Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – 24

Manmarjiyan – 24

Manmarjiyan - 24

Manmarjiyan – 24

गुड्डू ने पहली बार कोई अच्छा काम किया उसने अपने दोस्त का रिश्ता रौशनी से करवा दिया। मनोहर भी खुश था और रौशनी से गुड्डू का पीछा भी छूट गया। गुड्डू खाना खा ही रहा था की तभी मिश्राइन ने कहा,”अच्छा उह हम सोच रहे थे शादी का जोड़ा खरीदने के लिए क्यों ना बहू को कानपूर बुला ले , उह अपनी पंसद के कपडे और गहने देख लेगी”
बहु का नाम सुनते ही गुड्डू को याद आया की अभी शगुन भी है , रौशनी के चक्कर में उसे तो वह भूल ही गया था। गुड्डू खांसने लगा तो मिश्राइन ने पानी का ग्लास उसकी और बढ़ा दिया और कहा,”अरे तनिक आराम से खाओ”
गुड्डू ने पानी पीया और कहा,”तुमको जैसा ठीक लगे अम्मा”
“हमका का ठीक लगी है , तुमको साथ चलना है और का”,मिश्राइन ने कहा
“अरे हमारा का काम है ? तुम लोगन जाओ साथ में हम का करेंगे ?”,गुड्डू ने कहा
“का करेंगे से का मतलब ? बहु इतनी दूर आय रही है उस से मिलो बात करो कानपूर घुमाओ उसको , तुम्हारी उम्र के लड़के तो इह सब करने का मौका ढूंढते है और तुमहू हो के ,,, बहुते भोले हो गुड्डू”,मिश्राइन ने कहा तो गुड्डू मन ही मन सोचने लगा,”भोले नहीं है अम्मा बस किसी लड़की पर भरोसा करने की हिम्मत नहीं है हम में”
दोनों माँ बेटा बैठकर बात कर ही रहे थे की दो लड़के वहा आये। उन्हें देखकर मिश्राइन उनके पास गयी और कहा,”हां कहो”
“उह मिश्रा जी भेजे है घर देखने के लिए”,एक लड़के ने कहा
“इह घर का तुमको चिड़ियाघर है जो देखने आये हो”,मिश्राइन ने आँखे तरेरते हुए कहा
“अरे चाची गुस्स्साय काहे रही हो ,, मिश्रा जी बताये रहे की घर में शादी है तो रंग-रोगन का काम करना है वही देखने आये है”,दूसरे लड़के ने कहा
“हां तो ऐसा कहो ना , आओ अंदर आओ”,कहकर मिश्राइन उन दोनों लड़को को अंदर ले आयी और घर दिखाने लगी। पुरे घर को देखने के बाद दोनों लड़के आकर आँगन में बैठ गए। मिश्राइन ने दोनों को चाय दी कहा,”कब तक हो जाएगा सारा काम ?”
“15-20 दिन लग जायेंगे “,लड़के ने चाय लेते हुए कहा
“का इतना समय , भैया हमाये घर में रंग रोगन करना है पुरे मोहल्ले में नाही”,मिश्राइन ने कहा
“अरे तो चाची इह घर भी तो कितना बड़ा है , 4 कमरे , एक बैठक और एक रसोई नीचे है साथ ही पूरा आँगन , बरामदा और बाहर का। ऊपर तीन कमरे हॉल , उसके ऊपर छत की दीवारे ,, इतने दिन तो लग ही जायेंगे ना”,लड़के ने कहा
“अच्छा अच्छा ठीक है कल से ही शुरू कर दो फिर”,मिश्राइन ने कहा
“हां कल सुबह हम लोग आ जायेंगे”,कहकर दोनों लड़के वहा से चले गए। उनके जाने के बाद गुड्डू ने कहा,”जे पिताजी इतना खर्चा काहे कर रहे है ?”
“अरे इकलौते लड़के हो तुम हमारे इतना तो करना बनता है”,मिश्राइन ने कहा
“अम्मा सुनो ना , इह सादी करना जरुरी है का ?”,गुड्डू ने कहा तो मिश्राइन उसके पास आयी और उसके हाथ को अपने दोनों हाथो में लेकर कहने लगी,”देखो गुड्डूआ सही उम्र में सादी हो जाये तो अच्छा रहता है तुम्हाये पिताजी कोई गलत फैसला नहीं लेते है ,, शगुन को तुम्हारे लिए चुना है तो सही चुना होगा ,, वैसे भी तुम्हारी उह पिंकिया तो हमको ज़रा पसंद नहीं आयी थी उस दिन बस तुम्हारा दिल रखने के लिए हां कह दिए पर शगुन , उसे देखकर लगा जैसे हमारे बाद वह इस घर को सम्हाल सकती है”
