मनमर्जियाँ – 22
Manmarjiyan – 22
“मनमर्जियाँ”
By Sanjana Kirodiwal
Manmarjiyan – 22
गुड्डू की शादी की बात सुनकर रौशनी ने भी अपने घरवालों के सामने शादी के लिए हाँ कह दी लेकिन गुड्डू की वजह से रौशनी को देखने आये लोग चले गए। गुड्डू जैसे ही घर आया मिश्रा जी ने चप्पल फेंक के मारा और कहा,”अबे नालायक तुम में रति भर की अकल है के नहीं है ,, रौशनी को उह लोग देखने आये रहय और तुमहू उसी का हाथ पकड़ के सबके सामने उसे वहा से ले गए।”
“पिताजी वो,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहना चाहा तो मिश्रा जी ने दूसरी चप्पल ढूंढते हुए कहा,”पिताजी का , का पिताजी तुमहू साला 24 के हो लिए अभी तक सही गलत की समझ नहीं है तुमको ,, अरे उह बचपन था जब हाथ पकड़ के साथ खेल लेते थे दोनों , इह जवानी है बेटा एक जरा सी भूल जिंदगी भर के शूल घुसा देती है पिछवाड़े में ,,,हमायी चप्पल कहा है अभी तुम्हारी खातिरदारी करते है”
“बस कीजिये जी मोहल्ले वाले सुन रहे है क्या कहेंगे ?”,मिश्राइन ने रोकते हुए कहा तो मिश्रा जी ने गुस्सा होकर कहा,”का कहेंगे मोहल्ले वाले ? मोहल्ले वाले कहेंगे कैसा बैल जैसा लौंडा पैदा किये रहय मिश्रा ,, हमायी नाक कटवाने में कोई कमी नहीं रखे है इह ससुर का नाती”
गुड्डू बस ख़ामोशी से सर झुकाये सुनता रहा , उसने बहुत बड़ी गलती की थी उसकी वजह से रौशनी का रिश्ता टूट गया , साथ ही मिश्रा जी भी उस से खासा नाराज थे। गुड्डू को खामोश देखकर मिश्रा जी का गुस्सा और बढ़ गया और उन्होंने गुड्डू के पास आकर कहा,”तुम्हायी शादी एक अच्छे घर की लड़की से होने जा रही है , उसके सामने इह हरकते करोगे ना बेटा दो दिन नहीं टिकेगी उह तुम्हारे साथ ,, अभी भी वक्त है सुधर जाओ गुड्डू वरना जिंदगी भर पछताना पडेगा और तब हम नहीं होंगे समझाने के लिए। जाकर रौशनी और उसके घरवालों से माफ़ी माँगो”
“जी पिताजी”,गुड्डू ने मिमियाते हुए कहा
“जी पिताजी , चलो जाओ और बिना माफ़ी माँगे आना मत घर”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू वापस बाहर चला आया। बाहर आया तो देखा सब उसे ही देख रहे है गुड्डू चुपचाप रौशनी के घर आया और रौशनी के पापा के सामने आकर कहने लगा,”हमे माफ़ कर दो चचा हमहू नहीं पता था की उह सब लोग रौशनी को देखने आये है। अनजाने में हमसे बहुते बड़ी गलती हो गयी हम आप सबसे माफ़ी चाहते है”
“तुम्हारे माफ़ी मांगने से उह लोग वापस तो नहीं आएंगे ना गुड्डू , इसकी (रौशनी की और इशारा करके) किस्मत ही खराब है इसमें तुम्हारा क्या दोष ? अब कौन लड़का इस से शादी करेगा लोग तो यही सोचेंगे की इसका कही चक्कर चल रहा है”,रौशनी की अम्मा ने कहा तो गुड्डू उनके पास आया और कहा,”अरे टेंसन ना लो चाची कानपूर में लड़को की कमी थोड़ी ना है और फिर रौशनी इतनी सुन्दर है अच्छी है इसके लिए तो लड़के मिल ही जायेंगे। एक ही रिश्ता तो गया है अभी तो और बहुत मिलेंगे”
