Main Teri Heer – 22

Main Teri Heer – 22

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

प्रताप का घर , बनारस
सुबह सुबह प्रताप के घर में रोजाना से ज्यादा शोर शराबा था , आज राजन को देखने लड़की वाले जो आ रहे थे। रसोईये से कहकर प्रताप ने नाश्ता बनाने को कहा। सफाईवाले से वह खुद एक एक कोना साफ करवा रहा था। घर का नौकर प्रताप के लिए चाय लेकर आया और उसकी तरफ बढ़ा दी।
“राजनवा उठ गवा का ?”,प्रताप ने चाय का कप लेते हुए कहा
“राजन बाबू तो अभी सो रहे है”,नौकर ने कहा


“अरे उठाओ उनका भाईसाहब लड़की वालो के साथ घर से निकल गए है , कभी भी पहुँचते होंगे”,प्रताप ने चाय का घूंठ भरते हुए कहा
“जी मालिक,,,,,,,,,,!!”,नौकर ने कहा और जाने लगा तो प्रताप ने कहा,”अच्छा सुनो ! उह टेलर के हिया से कुर्ता पजामा आया जो राजनवा के लिए सिलवाया था”


“हाँ मालिक लड़का कल शाम मा ही देकर गया था , आपके कमरे में रखे है हमहू”,नौकर ने कहा
“जाओ लेकर आओ , हमहू खुद जाते है रजनवा को उठाने के लिए,,,,,,,,,,!!”,प्रताप ने कहा और वही बरामदे में घूमते हुए अपनी चाय पीने लगा।

नौकर कपडे लेकर आया और प्रताप की ओर बढ़ा दिए। प्रताप ने चाय का खाली कप रखा और कपडे लेकर सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। प्रताप राजन के कमरे में पहुंचा और देखा कि राजन अभी तक सो रहा है तो उन्होंने हाथ में पकडे कपडे बिस्तर के कोने पर रखे और राजन के सिरहाने बैठकर उसका सर सहलाते हुए कहा,”राजन , ए बेटा ! उठो सुबह हो गयी है”


अमूमन प्रताप कभी ऐसा करता नहीं था , लेकिन आज उसने राजन को बहुत ही प्यार से उठाया था। प्रताप की आवाज सुनकर राजन की आँखे खुली वह उठा और उबासी लेते हुए कहा,”अरे पिताजी ! आप सुबह सुबह हिया ?”
 “अरे भाई साहब ने एक ठो रिश्ता बताया है तुम्हरे लिए , आज लड़की वाले तुमको देखने आ रहे है। उठो और फटाफट तैयार हो जाओ,,,,,,,,!!”,कहते हुए प्रताप उठा और कपडे लेकर राजन के पास चला आया।

उसने कपडे राजन की तरफ बढ़ाये और कहा,”जे कपडे हमहू तुम्हरे लिए सिलवाए है,,,,,,,आज जे पहनना , हमहू नीचे जाते है ,, बहुत काम देखना है तुमहू तैयार होकर नीचे चले आओ,,,,,,,,,,,!!”
“जी पिताजी,,,,,,,,,,,,!!”,राजन ने कपडे लेकर कहा
प्रताप मुस्कुराकर वहा से चला गया। राजन ने कपडे बिस्तर पर रखे और खुद भी उनके बगल में आ बैठा। राजन किसी सोच में डूब गया और उसका चेहरा उदासी से घिर गया।

कुछ देर बाद राजन उठा और कबर्ड खोला , कोने में रखी तस्वीर को उठाया और उसे देखते हुए कहने लगा,”हमहू जानते है तुमहू लौटकर हमायी जिंदगी मा वापस नहीं आओगी , पिताजी हमाई शादी के लिये लड़की देखे है हमने फैसला किया है हम भी अब अपनी जिंदगी में आगे बढ़ जाए अपने लिए ना सही पर अपने पिताजी के लिए,,,,,,,,,,हाँ हम जानते है तुम्हरे जितना पियार हमसे कोई नहीं कर पायेगा पर हमहू कोशिश करेंगे अपना प्यार उन्हें दे और उनके साथ एक नयी जिंदगी सुरु करे,,,,,

