Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – 86

Manmarjiyan – 86

Manmarjiyan - 86

मनमर्जियाँ – 87

गुड्डू शगुन को गले लगाए हुए था। बचपन से ही उसे चूहों से बहुत डर लगता था। शगुन ना कुछ कह पाने की हालत में थी ना ही कुछ कर पाने के उसे ये भी नहीं पता था की गुड्डू अचानक उसके गले क्यों आ लगा ? शगुन का मुंह खिड़की की तरफ था। गुड्डू की पकड़ ढीली पड़ी तो शगुन गुड्डू से दूर हटकर पलटी जैसे ही उसकी नजर सामने चूहे पर पड़ी।
“चूहा,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,चिल्लाते हुए शगुन गुड्डू के पीछे चली आई तो गुड्डू ने डरते हुए कहा,”हां हां तो हम भी वही कह रहे थे की चूहा है यहाँ”
“गुड्डू जी उसे भगाइये”,शगुन ने गुड्डू से कहा तो गुड्डू ने शगुन को आगे कर दिया और खुद उसके पीछे आकर उसकी कमर पकड़कर खड़ा हो गया और कहा,”जे तुम्हारा घर है तुम भगाओ”
गुड्डू के हाथ शगुन की कमर पर थे लेकिन इस वक्त शगुन का ध्यान चूहे पर था उसने चूहे को घूरते हुए कहा,”मेरा घर है तो क्या मैंने इसे बुलाया होगा ?”
“अरे हो सकता है तुम्हे जानता हो इसलिए मिलने चला आया,,,,,,,,,,,,,,,!”,गुड्डू ने कहा उन दोनों की बाते सुनकर चूहा इधर उधर गर्दन घुमाने लगा। शगुन ने देखा तो कहा,”शशशशशश धीरे बोलिये उसे सब सुन रहा है”
“हम्म्म एक काम करते है हम लोग ऐसे ही खड़े रहते है ये खुद ब खुद चला जाएगा”,कहते हुए गुड्डू ने चूहे को देखते हुए अपनी ठुड्डी शगुन के कंधे पर टिका दी। इस वक्त वह शगुन के बहुत करीब था। शगुन ने भी धीरे से कहा,”हम्म्म वैसे भी एक चूहे से कब तक डरेंगे हम”
दोनों खामोश एक दूसरे के करीब खड़े उस चुके के भागने का इंतजार करने लगे तभी प्रीति कमरे के दरवाजे पर आयी और अंदर आये हुए कहा,”दी जीजू आप दोनों को खा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!” कहते हुए प्रीति की नजर जैसे ही गुड्डू शगुन पर पड़ी वह मुस्कुरा उठी। प्रीति को वहा देखकर शगुन ने चूहे की और देखकर कहा,”शशशशश आवाज मत करो”
प्रीति ने देखा दोनों एक छोटे से चूहे से डर रहे है तो वह दबे पांव अंदर आयी और पूछ से चूहे को पकड़ लिया और हाथ में झुलाते हुए कहा,”क्या आप दोनों भी इस छोटे से चूहे से डर रहे है”
गुड्डू ने देखा तो शगुन को छोड़ कर बेड के पीछे जाते हुए कहा,”ओह प्रीति हमायी तरफ मत आना हम बता रहे है”
“पहले प्रॉमिस करो की कल आप मेरे साथ घूमने चलोगे”,प्रीति ने कहा
“अरे तुमहू जहा लेकर चलोगी हम चलेंगे पहिले इसे दूर करो हमसे”,गुड्डू ने कहा
प्रीति गुड्डू की हालत पर हँसते हुए चूहे को लेकर बाहर गयी और बालकनी से नीचे की तरफ छोड़ दिया। गुड्डू ने देखा चूहा अब नहीं है तो वह शगुन की और आया और कहा,”डरने की बात नहीं है चला गया चूहा”
पर शगुन को तो अभी तक गुड्डू के छूने का अहसास महसूस हो रहा था।
प्रीति वापस आयी और कहा,”आप दोनों का रोमांस खत्म हो चुका हो तो खाना खाने चले नीचे सब इंतजार कर रहे है”
गुड्डू और शगुन प्रीति के साथ चल पड़े , चलते चलते गुड्डू ने प्रीति से कहा,”किसी को बताना मत हमे चूहे से डर लगता है”
“नहीं बताएँगे प्रॉमिस”,प्रीति ने मुस्कुराते हुए कहा तो गुड्डू को चैन आया तीनो नीचे चले आये। डायनिंग पर सबके लिए खाना लगा हुआ था। गुड्डू को देखते ही गुप्ता जी उसके पास आये और कहा,”आईये बेटा बैठिये”
