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मनमर्जियाँ – 14

Manmarjiyan – 14

“मनमर्जियाँ”

By Sanjana Kirodiwal

Manmarjiyan – 14

गुड्डू के अरमानो पर पानी फेरकर मिश्रा जी जा चुके थे। मिश्रा जी के आगे किसी की नहीं चलती सोचकर मिश्राइन ने भी अपने हाथ पीछे खींच लिए। गुड्डू गुस्से से ऊपर चला गया। मिश्रा जी ने उसके सामने जो शर्त रखी थी वो गुड्डू भला कैसे मान लेता ? और घर से चला भी जाता तो खाता क्या और रहता कहा ? गुड्डू इसी कश्मकश में था की वेदी खाना लेकर ऊपर चली आयी। उसे देखते ही गुड्डू ने कहा,”हमे नहीं खाना है ले जाओ वापस”
“का भैया आप भी पिताजी की बात का बुरा मान रहे हो ?”,वेदी ने गुड्डू के सामने बैठते हुए कहा
“बुरा ना माने तो और का करे मतलब जबसे पैदा हुए है तबसे पिताजी के हिसाब से ही तो जीते आये है , अब तुम्ही बताओ पिंकी में का कमी है ? अच्छी खासी तो है और मोहल्ले की है तो और भी अच्छा है ना यार”,गुड्डू ने कहा
“हम तो आपकी बात समझ गए लेकिन पिताजी को समझाना मुश्किल है ,, वैसे पिंकी के लिए उन्होंने कहा है तो सही कहा होगा”,वेदी ने कहा
“जियादा बकैती ना करो वेदी , तुमहू बहन हो कर मदद नहीं कर रही”,गुड्डू ने निराश होकर कहा
“भैया एक ठो दिल की बात बोले , हमको का पिंकिया बिल्कुल पसंद नहीं आयी ,, किसी लड़की को देखकर आपके साथ भाभी वाला टच अभी तक नहीं आया हमे”,पिंकी ने कहा तो गुड्डू ने मुंह बना लिया और कहा,”जब पसंद नहीं आयी तो फ़िर झूठ मुठ का हंसी मजाक काहे की उसके साथ ?”
“घर आये मेहमान को मुंह पर थोड़े कहा जाता है की पसंद नहीं है , खाना ठंडा हो रहा है खा लीजियेगा”,कहकर वेदी चली गयी। गुड्डू ने प्लेट की और देखा , खाने का गुड्डू बहुत शौकीन रहा है इसलिए खाना देखकर कुछ देर के लिए अपना गुस्सा भूल गया और खाना खा लिया। खाना खाकर गुड्डू अपने कमरे में लेट गया और मिश्रा जी को मनाने की तरकीब सोचने लगा , लेकिन उस से भी पहले एक जरुरी काम था उसका इस साल पास होना।
धीरे धीरे वक्त गुजरने लगा , मिश्रा जी और पिंकी के बीच फंसकर ना गुड्डू ठीक से पढाई कर पा रहा था। गोलू से भी नहीं मिला ना ही बाहर जाता था। दो हफ्ते देखते देखते निकल गए। रोशनी अब गुड्डू को नहीं छेड़ती थी , जब भी गुड्डू से सामना होता वह चुपचाप निकल जाती , शायद उसे भूलने की कोशिश कर रही थी। एग्जाम वाली सुबह पहला पेपर देखते ही गुड्डू की सिट्टी पिट्टी गुम क्योकि उसने कुछ नहीं पढ़ा था , जैसे तैसे गुड्डू ने पेपर दिए और बाहर आया सामने ही बरामदे से गुजरते गोलू पर नजर पड़ी।
“गोलू”,गुड्डू ने आवाज लगायी तो गोलू रुक गया। गुड्डू उसके पास आया और कहा,”का बे चीरे अभी तक नाराज हो ?”
