुड्डू ने कहा तो मिश्राइन हंस पड़ी और कहा,”का रे गुड्डू आज सूरज पश्चिम से निकला था जो तुमहू काम किये”
“का यार अम्मा मतलब हम इतने भी बेकार नहीं है”,गुड्डू ने कहा
“छोडो यह सब बाते और बैठकर खाना खाओ यार”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू को बहुत हैरानी हुई आज से पहले तो मिश्रा जी ने गुड्डू से कभी नहीं कहा था अपने साथ बैठकर खाने को। गुड्डू ख़ुशी ख़ुशी आकर उनकी बगल में बैठा और खाने लगा। खाना खाने के बाद मिश्रा जी बाहर टहलने निकल गए। रौशनी आयी हुई थी इसलिए वेदी उस से मिलने चली गयी और मिश्राइन अम्मा के कमरे में चली गयी। शगुन किचन में आयी तो पीछे पीछे लाजो भी चली आयी और कहा,”बस भाभी बहुत काम कर लिया अब बाकि का काम हम कर लेंगे आप खाना खा लो”
“आप सफर में थक गयी होंगी मैं कर लेती हूँ”,शगुन ने कहा
“अरे नहीं बल्कि हम तो इसलिए थक गए की 4 दिन से कुछो काम किया ही नहीं हमने”,लाजो ने सिंक में रखे बर्तनो की और बढ़ते हुए कहा। लाजो को इतने मन से काम करते देख शगुन का उसे रोकने का मन नहीं हुआ और वह वही किचन में बैठकर खाना खाने लगी। खाते हुए शगुन ने कहा,”अच्छा लाजो बुरा ना मानो तो एक बात पूछे आपसे”
“अरे पूछिए ना , इसमें बुरा लगने जैसा का है”,लाजो ने अपनेपन से कहा
“आपके घरवाले कहा रहते है ? मेरा मतलब आप इतने सालो से यहाँ है कभी उनसे मिलने भी नहीं जाती”,शगुन ने पूछा
शगुन का सवाल सुनकर लाजो कुछ देर के लिए खामोश हो गयी और फिर कहने लगी,”मिलने कहा जायेंगे भाभी अम्मा बाबूजी जी तो अब रहे नहीं भाई भाभी है उन्हें खबर नहीं हमायी ,, जब कानपूर आये तो मिश्रा जी ने यहाँ काम दे दिया बस तबसे यही हमाये अम्मा बाबूजी है , और कभी कभी इस घर को अपना घर समझ लेते है”
“कभी कभी क्यों हमेशा समझिये। इस घर के सब लोग आपके अपने ही है”,शगुन ने कहा
लाजो ने सूना तो बर्तन छोड़कर शगुन के सामने आकर बैठ गयी और खुश होकर कहा,”पता है भाभी तुम ना बिल्कुल हमाये टाइप की हो , मस्त , शांत और प्यारी। तुम्हाये साथ रहने में बड़ा मजा आएगा”
“मजा बाद में लेना लाजो पहिले बर्तन धोय ल्यो नलके से पानी कैसे बहे जा रहा है”,मिश्राइन ने अंदर आते हुए कहा तो लाजो झट से उठकर चली गयी। शगुन ने खाना छोड़ उठाना चाहा तो मिश्राइन ने कहा,”अरे बइठो बइठो , आराम से खाओ,,,,,,,,,,,,,,,चार दिन में कैसे दुबली पतली हो गयी हो रुको हम तुम्हाये लिए एक ठो गरम पराठा सेक देते है”
“नहीं माजी इतना ठीक है”,शगुन ने कहा
लेकिन मिश्राइन कहा किसी की सुनने वाली थी उसने शगुन के मना करने के बाद भी घी में पराठा सेंक दिया और उसकी थाली में रखते हुए कहा,”ये खाओ गर्मागर्म”
शगुन का पेट लगभग भर चुका था लेकिन अपनी सास को मना करके उनका दिल दुखाना नहीं चाहती थी इसलिए चुपचाप खा लिया। शगुन ने अपनी थाली खुद ही साफ की। मिश्राइन उसके पास आयी और कहा,”अब तुमहू ऊपर जाओ हम तुम्हाये और गुड्डू के लिए दूध भिजवाते है”
“मैं दूध नहीं पीती माजी”,शगुन ने कहा
“पीया करो तभी ना हमाये जैसी बनोगी स्वस्थ और तंदुरुस्त”,मिश्राइन ने कहा और शगुन को वहा से भेज दिया। शगुन ऊपर अपने कमरे में चली आयी , ज्यादा खा लेने की वजह से पेट भारी भारी लग रहा था। शगुन कमरे में आयी तो देखा,गुड्डू कबर्ड से कपडे निकालकर इधर उधर फैलाये हुए है। शगुन गुड्डू के पास आयी और कहा,”ये क्या कर रहे है आप ?”
