Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – 42

Manmarjiyan – 42

Manmarjiyan - 42

Manmarjiyan – 42

चाय नाश्ते के बाद सभी वापस गाड़ियों में आ बैठे और रवाना हो गए। खाने के बाद तो गुड्डू के लिए सोना और जरुरी हो गया लेकिन इस बार वह सोनू की बगल में बैठा ताकि फिर से उसका सर शगुन के कंधे से ना लगे और वह चैन से सो सके। शगुन भी अब तक काफी थक चुकी थी इसलिए वेदी के कंधे पर सर रखकर सो गयी और गोलू शगुन की बगल में बैठा गुड्डू के फोन से पिंकी की तस्वीरें और मेसेज डिलीट करने में लगा हुआ था। शगुन गुड्डू आराम से सो रहे थे , वेदी भी सो रही थी और सोनू भैया मस्त धीमी आवाज में गाने सुनते हुए गाड़ी चला रहे थे। गोलू बस गुड्डू के फोन में घुसा हुआ था।
शाम 4 बजे सभी गाड़िया कानपूर पहुंची। मिश्राइन ने गुड्डू और उसकी दुल्हन के स्वागत के लिए सभी तैयारियां कर रखी थी। गुड्डू की गाड़ी घर के सामने पहुंची सोनू भैया ने गाड़ी साइड में लगायी सभी नीचे उतरे। गुड्डू शगुन के साथ चलकर घर के दरवाजे पर आया ,, पुरे मोहल्ले की औरते मिश्राइन के साथ वही मौजूद थी। सभी नजरे बस शगुन पर थी , सुन्दर नैन नक्श और सादगी से भरी शगुन को देखकर सभी गुड्डू की किस्मत की तारीफ करने लगे। गुड्डू शगुन के बराबर में खड़ा था। मिश्राइन ने दोनों की बलाये ली और फिर आरती उतारने लगी। शगुन को देखकर सब कनपुरिया भाषा में कुछ ना कुछ बोले जा रही थी और शगुन को बहुत कम समझ आ रहा था। मिश्राइन ने दोनों को तिलक किया और फिर अंजलि से कहकर आलता (लाल रंग) से भरी थाली मंगवाई और शगुन से उसमे दोनों पैर रखकर अंदर आने को कहा। शगुन ने अपने पैरो को आलता में भिगोया और अपने पैरो की छाप छोड़ते हुए आगे बढ़ गयी। गुड्डू अंदर आते ही ऊपर जाने लगा तो मिश्राइन ने कहा,”अरे गुड्डू तुमहू कहा जा रहे हो ?”
“सोने जा रहे है अम्मा , अब तो जाने दो”,गुड्डू ने कहा
“अरे बेटा अभी तो रस्मे बाकि है , चलो नीचे आओ वापस”,मिश्राइन ने कहा तो गुड्डू बेमन से वापस चला आया। मिश्राइन गुड्डू और शगुन के साथ सबसे पहले पूजाघर में आयी
गुड्डू और शगुन दोनों को अपने इष्ट देव को प्रणाम करने को कहा। उसके बाद दोनों को लेकर आँगन में चली आयी जहा गुड्डू की बूढ़ा बैठी थी। मिश्राइन ने दोनों को जाकर दादी के पैर छूने को कहा। शगुन ने दादी के पैर छुए तो उन्होंने शगुन को तोहफे में भागवत गीता की किताब दी और कहा,”सुनो बहुरिया इह किताब हमे हमायी सास ने दी थी उस ज़माने में लेकिन हमहू तो पढना नहीं आता था , पर अब तुम आयी हो घर में तो तुमहू रोज पढ़कर हमका सुनाओगी”
“जी दादी माँ”,शगुन ने किताब सर से लगाते हुए कहा।
दोनों ने एक एक करके घर के बड़ो के पैर छूने लगे , शगुन को सबसे तोहफे के रूप में कुछ ना कुछ मिलता जा रहा था और गुड्डू को नहीं तो आखिर में उसने कह ही दिया,”हमाये लिए कोई तोहफा काहे नहीं है ?”