गुड्डू को इतनी इज्जत मिल रही थी शगुन के घर में ये देखकर ही वह तो खुश था। गुड्डू कुर्सी पर आ बैठा उसकी बगल में अमन बैठा था सामने शगुन और प्रीति बैठी थी। विनोद और गुप्ता जी भी बैठ गए चाची सबको खाना परोस रही थी। गुड्डू के लिए स्पेशल खाना बनवाया गया , जबसे वह आया था बस उसकी खातिरदारी हो रही थी। गुड्डू ने खाना शुरू किया , खाते खाते प्रीति अचानक से खी खी करके हसने लगी। उसे गुड्डू वाली बात याद आ गयी कैसे वह एक छोटे से चूहे से डर रहा था। गुप्ता जी ने देखा तो प्रीति को घुरा प्रीति ने अपनी हंसी रोक ली और गुड्डू की और देखा तो गुड्डू ने उसे इशारो इशारो में शांत रहने को कहा। खाना खाने के बाद विनोद , चाची और अमन अपने घर चले गए। गुप्ता जी गुड्डू के साथ ऊपर चले आये और वहा पड़ी कुर्सियों पर आ बैठे। गुड्डू बेचारा कभी अपने पिताजी के सामने बात नहीं कर पाया गुप्ता जी के सामने क्या बात करता ? गुड्डू को खामोश देखकर गुप्ता जी ने कहा,”क्या बात है बेटाजी आप बड़े चुप चुप है , खाना अच्छा नहीं बना क्या ?”
“अरे नहीं पापाजी खाना बहुते अच्छा था”,गुड्डू ने मुस्कुरा कर कहा
“बेटा बहुत अच्छा लगा आप शगुन के साथ यहाँ आये , हम तो चाहते है की कुछ दिन आप यही रुके बनारस घूमे”,गुप्ता जी ने गुड्डू से कहा
“बनारस पहले भी आ चुके है हम और कल शाम को ही निकलना पडेगा हमे का है की लखनऊ में हमाये एक दोस्त है उनकी बहन की शादी है तो उनकी शादी का काम हमे ही देखना होगा”,गुड्डू ने कहा
“काम पहले है बेटाजी , आपको इतना जिम्मेदार देखकर बहुत अच्छा लग रहा है , हमसे किसी भी तरह की मदद चाहिए हो तो बेझिझक कहियेगा”,गुप्ता जी ने कहा तो गुड्डू मुस्कुरा दिया और कहा,”आप बस ऐसे ही ख़ुश रहे और स्वस्थ रहे हमे और कुछ नहीं चाहिए”
गुप्ता जी ने सूना तो भाव विभोर हो गए और कहने लगे,”बचपन में ही शगुन और प्रीति की माँ का देहांत हो गया तबसे हमने ही उनकी परवरिश की है , शगुन से कभी कोई भूल हो जाये तो उसे माफ़ कर दीजियेगा बेटा ,, प्रीति थोड़ी चंचल है पर शगुन हमेशा से समझदार और शांत है”
“शगुन बहुते अच्छी है , वो कभी गलती कर ही नहीं सकती। हमाये अम्मा-पिताजी तो जान छिड़कते है उन पर,,,,,,,,,,,हमे जरूर दो बात सूना देंगे उनको कुछ नहीं कहेंगे,,,,,,,,,,,,,,,बस कभी कभी ना उह लेक्चर बहुते देती है तब खीज जाते है हम”,गुड्डू ने अपने मन की बात कह दी तो गुप्ता जी हसने लगे और कहा,”टीचर जो ठहरी”
गुप्ता जी ने कहा तो गुड्डू मुस्कुराया और कहा,”यार मतलब आप तो बिल्कुल हमाये टाइप के हो , पर सुनो उनको बताना नहीं ये बात”
“बिल्कुल आपके और हमारे बीच का सीक्रेट है ये हम किसी से नहीं कहेगे”,गुप्ता जी ने कहा गुड्डू के साथ बाते करते हुए वे भी गुड्डू जैसे ही हो गए। गुड्डू खुश था की कोई तो था इस घर में जिसके साथ बैठकर वह इतना फ्रेंक्ली बात कर सकता है। काफी देर तक दोनों बाते करते रहे कुछ देर बाद शगुन ऊपर आयी तो उसने गुड्डू और अपने पापा को साथ बैठे हँसते मुस्कुराते देखा तो ख़ुशी हुई। गुप्ता जी ने शगुन को आने का इशारा किया तो शगुन ने इशारे में उन दोनों को साथ बैठने को कहा और अपने कमरे में चली गयी। गुड्डू अभी बात कर ही रहा था की उसका फोन बजा गुड्डू ने जेब से फोन निकालकर देखा गोलू का फोन था
“हम आते है”,गुड्डू कहते हुए उठा और फिर दूसरी और चला गया। गुड्डू को हँसते मुस्कुराते फ़ोन पर बाते करते देखकर गुप्ता जी ने मन ही मन कहा,”महादेव आपके सारे सपने पुरे करे और आपको हर ख़ुशी दे”