“हम काहे नाराज होंगे भैया , तुमहू को ही आशिक़ी से फुर्सत ना मिल रही”,गोलू ने लगभग ताना मारते हुए कहा
“का यार गोलू तुमहू भी खिंचाई कर रहे हो मतलब ,, अच्छा छोडो इह उस दिन के लिए सॉरी यार ,, गुस्से गुस्से में बोल दिए उह अब , अब दोस्त से नहीं बोलेंगे तो किसी से बोलेंगे”,गुड्डू ने गोलू को मनाते हुए कहा
“चाय समोसे खिलाओ तो माफ़ करेंगे”,गोलू ने भी माफ़ी की शर्त रख दी जिसे गुड्डू ने ख़ुशी ख़ुशी मान ली , दोनों कॉलेज से बाहर आये और समोसे वाली थड़ी के पास आकर चार समोसे और 2 चाय देने को कहा। गुड्डू और गोलू ने चाय ली और पीने लगे , गुड्डू का भारी मन थोड़ा शांत हुआ। बातो ही बातो में गोलू ने कहा,”तुम्हारा और पिंकिया का मामला कुछो आगे बढ़ा ?”
“अबे ना पूछो का बवाल हुई है ? हमहू पिताजी से कह दिए की ब्याह करेंगे तो पिंकी से वरना किसी से नहीं”,गुड्डू ने कहा
“फिर का कहे मिश्रा जी ?”,गोलू ने समोसा डकारते हुए कहा
“कहा घर छोड़ दो और कर लो पिंकिया से सादी”,गुड्डू ने मुंह लटकाकर कहा , गोलू के दिमाग में तुरंत खुरापाती मची और उसने कहा,”सही तो कहे है मिश्रा जी , इह करने से ही हुई है तुम्हारे प्यार की अग्निपरीक्षा , तुमको पिंकिया चाहिए और पिंकिया को तुम फिर घर बार पैसा किसलिए ,, हम तो कहेंगे गुड्डू भैया की परीक्षा के बाद पिंकिया से मिलो और कर लो सादी मिश्रा जी बाद में का ही उखाड लेंगे ?”,गोलू ने कहा तो उसकी बातें सीधे जाकर गुड्डू के दिमाग पर लगी और उसने कहा,”बात तो तुमहू सही कहे हो गोलू , अगर प्यार में इह अग्निपरीक्षा देनी है तो हम जरूर देंगे”
“अब आएगा मजा पिंकी अगर तुम सच में गुड्डू भैया से प्यार करती हो तो तुमहू शादी के लिए तुरंत हां कर दोगी और अगर ना बोली तो तुम्हारी नजर गुड्डू पर नहीं गुड्डू के पैसो पर है ,,, तुम्हारी सच्चाई तो अब हम सामने लाएंगे”,गोलू मुस्कुराते हुए सोचने लगा। उसे मुस्कुराता देखकर गुड्डू ने कहा,”का बे का सोच में डूबे हो ?”
“अरे कुछो नहीं भैया हमहू तो अभी से तुमको शेरवानी में इमेजिन करे रहय , का स्मार्ट लग रहे हो”,गोलू ने कहा
“का यार तुमहू भी ना कभी कभी सरमाने पर मजबूर कर देते हो मतलब एकदम चौंचक”,गुड्डू ने खुश होते हुए कहा
“हंस लो गुड्डू भैया उसके बाद तो तुम्हे रोना ही है , पर जिंदगीभर के रोने से अच्छा है हमहू तुमको सिर्फ एक बार रुलाये”,गोलू ने गुड्डू की और देखकर मन ही मन कहा और फिर दोनों घर की और निकल गए !

घर आकर गुड्डू पढाई में ध्यान लगाने लगा लेकिन आँखों के सामने बस पिंकी का चेहरा आने लगा। मुश्किल से गुड्डू ने दो चेप्टर याद किये और फिर किताब सीने पर रखकर सो गया। जैसे तैसे गुड्डू ने एग्जाम्स दिए और आखरी पेपर वाले दिन उसने पिंकी को मोती झील आने को कहा। गुड्डू वहा बैठकर पिंकी के आने का इंतजार करने लगा , कुछ देर बाद पिंकी वहा आयी और चेहरे से स्कार्फ हटाते हुए कहा,”कहो गुड्डू यहाँ क्यों बुलाया हमे ?”