इह जिंदगी मा हमहू तुमका कबो भूल ना पाएंगे राजदुलारी,,,,,,,,,,शादी के बाद जब हमरी कोनो बिटिया हुई तो ओह्ह का नाम हमहू तुम्हरे नाम पर रखी है , इह से हमरी मोहब्बत हमेशा ज़िंदा रही है।”
कहते हुए राजन की आँखों में आँसू भर आये , उसने तस्वीर को कोने में ना रखकर कबर्ड के कभी ना खुलने वाले दराज में डाल दिया। राजन ने आँखों में आये आंसुओ को पोछा और कबर्ड बंद कर नहाने चला गया।


नहाकर राजन वापस आया और प्रताप का लाया कुर्ता पजामा पहन लिया। पाजामे की फिटिंग अच्छी थी लेकिन कुर्ता सीने में थोड़ा टाइट था। राजन ने जैसे ही उसे पहना कुर्ते का बटन टूटकर गिर गया। राजन ने बटन उठाया और शीशे के सामने चला आया। बटन टुटा भी तो ठीक सीने के सामने से , राजन ने हाथ में पकड़े बटन को कुर्ते पर रखा लेकिन उसे कहा बटन लगाना आता था , उसने बटन को हाथ में लेकर देखा और कहा,”पिताजी ने बहुत मन से हमाये लिए जे कपडे सिलवाए है , एक काम करते है पहने रखते है वरना उन्हें अच्छा नहीं लगेगा,,,,,,,!!”
शीशे के सामने खड़ा राजन तैयार होने लगा

फिल्मसिटी , मुंबई
“मैं तुम्हारे लिए खाना लेकर आई हूँ , आई नो तुमने सुबह से कुछ खाया नहीं है,,,,,,,,,चलो बैठो”,निशि ने वंश कुर्सी पर बैठते हुए कहा
“अरे लेकिन हमारा शूट है निशि,,,,,,,,,!!”,वंश ने जाने की कोशिश करते हुए कहा लेकिन निशि ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और सामने पड़ी कुर्सी पर बैठाते हुए कहा,”शूट बाद में भी हो सकता है , बैठो और खाओ इसे देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लेकर आयी हूँ ?’


निशि ने डिब्बा खोलकर वंश के सामने कर दिया , वंश ने देखा डिब्बे में पराठे और आलू की सुखी सब्जी रखी थी जिसमे से बहुत ही अच्छी खुशबु आ रही थी। वंश ने आँखे बंद की और खुशबु लेते हुए कहा,”हम्म्म्म कितनी अच्छी खुशबु है , मैं ये खाना चाहता हूँ”
वंश ने अपनी आँखे खोली और प्यार भरी नजरो से निशि को देखने लगा। निशि ने देखा तो मुस्कुरा कर कहा,”खाओ,,,,,,,,,!!”


“तुम खिलाओ ना अपने हाथ से,,,,,,,,,,!!”,वंश ने निशि को देखते हुए प्यार से कहा  
निशि मुस्कुराई और निवाला तोड़कर वंश को खिला दिया। वंश ने जैसे ही निवाला खाया उसका दिल खुश हो गया , एक तो उसका फेवरट आलू सब्जी और पराठा ऊपर से निशि उसे अपने हाथो से खिला रही थी। निशि एक एक करके निवाले वंश को खिलाते जा रही थी और वंश प्यार भरी नजरो से निशि को देखते जा रहा था।

एक पराठा खाने के बाद वंश ने निशि को रोकते हुए कहा,”एक मिनिट , अगर इसके साथ सॉस होता तो मजा ही आ जाता , तुम्हे पता है बनारस में जब मैं छोटा था तब माँ मुझे पराठा सब्जी कैसे खिलाती थी ? वो सब्जी को पराठे पर रखती , फिर थोड़ा सॉस उस पर डालती , थोड़ा सा बुकनू,,,,,,,,,,,,बुकनू नहीं जानती अरे एक चटपटा मसाला होता है,,,,,,,,,,फिर उसमे थोड़ा सा प्यार डालती और उसका रॉल बनाकर मुझे देती थी,,,,,,,,,,,,अह्हह्ह्ह्ह वो कितना टेस्टी होता था,,,,,,,,,,तुमने कभी ऐसे खाया है ?”


“नहीं,,,,,,,,,,,,और तुम्हे यहाँ सॉस कहा से मिलेगा ?”,निशि ने कहा
“अरे रुको,,,,,,,,,,,,,!”,कहते हुए वंश ने पलटकर देखा कुछ ही दूर सुमित खड़ा था वंश ने उसे आवाज देकर कहा,”सुमित सर , मेरे लिए सॉस लेकर आएंगे क्या प्लीज ?’