“बेटा इतनी सुन्दर बहुत ला दी तुम्हाये लिए इसके बाद भी तोहफा चाहिए तुमको”,मिश्राइन ने कहा तो सब हंस पड़े और शगुन ने शरमा कर पलके झुका ली। मिश्राइन ने लाजो से अंगूठी वाली रस्म की तैयारी करने को कहा और सभी आकर पूजा घर में बैठ गए। गुड्डू आ बैठा और शगुन उसकी बांयी तरफ आकर बैठ गयी। लाजो ने दूध से भरा बर्तन लाकर गुड्डू और शगुन के सामने रखा , उसमे कुछ फूलो की पत्तिया डाली हुई थी। अंजलि भाभी ने चांदी की अंगूठी गुड्डू और शगुन को दिखाकर कहा,”ये अंगूठी इस बर्तन में डाली जाएगी और आप दोनों को इसे ढूंढना है जिसने पहले ढूंढ लिया वही दूसरे वाले पर जिंदगीभर राज करेगा”
“सोच लो दुल्हिन तुम्ही को जीतना है”,पास बैठी रौशनी की मम्मी ने कहा तो गुड्डू बोल पड़ा,”वाह चाची अभी से दूसरी तरफ हो गयी तुमहू तो”
“अरे बिटवा कोई भी जीते राज तो हमेशा बहुये ही करेगी घर में , चलो चलो रस्म शुरू करो”,चाची ने कहा तो अंजलि ने अंगूठी को बर्तन में डाल दिया और गुड्डू शगुन को ढूंढने का इशारा किया। शगुन और गुड्डू ने अपना अपना हाथ बर्तन में डाला और अंगूठी ढूंढने लगे , पहली बार में अंगूठी शगुन के हाथ में आ गयी ,, शगुन जीत गयी और गुड्डू ने मुंह बना लिया ,, दूसरी बार भी यही हुआ अंगूठी शगुन के हाथ में ही आयी और वो जीत गयी तो पास बैठी अंजलि भाभी ने कहा,”क्या कर रहे हो देवर जी ये आखरी बार है इस बार तो आपको जीतना ही है”
गुड्डू ने कुछ नहीं कहा बस एक नजर शगुन की और देखा और फिर जैसे ही अंजलि ने अंगूठी को बर्तन में डाला तीसरी बार भी अंगूठी शगुन के हाथ में आ गयी , लेकिन यहाँ एक परेशानी और थी अंगूठी भले शगुन के हाथ में थी लेकिन शगुन का हाथ गुड्डू के हाथ की गिरफ्त में था। गुड्डू ने कसकर शगुन का हाथ पकड़ा हुआ था और शगुन से अंगूठी छोड़ने का इशारा किया लेकिन शगुन ने भी अंगूठी नहीं छोड़ी। सब ये नजारा देख रहे थे , कुछ तो गुड्डू की इस हरकत पर मुस्कुरा भी रही थी। मिश्राइन ने देखा तो कहा,”गुड्डू बहु का हाथ काहे पकड़े हो ?”
“इनसे कह दयो अंगूठी छोड़ दे हम भी हाथ छोड़ देंगे , वैसे भी दो बार हार चुके है इनसे”,गुड्डू ने कहा
“बहु छोड़ दो , वैसे भी इह गुड्डू तुम्ही को पहनाने वाला है”,मिश्राइन ने कहा तो शगुन ने अंगूठी छोड़ दी। अंगूठी छोड़ते ही गुड्डू ने भी शगुन का हाथ छोड़ दिया ,, गुड्डू ने अंगूठी निकाली और जीतने की ख़ुशी उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी। मिश्राइन ने वो अंगूठी शगुन को पहनाने को कहा। गुड्डू ने शगुन को अंगूठी पहनाई और कहा,”हो गयी रस्म अब हम जाये”
“नहीं अभी तुम दोनों के हाथो में बंधे धागों को खोलना है”,बगल में बैठी भुआजी ने कहा
“इह मा कोनसी बड़ी बात है , इह तो हमहू खुद ही खोल लेंगे”,कहते हुए गुड्डू ने जैसे ही खोलना चाहा मिश्राइन ने रोक दिया और कहने लगी,”बेटा यही तो रस्म है तुमको खुद नहीं खोलना है तुम्हाये हाथ के धागे बहु खोलेगी और बहु के हाथ का धागा तुम खोलोगे”
“और बेस्ट पार्ट ये है देवर जी आपको एक हाथ से खोलना है”,अंजलि ने कहा तो गुड्डू ने कहा,”इह भेदभाव काहे ?”
