Sanjana Kirodiwal

Story with Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

मनमर्जियाँ – 3

Manmarjiyan – 3

मनमर्जियाँ

By Sanjana Kirodiwal

(अब तक आपने पढ़ा गुड्डू की मुलाकात गुप्ता जी के फंकशन में पिंकी से होती है और इसी बहाने थोड़ी बात भी हो जाती है , पिंकी का पलटकर देखना और मुस्कुराना गुड्डू के मन में ये अहसास जगा देता है की पिंकी भी उसे पसंद तो करती ही है। अब आगे -:)

गुड्डू वेदी के साथ घर आया , बाइक को साइड में लगाकर दोनों अंदर चले आये। मिश्रा जी अपनी स्कूटी लेकर गुप्ता जी के फंक्शन में जा चुके थे। वेदी अपने कमरे में चली गयी और गुड्डू छत पर चला आया शर्ट के ऊपर के दो बटन खोले , खुली हवा में आकर हाथ फैला दिये। उसी वक्त पड़ोस की भाभी छत पर किसी काम से आयी गुड्डू को यु बाँहे फैलाये देखकर हंस पड़ी और कहा,”का गुड्डू भैया काहे साहरुख खान बनके पोज दिए जा रहे हो ?”
भाभी की आवाज सुनकर गुड्डू झेंप गया और हाथ नीचे करके कहा,”अरे भाभी , बस ऐसे ही हवा खाने आये थे”
“काहे आज मिश्रा जी लेक्चर नहीं सुनाये ?”,भाभी ने हँसते हुए कहा
पूरा मोहल्ला जानता था की गुड्डू को हर रोज किसी ना किसी बात पर मिश्रा की डांट पड़ती ही पड़ती थी। गुड्डू ने बात पलटते हुए कहा,”आप हिया का कर रही इति रात में ?”
“कपडे लेने आये है बारिश का मौसम है ना भीग जायेंगे , चलते है”,कहकर भाभी चली गयी और गुड्डू आसमान की और देखकर उपरवाले से कहने लगा,”यार कभी हमाई जिंदगी में प्यार वाली बारिश करवाओ”
बारिश तो नहीं हुई लेकिन पिंकी के बारे में सोचते हुए गुड्डू सोने चला गया। सुबह मिश्रा जी उठे , अपनी दिनचर्या के बाद उन्होंने गुड्डू को आवाज लगाई,”गुड्डू , ए गुडुआ तनिक यहाँ नीचे आओ”
गुड्डू बिस्तर से गिरते गिरते बचा , जल्दी से उठा अपनी टीशर्ट पहनी और नीचे आया , उसकी आँखों में नींद अभी भी बची हुई थी और वह उबासियाँ ले रहा था। मिश्रा जी के सामने आकर गुड्डू हाथ बांधकर खड़े हो गया। पास ही खड़ी मिश्राइन समझने की कोशिश में लगी थी की अब गुड्डू से क्या गलती हो गयी ? दादी अपने कमरे के दरवाजे से कान लगाकर सुनने की नाकाम कोशिश कर रही थी और वेदी कॉलेज जाने की तैयारी ! मिश्रा जी ने गुड्डू की तरफ देखा और कहा,”पहले तो इह बताओ की इह घर है या धर्मशाला , घडी में 9 बजत रहे और लाट साहब आराम फरमा रहे है ,, शर्म नहीं आती मोहल्ले के जानवर भी तुमसे पहले उठ जात है पर तुमहू हो के ढीठ बने हो”
बेचारा गुड्डू समझ गया की उसकी अब क्लास लगने वाली है वह चुपचाप खड़ा रहा तो मिश्रा जी ने कहा,”कल दुकान में जो नुकसान किये हो उसकी भरपाई कौन करेगा ? पुरे 1260 रूपये का नुकसान हुआ है तुम्हारी वजह से”
गुड्डू को जैसे सांप सूंघ गया हो , उसे चुप देखकर मिश्रा जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने कहा,”का बिटवा मुंह में दही जमा लिए हो का ? जवाब देना नहीं आ रहा है ,, कौन था उह कस्टमर जिसको फ्री में सामान दे दिया गया ?”
गुड्डू ने मिश्राइन की और देखा तो उन्होंने भी जवाब देने का इशारा किया। गुड्डू अब क्या कहता पिंकी का नाम सुनते ही मिश्रा जी भड़कने वाले थे सोचकर गुड्डू ने चुप रहना ही बेहतर समझा ! मिश्रा जी ने जैसे ही गुड्डू से कहना चाहा वेदी वहा आयी और कहा,”पिताजी उह हमारी सहेली थी शालू , हम ही भैया से कहे रहे की पैसे मत लेना”
“तो इह बात बताने में इतनी मौत काहे आये रही इनको (गुड्डू की और इशारा करके) तुम्हारी सहेली थी तो कोनो बात नाही”,कहकर मिश्रा जी मिश्राइन की और पलटे और कहा,”सुनिए ज़रा नाश्ता लगा दीजिये , शोरूम पर सामान आने वाला है उह्ह देखने जल्दी जाय का पड़ी”
“अभी लगा देते है”,कहकर मिश्राइन रसोई की और चली गयी , मिश्रा जी उसके बाद पलटे गुड्डू की तरफ और कहा,”अब खड़े खड़े हमे का निहार रहे हो ? जाकर नहाओ और कॉलेज जाओ ,, फीस दी है ना उहा तो जाते काहे नहीं ?”
“जी,,,,जी पिताजी जाते है”,कहते हुए गुड्डू तेजी से वहा से चला गया

