Sanjana Kirodiwal

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मनमर्जियाँ – 25

Manmarjiyan – 25

Manmarjiyan - 25

Manmarjiyan – 25

गुड्डू बाइक लेकर वहा से निकल गया। एक वक्त था जब गुड्डू पिंकी के लिए कुछ भी करने को तैयार था और आज वह पिंकी को एक आम लड़की बताकर चला गया। गुड्डू के दिल को भारी ठेस जो पहुंची थी इतनी जल्दी सब ठीक कैसे होता ? गोलू गोविन्द की दुकान से बाहर आया तो देखा ना गुड्डू वहा है ना उसकी
बाइक ,, कुछ ही दूर खड़ी पिंकी दिखाई दी तो गोलू उसके पास आया और कहा,”तुम्ही ने भगाया होगा गुड्डू भैया को ?”
“हम काहे भगाएंगे , वो खुद ही इतना अकड़ रहा था की खुद ही चला गया”,पिंकी ने मुंह बनाकर कहा
“क्या सच में ? मतलब तुम्हे साथ लेकर नहीं गया , बेचारी”,गोलू ने पिंकी का मजाक उड़ाते हुए कहा।
“ओह्ह जस्ट शट अप”,पिंकी ने खीजते हुए कहा तो गोलू थोड़ा पास आया और कहा,”ये अंग्रेजी ना मोहल्ले के बच्चो को सुनाना खुश हो जायेंगे , गुड्डू भैया को जितना बेवकूफ बनाना था बना लिया अब वो तुम्हारे झांसे में नहीं आने वाले ,, लुटेरी पिंकी”
गोलू की बात सुनकर पिंकी को गुस्सा आ गया तो उसने जाते हुए अपना पैर जोर से गोलू के पैर पर मारा और चली गयी ,, गोलू दर्द से चिल्लाया,”अरे दादा पैर तोड़ दिया हमारा नासपीटी ने”
पिंकी वहा से चली गयी और गोलू भी अपने फर निकल गया। बाइक पर सवार गुड्डू परेशान था। पिंकी के लिए उसने उस लड़के को क्यों मारा सोचकर ही उसे गुस्सा आ रहा था। गुड्डू इसी सोच में डूबा चला जा रहा था की मिश्रा जी का फोन आया। गुड्डू ने बाइक साइड में किया और फोन उठाया,”हां पिताजी”
“अरे गुड्डू सुनो वो नवरत्न के पास चले जाना उसे तुम्हारी शादी की शेरवानी का माप देना है”,मिश्रा जी ने कहा
“इतनी जल्दी काहे ? अभी तो बहुत वक्त है”,गुड्डू ने कहा
“अरे बहुत वक्त कहा है ? एक महीने में कितने सारे काम करने को पड़े है , तुमहू अभी के अभी जाओ और नवरत्न से मिलो ,,, का समझे ?”,मिश्रा जी ने कहा
“ठीक है पिताजी”,गुड्डू ने बुझे मन से कहा और फोन काट दिया। बाइक स्टार्ट करके गुड्डू नवरत्न की दुकान पर पहुंचा उस वक्त नवरत्न किसी कस्टमर से बात करने में बिजी था गुड्डू को देखते ही उसके चेहरे के भाव बदल गए लेकिन उसने गुड्डू से बैठने का इशारा किया। कस्टमर के जाते ही नवरत्न गले में इंचटेप डालकर गुड्डू के पास आया और कहा,”कहो मिश्रा जी कैसे आना हुआ ?”
“पिताजी ने फोन किया था ना आपको फिर काहे पूछ रहे है ?’,गुड्डू ने कहा
“तुम्हायी हालत देखकर ना बड़ा ही तरस आ रहा है गुड्डू , जिस अकड़ से उस रात वो ड्रेस सिलवाए हमहू सोचे कानपूर में पहली बार किसी के प्रेम विवाह का डंका बजेगा लेकिन यहाँ तो मामला उलटा पड़ गया ,, लव मैरिज से सीधा अरेंज”,नवरत्न ने गुड्डू के जले पर नमक छिड़कते हुए कहा
“ऐसा है चच्चा हमसे ना जियादा बकैती ना करो , अभी यही पेले जाओगे। पिताजी जो काम बोले है उह करो और अपना रास्ता नापो”,गुड्डू ने नवरतन को घूरते हुए कहा तो नवरत्न चुपचाप उसका नाप लेते हुए मन ही मन कहने लगा,”तुम्हारे साथ तो ऐसा ही होना चाहिए गुड्डू मिश्रा , तुमहू कभी नहीं सुधरोगे”
नवरत्न को कपड़ो और शेरवानी का नाप देकर गुड्डू वहां से घर के लिए निकल गया। घर आया तब तक दोपहर हो चुकी थी घर में रंग रोगन का काम जारी था। मिश्राइन ने गुड्डू का खाना दादी के कमरे लगा दिया और जाकर खाने को कहा। गुड्डू दादी के कमरे में चला आया और बैठते हुए कहा,”और बूढ़ा खाना खा ली ?”