गुड्डू समझ गया उसकी शादी शगुन से होकर ही रहेगी क्योकि मिश्रा जी के सामने वह कुछ बोल नहीं सकता था और मिश्राइन उसकी ये बात सुनने में इंट्रेस्टेड नहीं थी। खाना खाकर गुड्डू ऊपर कमरे में चला आया। फोन देखा पिंकी के 4 मिस्ड कॉल थे गुड्डू ने फोन साइड में रख दिया और बिस्तर पर लेट गया। नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी। भले पिंकी ने उसे धोखा दिया हो पर गुड्डू का प्यार था तो उसके लिए सच्चा ही। देर रात तक गुड्डू इन्ही बातो में उलझा रहा और फिर नींद के आगोश में चला गया। सुबह मिश्रा जी की आवाज से उसकी नींद खुली उसने देखा नीचे पुरे घर में चार लोग यहाँ वहा कलर करने में लगे हुए
है। मिश्रा जी फोन पर किसी से बात कर रहे थे और गुड्डू को देखते ही कहा,”लीजिये गुड्डू भी आ गया बात कर लीजिये”
मिश्रा जी ने गुड्डू की और फोन बढाकर कहा,”बात करो”
“हैलो”,गुड्डू ने कहा
“हैलो गुड्डू बेटा नमस्ते , हम शगुन के पापा बोल रहे है। कैसे हो बेटा ?”,गुप्ता जी ने कहा
“हम ठीक है , आप आप कैसे है ?”,गुड्डू ने धीरे से कहा
“बेटा आपकी आवाज से लग रहा है आप ठीक नहीं हो”,गुप्ता जी ने चिंता जताते हुए कहा
“वो अभी सोकर उठे है ना इसलिए”,गुड्डू ने कहा तो गुप्ता जी ने कहा,”बेटा वो हम ये पूछना चाहते थे की आपके हाथ का माप कितना होगा ?”
“उह तो हमे नहीं पता आप काहे पूछ रहे है ?”,गुड्डू ने पूछा
“बेटा वो क्या है ना हमारे यहाँ रिवाज है दामाद को शादी में सोने का कडा पहनाया जाता है , इसलिए अभी बनाने को देंगे सुनार को तभी तो शादी तक बन पायेगा”,गुप्ता जी ने कहा तो गुड्डू ने कहा,”हमे इन सबके बारे में नहीं पता आप पिताजी से बात कर लीजिये”
“पापा गुड्डू जीजू है ना फोन पर,,,,,,,,,,,,,,,,,,फोन मुझे दीजिये,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए शगुन ने गुप्ता जी के हाथ से फोन छीना और कहा,”गुड़ मॉर्निंग जीजाजी”
प्रीति ने जीजाजी शब्द पर कुछ ज्यादा ही जोर देते हुए कहा
“गुड़ मॉर्निंग”,गुड्डू ने कहा , गुड्डू के मुंह से गुड़ मॉर्निंग सुनकर मिश्रा जी को लगा शायद फोन पर शगुन है इसलिए वो वहा से चले गए।
“कैसे हो जीजाजी ? कभी मुझे भी याद कर लिया करो”,प्रीति ने कहा
“काहे तुम में याद करने जैसा का है ?”,गुड्डू ने चिढ़ते हुए कहा
“अरे इकलौती साली हूँ आपकी , मुझसे मिलजुल कर रहेंगे ना तो आपका ही फायदा है गुड्डू जी”,प्रीति ने कहा
“जीजाजी से सीधा गुड्डू जी”,गुड्डू ने ताना मारते हुए कहा तो प्रीति हसने लगी और कहा,”अरे सॉरी सॉरी वो फ्लो फ्लो में निकल गया , वैसे भी गुड्डू जी बुलाने का हक़ तो दी का है ना , वैसे दी यही है बात करवाऊ ?”
प्रीति के मुंह से दी सुनते ही गुड्डू ने हड़बड़ी में कहा,”अरे उह पिताजी हमे बुलाय रहे है बाद में करते है ,, बाय”
गुड्डू ने झट से फोन काट दिया और चैन की सांस ली।