! गुड्डू वेदी के पास आया और कहा,”थैंक्यू यार वेदी बचा लिया तूने !”
“कौन थी वो लड़की ?”,वेदी ने गुड्डू से सीधा सवाल किया
“कौन लड़की ?”,गुड्डू ने नजरे चुराते हुए कहा
“वही जिनको फ्री में कपडे दिए जा रहे , हमाये लिए तो कभी एक रूमाल ना खरीदा अपने , जल्दी बोलो कौन है ?”,वेदी ने कहा
“अरे अब तुम काहे पिताजी की तरह शुरू हो गयी , हम जा रहे नहाने”,कहकर गुड्डू वहा से चला गया
“पता तो हम लगा के रहेंगे भैया !”,वेदी ने मन ही मन कहा और अपना बैग उठाकर कॉलेज के लिए निकल गयी !
वेदी सेकेण्ड ईयर में थी और महिला विश्वविद्यालय कानपूर में पढ़ती थी। उसकी एक ही सहेली थी शालू जो की घर आती जाती रहती थी और मिश्रा उसे अपनी बेटी की तरह ही मानते थे। गुड्डू पढ़ने में जितना कमजोर था वेदी उतनी ही होशियार थी ,, उसे पढाई लिखाई में रूचि थी और गुड्डू को दोस्तों के साथ घूमने में , वह घर में कम और बाहर ज्यादा रहता था और यही वजह थी की दिन में एक बार तो मिश्रा जी उसे सूना ही देते थे पर गुड्डू चिकना घड़ा था वह एक कान से सुनता और दूसरे कान से निकाल देता। गुड्डू नहाकर आया और जींस , शर्ट पहना हाथ में हमेशा रुद्राक्ष का ब्रेसलेट पहनता था उसे पहनकर , अपनी बुक्स उठाई और नीचे चला आया। नाश्ता करने के बाद गुड्डू जाने लगा तो वेदी ने कहा,”भैया हमे भी कॉलेज तक छोड़ देना”
गुड्डू ने मिश्रा जी को देखकर हामी भर दी तो वेदी आकर उसके पीछे बैठ गयी और दोनों घर से निकल गए। गुड्डू हमेशा पिंकी के घर के सामने से निकलता था लेकिन आज वेदी के साथ था इसलिए सीधे जाना पड़ा। बाइक आकर ट्रेफिक में रुकी वेदी अपनी बुक्स और बैग सम्हाले बैठी थी तभी बगल की बाइक पर बैठे लड़के उसे देखकर फब्तियां कसने लगे।
“यार क्या आइटम है , मेरे साथ होती तो चिपक के बैठता !”,उनमे से एक लड़के ने कहा
गुड्डू ने सूना तो उसे गुस्सा आया उसने वेदी से उतरने को कहा। वेदी गुड्डू का गुस्सा जानती थी इसलिए कहा,”रहने दो भैया , इन लोगो की तो आदत है”
“हमने कहा उतरो”,गुड्डू ने दाँत पीसते हुए कहा
वेदी चुपचाप नीचे उतर गयी , गुड्डू ने बाइक को स्टैंड पर लगाया और उतरकर लड़के को एक थप्पड़ लगाकर कहा,”का बोले बे ? आइटम दिख रही है ये तुमको , चिपक के बैठना है चल बैठ , बैठ ना”
लोग जमा होने लगे तो वेदी ने कहा,”भैया चलिए यहाँ से”
“हाथ काहे उठा रहे हो बे ?”,लड़के ने खुद को सम्हालते हुए गुड्डू से कहा तो गुड्डू ने उसकी कॉलर पकड़कर घूरते हुए कहा,”भौकाल दिखाए का ? , बेटा चुपचाप हिया से खिसक ल्यो नहीं तो हौंक दिए जाओगे , का समझे ?”
“ए अनिल चल चल चलते है”,साथ वाले लड़को ने कहा तो अनिल ने वेदी की और देखकर कहा,”सॉरी दीदी !”
तीनो लड़के वहा से भाग गए ,