“हम तो कब के निपटा लिए तुम्हारा कोई ठिकाना नहीं रहता है आजकल गुड्डू”,दादी ने कहा
“का बताये यार बूढ़ा हमायी जिंदगी अब हमाये हाथ में ना रही है , बड़के मिश्रा जी लगाम अपने हाथ में थाम लिए है। सादी फिक्स कर =दिए हमायी उह भी ऐसी लड़की से जिसको हम जानते नहीं पहचानते नहीं”,गुड्डू ने उदास होकर कहा।
“अरे इसी में तो असली मजा है गुड्डू , आजकल की शादी भी कोई शादी है भला लड़का लड़की शादी से पहले ही सब बाते कर लेते है और बाद में उनका एक दूसरे में मन नहीं लगता ,, सादी तो हमारे ज़माने में हुई रही , बुढ़ऊ को देखे तक नहीं हमहू और शादी करके आ रहे इस घर में ,, 1 महीना तो बातो में चला गया हमारा ,, पर जैसे जैसे उम्र बीती रिश्ता मजबूत होता गया।”,दादी ने गुड्डू को समझाते हुए कहा
“बूढ़ा उह 19वी सदी थी इह 21वी सदी है ,, खैर छोडो तुमसे तो अब का ही कहे ,, हमारी बैंड बजना तय है सो बजके रहेगी”,कहकर गुड्डू खाना खाने लगा
“आनंद बताय रहे की लड़की बहुते संस्कारी और सीधी साधी है”,दादी ने कहा
“संस्कारी तो गोलू भी है तो का अब उस से सादी कर ले , का बूढ़ा तुमहु भी ना सठिया गयी हो। सब के सब मिले हुए है इह घर मा आने दो उस सीधी साधी लड़की को दुई दिन में उह भाग जाएगी”,गुड्डू ने खाते हुए कहा
“पगलेट हो तुम गुड्डू दुल्हिन के आने से पहले ही भगाने के सपने देखने लगे”,दादी ने हँसते हुए कहा
“हमरा बस चले ना तो हमहू शादी ही ना करे”,गुड्डू ने दादी की और देखकर कहा
“अरे काहे सोच सोच के अपना खून जलाय रहे हो बेटा ? और देखना शादी के बाद बीवी इतनी अच्छी लगेगी की उसका पल्लू नहीं छोड़ोगे”,मिश्राइन ने कमरे में आते हुए कहा।
“ऐसा कुछो ना होइ अम्मा”,गुड्डू ने कहा तो मिश्राइन ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा,”तुम बावला है गुड्डू शगुन से अच्छी लड़की पुरे कानपूर में कही नहीं मिलेगी , बिन माँ की बच्ची है फिर भी संस्कारो की कमी नहीं है उसमे”
गुड्डू अब बहस नहीं करना चाहता था इसलिए चुपचाप खाना खाया और उठकर ऊपर चला आया। शगुन का नाम सुनते ही गुड्डू को ना जाने क्या हो जाता और वह पहले से ज्यादा परेशान हो जाता। घर में रंग रोगन का काम चलता रहा नीचे पुरे घर का काम एक हफ्ते में पूरा हो गया। उसके बाद ऊपर के कमरों और हॉल में शुरू हुआ। वेदी ने तो अपनी पसंद का गुलाबी रंग करवाया और डिजाईन्स भी बनवाने को कहा। गुड्डू को इन सब से कोई खास मतलब नहीं था इसलिए उसने लड़को से कहा की अपनी पसंद का कुछ भी कर दे क्या फर्क पड़ता है। गुड्डू के कॉलेज का रिजल्ट आने वाला था जिस से गुड्डू पूरी तरह अनजान था। पिंकी का नंबर वह अपने फोन से डिलीट कर चुका था और अब दिनभर घर में रहता या फिर मनोहर और गोलू के घर नजर आता जैसे जैसे शादी की तारीख नजदीक आ रही थी गुड्डू परेशान होता जा रहा था। दो हफ्ते गुजर गए। घर में लिपाई पुताई का काम ख़त्म हो चुका था। घर पहले से काफी अच्छा लग रहा था। रौशनी की शादी भी गुड्डू की शादी के 2 हफ्ते बाद की तय हो गयी। एक शाम मिश्रा जी ने गुप्ता जी फोन पर बात की और उन्हें अगले दिन शगुन के साथ कानपूर आने को कहा जिस से शगुन अपनी पंसद से कपडे और गहने खरीद सके।