सुमित ने सुना तो वंश को घूरते हुए कहा,”तुम्हे क्या मैं स्पॉट बॉय दिखता हूँ ?”
“बस क्या सर ? मेरी गर्लफ्रेंड मुझे अपने हाथ से खिला रही है तो आपको जलन हो रही है ना,,,,,,,,इसलिए आप सॉस नहीं दे रहे”,वंश ने बच्चो की तरह मुँह बनाकर कहा


“ओह्ह्ह्ह गॉड वंश ! मैंने आज से पहले इतना ड्रामेबाज लड़का नहीं देखा , मुझे तुम्हारी गर्लफ्रेंड से जलन क्यों होगी ? वैसे भी वो मेरे लिए बच्ची जैसी है , इन्फेक्ट तुम दोनों ही मेरे लिए बच्चो जैसे हो,,,,,,,,,,,!!”,सुमित ने चिढ़ते हुए कहा जो कि उम्र में निशि और वंश से 12 साल बड़ा था।
“तो फिर क्या आप अपने बच्चो के लिए इतना भी नहीं कर सकते ?,,,,,,,,,,,,,,,प्लीज”,वंश ने अपनी ठुड्डी को दोनों हाथो की हथेलियों पर टीकाकार क्यूट बनते हुए कहा


सुमित ने अपना सर झटका और चला गया , वंश निशि की तरफ पलटा और कहा,”हाह ! कैसे लोग है ? सीरीज के हीरो की कोई इज्जत ही नहीं है,,,,,,,,,,!!”
निशि वंश की बात का जवाब देती इस से पहले सुमित वहा आया और सॉस का छोटा बोतल वंश के सामने रखकर कहा,”ये लो खाओ और ख़बरदार जो तुमने आज के बाद सबके सामने मुझे ये सब लाने को कहा मैं के.डी. का मैनेजर हूँ तुम्हारा नहीं,,,,,,,,,,,!!”


“ओह्ह्ह्हह आपने तो मुझे रुला ही दिया,,,,,,,आप मुझसे कितना प्यार करते हो सुमित सर,,,,,,आई लव,,,,,,,,,!!”,वंश ने इतना ही कहा वह आगे कुछ कहता इस से पहले सुमित ने उसे रोक दिया और कहा,”शट अप , ये सब ख़त्म करो और शूट के लिए आओ,,,,,!!”
“सर आप खाना चाहेंगे ?’,निशि ने पूछा
“थैंक्यू निशि ! मैने थोड़ी देर पहले ही नाश्ता किया है , तुम लोग खाओ,,,,,,,,,,,एंड वंश जल्दी करो”,कहते हुए सुमित वहा से चला गया

सुमित के जाने के बाद वंश ने एक पराठा उठाया , उसे डिब्बे के ढक्कन पर फैलाया , उस पर सब्जी रखी , थोड़ा सॉस रखा और फिर उसका रॉल बनाकर निशि की तरफ बढाकर उसे अपने अपने हाथ से खिलाते हुए कहा,”कैसा है ?”
“अहम्म्म्म्म ये बहुत अच्छा है,,,,,,,,!”,कहते हुए निशि ने जैसे ही दुसरा टुकड़ा खाया पराठे में लगा सॉस उसके होंठ से थोड़ा साइड में लग गया।


वंश की नजर निशि के होंठो पर गयी तो वह एकटक उसे देखने लगा। निशि उस सॉस के साथ बहुत प्यारी लग रही थी।  वंश ने अपना एक हाथ अपने और निशि के बीच पड़ी टेबल पर रखा और उठकर निशि के क़रीब आया। निशि की आँखे तो खुली की खुली रह गयी कि वंश उसके साथ क्या करने वाला था ? वंश का चेहरा निशि के चेहरे के बिल्कुल सामने था। वंश के सुर्ख होंठ निशि अपने होंठो के बहुत नजदीक देख पा रही थी।