बनारस , उत्तर प्रदेश
प्रीति फोन को मुंह से लगाए सोच में डूबी हुयी थी की शगुन ने आकर कहा,”क्या हुआ तुझे ऐसे क्यों खड़ी है ?”
“दी पता है अभी अभी फोन पर जीजू थे , आपसे बात करवाने वाली ही थी की उन्होंने फोन काट दिया ,, ये जीजू भी ना बहुत डरपोक है”,प्रीति ने कहा
“अच्छा तुम्हे कैसे पता ?”,शगुन ने कहा
“और क्या जब देखो तब पिताजी की माला जपते रहते है , और डरपोक है तभी तो ना तुमसे तुम्हारा नंबर मांगा ना ही अपना नंबर दिया”,प्रीति ने कहा
“देखो प्रीति गुड्डू जी अपने पापा की बहुत रेस्पेक्ट करते है शायद इसलिए वो उनकी मर्जी के बिना कोई काम नहीं करते है ,, अच्छा सुनो मैंने नाश्ता बना दिया है तुम खा लेना और पापा को भी खिला देना”,शगुन ने जाते हुए कहा
“और आप ? आप कही जा रही है ?”,प्रीति ने पूछा
“हां वो कुछ बुक लायब्रेरी में जमा करवानी है , उसके बाद तो जाना नहीं हो पायेगा ना”,शगुन ने कहा और चली गयी
“हां सही कह रही है दी उसके बाद तो शादी की तैयारियां भी तो करनी है”,प्रीति ने कहा और वहा से चली गयी
शगुन ने बुक्स ली अपना पर्स लिया और घर से निकल गयी। सड़क किनारे आकर उसने रिक्शा रुकवाया और BHU चलने को कहा। शगुन के चेहरे पर एक अलग ही नूर नजर आ रहा था और मन भी बहुत खुश था। जल्द ही वह नयी दुनिया में जाने वाली थी , कोई होगा जो उसका भी ख्याल रखेगा उस से प्यार करेगा और उसके सुख दुःख में उसका साथी बनेगा। शगुन इन्ही सब के बारे में सोचती रही मुस्कान उसके होंठो पर आती जाती रही !
रिक्शा आकर BHU के सामने रुका तो रिक्शा वाले ने कहा,”बिटिया तुम्हारा कॉलेज आ गवा”
“जी काका , शुक्रिया”,शगुन अपने सपनो से बाहर आयी , उसने किराया दिया और कॉलेज चली आयी। लायब्रेरी में आते ही स्टाफ ने उसे घेर लिया और बधाई देने लगे। शगुन हैरान थी की इन्हे सगाई के बारे में कैसे पता ? वह बस मुस्कुराते हुए सबसे बधाईया लेती रही। सबके जाने के बाद शगुन ने बुक रॉ में जमाई और जैसे ही पलटी सामने पारस खड़ा था। पारस शर्मा BHU में ही फाइनेंस डिपार्टमेंट में क्लर्क है । शगुन और पारस पिछले दो सालो से अच्छे दोस्त थे।
“कोन्ग्रेचुलेशन शगुन”,पारस ने मुस्कुरा कर कहा
“थैंक्यू , तुम्हे भी पता है”,शगुन ने कहा
“मुझे क्या पुरे कॉलेज को पता है की तुम्हारा रिश्ता तय हो गया है , लव या अरेंज ?”,पारस ने पूछा
“अरेंज”,शगुन ने छोटा सा जवाब दिया
“फिर तो पार्टी बनती है शगुन , दो सालो में हमेशा ना सूना है तुमसे कॉफी के लिए लेकिन आज नही , आज तुम्हे चलना ही पडेगा”,पारस ने कहा तो शगुन ने मुस्कुराकर कहा,”अच्छा ठीक है , वैसे भी कल से मैं छुट्टी पर जा रही हूँ घर में बहुत काम है और शादी की तैयारियां भी करनी है”
“मतलब अब तुम कभी BHU नहीं आओगी ?”,पारस ने थोड़ा उदास होकर कहा
“आउंगी ना जब भी बनारस आना हुआ तुमसे जरूर मिलूंगी , बनारस में एक तुम ही तो हो जिसे मैं अपना दोस्त कह सकती हूँ”,शगुन ने कहा तो पारस फीका सा मुस्कुरा दिया।
काम खत्म करके और अपनी लिव एप्लिकेशन देकर शगुन पारस के साथ कॉलेज से बाहर चली आयी। कॉफी कैफे पास में ही था इसलिए दोनों पैदल ही चल पड़े। पारस ने दो कॉफी आर्डर की और आकर शगुन के सामने बैठ गया। पारस आज चुप चुप था , शगुन शादी कर रही है ये जानकर ही उसका मन भारी हो चला था फिर भी वह शगुन के सामने नार्मल दिखने की कोशिश कर रहा था। कुछ देर बाद कॉफी आयी और दोनों पिने लगे , शगुन ने उसे गुड्डू और उसके घरवालों के बारे में बताया , पारस ने देखा शगुन इस रिश्ते से खुश थी। कॉफी खत्म कर शगुन ने घडी में टाइम देखा और पारस से जाने की इजाजत मांगी। शगुन चली गयी और उसे देखकर पारस ने मन ही मन कहा,”तुम जहा भी रहो शगुन हमेशा खुश रहो ऐसी मेरी दुआ है”