“रस्म है”,मिश्राइन ने कहा और रस्म शुरू हुई शगुन ने गुड्डू के हाथ में बंधे धागो को खोल दिया और जब गुड्डू की बारी आयी तो शगुन के हाथ में बंधे धागे बहुत टाइट थे और गुड्डू को एक हाथ से खोलने में परेशानी हो रही थी। सब गुड्डू को छेड़ रहे थे , शगुन ने देखा तो उसने धीर से अपना दुसरा हाथ गुड्डू के हाथ की और बढ़ा दिया और धागे खोलने में उसकी मदद करने लगी,,,,,,,,शगुन को गुड्डू की हेल्प करते देख अंजलि ने कहा,”मौसी ये तो चीटिंग है दुल्हिन देवरजी की मदद कर रही है”
“मैंने कोई चीटिंग नहीं की ना ही गुड्डू जी ने , उन्होंने एक हाथ ही यूज़ किया है और रस्म शुरू होने से पहले किसी ने नहीं कहा की मैं इनकी मदद नहीं कर सकती”,शगुन ने बहुत ही समझदारी से कहा तो मिश्राइन ने उसकी बलाये लेकर कहा,”देखा कितनी समझदार है हमायी बहु”
धागे खुल चुके थे और कुछ छोटी मोटी रस्मो के बाद गुड्डू भी आजाद हो चुका था। वह सबके बीच से उठा और पूजाघर से बाहर चला आया। शाम के 6 बज रहे थे , गुड्डू बुरी तरह थक चुका था ,, वह जैसे ही सीढ़ियों की और जाने लगा मिश्रा जी की नजर उस पर पड़ी और उन्होंने कहा,”गुड्डू हिया आओ”
“अब इनको क्या काम है यार ?”,गुड्डू ने मन ही मन झल्लाते हुए कहा और मिश्रा जी के पास आकर कहा,”जी पिताजी”
“लड़कियों की तरह मुंह छिपाकर कहा जा रहे हो ?”,मिश्रा जी ने कहा
“ऊपर जा रहे है सोने”,गुड्डू ने मुंह लटकाकर कहा
“देखो बेटा अब तुमहू वो गुड्डू नहीं रहे जिसे जब चाहें डांट लेते थे , तुम्हायी शादी हो चुकी है बहु के सामने तुम्हायी इज्जत रहनी चाहिए ,, जिम्मेदार बनो यार चलो चलकर वहा मर्दो में बैठो”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू मन ही मन रोने लगा कोई उसे सोने क्यों नहीं दे रहा था ? गुड्डू आकर सोफे पर बैठ गया जहां घर के कुछ बड़े बैठे थे ,, कुछ देर बाद जैसे ही वे सब उठकर गये गोलू और मनोहर आकर गुड्डू के अगल बगल बैठ गए और मनोहर ने कहा,”गुड्डू बेटा आज की रात तो तुम्हायी जिंदगी की सबसे हसीन रात होगी”
“मतलब ?”,गुड्डू ने कहा
“मतलब इह की बेड के दोनों साइड से उतरने के दिन अब गए तुम्हारे”,गोलू ने भी गुड्डू के मजे लेते हुए कहा
“अबे का बोल रहे हो तुमहू दोनों सीधा सीधा बोलो ना”,गुड्डू ने झल्लाकर कहा
“हम कह रहे है आज तो तुम्हायी सुहागरात है तो तुम कहो तो कुछ टिप्स दे सकते है तुमको”,मनोहर ने दबी आवाज में गुड्डू से कहा
“भक्क साले !! का बकवास कर रहे हो ?”,गुड्डू ने कहा
“अबे शरमा काहे रहे हो ? शादी हुई है तो सुहागरात भी होगी क्यों गोलू गुप्ता का कहते हो ?”,मनोहर ने गोलू से कहा तो गोलू ने खींसे निपोरते हुए कहा,”अब हम का बताये भैया हमायी शादी थोड़े हुई है”
“शादी तो इसकी भी नहीं हुई है लेकिन ये तो भरा पड़ा है”,गुड्डू ने मनोहर को घूरते हुए कहा
“कमाल करते हो यार गुड्डू अब दोस्तों से ऐसी बातें नहीं करेंगे तो और किस से करेंगे बताओ ? और तुम बताओ गोलू इह सब बातें करना गलत है का ?”,मनोहर ने कहा
