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मनमर्जियाँ – 4

Manmarjiya – 4

मनमर्जियाँ

By Sanjana Kirodiwal

महिला विश्वविद्यालय के बाहर खड़ा गुड्डू बड़े प्यार से पिंकी को देखे जा रहा था। कॉलेज की छुट्टी का वक्त था जैसे ही पिंकी की नजर गुड्डू पर पड़ी वह उसकी और चली आयी। पिंकी को अपनी और आता देखकर गुड्डू के दिल की धड़कने तेज होने लगी। वह दूसरी और देखने लगा। पिंकी गुड्डू के पास आयी और कहा,”तुम वो मिश्रा जी के लड़के हो ना ?”
“हम्म्म्म”,गुड्डू ने कहा
“तुम हमारा पीछा कर रहे हो ?”,पिंकी ने पूछा
“नहीं , हम काहे पीछा करेंगे तुम्हारा ?”,गुड्डू सफ़ेद झूठ बोल गया
“अच्छा , तो फिर यहाँ क्या कर रहे हो ? गर्ल्स कॉलेज के बाहर”,पिंकी ने अपने दोनों हाथो को बांधकर गुड्डू को लगभग घूरते हुए कहा
“हम,,,,,,,,,,,,,,,,,हम वो,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम,,,,,,,,,,,,,हम अपनी बहन लेने आये है”,गुड्डू ने सामने से आती वेदी को देखकर कहा। पिंकी ने पलटकर देखा पीछे वैदिका चली आ रही थी। पिंकी ने कुछ नहीं कहा और जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”सुनो ! तुमहू कह रही की हम तुम्हरा पीछा कर रहे है , मतलब तुम हमका नोटिस करी थी”
“अब रोज रोज हमारे घर के सामने से चक्कर लगाओगे तो नजर में तो आओगे ना”,पिंकी ने पलटकर कहा तो गुड्डू शरमाकर अपनी गर्दन सहलाने लगा। पिंकी का रिक्शा आ गया और वह उसमे बैठकर चली गयी। वेदी ने गुड्डू को देखा तो हैरान होकर कहा,”अरे भैया आप यहाँ ?”
“हां वो इधर से गुजर रहे थे तो सोचा तुमको भी साथ ले चले , आओ बैठो”,गुड्डू ने चश्मा लगाते हुए कहा
“अरे वाह भैया क्या बात है , आजकल मुझपर बड़ा प्यार आ रहा है आपको ? “,वेदी ने गुड्डू के पीछे बैठते हुए कहा
गुड्डू ने बाइक स्टार्ट की और घर की और चल पड़ा। दोपहर के 2 बजे दोनों भाई-बहन घर पहुंचे। वेदी हाथ मुंह धोने चली गयी , गुड्डू ने अपनी शर्ट निकालकर आँगन में टांग दी हाथ मुंह धोकर आया और कुर्सी पर बैठते हुए कहा,”अम्मा खाना लगाय दयो”
“हां बैठो अभी लेकर आती हूँ”,अंदर रसोई से मिश्राइन ने कहा। कुछ देर में दादी माँ उठकर बाहर आयी और आकर गुड्डू के पास पड़े तख्ते पर बैठ गयी। उन्हें वहा देखते ही गुड्डू ने कहा,”का बुढ़ऊ ? आज सोई नहीं”
“अरे ठुमरी अम्मा जब तक रसोई में खटपट खटपट करेगी तब तक कैसे सो पाई है ?”,दादी ने नाराजगी जताते हुए कहा
“काम होगा तो आवाज तो होगी ना अम्मा”,मिश्राइन ने गुड्डू के सामने खाने की थाली रखते हुए कहा , वेदी भी आ पहुंची और मिश्राइन ने उसके लिए भी खाना लगा दिया। दोनों ने खाना शुरू किया आज सब्जी गुड्डू के पसंद की बनी थी “भिंडी” जिसे वह बड़े चाव से खा रहा था !
“अच्छा ठीक है एक ठो चाय पीलाय दयो ,, आज ठण्ड बहुते तेज है”,दादी ने कहा
“लाजो , अम्मा के लिए चाय चढ़ा दो और उसके बाद लेकर खाना खाय ल्यो”,मिश्राइन ने बैठते हुए कहा
“आज आनन्दा घर नहीं आया ?”,दादी ने कहा
“उह्ह शोरूम में है ना अम्मा रोज ही भूल जाती हो आप”,मिश्राइन ने कहा
“अरे सब उम्र का असर है , तुम आयी हो इस उम्र में तो तुमहू भी कछु याद ना रख पाई हो बहू”,दादी ने कहा
“काहे उम्र को दोस दे रही बुढ़ऊ ? चपाती तो तुमहू एक बख्त में 4 4 खा लेओ”,गुड्डू ने कहा तो दादी ने मुंह बना लिया। ये देखकर गुड्डू ने एक टुकड़ा तोड़ा और दादी को खिलाते हुए कहा,”अरे का बूढ़ा तुम्ही तो हो हमाई डार्लिंग जिस से मजाक करते है इस घर में , अब तुम्ही मुंह बना के बैठ जाई हो तो हमार का होइ ?”
“चल चल बेशर्म दादी को डार्लिंग बोलता है”,दादी ने उसे साइड करते हुए कहा
“गुडुआ काहे परेसान कर रहे हो अम्मा को”,मिश्राइन ने गुड्डू को साइड करते हुए कहा। और खुद तेल की कटोरी लेकर अम्मा के पैरो के पास बैठ गयी और कहा,”लाओ अम्मा आपके पैरो में तेल मल दे”
लाजो अम्मा के लिए चाय ले आयी और उनके पास रखकर चली गयी। गुड्डू ने खाना खाया और अपना शर्ट लेकर ऊपर चला आया। कमरे में आकर उसने शर्ट को बिस्तर पर फेंका और खुद शीशे के सामने खड़े होकर बालो में हाथ घुमाते हुए कहने लगा,”का लग रहे हो मिश्रा जी ? इह सुरत पे तो पूरा कानपूर फ़िदा हो जाई पर साला पिंकिया ही नाय पिघल रही , लेकिन आज उसने जो कहा उस से तो यही मालूम पड़ता है की पिंकिया नोटिस तो करती है हमको , वरना आज खुद चलके बात नहीं करती। तुम्हारा मामला सेट है गुड्डू मिश्रा इस बेलेँटाईन मस्त तरीके से पिंकिया को प्रपोज करो और पिंकिया तुम्हाई”
गुड्डू इकलौता ऐसा लड़का होगा जो घंटो शीशे के सामने खड़े होकर खुद को निहारा करता था। अपनी तारीफ के पूल बांधने में उसे बड़ा सुकून मिलता था। शीशे के सामने से हटकर गुड्डू बिस्तर पर आकर लेट गया दोनों हाथो को सर के नीचे लगा लिया और वेलेंटाइन डे के बारे में सोचने लगा !