गुड्डू की बात सुनकर रौशनी अंदर चली गयी। गुड्डू कुछ देर बाद वहा से चला गया घर ना रूककर उसने अपनी बाइक स्टार्ट की और वहा से निकल गया। ,रास्ते में उसका फोन बजा तो पिंकी का मेसेज था जिसमे लड़के का नाम , नंबर और फोटो था जिसे पैसे देने थे। गुड्डू जबसे शोरूम जाने लगा था मिश्रा जी ने उसकी पॉकेटमनी बढ़ा दी थी ,, तबसे ही गुड्डू कुछ पैसे बचाकर रख रहा था। उसने वही बचे हुए पैसे उस लड़के को देने का सोचा। बाइक चलाते हुए वह बस रौशनी के बारे में सोच रहा था , तभी किसी ने हाथ बीच में देकर उसकी बाइक को रोका गुड्डू ने देखा सामने उसके बचपन का दोस्त मनोहर खड़ा था।
“अबे गुड्डू कितना बदल गया है भाई ? बॉडी बना ली और दिखता भी हीरो जैसा है ,, कहा गायब था इतने दिन से ?”,मनोहर ने पूछा
“अरे मनोहर तू ! तू कब आया दिल्ली से ?”,गुड्डू अपने बचपन के दोस्त को देखकर खुश हो गया
“एक हफ्ता हो गया आये हुए लेकिन बहुत बिजी था यार”,मनोहर ने कहा
“कहा बिजी था भाई ?”,गुड्डू ने पूछा
मनोहर उसके पीछे आ बैठा और कहा,”घर चल सब बताता हूँ आराम से , वैसे भी अम्मा बता रही थी की तू इन दिनों घर नहीं आया”
गुड्डू ने बाइक मनोहर के घर की और बढ़ा दी।
दोनों घर पहुंचे मनोहर उसे लेकर अंदर आया तो मनोहर की अम्मा गुड्डू को देखते ही खुश हो गयी और कहा,”अरे गुड्डू तुम आये हो , हम कल ही कह रहे थे पूजा से की गुड्डू आजकल घर नहीं आया और देखो तुम आ गए , बैठो बैठो मैं अभी तुम्हारे लिए चाय बनवाती हूँ”
“अरे नहीं नहीं चाची रहने दो”,गुड्डू ने कहा
“काहे रहने दे बे , इतने दिनों बाद आया है और ऐसे ही जाएगा शाम से पहले कोई चांस नहीं है तुम्हारा घर जाने का”,मनोहर ने हाथ पैर धोते हुए कहा। मनोहर की छोटी बहन पूजा गुड्डू के लिए कुर्सी ले आयी और बैठने को कहा। गुड्डू आ बैठा , मनोहर भी पास पड़ी खटिया पर आ बैठा और कहा,”हां तो भई अब बताओ कैसे हो ?”
“बस ठीक है !”,गुड्डू ने धीरे से कहा
“ठीक हो ! भाई तुम्हारा तो पूरा सिस्टम ही बदल गया है हमे तो लगा दो साल पहले जिस गुड्डू को हम छोड़ के गए थे वो अब तक कानपूर का डॉन बन चुका होगा ,, पर तुम्हारा तो फ्यूज उड़ा हुआ है”,मनोहर ने कहा
“अरे कुछ नहीं भाई तुमहू बताओ कैसी रही दिल्ली वाली नौकरी ?”,गुड्डू ने कहा तो मनोहर उस दिल्ली के बारे में बताने लगा और अंत में कहा,”हम तो चाहते थे की शादी करके वही सेटल हो जाये पर हमारे पिताजी नहीं सुन रहे है कह रहे है यही कानपूर में ही आस पास में शादी करो ,, बस एक हफ्ते से लड़किया देख रहा हूँ”
“तो पसंद आयी कोई ?”,गुड्डू ने पूछा
“अरे यार कहा ? कभी लड़की को हम पसंद नहीं आते कभी लड़की हमे पसंद नहीं आती”,, मनोहर ने कहा
“गुड्डू अब तुम्ही समझाओ अपने दोस्त को 26 का हो चला अब शादी नहीं करेगा तो कब करेगा ?”,चाची ने चाय गुड्डू की और बढ़ाते हुए कहा