“हमाये पास इतने सारे कपडे हो गए है नए कपडे रखने के लिए जगह नहीं है”,गुड्डू ने कहा
“कहा से होगी जगह कमरे की हर अलमारी में सिर्फ आपके कपडे भरे पड़े है , पता है गुड्डू जी इंसान अगर चाहे ना तो चार जोड़ी कपड़ो में भी खुश रह सकता है। खुश रहने के लिए बहुत सारी चीजों का होना जरुरी नहीं है आपके मन की सुंदरता ही काफी है”,शगुन ने कहा तो गुड्डू शगुन की और देखने लगा और फिर कहा ,”तो बताओ अब हम इतने कपड़ो का क्या करे ?”
“इन्हे आप किसी जरूरत मंद को दे सकते है”,शगुन ने कहा
“तो फिर वहा काहे खड़ी हो हमायी हेल्प करो”,गुड्डू ने कहा तो शगुन बिल्कुल उसके सामने आ बैठी और दोनों एक एक करके गुड्डू के कपड़ो से बिना जरूरत वाले कपडे छांटने लगे। शगुन ने देखा गुड्डू को कपडे समेटने नहीं आते वह बस ऐसे ही उन्हें लपेट कर रखे जा रहा था लेकिन क्यूट लग रहा था। आधे घंटे में ही सारे कपडे अलग अलग थे तभी शगुन की नजर आखरी शर्ट पर पड़ी जैसे ही उसने उसे उठाया गुड्डू ने उसके हाथ से वह शर्ट ले लिया और कहा,”ये हम रखेंगे”
ये वही सफ़ेद शर्ट था जो गुड्डू ने शादी के बाद पहनी थी और गलती से शगुन के होंठो के निशान इस पर लग गए थे। शगुन ने शर्ट की और हाथ बढाकर कहा,”आपके पास पहले से 4 सफ़ेद शर्ट है इसे दे दीजिये”
“वो चार तुम रख लो इह हम नहीं देंगे”,गुड्डू ने कहा
“क्यों ? ऐसा क्या है इसमें ?”,शगुन ने सवाल किया
“बस ऐसे ही हमायी फेवरेट है”,गुड्डू ने शर्ट को समेटते हुए कहा। शगुन ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और छांटे हुए कपड़ो को एक बैग में भरने लगी। गुड्डू उठा और कबर्ड में रखने वाले कपड़ो को उठाकर कबर्ड में रखने लगा। अगली बार जैसे ही गुड्डू कपडे उठाने के लिए मुड़ा उसका सर शगुन के सर से जा टकराया और दोनों अपना अपना सर सहलाने लगे शगुन ने जैसे कुछ कहने के लिए मुंह खोला गुड्डू ने अपने कान पकड़ लिए ये देखकर शगुन मुस्कुरा उठी और कहा,”ये सही है आपका गलती करो और सामने वाला डांट लगाए उस से पहले अपने कान पकड़ लो”
“सबके सामने ऐसा नहीं करते है , उह तो पता है की तुमहू माफ़ कर दोगी इसलिए”,गुड्डू ने प्यार से कहा तो शगुन बस उसके चेहरे में ही खोकर रह गयी। शगुन को अपनी और इतना प्यार से देखते हुए पाकर गुड्डू शरमा गया और उठकर वापस कबर्ड की और चला गया। शगुन उठी और बिस्तर सही करने लगी। गुड्डू के बेड पर तो शगुन को जगह मिल ही चुकी थी बस अब दिल में जगह मिलना बाकि था। शगुन गुड्डू को लेकर जिन अहसासों से गुजर रही थी गुड्डू उन अहसासों से अभी बहुत दूर था। वह शगुन के साथ फ्रेंक था इसलिए जो मन में आता कह देता था लेकिन शगुन अभी भी अपनी कुछ भावनाओ को मन में दबाये हुए थी और सही वक्त का इंतजार कर रही थी।
दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई तो गुड्डू ने अधखुले दरवाजे को खोला और देखा सामने दूध के ग्लास लिए मिश्राइन खड़ी थी। उन्हें देखकर गुड्डू ने कहा,”अरे अम्मा आईये ना”