वेलेंटाइन डे से एक दिन पहले गुड्डू ने पूरी रात जागकर पिंकी के लिए लैटर लिखा। सुबह जल्दी उठकर नहाया और नया शर्ट नयी जींस पहनी , हाथ में वही रुद्राक्ष की ब्रासलेट , महंगा वाला अच्छा परफ्यूम लगाया और बालो को जेल लगाकर सेट किया। शीशे के सामने खुद को देखते हुए कहने लगा,”वाह मिश्रा जी का कमाल लग रहे हो बस पिंकिया मान जाये”
गुड्डू ने अपनी किताबे उठायी और घर से निकल गया। मिश्रा जी उस वक्त बाथरूम में थे इसलिए गुड्डू को देख नहीं पाए। नुक्कड़ पर ही उसे गोलू मिल गया और पीछे बैठते हुए कहा,”चलो भैया आज शुभारम्भ हो ही जाये तुम्हरी कहानी का”
“भोलेनाथ से दुआ करो बे की पिंकिया मान जाये , सारी रात जागकर उसके लिए इह प्रेम पत्र लिखे है”,गुड्डू ने कहा
“थू ,,,,,,,, प्रेम पत्र,,,,,,,,,,,,,,,,तुमको लगता है पिंकिया तुमरा इह कागज का टुकड़ा देखकर खुश हो जाएगी और तुमरे गले आ लगेगी,,,,,,,,,,,,सोचो भी मत गुरु,,,,,,,,,,,,,इह नए ज़माने वाला इश्क़ है बिना खर्चा किये गाड़ी आगे नहीं बढ़ेगी”,गोलू ने कहा
“तो अब ?”,गुड्डू ने पूछा
“बाइक स्टार्ट करो और वहा चलो जहा हम बताते है”,गोलू ने कहा
गोलू गुड्डू को लेकर एक दुकान पर आया और दुकानदार से कहा,”एक ठो बढ़िया सा बेलेंटाइन का कार्ड निकाल दयो , साथ में एक बढ़िया टेडी बियर और 150 वाली चॉकलेट”
“का भैया , गर्लफ्रेंड को दी हो ?”,दुकानदार ने पूछ लिया
“नहीं तुम्हाये पिताजी के लिए चाहिए , अबे काम करो अपना जो कहा है निकाल के दो”,गोलू ने कहा तो लड़का झेंप गया और सामान निकालने लगा। उसने सामान एक बैग में डाला और कहा,”570 रूपये”
गोलू ने गुड्डू की और देखा तो गुड्डू ने अपना पर्स निकालकर गोलू को थमा दिया। गोलू ने सामान लिया पैसे चुकाए और गुड्डू के साथ बाहर आकर कहा,”इह लो भैया अब इह देना पूरे कॉन्फिडेंस में अपनी पिंकिया को , देखना ना नहीं कहेगी”
“गोलुआ तुम दोस्त नहीं बे जान हो जान , एक बार पिंकिया हां बोल दे फिर जबर पार्टी देंगे तुमको”,गुड्डू ने गोलू को गले लगाते हुए कहा
“ठीक है ठीक है ज्यादा चिपको नहीं , और जल्दी से चलो महिला विश्वविद्यालय”,गोलू ने कहा और दोनों गुड्डू की बाइक से पिंकी के कॉलेज के सामने पहुंचे। वही बैठकर दोनों पिंकी के आने का इंतजार करने लगे। इस बीच गुड्डू ने ना जाने कितनी ही बार बाइक के साइड मिरर में देखकर अपने बालो को संवारा , कभी शर्ट सही करता तो कभी जूते , उसकी बेचैनी देखकर गोलू ने कहा,”अरे भैया आजायेगी इतना बैचैन काहे हो रहे हो ?”
“पहली बार किसी लड़की के लिए इह सब कर रहे है , तू नहीं समझेगा गोलू”,गुड्डू ने कहा