“अरे अम्मा इह का समझायेगा इह कोनसा शादी करके बैठा है , जब करनी होगी कर लेंगे क्यों गुड्डू ? और शादी से पहले जो आजादी मिलती है वो शादी बाद कहा ?”,मनोहर ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा
“देखा गुड्डू जब भी शादी का नाम लो बाते बनाना शुरू ,, तुम बताओ घर में सब कैसे है ? मिश्रा जी का गुस्सा कुछ कम हुआ के वैसे ही है”,चाची ने पूछा
“घर में सब अच्छे है चाची !”,गुड्डू ने कहा
चाय पीने के बाद मनोहर उसे अपने कमरे में ले आया। दोनों घंटो बातें करते रहे लेकिन गुड्डू ने उसके सामने ना पिंकी का जिक्र किया ना ही अपनी सगाई का ,, शाम होने को आयी तो गुड्डू को पिंकी का काम याद आया और उसने कहा,”अच्छा मनोहर अब हम चलते है यार”
“अरे बैठ ना थोड़ी देर !”,मनोहर ने कहा
“अरे यार वो जरुरी काम से मार्किट जाना है , फिर मिलते है ना”,गुड्डू ने उठते हुए कहा तो मनोहर भी उठ खड़ा हुआ और कहा,”चल फिर मुझे भी उधर छोड़ देना कुछ काम है”
“हम्म ठीक है”,कहकर गुड्डू मनोहर के साथ वहा से निकल गया।
मार्किट से गुजरते हुए मनोहर की नजर गोलगप्पे वाले पर गयी तो उसने कहा,”अरे गुड्डू चल ना गोलगप्पे खाते है , बहुत दिन हो गए कानपूर के गोलगप्पे खाये हुए”
“ठीक है चलो”,कहते हुए गुड्डू ने बाइक को साइड में लगाया और दोनों गोलगप्पे वाले के पास पहुंचे। गोलगप्पे वाला गुड्डू को देखते ही पहचान गया और प्लेट बढ़ा दी। गुड्डू और मनोहर गोलगप्पे खा ही रहे थे की तभी गुड्डू की नजर कुछ ही दूर लगे दूसरे ठेले पर गयी जहा जानी पहचानी लड़की दिखाई दी। गुड्डू ने ध्यान से देखा तो पाया की वो कोई और नहीं पिंकिया ही थी। गुड्डू ने लड़के से मनोहर को खिलाने को कहा और खुद पिंकी की और आया देखा उसके साथ एक दुबला पतला लड़का भी खड़ा था और वह अपने हाथो से पिंकी को गोलगप्पे खिला रहा था। ये देखकर गुड्डू का खून खौल गया वह जैसे ही पिंकी के सामने आया पिंकी के चेहरे का रंग उड़ गया और उसने कहा,”गुड्डू हम बताते है तुम्हे”
“क्या बताओगी तुम ?”,गुड्डू ने गुस्से से कहा
लड़के ने गुड्डू को देखकर कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया उलटा उसने अगला गोलपगप्पा खिलाने के लिए जैसे ही हाथ पिंकी की और बढ़ाया , गुड्डू ने लड़के का हाथ पकड़कर मोड़ते हुए कहा,”क्या बताओगी तुम ? कौन है ये चिलगोजा ? हमायी अनुपस्तिथि में जिसके साथ गोलगप्पे खाये जा रहे है”
लड़का दर्द से कराह रहा था ये देखकर पिंकी ने गुड्डू के हाथ से उसका हाथ छुड़ाया और कहा,”गुड्डू छोडो इसे , दोस्त ही ये हमारा”
“अच्छा कानपूर के सारे लौंडे तुम्हाये दोस्त है साला हम क्या है ? भोंदू जो दिन रात तुम्हाये पीछे चक्कर काट रहे है , तुम्हाये लिए घरवालों से झगड़ रहे है”,गुड्डू ने कहा
गुड्डू की आवाज सुनकर मनोहर भी वहा चला आया। गुड्डू की बात सुनकर पिंकी को भी गुस्सा आ गया तो उसने कहा,”हमने कहा था तुमसे ये सब करने को ,
और हमारी मर्जी हम भले कानपूर के लड़को से दोस्ती करे या पुरे यू.पी. से तुम होते कौन हो मुझसे ऐसा कहने वाले ?”