“अरे गुड्डू भैया काहे गरमा रहे हो हमारे मनोहर भैया पर , 10 दिन बाद तुम्हाये जीजा बनकर आने वाले है इसी गली में,,,,,,!!”,गोलू ने कहा तो मनोहर हसने लगा और फिर गुड्डू भी हंस पड़ा। तीनो बैठकर बाते करने लगे लेकिन मन ही मन गुड्डू अब घबरा रहा था। अब तक वह शगुन से बचता फिर रहा था लेकिन रहना तो उसे अब शगुन के साथ ही था वो भी एक ही कमरे में ,, और जिस तरह की बातें मनोहर और गोलू कर रहे थे गुड्डू जानता था इन सब बातो से वह ज्यादा दिन बच नहीं पायेगा। रात हो चुकी थी खाना लगा सबने खाना खाया और गुड्डू नीचे ही रुक गया ताकि फिर से कोई उसे न टोके। वेदी , रौशनी और अंजलि भाभी शगुन को लेकर ऊपर उनके यानी गुड्डू के कमरे में आयी। वेदी ने शगुन को अपने साथ लाया लहंगा और मैचिंग के गहने दिए जो उसे आज रात पहनने थे ,, ये लहंगा वजन में लाइट था। शगुन फ्रेश होकर कपडे बदल सके इसलिए तीनो बाहर चली आयी और बाते करती हुई खिलखिलाने लगी। शगुन ने भारी-भरकम लहंगा और गहने उतारकर रखे और नहाकर वेदी के लाये हुए कपडे गहने पहन लिए। उसने दरवाजा खोल दिया तो तीनो वापस अंदर चली आयी। इस नए लहंगे में भी शगुन बहुत प्यारी लग रही थी ,, जब शगुन अपने बाल बनाने लगी तो वेदी ने कहा,”लाईये भाभी हम बना देते है”
शगुन ने कंघी वेदी की और बढ़ा दी। वेदी शगुन के बाल बनाने लगी। अंजलि और रौशनी भी वहा आकर बैठ गयी। शगुन ने देखा पूरा कमरा फूलो से सजा हुआ है ,, दिवार पर गुड्डू की तस्वीरें लगी है ,, अब बड़ा कबर्ड है और ड्रेसिंग था जिसके शीशे वाले बॉक्स में ना जाने कितने ही मेन डियो रखे हुए थे। शगुन को खामोश बैठे देखकर अंजलि ने कहा,”मौसी जी बता रही थी की देवर जी को सजने सवरने का बहुत शौक है , कपडे , जूते और परफ्यूम तो ना जाने कितने होंगे उनके पास”
“हां भाभी ये तो सही है पिताजी हमे कभी इतना सब लेने नहीं देते लेकिन गुड्डू भैया को कभी मना नहीं करते है”,वेदी ने कहा तो शगुन ने मुस्कुराते हुए कहा,”आपके लिए मैं ले आउंगी”
“थैंक्यू भाभी”,वेदी ने शगुन को हग करते हुए कहा कुछ देर वही बैठे रहने के बाद अंजलि ने घडी में टाइम देखते हुए कहा,”वेदी चलो दुल्हिन काफी थक गयी होंगी , इन्हे आराम करने देते है”
“हां भाभी चलिए”,वेदी ने उठते हुए कहा और फिर तीनो वहा से बाहर चली गयी। शगुन कमरे में अकेले थी वह उठी और शीशे के सामने आकर खुद को देखा ,, रोजाना से ज्यादा चमक रहा था उसका चेहरा , आँखों में गुड्डू के लिए इंतजार था और पलके शर्म के मारे बार बार झुकी जा रही थी। शगुन कमरे का जायजा लेने लगी ,, दिवार पर लगी गुड्डू की तस्वीरों के सामने आयी और कहने लगी,”सब बहुत परेशान करते है ना आपको , बहुत छेड़ते है पर आप नहीं जानते की सब आपसे बहुत प्यार करते है। पापा कह रहे थे की आप बहुत समझदार है ,, मैं खुश हूँ की मैं यहाँ हूँ आपकी जिंदगी में पर आप कहा रह गए ,, आप नहीं जानते मुझे आपसे कितनी सारी बातें करनी है , आपको अपने बारे में बताना है , आपसे आपके बारे में जानना है , कितना कुछ है कहने सुनने के लिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
शगुन गुड्डू की तस्वीरों को देखते हुए उसके बारे में सोच रही थी तभी उसका फोन बजा। शगुन ने आकर फोन उठाया देखा प्रीति का फोन था शगुन ने कहा,”हैलो प्रीति , कैसी हो ? पापा कैसे है ? ज्यादा परेशान तो नहीं है ना वो ? मेहमान है या गए ? भाभी को कुछ दिन के लिए रोक लेना अपने पास ताकि खालीपन ना लगे तुम्हे”
प्रीति – अरे दी ब्रेक लगाओ ,, एक साँस में सब बोल दिया
शगुन – सॉरी ,, सुबह से अब बात हुई ना तुमसे इसलिए
प्रीति – दी आप पहुँच गए ना अच्छे से ?