“अच्छा ! बेटा हम नहीं समझते ना तो आज हिया नहीं होते तुम , खैर छोडो तुम पिंकिया का इंतजार करो तब तक हम चाय पीकर आते है”,कहकर गोलू वहॉ से चला गया !
गुड्डू वही बाइक पर बैठा पिंकी के आने का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद पिंकी उसे अपनी सहेलियों के साथ आते दिखाई दी , गुड्डू के दिल की धड़कने बढ़ गयी वह बाइक से उतरा बालों में हाथ घुमाया और पिंकी की और बढ़ गया। गुड्डू को अपनी और आते देखकर पिंकी ने अपनी सहेलियों से जाने का इशारा किया। गुड्डू पिंकी के सामने आया और कार्ड पिंकी की और बढाकर कहा,”हैप्पी वेलेंटाइन डे”
पिंकी ने कुछ नहीं कहा और कार्ड ले लिया , जैसे ही जाने लगी गुड्डू ने कहा,”सुनो !”
“हम्म्म”,पिंकी ने पलटकर कहा तो गुड़ ने टेडी उसके सामने करके कहा,”वो इह भी हम तुमरे लिए ही लाये थे”
“हम्म्म ठीक है”,पिंकी ने उसके हाथ से टेडी ले लिए तो गुड्डू ने जल्दी से जेब से चॉकलेट निकालकर कहा,”इह इह भी तुमरे लिए ही लिए थे”
“और कछु लिए हो तो उह भी दे दो”,पिंकी ने कहा तो सहसा ही गुड्डू का हाथ शर्ट की जेब पर चला गया , लेकिन मन में एक उलझन की पिंकी को वह पत्र दे या ना दे , उसे उलझन में देखकर पिंकी ने कहा,”अच्छा तो मैं चलती हूँ”
“पिंकी”,गुड्डू ने कहा
“अब क्या है गुड्डू ?”,पिंकी ने पलटकर कहा
“वो हमने तुम्हारे लिए कुछ लिखा है”,कहते हुए गुड्डू ने अपनी जेब से पत्र निकालकर पिंकी को थमा दिया ! पिंकी ने उसे भी कार्ड में रखा और कहा,”ठीक है”
“जवाब,,,,,,,,,,,,,,,,कछु जवाब नहीं दोगी तुम”,गुड्डू ने कहा
“आज शाम में मोती झील मिलना , तुम्हे जवाब मिल जाएगा”,पिंकी ने कहा और चली गयी !