बनारस , उत्तर-प्रदेश
गुप्ता जी की मिश्रा जी से बात हो चुकी थी , उन्होंने विनोद और उषा को भी साथ चलने को कहा। प्रीति को जब इस बारे में बताया तो वह भी कानपूर जाने की जिद करने लगी और आख़िरकार गुप्ता जी मान गए। उसी शाम गुप्ता जी शगुन के कमरे में आये , शगुन अपनी अलमारी में कपडे तह करके रख रही थी। गुप्ता जी अंदर आये और कहा,”शगुन”
“जी पापा”,शगुन ने गुप्ता जी की और पलटकर कहा
“बेटा वो मिश्रा जी का फोन आया था , वे चाहते है की हम सब कल कानपूर जाये और शादी की खरीदारी वही से करे। तुम्हारा क्या ख्याल है बेटा ?”,गुप्ता जी ने कहा
“पापा आपको जैसा सही लगे”,शगुन ने कहा
“मैंने तुमसे पूछे बिना ही उन्हें हां कह दिया बेटा , मिश्रा जी ने इतने प्यार से कहा की मैं ना नहीं कह पाया। गुड्डू जी से भी मिलना हो जाएगा सगाई वाले दिन तो उनसे ज्यादा बात नहीं हो पायी मेरी”,गुप्ता जी ने कहा तो शगुन गुड्डू के नाम से शरमा गयी और पलट गयी। गुप्ता जी मुस्कुरा दिए और कहा,”गुड्डू जी से मिलना चाहोगी बेटा ?”
शगुन ने ना में गर्दन हिला दी तो गुप्ता जी समझ गए की शगुन शरमा रही है वे उसके पास आये और उसके कंधो पर हाथ रखते हुए कहा,”शगुन तुम्हारी माँ के जाने के बाद मैंने हमेशा तुम्हे और प्रीति को हर संस्कार और अच्छी शिक्षा देने की कोशिश की , गुड्डू जी को तुम्हारे लिए चुना है क्योकि उनका परिवार बहुत नेक है और बेटा घर की नींव अगर मजबूत हो तो बच्चो में भी संस्कार अच्छे ही होते है। गुड्डू जी बड़े सीधे लगे मुझे इसलिए मैंने उन्हें तुम्हारे लिए चुना और शायद भोलेनाथ को भी यही मंजूर हो। मैं चाहता हूँ तुम कानपूर चलो और एक बार और उनसे मिल लो , चलोगी ना ?”
“पापा !”,कहते हुए शगुन ने अपना सर गुप्ता जी के सीने से लगा दिया। गुप्ता जी उसका सर सहलाने लगे और कहा,”बस कुछ दिन बाद तो तुम्हे हमेशा के लिए चले जाना है बेटा ,, तुम्हारे जाने से ये घर सूना हो जाएगा”
गुप्ता जी की बात सुनकर शगुन की आँखों से आंसू बहने लगे लेकिन गुप्ता जी ने नहीं देखे और शगुन ने उन्हें पोछकर जबरदस्ती मुस्कुराते हुए , गुप्ता जी का हाथ थामकर कहा,”पापा हम ज्यादा दूर नहीं जा रहे है , जब भी आपको और इस घर को मेरी जरूरत होगी मैं आ जाउंगी पापा”