“तुम्हाये और शगुन के लिए दूध लेकर आये थे , पि लेना”,कहते हुए मिश्राइन ने दूध के ग्लास गुड्डू की और बढ़ाये और चली गयी। गुड्डू के दोनों हाथो में ग्लास थे इसलिए उसने पैर से दरवाजे को बंद किया और शगुन के पास आकर एक ग्लास उसे दे दिया और दूसरा खुद लेकर एक साँस में पि गया। गुड्डू ने देखा शगुन ने दूध नहीं पीया तो उसने कहा,”का हुआ ? पीओ अच्छा है”
“मुझे दूध पसंद नहीं है”,शगुन ने कहा
“कोई बात नहीं हम पि लेते है”,कहकर गुड्डू ने शगुन के हाथ से दूध का ग्लास लिया और उसे भी पि गया। मुंह साफ करके गुड्डू सोने चला गया। शगुन भी आकर अपनी जगह लेट गयी। गुड्डू को थोड़ी देर में नींद आ गयी थी लेकिन शगुन करवटें बदलती रही। खाना ज्यादा खाने की वजह से उसे परेशानी हो रही थी खैर जैसे तैसे शगुन ने अपनी आँखे मूंदी और फिर उसे नींद आ गयी
सुबह शगुन जल्दी ही उठ गयी। तैयार होकर नीचे आयी। मिश्राइन और लाजो भी उठ चुकी थी। लाजो सबके लिए चाय नाश्ता बना रही थी और मिश्राइन पूजा पाठ में लगी थी। शगुन का जी मिचलाने लगा तो वह खुली हवा में आँगन में चली आयी , बेचैनी बढ़ने लगी और जैसे ही जी मिचलाया शगुन भागकर वाशबेसिन के पास आयी और उल्टी करने लगी। ये देखकर मिश्राइन ने जल्दी से पूजा खत्म की और लाजो को आवाज देकर पानी लाने को कहा।
मिश्राइन शगुन के पास आयी और उसकी पीठ सहलाते हुए कहा,”आराम से बिटिया , इह लो पानी पीओ”
उल्टी करने के बाद शगुन को थोड़ा आराम मिला उसने पानी पीया और ग्लास मिश्राइन की और बढ़ा दिया। मिश्राइन ने शगुन को बैठने को कहा शगुन सोफे पर आ बैठी। मिश्राइन ने उसका सर छूकर देखा और कहा,”बुखार तो नहीं है तुमको फिर ये उल्टी”
“चाची चाची”,लाजो ने दबी आवाज में कहा
“का ?”,मिश्राइन ने भी इशारे से पूछा तो लाजो ने शगुन के प्रेग्नेंट होने का इशारा किया। शगुन की उल्टी को लाजो ने गलत अंदाज में ले लिया और ऊपर से मिश्राइन को भी बता दिया। मिश्राइन ने जैसे ही सूना ख़ुशी से फूली नहीं समायी और शगुन की बलाये लेकर कहा,”जुग जुग जिओ बिटिया”
“भाभी खट्टा खाने का मन कर रहा होगा आपका , निम्बू का आचार ले आये आपके लिए”,लाजो ने खुश होकर कहा
“अरे रहने दे वो पुराना हो चुका मैं आज ही निम्बू का नया आचार डालती हूँ शगुन बिटिया के लिए”,मिश्राइन ने खुश होकर कहा
“माजी आप गलत समझ रही है”,शगुन ने कहना चाहा लेकिन मिश्राइन तो इस बात से इतना खुश थी की शगुन की बात को नजरअंदाज करके कहा,”अरे हम बिल्कुल सही समझ रहे है , ऐसे में लड़कियों को शर्म आती है”
“लेकिन माजी,,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने उन्हें सही बात बतानी चाही लेकिन इतने में मिश्रा जी वहा आ पहुंचे और कहा,”का बात है मिश्राइन सबेरे सबेरे इतना खुश काहे हो रही हो कोनो बात है का ?”