“कितने दिन हो गए ना ठीक से तुमसे बात हुई ना ही तुम्हे देखा इसलिए बुलाया , बैठो न”,गुड्डू ने कहा
पिंकी आकर उसकी बगल में बैठ गयी और कहने लगी,”तुम तो जानते हो न गुड्डू जबसे घर में हमारे बारे में पता चला है तबसे पापा की नजर मुझपर ही रहती है , आज भी बड़ी मुश्किल से आयी हूँ”
“फ़िक्र मत करो पिंकिया उह सब का हल ढूंढ लिया है हमने”,गुड्डू ने कहा
“क्या ?”,पिंकी ने गुड्डू की और देखते हुए कहा तो गुड्डू उसकी और पलटा और पिंकी के हाथो को अपने हाथो में लेकर कहा,”शादी कर लेते है पिंकी”
“सच तुम्हारे पापा मान गए”,पिंकी ने एक्साइटेड होकर कहा
“नहीं उह नहीं माने उन्होंने कहा है की अगर तुमसे शादी करनी है तो घर छोड़ दू , इसलिए हमने उनका घर छोड़ने का फैसला कर लिया है। हमहू तुम्हाये साथ रहेंगे”,गुड्डू ने कहा तो पिंकी के चेहरे के भाव एकदम से बदल गए कहा वह गुड्डू के घर में महारानी की तरह रहने का सोच रही थी और कहा गुड्डू ने उसे जमीन पर ला पटका !
“नही नहीं गुड्डू ऐसे कैसे तुम घर छोड़ दोगे ? और शादी के बाद रहेंगे कहा ? खाएंगे क्या ? जियेंगे कैसे ? तुम्हे तो आदत भी नहीं है घर से बाहर रहने की ,, तुम्हारा ये फैसला बिल्कुल बकवास है समझे”,पिंकी ने कहा
“काहे ? काहे नहीं रह सकते ? पिंकिया अगर तुम और तुम्हरा प्यार हमाये साथ है तो हम कही भी रह लेंगे , अरे नौकरी कर लेंगे छोटी मोटी”,गुड्डू ने कहा तो पिंकी को और परवाह होने लगी उसने ऐसी जिंदगी के सपने तो कतई नहीं देखे थे। उसने प्यार से गुड्डू के चेहरे को अपने हाथो में लिया और कहने लगी,”ऑफकोर्स गुड्डू हम तुम्हारे साथ है लेकिन प्यार से पेट नहीं भरता है , ये कहना आसान है की नौकरी कर लोगे लेकिन तुम्हे तो कोई काम भी नहीं आता है ,, माना की तुम्हारे पापा अभी नाराज है पर उन्हें मना भी तो सकते है। शुरू शुरू में ये बाते अच्छी लगती है लेकिन जैसे जैसे वक्त गुजरेगा हमे सब चाहिए होगा , घर परिवार , पैसा और खाना भी”
गुड्डू को पिंकी की बात कुछ कुछ समझ आ रही थी , उसने कहा,”हां यार पिंकिया कह तो तुम सही रही हो , लेकिन तुम हमाये पिताजी को जानती नहीं हो वो बहुते जिद्दी है ,, वो इतनी आसानी से हमायी बात नहीं सुनेंगे”
“उसके लिए हमारे पास प्लान है”,पिंकी ने सोचते हुए कहा
“कैसा प्लान ?”,गुड्डू ने पूछा
“वक्त आने पर बताएँगे , अभी तो जो तुम्हारे पिताजी कहे तुम बस वही करो”,पिंकी ने सोचते हुए कहा , उसकी बाते गुड्डू के सर के ऊपर से जा रही थी।
गुड्डू को कन्फ्यूजन में देखकर पिंकी ने उसके हाथ को अपने हाथ में लेकर कहा,”गुड्डू तुम्हे हम पर भरोसा है ना ?”