कानपूर , उत्तर प्रदेश
गुड्डू के घर में रंग-रोगन का काम शुरू हो चुका था। गुड्डू को पेंट की स्मेल अच्छी नहीं लगी इसलिए बाइक लेकर वह बाहर चला आया। नुक्कड़ पर ही गोलू मिल गया तो रोकते हुए कहा,”अरे गुड्डू भैया वो ज़रा गोविन्द की दुकान तक छोड़ दो यार बहुते जरुरी काम है”
“तुमको का हम ड्राइवर लगते है ,, रिक्शा करके जाओ ना”,गुड्डू ने चिढ़कर कहा
“अरे भैया छोड़ दो ना यार रिक्शा वहा तक जाएगा नहीं , चलो भी अब”,गोलू ने गुड्डू के पीछे बैठते हुये कहा
गुड्डू उसे लेकर गोविन्द की दुकान पर आया और खुद बाहर ही रुक गया। गोलू अंदर चला गया , बाइक पर बैठा गुड्डू शीशे में देखकर अपने बालो में हाथ घुमाने लगा। तभी गुड्डू के कानो में एक जानी पहचानी आवाज पड़ी। गुड्डू ने पलटकर देखा तो पाया एक लड़का पिंकी का रास्ता रोककर खड़ा है। गुड्डू बाइक से उतरा और उसकी और आया जैसे ही वहा खड़े लड़के ने पिंकी की और हाथ बढ़ाया गुड्डू ने बीच में ही उसका हाथ पकड़कर रोकते हुए कहा,”बाबू इह कानपूर है यहाँ लड़की पर हाथ नहीं डाला जाता है”
“तुझे नहीं पता है इसने मेरे साथ क्या किया है ? साइड हो जा ये मेरा पर्सनल मामला है”,लड़के ने कहा
“पर्सनल है तो पर्सनल सुलझाओ यहाँ सोशल काहे कर रहे हो मामले को , चलो जाओ यहाँ से”,गुड्डू ने कहा तो लड़के ने गुड्डू को ही एक घुसा मार दिया , गुड्डू के होंठ से खून निकलने लगा तो वह गुस्से में वापस लड़के के पास आया और एक खींचकर थप्पड़ मारा लड़का एक थप्पड़ में नीचे जा गिरा ,, गुड्डू जैसे ही उसकी और लपका लड़का उठकर भाग गया। गुड्डू ने होंठ पर लगा खून साफ किया और जैसे ही अपनी बाइक की और जाने लगा पिंकी ने कहा,”थैंक्यू गुड्डू”
गुड्डू ने बिना पलटे और बिना पिघले हुए कहा,”तुम्हायी जगह कोई और लड़की होती तब भी हम यही करते , तुमहू जियादा स्पेशल ना समझो खुद को”
कहकर गुड्डू वहा से चला गया।

Manmarjiyan - 24
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संजना किरोड़ीवाल

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