“बिल्कुल बेटा , शादी के बाद भी तुम्हारा इस घर पर उतना ही हक़ रहेगा जितना शादी से पहले है ,, तुम्हारे और प्रीति के अलावा मेरा है ही कौन”,गुप्ता जी ने शगुन का सर चूमते हुए कहा तो शगुन मुस्कुरा दी और कहा,”आप जाकर आराम कीजिये”
“ठीक है सुबह जल्दी ही निकलेंगे बेटा , टाइम से तैयार हो जाना”,कहकर गुप्ता जी चले गए। शगुन खिड़की के पास चली आयी और खिड़की खोल दी , शाम हो चुकी थी और आसमान लालिमा लिए हुए था शगुन की खिड़की से अस्सी घाट का नजारा साफ नजर आ रहा था। शगुन ने पीठ खिड़की की दिवार से लगा ली और सामने लालिमा लिए आसमान को देखते हुए सोचने लगी,”पापा को गुड्डू जी और उनकी फॅमिली बहुत पसंद है , पापा से कह नहीं पाए पर गुड्डू जी तो हमे भी बहुत पसंद है ,, उनकी आँखे , उनके बोलने का तरिका , उनकी मासूमियत ही तो उन्हें सबसे खास बनाती है। मैं भी कितनी बड़ी ढक्कन हूँ ना पहली मुलाकात में ही उन पर पानी डाल दिया वो अच्छा था की उन्होंने मेरा चेहरा नहीं देखा। पहली मुलाकात ना हमेशा यादगार ही होती है उनके साथ मेरी पहली मुलाकात भी कुछ यु ही यादगार बन गयी। कल सुबह उनसे मिलना है , लेकिन ये बेचैनी अभी से क्यों ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पगला गयी हो शगुन ये बेचैनी नहीं ये तो उनसे मिलने की ख़ुशी है”
शगुन गुड्डू के बारे में सोचती रही तभी प्रीति ने पीछे से आकर उसे डराते हुए कहा,”बुह्ह्ह”
“प्रीति सच में कभी कभी डरा देती हो तुम”,शगुन ने अपने धड़कते दिल पर हाथ रखते हुए कहा तो प्रीति जोर जोर से हसने लगी और कहा,”वैसे किसके ख्यालो में खोई हुयी थी आप ? कही गुड्डू जीजू के तो नहीं”
“मैं उनके ख्यालो में क्यों खोने लगी भला ? मुझे और भी बहुत काम है”,कहते हुए शगुन वहा से जाने लगी तो प्रीति ने उसे रोकते हुए कहा,”कल हम सब कानपूर जा रहे है , पापा ने बताया आपको ?”
“हां अभी थोड़ी देर पहले ही बताया है”,शगुन ने कहा
“तब तो आप भी चल रही है ना ,,,,,,,,,,,,,,,कानपूर”,प्रीति ने कानपूर शब्द पर कुछ ज्यादा ही जोर देकर कहा
“हां पापा ने कहा है तो जाना ही पड़ेगा”,शगुन ने बिस्तर सही करते हुए कहा
“पापा ने कहा है इसलिए जा रही हो या गुड्डू जी से मिलना है इसलिए ?”,प्रीति ने शगुन को छेड़ते हुए कहा
प्रीति के इस सवाल पर शगुन चुप हो गयी तो प्रीति उसके पास आयी और कहा,”जीजू से पहली बार मिलने जा रही हो कोई तोहफा लिया उनके लिए”