शगुन – हां अभी गुड्डू जी के कमरे में ही है
प्रीति – मैंने डिस्टर्ब तो नहीं किया ना आप दोनों को
शगुन – नहीं प्रीति गुड्डू जी अभी नीचे है , तुम बताओ
प्रीति – आपकी बहुत याद आ रही है दी
शगुन – मुझे भी ,,,,,, यहाँ सब लोग बहुत अच्छे है प्रीति वेदी तो बिल्कुल तुम्हारी तरह है और गुड्डू जी की मम्मी वो भी बहुत अच्छी है।
प्रीति – सुनकर अच्छा लगा दी बस उन्हें कभी शिकायत का मौका मत देना
शगुन – अच्छा बेटा एक दिन में ही इतनी बड़ी ज्ञानी बन गयी हो तुम
प्रीति – क्या करू दी ? किसी को तो आपके कंधो का भार सम्हालना था ना (प्रीति ने कहा तो शगुन हंस पड़ी)
शगुन – नौटंकी है तू सच में , अच्छा पापा ठीक है
प्रीति – हां वो बिल्कुल ठीक है कल सुबह बात करेंगे आपसे ,, काफी थक गए थे ना इसलिए सो गए है
शगुन – तू पापा का ख्याल रखना उनकी दवाईयों टाइम पर देती रहना
प्रीति – अरे दी मैं हु ना सब सम्हाल लुंगी , ये सब छोडो मुझे तो ये बताओ की गुड्डू जीजू ने आपको क्या तोहफा दिया मुंह दिखाई में ?
शगुन – अभी वो नीचे है घरवालों के साथ , जब देंगे तब सबसे पहले तुम्हे ही बताऊगी
प्रीति – वो तो मैं आपसे उगलवा लुंगी ,, वैसे दी कैसा लग रहा है शादी करके ? (शरारत से पूछती है)
शगुन – सच बताऊ प्रीति तो बहुत घबराहट हो रही है , गुड्डू जी से अभी तक ठीक से बात भी नहीं हुयी है ऐसे में जब वो सामने होते है तो आवाज ही नहीं निकलती है ,,,,,, अभी भी दिल बहुत जोरो से धड़क रहा है
प्रीति – अरे दी होता है धीरे धीरे सब नार्मल हो जाएगा , वैसे भी मेरे जीजू इतने हेंडसम है की उनके सामने अच्छे अच्छा की बोलती बंद हो जाती है
शगुन – अच्छा प्रीति मैं तुम्हे सुबह फोन करती हूँ
प्रीति – ठीक है दी , अपना ख्याल रखना ,, गुड़ नाईट
शगुन – तू भी अपना और पापा का ख्याल रखना , रखती हूँ
कहकर शगुन ने फोन काट दिया। गुड्डू नीचे आँगन में टहल रहा था। ऊपर उसके कमरे में शगुन है ये जानने के बाद उसकी अपने कमरे में जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। तभी मिश्रा जी ने देखा और उसे बुलाकर कहा,”हिया का कर रहे हो ? कुछ देर पहिले तो बड़ी जल्दी थी तुमको ऊपर जाने की अब हिया टहल के का धरती को चपटा कर रहे हो ,, बहु ऊपर है चलो जाओ”
गुड्डू सुनकर चुपचाप जाने लगा तो मिश्रा जी ने उसे रोका और कहा,”अपनी शादी-शुदा जिंदगी की नयी शुरुआत करने जा रहे हो , पिछली बातें भूलकर आगे बढ़ोगे तो तुम्हारे लिए अच्छा है ,, बहु अच्छी है उसका दिल दुखाने की कभी सोचना भी मत,,,,,,,,,,,,,,,का समझे”
“हम्म्म्म समझ गए”,गुड्डू ने धीरे से कहा और सीढ़ियों की और बढ़ गया। मिश्रा जी भी वहा से चले गए ,, गुड्डू अभी दो सीढिया चढ़ा ही होगा की उसका फोन बजा गुड्डू ने देखा किसी अननोन नंबर से फोन है , गुड्डू ने फोन उठाया दूसरी तरफ से किसी ने जैसे ही कुछ कहा , सुनते ही गुड्डू के चेहरे का रंग उड़ गया और उसने कहा,”हम अभी आते है”

क्रमश – manmarjiyan-43

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संजना किरोड़ीवाल

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