वंश की नजरे भी निशी के होंठो पर थी , उसने अपनी ऊँगली को निशि के होंठो की तरफ बढ़ाया तो निशि ने अपनी आँखे मूंद ली , उसकी धड़कने सामान्य से तेज थी और वह वंश की गर्म सांसे अपने चेहरे पर महसूस कर पा रही थी। वंश ने ऊँगली से उसके होंठो के नीचे लगे सॉस को पोछा और पीछे हट गया।
निशि ने जब महसूस किया कि वंश उसके करीब नहीं है तो उसने अपनी आँखे खोली , सामने बैठा वंश बेपरवाह सा अपना बनाया रोल खा रहा था।

निशि हैरानी से उसे देखने लगी उसने जो सोचा वंश ने वैसा कुछ भी नहीं किया। निशि को अपनी और देखते पाकर वंश ने कहा,”अरे वो खाते वक्त तुम्हारे फेस पर सॉस लग गया था,,,,,,,,!!”
“मैंने सोचा,,,,,,,,,,,,!!”,निशि कहते कहते रुक गयी
“क्या सोचा तुमने ?”,वंश ने निशि के थोड़ा पास आकर पूछा
“मैंने सोचा तुम मुझे किस,,,,,,,,,!!”,निशि फिर कहते कहते रुक गयी


“तो क्या तुम चाहती हो मैं तुम्हे किस्स्स्सस्स”,कहते हुए वंश जैसे ही निशि के करीब आने लगा निशि ने उसे पीछे किया और उठकर वहा से जाते हुए कहा,”अभी इसमें वक्त है मिस्टर वंश गुप्ता,,,,,,,,,!!”
“if you are mine तो मैं जिंदगीभर इंतजार कर सकता हूँ,,,,,,,!!”,वंश ने अपनी जगह से उठकर जोर से कहा और निशि हँसते हुए वहा से चली गयी।

वंश की कैब आकर फिल्मसिटी के बाहर रुकी लेकिन पीछे बैठा वंश तो सो रहा था।
“सर आपकी लोकेशन आ गयी है,,,,,,!!”,ड्राइवर ने कहा लेकिन वंश ने कोई जवाब नहीं दिया , वह बेचारा तो निशि के सपनो में खोया हुआ था।  जी हाँ ! अभी तक आपने जो सुना वो बस वंश का एक खूबसूरत सपना था जो उसने निशि को लेकर देखा था।


ड्राइवर ने पलटकर सोये हुए वंश को देखा तो गाडी का हॉर्न बजाया , वंश हड़बड़ाकर उठा और कहा,”मैं जिंदगीभर इंतजार करूँगा”
“किसका सर ?”,ड्राइवर ने कहा
वंश को होश आया उसने देखा ना निशि उसके सामने है ना ही वह फिल्मसिटी की लोकेशन पर है , उसने खुद को सम्हाला तो समझ आया कि वह बस एक सपना देख रहा था। वंश ने पैसे दिए और कहा,”अह्ह्ह्ह किसी का भी नहीं,,,,,,,,,थैंक्यू !”


“वेलकम सर”,ड्राइवर ने कहा
वंश कैब से नीचे उतरा , अपना सामान लिया और फिल्मसिटी की तरफ बढ़ गया। कैब वहा से आगे बढ़ गयी। वंश कुछ कदम चला था कि तभी उसके कानो में एक जानी पहचानी आवाज पड़ी,”अरे ऐसे कैसे 355 में बुक किया था और अभी आप 475 मांग रहे हो ,,लूटने के लिए आपको मैं ही मिली थी क्या ?”
वंश ने पलटकर देखा कैब के बाहर खड़ी निशि कैब ड्राइवर से झगड़ा कर रही थी। वंश ने अपना सूटकेस वही छोड़ा और निशि की तरफ चला आया


“अरे मैडम बारिश की वजह से मैं आपको लम्बे रूट से लेकर आया हूँ , जितना भाड़ा बनेगा उतना तो मांगूगा ना आपसे,,,,,,,चलिए जल्दी दीजिये मुझे भी काम है,,,,,,,,,!!”,कैब ड्राइवर ने कहा
“काम है मतलब ? मैं क्या तुम्हे फ्री दिख रही हूँ , मैं 355 से एक रुपया ज्यादा नहीं दूंगी समझे आप,,,,,,,,,,,मुंबई में क्या लूट मचा रखी है आप लोगो ने,,,,,,,!!”,निशि ने ड्राइवर को धमकाते हुए कहा तब तक वंश भी वहा आ चुका था
“अरे ऐसा है तो फिर कैब बुक क्यों करती हो लोकल ट्रेन या ऑटो से आओ ना,,,,,,,,,,अपने स्टेंडर्ड के हिसाब से”,कैब ड्राइवर ने भी चिढ़ते हुए कहा