“नहीं”,शगुन ने मासूमियत से कहा
“सच में डफ्फर हो तुम सब मुझे ही सिखाना पडेगा ,, सुबह जल्दी निकलना है इसलिए तोहफा खरीदने अभी जाना होगा”,प्रीति ने अपने गले में स्कार्फ डालते हुए कहा। शगुन ने देखा घडी में 7 बज रहे थे ज्यादा देर नही हुई थी इसलिए वह जाने को तैयार हो गयी उसने अपना दुपट्टा उठाया और गले में डालकर शगुन के साथ नीचे चली आयी। नीचे आकर शगुन ने अपने पापा से कहा,”पापा मैं और प्रीति थोड़ी देर के लिए बाहर जा रहे है”
“ठीक है बेटा जल्दी आ जाना”,गुप्ता जी ने कहा तो शगुन और प्रीति वहा से चली गयी। घर से बाहर आयी तो अपनी स्कूटी लिए अमन दिख गया। शगुन ने उस से स्कूटी लेते हुए कहा,”दी इस से जल्दी पहुंचेंगे”
शगुन आकर प्रीति के पीछे बैठ गयी और दोनों बाजार की और चल पड़ी। दुकान पर आकर शगुन ने कई तोहफे देखे लेकिन उसे कुछ पसंद ही नहीं आ रहा था। प्रीति समझ गयी इसलिए शगुन को वहा से लेकर , बनारस के सबसे मशहूर ज्वेलर्स की दुकान पर आयी वहा प्रीति ने दुकानवाले की सिल्वर में कुछ दिखाने को कहा। थोड़ी देर देखने के बाद शगुन को गुड्डू के लिए एक चाँदी का कडा पसंद आया जिसकी बनावट बहुत ही सुन्दर थी , शगुन ने उसे पैक करने को कहा और दोनों बहने दुकान से बाहर चली आयी। बाहर आकर शगुन ने कहा,”प्रीति उन्हें ये पसंद तो आएगा ना ?”
“अरे जरूर पसंद आएगा दी आपने इतने प्यार से जो लिया है , देखना जीजू इसे जरूर पहनेंगे”,प्रीति ने मुस्कुराकर कहा

कानपूर , उत्तर-प्रदेश
गुड्डू अपने कमरे में यहाँ से वहा चक्कर काट रहा था जबसे मिश्रा जी ने उसे कहा था की कल शगुन और उसके घरवाले आ रहे है। गुड्डू को समझ नहीं आ रहा था की क्या करे जिस से वह शगुन और उसके घरवालों से ना मिल पाए ? लेकिन उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। थककर गुड्डू बिस्तर पर आ बैठा और सोचने लगा,”एक मिश्रा जी कम थे जो अब एक गुप्ता जी को हमाए गले डालने वाले है ,, दोनों मिलके हमायी बेंड बजायेंगे !! पिंकिया ने तुम्हारा कुछो नहीं काटा है गुड्डू असली चूतिया तो तुम्हाये पिताजी ने काटा है तुम्हारा शादी के नाम पर !”

Manmarjiyan - 25
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संजना किरोड़ीवाल

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