इतने में ट्रेफिक हवलदार वहा आया और गुड्डू से कहा,”का मिश्रा जी का मैटर हो गवा काहे भीड़ इक्क्ठा किये रहे ?”
“अरे कछु नहीं बच्चे है रंगबाज बनने निकले है कानपूर में”,गुड्डू ने बाइक पर बैठकर वेदी से बैठने का इशारा करते हुएहवलदार से कहा। हवलदार गुड्डू के पास आया और कहा,”एक सोउ की पत्ती पकड़ाय दयो अगली बार से हमहू पैल दिए ससुरो को”
“अबे ! यार कमाल करते हो हिया जहर खाने के पैसे नहीं है तुमको बकैती सूझ रही है”,गुड्डू ने देखा ट्रेफिक क्लियर हो चूका है।
“अच्छा ठीक है बिगड़ काहे रहे हो छोटी छोटी बात पर , चलो जाओ !”,कहकर हवलदार ने सिटी बजायी और ट्रेफिक क्लियर करने लगा।
वेदी के कॉलेज के सामने आकर गुड्डू ने बाइक रोक दी। वेदी उतरी और कहा,”इतनी छोटी सी बात के लिए काहे मारा उनको ?”
“बात छोटी सी थी लेकिन हमाई बहन के लिए थी , और तुमरे बारे में कोई गलत बोलेगा तो उह तो पिटेगा हमसे”,गुड्डू ने कहा तो वेदी मुस्कुरा दी और कहा,”पिताजी को मत बताना , खामखा आप पर गुस्सा होंगे”
“ठीक है चलते है , अपना ख्याल रखना”,कहकर गुड्डू वहा से चला गया। अपने कॉलेज पहुंचा तब तक 10.45 हो चुके थे ,, पहली क्लास खत्म होने में 15 मिनिट बाकी थे गुड्डू ने गेट के सामने आकर कहा,”अंदर आ जाये”
“कितनी बार कहा है अंग्रेजी की क्लास है मे आई कम इन सर ? होता है ,,, पर तुम तो बैल हो , आओ 15 मिनिट में कोनसा कुछ उखाड़ लोगे तुम”,टीचर रामभरोसे ने गुस्सा होकर कहा
“गुस्सा काहे हो रहे है ? रास्ते में किसी से झड़प हो गयी थी इसलिए देर हो गयी”,गुड्डू ने आखरी बेंच की और जाते हुए कहा
“गुड्डू मिश्रा ऐसा कोनसा दिन है जिस दिन तुम कोई कांड ना किये हो ? कानपूर तुम्हारे चर्चो से ही तो फेमस है ,,, ये तीसरा साल है तुम्हारा इस क्लास में जानते हो ना इस बार भी अगर पास नहीं हुए तो कॉलेज किस शक्ल देखने को नहीं मिलेगी”,राम भरोसे ने कहा तो सब हंस पड़े। बेचारा गुड्डू मुंह बनाकर रह गया। आखिर के 15 मिनिट सिर्फ गुड्डू को लेक्चर देने में निकले और फिर रामभरोसे अपनी अगली क्लास के लिए चले गए।
“का गुड्डू भैया आज भी लेट ? अब आज किसके सपने देख रहे थे ?”,गोलू ने पूछा
“अबे कोई सपना वपना नहीं देखे , सुबह सुबह बड़े मिश्रा जी ने पेल दिया और हिया रामभरोसे ने ,,,,,, यार कुछ भी कहो इन दोनों ने मिलके ना चरस बोय रखी है हमाई जिंदगी में”,गुड्डू ने कहा
“तो भैया सुधर काहे नहीं जाते , सूना नहीं मास्टर जी ने का कहा है इह आखरी साल है
गोलू ने कहा
“अरे जानते है यार , कर लेंगे ना इस बार मेहनत का बार बार डरा रहे हो”,गुड्डू ने झुंझलाकर कहा
“अच्छा अच्छा ठीक है , हमहू कह रहे थे की बेलेंटाइन आने वाला है पिंकीया को प्रपोज मार दयो का पता हां बोल ही दे इस बार”,गोलू ने कहा
“जियादा चहको नहीं बेटा और उह वेलेंटाइन डे होता है बेलेंटाइन नहीं , गंवार साले”,गुड्डू ने कहा
“देखो मोहल्ले की सारे लौंडे इस बार पिंकिया के लिए गुलाब खरीदने में पैसे जुटाने में लगे है , तुम सोच लो का करना है”,गोलू ने कहा तो गुड्डू सोच में पड़ गया और फिर कहा,”तुम नहीं कर रहे जुगाड़ ?”
“हमारी औकात से बाहर है उह , हम तो कोई ऐसी ढूंढ लेंगे जो कमलापसंद खिलाने पर ही हमको आई लव यू बोल दे”,गोलू ने कहा तो गुड्डू हसने लगा कुछ देर बाद टीचर आ गया सभी चुपचाप पढ़ने में ध्यान लगाने लगे।