अब देखो लौंडा कितना भी तीस मार खां क्यों ना हो यहाँ आकर उसकी अक्ल पर पत्थर पड़ ही जाता है। पिंकी के इमोशनल होकर बोलने पर गुड्डू भी पिघल गया और कहा,”अरे हां हां पूरा विश्वास है , तुम कोई बात गलत थोड़े ना कहोगी”
गुड्डू ने कहा तो पिंकी ने आगे बढ़कर उसे गले लगाया और फिर उठते हुए कहा,”अच्छा अब हम चलते है किसी ने हमे तुम्हारे साथ देख लिया तो फिर से प्रॉब्लम हो जाएगी”
“हम छोड़ देते है”,गुड्डू ने भी पिंकी के साथ उठते हुए कहा
“अरे नहीं गुड्डू हम चले जायेंगे , तुम जाओ”,कहकर पिंकी वहा से चली गयी। पार्क से बाहर आयी तो पिंकी का कोई दोस्त मिल गया पिंकी उसके साथ बाइक पर बैठकर घर के लिए निकल गयी।

गुड्डू भी घर आया , जैसे ही घर में घुसा सामने बैठे मिश्रा जी ने कहा,”कहा से आय रहे हो ?”
“बाहर से”,गुड्डू ने कहा
“हमहू अंधे नहीं है उह तो हमका भी दिख रहा है की बाहर से आये हो , लेकिन बाहर से कहा ?”,मिश्रा जी ने कहा
“दोस्त से मिलने गए थे किसी काम से”,गुड्डू ने झूठ कहा जिसे मिश्रा जी ने भांप लिया लेकिन कुछ ना कहकर उसे अंदर आने का इशारा किया। गुड्डू आकर उनके सामने खड़ा हो गया तो मिश्रा जी ने कहा,”परीक्षा खत्म हो गयी तुम्हरी ?”
“जी पिताजी”,गुड्डू ने कहा
“तो बेटा कल से फुल टाइम शोरूम आना शुरू कर दयो , का है के शादियों का सीजन है और काम जियादा का समझे”,मिश्रा जी ने कहा
“हम शोरूम पर काम नहीं करेंगे”,गुड्डू ने डरते डरते कहा
“काहे नहीं आओगे बे , तुम्हाये बाप ने न बेटा कुबेर का खजाना दबा के नहीं रखा है। इह जो मेहंगा मेहंगा फेसन का कपड़ा , अच्छा खाना मिलता है ना ये सब उसी शोरूम से आता है ,,, जिम्मेदारी सम्हालना शुरू कर दो”,मिश्रा जी ने कहा
“हमहू कुछो और करना चाहते है”,गुड्डू ने कहा
“का करना चाहते हो ? पढाई तुमसे होय नहीं रही , शोरूम तुम्हे पसंद नहीं है , दिनभर घूमना , रंगबाजी करना है बस ,, लगता है अबहु तक पियार का बुखार उतरा नहीं न है तुम्हारा”,मिश्रा जी ने गुड्डू को ताना मारते हुए कहा तो गुड्डू चुप हो गया और कुछ देर बाद वहा से चला गया। उसके जाते ही मिश्रा जी ने मिश्राइन से कहा,”देखा , कैसे मुंह छिपाकर भागे रहे तुम्हाये सपूत हम कह रहे है मिश्राइन किसी दिन पुरे कानपूर में हमायी छिछली करवा देगा इह लौंडा”
“कैसी बाते कर रहय , हमारा इकलौता बेटा है जी”,मिश्राइन ने कहा
“इकलौता है तो का हिया अपने सर पर बैठा ले , तुम समझ नहीं रही हो मिश्राइन इह उम्र है जब लड़का या तो कुछ बन सकता है या फिर बर्बाद ,, हमहू उसे डांट रहे तो उसके भले के लिए न डांट रहे”,मिश्रा जी ने कहा
“लेकिन इतनी सख्ती भी ठीक नहीं है , उह अब बड़ा हो गया है”,मिश्राइन ने गुड्डू की साइड लेते हुए कहा
“मिश्राइन बड़ा हुआ है लेकिन अभी भी वो अपनी जिंदगी में सही फैसले लेने के लिए सक्षम नहीं है , हम उसे पिंकिया से सादी करने नहीं दे सकते बस”,कहकर मिश्रा जी उठकर चले गए।
गुड्डू अपने कमरे में आकर सो गया। गुड्डू के एग्जाम खत्म हो चुके थे और उसे अब कॉलेज भी नहीं जाना था , लेकिन वह शोरूम भी नहीं जाता था या तो दिनभर दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलता या फिर घर में पड़े पड़े पिंकी से फोन पर बतियाता रहता। मिश्रा जी के लेक्चर हर सुनने को मिलते लेकिन गुड्डू ने खुद को बना लिया ढीठ , हफ्ता गुजर गया लेकिन गुड्डू पिंकी से नहीं मिल पाया। एक शाम वह तैयार होकर घर से निकला और पिंकी को मिलने को कहा। गुड्डू बनारसी चाय वाले के पास आया और पिंकी का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद पिंकी आयी और कहा,”हां गुड्डू काहे बुलाया इतनी शाम में ?”