“पापा क्या हुआ आप ऐसे क्यों मुस्कुरा रहे है ?”,शगुन ने उनके सामने पानी का जग रखते हुए कहा
गुप्ता ने देखा शगुन खड़ी है तो उसका हाथ पकड़ कर उसे पास बैठा लिया और कहा,”शगुन एक सवाल पूछना है तुमसे”
“पूछिए ना पापा”,शगुन ने सहजता से कहा
“गुड्डू जी के साथ खुश हो न तुम ?”,गुप्ता जी ने कहा तो शगुन सामने खड़े गुड्डू को देखने लगी जो की हँसता मुस्कुराता गोलू से बात करने में बिजी था। गुड्डू से नजरे हटाकर शगुन ने अपने पापा की और देखा और कहा,”हां पापा मैं बहुत खुश हूँ की मुझे उनके जैसा हमसफर मिला है”
“बस यही सुनना था मुझे , गुड्डू जी को तुम्हारे चुनना सही फैसला था मेरा”,गुप्ता जी ने कहा
शगुन ने अपने पापा के दोनों हाथो को अपने हाथ में लिया और कहने लगी,”आप एक पिता है आप कोई गलत फैसला ले ही नहीं सकते है पापा , गुड्डू जी अच्छे है , मेरी हर जरूरत का ख्याल रखते है , बस कभी कभी थोड़े से नासमझ हो जाते है”
शगुन की बात सुनकर गुप्ता जी मुस्कुराये और कहा,”फिर तो तुमने अभी उन्हें ठीक से जाना नहीं है बेटा , वे बहुत समझदार लड़के है”,गुप्ता जी ने कहा
“मतलब ?”,शगुन ने थोड़ा हैरानी से कहा क्योकि उसने अब तक जो देखा था उसके हिसाब से तो गुड्डू में बहुत सारी कमिया थी। गुप्ता जी ने एक नजर गुड्डू को देखा और फिर शगुन को शादी के दिन वाली बात बताने लगे।
उधर गुड्डू ने गोलू का फोन उठाया और बता करने लगा तो गोलू ने कहा ,”यार गुड्डू भैया , यार मन नहीं लग रहा है तुम्हाये बिना”
“काहे ? हमहू तुम्हायी दुल्हन है जो मन नहीं लग रहा है”,गुड्डू ने गोलू की टाँग खींचते हुए कहा
“अरे यार तुमहू भी का चिकाई कर रहे हो ? अच्छा छोडो इह सब बात उह तुम्हाये दोस्त से बात हुयी थी हमायी , तो तुमहू जा रहे हो ना कल लखनऊ उनसे मिलने ?”,गोलू ने उधर से कहा
“कहा यार गोलू , निकलना ही नहीं हो पा रहा है यहाँ से”,गुड्डू ने बुझे मन से कहा
“निकलना नहीं हो पा रहा है या भाभी को छोड़ के जाने का मन नहीं है तुम्हारा ?”,गोलू ने गुड्डू को छेड़ते हुए कहा
“का बे कुछ भी ? काम पे ध्यान दो बेटा”,कहते हुए गुड्डू ने एक नजर अपने पापा के पास बैठी शगुन पर डाली और फिर वापस पलट गया।
“अरे मजाक कर रहे है भैया , कल सुबह निकल जाओ लखनऊ का परेशानी है शाम तक कानपूर आ जाना”,गोलू ने कहा
“सुबह तो हमको प्रीति के साथ जाना है , उसने प्रॉमिस किया है अगर नहीं गए तो पुरे घर को सर पर उठा लेगी वो”,गुड्डू ने कहा
“जे भी सही है , इकलौती साली है यार आपकी और वैसे भी प्रीति जी तो हमारी अपनी है उनका दिल नहीं दुखाना”,गोलू ने बातो में थोड़ा शहद घोलते हुए कहा
“वाह बेटा गोलू कभी प्रीति कभी प्रीति बहन आज सीधा प्रीति जी , तुम्हरा चक्कर कुछो समझ नहीं आ रहा है हमे”,गुड्डू ने कहा
“अरे इह सब छोडो भैया तुम्हाये लिए ऐसी खबर है सुनोगे तो ख़ुशी से झूम उठोगे”,गोलू ने एक्साइटेड होकर कहा
“क्यों का हुआ ? पिंकिया की सादी हो गयी ?”,गुड्डू ने अपनी और से दिमाग लगाते हुए कहा
गोलू ने सूना तो उसकी सारी एक्साइटमेंट खत्म हो गयी और उसने गुड्डू को गाली देते हुए कहा,”कीड़े पड़े तुम्हाये मुंह में गुड्डू मिश्रा”
“अरे का हो गया गोलू काहे बिलबिला रहे हो यार , बताओ ना बात का है ?”,गुड्डू ने कहा
“गुड्डू भैया कमाल हो गया धमाल हो गया,,,,,,,,,,रमेश को जो पटक पटक के धोया है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने खुश होकर कहा लेकिन वह अपनी बात पूरी करता इस से पहले ही गुड्डू ने कहा,”किसने तुमने ?”