तीन क्लासो के बाद ही गुड्डू को बोरियत होने लगी तो वह क्लास से निकलकर केंटीन में चला आया उसके पीछे पीछे गोलू भी चला आया , दो चाय और चार समोसो का आर्डर देने के बाद गुड्डू और गोलू टेबल के पास आ बैठे। गोलू तो बैठकर वहा आस पास की लड़कियों को देख रहा था और गुड्डू ना जाने किस सोच में गुम था। लड़का समोसे और चाय रखकर चला गया , गुड्डू ने एक ग्लास उठाया और घूंठ भरकर कहा,”हम डिसाइड कर लिए है की हम पिंकिया को प्रेम पत्र लिखेंगे”
“का ? होस में तो हो व्हाट्सप्प और विडिओ कॉल के ज़माने में तुम खत लिखोगे ,,, तुम्हाई अक्ल ना चरने गयी है”,गोलू ने गुड्डू का मजाक उड़ाते हुए कहा
“इसमें का गलत है , पहले के ज़माने में लोग लिखते नही थे और कैसे उन लेटर्स से खुसबू आती थी , सब पिंकिया को गुलाब देने का सोच रहे हम अलग कुछ करेंगे”,गुड्डू ने समोसा खाते हुए कहा।
“चू#या भी अलग तरीके से ही कटेगा , अरे आजकल की लड़कियों को कहा पंसद आता है ये खत वत , उनको चाहिए चॉकलेट , टेडी बियर , रोज और महंगे महंगे गिफ्ट तब जाकर ना हां बोलती है”,गोलू ने कहा
“पर इतना पैसा कहा है ? पिताजी से उम्मीद नहीं है की उह इन सबके लिए पैसा देंगे ,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्ही कछु जुगाड़ लगाओ ना यार गोलुआ”,गुड्डू ने कहा
“हम्म्म अभी वेलेंटाइन में 1 हफ्ता बचा है , तब तक कोई न कोई बंदोबस्त कर ही देंगे”,गोलू ने कहा
“हाय गोलू जिओ मेरी जान , इह लो इह एक समोसा एक्स्ट्रा खाओ हमायी तरफ से”,गुड्डू ने खुश होकर कहा !
कॉलेज ख़त्म होने के बाद दोनों गुड्डू की बाइक से घर जाने लगे। गोलू पीछे बैठे बैठे कुछ ना कुछ बकैती कर रहा था और गुड्डू बाइक चलाने में बिजी थी , अभी कुछ ही दूर आये थे दोनों की तभी गोलू ने कहा,”अरे भैया बाइक रोको”
“काहे ?”,गुड्डू ने पूछा
“अरे भैया सामने मामा लोग खड़े है हेलमेट भी नहीं पहिने हो तुम। , तुम्हारा चालान कटेगा और हमारा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम जानते ही हो , हमका यही उतार दयो हम 11 नंबर बस से जायेंगे”,गोलू ने कहा
“इह कोनसी बस है बे ?”,गुड्डू ने पूछा
“अबे पैरो की बात कर रहे है , उतारो यार बहुते झिक झिक करते हो”,कहकर गोलू बाइक से उतर गया !