मिश्राइन मिश्रा जी के पास आयी और धीरे से कहा,”हमारा वैष्णो देवी जाना सफल रहा मिश्रा जी”
“का मतलब ?”,मिश्रा जी ने पूछा
“अरे मतलब आप दादा बनने वाले है और हम दादी ,, घर में नवा मेहमान आने वाला है”, मिश्राइन ने कहा तो मिश्रा जी ख़ुशी से भर उठे। शगुन ने ये सुनकर अपना सर पीट लिया। मिश्रा जी ने जेब से 500-500 के कुछ नोट निकाले और शगुन के सर से वारकर पास खड़ी लाजो को दे दिए और शगुन को आशीर्वाद देकर मिश्राइन से कहा,”अरे मिश्राइन का खबर सुनाई हो यार मतलब दिल खुश कर दिया यार तुमने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुड्डू कहा है ? उसे तो इह खबर हम खुद देंगे यार मतलब,,,,,,,,,,,,,वेदी के जन्म के बाद अब इस घर में कोई छोटा बच्चा आएगा”
शगुन बेचारी अंदर ही अंदर परेशान हो रही थी जैसा सब लोग समझ रहे थे वैसा कुछ था ही नहीं।
“हम गुड्डू भैया को बुलाकर लाते है”,कहकर लाजो ने रही सही कसर भी पूरी कर दी। मिश्राइन ने शगुन को परेशान देखा तो उसके पास आकर कहा,”ए बहुरिया इतना टेंसन मत लो वरना बच्चे की सेहत पर असर पडेगा ,, तुमको ना बस अब खूब खुश रहना है और खूब खाना पीना है”
लाजो ने गुड्डू को जगाया और उसे लेकर नीचे आयी बेचारे गुड्डू को तो पता भी नहीं था की हुआ क्या है वह मिश्रा जी सामने आया तो मिश्रा जी ने उसके कंधे को थपथपाते हुए कहा,”मतलब दिल खुश कर दिए हो यार तुमहू तो , इतनी जल्दी इतनी बड़ी खुशखबरी दे दी”
गुड्डू को लगा शगुन ने दुकान वाली बात पिताजी को बता दी है तो उसने कहा,”अरे हां पिताजी हमहू बताने ही वाले थे आपको , हमारा सपना था इह तो पूरा होना ही था”
“अरे यार तुम्हारा का शादी के बाद हर मर्द का यही सपना होता है , मर्दानगी की पहचान होती है बेटा”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू सोच में पड़ गया और सोचने लगा की दुकान खोलने में कोनसी मर्दानगी है। गुड्डू की बात सुनकर शगुन ने एक बार फिर अपना सर पीट लिया। जो बात गलतफहमी थी उसे गुड्डू की बातो ने कन्फर्म कर दिया। इतनी भसड़ काफी नहीं थी शायद इसलिए रही सही में गोलू भी वहा आ पहुंचा और कहा,”अरे आज सुबह सुबह सब एक साथ कुछ हुआ है का ?”
मिश्रा जी जो की हमेशा गोलू से चिढ़ते थे आज मुस्कुराते हुए उसकी और पलटे और कहा,”अरे गोलू जाकर पुरे मोहल्ले में मिठाई बटवा दो”
“उह काहे ?”,गोलू ने हैरानी से पूछा
“अरे घर में छोटे मिश्रा जी आने वाले है , तुम्हारा दोस्त बाप बनने वाला है और तुमहू चाचा”,मिश्रा जी ने जैसे ही कहा गुड्डू के होश उड़ गए और उसने शगुन की और देखा। दोनों की नजरे मिली और आँखों ही आँखों में दोनों को फिर से एक नयी समस्या नजर आने लगी
क्रमश – manmarjiyan-65
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संजना किरोड़ीवाल
Hahaha matlb ab ek naya siyaapa guddu ki life m mazaa aa gya
Are gajab …kya mast tha..bichare…dono phas gaye
🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣😝
ये तो बड़का कांड हो गया!! अब कहां से लाएंगे शगुन और गुड्डू छोटे मिश्रा जी 🤣🤣🤣🤣
hahahah ye to fir se siyappa ho gaya..maja ayega aab
Are wah y ek nai bhasad ho gai chalo dekhte h kya hota bhut achha khubsurat part ❤️
yeh to baith bithaye syapa ho gaya…
मैम शादी के बाद लड़की को उल्टी होने का…हमेशा लोग प्रेगनेंट होना समझ लेते हैं..खैर सच तो सामने आ ही जायेगा…पर ये सुनकर शगुन गुड्डू के मन में हलचल तो जरूर हो गई होंगी😊 lajawab part👌👌👌👌👌
लो हो गया कांड… गुड्डू और कांड का तो सात जन्मों का साथ है…गुड्डू तो ये बात जानता है, अब शगुन को भी समझ जाना चाहिए😁😁😁😁
Very beautiful 😂😂😂😂😂😂
Very nice part ….🌷🌷🌷🌷
🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣……. Mazaa aa gaya….Ab dekhte hain, kya hota hai…
Are ye part n full to gajsb tha mtlb kya bolo bojot maza ata
Ye log muskil se nijalte nhi dusri me pad hate hai
Haha hahaha y kya naya kand ho gaya ab dono bechare😂😂🤣🤣 or bina bat mohalle valo ko mithai khane ko mil jayegi😊😊😋😋
Jindgi ek jung h ladte rho
Jabardast part 😂😂😂😂😂🤣🤣
Superb episode. .. Shagun aur guddu ki ek nayi musibath 😂😂