गुड्डू की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा उसने कभी सोचा नहीं था पिंकी इतनी जल्दी उसके प्रपोजल को स्वीकार कर लेगी। गोलू जैसे ही चाय पीकर आया गुड्डू ने उसके सामने ख़ुशी से उछलते हुए कहा,”गोलू तुम्हारा आइडिया तो काम कर गया बे , पिंकिया ने झील बुलाया है आज शाम में”
“का ? सच्ची ? खाओ हमरी कसम”,गोलू ने कहा
“अबे तुम्हाई कसम उसने कहा है आज शाम में वही जवाब देगी”,गुड्डू ने खुश होकर कहा
“चलो भैया इह तो बहुते अच्छा हुआ जियादा पापड़ नहीं बेलने पड़ेंगे तुमको , तुम्हारा तो जुगाड़ हो गवा अब हम भी कोई अपने लिए देख ले”,कहते हुए गोलू ने इधर उधर नजर दौड़ाई तभी एक लड़की आती दिखी , गोलू ने पास ही पौधे पर लगा फूल तोडा और लड़की की और बढ़ गया। अगले ही पल गोलू के गाल पर एक थप्पड़ आकर पड़ा और गोलू गाल सहलाते हुए गुड्डू की और आया और कहा,”मना कर देती थप्पड़ मारना जरुरी था क्या ?”
“बिना जान पहचान के किसी लड़की को अइसन फूल दोगे तो थप्पड़ ही खाओगे ना बेटा , अब चलो हमारे कॉलेज में कमी है क्या लड़कियों की ?”,गुड्डू ने बाइक स्टार्ट करते हुए कहा और गोलू के साथ कॉलेज की और निकल पड़ा ! कॉलेज में आते ही लड़कियों ने गुड्डू को गुलाब देने शुरू कर दिए और ये होना भी था क्योंकी हमारे गुड्डू भले पढाई में जीरो रहे हो , फैशन और स्मार्टनेस में हमेशा लल्लनटॉप रहे है ! गुड्डू तो सातवें आसमान पर था , पहला पिंकी ने उसका कार्ड एक्सेप्ट कर लिया और दूसरा कॉलेज की लड़कियों में उसका अलग ही रूतबा था। दिनभर गुड्डू कॉलेज खत्म होने का इंतजार करने लगा , जैसे ही कॉलेज की छुट्टी हुई गुड्डू चाय की दुकान पर आकर बैठ गया अभी शाम होने में 3 घंटे बाकि थे , गुड्डू घर नहीं गया। जैसे तैसे करके वक्त गुजरा तो गुड्डू अपनी बाइक लेकर पहुंचा सीधा मोती झील , पिंकी अभी आयी नहीं थी गुड्डू वही अंदर आकर पिंकी का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद पिंकी आयी , गुड्डू ने उसे देखकर हाथ हिलाया तो पिंकी उसके पास आयी और कहा,”हाय !”
“हाय , हमे लगा नहीं था तुम आओगी”,गुड्डू ने कहा
“काहे नहीं आएंगे ? जोन प्रेम पत्र तुम हमको दिए हो उसका जवाब देना भी तो देना था ना तुम्हे”,पिंकी ने कहा
“तुमने पढ़ा ?”,गुड्डू ने जैसे ही पूछा पिंकी जोर जोर से हसने लगी , उसे हँसता देखकर गुड्डू ने कहा,”हंस काहे रही हो ?”
पिंकी ने अपनी हंसी कंट्रोल करते हुए कहा,”गुड्डू , आज के ज़माने में ऐसे लेटर कौन देता है ?”
“हमे लगा तुमको पसंद आएगा”,गुड्डू ने थोड़ा सा अपसेट होकर कहा तो पिंकी उसके पास आयी और कहा,”गुड्डू तुम बहुत सीधे हो मेरे टाइप के नहीं हो ,, तुमने जो दिया वो सब मैंने एक्सेप्ट किया क्योकि मैं तुम्हारा दिल दुखाना नहीं चाहती थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर हमारे बीच प्यार जैसा कुछ नहीं हो सकता , मुझे गलत मत समझना गुड्डू,,,,,,,,,,,,,!!!”
कहते हुए पिंकी ने गुड्डू का दिया खत उसे वापस दिया और जाने लगी जाते जाते रुकी और कहा,”वैसे तुम चाहो तो हम दोस्त बन सकते है”
गुड्डू मुस्कुराया और कहा,”मोहब्बत की और बढ़ाया गया पहला कदम दोस्ती ही होती है पिंकिया !”
पिंकी मुस्कुरा कर वहा से चली गयी !

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संजना किरोड़ीवाल !

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