“बेटा मुसीबत में साथ छोड़कर जा रहे हो”,गुड्डू ने कहा
“भैया हम साथ है लेकिन फ़िलहाल पिछवाड़े पर डंडे खाने की हिम्मत हम में नाही है !”,कहकर गोलू वहा से चला गया। दुसरा रास्ता भी नहीं था जहा से बचकर गुड्डू निकल सके। उपरवाले का नाम लेकर उसने बाइक आगे बढ़ा दी लेकिन नुक्कड़ पर पहुँचते ही पुलिस वाले ने रोक लिया और कहा,”हेलमेट कहा है ?”
“उह तो घर पे है”,गुड्डू ने भोलेपन से कहा
“id दिखाओ”,पुलिसवाले ने कहा
“घर पर है”,गुड्डू ने कहा
“लाइसेंस है ?”,पुलिसवाले ने इस बार गुड्डू को घूरते हुए कहा
“उह भी घर पे है”,गुड्डू ने कहा तो पुलिसवाले ने उसे खा जाने वाली नजरो से देखा
“गाड़ी के पेपर है”,पुलिसवाले ने खुद को शांत करके कहा
“उहह भी घर में ही होंगे नई ?”,इस बार गुड्डू के कहने से पहले पास खड़े दूसरे हवलदार ने कहा तो गुड्डू ने उसकी और देखकर हां में गर्दन हिला दी !
“गाड़ी साइड में लगाओ”,पुलिसवाले ने कहा
“अरे सर जाने दीजिये ना अगली बार से नहीं करेंगे”,गुड्डू ने कहा तो पुलिसवाले ने हवलदार से कहा,”इसकी गाड़ी की चाबी लो और साइड में लगाओ गाड़ी”
हवलदार ने गुड्डू की बाइक की चाबी ली और बाइक को साइड में खड़ा कर दिया। गुड्डू उस से बाइक छोड़ने के लिए कहने लगा साथ ही घबरा भी रहा था की पिताजी को पता चला तो खूब कुटाई होगी। वह हवलदार से मिन्नते करने लगा
“100 की पत्ती रखो और ले जाओ अपनी फटफटिया”,हवलदार ने दाँत कुरेदते हुए कहा
गुड्डू ने देखा खाली एक ही 100 की पत्ती बची थी उसके पर्स में उसने उसे निकालकर हवलदार को पकड़ा दिया और हवलदार ने उसे बाइक की चाबी थमा दी। गुड्डू बाइक लेकर वहा से जैसे तैसे निकला , आज का उसका दिन ही खराब था सोचते हुए गुड्डू चला जा रहा थी की , महिला विश्वविद्यालय के गेट पर सहसा उसकी नजर पड़ी जहा पिंकी अपनी सहेलियों के साथ हंस रही थी। गुड्डू ने अचानक ब्रेक लगाया और रूककर पिंकी को देखने लगा। दिनभर की जो खुन्नस और झुंझलाहट थी वह पल भर में गायब हो गयी।

Manmarjiyan - 3
manmarjiyan-3

क्रमश – मनमर्जियाँ – 4

Read More – manmarjiyan-2

Follow Me On –facebook

Follow Me On – instagram

संजना किरोड़ीवाल

9 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!