“सही है हम कौन होते है ? बड़ी जल्दी रंग दिखा दिया पिंकिया”,गुड्डू ने कहा तो मनोहर ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा,”क्या हुआ भाई ?”
गुड्डू का दिल टूट चुका था इसलिए उसने मनोहर से कहा,”कुछ नहीं भाई डेढ़ महीने बाद शादी है हमायी”
पिंकी ने सूना तो उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं आये
“अरे मुबारक हो चीरे , पहिले काहे नहीं बताया अब तो गोलगप्पे नहीं साला बड़ी पार्टी चाहिए तुमसे”,मनोहर ने कहा तो गुड्डू पिंकी के पास आया और एक गोलगप्पा उठाकर उसे खिलाते हुए कहा,”मुबारक हो पिंकिया”
गुड्डू मनोहर को लेकर वहा से चला गया। मनोहर को जिस दुकान पर जाना था गुड्डू ने उसे वहा छोड़ा और खुद मोती झील चला आया वहा आकर गुड्डू की आँखों में आंसू आ गए।
पिंकी के बारे में सोचकर ही गुड्डू का मन गुस्से से भर उठा। वह वही बैठ गया , गुस्से और दुःख से उसकी नाक लाल हो चुकी थी , आँखे आंसुओ से भरी हुई ,, पहला प्यार और उसमे भी नाकामयाबी मिले तो इंसान टूट जाता है। सबने गुड्डू को बेवकूफ समझा क्योकि अब तक वह पिंकी का धोखा और उसका लालच देख नहीं पाया था लेकिन गुड्डू की इसमें क्या गलती ? उसने तो हमेशा पिंकी को खुश रखने के बारे में सोचा , वो प्यार ही क्या जिसमे बेवकूफियां ना हो ,, गुड्डू भी तो प्यार में ही था अब चाहे वो एकतरफा ही क्यों ना हो। गुड्डू आँखों में उदासी लिए झील के पानी को ताकता रहा हमेशा की तरह आज गोलू नहीं आया। गुड्डू उसे बहुत मिस कर रहा था लेकिन किस मुंह से बुलाता सुबह सुबह ही गोलू उस से नाराज होकर जो गया था। अँधेरा होने लगा तो वेदी का फोन आया और उसने कहा,”भैया कहा हो आप ? अम्मा परेशान हो रही है तुरंत घर आओ”
“हम्म्म्म आते है”,गुड्डू ने कहा। उसने अपनी आँखे पोछी और घर के लिए निकल गया। घर आकर गुड्डू ने बाइक रोकी तो मिश्राइन उसके पास चली आयी और कहा,”कहा चला गया था ? कितनी चिंता हो रही थी तुम्हायी”
“कहा जायेंगे अम्मा ? आना तो फिर से इसी घर में है”,गुड्डू ने कहा
“कोई दूसरा घर देख रखे हो तो बेटा वहा चले जाओ ,,!!”,अंदर तख्ते पर बैठे मिश्रा जी ने कहा
“अब आप शुरू मत हो जाना , दोपहर से निकला हुआ था मेरा बच्चा पता नहीं
कुछो खाया-पीया है भी या नहीं ,, तू अंदर चल खाना लगाती हूँ तुम्हाये लिए”
गुड्डू चुपचाप अंदर चला आया और सीधा मिश्रा जी के पास आकर कहा,”रौशनी के पिताजी से माफ़ी मांग लिए है हम”
“ओह्हो जे तो बहुते बड़ा काम कर दिए हो , चीन को अमेरिका बना दिए हो !! जो रायता फैलाये थे उसको समेटना भी तो तुम्हायी जिम्मेदारी है ना बेटा ,, बेहतरी इसी में है की सुधर जाओ”,मिश्रा जी ने कहा
मिश्राइन ने गुड्डू के लिए खाना लगा दिया था इसलिए गुड्डू उस और चला गया। खाना खाकर गुड्डू अपने कमरे में चला आया और बिस्तर पर लेट गया। नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी। पिंकी ने आज जो सबके सामने उसे कहा वह गुड्डू के दिल पर जा लगा ,, साथ ही मिश्रा जी के ताने भी। गुड्डू रातभर सोच में डूबा रहा और सुबह के 5 बजे जाते उसे नींद आयी। सुबह मिश्रा जी शोरूम जा चुके थे। मनोहर किसी काम से उस मोहल्ले में आया था , गुड्डू के घर के सामने से गुजरा तो मिश्राइन ने देख लिया और अंदर बुला लिया। मनोहर अंदर आ बैठा कुछ देर बाद ऊपर चला आया और गुड्डू को उठाते हुए कहा,”अबे गुड्डू कितना सोते हो भाई उठ जाओ”
गुड्डू उठकर बैठ गया घडी में देखा सुबह के 11 बज रहे थे। मनोहर को वहा देखकर गुड्डू ने उसे बैठने का इशारा किया और खुद कमरे से बाहर आकर मुंह धोया और वापस अंदर चला आया गुड्डू का उतरा हुआ चेहरा देखकर मनोहर नेपूछा ,”यार गुड्डू कल से देख रहा हूँ तू कुछ खोया खोया सा है , और कल शाम में उस लड़की से झगड़ा भी हो गया तेरा ,, बात क्या है भाई ?”