“यार गुरु तुमहू ना मजा किरकिरा ना करो बीच में बोलकर पहिले हमायी बात सुनो”,गोलू ने कहा
“अच्छा बताओ का हुआ ?”,गुड्डू ने शांति से कहा तो गोलू ने रमेश वाली बात गुड्डू को बता दी जबकि मिश्रा जी ने गोलू को मना किया था। गुड्डू ने सूना तो उसे अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हुआ उसने हैरानी से कहा,”का गोलू सच कह रहे हो ? मतलब पिताजी को सच पता था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अबे हमे तो पता ही नहीं था हमाये पिताजी का इतना भौकाल है कानपूर में”
“हैं ना गजब की खबर , गुड्डू भैया बेफिक्र हो जाओ अब रमेश का मेटर क्लोज है”,गोलू ने कहा
“जिओ गोलू अच्छी खबर सुनाये हो और सुनो अपना ख्याल रखना जल्दी ही आएंगे कानपूर”,गुड्डू ने कहा
“ठीक है भैया हम रखते है तुमहू भी ख्याल रखना”,कहकर गोलू ने फोन काट दिया। गुड्डू ने फोन जेब में रखा और जैसे ही जाने लगा प्रीति गुड्डू के लिए आइसक्रीम ले आयी और दोनों बातें करते हुए खाने लगे। प्रीति से बात करते हुए गुड्डू को महसूस हुआ की वो बहुत समझदार और प्यारी है बिल्कुल वेदी की तरह।
उधर जब शगुन को शादी वाले दिन का सच पता चला तो शगुन की नजरो में गुड्डू की इज्जत और बढ़ गयी। गुड्डू ने शगुन का घर बिकने से बचाया और आज तक उसने शगुन को इस बात का अहसास तक नहीं होने दिया सोचकर ही शगुन के मन में गुड्डू के लिए भावनाये और स्ट्रांग होने लगी। शगुन को चुप देखकर गुप्ता जी ने कहा,”गुड्डू जी खरा सोना है शगुन जहा आजकल लड़के शादी में दहेज़ ना मिलने से शादी तोड़ देते है वही गुड्डू जी ने इस शादी को भी बचाया और इस घर को भी,,,,,,,,,,,,इतने बड़े दिल वाला लड़का हमने कभी नहीं देखा।”
“हां पापा इनका दिल बहुत बड़ा है , महादेव का शुक्रिया अदा करुँगी की उन्होंने मेरी जिंदगी में इन्हे भेजा”,शगुन ने कहा
“तो फिर एक काम करना कल सुबह गुड्डू जी के साथ घाट जाकर पूजा कर आना ताकि तुम दोनों के रिश्ते को किसी की नजर ना लगे”,गुप्ता जी ने कहा
“हम्म्म्म”,शगुन ने धीरे से कहा
“अच्छा बेटा रात बहुत हो चुकी है मैं सोने जा रहा हूँ”,कहकर गुप्ता जी वहा से चले गए। शगुन वही बैठी प्यार से गुड्डू को देखती रही , अब तक जिस गुड्डू को वह लापरवाह और मासूम समझ रही थी उसका असली चेहरा आज उसके सामने आया था जो गुड्डू ने सबसे छुपा रखा था। शगुन को अकेले बैठे देखकर गुड्डू ने उसे अपनी और आने का इशारा किया। शगुन उठी और गुड्डू की और चली आयी जैसे जैसे वह गुड्डू की और बढ़ रही थी गुड्डू के लिए उसके मन में भावनाये भी बढ़ती जा रही थी। शगुन गुड्डू के पास आयी तो वहा रखी एक और कप शगुन की और बढ़ा दी। शगुन ने मना कर दिया क्योकि उसे आइसक्रीम से एलर्जी थी गुड्डू ने वापस रख दी शगुन और गुड्डू को साथ देखकर प्रीति ने वहा से जाना सही समझा इसलिए नींद आने का बहाना करके वह वहा से चली गयी। शगुन ने गुड्डू की और देखा और कहा,”थैंक्यू !”
“थैंक्यू काहे ?”,गुड्डू ने आइसक्रीम खाते हुए कहा
“वजह बताएँगे तो थैंक्यू की कोई वेल्यू नहीं रहेगी , बस थैंक्यू”,शगुन ने कहा तो गुड्डू मुस्कुरा दिया !

क्रमश – मनमर्जियाँ – 87

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संजना किरोड़ीवाल

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