“तुम्हायी याद आ रही थी इसलिए , बस बहुत हुआ पिंकिया अब हम नहीं मनाएंगे पिताजी को ना वो हमयी सुनते थे ना अब सुनेंगे”,गुड्डू ने कहा
“मतलब ?”,पिंकी ने अनजान बनते हुए कहा
“मतलब हम कल ही तुमसे सादी करेंगे”,गुड्डू ने कहा
“गुड्डू शादी ब्याह कोई बच्चो का खेल नहीं है जो कर लोगे , सच कहु तो तुम्हे भरोसा ही नहीं है हम पे”,कहकर पिंकी वहा से चली गयी। गुड्डू भी गुस्से में अपने दोस्तों के अड्डे पर पहुंचा जहा हर रोज उसके दोस्त बियर और चिकन की महफ़िल जमाते थे , लेकिन गुड्डू आज से पहले यहाँ कभी नहीं आया। गुड्डू को वहा देखते ही उसके दोस्त खुश हो गए और कहा,”अरे जिओ गुड्डू लगता है लौंडा बड़ा हो गवा , भाई के लिए कोई कुर्सी लाओ रे”
गुड्डू उनके बीच आकर बैठा तो एक दोस्त ने कहा,”भाई पानी के साथ या सोढा के साथ ?’
गुड्डू ने कुछ नहीं कहा सामने पड़ी बियर की बोतल उठाई और हलक से नीचे उतारी सब उसे देखते ही रह गयी। कही से घूमते घामते गोलू वहा आ पहुंचा जब उसने गुड्डू को उन लोगो के बीच बैठे देखा तो उसे उठाते हुए कहा,”गुड्डू भैया पगला गए हो का ? का कर रहे हो इन लोगन के बीच चलो उठो ,, और तुम लोग सालो जानते हो ना इह कभी नहीं पीता फिर काहे पीला दिए बे ?”
गोलू ने गुड्डू को उठाया गुड्डू ने पहली बार पि थी इसलिए नशे में था , गोलू जैसे तैसे उसे घर लेकर आया। गुड्डू को नशे में देखते ही मिश्रा जी का चेहरा लाल हो गया लेकिन गुड्डू इस हालत में नहीं था की वे उसे कुछ कह पाए , उन्होंने गोलू को इशारा किया की गुड्डू को उसके कमरे में लेकर जाये। मिश्रा जी आकर तख्ते पर बैठ गए और सोच में डूब गए। मिश्राइन उनके पास आयी और कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”गुड्डू ने पहली बार ऐसा किया है , हम तो समझ नहीं पा रहे आखिर हो क्या है इसे ?’
“आज पहली बार है मिश्राइन आज नहीं रोका तो कल से आदत बन जाएगी उसकी”,मिश्रा जी ने कहा
“तो अब का करेंगे ?”,मिश्राइन ने कहा
“इसका एक ही इलाज है और उह है गुडडुआ की सादी , पंडित जी से कहकर रिश्ता निकलवाओ उसके लिए जिम्मेदारी सर आएगी तो अपने आप सुधर जाएगा”,कहकर मिश्रा जी अपने कमरे की और चले गए

Manmarjiyan - 14
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