“कुछ नहीं छोड़ ना यार”,गुड्डू ने कहा
“देख दोस्त हूँ तेरा वो भी बचपन का , तेरी प्रॉब्लम का कोई ना कोई हल तो निकाल ही दूंगा”, मनोहर ने अपनेपन से कहा तो गुड्डू ने उसे शुरू से लेकर अब तक की सारी कहानी बता दी। मनोहर ने पिंकी और सगाई की बात को साइड करते हुए कहा,”देख भाई रौशनी के साथ तूने गलत किया”
“इसलिए तो बुरा लग रहा है , मेरी वजह से उसका रिश्ता टूटा है अब ये बात मुझे बहुत खटक रही है”,गुड्डू ने कहा
“एक हल है , तूने रिश्ता तुड़वाया है अब तू ही उस लड़की के लिए नया रिश्ता ढूंढकर ला और उसका घर बसा ,, हो सकता है तब वो तुम्हे माफ़ कर दे”,मनोहर ने कहा तो गुड्डू सोच में पड़ गया और कहा,”लेकिन मैं कहा से लाऊ ?”
“देख भाई रास्ता मैंने दिखा दिया , मंजिल तक कैसे पहुंचना है तू सोच ले ! मैं चलता हूँ शाम में लड़की देखने जाना है”,कहकर मनोहर वहा से चला गया।
क्रमश – Manmarjiyan – 23
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संजना किरोड़ीवाल
Nice part.. mam achha hua jo guddu ne ye sab dekh liya lakin ab bhi ye pata nahi chala ki kya such mein guddu ne pinki ko chod diya !ab humein lagta hai ki guddu Ko sab samajh aa jana chahiye aur use sirf Shagun ke baare mein sochna chahiye ,aur guddu Ko apni galti sudharne ke liye manohar ko roshni ke yaha dekhne ke liye bhejna chahiye..🌷🌷🌷🌷
Ahhhh…aj ka part bhut acha thaa… Roshni k ghr walo se mafi mangi or ab i think manohar or roshni ka rishtaa hogaa😍 orr sbse acha or best jo hua uss muiii pinkia ki asliyat samne aa gyii bs ab ye bel budhii fr se uski bato me na fss jayee… 😒😒 Aj guddu k liye acha or bura dono lg re hh btt jo hua acha huaa… 😘😘😘
Very beautiful
Awesome part lekin guddu k liye bhut bura lg rha h woh dil ka bhut saafh h koi chal kapat nhi h uske mn m aur pinki sirf uska fayda utha rhi h
very nice
Kya sach m pinki ka kissa khatam🤔🤔 ya phir se vo ullu banayengi or guddu ji ban jayenge.🤓🤓
Mujhe to lga tha guddu bhole bhandari h lekin jb uski tisri ankh khulegi to pinkiya bhasm ho jayegi bt yha to aisa kuchh nhi hua
Ab aisa lg rha h guddu ab manohar ki sadi roshni s krwayeg 💐💐🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺❤️❤️❤️❤️❤️