उसकी बात सुनकर निशि को गुस्सा आया और उसने ड्राइवर की तरफ बढ़ते हुए कहा,”व्हाट डू यू मीन स्टेंडर्ड ? स्टेंडर्ड क्या हां ? तुम्हे तो मैं,,,,,,,,!!”
निशि उस से आगे कुछ कह पाती या उसकी तरफ बढ़ पाती इस से पहले वंश ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे लगभग उठाकर पीछे करते हुए ,दूसरे हाथ से जेब से 500 का नोट निकाला और ड्राइवर को देकर कहा,”keep the change”


“वंश छोडो मुझे इसे तो मैं,,,,,,,,,ये पैसे तुझे हजम नहीं होंगे धोखेबाज चोर ड्राइवर,,,,,,,,अह्ह्ह छोडो मुझे”,निशि हाथ पैर मारते हुए ड्राइवर से कहती रही लेकिन वंश उसे उठाकर वहा से दूर ले गया और कैब ड्राइवर ख़ुशी ख़ुशी वहा से चला गया।

शिवम् का घर , बनारस
मुरारी अनु और मुन्ना के साथ शिवम् के घर आया। तीनो अंदर चले आये जैसे मुरारी अंदर हॉल में आया उसकी नजर बरामदे से आती आई पर पड़ी जिन्होंने कांच का मर्तबान अपने दोनों हाथो में उठा रखा था और जिसमे आम का अचार भरा था। मुरारी को देखते ही आई ने कहा,”अरे आवा मुरारी ! आज तो बड़े दिनों बाद घर आये हो,,,,,,,,,!!”


“हाँ आई उह शिवम् भैया बुलाये रहे कुछो बात करनी थी उनसे और फिर आप सबको एक ठो खुशखबरी भी देनी थी,,,,,,,,,!”,मुरारी ने खुश होकर कहा
“खुशखबरी ? का फिर से सादी कर रहे हो का मुरारी ?”,आई ने कहा तो मुरारी ने हँसते हुए कहा,”अरे का आई इह उम्र मा सादी करेंगे का ? हमहू तो एक बार सादी करके ही गंगा नहा लिए,,,,,,,,,अब तो मुन्ना और काशी की बारी है,,,,,!!”


अपनी शादी का नाम सुनकर मुन्ना दूसरी तरफ देखने लगा। शिवम् और सारिका भी हॉल में चले आये और बाबा भी बाहर से अंदर आ गए।
“तुमहू जे बताओ कि जे सुबह सुबह अचार कहा बेचने निकली हो ?”,मुरारी ने आई के हाथो में पकडे अचार के मर्तबान को देखकर पूछा
“अरे कहा बेचने जायेंगे इह तो हमहू वंश्वा के लिए भेजे रहे सारिका बिटिया के साथ,,,,,,,,कल मुंबई जा रही है ना इह ,, तुमहू बताओ का खुशखबरी थी ?”,आई ने कहा तो मुरारी ने मुस्कुराते हुए सबको देखा और ख़ुशी भरे स्वर में कहा,”बता दे ?”


“अब का मुहूर्त निकलवाए तुम्हरे लिए , बतावा”,आई ने कहा
मुरारी ने मुस्कुराते हुए एक बार फिर सबको देखा और फिर आई की तरफ देखकर कहा,”अपना मुन्ना राजनीती मा आ रहा है”
मुरारी का इतना कहना था कि शिवम् का मुंह खुला का खुला रह गया , बाबा को तो चक्कर आने लगे , सारिका के कानो में बस मुन्ना और राजनीती जैसे शब्द गूंजने लगे और आई के हाथ में पकड़ा अचार का मर्तबान छूटकर नीचे जा गिरा और टूट गया।

अब तक आई के अचार के मर्तबान हमेशा मुरारी ने ही तोड़े थे पर आज मर्तबान आई के हाथो छूटा है तो अब आगे क्या होगा ये तो महादेव ही जानते है या फिर मैं,,,,,,,,,,,,,!!

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संजना किरोड़ीवाल  

Main Teri Heer - Season 5
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